अंतरराष्ट्रीय

अब बासमती पर EU में भारत से भिड़ने जा रहा पाक
07-Oct-2020 9:18 AM
अब बासमती पर EU में भारत से भिड़ने जा रहा पाक

पाकिस्तान ने बासमती चावल को GI टैग मिलने के मुद्दे पर भारत को यूरोपीयन यूनियन में चुनौती देने का फैसला किया है. भारत का दावा है कि बासमती एक भारतीय मूल का उत्पाद है लेकिन पाकिस्तान अब उसे भी अपना बता रहा है.

 FATF से ब्लैकलिस्ट होने के डर के बीच भी पाकिस्तान की इमरान सरकार अब बासमती चावल को लेकर भारत से भिड़ने की तैयारी में है. पाकिस्तानी सरकार ने यूरोपीय संघ में बासमती के लिए विशेष भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग के भारत के आवेदन को चुनौती देने का फैसला किया है. FATF से ब्लैकलिस्ट होने के डर के बीच भी पाकिस्तान की इमरान सरकार लगातर भारत के खिलाफ अपनी द्वेषपूर्ण चालबाजियों से बाज नहीं आ रही है. अब पाकिस्तान बासमती चावल को लेकर भारत से भिड़ने की तैयारी में है. पाकिस्तानी सरकार ने यूरोपीय संघ में बासमती के लिए विशेष भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग के भारत के आवेदन को चुनौती देने का फैसला किया है.

 बीते सोमवार को वाणिज्यिक मामलों पर प्रधानमंत्री के सलाहकार, रजाक दाऊद की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि भारत को बासमती चावल के मामले में चुनौती दी जाएगी. इस बैठक में पाकिस्तान के वाणिज्य सचिव, बौद्धिक संपदा संगठन (आईपीओ-पाकिस्तान) के अध्यक्ष, पाकिस्तान चावल निर्यातक संघ (आरईएपी) के प्रतिनिधियों और कानूनी विशेषज्ञों ने भाग लिया.

 भारत का दावा है कि बासमती एक भारतीय मूल का उत्पाद है. यह बात 11 सितंबर को यूरोपीय संघ की आधिकारिक पत्रिका में प्रकाशित होने के बाद से ही पाकितान की बेचैनी बढ़ गयी है. पाकिस्तान ने इस साल मार्च में भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण एवं संरक्षण) अधिनियम बनाया, जो उसे बासमती चावल पर विशिष्ट अधिकारों के पंजीकरण के लिए भारतीय आवेदन का विरोध करने का अधिकार देता है.

इस बैठक के दौरान, आरईएपी के प्रतिनिधियों का मानना था कि पाकिस्तान बासमती चावल का प्रमुख उत्पादक देश है और बासमती पर भारत का आवेदन अनुचित है. बता दें कि जियोग्राफिकल इंडिकेशन (Geographical Indication) यानी कि भौगोलिक संकेतक. यह टैग उन कृषि उत्पादों को दिया जाता है, जो किसी क्षेत्र विशेष में विशेष गुणवत्ता और विशेषताओं के साथ उत्पन्न होती है. किसी क्षेत्र विशेष के उत्पादों को GI टैग से खास पहचान मिलती है.

असल में GI टैग मिलने के बाद अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में उस वस्तु की कीमत और उसका महत्व बढ़ जाता है. GI टैग मिल जाने से बढ़ी हुई एक्सपोर्ट और टूरिज्म की संभावनाएं किसानों और कारीगरों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाती हैं. किसी भी वस्तु को GI टैग देने से पहले उसकी गुणवत्ता, क्वालिटी और पैदावार की अच्छे से जांच की जाती है. यह तय किया जाता है कि उस खास वस्तु की सबसे अधिक और ओरिजिनल पैदावार निर्धारित देश या राज्य की ही है.

भारत के सन्दर्भ में बात करें तो चंदेरी की साड़ी, कांजीवरम की साड़ी, दार्जिलिंग चाय और मलिहाबादी आम समेत अब तक 300 से ज्यादा उत्पादों को GI टैग मिल चुका है. महाबलेश्वर स्ट्रॉबेरी, जयपुर की ब्लू पॉटरी, बनारसी साड़ी, कोल्हापुरी चप्पल, तिरुपति के लड्डू, मध्य प्रदेश के झाबुआ के कड़कनाथ मुर्गा सहित कई उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है. नागपुर का संतरा और कश्मीर का पश्मीना भी जीआई पहचान वाले उत्पाद हैं. 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news