सामान्य ज्ञान
बस्तर की मुरिया जनजाति अपने सौन्दर्यबोध, कलात्मक रुझान और कला परम्परा में विविधता के लिए ख्यात है । इस जनजाति के ककसार, मांदरी, गेंड़ी नृत्य अपनी गीतात्मक, अत्यंत कोमल संरचनाओं और सुन्दर कलात्मक विन्यास के लिए प्रख्यात है ।
मुरिया जनजाति में आओपाटा के रुप में एक आदिम शिकार नृत्य-नाटिका का प्रचल न भी है, जिसमें उल्लेखनीय रुप से नाट्य के आदिम तत्व मौजूद हैं । गेंड़ी नृत्य किया जाता है गीत नहीं गाये जाते । यह अत्यधिक गतिशील नृत्य है । प्रदर्शनकारी नृत्य रुप के दृष्टिकोण से यह मुरिया जनजाति के जातिगत संगठन में युवाओं की गतिविधि के केन्द्र घोटुल का प्रमुख नृत्य है।
दृषद्वती नदी
दृषद्वती नदी, उत्तर वैदिक काल की प्रख्यात नदी थी जो यमुना और सरस्वती के बीच के प्रदेश में बहती थी। इस प्रदेश को ब्रह्मावर्त कहते थे। इस नदी को अब घग्घर कहते हैं। दृषद्वती का उल्लेख ऋग्वेद में केवल एक बार सरस्वती नदी के साथ है। महाभारत में नदियों की सूची में दृषद्वती भी शामिल है। महाभारत वनपर्व में दृषद्वती का सरस्वती के साथ ही उल्लेख ह । दृषद्वती-कौशिकी संगम का वर्णन महाभारत वनपर्व में है।