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गुवाहाटी, 29 अक्टूबर (टेलीग्राफ)। मणिपुर के वन विभाग ने एक बरस पहले पांच बाज रेडियो कॉलर लगाकर छोड़े थे जिनमें से दो अभी 361 दिन बाद 29 हजार किलोमीटर का सफर करके लौटे हैं।
अमूर प्रजाति के ये बाज कबूतर जैसे छोटे आकार के होते हैं, और ये रूस के साइबेरिया में वहां की गर्मी के मौसम में अपनी नस्ल बढ़ाते हैं। वहां जब सर्दियां शुरू होती हैं तो वे भारत के उत्तर-पूर्व के लिए रवाना हो जाते हैं, और यहां करीब दो महीने आराम करने के बाद दक्षिण अफ्रीका जाते हैं जहां वे चार महीने रहते हैं।
मणिपुर के वन विभाग ने पिछले बरस 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को पांच अमूर बाज रेडियो कॉलर लगाकर छोड़े थे ताकि इनके सफर और इनके रहने के बारे में सेटेलाइट से जानकारी मिल सके। इनमें से दो अभी 361 दिन बाद लौटे हैं। ये पंछी अपने अनुकूल मौसम के साथ-साथ उड़ते हुए, ठहरते हुए दुनिया घूम लेते हैं। वन विभाग ने इस सफर के रेडियो-दस्तावेजीकरण पर खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि यह पंछियों को बचाने की कोशिश में मील का एक पत्थर है। मणिपुर के जिस जिले, तमेंगलांग में इन पंछियों को रेडियो कॉलर लगाकर छोड़ा गया था, वहां के लोग बेसब्री से इनकी वापिसी की राह देख रहे थे, और अब वह इंतजार पूरा हुआ। तमेंगलांग के डीएफओ हिटलर ने टेलीग्राफ संवाददाता उमानंद जायसवाल को बताया कि इस प्रजाति के बाज की जिंदगी 5-6 बरस रहती है, और विभाग चाहता है कि उनकी जिंदगी में ऐसे 4-5 फेरे दर्ज हो जाएं।