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-आनंद नायक
नई दिल्ली: पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा होने के साथ ही सियासी रणनीति तैयार होने लगी है. इन पांच राज्यों में सबसे नजदीकी मुकाबला पश्चिम बंगाल में माना जा रहा है जहां ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी की कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. तृणमूल कांग्रेस के लिए यह चुनौती निश्चित रूप से कड़ी मानी जा रही है ऐसे में राष्ट्रीय जनता दल और समाजवादी पार्टी ने बीजेपी के खिलाफ जंग में उन्हें अपने पूरे समर्थन की अपील की है. एक समय नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस की अहम सदस्य रही शिवसेना का भी इस मामले में बयान सामने आया है. शिवसेना नेता संजय राउत ने पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवार नहीं उतारने और ममता दीदी की तृणमूल कांग्रेस का समर्थन करने का ऐलान किया है.
एक समय शिवसेना और बीजेपी महाराष्ट्र में गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा करते थे, लेकिन अब स्थिति बदल गई हैं और शिवसेना ने एनडीए से नाता तोड़ लिया है. महाराष्ट्र में शिवसेना ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई है, ऐसे में स्वाभाविक रूप से बीजेपी से इतर 'उसके नए साथी' बन गए हैं.
संजय राउत ने अपने ट्वीट में लिखा, 'बहुत सारे लोग यह जानने के इच्छुक हैं कि शिवसेना पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ेगी या नहीं?' इसलिए पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे से चर्चा करने के बाद यह अपडेट आपके साथ शेयर कर रहा हूं. मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए ऐसा लगता है कि यह 'दीदी vs ऑल' फाइट है. ऑल M's का अर्थ-मनी, मसल और मीडिया का उपयोगी ममता दीदी के खिलाफ किया जा रहा है. ऐसे में शिवसेना ने पश्चिम बंगाल चुनाव में नहीं लड़ने का फैसला किया है और उनके साथ (ममता बनर्जी) के साथ खड़े रहने का फैसला किया है.' राउत ने लिखा, 'हम ममता दीदी की सफलता चाहते हैं क्योंकि हमारा मानना है कि वह वास्तविक रियल बंगाल टाइग्रेस (बंगाल की वास्तविक शेरनी) हैं'