राजनीति

कौन हैं तारकिशोर प्रसाद जो सुशील मोदी की जगह बन सकते हैं उपमुख्यमंत्री
16-Nov-2020 12:09 PM
कौन हैं तारकिशोर प्रसाद जो सुशील मोदी की जगह बन सकते हैं उपमुख्यमंत्री

तारकिशोर प्रसाद

बिहार बीजेपी के नेता और कटिहार से नवनिर्वाचित विधायक तारकिशोर प्रसाद को बीजेपी के विधानमंडल दल (विधानसभा और विधान परिषद) का नेता चुना गया है. केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने तारकिशोर प्रसाद को बीजेपी दल का नेता बनाए जाने की घोषणा की.

64 साल के तारकिशोर प्रसाद 2005 से कटिहार विधानसभा से विधायक हैं. इस बार उन्होंने आरजेडी के राम प्रकाश महतो को क़रीब दस हज़ार मतों से हराया है.

तारकिशोर प्रसाद का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से पुराना रिश्ता रहा है. उनका परिवार मूलरूप से सहरसा ज़िले के तलखुआ गांव का रहने वाला है. वो कलवार वैश्य समाज से आते हैं जिसे बिहार में पिछड़ा वर्ग का दर्जा प्राप्त है.

मूलरूप से व्यापारिक परिवार से जुड़े तारकिशोर प्रसाद के पिता कपड़े का कारोबार करते हैं. उन्होंने मेडिकल स्टोर का संचालन भी किया है. 2001 में वो कटिहार में चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के अध्यक्ष भी रहे.

कटिहार में कशिश न्यूज़ के संवाददाता रितेश रंजन के मुताबिक शहर के व्यापारिक वर्ग में उनकी अच्छी पकड़ है और बीजेपी विधानमंडल का अध्यक्ष बनाए जाने और डिप्टी सीएम बनने के कयासों से कटिहार के व्यावसायिक समाज में ख़ुशी की लहर है.

तारकिशोर प्रसाद ने पहली बार साल 2005 में चुनाव लड़ा और बेहद नज़दीकी मुकाबले में डॉ. राम प्रकाश महतो को 165 वोट से हरा दिया था.
इसके बाद 2010 और फिर 2015 का विधानसभा चुनाव उन्होंने भारी अंतर से जीता.

रितेश रंजन के मुताबिक इस बार माहौल तारकिशोर प्रसाद के ख़िलाफ़ था, बावजूद इसके वो दस हज़ार के भारी अंतर से चुनाव जीतने में कामयाब रहे.
रितेश बताते हैं, "कटिहार में इस बार भारी बारिश हुई और बाढ़ से लोग प्रभावित रहे. लोग जलजमाव की समस्या से परेशान थे. कटिहार के एक इलाके में तो लोगों ने वोटों का बहिष्कार तक कर दिया था. इस बार तारकिशोर प्रसाद का जीतना मुश्किल माना जा रहा था लेकिन अंततः ये दस हज़ार वोट से जीते हैं."

रेणु देवी
तारकिशोर प्रसाद के साथ-साथ बेतिया से विधायक रेणु देवी को विधानमंडल दल का उप नेता चुना गया है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस बार तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को बिहार में उप-मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. ये दोनों ही नेता वैश्य समुदाय से हैं.

तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी दोनों ही बिहार बीजेपी के पुराने नेता हैं. दोनों ही नेता स्वयंसेवक संघ के भी करीबी रहे हैं.

रेणु देवी

वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर कहते हैं, "बीजेपी के कई नेता ये कह रहे हैं कि अब लगता है कि बिहार बीजेपी में सभी पदों पर बनिया समुदाय के नेताओं का वर्चस्व हो गया है. बीजेपी में ही अब ये बात उठने लगी है कि नए नेताओं के नाम की घोषणा करते हुए जातीय संतुलन का ख्याल नहीं रखा गया है."

मणिकांत ठाकुर के मुताबिक तारकिशोर प्रसाद कटिहार की छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहे. लेकिन उनकी पहचान एक ऐसे जननेता की नहीं है जिसके पीछे भीड़ खड़ी हो जाए.

तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी के आगे आने का मतलब ये भी है कि अब नीतीश के डिप्टी सीएम रहे बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी को पीछे हटना पड़ेगा.
मणिकांत ठाकुर कहते हैं, "आम लोगों और बिहार भाजपा के नेताओं में ये राय बनने लगी थी कि सुशील मोदी अपनी पार्टी से ज़्यादा नीतीश कुमार के वफ़ादार हैं. उनकी अपनी पार्टी में उनके ख़िलाफ़ आवाज़ उठने लगी थी इसी वजह से सुशील मोदी बिहार में सर्वमान्य नेता नहीं बन पा रहे थे. अब लगता है कि एनडीएन की नई सत्ता में सुशील कुमार मोदी को जगह नहीं दी जा रही है."

कयास लगाए जा रहे हैं कि सुशील कुमार मोदी की भूमिका बिहार बीजेपी में सीमित करके उन्हें कहीं और जगह दी जाए.

तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी के उभार की वजह बताते हुए ठाकुर कहते हैं, "यदि नीतीश की चल रही होती तो बीजेपी नेतृत्व बिहार से सुशील मोदी को हटाने में कामयाब नहीं हो पाता. ये इस बात का भी संकेत है कि बीजेपी बिहार की सत्ता पर मज़बूत पकड़ चाहती है." (bbc.com/hindi)

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