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26 जनवरी की घटनाओं ने किसानों को खींचा एक कदम पीछे
28-Jan-2021 12:33 PM
26 जनवरी की घटनाओं ने किसानों को खींचा एक कदम पीछे

दिल्ली में किसान परेड के दौरान हुई अप्रिय घटनाओं ने किसानों को एक कदम पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है. उन्होंने एक फरवरी को संसद तक पदयात्रा करने की योजना को स्थगित कर दिया है और 30 जनवरी को एक दिन के उपवास की घोषणा की है.

       डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय का लिखा-

संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान जारी करते हुए एक बार फिर किसान परेड के दौरान तय मार्ग से अलग चले जाने वालों से खुद को अलग किया है, उन्हें कुछ असामाजिक तत्त्व बताया और उन सभी अप्रिय घटनाओं को "सात महीनों से चल रहे एक शांतिपूर्ण आंदोलन को बदनाम करने की साजिश बताया". मोर्चा ने स्पष्ट रूप से कहा कि आंदोलन को हिंसक बनाने के लिए सरकार जिम्मेदार है.

बयान में पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू और किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेता सतनाम सिंह पन्नू जैसे लोगों और संगठनों को भी हिंसा का जिम्मेदार बताया गया और सरकार पर इनकी मदद से साजिश रचने का आरोप लगाया गया. हालांकि, इसके साथ ही मोर्चा ने लाल किले और आईटीओ पर हुई घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी भी ली और घोषणा की कि इसी वजह से एक फरवरी को संसद तक पदयात्रा निकालने की योजना को स्थगित किया जा रहा है.

मोर्चा ने यह भी स्पष्ट किया कि आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से जारी रहेगा. दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस ने लाल किले और आईटीओ पर हुई हिंसा के संबंध में अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है. पुलिस ने 25 एफआईआर दर्ज की हैं और इनमें जिन लोगों के नाम दर्ज किए हैं उनमें पिछले कुछ महीनों से सरकार के साथ बातचीत करने वाले 40 किसान नेताओं में से 37 नेता भी शामिल हैं.

इनमें भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश टिकैत, पंजाब में बीकेयू के अलग अलग धड़ों के नेता, क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल, स्वराज पार्टी के अध्यक्ष योगेंद्र यादव और जानी मानी एक्टिविस्ट मेधा पाटकर भी शामिल हैं. दीप सिद्धू और गैंगस्टर से नेता बने लखबीर सिंह सिधाना के खिलाफ भी एक एफआईआर दर्ज की गई है.

एफआईआर में दंगा करने, आपराधिक साजिश, हत्या की कोशिश और चोरी से संबंधित धाराएं लगाई गई हैं. कई किसान नेताओं ने इन आरोपों से इनकार किया है और एफआईआर में उनका नाम दर्ज किए जाने का विरोध किया है, लेकिन दिल्ली पुलिस लोगों को गिरफ्तार करना शुरू कर चुकी है. अभी तक कम से कम 19 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है और 50 और लोगों को हवालात में रखा गया है.

जानकारों का कहना है कि अगले कुछ दिन आंदोलन के भविष्य के लिए नाजुक होंगे. ग्रामीण विषयों की समाचार वेबसाइट रूरलवॉयस के संपादक हरवीर सिंह ने डॉयचे वेले से कहा कि 26 जनवरी की घटनाओं को किसान संगठनों की नाकामी के रूप में देखा जाएगा क्योंकि परेड का आयोजन उन्होंने ही किया था. हरवीर सिंह का यह भी मानना है कि इन घटनाओं से पिछले दो महीनों में बनी आंदोलन की साख पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और इसके लिए किसान संगठन अपनी जवाबदेही से हट नहीं सकते.

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