संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : योगी के इस फैसले की काट तो किसी जज के पास भी न होगी
06-May-2021 5:31 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : योगी के इस फैसले की काट तो किसी जज के पास भी न होगी

हिंदुस्तान भर में चल रहे कोरोना के खतरे के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अफसरों को एक गौरक्षा हेल्पडेस्क बनाने का आदेश दिया है जिसमें सरकार की तरफ से नीचे तक यह आदेश चले गया है कि कोरोना वायरस की सक्रियता को देखते हुए सभी गौशालाओं में कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कराया जाए, साथ ही मास्क लगाया जाए और बार-बार थर्मल स्क्रीनिंग की जाए।  इस आदेश में यह सख्त हिदायत दी गई है कि गौशाला में गायों और अन्य जानवरों के लिए सभी चिकित्सा उपकरण हर समय उपलब्ध रहें ताकि उनकी सेहत का ख्याल रखा जा सके। योगी सरकार की यह बहुत अच्छी बात है कि उसने महामारी की मार के बीच गायों का इतना ख्याल रखा है। खासकर उस वक्त जब यूपी का हाईकोर्ट लगातार यूपी सरकार को कोरोना मोर्चे की बदइन्तजामी को लेकर लताड़ लगा रहा है। ऐसे वक्त गायों का इतना ख्याल रखना कोई छोटी बात नहीं है और हिंदुस्तान में यह रिवाज चले आ रहा है कि जिस किसी बच्चे को पिटाई पडऩे की नौबत आए तो वह माँ-माँ कर कर दौडऩे लगता है, ठीक उसी तरह हिंदुस्तान में कुछ पार्टियां, उनकी सरकारें, और उनके नेता कभी गाय की आड़ में जाकर अपने को बचाते हैं, कभी भारतमाता की आड़ लेते हैं उसके पल्लू के पीछे छुपते हैं, कभी वे देश के तिरंगे झंडे की आड़ लेते हैं, फिर पश्चिम बंगाल जैसा कोई चुनाव रहे तो वे जय श्री राम के पीछे से प्रचार करते हैं। इसलिए आज जब योगी ने गायों की फिक्र की है, तो वह बहुत अच्छी बात दो हिसाब से है कि जिन लोगों को उत्तर प्रदेश में ठीक से इलाज नहीं मिल रहा है उन्हें कम से कम इतनी दिमागी राहत तो रहेगी कि उन्हें ना सही गौमाता को अच्छी तरह इलाज मिल रहा है, और गौमाता के इलाज से बढक़र इंसान का अपना खुद का इलाज थोड़ी हो सकता है? बस यही है कि बाबा रामदेव से लेकर भाजपा के कई मंत्रियों और सांसदों-विधायकों तक की कही हुई बात आज थोड़ी सी अटपटी लगती है कि गाय ऑक्सीजन छोड़ती हैं, गोबर और गोमूत्र के बीच कोई रोग जिन्दा नहीं रह सकता, और गोबर और गोमूत्र लेप लेने से कोरोनावायरस नहीं आता। अब इसके बाद अगर योगी सरकार प्रदेशभर की गौशालाओं में सख्त आदेश निकालकर ऑक्सीजन परखने की मशीन और इलाज की मशीन, बुखार नापने के थर्मामीटर सबका इंतजाम कर रही है, तो भी कोई बात नहीं। वैसे तो गाय भाजपा नेताओं के मुताबिक पर्याप्त ऑक्सीजन पैदा करती है, फिर भी वह मां है इसलिए उसकी सेहत के लिए यह इंतजाम तो होना ही चाहिए।

हिंदुस्तान में दिक्कत यह है कि जब कभी देश की कोई वैज्ञानिक जरूरत रहती है जो कि सरकार पूरी नहीं कर पाती, तो उसके जवाब में इस तरह के धार्मिक, आध्यात्मिक, तथाकथित आयुर्वेदिक, और तथाकथित वैदिक इलाज लागू कर दिए जाते हैं, उन्हें बढ़ावा दिया जाता है। क्योंकि वैज्ञानिक इलाज का इंतजाम करना तो खासी तैयारी मांगता है, लंबी योजना मांगता है, और खर्च भी मांगता है। इसलिए उसकी जगह पर अगर जय श्री राम, भारतमाता, गौ माता, और तिरंगे झंडे से इलाज किया जा सकता है तो वह देसी जुगाड़ सबसे ही अच्छा है। जब लोगों के दिमाग से वैज्ञानिक सोच खत्म कर दी जाए, वे गोमूत्र में सोना देखने लगते हैं, गोबर में हर बीमारी का इलाज देखने लगते हैं और अगर हमारी याददाश्त ठीक साथ दे रही है, तो किसी एक नेता ने तो यह आविष्कार भी पिछले वर्षों में सामने रखा था कि अगर गोबर को बदन पर लेप लिया जाए तो कोई परमाणु प्रदूषण भी बदन को प्रभावित नहीं कर सकता ! अब यह एक अलग बात है कि जिस समय अमेरिकी फौज ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए थे जापानियों के पास उस वक्त गोबर था नहीं, और लाखों जापानी परमाणु विकिरण और प्रदूषण में ही मारे गए थे। इसलिए भारत में गोबर और गोमूत्र की यह तैयारी चीन और पाकिस्तान से किसी परमाणु युद्ध के खतरे की नौबत में भी काम आएगी। और हमारा ख्याल है कि उत्तर प्रदेश के हाई कोर्ट में जहां कल तक योगी सरकार को जजों की फटकार का जवाब देते नहीं बन रहा था, वहां आज सरकार के पास गौशालाओं के लिए की गई है तैयारी एक बहुत बड़ा कानूनी बचाव रहेगी।

इस देश का स्वास्थ्य मंत्री सार्वजनिक मंच पर आकर रामदेव नाम के एक पाखंडी की दवा की साख स्थापित करने का काम करता है जिसके मंच पर किए हुए दावों को ही 24 घंटों के भीतर अमेरिका से विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुख्यालय को झूठा करार देना पड़ता है। सरकार का पूरा नजरिया और भाजपा के बहुत सारे नेताओं और मंत्रियों, सांसदों और विधायकों का नजरिया, वैज्ञानिक जरूरत के जवाब में पाखंड को खड़ा करने का है, और दिलचस्प बात यह भी है कि इस पाखंड को हिंदुस्तान के इतिहास के एक अनदेखे और बिनलिखे अध्याय से भी जोड़ दिया जाता है, उसे गौरवशाली भी करार दे दिया जाता है और यह मान लिया जाता है हिंदुस्तान का विज्ञान पूरी दुनिया में सबसे आगे था और दुनिया यहीं से विज्ञान को लूट कर ले गई थी। जब अपने देश की जनता एक नामौजूद रहे इतिहास पर गर्व करने से अपना पेट भरने लगे, तो फिर सरकार को और चाहिए क्या। इसलिए जैस उत्तर प्रदेश में बिना ऑक्सीजन, बिना इलाज, बिना दवा लोग मर रहे हैं, और सुप्रीम कोर्ट से लेकर यूपी हाईकोर्ट तक के जज बौखलाए हुए हैं, वहां पर गायों को कोरोना से बचाने की यह फि़क्र कमाल की है, और योगी सरकार की इस कल्पनाशीलता की तारीफ करनी चाहिए जो कि इस देश की अदालत में वैधानिक बचाव के लिए फौलादी ढाल की तरह उसके काम आएगी। अदालत में भी जब जज सुनेंगे कि गौशाला की गायों के लिए इतना इंतजाम किया गया है, तो वे मान लेंगे कि इसके बाद ऐसी गौमाताओं की इंसानी औलादों की फिक्र करने और उनके लिए इंतजाम करने की जरूरत क्या है?

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

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