राजनीति

टिकटों के मुद्दे पर पश्चिम बंगाल में असंतोष और बगावत से जूझती बीजेपी
16-Mar-2021 10:22 PM
टिकटों के मुद्दे पर पश्चिम बंगाल में असंतोष और बगावत से जूझती बीजेपी

दिसंबर से अब तक टीएमसी के कम से कम डेढ़ दर्जन विधायक और नेता बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. पश्चिम बंगाल में बीते दस वर्षों से सत्ता में रही तृणमूल कांग्रेस में असंतोष, बगावत और पलायन का दौरा काफी पहले ही शुरू हो गया था.

    डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट- 

पश्चिम बंगाल में बीते दस वर्षों से सत्ता में रही तृणमूल कांग्रेस में तो असंतोष, बगावत और पलायन का दौरा विधानसभा चुनाव के एलान के पहले ही शुरू हो गया था. लेकिन टीएमसी का घर तोड़ कर अपना घर बसाने की कोशिश और राज्य की 294 में से दो सौ सीटें जीतकर सरकार बनाने का दावा करने वाली बीजेपी भी अब इस आग से अछूती नहीं है. पार्टी में उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी होने के बाद से ही राजधानी कोलकाता समेत पूरे राज्य में पार्टी की अंदरूनी कलह सतह पर आ गई है. बाहरी उम्मीदवारों को थोपने से नाराज बीजेपी के पुराने नेताओं व कार्यकर्ताओं ने रविवार रात से ही तमाम इलाको में तोड़-फोड़ और विरोध प्रदर्शन का जो सिलसिला शुरू किया था वह जस का तस है. इस व्यापक असंतोष को ध्यान में रखते हुए ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने दौरे के कार्यक्रम में फेरबदल कर बीजेपी अध्यक्ष और प्रदेश नेताओं के साथ कोलकाता में सोमवार को पूरी रात आपात बैठक की और इस पर काबू पाने के उपायों पर विचार किया. इसबीच, मनोनीत राज्यसभा सदस्य रहते विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारी पर विवाद के बाद स्वपन दासगुप्ता ने मंगलवार को राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया.

बीजेपी ने तीसरे और चौथे दौर के सीटों के लिए उम्मीदवारों की जो सूची जारी की है उनमें केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के अलावा लॉकेट चटर्जी, स्वपन दासगुप्ता और निशीथ प्रामाणिक जैसे सांसदों के नाम शामिल थे. उसके बाद ही राजनीतिक हलकों में पूछा जाने लगा कि क्या बीजेपी के पास ढंग के उम्मीदवारों का टोटा हो गया है जो उसे सांसदों को उतारना पड़ रहा है?  उधर, टीएमसी की सूची में बस एक सांसद का नाम है. बीजेपी ने टीएमसी, कांग्रेस और सीपीएम से हाल में आए ज्यादातर दलबदलुओं के अलावा बांग्ला फिल्मोद्योग से जुड़े चार लोगों को भी उम्मीदवार बनाया है.

नाराजगी और विरोध प्रदर्शन

पार्टी की दूसरी सूची जारी होने के बाद रविवार रात से ही हुगली जिले में सिंगुर समेत विभिन्न इलाकों के अलावा कोलकाता स्थित पार्टी के दफ्तरों के सामने भी नाराज बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जम कर हंगामा किया और नारेबाजी की. हुगली में सांसद लॉकेट चटर्जी की उम्मीदवारी के खिलाफ बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पार्टी के दफ्तर में तोड-फोड़ की गई. हावड़ा जिले की पांचला सीट पर स्थानीय कार्यकर्ताओं ने उम्मीदवार के खिलाफ नाराजगी जताई और पार्टी के दफ्तर में तोड़-फोड़ की. इन लोगों की नाराजगी इस बात से है कि कहीं लाकेट चटर्जी जैसे सांसद को टिकट दे दिया गया है तो कहीं हाल में टीएमसी से आने वाले 89 साल के रबींद्रनाथ भट्टाचार्य समेत दूसरे दलबदलू नेताओं को. दूसरी सूची जारी होने के बाद टीएमसी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी को ढंग के उम्मीदवार तक नहीं मिल रहे हैं.

हुगली के सिंगुर में रबींद्रनाथ भट्टाचार्य को टिकट देने के विरोध में बीजेपी के स्थानीय नेता संजय पांडे के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने पार्टी के पर्यवेक्षक और मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री का घेराव किया और उनको खरी-खोटी सुनाई. असंतुष्ट गुट भट्टाचार्य की उम्मीदवारी वापस लेने की मांग कर रहा है. हुगली के सप्तग्राम में तो एक बीजेपी कार्यकर्ता ने रेलवे की पटरी पर सिर रख कर जान देने की भी कोशिश की. हुगली जिले के चंदन नगर में नाराज बीजेपी कार्यकर्ताओं ने रैली निकाली और प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ नारे भी लगाए. हुगली जिले के निरुपम भट्टाचार्य तो जान देने के लिए रेल की पटरी पर जाकर सो गए. किसी तरह मना कर उनको वापस लाया गया.

पार्टी दफ्तर में तोड़फोड़

इन लोगों की नाराजगी इस बात से है कि कहीं लॉकेट चटर्जी जैसे सांसद को टिकट दे दिया गया है तो कहीं हाल में टीएमसी से आने वाले 89 साल के रबींद्रनाथ भट्टाचार्य समेत कई दूसरे नेताओं को. हुगली में सांसद लॉकेट चटर्जी की उम्मीदवारी के खिलाफ बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पार्टी के दफ्तर में तोड-फोड़ की है. वहां जिन सुबीर नाग का नाम उम्मीदवारी की होड़ में सबसे ऊपर था उन्होंने तो राजनीति से ही संन्यास ले लिया है. हावड़ा जिले की पांचला सीट पर स्थानीय कार्यकर्ताओं ने उम्मीदवार के खिलाफ नाराजगी जताई और पार्टी के दफ्तर में तोड़-फोड़ की.  सिंगुर में टीएमसी के निवर्तमान टीएमसी विधायक रबींद्रनाथ भट्टाचार्य की उम्मीदवारी के खिलाफ भी स्थानीय नेता लगातार विरोध जता रहे हैं.

बीजेपी की सिंगुर शाखा के उपाध्यक्ष संजय पांडे कहते हैं, “हम पार्टी नेतृत्व से उम्मीदवार को बदलने की मांग कर रहे हैं. आखिर कितने पैसों का लेन-देन हुआ है? सांसद लॉकेट चटर्जी और प्रदेश अध्यक्ष इसका जवाब दें. रबींद्रनाथ उर्फ मास्टर मोशाय ने सीधे केंद्रीय नेतृत्व से संपर्क कर पार्टी ज्वाइन की थी. हमने इसे भी स्वीकार कर लिया. लेकिन अब उनको उम्मीदवार बनाना हमें मंजूर नहीं है.” पांडे कहते हैं कि उनकी उम्र 89 साल है जबकि पार्टी अस्सी से ऊपर वालों को टिकट नहीं देने की बात कहती रही है. क्या वे लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से भी बड़े कद के नेता हैं?”

टिकट न मिलने पर बगावत

हुगली जिले कोन्ननगर में बीजेपी के संभावित उम्मीदवार रहे बीजेपी नेता कृष्णा भट्टाचार्य ने तो निर्दलीय के तौर पर मैदान में उतरने का फैसला किया है. उस सीट पर टीएमसी से आए प्रबीर घोषाल को टिकट दिया गया है. कोलकाता में बीजेपी के सांसद अर्जुन सिंह को भी कार्यकर्ताओं की नाराजगी का शिकार होना पड़ा. बैरकुर के बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह को भी कार्यकर्ताओं की नाराजगी का शिकार होना पड़ा. अर्जुन सिंह कहते हैं, “हमने राज्य की सभी विधानसभा सीटों के बारे में स्थानीय नेताओं की शिकायतें सुनी हैं. हम अपनी रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को भेज रहे हैं. अगर शिकायत सही हुई तो इस पर विचार किया जाएगा.”

बीजेपी की एक पुरानी नेता तंद्रा भट्टाचार्य कहती हैं, “उम्मीदवारों के चयन के पीछे की दलील गले से नीचे नहीं उतर रही है.” दक्षिण 24-परगना जिले में भी उम्मीदवारों के चयन पर असंतोष पनप रहा है. लेकिन प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता शमीक भट्टाचार्य कहते हैं,  “पूरे राज्य में कोई विरोध नहीं है. कुछ जगहों पर लोगों ने असंतोष जाहिर किया है. पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी की नीतियों से आकर्षित होकर बहुत से लोगों ने पार्टी का दामन थामा है और यह पश्चिम बंगाल में असली बदलाव का संकेत है.”

सभी पार्टियों के दलबदलू बीजेपी में

बीजेपी ने अब तक कम से कम एक दर्जन दलबदलुओं को टिकट दिए हैं. इनमें टीएमसी के अलावा सीपीएम और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेता शामिल हैं. वर्ष 2016 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने तीन सीटें जीती थीं. उनमें से एक खड़गपुर सदर सीट थी जहां प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष जीते थे. लेकिन उनके वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव में जीत के बाद खाली खड़गपुर सीट उपचुनाव में टीएमसी ने जीत ली थी. इसके अलावा बीजेपी को मालदा में दो सीटें मिली थीं. फिलहाल 2019 के बाद उसके दो विधायक ही थे. खड़गपुर सदर सीट पर इस बार बांग्ला अभिनेता हिरणमय चटर्जी को उम्मीदवार बनाया गया है. हिरणमय भी इसी साल फरवरी में टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे.केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को उनके समर्थन में वहां एक रोड शो किया था.

दिलचस्प बात यह है कि टीएमसी समेत दूसरे दलों से बीजेपी में शामिल होने वाले ज्यादातर नेताओं के वाई, एक्स या जेड कटेगरी की सुरक्षा मुहैया कराई गई है. ऐसे लोगों में शुभेंदु अधिकारी के अलावा जितेंद्र तिवारी, हिरणमय चटर्जी, सीपीएम विधायक अशोक डिंडा, टीएमसी विधायक वनश्री माइती, कांग्रेस विधायक सुदीप मुखर्जी, गाजोल की टीएमसी विधायक दीपाली विश्वास, जगमोहन डालमिया की पुत्री वैशाली डालमिया, टीएमसी विधायक सैकत पांजा, विश्वजीत कुंडू और शीलभद्र दत्त के अलावा सीपीएम विधायक तापसी मंडल शामिल हैं.

तृणमूल में भी असंतोष

विधानसभा चुनावों का टिकट नहीं मिलने की वजह से टीएमसी के पूर्व विधायकों में भी नाराजगी है. उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद कम से कम सात नेता बीजेपी में शामिल हो गए हैं. इनमें कभी ममता बनर्जी की करीबी रहीं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सोनाली गुहा भी शामिल हैं. अब सोमवार को दो बार विधायक रहीं अभिनेत्री देवश्री राय ने भी टीएमसी से इस्तीफा दे दिया है. इसके अलावा कुछ उम्मीदवार निर्दलीय के तौर पर मैदान में उतर गए हैं तो कुछ अब भी बीजेपी से टिकट की आस लगाए बैठे हैं.

बीते साल दिसंबर से अब तक टीएमसी के कम से कम डेढ़ दर्जन विधायक और नेता बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. इनमें से शुभेंदु अधिकारी पर नारदा स्टिंग मामले में पैसे लेने के आरोप हैं. राजनीतिक पर्यवेक्षक प्रोफेसर सुकुमार पाल कहते हैं, “बीजेपी ने पहले टीएमसी के घर में सेंध लगाई. अब उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. असंतोष की आग उसके घर तक पहुंच गई है. इसका चुनावों पर थोड़ा-बहुत असर पड़ना लाजिमी है.” (dw.com)

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