सामान्य ज्ञान
कैल्शियम हमारी हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है। इसके अलावा दिल, नर्व और मसल्स को ठीक से काम करने के लिए भी कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा की जरूरत होती है। महिलाओं को कैल्शियम की ज्यादा जरूरत इसलिए होती है, क्योंकि पीरियड्स और प्रेग्नेंसी के दौरान उनमें कैल्शियम की खपत बढ़ जाती है। साथ ही कैल्शियम प्रेग्नेंसी के दौरान भ्रूण की संरचना का विकास करने के लिए जरूरी होता है।
पिछले दिनों रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जिन महिलाओं में कैल्शियम की कमी होती है उनमें जोड़ों का दर्द, हड्डियों का दर्द, कमजोर हड्डियों का होना जैसी शिकायतें आम होती हैं। इतना ही नहीं, भारत में इसी वजह से ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमजोर होकर टूटना/चटखना) के मामलों में भी बढ़ोतरी हो रही है। कैल्शियम के कमी के कारण महिलाओं में कंफ्यूजन, साइकोसिस और थकान जैसी सामान्य समस्याएं भी होती हैं।
कैल्शियम की अधिक मात्रा से शरीर में पथरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा दिल से संबंधी बीमारियां भी हो सकती हैं। रिसर्च बताते हैं कि जो लोग रोजाना जरूरत से ज्यादा कैल्शियम सेवन करते हैं, उनकी मृत्यु दर कैल्शियम की संतुलित मात्रा लेने वालों से ज्यादा है। हमारे शरीर में कैल्शियम का सही इनटेक तभी हो सकता है जब विटामिन डी की भरपूर मात्रा मौजूद हो। अगर हमारे शरीर में विटामिन डी की मात्रा कम है, तो कैल्शियम भी प्रॉपर रूप से काम नहीं कर पाएगा।
कैल्शियम युक्त फूड हैं- ब्लैकबैरीज, ब्लूबैरीज, स्ट्रॉबेरी, ऑरेंज, किवी जैसे फल। वहीं हरी प्याज, चुकंदर, पालक, मीठे आलू, भिंडी, कसावा, हरी पत्तेदार सब्जियोंं में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होता है।
अन्य कैल्शियम युक्त पदार्थ हंै- बादाम, चॉकलेट, मूंगफली, काजू, फलियां, मक्का, चावल, सोयाबीन, चोकर, गेहूं, दूध, दही, अंडे, मछली, ड्राईड फिगस, ब्रोकोली, फ्रेंच बीन्स आदि।
कैल्शियम की सही मात्रा
उम्र कैल्शियम की मात्रा
19 से 50 साल तक 1000 से 2500 मिलीग्राम
50 साल से ऊपर 1200 मिलीग्राम
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उत्पादक मूल्य सूचकांक- पी.पी.आई.
भारत में मूल्य सूचकांकों पर अभिजीत सेन की अध्यक्षता में गठित कार्यदल ने थोक मूल्य सूचकांक के स्थान पर उत्पादक मूल्य सूचकांक के संकलन की प्रक्रिया को अपनाने का सुझाव दिया है।
पी.पी.आई. में मूल्य परिवर्तनों को उत्पादकों के परिप्रेक्ष्य में मापा जाता है। पी.पी.आई. में मात्र आधार मूल्यों का उपयोग किया जाता है, जबकि कर, व्यापार मार्जिन तथा परिवहन लागतों को शामिल नहीं किया जाता। मुद्रास्फीति के मापक के रूप में पी.पी.आई. के उपयोग के अलावा, सकल घरेलू उत्पाद के संकलन में अवस्फीतिकारक के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है।