सामान्य ज्ञान
उडिय़ा भाषा, ओडि़शा की राजकीय भाषा है, जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शास्त्रीय भाषा के तौर पर वर्गीकृत करने को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
यह दर्जा मिल जाने के बाद उडिय़ा भाषा में प्रतिष्ठित विद्वानों के लिए प्रतिवर्ष दो बड़े अंतर्राष्ट्रीय सम्मान दिए जाएंगे। साथ ही शास्त्रीय भाषाओं में अध्ययन के लिए उत्कृष्टष्ता केंद्र स्थापित किया जा सकता है। इसके अलावा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से निवेदन किया जा सकता है कि कम से कम केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में संबंधित भाषाओं में विशेषज्ञता प्राप्त शोधार्थियों के लिए शास्त्रीय भाषाओं की कुछ निश्चित सीटें शुरू की जाएं।
उडिय़ा सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है और जिसकी हिन्दी, संस्कृत, बंगाली, तेलुगु आदि से कोई समानता नहीं है। इसलिए काफी दिनों से मांग की जा रही थी कि इसे एक शास्त्रीय भाषा घोषित किया जाए। अभी तक संस्कृत, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम को शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा दिया गया है।
उडिय़ा इंडो-यूरोपियन कुल की इंडो-आर्यन शाखा से संबंधित एक भारतीय भाषा है। उडिय़ा प्रमुख रूप से भारत के राज्य ओडिशा तथा पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में बोली जाती है। यह ओडिशा की प्रमुख आधिकारिक तथा झारखण्ड की दूसरी आधिकारिक भाषा है। उडिय़ा शास्त्रीय भाषा के तौर पर वर्गीकृत की जाने वाली छठी भाषा है, जिसके समेत पांच अन्य भाषाएं निम्नलिखित हैं। पिछले साल 2013 में मलयालम भाषा को यह दर्जा दिया गया था। वहीं कन्नड़ और तेलुगू को 2008 , संस्कृत को 2005 और तमिल को वर्ष 2004 में शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया था।