सामान्य ज्ञान
दुनिया में महिला समानता का संघर्ष बहुत पुराना नहीं है। ब्रिटेन की सरकार ने 30 अक्टूबर, 1957 में पहली बार हाउस ऑफ लॉर्ड्स में महिलाओं को सदस्य बनने की अनुमति दी। हाउस ऑफ लॉर्ड्स में सुधार लाने के मकसद से ब्रिटेन में कुछ नए नियम लाए गए। तमाम राजनीतिक दलों की ओर से पुरुषों और महिलाओं के संतुलित प्रतिनिधित्व की योजना बनी। ऐसा प्रावधान हुआ जिसके अंतर्गत खुद प्रधानमंत्री लाइफ पियर्स के रुप में लोगों के नाम चुनते थे और महारानी उनकी सदस्यता पर अंतिम फैसला ले सकती थी।
हाउस में विपक्षी दल की भूमिका में बैठे कंजर्वेटिव दल के नेता की ओर से जब यह प्रस्ताव आया तो उसका सबने स्वागत किया। कहा गया कि आधुनिक समाज में महिलाओं के महत्व को रेखांकित करने वाले कदम उठाने की जरूरत है। उस वक्त तक हाउस ऑफ लॉर्ड्स ही इकलौती ऐसी संस्था थी जहां महिलाओं की सीधी भागीदारी नहीं थी। ब्रिटेन में करीब 40 साल पहले ही सेक्स डिस्क्वालिफिकेशन (रिमूवल) एक्ट नाम का कानून पास हो चुका था जिसका हाउस ने कभी पालन नहीं किया।
इस प्रस्ताव पर भी कई सालों तक चर्चा चलती रही। इसका पहला प्रयास 1953 में हुआ जब कंजर्वेटिव लॉर्ड साइमन ने लाइफ पियर्स बिल पेश किया, लेकिन लिबरल और लेबर पार्टियों के असहयोग के कारण कभी इस पर चर्चा नहीं हो पाई। दि लाइफ पियरेजेस एक्ट 1958 में जाकर पास हुआ। इस तरह पहली बार महिलाएं भी हाउस ऑफ लॉर्ड्स में बैठने और वोट देने की प्रक्रिया में शामिल हो सकीं। इस सुधार से कई पेशों के लोग हाउस में आए और खासकर महिलाओं के जुडऩे से हाउस की संरचना बदली। इसके पहले तक ब्रिटिश संसद के उपरी सदन में हेरिडेटरी पियर्स यानि सदस्यों का बच्चा होने पर ही पियर की उपाधि मिलती थी।
कृतमाला नदी
कृतमाला नदी का उल्लेख श्रीमद्भागवत में हुआ है। ‘ताम्रपर्णी नदी यत्र कृतमाला पयस्विनी, कावेरी च महापुण्या प्रतीची च महानदी’ । विष्णु पुराण में कृतमाला नदी को मलय पर्वत से उद्भूत माना गया है- ‘कृतमाला ताम्रपर्णी प्रमुखा मलयोद् भवा।
कुछ विद्धानों के मत में कृतमाला वर्तमान वेगा या वेगवती है, जो दक्षिण भारत के प्रसिद्ध नगर मदुरा के निकट बहती है। प्राचीन समय में कृतमाला और ताम्रपर्णी नदियों से सिंचित प्रदेश का नाम मालकूट था।