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रायपुर, 20 नवंबर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी, कार्यकारी अध्यक्ष मंगेलाल मालू, विक्रम सिंहदेव, महामंत्री जितेंद्र दोषी, कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल, ने बताया कि कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने ई कॉमर्स कंपनियों की मनमानी और एफडीआई पालिसी का खुलेआम उल्लंघन करने के खिलाफ देश भर में 20 नवंबर 31 दिसंबर तक का 40 दिवसीय तीव्र आंदोलन छेडऩे की आज घोषणा की है।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने आज आंदोलन की घोषणा करते हुए कहा की इस आंदोलन का उद्देश्य उन ई कॉमर्स कंपनियों को बेनकाब करना है जो सरकार की नीतियों की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं और देश के रिटेल व्यापार पर प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कब्जा करने के मंसूबे पाले हुए हैं और ऐसे सभी मंसूबों को विफल करना है । उन्होंने यह भी बताया की इस आंदोलन के द्वारा केंद्र सरकार से एक ई कॉमर्स पालिसी की तुरंत घोषणा करने, एक ई कॉमर्स रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन तथा एफडीआई पालिसी के प्रेस नोट 2 की खामियों को दूर कर एक नया प्रेस नोट जारी करना भी है।
श्री पारवानी ने कहा की बड़ी ई कॉमर्स कंपनियों ने लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना, गहरे डिस्काउंट देना, सामान की इन्वेंट्री पर अपना नियंत्रण रखना, बड़े ब्रांड वाली कंपनियों से साठ- गाँठ कर उनके उत्पाद केवल अपने पोर्टलों पर ही बेचने जैसे व्यापारिक पध्दतियों से छोटे व्यापारियों का व्यापार बुरी तरह तबाह कर दिया है ! इस मामले पर अनेक बैंक भी इनके पोर्टल पर खरीदी करने पर अनेक प्रकार के कैश बैक एवं डिस्काउंट देकर इन कंपनियों के साथ अनैतिक गठबंधन में शरीक हैं। यही नहीं बड़ी मात्रा में देश का डाटा इन कंपनियों को एक योजनाबाद तरीके से लीक किया जा रहा है। इस सन्दर्भ में उदहारण देते हुए उन्होंने कहा की यदि किसी सरकारी योजना से कोई चीज बुक कराई जाती है तो तुरंत उस व्यक्ति के पास इन कंपनियों का मैसेज पहुँच जाता है जिससे साफ है की भारत के रिटेल बाजार को कब्जा करने का एक सोचा समझा षड्यंत्र चल रहा है।
श्री पारवानी का कहना है कि देश के 7 करोड़ छोटे बड़े व्यापार से 40 करोड़ लोगों रोजगार मिलता है जिसको यू उपेक्षित नही किया जा सकता। उन्होंने कहा हम लगातार सरकार से एक ठोस ई कॉमर्स पालिसी की मांग कर रहे है। हम कई बार सरकार को पत्र भेजकर एफडीआई पालिसी 2017 और एफडीआई पालिसी 2018 के प्रेस नोट न. 2 के विदेशी कंपनियों द्वारा खुलेआम हो रहे उलंघन की तरफ ध्यान आकर्षित कर उन पर त्वरित कार्यवाई की मांग कर चुके है।