विचार / लेख

एक डायरी : कोरोना काल की हकीकत... लाश कहां रोती है, रोते हैं जलाने वाले!
19-Apr-2021 1:51 PM
एक डायरी : कोरोना काल की हकीकत... लाश कहां रोती है, रोते हैं जलाने वाले!

-सोमेश पटेल

पिछले साल से ज्यादा  इस साल खतरनाक मंजर को, मैं कभी नहीं भुला पाऊंगा.. मैंने करीब से देखा, कहीं श्मशान घाट में लाशें जलती देखी..कहीं अस्पताल की मर्चुरी में लाशों का अंबार देखा, कहीं मर्चुरी के बाहर ट्रकों में लाशों को ले जाते देखा, कहीं उन परिवारों को रोते देखा, जिनका अपना इस दुनिया से चला गया, कहीं अस्पतालों के बाहर इंजेक्शन लेने के लिए लंबी कतारें देखी, कहीं अस्पतालों के मर्चुरी में शव को सड़ते देखा, कहीं बेड नहीं तो, अस्पताल के बाहर ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर सोते देखा, कहीं रेलवे स्टेशन में मजदूरों को सब कुछ छोडक़र अपने घर जाते देखा, कहीं स्टेशन के बाहर हजारों लोगों की लंबी लाइनें देखी, कहीं स्टेशन के बाहर जमीन पर बच्चों को रोटी खाते देखा ..कहीं इंजेक्शन के लिए रात भर लोगों को जागते देखा, कहीं इंजेक्शन के लिए लोगों को भटकते देखा, कहीं इंजेक्शन के लिए हजारों रुपए देकर ब्लैक में लेते देखा, कहीं मैंने सबको कुछ दूरी ले जाने के लिए लूट देखा, कई पुलिसवालों को कुर्बानी देते देखा, कई डॉक्टरों को कुर्बानी देते देखा, कई व्यापारियों को इस दुनिया से जाते देखा, पत्रकारों को रिपोर्टिंग के दौरान इस दुनिया से जाते देखा...

इतनी भयावह स्थिति मैंने कभी नहीं देखी....इस बार कोविड-19 में हमें बहुत नुकसान देखने को मिला.. बुजुर्ग, युवा, बच्चों सबको इस वायरस ने अपनी चपेट में ले लिया...

आप सभी अपना ख्याल रखें, सुरक्षित रहें, मास्क लगाएं, सोशल डिस्टेंस का पालन करें, सरकार की गाइडलाइन का पालन करें, आप घबराइए मत वह दिन दूर नहीं हम भी एक बार फिर से जंग जीतेंगे..
(एनडीटीवी के छत्तीसगढ़ संवाददाता)


अन्य पोस्ट