सामान्य ज्ञान

ओपल
12-Jan-2021 1:00 PM
ओपल

ओपल एक प्रकार का उप रत्न है।  इसे दूधिया पत्थर भी कहा जाता है और इसका इंग्लिश नाम ओपल लैटिन भाषा के ओपलुस से आया है, जिसका अर्थ ‘गहने सा’ है। एक अन्य जानकारी के अनुसार ओपल शब्द संस्कृति शब्द उपल से आया है, जिसका अर्थ होता है कीमती पत्थर।
जानकारी के अनुसार ओपल एक प्रकार का धातु से बना जैल है जो निम्न तापमान पर किसी भी प्रकार की चट्टान की दरारों में एकत्र हो जाता है। इसको आमतौर पर चूना पत्थर, बलुआ पत्थर, आग्नेय चट्टान, मार्ल और बेसाल्ट के बीच पाया जा सकता है। ओपल का सबसे बड़ा उत्पादक ऑस्ट्रेलिया है। इस देश में दुनिया का लगभग 97 प्रतिशत ओपल पैदा होता है। इसके अलावा चेकोस्लोवाकिया, अमेरिका, ब्राजील, मैक्सिको और दक्षिणी अफ्रीका में भी ओपल का उत्पादन होता है। इसके अलावा वर्ष 2008 में नासा ने मंगल ग्रह पर ओपल के मिलने की घोषणा की थी।
ओपल उप रत्न मूल रूप से रंगरहित होता है, लेकिन इस तरह का उच्च गुणवत्ता वाला रत्न बहुत दुर्लभता से मिलता है। इसके अलावा कुछ अशुद्घियों के कारण ओपल अलग-अलग हलके रंगों में पाया जाता है। आयरन आक्साइड के कारण लाल रंग एवं मैंगनीज आक्साइड और जैविक कार्बन के कारण काले रंग में उपलब्ध है। इसके अलावा अन्य रंगों में भी उपलब्ध है।
उपल उपरत्न ओपल के नाम से अधिक विख्यात है। संस्कृत में यह स्वागराज तो हिन्दी में यह सागरराज कहलाता है।  मूलरुप में उपल रंगहीन होता है परन्तु रंगहीन अवस्था में इसका मिलना बहुत ही दुर्लभ होता है। प्रकृति में सोलह प्रकार के ओपल पाए जाते हैं। वैसे तो यह उपरत्न भी कई रंगों में पाया जाता है लेकिन सबसे अधिक मूल्यवान उपल काले तथा सफेद रंग के होते हैं। जिन उपलों में लाल रंग की झलक दिखाई देती हैं वह उपल अच्छे किस्म के माने जाते हैं और यह अधिक मूल्यवान होते हैं।
कुछ काले उपल अपारदर्शी होते हैं। इनमें सलेटी और नीले रंग के धब्बे होते हैं। पीले रंग के दूधिया किस्म के ओपल सामान्य पत्थर हैं। हरे रंग के ओपल में विभिन्न रंगों की लहरें सी बनती हैं। वह दूसरी श्रेणी में आते हैं। नीले रंग के ओपल सबसे सस्ते होते हैं। सलेटी और बिना चमक के ओपल को निष्क्रिय समझा जाता है। नारंगी रंग की चमक जिस ओपल से निकलती हो वह व्यवसायिक दृष्टि से प्रथम श्रेणी के ओपल होते हैं। जो ओपल पारदर्शी होने के साथ बिना किसी चमक के होता है उसे फायर ओपल कहा जाता है। यह पीले और पीले-लाल रंग का होता है।    
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ओपल धारण करने से आंखों के रोगों से राहत मिलती है। फायर ओपल धारण करने से शरीर के रक्त विकार तथा लाल रक्त कणिकाओं से संबंधित विकारों से छुटकारा मिलता है और मानसिक तनाव, उदासीनता और आलस्य दूर होता है। विचारों में स्पष्टता झलकती है ।
 

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