संपादकीय

दैनिक ‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : हर किसी को मुफ्त टीका बड़ी राहत की घोषणा...
02-Jan-2021 4:29 PM
दैनिक ‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : हर किसी को मुफ्त टीका बड़ी राहत की घोषणा...

केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ने यह बड़ी घोषणा की है कि हर भारतीय को कोरोना वैक्सीन पूरी तरह मुफ्त लगाई जाएगी, इसके लिए किसी तरह का शुल्क नहीं लिया जाएगा। आज देश में जगह-जगह वैक्सीन लगाने का अभ्यास किया जा रहा है। इस मौके पर ही डॉ. हर्षवर्धन ने यह जानकारी दी है। जाहिर है कि सवा अरब से अधिक आबादी के इस देश में कोरोना मोर्चे पर खतरा झेल रहे करीब तीन करोड़ लोगों से शुरुआत होगी, और फिर उम्र या सेहत के हिसाब से बाकी लोगों को पहले या बाद यह टीका लगाया जाएगा। कुछ महीने पहले बिहार विधानसभा चुनाव के समय भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में बिहार के हर किसी को मुफ्त वैक्सीन लगाने का वायदा किया गया था, और उस समय से यह विवाद और असमंजस चल रहे थे कि क्या अलग-अलग राज्यों में लोगों के साथ अलग-अलग बर्ताव होगा? केन्द्र सरकार ने यह बात साफ करने में खासा वक्त तो लिया है, लेकिन हर किसी को मुफ्त वैक्सीन जैसी छोटी सी और साफ बात अब कर दी गई है।

कोरोना वैक्सीन को लेकर बाकी दुनिया की तरह हिन्दुस्तान के लोगों में भी जरूरत से कुछ अधिक आत्मविश्वास दिख रहा है। जबकि अलग-अलग वैक्सीन की कामयाबी के आंकड़े अलग-अलग हैं, और कुछ वैक्सीन 70 फीसदी कामयाबी वाली भी हैं। यह बात भी सामने आई है कि अधिकतर वैक्सीन के एक से अधिक डोज कुछ हफ्तों के फासले पर लगाने के बाद कुछ और हफ्ते गुजरने पर ही लोग सुरक्षित हो सकते हैं। यह पूरा सिलसिला बड़ा जटिल है, और भारत के अलग-अलग प्रदेशों में राज्य सरकारें अपने ढांचे का पूरा इस्तेमाल करने के बाद भी यह खतरा उठाएंगी कि पहला डोज लगवाने वाले लोग दूसरे डोज के लिए समय पर न पहुंचें, और पहला टीका बेकार चले जाए। यह खतरा भी रहेगा कि राजनीतिक या आर्थिक ताकत वाले लोग अपने और अपने परिवार के लिए दूसरे लोगों की बारी छीनकर टीका जुटाएं, या स्वास्थ्य कर्मचारियों को रिश्वत देकर उसका इंतजाम करें। यह भी हो सकता है कि अपराधियों के गिरोह टीके लूट लें, और फिर उसकी कालाबाजारी करें। यह बात तो है ही कि नकली टीकों को असली बताते हुए उन्हें बेचने की जालसाजी की जाए, ऐसे मामले शुरू भी हो चुके हैं। लोगों ने अब तक टीकाकरण के नाम पर देश का सबसे बड़ा अभियान पोलियो ड्रॉप्स का देखा है जिसकी कोई कमी नहीं थी, जिसे सिर्फ कम उम्र बच्चों को पिलाना था, और स्वास्थ्य कर्मचारियों ने घर-घर जाकर बच्चों को दो बूंद जिंदगी की पिलाई थीं। यह पहला मौका है जब अलग-अलग तबकों की प्राथमिकता के आधार पर उन्हें छांटकर उनका रजिस्ट्रेशन करके, उनकी पहचान का रिकॉर्ड बनाकर उन्हें हफ्तों के फासले पर दो डोज इंजेक्शन से लगाए जाएं। इस हिसाब से कोरोना का टीकाकरण देश के अब तक के किसी भी दूसरे टीकाकरण-अनुभव से बहुत अधिक जटिल है। फिर कोरोना से मौतों की दहशत को भी एक बरस होने आ रहा है, और लोग इस टीके को पाने के लिए अधिक हड़बड़ी में भी हैं।

स्वास्थ्य कर्मचारियों और कोरोना के मोर्चे पर डटे हुए दूसरे कर्मचारियों की करीब तीन करोड़ की आबादी तो पढ़ी-लिखी है। लेकिन इनके बाद जब ग्रामीण, अशिक्षित, बुजुर्ग आबादी की बारी आएगी, तो एक खतरा यह भी रहेगा कि इनके हिस्से के टीके रिश्वत लेकर किसी और को लगा दिए जाएं, और इन्हें कोरोना-टीके के बजाय कोई और मामूली पानी जैसा इंजेक्शन लगा दिया जाए। ऐसी धोखाधड़ी से बचने के लिए अगर जरूरी हो तो राज्य सरकारों को इसकी पूरी रिकॉर्डिंग भी करवानी चाहिए, और किसी भी तरह के धोखे की आशंका खत्म करनी चाहिए।

आज हिन्दुस्तान एक ऐसे झांसे का शिकार हो गया है कि कोरोना अब हार चुका है, और यह देश जीत चुका है। जबकि देश की पूरी आबादी के टीकाकरण को एक-दो बरस भी लग सकते हैं। तब तक तो कोरोना का खतरा बने ही रहेगा। जरूरत से अधिक आत्मविश्वास घातक साबित हो सकता है। पिछले दिनों हमने इसी जगह लिखा भी था कि सरकार के कुछ नारों से एक ऐसी खुशफहमी पैदा हुई है कि कोरोना का टीका नहीं बन रहा है, उसकी दवा बन रही है। मामूली वैज्ञानिक समझ के मुताबिक भी इन दोनों में बड़ा फर्क है। टीका आगे बीमारी के खतरे को घटाता है, या खत्म करता है। दूसरी तरफ दवाई बीमार हो जाने के बाद इलाज करती है। ये दोनों अलग-अलग बातें हैं। फिर अमिताभ बच्चन के मुंह से या दूसरे नेताओं के मुंह से लोग रात-दिन सुन रहे हैं कि जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं। इससे एक ऐसी सोच बन रही है कि दवा आ जाने के बाद ढिलाई करने में कोई बुराई नहीं रहेगी। जबकि लोगों को कोरोना के टीके के बाद भी किसी भी तरह के संक्रमण के लिए सावधान रहने की नसीहत देना बेहतर होगा। आज दुनिया के कई देशों में कोरोना का दूसरा या तीसरा दौर चल रहा है, वह लौट-लौटकर आ रहा है, और जैसा कि ब्रिटेन में पाया गया है, कोरोना अपने आपको बदलकर भी आया है। कई दूसरे वायरस कई-कई बार अपनी शक्लें बदलते हैं। इसलिए लोग दहशत में चाहे न रहें, सावधानी में ढिलाई खतरनाक होगी। लोगों को साफ-साफ यह समझाने की जरूरत है कि कोरोना का टीका उन्हें कुछ हद तक सुरक्षित रखेगा, लेकिन लोगों को सावधानी को अपनी आदत बना लेना चाहिए।

फिलहाल यह देश काफी हद तक कामयाब टीका लगाने के करीब है, यह दुनिया का एक सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान भी होगा और लोगों को इसे कामयाब करने के लिए इसकी तमाम शर्तों को बहुत गंभीरता से मानना चाहिए।

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