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सीरम बनाएगी 20 करोड़ कोरोना टीके
30-Sep-2020 4:50 PM
सीरम बनाएगी 20 करोड़ कोरोना टीके

सोहिनी दास 

नई दिल्ली, 30 सितंबर (एजेंसियां)। दुनिया में सबसे बड़ी तादाद में टीका बनाने वाली पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ  इंडिया (एसआईआई) अब भारत के साथ-साथ निम्न और मध्यम आमदनी वाले देशों के लिए 2021 में कोरोना टीका 3 डॉलर या लगभग 250 रुपये प्रति खुराक के हिसाब से करीब 10 करोड़ टीके का अतिरिक्त उत्पादन करेगी। कंपनी द्वारा इस कीमत पर पेशकश किए जाने वाले टीकों की कुल तादाद 20 करोड़ होगी क्योंकि उसे बिल ऐंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन से 15 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त फंड मिला है जो जोखिम की स्थिति के लिए होगा।

यह घोषणा व्यावहारिक रूप से सीरम इंस्टीट्यूट, टीके के लिए वैश्विक गठबंधन ‘गावी’ और बिल ऐंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के बीच सहयोग को आगे बढ़ाएगी जो अगस्त की उस घोषणा के बाद की गई है जिसमें सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा कि वह 250 रुपये की एक खुराक के हिसाब से 10 करोड़ खुराक का वितरण करेगी। इस साझेदारी का विस्तार अब ऐस्ट्राजेनेका टीके और नोवावैक्स के कोविड-19 टीकों के लिए 20 करोड़ तक कर दिया गया है।

गेट्स फाउंडेशन अपने रणनीतिक निवेश कोष के माध्यम से गावी को जोखिम की स्थिति के लिए 15 करोड़ डॉलर तक का फंड देगा जिससे इस सहयोग के लिए कुल फंड की राशि 30 करोड़ डॉलर तक हो जाएगी। यह गावी-कोवैक्स एडवांस मार्केट कमिटमेंट (एएमसी) का एक हिस्सा है जो कोवैक्स केंद्र के भीतर की ही एक प्रणाली है। कोविड-19 टीकों के लिए कोवैक्स सुविधा केंद्र दरअसल गावी के समन्वय वाली एक पूल खरीद प्रणाली है जिसके माध्यम से कोवैक्स हरेक प्रतिभागी अर्थव्यवस्था तक टीके की समान पहुंच सुनिश्चित करेगा और इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तैयार किए जा रहे आवंटन ढांचे का इस्तेमाल किया जाएगा।  

गावी कोवैक्स एएमसी फिलहाल शुरुआती फंडिंग के लिए कम से कम 2 अरब डॉलर की मांग कर रहा है और यह टीके की खुराक के लिए खरीद की लागत का कम से कम हिस्सा पूरा करेगा। गावी बोर्ड ने 92 देशों की अंतिम सूची पर सहमति जताई है जिसे गावी कोवैक्स एएमसी द्वारा समर्थित किया जाएगा। नए सहयोग के तहत, ऐस्ट्राजेनेका का टीका अगर सफल होता है तब यह 61 गावी देशों के लिए उपलब्ध होगा। नोवैक्स टीका के सफल होने पर यह गावी कोवैक्स एएमसी द्वारा समर्थित सभी 92 देशों के लिए उपलब्ध होगा।

ये देश दोनों भागीदारों के साथ एसआईआई के लाइसेंसिंग समझौतों से जुड़े हुए हैं। यह व्यवस्था फिर से अतिरिक्त खुराक रखने का विकल्प प्रदान करती है। इस सहयोग से सीरम इंस्टीट्यूट को अग्रिम पूंजी मिलेगी ताकि यह अपनी विनिर्माण क्षमता को बढ़ा सके। एक बार जब टीका उम्मीदवारों को नियामक की मंजूरी और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की पूर्व पात्रता मिल जाती है तब खुराक 2021 की पहली छमाही में भारत और कम तथा मध्यम आय वाले देशों को बड़े पैमाने पर वितरित की जा सकती है।

उन्होंने कहा, 'इस स्तर पर, सरकार और सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र में वैश्विक स्वास्थ्य एवं वित्तीय संस्थानों के लिए यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है कि कोई भी बीमारी से उबरने की राह में पीछे न रह जाए। यह संगठन हमारे उन प्रयासों के अनुरूप है कि भविष्य का टीका महामारी के प्रसार को रोकने के लिए पूर्ण प्रतिरोधक क्षमता देने के लिए दुनिया के दूरदराज के हिस्से तक भी पहुंचे।'

पूनावाला की ही बात को दोहराते हुए कि गावी के सीईओ सेठ बर्कली ने कहा, 'यह टीका निर्माण वैश्विक स्तर पर सामाजिक और आर्थिक रूप से कम विकसित देशों के लिए है। इससे हमें यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि कोई भी देश कोविड-19 का टीका पाने की राह में पीछे न रह जाए। पिछले हफ्ते हम कोवैक्स सुविधा से बड़ी तादाद में जुडऩे वाले देशों की संख्या के बारे में बताने में सक्षम थे। आज हम सुरक्षित और प्रभावी टीके की घोषणा कर सकते हैं जिसे कम और मध्यम आमदनी वाले देशों के लिए विशेष रूप से आरक्षित किया जाएगा। कोविड-19 टीके को पाने की राह में कोई भी देश चाहे वह अमीर हो या गरीब इस कतार में पीछे नहीं रहेगा। इस लक्ष्य को हासिल करने में यह सहयोग काफी मददगार साबित हो रहा है।' अब तक 73 सबसे अधिक आमदनी वाली अर्थव्यवस्थाओं ने औपचारिक रूप से इस सुविधा में शामिल होने की प्रतिबद्धता जताई है। इसके अतिरिक्त 92 कम और मध्यम आमदनी वाली अर्थव्यवस्थाएं गावी कोवैक्स एमएमसी का समर्थन करने के लिए पात्र हैं।

यह सौदा जून में घोषित ऐस्ट्राजेनेका और गावी के हुए एक समझौता ज्ञापन के अतिरिक्त है जो व्यापक कोवैक्स सुविधा के लिए ऐस्ट्राजेनेका के टीके की अतिरिक्त 30 करोड़ खुराक की आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। इन दो सौदों की वजह से वैश्विक पैमाने पर सबसे कमजोर देशों को भी टीके की आपूर्ति कराने में मदद मिल सकती है।

अगस्त तक 15 में से एक संक्रमित
आईसीएमआर के दूसरे सीरो सर्वेक्षण के अनुसार अगस्त 2020 तक 10 साल और इससे अधिक उम्र के 15 लोगों में से एक व्यक्ति के सार्स-सीओवी2 की चपेट में होने का अनुमान है जो बड़ी आबादी के कोरोनावायरस संक्रमण से प्रभावित होने की आशंका को दर्शाता है।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के दूसरे सीरो सर्वे के निष्कर्षों को मंगलवार को जारी किया गया।  आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने संवाददाता सम्मेलन में देश भर में कराए गए सीरो सर्वे को पेश करते हुए कहा कि 17 अगस्त से 22 सितंबर तक 29,082 लोगों (10 वर्ष और इससे अधिक) पर सर्वे किया गया जिसमें 6.6 प्रतिशत में सार्स-सीओवी2 की चपेट में आ चुके होने के लक्षण दिखाई दिए और 7.1 प्रतिशत वयस्क आबादी (18 साल और इससे अधिक) में भी इसकी चपेट में आने के पूर्व के लक्षण दिखाई दिए। 

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