विचार / लेख

अडानी को लोन कितना सही ?
30-Nov-2020 6:57 PM
अडानी को लोन कितना सही ?

-गिरीश मालवीय

देखिए! क्या विडंबना है कि देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अडानी इंटरप्राइजेज को ऑस्ट्रेलिया की करमाइल खान प्रोजेक्ट के लिए 1 बिलियन ऑस्ट्रेलियन डॉलर (करीब 5450 करोड़ रुपए) की रकम लोन देने जा रहा है। ये खबर हमें तब पता लगती है जब ऑस्ट्रेलिया के सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चल रही वनडे सीरीज का पहले मैच में एक शख्स हाथ ऊपर उठाकर एक पोस्टर लेकर बीच पिच पर पहुंच जाता है जिस पर लिखा होता है- ‘भारतीय स्टेट बैंक हृह्र $१ड्ढठ्ठ ्रस्रड्डठ्ठद्ब द्यशड्डठ्ठ’। तब जाकर हमे पता लगता हैं कि एसबीआई अडानी को 1 बिलियन डॉलर का लोन देने जा रहा है।

कल खबर आई है कि फ्रांस के बड़े फंड हाउस आमुंडी ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक यदि ऑस्ट्रेलिया में अडानी के कार्मिकेल कोयला खदान को 5,000 करोड़ रुपए का लोन देगा, तो वह अपने पास मौजूद एसबीआई ग्रीन बांड को बेच देगा। आमुंडी एसबीआई के प्रमुख निवेशकों में से एक है। आमुंडी यूरोप का सबसे बड़ा फंड मैनेजर है और ग्लोबल टॉप 10 में शामिल है।

दरअसल अडानी की यह परियोजना पर्यावरण से जुड़ी हुई है और यह सारे वित्तीय संस्थान ग्रीन फाइनेंसिंग के लिए प्रतिबद्ध है। दुनिया की सभी बड़ी बैंक जैसे सिटी बैंक, डॉयशे बैंक, रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड, एचएसबीसी और बार्कलेज ने इस प्रोजेक्ट पर अडाणी ग्रुप को लोन देने से इंकार कर दिया है दो चीनी बैंक भी मना कर चुकी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2014 में ऑस्ट्रेलिया यात्रा के समय ही एसबीआई ने अडानी समूह को ऑस्ट्रेलिया में कोयला खदानें संचालित करने के लिए एक अरब डॉलर कर्ज देने का समझौता किया था लेकिन तब सिर्फ सहमति पत्र पर दस्तखत हुए थे।

बाद में जब एसबीआई से आरटीआई के माध्यम से पूछा गया कि वह अडानी को लोन देने जा रहा है उसे पहले से कितना कर्ज दिया जा चुका है ? और किस आधार पर कर्ज दिया गया है तो एसबीआई ने जवाब दिया कि उद्योगपति गौतम अडाणी द्वारा प्रवर्तित कंपनियों को दिए गए कर्ज से जुड़े रिकॉर्ड का खुलासा नहीं किया जा सकता है क्योंकि भारतीय स्टेट बैंक ने संबंधित सूचनाओं को अमानत के तौर पर रखा है और इसमें वाणिज्यिक भरोसा जुड़ा है।

2016 में अडानी को दिए गये लोन का मामला राज्यसभा में भी गुंजा था, जनता दल यूनाइटेड के सांसद पवन वर्मा ने गुरुवार को सरकारी बैंकों के औद्योगिक घरानों पर बकाए कर्ज का मुद्दा उठाया। उन्होंने देश के बड़े बकाएदारों के नाम लेते हुए व्यापारिक समूहों पर सीधे तौर पर हमला बोला। उन्होंने अडाणी समूह का विशेष रूप से जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि इस व्यापारिक समूह और उसकी कंपनी पर 72 हजार करोड़ रुपये बकाया हैं।

क्रेडिट सुइस ने 2015 के हाउस ऑफ डेट रिपोर्ट में चेतावनी दी थी कि अडानी समूह बैंकिंग क्षेत्र के 12 प्रतिशत कर्ज लेने वाली 10 कंपनियों में सबसे ज्यादा ‘गंभीर तनाव’ में है. लेकिन जैसे ही मोदी जी सत्ता में आई गौतम अडानी भारत के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक बन गए

अडानी को नरेंद्र मोदी बार बार बचाते आए हैं गुजरात के चीफ मिनिस्टर रहते हुए मोदी ने अडानी को बेहद सस्ती दर मुद्रा पोर्ट की सैंकड़ों किलोमीटर की जमीन आबंटित कर दी थी

 2012 में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इसी मुंदड़ा प्रोजेक्ट से पर्यावरण को हुए नुकसान के आरोपों की जांच के लिए सुनीता नारायण की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को हुए व्यापक नुकसान और अवैध तरीके से जमीन लेने जैसी बातों को खुलासा किया ओर इसकी सिफारिश के आधार पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के कारण  यूपीए सरकार ने अडानी समूह पर 200 करोड़ का जुर्माना लगाया लेकिन जैसे ही मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बने उन्होंने वो जुर्माना निरस्त कर दिया, साफ है कि पर्यावरण के मामले में अडानी का रिकॉर्ड पहले से ही खराब रहा है

कोरोना काल मे अभी सरकारी बैंकों का एनपीए तेजी से बढ़ता जा रहा है और अभी सबसे ज्यादा एनपीए भारतीय स्टेट बैंक के हिस्से ही आ रहा है ऐसे में अडानी को ऐसी विवादित परियोजना के लिए लोन दिया जाना कितना सही है ?

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news