सामान्य ज्ञान
आयोडीन की कमी के खिलाफ वर्ष 1962 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय गलगण्ड नियंत्रण कार्यक्रम का आरंभ किया और वर्ष 1992 में इसका नाम परिवर्तित करके राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम (National Iodine Deficiency Disorder Control Programme )कर दिया गया था।
आयोडीन शरीर के लिए आवश्यरक पौष्टिक तत्व है। मनुष्य की सामान्यि शारीरिक वृद्धि के लिए प्रतिदिन 100 से 150 माइक्रोग्राम आयोडीन जरूरी है। प्रतिदिन के भोजन में आयोडीन की कमी के कारण गलगंड और अन्य कई रोग हो जाते हैं। आयोडीन की कमी से गलगंड, मृत जन्म, गर्भपात, जन्मजात विसंगतियां, शिशु मृत्यु दर में वृद्धि, मानसिक अल्पता, बधिर और गूंगापन, भेंगापन और बौनापन आदि रोग एवं विसंगतियां पैदा होती हैं।
देश के 324 जिलों में कराए गए सर्वेक्षणों में पता चला है 263 जिलों में आयोडीन की कमी से होने वाले रोगों का प्रकोप 10 प्रतिशत से ज्यादा है। अनुमान है कि देश में 7 करोड़ 10 लाख लोग आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों के शिकार हैंै। इस कार्यक्रम में आयोडीन युक्त नमक उपलब्ध कराने, आयोडीन न्यूनता विकृति सर्वेक्षण/पुनर्सर्वेक्षण, आयोडीन वाले नमक पर प्रयोगशालाओं में नजर रखने, स्वास्थ्य शिक्षा और प्रचार पर ध्यान दिया जाता हैै। देश में आयोडीन युक्त नमक का वार्षिक उत्पामन 48 लाख मीट्रिक टन हैै। सरकार ने खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम 1954 के अंतर्गत गैर-आयोडीन वाले नमक की पूरे देश में बिक्री 17 मई 2006 से प्रतिबंधित करने का फैसला कियौ।
राज्यस्तर पर कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय सभी राज्यों /केंद्रशासित प्रदेशों, आईडीडी नियंत्रण प्रकोष्ठ और आईडीडी निगरानी प्रयोगशाला के अतिरिक्त सर्वे और स्वास्थ्य शिक्षा और लोगों द्वारा आयोडीन युक्त नमक के उपयोग हेतु प्रचार के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता हैै।