सामान्य ज्ञान
गोमती नदी का उल्लेख ऋग्वेद और महाभारत में हुआ है। ऋग्वेद में इसे सिंधु की सहायक बताया गया है। कुछ ग्रंथों में इसे वैदिक सभ्यता का केंद्र स्थल बताया गया है। साथ ही इसके कुरुक्षेत्र में बहने की बात कही गई है।
वर्तमान गोमती उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले से नि कल कर नेमिषारण्य और लखनऊ होती हुई जौनपुर के निकट गंगा में मिलती है। इससे प्रतीत होता है कि किसी एक ही नाम की अलग-अलग नदियां बह रही हैं। स्कंदपुराण के काशी खंड में गोमती का उल्लेख गंगा के पर्याय के रूप में हुआ है। बह्मïांड पुराण के उल्लेख के अनुसार क्षेमक राक्षस से त्रस्त होकर काशिराज दिवोदास इसी गोमती के तट पर जा बसे थे।
रुहेलखंड
गंगानदी के उत्तर और कुमांऊ की पहाडिय़ों के नीचे स्थित भू-भाग रुहेलखंड कहलाता है। अफगानों की रोहिल्ला जाति ने 1740 ई. में इस पर अधिकार कर लिया था। तभी से इसका यह नाम पड़ा। मराठों की भी हमेशा से इस पर दृष्टिï रही। इस भय से रुहेलों ने अवध के नवाब शुजाउद्दौला से 1772 ई. में संधि कर ली। यह देखकर मराठे पीछे हट गए, लेकिन जब रुहेलों ने संधि की शर्त के अनुसार 40 लाख रुपया नवाब को दने से इनकार कर दिया तो नवाब ने अंग्रेजों से संधि कर ली। उसने अंग्रेजों की सहायता से 1774 ई. में रुहेले शासक को मारकर अधिकांश भू-भाग अपने कब्जे में ले लिया। जब अंग्रेज गवर्नर जनरल भारत आया तो नवाब ने 1901 ई. में रुहेलखंड अंग्रेजों को सौंप दिया।