सामान्य ज्ञान
निधिवन, वृन्दावन का हिस्सा है। हिन्दू गं्रथों के अनुसार श्री राधारानी की अष्ट सखियों में प्रधान ललिता सखी के अवतार रसिक संत संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदास जी महाराज की यह साधना स्थली है।
वृन्दावन का एक प्रसिद्ध स्थान जो श्री कृष्ण की महारास स्थली माना जाता है। स्वामी हरिदास इस वन में कुटी बनाकर रहते थे। हरिदास का जन्म 1512 ई. में लगभग हुआ था।
स्वामी हरिदास जी नित्य यमुना स्नान करके यहीं पर प्रिया-प्रियतम की साधना किया करते थे। यहीं पर उन्होंने श्री बांके बिहारी जी महाराज को प्रकट किया। यह स्थली आज भी वृन्दावन के प्राचीन रूप को संजोये है।
इनका समाधि-मंदिर इसी घने कुंज के अन्दर बना है। कहा जाता है कि वृन्दावन के बिहारी जी के प्रसिद्ध मंदिर की मूर्ति हरिदास को निधिवन से ही प्राप्त हुई थी। किंवदंती है कि हरिदास तानसेन के संगीतगुरु थे और मुग़ल सम्राट अकबर ने तानसेन के साथ छद्मवेश में इस संत के दर्शन निधिवन में ही किए थे।
कहा जाता है कि यहां पर श्री प्रिया-प्रियतम आज भी रात्रि में रास रचाते हैं। यहां श्री स्वामी हरिदास जी की समाधि, रंग महल, बांके बिहारी जी का प्राकट्य स्थल, राधा रानी बंशी चोर आदि दर्शनीय हैं।