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पाकिस्तानः रेप, यौन हिंसा पर बयान देकर फँसे इमरान ख़ान
08-Apr-2021 8:18 AM
पाकिस्तानः रेप, यौन हिंसा पर बयान देकर फँसे इमरान ख़ान

-अमृता शर्मा

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने रेप को लेकर एक विवादित बयान दिया है. इमरान ख़ान ने रेप और यौन दुर्व्यवहार के लिए बढ़ती अश्लीलता को अहम कारण बताया है. वहाँ की मीडिया ने इसे ख़तरनाक और महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित बताया है.

इमरान ख़ान ने यह बयान 4 अप्रैल को तब दिया था जब एक टेलीथॉन के दौरान एक कॉलर ने पूछा कि रेप और यौन हिंसा के बढ़ते मामलों को लेकर सरकार की क्या योजना है, उन्होंने तब कहा था कि समाज को ख़ुद को फ़हश (अश्लीलता) से बचाना होगा.

दैनिक अख़बार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक इमरान ने कहा, "आज जिस समाज में फ़हश (अश्लीलता) बढ़ते हैं, वहाँ कुछ तो इसका असर होगा न."

उन्होंने कहा, "हमारे दीन में क्यों मना किया गया है? ये सारा जो पर्दा का कॉन्सेप्ट है, ये क्या है? कि टेम्पटेशन न हो मशारे में. हर इंसान में विल पावर नहीं होता." (यही कारण है कि हमारे धर्म में अपने शरीर को ढकने पर जोर डाला जाता है और लज्जा क़ायम रखी जाती है ताकि समाज प्रलोभन को काबू में रखे. सभी के पास ख़ुद को कंट्रोल करने की ताक़त नहीं होती.)

'ख़तरनाक मिसाल'
देश के कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने इमरान ख़ान के इन विचारों को महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित बताया है.

पत्रकार फ़ैज़ फ़रीद ने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून में लिखा, प्रधानमंत्री का बयान एक ख़तरनाक मिसाल कायम करता है और औरतों के प्रति एक ग़लत और महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित पक्षपातपूर्ण राय को प्रोत्साहित करता है.

उन्होंने लिखा, "इस तरह के बयान रेप के साथ ही इसमें निहित ताक़त के दुरुपयोग की अनदेखी करते हैं और स्पष्ट तौर पर इस राय को रखते हैं कि 'महिलाएँ ही ऐसा चाहती' हैं."

मंगलवार को डॉन में छपे संपादकीय में इमरान ख़ान के विचारों को "चौंकाने वाला असंवेदनशील और देश में महिलाओं के आंदोलन के लिए हानिकारक बताया."

उसने लिखा, "महिला ने क्या कपड़े पहने हैं इसका उसके ख़िलाफ़ यौन हिंसा से जुड़ाव का मिथक बहुत पहले ही तोड़ा जा चुका है, लेकिन ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री अब भी ऐसे विचारों को पनाह देते हैं."

इमरान ख़ान के इस बयान का कई अधिकारवादी संगठनों ने भी विरोध किया. इसमें पाकिस्तान मानवाधिकार संगठन, वॉर अगेंस्ट रेप और पाकिस्तान बार काउंसिल की जर्नलिस्ट डिफेंस कमिटि भी शामिल हैं.

AAMIR QURESHI

पाकिस्तान में महिलाओं की सुरक्षा पर चर्चा
रेप और महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा लंबे वक्त से पाकिस्तान में चिंता का विषय रहा है.

2016 में तत्कालीन पंजाब के गवर्नर चौधरी सरवर ने बताया था कि, "रेप के मामलों में पाकिस्तान दुनिया के 10 सबसे ख़राब देशों में शुमार है."

बीते वर्ष लाहौर के हाइवे पर एक महिला के साथ गैंगरेप के बाद वहाँ की जनता के बीच काफ़ी गुस्सा देखा गया. 9 सितंबर 2020 को इस महिला से उनके बच्चों के सामने रेप हुआ. इसके बाद से ही पाकिस्तान में महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा मुख्य चर्चा का विषय बना हुआ है.

विरोध प्रदर्शनों के बाद बीते वर्ष दिसंबर में यहाँ रेप को लेकर एक नया क़ानून पारित किया गया. इसमें फास्ट ट्रैक कोर्ट सुनवाई और कठोर सज़ा का प्रावधान किया गया है.

इन घटनाक्रमों के मद्देनज़र, इमरान ख़ान के ताज़ा बयान ने सरकार के रेप विरोधी प्रयासों पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है.

इन संगठनों ने अपने बयान में कहा कि "दुर्भाग्य से इमरान ख़ान के बयान ने देश में महिलाओं की स्थिति को और भी ख़तरनाक बना दिया है."

'बॉलीवुड और पश्चिमी सभ्यता का बढ़ता असर'
प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अपने उस बयान के दौरान 'बॉलीवुड संस्कृति' और 'यूरोप में अश्लीलता' जैसे संदर्भों का उपयोग भी किया जिसे लेकर भी उनकी आलोचना की जा रही है.

डॉन ने इमरान ख़ान के हवाले से उनका ये बयान छापा, "दिल्ली को रेप कैपिटल कहते हैं, यूरोप में अश्लीलता ने वहाँ परिवार व्यवस्था को तबाह कर दिया है. लिहाजा, पाकिस्तान के लोगों को अश्लीलता से उबरने में सरकार की मदद करनी चाहिए." जाने माने पत्रकार ज़ाहिद हुसैन ने इमरान ख़ान के इन बयानों को 'माफ़ी के लायक नहीं' बताते हुए कहा कि यह "उस पिछड़ी हुई मानसिकता को दर्शाता है जो महिलाओं के प्रति यौन हिंसा और रेप को पश्चिमी और बॉलीवुड संस्कृति के बढ़ते प्रभाव को प्रकट करना मानता है." इस तर्क से अधिक निंदनीय और कुछ नहीं है.

ट्विटर पर गुस्सा
पाकिस्तान में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर कई यूजर्स ने इमरान ख़ान के बयान पर अपना तीखा गुस्सा ज़ाहिर किया है.

ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट साइमा मोहसीन ने इमरान ख़ान के इस बयान पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए अपनी नाराज़गी प्रकट की है. उन्होंने लिखा कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान में क़ानून व्यवस्था की कोई बात नहीं की गई.

एक अन्य पत्रकार मेहर तरार ने प्रधानमंत्री से कहा कि "वे यौन हिंसा की जटिलता को समझने के लिए ख़ुद को और प्रबुद्ध (शिक्षित) करें." उन्होंने लिखा कि "यह सत्ता का विकृत अमानवीय पहलू है."

मानवाधिकार कार्यकर्ता और राजनेता जिबरान नासिर ने कुछ ऐसा ही ट्वीट किया, उन्होंने लिखा, "रेप शक्ति असंतुलन का नतीजा है, न कि प्रलोभन का. बलात्कारी ख़ुद को नियंत्रित कर लेता है जब उसे इसके परिणाम में मिलने वाले कठोर दंड का पता हो और अगर उन्हें इसका भय न हो तो वो एक छोटे बच्चे का भी रेप करते हैं."

वकील रीमा ओमेर ने भी रेप के इस बयान पर इमरान ख़ान की तीखी आलोचना की. उन्होंने लिखा कि "अश्लीलता से इसे जोड़ना मूर्खतापूर्ण, ख़तरनाक और निंदनीय है." (bbc.com)

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