ताजा खबर
सात रिक्त पदों के लिए डीपीसी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 29 अक्टूबर। राज्य प्रशासनिक सेवा से भारतीय प्रशासनिक सेवा के रिक्त सात पदों पर पदोन्नति के लिए दिल्ली में विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक हुई। खास बात यह है कि वर्ष-2003 बैच के उन अफसरों की पदोन्नति प्रस्ताव पर चर्चा हुई, जिनकी भर्ती में गड़बड़ी को हाईकोर्ट ने भी माना था। और नए सिरे से चयन सूची तैयार करने के निर्देश दिए थे। इस प्रकरण की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। और तो और चार महीने पहले याचिकाकर्ता वर्षा डोंगरे ने यूपीएससी और डीओपीटी को पत्र भेजकर कोर्ट के अंतिम निर्णय तक पदोन्नति नहीं करने का आग्रह भी किया था।
याचिकाकर्ता वर्षा डोंगरे ने वर्ष-2003 की राज्य सेवा की परीक्षा में गड़बड़ी का खुलासा किया था। राज्य सरकार की एजेंसी ईओडब्ल्यू ने भी गड़बड़ी की पुष्टि की थी, और हाईकोर्ट ने नए सिरे से चयन सूची तैयार करने के लिए आदेश दिए थे। यद्यपि इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है, और सभी पक्षों को जवाब तलब किया गया है। प्रकरण की सुनवाई चल रही है। गौर करने लायक बात यह है कि वर्ष-2003 बैच के डिप्टी कलेक्टर के अफसर एडिशनल कलेक्टर हो चुके हैं। अब उन्हें आईएएस अवार्ड होना है।
बताया गया कि दिल्ली में गुरुवार को विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक में मुख्य सचिव आरपी मंडल, सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव डीडी सिंह के अलावा यूपीएससी और डीओपीटी के अफसर भी शामिल हुए। आईएएस अवार्ड के रिक्त सात पदों के लिए 21 अफसरों के नाम भेजे गए थे। इसमें वर्ष-2003, 05 और 08 बैच के भी अफसरों के नाम हैं। सूत्र बताते हैं कि इससे पुराने बैच के तीन अफसरों के खिलाफ जांच के चलते तीन पद रोके जा सकते हैं। इसमें वर्ष-1998 बैच के अरविंद एक्का, 2000 बैच के संतोष देवांगन और हिना नेताम हैं। तीनों के खिलाफ जांच चल रही है।
विवाद 2003 बैच के अफसरों को आईएएस अवार्ड देने पर है। इस बैच के अफसरों की पदोन्नति पर क्या फैसला हुआ, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है। इस बैच में पद्मिनी भोई साहू, तुलिका प्रजापति, चंदन संजय त्रिपाठी, जयश्री जैन सहित अन्य हैं। पद्मिनी भोई और चंदन त्रिपाठी की याचिका पर तो सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाई थी। दिलचस्प बात यह है कि यूपीएससी में वर्तमान में डॉ. प्रदीप कुमार जोशी चेयरमैन हैं, जो कि छत्तीसगढ़ पीएससी के चेयरमैन रह चुके हैं, और इस प्रकरण की बारीकियों से अवगत हैं।
गौर करने लायक बात यह है कि राज्य शासन और छत्तीसगढ़ पीएससी में हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में किसी भी स्तर पर चुनौती नहीं दी गई है। वर्षा डोंगरे और अन्य की याचिका पर ही हाईकोर्ट ने पीएससी में गड़बड़ी को सही माना था। वर्षा ने यूपीएससी और डीओपीटी को भी पत्र भेजकर वर्ष-2003 के चयनित अफसरों को आईएएस अवार्ड पर रोक लगाने और सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन प्रकरण के अंतिम निर्णय के बाद ही न्याय संगत कार्रवाई का निवेदन किया है। इन सबके बावजूद वर्ष-2003 के बैच के अफसरों को पदोन्नति मिलती है, तो वर्षा डोंगरे फिर सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए तैयार है।