विचार / लेख
-सुसंस्कृति परिहार
उफ! अब तो कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड भी मंहगाई की चपेट में आ गई है अभी तक तो सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क थी और निजी संस्थानों में 200 में लग रही थी उसे आज देश के सबसे बड़े उत्पादक सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने मंहगा करने की घोषणा करते हुए कहा है कि प्राइवेट मार्केट में कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड की कीमत 600 और राज्य सरकार को दिए जाने वाले वैक्सीन की कीमत 400 प्रति डोज रखी गई है. यानि दो खुराकों का ख़र्चा 800 और 1200 होगा।सिरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा, अगले 2 महीने तक हम वैक्सीन प्रोडक्शन की क्षमता बढ़ाते रहेंगे और सीमित संख्या में ही वैक्सीन की आपूर्ति कर पाएंगे. पूनावाला ने कहा, "आगे चलकर हमारी वैक्सीन निर्माण क्षमता का आधा भारत सरकार के टीकाकरण अभियान में दिया जाएगा जबकि बाकी बचा हुआ हिस्सा हम राज्य सरकार और निजी हॉस्पिटल को सप्लाई करेंगे. सीरम इंस्टीट्यूट ने कोविशील्ड की कीमतों पर से भी पर्दा उठा दिया है.सिरम इंस्टीट्यूट ने कहा है कि उसकी कोरोना वैक्सीन इस समय बाजार में सबसे सस्ती है इंस्टीट्यूट ने कहा है कि अमेरिकन दवा कंपनी फाइजर और मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन की कीमत 1500 प्रति डोज है, जबकि रूस की कोरोनावायरस इन स्पूतनिक भी की कीमत 750 प्रति डोज है. सिरम इंस्टीट्यूट वास्तव में इस समय अपनी दवा उत्पादन क्षमता को भी अगले दो महीने में 7 करोड़ से 10 करोड़ तक भी करने जा रही है.
देश में कोरोना संक्रमण के मामले रोजाना तीन लाख के करीब पहुंच चुके हैं जबकि मरने वाले लोगों की संख्या रोजाना दो हजार को पार कर गई है. मोदीजी ने पिछले मंगलवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा था कि अब राज्य सरकारें टीके को सीधे खरीद सकेंगी, जबकि केंद्र सरकार अपना इनोक्यूलेशन ड्राइव जारी रखेगी। हाल ही में प्रधानमंत्री ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए एक बैठक की थी। इस बैठक में निर्णय लिया गया था कि एक मई से देश में कोराना वैक्सीनेशन का चौथा चरण शुरू किया जाएगा। इस चरण में 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोग भी टीका लगवा सकेंगे।
महत्वपूर्ण बात यह है कि एक तरफ सरकार ने टीकोत्सव के ज़रिए लोगों को टीका लगाने पूरे चार दिन उत्सव मनाया जिसका भरपूर प्रचार प्रसार किया गया।अब युवाओं के लिए एक मई की ये घोषणा भी हो गई। शासकीय विज्ञापनों की तो बाढ़ ही आ गई। इस बीच लोगों में टीके के प्रति सजगता भी आई और सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बड़ी संख्या में टीके लगाए भी गए और बहुसंख्यक लोग कोविशील्ड के बुरे परिणामों के बावजूद भी निर्भीक होकर इसे लगवाने तत्पर नज़र आ रहे हैं ।
लेकिन यह तो वैसा ही हुआ जैसे मोबाइल और गैसचूल्हा फ्री में पकड़ा कर सिम और गैस के रेट आसमान पर उछाल दिए। बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान बिहार की जनता को फ्री में टीका लगाने का आश्वासन दिया था।वोट के बाद क्या हुआ सब ज़ाहिर है।अब रेट बढ़ जाने के बाद लोगों की छटपटाहट बढ़ गई क्योंकि कोरोना के बचाव में इसके कारगर होने का अभूतपूर्व प्रचार हुआ।कई दिग्गजों के फोटो और वीडियो भी वायरल हुए।जब लोगों ने टीके की मानसिकता बना ली तब अचानक नि:शुल्क टीका की कीमत का इस कदर बढ़ाना बहुसंख्यक रियाया के देश साथ छल करना है।
गरीबगुरबे तो इस विषय में सोचना ही बंद कर देंगे जिन्हें बामुश्किल दो जून की रोटी नसीब हो रही थी वह भी दैनंदिन काम करने वालों की कोरोना ने छीन रखी है उन पर यह कैसा वज्रपात ?क्या देश ऐसे ही गरीबों को मारकर कोरोना मुक्त होने की तैयारी कर रहा है।आज टीके के दाम कम करवाने का विकल्प यदि नहीं मिलता है तो राज्य सरकारों को कम से कम गरीबों के लिए नि:शुल्क व्यवस्था करनी ही होगी ।एक परिवार में पांच तो कम से कम और अधिकतम आठ दस लोगों को टीका की ज़रूरत होगी।यह भी विचार करना होगा इससे पूर्व पूर्ववर्ती सरकारों ने अब तक लोगों से किसी भी टीका लगवाने के लिए शुल्क नहीं लिया था तब भी टीका लगाने कितने अभियान चलाने पड़े फिर शुल्क देने पर तो करोड़ों करोड़ लोग वंचित रह जायेंगे।अच्छा हो सरकार और कंपनी जनहित में नि:शुल्क टीके का ही इंतज़ाम करे।