विचार / लेख
-गिरीश मालवीय
बायो बबल फूट गया। केकेआर के दो खिलाड़ी कोरोना पॉजिटव हुए। आज का मैच पोस्टपोन किया गया।
इस बार के आईपीएल में खिलाडिय़ों के कोरोना से बचाव के लिए एक फुलप्रूफ व्यवस्था की गई थी जिसे बहुत सुरक्षित बताया जा रहा था इसे बायो बबल कहा जा रहा है
दरअसल बायो-बबल (Bio-bubble) एक ऐसा वातावरण है जिसमें रहने वाले लोग पूरी तरह से बाहरी दुनिया से कट जाते हैं। आईपीएल के सफल आयोजन के लिए भी इसी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा हैं इस व्यवस्था में खिलाड़ी, सपोर्ट स्टाफ, होटल स्टाफ के साथ ही आयोजन से जुड़े हुए सभी व्यक्ति को कोरोना टेस्ट कर के निगेटिव आने पर बाहरी लोगों के संपर्क से दुर रखा जाता है। सीरीज शुरू होने से पहले भी इन्हें सात दिनों के लिए क्वरैंटाइन किया जाता है। जब तक सीरीज खत्म नहीं हो जाता तब तक इन्हें किसी से भी मिलने की इजाजत नहीं होती है।
ये खिलाड़ी बायो बबल एरिया में रहें और जो एरिया निर्धारित की गई है उससे बाहर न जाएं। इस पर नजर रखने के लिए सभी खिलाडिय़ों को ट्रैकिंग डिवाइस दी गई थी।
यह डिवाइस रिस्ट बैंड या चेन के रूप में है जो हमेशा खिलाडिय़ों को होटल कमरे से बाहर निकलने पर पहननी होती है। इससे खिलाडिय़ों को पता चलेगा कि उन्हें किन जगहों पर जाना है और कौन सी जगह बायो-बबल के तहत आते हैं। जैसे ही खिलाड़ी बायो-बबल एरिया से बाहर जाएंगे इस डिवाइस से आवाज आएगी और खिलाड़ी अलर्ट हो सकते है।
यही नहीं जिन होटलों में खिलाड़ी ठहरे हैं, वहां के सभी कर्मचारी और खिलाडिय़ों की बस के ड्राइवर को 14 दिन का क्वारंटाइन रखा गया था। इस बीच उनकी नियमित कोरोना जांच भी की गई। नेगेटिव रिपोर्ट आने पर ही इनकी ड्यूटी लगाई गई। पूरे आईपीएल के दौरान ये बायो बबल से बाहर नहीं जा सकते हैं। अपने घर भी उन्हें जाने की इजाजत नही थी
इतनी कड़ी व्यवस्था भी महीने भर नही चल पाई ओर कोरोना वायरस ने बायो बबल ब्रेक कर दिया तो आपका हमारा घर कौन सी बड़ी चीज है।