सामान्य ज्ञान
सिंधु घाटी सभ्यता(3300-1700 ई.पू.) विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता थी। यह हड़प्पा सभ्यता और सिंधु-सरस्वती सभ्यता के नाम से भी जानी जाती है। इसका विकास सिंधु और घघ्घर/हकड़ा (प्राचीन सरस्वती) के किनारे हुआ। मोहनजोदड़ो, कालीबंगा , लोथल , धोलावीरा , राखीगढ़ी और हड़प्पा इसके प्रमुख केन्द्र थे। ब्रिटिश काल में हुई खुदाइयों के आधार पर पुरातत्ववेत्ता और इतिहासकारों का अनुमान है कि यह अत्यंत विकसित सभ्यता थी और ये शहर अनेक बार बसे और उजड़े हैं। चाल्र्स मैसेन ने पहली बार इस पुरानी सभ्यता को खोजा। कनिंघम ने 1872 में इस सभ्यता के बारे में सर्वेक्षण किया। 1921 में दयाराम साहनी ने हड़प्पा का उत्खनन किया।
पैलैचियन स्टेट यूनिवर्सिटी अमेरिका के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि 4000 वर्ष पूर्व सिंधु घाटी की सभ्यता (हड़प्पा) का पतन हिंसा, संक्रामक रोग और जलवायु में परिवर्तन के कारण हुई। पाकिस्तान में स्थित हड़प्पा में पाए गए मानव-कंकाल के अवशेषों पर केंद्रित अध्ययन से पता चला है कि वे लोग इतने शांतिपूर्ण और समतावादी नहीं थे, जितने कि अकसर बताए जाते रहे हैं। अध्ययन के निष्कर्ष दर्शाते हैं कि जलवायु और आर्थिक और सामाजिक परिवर्तनों ने उसके शहरीकरण और विनाश में भूमिका निभाई। परन्तु इस अध्ययन में यह पता नहीं लगाया जा सका कि इन परिवर्तनों ने मानव-जनसंख्या को किस तरह प्रभावित किया। अध्ययन से पता चलता है कि हड़प्पा के समुदायों, विशेषकर हाशिये पर डाल दिए गए समुदायों पर, जलवायु और सामाजिक-आर्थिक दबावों का अन्य समुदायों से ज्यादा प्रभाव पड़ा।
शहर के दक्षिणपूर्व में पुरुषों, स्त्रियों और बच्चों के अवशेषों से युक्त एक छोटे गड्ढे से 50 प्रतिशत की दर से हिंसा और 20 प्रतिशत कोढ़ के चिह्नों के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।