सामान्य ज्ञान
टेमी चाय सिक्किम की खास पहचान है। यहां पर साढ़े 4 हजार से 6 हजार 316 फुट की ऊंचाई पर फैली ढलान वाली 180 हेक्टेयर भूमि में टेमी चाय के बागान हैं। टेमी चाय बागान की स्थापना सिक्किम के पूर्व नरेश चोग्याल के शासनकाल में 1969 में हुई थी और बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन 1977 में शुरू हुआ। चाय बागान के रोजमर्रा के काम-काज को व्यवस्थित रखने के लिए 1974 में चाय बोर्ड की स्थापना की गई और बाद में यह सिक्किम सरकार के अंतर्गत उद्योग विभाग की सहायक कम्पनी बन गई। टेमी चाय से जहां एक ओर 4 हजार से अधिक श्रमिकों और 30 कर्मचारियों को सीधे रोजगार मिलता है, वहीं यह कम्पनी सरकारी क्षेत्र में रोजगार प्रदान करने वाली एक बड़ी कम्पनी बन गई है।
हल्की ढलान वाली यह भूमि तेंदोंग पर्वत श्रृंखला से शुरू होती है। 30-50 प्रतिशत ढलान वाली दुम्मट मिट्टी की यह भूमि चाय बागान के लिए बहुत ही उपयुक्त है और यहां साल में लगभग 100 टन चाय की पैदावार होती है। यदि बड़े चाय बागानों से मुकाबला किया जाए, तो यह पैदावार बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन इसकी गुणवत्ता और सुगंध ने भारत और दुनिया भर के चाय प्रेमियों का दिल जीत लिया है।
टेमी चाय बागान में पैदा हुई चाय को टेमी चाय जैसे कई ब्रांड नामों से पैक किया जाता है, जो सबसे बढिय़ा क्वालिटी की चाय होती है, जिसमें सुनहरी फूलों जैसी नारंगी झलक वाली बढिय़ा काली चाय होती है। इसके बाद दूसरी बढिय़ा चाय का लोकप्रिय ब्रांड नाम है सिक्किम सोलजा और उसके बाद मिस्टिक चाय और कंचनजंगा चाय का नाम आता है। इसे ऑर्थोडोक्स डस्ट टी के नाम से बेचा जाता है। चाय की लगभग 70 प्रतिशत पैदावार अधिकृत दलाल के माध्यम से कोलकाता में सार्वजनिक नीलामी से बेची जाती है और बाकी की चाय के रिटेल पैकेट बनाए जाते हैं और स्थानीय बाजार में बेचे जाते हैं।
टेमी चाय बागान ने स्विटजऱलैंड की बाजार नियंत्रण से संबंधित संस्था-आईएमओ के निर्देशों का पालन किया और पर्यवेक्षण की अवधि पूरी होने के बाद आईएमओ इंडिया ने, जो आईएमओ स्विटजऱलैंड का सदस्य समूह है, 2008 में टेमी चाय बागान को 100 प्रतिशत ऑर्गेनिक का प्रमाण पत्र दिया। इसके अलावा खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली के अंतर्गत भी यह आईएसओ-22,000 मानक के अनुसार एचएसीसीपी द्वारा भी परमाणीकृत चाय बागान है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि बाजार पहुंचने वाला उत्पाद उत्तम गुणवत्ता वाला है। टेमी चाय बागान को लगातार दो वर्षों से भारतीय चाय बोर्ड ने भी अखिल भारतीय गुणवत्ता पुरस्कार से सम्मानित किया है। खेती में रासायनिक खादों के इस्तेमाल को छोडक़र पैदावार के ऑर्गेनिक तरीके अपनाने से न केवल टेमी चाय बागान की उत्पादन लागत कम हुई है, बल्कि हानिकारक रसायनों से मुक्त ऑर्गेनिक पैदावार को पसंद करने वालों का एक बहुत बड़ा बाजार भी मिल गया है। टेमी चाय बोर्ड को अपनी सफलता पर गर्व है और वह सरकारी राजस्व में भी पर्याप्त योगदान दे रहा है।
जर्मनी, ब्रिटेन, अमरीका और जापान टेमी चाय के प्रमुख खरीदार हैं। ग्रीन टी की बढ़ती मांग को देखते हुए इसमें विविधता लाने के कई प्रयास किए जा रहे है और इसकी कीमत बढ़ाने के लिए अधिक आकर्षक डिज़ाइन वाले पैकेट तैयार किए जा रहे हैं।