सामान्य ज्ञान

भारत में प्राणी उद्यान
07-May-2021 12:28 PM
भारत में प्राणी उद्यान
वेदों, उपनिषदों और पुराणों, रामायण, महाभारत जैसे प्राचीन ग्रंथों में इस बात का उल्लेख है कि प्राचीन काल से ही पशुओं को पालतू बनाकर रखा जाता था।  मुगल शासकों खासकर अकबर और जहांगीर ने बंधन में जानवरों को पालने के  व्यवस्थित तरीकों का पालन किया। अकबर के पास एक हजार चीते थे जिसे उन्होंने काले हिरण के शिकार के लिए प्रशिक्षित किया था, जिस प्रकार पश्चिम के देशों में कुत्तों और लोमडिय़ों को पशुओं के शिकार के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। 
 भारत में पहले आधुनिक चिडिय़ाघर की स्थापना 1855 में ब्रिटिश शासकों ने मद्रास (चेन्नई) में की थी। इसके बाद कई रियासतों और ब्रिटिश शासनाधीन क्षेत्रों में चिडिय़ाघर बनाए गए। 1857 में त्रिवेंद्रम, जूनागढ़ और बंबई में 1863 में, हैदराबाद में 1872 में, जयपुर और कलकत्ता में 1875 में , मैसूर में 1892 में, लखनऊ में 1921 में , त्रिचूर, उदयपुर और बीकानेर में 1935 में चिडिय़ाघरों की शुरुआत हुई।  भारत के चिडिय़ाघरों में जंतुओं के प्रदर्शन के लिए पश्चिमी देशों में लोकप्रिय तकनीक और शैलियां अपना गई हैं। कार्ल हेगेनबेक का प्राकृतिक प्रदर्शन का तरीका- पिजरों को हटाकर जंतुओं को खाइयों में घेरकर रखने की प्रणाली- जर्मनी में 1905 में शुरू हुई थी। कुछ ही बरसों में  भारत के कुछ रजवाड़ों के चिडिय़ाघरों में इस प्रणाली को अपनाया गया। लेकिन हेगेनबेक शैली को पूरी तरह से 1956 में दिल्ली के  चिडिय़ाघर में अपनाया गया। इसके बाद 1959 में हैदराबाद में इसे लागू किया गया।  पहले भारत में चिडिय़ाघर मुख्य रूप से मनोरंजन और शासकों के सम्मान में बनाया जाता था।  1950 के दशक से संरक्षण, शिक्षा, शोध को प्रमुखता दी गई। 
अब तो सफारी पार्क बनाने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। सफारी पार्क को चिडिय़ाघरों का उलट कहा जाता है। इसका क्षेत्रफल 12 से 20 हेक्टेयर  तक विस्तृत होता है।  इस पूरे क्षेत्र को अनछुआ छोड़ दिया जाता है।  केवल यहां आने वालों के लिए सुरक्षित वाहनों में सैर के लिए रास्ते बनाए जाते हैं, जहां से वे जानवरों को उनके प्राकृतिक आवास में देख सकते हैं। 
 
भारतीय थल सेना प्रशिक्षण संस्थान
नाम स्थान
राष्ट्रीय सुरक्षा अकादमी डकवासला
भारतीय सैनिक अकादमी देहरादून
राष्ट्रीय भारतीय सैनिक कॉलेज देहरादून
राष्ट्रीय  रक्षा कॉलेज नई दिल्ली
रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज वेलिंग्टन
थल सेना चिकित्सा कॉलेज पुणे
अधिकारियों का प्रशिक्षण विद्यालय चेन्नई
युद्ध शिक्षण संस्थान मऊ
केन्द्रीय बख्तरबंद दल और स्कूल अहमदनगर
पैदल सेना का स्कूल मऊ और बेलगांव
तोप शिक्षणालय देओलाली
सैनिक अभियांत्रिकी कॉलेज कीकरी
दूर संचार अभियांत्रिकी सैनिक कॉलेज मऊ
रक्षा प्रबंधन का कॉलेज सिकंदराबाद
थल सेना कैडेट कॉलेज देहरादून
थल सेना का शस्त्र स्कूल जबलपुर
उच्च स्तरीय शस्त्र स्कूल गुलमर्ग
थल सेना सेवाओं का स्कूल बरेली
ई.एम.ई.स्कूल बड़ोदरा
विद्युत एवं  मशीनी अभियांत्रिकी 
सैनिक कॉलेज सिकंदराबाद
रिमाउंट और पशु चिकित्सा दल 
का केन्द्रीय स्कूल मेरठ
थल सेना शैक्षिक प्रशिक्षण कॉलेज और केंद्र पंचमणी
थल सेना का शारीरिक प्रशिक्षण स्कूल पुणे
थल सेना/वायु यातायात का सहायक स्कूल आगरा
थल सेना लिपिक प्रशिक्षण स्कूल औरंगाबाद
सैनिक खुफिय़ा प्रशिक्षण स्कूल और डिपो पुणे
थल सेना का मशीनी यातायात स्कूल बंगलुरु
काउंटर इनसरजन्सी और जंगल 
सशस्त्र कला स्कूल वाईरन्गटे
राष्ट्रीय एकीकृत संस्थान पुणे
थल सेना चिकित्सालय  केंद्र और स्कूल लखनऊ
 

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