सामान्य ज्ञान

पॉलीकॉयर
23-Nov-2020 12:10 PM
 पॉलीकॉयर

 पूरे संसार में लकड़ी की भारी कमी हो रही है। फर्नीचर निर्माता लकड़ी के पर्यावरण अनुकूल विकल्प की जोर-शोर से तलाश कर रहे हैं। राष्ट्रीय अंतर्विषयी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईआईएसटी) तिरुवनंतपुरम स्थित वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की प्रयोगशाला ने प्राकृतिक रेशा पोलीमर संयोजनों से लकड़ी का विकल्प बनाने की तकनीक विकसित की है। यह संस्था न प्राकृतिक रेशा-संयोजनों के अनुसंधान में दो दशकों से भी अधिक समय से अग्रणी रहा है।
 एनआईआईएसटी द्वारा विकसित प्राकृतिक रेशा पोलीमर संयोजन को ‘पॉलीकॉयर’ नाम दिया गया है, जो लकड़ी के लिए उचित विकल्प पाया गया है। इस मिश्रित सामग्री में कॉयर, जूट और सिसल जैसे सभी कॉयर रेशों का प्रयोग किया जाता है।
 इस सामग्री का निर्माण अपनी जरूरतों के मुताबिक किया जा सकता है। इसमें रेशा, दीमक और जल का अवरोधक होने जैसे अनेक विशिष्ट गुण हैं। इसे पृष्ठीय, वस्तुगत एवं यांत्रिक गुणों को जरूरतों के मुताबिक विकसित किया जा सकता है। इस प्रौद्योगिकी के व्यावसायिकरण के लिए एनआईआईएसटी ने दो साल पहले केरल फर्नीचर कंसोर्टियम प्राइवेट लिमिटेड (केएफसीपीएल) के साथ एक समझौता भी किया था । 
 

खाद्य संरक्षण की विकिरण प्रक्रिया

मानव हमेशा से खाद्य संरक्षण के नये प्रकारों की खोज में रहा है, इन्हीं में से एक है विकिरण प्रक्रिया।  भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र (बीएआरसी) की खाद्य तकनीक शाखा विकिरण द्वारा खाद्य संरक्षण संबंधित अनुसंधान में लगी हुई है।
खाद्य संरक्षण के लिए विकिरण प्रक्रिया के अंतर्गत इसे शॉर्ट वेब विकिरण उर्जा के संपर्क में लाकर खाद्य पदार्थों की इसके आयु बढ़ाने, कीड़ों  को नष्ट करने और खाद्य परजीवियों को नष्ट करने जैसे निर्धारित लक्ष्य पूरे किए जाते हैं। उष्मा या रसायनिक उपचार की तुलना में विकिरण को जीव धारियों को नष्ट करने के लिए अधिक प्रभावी और उपयुक्त तकनीक माना जाता है इससे निर्माताओं, वितरकों और उपभोक्ताओं को अनेक लाभ मिलते हैं। हालांकि केवल विकिरण के प्रयोग से खाद्य संरक्षण संबंधी समस्याओं का समाधान नहीं किया जा सकता लेकिन इससे फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान और रसायनिक जीव नाशकों के प्रयोग में कमी लाई जा सकती है।
परमाणु उर्जा विभाग (डीएई) और बीएआरसी के पास विकिरण प्रक्रिया के संबंध में जानकारी और अन्य आवश्यक प्रक्रिया संबंधी विशेषज्ञता और तकनीकी हस्तांतरण उपलब्ध है। भारत में परमाणु उर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) द्वारा लाइसेंस प्राप्त सुविधा में व्यवसायिक खाद्य विकिरण किया जा सकता है। डीएई ने भारत में दो तकनीकी प्रदर्शन इकाईयो की स्थापना की है। बोर्ड और रेडिएशन एण्ड आइसोटॉप टेक्नोलॉजी (बीआरआईटी) वाशी, नवी मुंबई में मसालों, सूखी सब्जियों और घरेलू खानों आदि के लिए विकिरण प्रसंस्करण इकाई का संचालन करती है। क्रूशक (कृषि उत्पादन संरक्षण केंद्र) की स्थापना वर्ष 2002 में बीएआरसी द्वारा विकिरण के कम क्षमता के अनुप्रयोगों जैसे अंकुरण कीटाणु नाशक और संघ रोधण के प्रदर्शन करने के लिए लासन गांव में की गई थी। क्रूशक विश्व में अमेरिका के बाहर पहली कोबाल्ट  60 गामा विकिरण सुविधा केंद्र है जिसे यूएसपीए- एपीएचआइएस द्वारा प्रमाणित किया गया है। 

 

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