सामान्य ज्ञान
जीएम फूड यानी जेनेटिकली मोडिफाइड फूड। जीएम पौधों का उत्पादन जेनेटिक इंजीनियरिंग विधि से किया जाता है। इसमें आनुवांशिक सामग्री मिलाकर फसल के गुण बदलते हैं। जींस के हस्तांतरण का यह कार्य प्रयोगशाला में होता है। उसके बाद उस फसल की प्रायोगिक खेती कर उसे परखा जाता है। उसका बाद व्यापारिक रूप से फसल का उत्पादन किया जाता है।
जीएम फूड की स्वीकार्यता को लेकर दुनिया भर में विवाद रहा है। जिन जेनिटकली मोडिफाईड फसलों को कृषि विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिक दुनिया में खाद्यान्न संकट के हल तथा कुपोषण से मुक्ति , घटती उत्पादकता एवं घटते जल संसाधनों तथा बढ़ती मांग में सामंजस्य बनाये रखने के लिए विज्ञान का वरदान मान रहे थे। वहीं वैज्ञानिक एवं पर्यावरणविद इन जी.एम फसलों के मानव स्वाथ्य एवं पर्यावरण विरोधी परिणामों से हतप्रभ है। दुनियाभर में जहां-जहां जीएम फसलों का उत्पादन किया गया है वहां उसके दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। अर्जेंटीना, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, और युगांडा के उदाहरण हमारे सामने हैं। जी.एम. कॉटन की फसल ने दक्षिण अफ्रीका में, जी.एम. आलू की फसल ने युगांडा तथा जी.एम. मक्का एवं आलू ने केन्या में कहर ढाया है। इन देशों में उत्पादकता घटी है मिट्टी जहरीली हुई है तथा मनुष्यों और जानवरों में नई-नई बीमारियां देखी जा रही हैं।