सामान्य ज्ञान
अहमद शाह दुर्रानी या अब्दाली अफगानिस्तान का शासक था। नादिरशाह की मौत के बाद अहमदशाह अब्दाली सन 1748 में अफग़़ानिस्तान का शासक बना। उसने भारत पर सन 1748 से सन 1758 तक कई बार चढ़ाई की और लूटपाट करता रहा। उसने अपना सबसे बड़ा हमला सन 1757 में जनवरी माह में दिल्ली पर किया। उस समय दिल्ली का शासक आलमगीर (द्वितीय) था। वह बहुत ही कमज़ोर और डरपोक शासक था। उसने अब्दाली से अपमानजनक संधि की जिसमें एक शर्त दिल्ली को लूटने की अनुमति देना था। अहमदशाह एक माह तक दिल्ली में ठहर कर लूटमार करता रहा। वहां की लूट में उसे करोड़ों की संपदा हाथ लगी थी।
दिल्ली लूटने के बाद अब्दाली का लालच बढ़ गया। उसने दिल्ली से सटी जाटों की रियासतों को भी लूटने का मन बनाया। ब्रज पर अधिकार करने के लिए उसने जाटों और मराठों के विवाद की स्थिति का पूरी तरह से फायदा उठाया। अहमदशाह अब्दाली पठानों की सेना के साथ दिल्ली से आगरा की ओर चला। अब्दाली की सेना की पहली मुठभेड़ जाटों के साथ बल्लभगढ़ में हुई। वहां जाट सरदार बालूसिंह और सूरजमल के ज्येष्ठ पुत्र जवाहर सिंह ने सेना की एक छोटी टुकड़ी लेकर अब्दाली की विशाल सेना को रोकने की कोशिश की। उन्होंने बड़ी वीरता से युद्ध किया पर उन्हें शत्रु सेना से पराजित होना पड़ा।
मुसलमान लेखकों ने लिखा है- अब्दाली द्वारा ऐसा भारी विध्वंस किया गया था कि आगरा-दिल्ली सडक़ पर झोपड़ी भी ऐसी नहीं बची थी, जिसमें एक आदमी भी जीवित रहा हो। अब्दाली की सेना के आवागमन के मार्ग में सभी स्थान ऐसे बर्बाद हुए कि वहां दो सेर अन्न तक मिलना कठिन हो गया था।