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तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन
तुर्की के अधिकारियों ने बुधवार को फ़्रांस की मशहूर व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दो के कवर पेज पर तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन के कार्टून के ख़िलाफ़ हमला किया और मैग्ज़ीन पर 'नफ़रत और दुश्मनी का बीज' बोने का आरोप लगाया.
इसके साथ ही तुर्की ने कहा कि वो इस कार्टून के ख़िलाफ़ क़ानूनी और कूटनीतिक क़दम उठाएगा. यह कार्टून तुर्की और फ़्रांस के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है. हालांकि इस बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने भी एक ख़त लिखा है, जिसमें उन्होंने मुस्लिम देशों से पश्चिमी देशों के ख़िलाफ़ एकजुट होने की अपील की है.
इन बयानों के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी अपनी प्रतिक्रिया दे दी है. बुधवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने फ़्रांसीसी राष्ट्रपति का समर्थन किया है.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है, "अंतरराष्ट्रीय वाद-विवाद के सबसे बुनियादी मानकों के उल्लंघन के मामले में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के ख़िलाफ़ अस्वीकार्य भाषा में व्यक्तिगत हमलों की हम निंदा करते हैं. हम साथ ही भयानक तरीक़े से क्रूर आतंकवादी हमले में फ़्रांसीसी शिक्षक की जान लिए जाने की भी निंदा करते हैं. हम उनके परिवार और फ्रांस के लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं. किसी भी कारण से या किसी भी परिस्थिति में आतंकवाद के समर्थन का कोई औचित्य नहीं है."
भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान को भारत में फ़्रांस के राजदूत इमैनुएल लीनैन ने ट्वीट किया है. भारतीय विदेश मंत्रालय का शुक्रिया अदा करते हुए उन्होंने कहा है कि आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में फ़्रांस और भारत हमेशा एक-दूसरे पर भरोसा कर सकते हैं.
Thank you @MEAIndia. France and India can always count on each other in the fight against terrorism.https://t.co/oXZ0XpKNSZ pic.twitter.com/iGylUYxUB6
— Emmanuel Lenain (@FranceinIndia) October 28, 2020
तुर्की अब क्यों ग़ुस्से में
सबसे पहले बात शार्ली एब्दो पत्रिका के कार्टून की जिसके प्रकाशन के बाद एर्दोआन के प्रवक्ता इब्राहिम कालिन ने ट्वीट किया, "हम फ़्रांसीसी पत्रिका में हमारे राष्ट्रपति के बारे में प्रकाशन की कड़ी निंदा करते हैं, इसमें विश्वास, आस्था और मूल्यों का कोई सम्मान नहीं है."
कालिन ने कहा, "नैतिकता और शालीनता रहित इन प्रकाशनों का उद्देश्य नफ़रत और वैमनस्य का बीज बोना है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को धर्म और आस्था के ख़िलाफ़ शत्रुता में बदलना एक बीमार मानसिकता की उपज ही हो सकती है."
वहीं तुर्की के उपराष्ट्रपति फ़ुआट ऑक्टे ने ट्विटर पर लिखा, "मैं नैतिकता के आधार पर इस घृणा के ख़िलाफ़ बोलने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान करता हूं."
क्या है कार्टून में?
फ़्रांसीसी व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दो ने तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन का मज़ाक़ उड़ाते हुए एक कार्टून प्रकाशित किया है जिसके बाद तुर्की ने फ़्रांस के ख़िलाफ़ क़ानूनी और कूटनीतिक कार्रवाई की धमकी दे डाली है.
कार्टून में टी-शर्ट और अंडरपैंट में दिख रहे अर्दोआन कुर्सी पर बैठे हैं. उनके दाएं हाथ में बीयर है जबकि बाएं हाथ से वो हिजाब पहने एक महिला की स्कर्ट को पीछे से उठाते दिखाए गए हैं.
पूर्व भूमध्य सागर में तुर्की के प्रतिद्वंद्वी ग्रीस को फ़्रांस से मिल रहे समर्थन पर दोनों देश पहले से ही आपस में उलझे हुए हैं. जब राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस्लामी अलगाववाद पर शिकंजा कसने के लिए नए क़दम उठाने की घोषणा की तो तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन ने कहा कि मैक्रों के मानसिक स्वास्थ्य की जाँच होनी चाहिए.
क्या है ताज़ा मामला?
यह ताज़ा प्रकरण पैग़ंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाने वाले सैमुअल पेटी से शुरू हुआ. 16 अक्तूबर को 18 साल के अब्दुल्लाह अंज़ोरोफ़ ने सैमुअल पेटी नामक इस शिक्षक का सिर क़लम कर दिया था.
पेटी के पैग़ंबर मोहम्द के कार्टून को दिखाए जाने के बाद से फ़्रांस में इस्लाम को लेकर जो ताज़ा विवाद शुरू हुआ वो उनकी हत्या के बाद और बढ़ गया.
पेटी पर हमले से दो हफ़्ते पहले राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा था कि इस्लाम ऐसा धर्म है जो संकट में है. उन्होंने इस्लामी अलगाववाद से निबटने के लिए नए क़दम उठाने की घोषणा भी की थी.
सैमुअल पेटी की मौत के बाद फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि वो कट्टरवादी इस्लाम से सख़्ती से निबटेंगे और देश की धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करेंगे.
हालांकि पैग़ंबर के कार्टून वाले मामले पर समूचे मुस्लिम देशों में नाराज़गी है लेकिन तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने फ़्रांस का खुलकर विरोध किया.
अर्दोआन ने फ़्रांस के सख़्त रुख़ का विरोध करते हुए लोगों से फ़्रांसीसी उत्पाद नहीं ख़रीदने की अपील की थी. उन्होंने कहा, 'फ़्रांसीसी लेबल वाले सामान ना ख़रीदें, उन्हें भाव ना दें.'
टीवी पर प्रसारित अपने संदेश में अर्दोआन ने कहा कि फ़्रांस में मुसलमानों के ख़िलाफ़ ऐसा ही अभियान चलाया जा रहा है जैसा दूसरे विश्व युद्ध से पहले यहूदियों के ख़िलाफ़ चलाया गया था.
उन्होंने कहा कि यूरोपीय देशों के नेताओं को फ़्रांस के राष्ट्रपति से कहना चाहिए कि वो अपना नफ़रत भरा अभियान बंद करें. अर्दोआन इतने पर ही नहीं रुके उन्होंने मैक्रों को निशाने पर लेते हुए यहां तक कहा कि उनके (मैक्रों के) मानसिक स्वास्थ्य की जाँच होनी चाहिए.
तुर्की को यूरोपीय कमीशन की चेतावनी
फ़्रांस के लिए राहत की बात यह रही कि यूरोपीय कमीशन ने खुल कर तुर्की को चेतावनी दी है. कमीशन का कहना है कि तुर्की ने फ़्रांस के सामानों के बहिष्कार का जो आह्वान किया है उससे वो यूरोपीय संघ से अपनी दूरी को ही बढ़ाएगा.
कमीशन के प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन का बयान तुर्की के लंबे समय से संघ में शामिल होने की महत्वाकांक्षा को एक और झटका है. तुर्की बीते कई सालों से यूरोपीय संघ का सदस्य बनने की कोशिश में लगा है और माना जा रहा है कि बीते 15 सालों में वह इसके बहुत क़रीब पहुँच गया है.
"कट्टरपंथी इस्लामवाद के ख़िलाफ़, मुसलमानों के नहीं"
अर्दोआन के मैक्रों पर 'मानसिक स्वास्थ्य की जाँच' वाले बयान के बाद फ़्रांस के गृह मंत्री जेराल्ड डार्मानिन ने पेरिस में एक रेडियो इंटरव्यू में कहा कि अन्य देशों को फ़्रांस के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
जेराल्ड डार्मानिन ने कहा, "विदेशी ताक़तें यह सोचती हैं कि फ़्रांस के मुसलमानों का उनसे जुड़ाव है. फ़्रांस के घरेलू मामलों में विदेशी ताक़तों को दख़ल देने का अधिकार किसने दिया?"
जब प्रस्तोता ने उनसे पूछा कि किस 'विदेशी ताक़त' के बारे में आप बात कर रहे हैं?
इस पर डार्मानिन ने कहा, "तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन के बयान से हम सभी अचंभित हैं, लेकिन और भी देश हैं. उदाहरण के लिए, मैं पाकिस्तान की बात कर रहा हूं जिसने ख़तरे की आशंका जताई है."
फ़्रांस के श्रम मंत्री इलिजाबेथ बोर्ने ने कहा कि फ़्रांस अपने सामानों को बहिष्कार से बचने के लिए अपने मूल्यों को नहीं छोड़ेगा.
उन्होंने कहा, "तथ्य यह है कि सबकुछ बहुत गड़बड़ तरीक़े से पेश किया गया है जो निश्चित ही बहुत अफ़सोसजनक और निंदनीय है. बेशक, हम इन बहिष्कारों को रोकने के लिए वैल्यूज़ को नहीं छोड़ सकते. जो महत्वपूर्ण हैं और जिसे इस देश के लोगों को समझना चाहिए वो यह है कि हम कट्टरपंथी इस्लामवाद के ख़िलाफ़ लड़ना चाहते हैं. लेकिन हम यह मुसलमानों के साथ मिलकर कर रहे हैं उनके ख़िलाफ़ नहीं."
ट्विटर पर भी इस मुद्दे को लेकर कई प्रतिक्रियाएं हैं. एक ट्विटर यूज़र ने लिखा कि अर्दोआन कार्टून पर तो चीख़ रहे हैं लेकिन सैमुअल पेटी के सिर कलम करने पर वो चुप हैं?
My letter to leaders of Muslim states to act collectively to counter the growing Islamophobia in non-Muslim states esp Western states causing increasing concern amongst Muslims the world over. pic.twitter.com/OFuaKGu2c1
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) October 28, 2020
इमरान ख़ान ने मुस्लिम देशों को क्या कहा?
इस सब के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने भी मुस्लिम नेताओं को एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने इस्लामोफ़ोबिया के ख़िलाफ़ मुस्लिम नेताओं से तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है.
दो पन्ने के अपने पत्र को ट्वीट करते हुए इमरान ने लिखा, "मुस्लिम देशों के नेताओं को सामूहिक रूप से ग़ैर-मुस्लिम देशों ख़ासकर पश्चिमी देशों में बढ़ते इस्लामोफ़ोबिया का सामूहिक मुक़ाबला करने के लिए मेरा पत्र. यह दुनिया भर के मुसलमानों में बढ़ती चिंता का कारण बन गया है."
अपने पत्र में उन्होंने लिखा, "आज हम अपने उम्मा (समुदाय) में एक बढ़ती चिंता और बेचैनी का सामना कर रहे हैं क्योंकि वे पश्चिमी देशों में हमारे प्रिय पैग़ंबर पर उपहास और मज़ाक़ के ज़रिए बढ़ते इस्लामोफ़ोबिया और हमलों को देख रहे हैं."
इमरान ने कहा, "इस्लाम, ईसाई धर्म या यहूदी धर्म के किसी भी पैग़ंबर की निंदा हमारे आस्था में अस्वीकार्य थी."
उन्होंने लिखा, "अब समय आ गया है कि मुस्लिम देशों के हमारे नेता इस संदेश को दुनिया के बाक़ी हिस्सों ख़ास कर पश्चिमी दुनिया में एकजुट होकर स्पष्टता के साथ पहुँचाएं ताकि इस्लामोफ़ोबिया, इस्लाम और हमारे पैग़ंबर पर हमले को समाप्त किया जा सके."(bbc)