अंतरराष्ट्रीय
हेलसिंकी, 10 दिसंबर। जेल में बंद ईरानी कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी के बच्चे रविवार को नॉर्वे की राजधानी में एक समारोह में उनकी ओर से इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार स्वीकार करेंगे।
मोहम्मदी अपने देश में महिलाओं के अधिकारों और लोकतंत्र के लिए अभियान चलाने के साथ-साथ मृत्युदंड के खिलाफ मुखर रही हैं। मोहम्मदी के 17 वर्षीय जुड़वां बच्चे अली और कियाना रहमानी अपने पिता के साथ पेरिस में निर्वासन में रह रहे हैं। उन्हें ओस्लो सिटी हॉल में प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किया जाएगा, जिसके बाद वे अपनी मां के नाम पर नोबेल शांति पुरस्कार व्याख्यान देंगे।
मोहम्मदी (51) को अक्टूबर में 2023 नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई थी। वह फिलहाल तेहरान की एक जेल में बंद है। ईरान में इससे पहले भी उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया था और कई साल जेल में रह चुकी हैं।
ओस्लो में शनिवार को संवाददाता सम्मेलन में कियाना रहमानी ने अपनी मां का एक संदेश पढ़ा, जिसमें उन्होंने ‘‘असहमति, प्रदर्शनकारियों और मानवाधिकार रक्षकों की आवाज को दुनिया तक पहुंचाने’’ में अंतरराष्ट्रीय मीडिया द्वारा निभाई गई भूमिका की प्रशंसा की।
मोहम्मदी ने अपने संदेश में कहा, ‘‘ईरानी समाज को वैश्विक समर्थन की आवश्यकता है और आप, पत्रकार एवं मीडियाकर्मी इस्लामी गणतंत्र सरकार के विनाशकारी अत्याचार के खिलाफ कठिन संघर्ष में हमारे सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी हैं। आपके प्रयासों के लिए, आपने हमारे लिए जो कुछ भी किया है, उसके लिए मैं आपको तहे दिल से धन्यवाद देती हूं।’’
कियाना रहमानी ने कहा कि उन्हें अपनी मां से दोबारा मिलने की बहुत कम उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘‘शायद मैं उन्हें 30 या 40 साल में देख पाऊंगी, लेकिन मुझे लगता है कि मैं उन्हें दोबारा नहीं देख पाऊंगी। लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि मेरी मां हमेशा मेरे दिल में रहेंगी, वे मूल्य जिनके लिए लड़ना जरूरी है।’’
मोहम्मदी के भाई और पति ने ओस्लो में संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने ईरान में बहाई धर्म के धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए रविवार को भूख हड़ताल करने की योजना बनाई है। रहमानी के पति ताघी ने पूर्व में कहा था कि वह 11 साल से अपनी पत्नी को नहीं देख पाए हैं और उनके बच्चों ने सात साल से अपनी मां को नहीं देखा है।
पुरस्कारों के 122 साल के इतिहास में यह पांचवा मौका है कि शांति पुरस्कार किसी ऐसे व्यक्ति को दिया गया है जो जेल में है या घर में नजरबंद है। बाकी नोबेल पुरस्कार रविवार को बाद में स्टॉकहोम में अलग-अलग समारोहों में दिए जाने वाले हैं। (एपी)
तेल अवीव, 10 दिसंबर । इजरायल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने गोलानी ब्रिगेड की बटालियन 12 के एक सैनिक और इजरायल वॉर कैबिनेट मंत्री और आईडीएफ के पूर्व प्रमुख गादी ईसेनकोट के भतीजे माओर कोहेन ईसेनकोट की मौत की घोषणा की है, जिन्होंने हाल ही में हमास के खिलाफ लड़ाई में अपना बेटा खोया है।
गादी ईसेनकोट के बेटे गैल मीर ईसेनकोट दो दिन पहले उत्तरी गाजा में मृत पाए गए।
मृतक माओर कोहेन ईसेनकोट नियमित सैन्य ड्यूटी पर कार्यरत थे और गादी ईसेनकोट की बहन शेरोन ईसेनकोट और माइकल मिशेल कोहेन के बेटे हैं।
जब एक मस्जिद में विस्फोट हुआ तो माओर स्टाफ सार्जेंट जोनाटन डीन हैम जूनियर के साथ गिर गए।
आईडीएफ ने एक बयान में कहा कि उस घटना में दो सैनिक भी घायल हुए थे। (आईएएनएस)
बेरूत, 10 दिसंबर । लेबनान के एक सैन्य सूत्र ने बताया कि दक्षिणी लेबनान के सीमावर्ती इलाकों में इजरायली हमलों में एक हिजबुल्लाह आतंकी मारा गया।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, नाम न छापने की शर्त पर सूत्र ने शनिवार को कहा कि ऐता अल-शाब गांव पर इजरायली हवाई हमले में हिजबुल्लाह आतंकी की मौत हो गई।
सूत्र के अनुसार, इजरायली युद्धक विमानों और ड्रोनों ने सीमावर्ती इलाकों में घरों और जंगलों को निशाना बनाकर छह हवाई हमले किए, इसमें छह घर नष्ट हो गए और 15 अन्य क्षतिग्रस्त हो गए।
इस बीच, हिजबुल्लाह की सैन्य शाखा इस्लामिक रेजिस्टेंस ने कहा कि उसके लड़ाकों ने 10 इजरायली स्थलों पर 10 हमले किए, इसमें एक की मौत हो गई और एक अन्य घायल हो गया।
इज़राइली मीडिया ने बताया कि लेबनान के साथ देश की सीमा पर तीन सैनिक घायल हो गए और उन्हें हेलीकॉप्टर द्वारा उत्तरी इज़रायली बंदरगाह शहर हाइफ़ा के रामबाम अस्पताल ले जाया गया।
लेबनान-इज़रायल सीमा पर 8 अक्टूबर से तनाव बढ़ गया है, जब लेबनानी सशस्त्र समूह हिजबुल्लाह ने 7 अक्टूबर को इज़राइल पर हमास के हमलों के समर्थन में शेबा फ़ार्म्स की ओर दर्जनों रॉकेट दागे, इसके जवाब में इज़रायली बलों ने दक्षिणपूर्वी लेबनान की ओर भारी गोलीबारी की। . (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 10 दिसंबर । अमेरिकी राज्य जॉर्जिया की राजधानी अटलांटा में गोलीबारी में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई और एक अन्य घायल हो गया। स्थानीय मीडिया से ये जानकारी सामने आई है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना शनिवार शाम को हुई।
सभी मृतकों की उम्र 20 साल के आसपास है और घायलों को अस्पताल ले जाया गया।
अटलांटा पुलिस विभाग ने कहा कि अपराध नशीली दवाओं की गतिविधि से जुड़ा है। (आईएएनएस)
बीजिंग, 10 दिसंबर । चीन के गुइझोऊ प्रांत में एक स्टील-स्ट्रक्चर वर्कशॉप ढहने से छह लोगों की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए। स्थानीय अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
घटना शनिवार दोपहर करीब 12 बजे की है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, घायलों को अस्पताल ले जाया गया है। (आईएएनएस)
इस्लामाबाद, 10 दिसंबर । पाकिस्तान के टैंक जिले में एक ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा बलों ने पांच आतंकवादियों को मार गिराया है। सेना ने यह जानकारी दी।
पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा, इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने एक बयान में कहा, ऑपरेशन के दौरान आतंकवादियों के कब्जे से हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटकों का एक जखीरा भी बरामद किया गया।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने आईएसपीआर के हवाले से बताया कि खुफिया आधारित ऑपरेशन अफगानिस्तान की सीमा से लगे उत्तर पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा के मुल्लाजई इलाके में चलाया गया।
इसमें कहा गया है कि आतंकवादी जबरन वसूली और निर्दोष नागरिकों की हत्या सहित कई अपराधों में शामिल थे। (आईएएनएस)
ब्रिक्स का सदस्य बनने के लिए पाकिस्तान की कोशिशें जारी हैं. पाकिस्तान ब्रिक्स में सदस्यता पाने के लिए चीन और रूस से समर्थन की उम्मीद कर रहा है. पाकिस्तान ने पिछले महीने ब्रिक्स सदस्यता के लिए आधिकारिक रूप से आवेदन किया.
डॉयचे वैले पर मुरली कृष्णन की रिपोर्ट-
ब्रिक्स दुनिया की पांच बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं भारत, ब्राजील, चीन, रूस और दक्षिण अफ्रीका का एक समूह है. पाकिस्तान का यह आवेदन ऐसे वक्त में आया है, जब ब्रिक्स के सदस्य देश वैश्विक स्तर पर दक्षिण एशिया की एक प्रभावशाली आवाज बनने की कोशिश कर रहे हैं. वैश्विक स्तर पर इन पांच देशों की पकड़ भी मजबूत हो रही है.
ब्रिक्स के सदस्य देशों में दुनिया की 40 फीसदी आबादी रहती है. ये देश विश्व की करीब एक तिहाई अर्थव्यवस्था का भी प्रतिनिधित्व करते हैं. इस साल हुए ब्रिक्स सम्मेलन में छह नए देशों- मिस्र, अर्जेंटीना, सऊदी अरब, ईरान, इथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल करने का फैसला लिया गया था. इन नए देशों की सदस्यता नए साल से लागू होनी है, लेकिन सरकार बदलने के बाद अर्जेंटीना के ब्रिक्स में शामिल होने पर संशय है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने ब्रिक्स को विकासशील देशों का एक अहम समूह बताया. उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिक्स से जुड़कर पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सहयोग में बढ़ावा दे सकता है.
क्या ब्रिक्स को ठहरकर सोचने की जरूरत है?
पाकिस्तान के इस आवेदन पर भारत ने आधिकारिक तौर पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन निजी तौर पर भारतीय सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े अधिकारी इसे लेकर संशय में हैं. नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी ने डीडब्ल्यू से कहा कि ब्रिक्स का सदस्य बनने के लिए पाकिस्तान का आवेदन बिल्कुल अभी आया है और यह बेहद शुरुआती दौर में है.
भारतीय अधिकारियों का यह भी कहना है कि ब्रिक्स की सदस्यता लेने की चाह रखने वाले देशों के लिए मजबूत संस्थागत और कठोर न्यूनतम पैमानों को लागू करने की जरूरत है.
पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रह चुके अजय बिसारिया के मुताबिक, ब्रिक्स ने इस साल नए देशों को शामिल किया है. अब वक्त है कि ब्रिक्स समय लेकर इस बात पर विचार करे कि इस समूह के उद्देश्य क्या हैं और यह सदस्य देशों के लिए कैसे बेहतर साबित हो सकते हैं. उनका मानना है कि इतनी तेजी से नए देशों को शामिल करने पर उस ब्रिक्स में मतभेद पैदा हो सकते हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य समान विचारधारा, परस्पर हितों और मध्यम-आय वाले देशों को साथ लाना था. उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान का आवेदन समय से पहले आ गया है.
सदस्यता के लिए चीन और रूस की ओर देखता पाकिस्तान
ब्रिक्स का सदस्य बनने के लिए पाकिस्तान लगातार इसके सदस्य देशों से बातचीत कर रहा है. पाकिस्तान का ध्यान खासकर चीन और रूस के समर्थन की ओर अधिक है. चीन और पाकिस्तान, एक-दूसरे को हर स्थिति में समर्थन करने वाले दोस्त के रूप में देखते हैं. हाल के कुछ सालों में चीन, पाकिस्तान का सबसे बड़ा आर्थिक सहयोगी बनकर उभरा है. लेकिन रूस का समर्थन भी पाकिस्तान के लिए बेहद अहम है, जहां अगले साल ब्रिक्स सम्मेलन होना है.
मॉस्को में हाल ही नियुक्त किए गए पाकिस्तान के उच्चायुक्त मोहम्मद खालिद जमाली ने टास न्यूज एजेंसी को दिए गए बयान में कहा था, "पाकिस्तान इस महत्वपूर्ण समूह का सदस्य बनना चाहता है. इसके लिए हम सदस्य देशों, खासकर रूस से बातचीत कर रहे हैं कि वो पाकिस्तान की सदस्यता का समर्थन करे.”
एकजुट नहीं रहा ब्रिक्स
पश्चिमी देशों के नेतृत्व वाले वैश्विक संगठनों के प्रभुत्व को संतुलित करने के लिए उनके बरक्स एक नई वैश्विक व्यवस्था खड़ा करने की तमाम कोशिशों के बीच ब्रिक्स, आर्थिक और राजनीतिक तौर पर एकजुट होकर नहीं उभर पाया है. एक तरफ जहां चीन और रूस ब्रिक्स को अमेरिका और G7 के समक्ष खड़ा करना चाहते हैं, वहीं बाकी सदस्य देशों का रवैया इस मुद्दे पर नरम दिखाई देता है.
सदस्य देशों की राजनीतिक व्यवस्था भी एक-दूसरे से अलग है. भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था है, वहीं चीन और रूस में एकतंत्रीय शासन लागू है. सदस्य देशों की अर्थव्यवस्था भी एक जैसी नहीं है. हर देश की व्यापार नीतियां अलग हैं.
चीन और भारत के बीच जारी कूटनीतिक दुश्मनी भी इस समूह को प्रभावित करती है. यह दुश्मनी ब्रिक्स को वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण आर्थिक और कूटनीतिक समूह बनाने की राह में चुनौती है. भारत में कुछ विश्लेषकों का मानना है कि चीन ब्रिक्स का इस्तेमाल अपनी भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षा को बढ़ावा देने के लिए करना चाहता है.
बिसारिया के अनुसार अगर पाकिस्तान ब्रिक्स का सदस्य बनता है, तो चीन के साथ उसके खास रिश्ते को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इससे चीन का फायदा ही होगा. उन्होंने यह भी कहा कि यह साफ है कि चीन पाकिस्तान को ब्रिक्स का सदस्य बनाना चाहता है और वह रूस और अन्य देशों पर भी इस बात के लिए जोर डाल सकता है, ताकि ब्रिक्स में चीन का प्रभुत्व बढ़े.
ब्रिक्स में चीन का बढ़ता प्रभुत्व
स्वतंत्र रिसर्च फोरम मंत्रया की संस्थापक शांति मैरियट डिसूजा भी इससे सहमत नजर आती हैं. उनका कहना है कि अमेरिका से भारत की घनिष्ठता को देखते हुए चीन, भारत को एक अवरोध की तरह देखता है. उन्होंने बताया कि सरकार का समर्थन करती चीन की मीडिया में ऐसे लेख भी छापे गए हैं, जिनमें कहा गया कि भारत ब्रिक्स में अपनी स्थिति का मूल्यांकन करे क्योंकि वह वैश्विक दक्षिणी देशों को बांट रहा है और विकासशील देशों के बीच चीन की स्थिति कमजोर कर रहा है.
डिसूजा कहती हैं कि ऐसा लगता है, जैसे यह दिखाने की एक योजना बनाई जा रही है कि ब्रिक्स के लिए भारत सही नहीं है. जिससे भारत पर समूह को छोड़ने का दबाव कायम किया जा सके. दूसरी तरफ ऐसे देशों को सदस्य बनाया जाए, जिनकी विदेश नीति और वैश्विक दृष्टिकोण चीन से मेल खाती हो.
डिसूजा ने आगे कहा कि भारत को लगता है कि चीन लगातार यह कोशिश कर रहा है कि ब्रिक्स को चीन के प्रभुत्व वाला समूह बना दिया जाए जो पश्चिम, खासकर अमेरिका के खिलाफ हो. नए देशों को शामिल कर चीन ऐसा इसलिए करना चाहता है, ताकि ये नए सदस्य चीन के हर काम का समर्थन करें. भारत इस दिशा में चीन के सामने एक रुकावट बनकर खड़ा है. (dw.com)
यरुशलम, 10 दिसंबर। इजराइल-हमास युद्ध के कारण गाजा में मारे गए लोगों की संख्या 17,700 को पार कर गई है जिनमें करीब दो तिहाई संख्या महिलाओं और बच्चों की है। हमास नियंत्रित क्षेत्र में स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी।
इजराइल ने दक्षिणी गाजा पट्टी में शनिवार को हवाई हमले और गोलाबारी तेज कर दी। ये हमले अमेरिका द्वारा गाजा में मानवीय आधार पर तत्काल संघर्ष विराम की मांग करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के खिलाफ वीटो का इस्तेमाल करने के एक दिन बाद हुए, जबकि इसे सुरक्षा परिषद के अधिकांश सदस्यों और कई अन्य देशों का समर्थन प्राप्त था। कुल 15 सदस्यीय परिषद में प्रस्ताव के पक्ष में 13 और विरोध में एक मत पड़ा जबकि ब्रिटेन अनुपस्थित रहा।
इजराइल ने कहा कि सात अक्टूबर को इजराइल पर हमास के हमले के बाद जमीनी कार्रवाई में उसके 97 सैनिक मारे गए हैं। हमास के सात अक्टूबर के हमले में करीब 1,200 लोगों की मौत हुई थी जिनमें ज्यादातर आम नागरिक थे और उसने 240 लोगों को बंधक बना लिया था।
यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने धमकी दी है कि गाजा में भोजन और दवाओं की निर्बाध आपूर्ति जब तक सुनिश्चित नहीं की जाती, तब तक वह लाल सागर और अरब सागर से इजराइली बंदरगाहों की ओर जाने वाले हर पोत को रोकेगा।
हूती विद्रोहियों ने पिछले सप्ताहों में लाल सागर में कई जहाजों पर हमला किया और इजराइल को निशाना बनाकर ड्रोन और मिसाइल हमले किए।
गाजा के एक छोटे से हिस्से में मामूली मानवीय सहायता पहुंच पा रही है।
बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन युद्ध विराम का विरोध कर रहा है। उसका तर्क है कि इससे हमास इजराइल के लिए खतरा बना रहेगा।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बताया कि प्रशासन ने इजराइल को 10.6 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य के लगभग 14,000 राउंड टैंक गोला-बारूद की आपातकालीन बिक्री को मंजूरी दे दी है।
अंतरराष्ट्रीय बचाव समिति और सात अन्य सहायता एजेंसियों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से तत्काल युद्ध विराम और हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए एक प्रस्ताव पारित करने का आह्वान किया है।
वहीं इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने शनिवार को फोन पर दक्षिणी गाजा में जमीनी आक्रमण को लेकर चर्चा की। शोल्ज के कार्यालय ने यह जानकारी दी।
बयान में कहा गया है कि शोल्ज ने ‘‘इस बात पर जोर दिया कि गाजा पट्टी में लोगों तक अधिक मानवीय सहायता पहुंचनी चाहिए और यह विश्वसनीय आधार पर होना चाहिए’’।
एपी सुरभि सिम्मी सिम्मी 1012 0956 यरुशलम (एपी)
इंफाल, 8 दिसंबर । राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मीडिया में आई उस खबर का स्वत संज्ञान लिया है जिसमें कहा गया है कि मणिपुर हुई गोलीबारी में कम से कम 13 लोग मारे गए। साथ ही राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
मणिपुर के तेंगनौपाल जिले के सैबोल के पास लीथाओ गांव में 4 दिसंबर (सोमवार) को दो प्रतिद्वंद्वी सशस्त्र समूहों के बीच गोलीबारी में 13 लोग मारे गए थे।
एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि यदि मीडिया रिपोर्ट की सामग्री सही है, तो यह मानवाधिकार उल्लंघन का एक गंभीर मुद्दा है, जो चिंता का विषय है। यह घटना कानून लागू करने वाली एजेंसियों और राज्य में शांति, कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए तैनात बलों की ओर से चूक का संकेत देती है।
बयान में कहा गया है कि मुख्य सचिव और डीजीपी की रिपोर्ट में पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर की स्थिति और राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को शामिल किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य में कहीं भी हिंसा की ऐसी घटनाएं न हों।
एनएचआरसी ने यह भी पाया कि 13 लोगों की जान जाने की सूचना, वह भी ऐसे क्षेत्र में जो इस साल मई में मणिपुर में तनाव भड़कने के बाद से शांत था, वास्तव में चिंताजनक और परेशान करने वाली है।
मणिपुर राज्य और उसके लोगों को पहले ही बहुत नुकसान उठाना पड़ा है। यह मजबूती से दोहराया गया है कि अपने नागरिकों के निजी, सार्वजनिक जीवन और संपत्तियों की रक्षा करना और समुदायों के बीच भाईचारे एवं भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना राज्य का कर्तव्य है।
मई के बाद से एनएचआरसी को मणिपुर में हिंसा की घटनाओं के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए व्यक्तियों, गैर सरकारी संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से कई शिकायतें मिली हैं।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, लीथाओ गांव में नौ घर हैं और करीब 120 निवासी हैं। हालांकि, ग्रामीणों में से किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। कथित तौर पर, 3 मई को मणिपुर में भड़की हिंसा में यह एक दिन में सबसे ज्यादा जानमाल का नुकसान है।
एनएचआरसी के बयान में कहा गया है कि प्रथम दृष्टया यह संदेह है कि पीड़ित म्यांमार के उग्रवादी भी हो सकते हैं, क्योंकि लीथाओ के पास की पहाड़ियां म्यांमार से मणिपुर में प्रवेश करने के लिए लोगों द्वारा अपनाया जाने वाला एक सामान्य मार्ग है। (आईएएनएस)।
जकार्ता, 9 दिसंबर । सेंटर फॉर रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑफ जियोलॉजिकल डिजास्टर टेक्नोलॉजी के अनुसार, इंडोनेशिया का मेरापी ज्वालामुखी फट गया है, जिससे आसमान में 3,500 मीटर तक मोटी राख निकल रही है।
निगरानी अधिकारी त्रियोनो ने शुक्रवार को कहा, "चूंकि राख के बादल दक्षिण-पश्चिम में गिर रहे हैं, इसलिए लोगों को खतरे वाले क्षेत्र से दूर रहने की सलाह दी जाती है।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, इंडोनेशिया आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रवक्ता अब्दुल मुहरी ने कहा कि भारी बारिश के साथ ज्वालामुखी की राख मेरापी के आसपास के गांवों, खासकर बोयोलाली और मैगेलंग जिलों में गिरी।
मेरापी की चोटी पर भारी बारिश से ठंडा लावा भी गिरा और अधिकारियों ने लोगों को क्रेटर से 7 किलोमीटर तक के दायरे में आने से दूर रहने की सलाह दी।
योग्यकार्ता और मध्य जावा प्रांतों में फैला 2,968 मीटर ऊंचा ज्वालामुखी खतरे के तीसरे स्तर पर है। (आईएएनएस)।
बेरूत, 9 दिसंबर । लेबनान-इजरायल सीमाओं पर टकराव में चार हिजबुल्लाह लड़ाके और फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद (पीआईजे) आंदोलन के दो सदस्य मारे गए हैं। लेबनानी सैन्य सूत्रों ने मीडिया को यह जानकारी दी।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर शुक्रवार को कहा कि दक्षिणी लेबनान में सीमावर्ती इलाकों को निशाना बनाकर की गई इजरायली बमबारी के कारण चार लेबनानी नागरिक और लेबनानी सेना के दो जवान घायल हो गए।
सूत्रों ने कहा कि चार हिजबुल्लाह लड़ाके दो अलग-अलग इजरायली हमलों में मारे गए। एक ने दक्षिण पश्चिम लेबनान की घाटियों को निशाना बनाया और दूसरे ने केंद्रीय क्षेत्र के एक गांव को निशाना बनाया।
दक्षिण पश्चिम लेबनान के एक जंगली इलाके को निशाना बनाकर किए गए इजरायली हमले में पीआईजे के दो सदस्य मारे गए।
सूत्रों ने कहा कि चार लेबनानी नागरिक इजरायली गोलाबारी में घायल हो गए, जिसमें दक्षिण-पूर्व लेबनान में रचाया अल-फखर और अल-अदायसेह के गांवों को निशाना बनाया गया था।
उन्होंने बताया कि लेबनानी सेना के दो सदस्यों की मौत ऐता अल-शाब गांव के आसपास उनके केंद्र पर इज़रायली गोलाबारी के परिणामस्वरूप लगी आग के धुएँ से दम घुटने के कारण हुई।
सैन्य सूत्रों ने बताया कि इजरायल ने लेबनान के दक्षिण-पश्चिम में 26 और दक्षिण-पूर्व में 15 कस्बों और गांवों पर बमबारी की।
इजरायली युद्धक विमानों और ड्रोनों ने पूर्वी और पश्चिमी सेक्टरों में घरों और खाली इलाकों को निशाना बनाकर नौ हवाई हमले किए, जिसमें तीन घर नष्ट हो गए और 16 अन्य को नुकसान पहुंचा।
इस बीच, हिजबुल्लाह ने कहा कि उसके लड़ाकों ने सात इजरायली ठिकानों पर हमले किए, जिसमें एक की मौत हो गई और एक अन्य घायल हो गया।
गत 7 अक्टूबर को इज़रायल पर हमास के हमलों के समर्थन में हिजबुल्लाह द्वारा शेबा फार्म्स की ओर दर्जनों रॉकेट दागे जाने के बाद 8 अक्टूबर से लेबनान-इज़राइल सीमा पर तनाव बढ़ गया, जिसके जवाब में इज़रायली बलों ने दक्षिणपूर्वी लेबनान के कई क्षेत्रों में भारी गोलाबारी की।
सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, टकराव में लेबनानी पक्ष के 143 लोग मारे गए हैं, जिनमें 98 हिजबुल्लाह सदस्य, एक लेबनानी सेना का सैनिक, अमल आंदोलन का एक सदस्य, हमास और इस्लामिक जिहाद के 16 सदस्य और 27 नागरिक शामिल हैं।
(आईएएनएस)।
बगदाद, 9 दिसंबर । इराक के अर्ध-स्वायत्त कुर्दिस्तान क्षेत्र में एरबिल प्रांत के सोरन शहर में एक आवासीय इमारत में आग लगने से 14 लोगों की मौत हो गई और 18 अन्य घायल हो गए।
सोरन स्वास्थ्य विभाग के एक बयान में शुक्रवार को कहा गया, "आग सबसे पहले तीसरी और चौथी मंजिल पर लगी, जहां विश्वविद्यालय के छात्र और शिक्षक रहते थे, और फिर पूरी पांच मंजिला इमारत में फैल गई।"
बयान में कहा गया है कि प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि आग बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण लगी थी। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, नागरिक सुरक्षा टीमों और अग्निशामकों ने आग बुझा दी है। (आईएएनएस)।
दमिश्क, 9 दिसंबर । सीरिया के दक्षिणी प्रांत कुनीत्रा में इजरायली ड्रोन हमले में एक टैक्सी पर हुए हमले में चार लोगों की मौत हो गई। एक युद्ध निगरानीकर्ता ने यह जानकारी दी।
सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के अनुसार, पीड़ितों के जले हुए शव टैक्सी के अंदर पाए गए, जो दमिश्क के ग्रामीण इलाके से कुनीत्रा जा रही थी। कथित तौर पर वे लेबनानी हिजबुल्लाह समूह के लिए काम कर रहे थे।
इस बीच, सीरियाई अरब रेड क्रिसेंट (एसएआरसी) ने शुक्रवार को कहा कि उसका आपातकालीन दल कुनीत्रा के अल-बाथ शहर में हमले के बारे में एक सूचना के जवाब में घटनास्थल पर गया था, और कहा कि तीन पीड़ितों के अवशेषों को एक अस्पताल पहुंचाया गया था। चौथे पीड़ित का उल्लेख एसएआरसी द्वारा नहीं किया गया था।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, मृतकों की पहचान और इजरायली हमले के पीछे का मकसद स्पष्ट नहीं है।
युद्ध निगरानीकर्ता ने कहा कि 7 अक्टूबर को गाजा में इजरायल-हमास संघर्ष शुरू होने के बाद से इजरायल ने सीरिया पर अपने जमीनी और हवाई हमले बढ़ा दिए हैं। (आईएएनएस)।
संयुक्त राष्ट्र, 9 दिसंबर । अमेरिका ने गाजा में तत्काल मानवीय युद्धविराम की मांग वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को वीटो कर दिया है।
संयुक्त अरब अमीरात द्वारा तैयार और 100 से अधिक देशों द्वारा समर्थित प्रस्ताव को सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों में से भारत समेत 13 का समर्थन प्राप्त हुआ। ब्रिटेन शुक्रवार को अनुपस्थित रहा।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने संगठन के सबसे शक्तिशाली निकाय से युद्धविराम का आह्वान करने का आग्रह करने के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 99 का इस्तेमाल किया था।
अनुच्छेद 99 में कहा गया है, "महासचिव किसी भी मामले को सुरक्षा परिषद के ध्यान में ला सकते हैं जो उनकी राय में अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव को खतरे में डाल सकता है।"
प्रस्ताव के पाठ में हमास और इज़रायल के बीच लड़ाई को तत्काल रोकने और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत इज़रायली और फिलिस्तीनी नागरिकों दोनों की सुरक्षा का आह्वान किया गया। इसने "सभी बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई" की भी मांग की।
संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन के राजदूत रियाद मंसूर ने परिषद को बताया कि वोट का परिणाम "विनाशकारी" है। उन्होंने कहा: "लाखों फिलिस्तीनी जीवन अधर में लटके हुए हैं। उनमें से हर एक पवित्र है, बचाने लायक है।"
उन्होंने कहा कि यह "अफसोस से परे" है कि संकट के बीच सुरक्षा परिषद को एक नए अपनाए गए प्रस्ताव के माध्यम से अपने कर्तव्यों को पूरा करने से रोका गया।
"इसे कैसे उचित ठहराया जा सकता है? कोई संपूर्ण लोगों के वध को कैसे उचित ठहरा सकता है?" (आईएएनएस)।
तेल अवीव,। 9 दिसंबर । इजरायल के विदेश मंत्री एली कोहेन ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस पर निशाना साधते हुए उन पर गाजा में तत्काल युद्धविराम के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के समक्ष अपनी अपील में फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास के साथ खड़े होने का आरोप लगाया।
गुटेरेस, जिन्होंने पहली बार इस सप्ताह की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 99 को लागू किया, जो संयुक्त राष्ट्र प्रमुख को अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरे के बारे में आगाह करने में सक्षम बनाता है, ने गाजा में "मानवीय तबाही" की चेतावनी दी और परिषद से मानवीय युद्धविराम की मांग करने का आग्रह किया।
युद्धविराम का आह्वान करने के लिए अरब-समर्थित प्रस्ताव को अपनाने के लिए बाद में मतदान हुआ और इसे व्यापक समर्थन मिला, लेकिन अमेरिका ने वीटो कर दिया जबकि ब्रिटेन अनुपस्थित रहा।
कोहेन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि गुटेरेस का आह्वान उनकी स्थिति का अपमान है और संयुक्त राष्ट्र पर कलंक है।
कोहेन ने लिखा, "यूक्रेन में युद्ध या सीरिया में गृहयुद्ध के लिए इसका उपयोग नहीं किए जाने के बाद अनुच्छेद 99 का आह्वान, गुटेरेस के पक्षपाती और एकतरफा रुख का एक और उदाहरण है।"
कोहेन ने कहा, "इस समय युद्धविराम हमास आतंकवादी संगठन के पतन को रोकेगा, जो युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध कर रहा है, और उसे गाजा पट्टी पर शासन जारी रखने में सक्षम बनाएगा।" (आईएएनएस)।
संयुक्त राष्ट्र, 9 दिसंबर। अमेरिका ने गाजा में तत्काल मानवीय संघर्ष विराम की मांग कर रहे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लगभग सभी सदस्यों और कई अन्य देशों द्वारा समर्थित एक प्रस्ताव के खिलाफ विश्व निकाय में शुक्रवार को वीटो का इस्तेमाल किया।
प्रस्ताव के समर्थकों ने तीसरे महीने भी युद्ध जारी रहने पर और लोगों की मौत तथा तबाही को लेकर आगाह किया और इसे दुखद दिन बताया।
संयुक्त राष्ट्र की 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव के पक्ष में एक के मुकाबले 13 वोट पड़े। ब्रिटेन मतदान से दूर रहा।
अमेरिका के उप राजूदत रॉबर्ट वुड ने इजराइल पर सात अक्टूबर को हमास के हमले की निंदा करने या इजराइल के अपनी रक्षा करने के अधिकार को स्वीकार करने में नाकामी के लिए वोट को लेकर सुरक्षा परिषद की निंदा की। हमास के आतंकवादियों ने इजराइल पर हमले के दौरान करीब 1,200 लोगों की हत्या कर दी थी।
उन्होंने कहा कि सैन्य कार्रवाई रोकने से हमास को गाजा पर शासन जारी रखने और ‘‘अगले युद्ध के लिए बीज बोने’’ में मदद मिलेगी।
वुड ने मतदान से पहले कहा, ‘‘हमास स्थायी शांति, दो-राष्ट्र समाधान नहीं देखना चाहता है। अमेरिका स्थायी शांति का पुरजोर समर्थन करता है जिसमें इजराइली और फलस्तीनी दोनों शांत एवं सुरक्षापूर्ण माहौल में रह सकें लेकिन हम तत्काल संघर्ष विराम का समर्थन नहीं करते हैं।’’
फलस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, गाजा में इजराइली सेना के अभियान में 17,400 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं जिनमें से 70 फीसदी महिलाएं और बच्चे हैं तथा 46,000 से अधिक घायल हुए हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन पर संघर्ष विराम का विरोध छोड़ने के लिए दबाव बनाने के वास्ते मिस्र, जॉर्डन, फलस्तीनी प्राधिकरण, कतर, सऊदी अरब और तुर्किये के विदेश मंत्री शुक्रवार को वाशिंगटन में थे लेकिन उनके प्रयास व्यर्थ हो गए। संयुक्त राष्ट्र में मतदान के बाद ही विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से उनकी मुलाकात हुई।
संयुक्त अरब अमीरात के उप राजदूत मोहम्मद अबूशाहब ने मतदान से पहले कहा कि यह प्रस्ताव युद्ध खत्म करने और फलस्तीनी लोगों की जान बचाने के प्रयासों के लिए वैश्विक समर्थन को दर्शाता है। मतदान के बाद उन्होंने अमेरिका के वीटो पर काफी निराशा जतायी।
संयुक्त राष्ट्र में रूस के उप राजदूत दिमित्री पोलिंस्की ने मतदान को ‘‘पश्चिम एशिया के इतिहास में सबसे काले दिनों में से एक’’ बताया और अमेरिका पर ‘‘हजारों लोगों को मौत की सजा सुनाने’’ का आरोप लगाया।
एपी गोला सिम्मी सिम्मी 0912 0842 संयुक्तराष्ट्र (एपी)
ग़ज़ा में तत्काल संघर्ष विराम को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वोटिंग के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि ग़ज़ा में 'हम ब्रेकिंग पॉइंट' (तबाही के कगार) पर पहुंच गए हैं.
उन्होंने कहा कि मानवीय त्रासदी ने ग़ज़ा की समूची आबादी को अपने जद में ले लिया है.
उन्होंने कहा कि ग़ज़ा में सार्वजनिक व्यवस्था के पूरी तरह तहस नहस होने और मानवीय सहायता पूरी तरह ठप होने का ख़तरा पैदा हो गया है और इसीलिए उन्होंने यूएन के आर्टिकल 99 का इस्तेमाल किया.
उन्होंने मिस्र में सामूहिक पलायन के ख़तरे के प्रति अगाह किया और कहा कि ग़ज़ा युद्ध अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और शांति के लिए भी ख़तरा बन गया है.
गुटेरेस ने कहा, “ग़ज़ा में संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों की सुरक्षा को अभूतपूर्व ख़तरा है. हमारे 130 कर्मचारी पहले ही मारे जा चुके हैं, जिनमें कई तो अपने पूरे परिवार के साथ मारे गए.”
उनहोंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में किसी एक संघर्ष के दौरान कभी इतने कर्मचारी नहीं मारे गए.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि हमास के हमले के लिए फ़लस्तीनी लोगों के ऊपर सामूहिक सज़ा थोपने को कभी भी सही नहीं ठहराया जा सकता.
उन्होंने कहा कि बिना सुरक्षा के लोगों को यहां से वहां जाने को कहा जा रहा है जबकि ग़ज़ा में कोई ऐसी जगह नहीं है जो सुरक्षित हो.
यूएन आर्टिकिल 99 लागू किए जाने को अभूतपूर्व माना जा रहा है क्योंकि पिछले कुछ दशकों में किसी भी संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इस अधिकार का इस्तेमाल नहीं किया था.
ग़ज़ा युद्ध में अब तक का अपडेट
- अमेरिका ने ग़ज़ा युद्ध में इसराइल के तौर तरीकों की आलोचना की है. अमेरिका ने इस बात की भी शिकायत की है कि आम लोगों की सुरक्षा के लिए इसराइल ने जो वादे किए थे और ग़ज़ा में ज़मीन पर जो कुछ हो रहा है, उसमें काफी अंतर है.
- इसराइल के पूर्व सैन्य प्रमुख गाडी आइसेनकोट के बेटे की ग़ज़ा में ज़मीनी अभियान के दौरान मौत हो गई. गाडी आइसेनकोट इस समय इसराइल की वॉर कैबिनेट में मंत्री हैं.
- सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है जिसमें इसराइल द्वारा हिरासत में लिए गए दर्जनों फ़लस्तीनी पुरुष दिख रहे हैं. बीबीसी ने इस वीडियो फ़ुटेज को सत्यापित किया है, इसमें हिरासत में लिए गए फ़लस्तीनी निर्वस्त्र और कई सिर्फ अंडरवियर में दिख रहे हैं.
- ग़ज़ा में रहने वाले फ़लस्तीनी लेखक और साहित्यकार रेफ़ात अलारीर की इसराइली हवाई हमले में मौत हो गयी है. उनकी मौत के बाद फ़लस्तीनियों और दुनिया भर में उनके प्रशंसकों के बीच शोक फैल गया है.
- इसराइली सेना ने दावा किया है कि उत्तरी ग़ज़ा पट्टी में ज़मीनी अभियान के दौरान अल-अज़हर यूनिवर्सिटी में हमास के एक ठिकाने को ध्वस्त किया गया है. छापेमारी के दौरान यूनिवर्सिटी परिसर से एक किलोमीटर दूर स्कूल तक सुरंग का पता चला है. सेना ने दावा किया कि उसे वहां विस्फोटक उकपण, रॉकेट पार्ट्स, कैमरे और रेडियो बरामद किए गए हैं. (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान ने संत शदाराम साहिब की 315वीं जयंती समारोह में हिस्सा लेने के लिए 104 भारतीयों को वीज़ा जारी किया है.
संत शदावाम साहिब को शिव अवतारी सतगुरु कहा जाता है. उनका डेरा पाकिस्तान के सिंध प्रांत के घोटकी में मौजूद है.
नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग ने 12-23 दिसंबर तक सिंध में शदाणी दरबार हयात पिताफी (घोटकी) में होने वाले समारोह के लिए ये वीज़ा जारी किए हैं.
हर साल भारत के तीर्थयात्रियों का जत्था सिंध प्रांत के इस शदाणी दरबार हयात में दर्शन करने जाता है.
साल 2021 में 133 तीर्थयात्रियों को वीज़ा दिया गया था.
शदाणी दरबार की स्थापना 1786 में शदाराम साहिब ने की थी. (bbc.com/hindi)
इसराइल के पूर्व सैन्य प्रमुख गाडी आइसेनकोट के बेटे की ग़ज़ा में ज़मीनी अभियान के दौरान मौत हो गई.
गाडी आइसेनकोट इस समय इसराइल की वॉर कैबिनेट में मंत्री हैं.
इसराइली सेना ने कहा कि 25 साल के मेजर गाल आइसेनकोट की गुरुवार को उत्तरी ग़ज़ा में मौत हो गई.
एक सुरंग में हुए विस्फ़ोट के कारण वो बुरी तरह घायल हो गए थे और बाद में अस्पताल में उनकी मौत हो गई.
शुक्रवार को इसराइली शहर हेर्जलिया में मेजर गाल के अंतिम संस्कार में इसराइली पीएम बिन्यामिन नेतन्याहू और नेशनल यूनिटी पार्टी के नेता बेन्नी गैंट्ज़ के अलावा अन्य कई लोग शामिल हुए. (bbc.com/hindi)
अमेरिका ने ग़ज़ा में तत्काल युद्धविराम के प्रस्ताव पर वीटो कर दिया है.
अमेरिका इस प्रस्ताव के ख़िलाफ़ मतदान करने वाला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एकमात्र स्थायी सदस्य है. हालांकि ब्रिटेन मतदान के दौरान अनुपस्थित रहा. वहीं फ्रांस ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया.
अमेरिका के वीटो लगाने के साथ ही यह प्रस्ताव विफल हो गया है.
अमेरिका ने इस प्रस्ताव के पीछे की प्रक्रिया को 'जल्दबाज़ी' बताते हुए कहा है कि इसके लिए 'उचित सलाह' नहीं ली गई.
अमेरिका के अनुसार, इसमें इसराइल पर हमास द्वारा 7 अक्टूबर को किए गए हमले की निंदा नहीं की गई.
उसके प्रतिनिधि ने सुरक्षा परिषद से कहा, "7 अक्टूबर को हमास ने जो किया, उसे कोई भी देश बर्दाश्त नहीं कर सकता या बर्दाश्त नहीं करना चाहिए."
अमेरिका ने यह भी कहा है कि प्रस्ताव का सबसे अवास्तविक हिस्सा 'बिना शर्त युद्धविराम' करने की अपील है.
अमेरिका के अनुसार, "ऐसा करने से 'हमास फिर से अपनी जगह खड़ा हो जाएगा और फिर से वही दोहराने में सक्षम हो जाएगा जो उसने 7 अक्टूबर को किया था."
अमेरिका के प्रतिनिधि ने कहा, "दुर्भाग्य से, हमारी लगभग सभी सिफ़ारिशें नजरअंदाज कर दी गई. इस जल्दबाज़ी का परिणाम एक असंतुलित समाधान रहा, जो वास्तविकता से अलग है." (bbc.com/hindi)
जॉर्जटाउन, 8 दिसंबर (एपी)। गयाना सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि वेनेजुएला की सीमा के पास दुर्घटनाग्रस्त हुए एक हेलीकॉप्टर में सवार पांच सैन्य अधिकारियों की मौत हो गई है जबकि इस हादसे में दो अधिकारी बच गए हैं।
दक्षिण अमेरिकी देश गयाना का सैन्य हेलीकॉप्टर बुधवार को सैनिकों के नियमित निरीक्षण के लिए अधिकारियों को ले जाते समय खराब मौसम के दौरान वेनेजुएला सीमा से लगभग 30 मील (48 किलोमीटर) पूर्व में वन क्षेत्र में लापता हो गया था।
गयाना के राष्ट्रपति इरफान अली ने सोशल मीडिया पर एक बयान पोस्ट कर कहा, ‘‘ हमारे कुछ बेहतरीन सैनिकों की दुखद मौत से मेरे हृदय को काफी पीड़ा हो रही है।’’
गयाना के प्रधानमंत्री मार्क फिलिप्स ने कहा कि अधिकारी अभी भी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने का कारण क्या है।
वाशिंगटन, 8 दिसंबर भारत और अमेरिका को रणनीतिक साझेदार बताते हुए व्हाइट हाउस ने गुरुवार को दोहराया कि वह चाहता है कि उसकी धरती पर एक सिख अलगाववादी की हत्या की साजिश की पूरी जांच हो और इसके पीछे के लोगों को "उचित रूप से जवाबदेह" ठहराया जाए।
व्हाइट हाउस में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में रणनीतिक संचार के समन्वयक जॉन किर्बी ने गुरुवार को कहा, "भारत एक रणनीतिक साझेदार है। हम उस रणनीतिक साझेदारी को गहरा कर रहे हैं। वे प्रशांत क्षेत्र में क्वाड के सदस्य हैं और हम सुरक्षा से संबंधित कई मुद्दों पर उनके साथ भाग लेते हैं और हम यह देखना चाहते हैं कि यह निर्बाध रूप से जारी रहे।"
किर्बी ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा, "साथ ही हम निश्चित रूप से इन आरोपों की गंभीरता को पहचानते हैं और जैसा कि मैंने पहले कहा था, हम चाहते हैं कि इसकी पूरी जांच हो और जिम्मेदार लोगों को उचित रूप से जवाबदेह ठहराया जाए।"
वह भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों पर आरोपों के प्रभाव और 2024 में राष्ट्रपति जो बाइडेन की भारत यात्रा पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
खालिस्तान नेता गुरपतवंत सिंह पन्नुन की हत्या की साजिश रचने में भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता को दोषी ठहराए जाने से कथित तौर पर अगले साल गणतंत्र दिवस पर अमेरिकी राष्ट्रपति की उपस्थिति के कार्यों में बाधा उत्पन्न हुई है।
किर्बी ने कहा कि उनके पास इस समय घोषणा करने के लिए कोई यात्रा नहीं है।
राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें खुशी है कि उनके भारतीय समकक्ष पन्नुन मुद्दे को गंभीरता से ले रहे हैं।
उन्होंने समाचार ब्रीफिंग में कहा, "यह (मामला) सक्रिय जांच के अधीन है। हमने कहा है कि हमें खुशी है कि हमारे भारतीय समकक्ष इसे गंभीरता से ले रहे हैं। हम चाहते हैं कि इन हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को पूरी तरह से जवाबदेह ठहराया जाए, लेकिन मैं इससे आगे नहीं कहूँगा। जांच पूरी नहीं हुई है।"
यह टिप्पणी तब आई जब अमेरिका के प्रधान उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जोनाथन फाइनर ने इस सप्ताह भारत का दौरा किया, जिसके दौरान उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश सचिव विनय क्वात्रा से बातचीत की।
आरोपों की पृष्ठभूमि में एफबीआई निदेशक क्रिस्टोफर रे अगले सप्ताह भारत का दौरा करने वाले हैं।
जब रे की भारत की योजनाबद्ध यात्रा के बारे में पूछा गया, तो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि यह यात्रा साइबर सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी और मादक द्रव्यों के खिलाफ समग्र द्विपक्षीय सहयोग के हिस्से के रूप में चल रही है।
अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने पिछले महीने गुप्ता पर न्यूयॉर्क में पन्नुन की कथित हत्या के लिए भारत से एक साजिश "योजना बनाने और निर्देशित करने" का आरोप लगाया था।
आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए, भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह "चिंता का विषय" है और "भारत सरकार की नीति के विपरीत" है।
भारत ने मामले के सभी प्रासंगिक पहलुओं पर गौर करने के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया और कहा कि वह समिति के निष्कर्षों के आधार पर आवश्यक कार्रवाई करेगा। (आईएएनएस)
मेलबर्न, 8 दिसंबर । ऑस्ट्रेलिया के एक भारतीय मूल के प्रोफेसर को स्थलीय जीवन की समझ और वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए सूक्ष्म जीव विज्ञान का उपयोग करने के लिए 2023 के डोरोथी जोन्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी में हॉक्सबरी इंस्टीट्यूट फॉर द एनवायरनमेंट के माइक्रोबियल फंक्शनल इकोलॉजी के क्षेत्र में वैश्विक विशेषज्ञ ब्रजेश सिंह को पिछले महीने लंदन में ब्रिटिश मेडिकल एसोसिएशन (बीएमए) हाउस में पुरस्कार प्रदान किया गया था।
सिंह का मौलिक शोध पर्यावरणीय गिरावट और खाद्य असुरक्षा सहित वैश्विक चुनौतियों का समाधान प्रदान करता है।
इसके लिए उन्होंने मिट्टी की विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र कार्यों के बीच मात्रात्मक संबंधों की पहचान करके और यह पता लगाया कि ये प्राकृतिक और मानवजनित दबावों से कैसे प्रभावित होते हैं।
पश्चिमी सिडनी विश्वविद्यालय की विज्ञप्ति के अनुसार, उनके शोध के निष्कर्षों ने, मिट्टी के सूक्ष्मजीव और जीव-जंतुओं की मिट्टी की जैव विविधता और प्रमुख पारिस्थितिकी तंत्र कार्यों और सेवाओं के बीच कारण संबंध की पहचान करते हुए पारिस्थितिकी तंत्र विज्ञान के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को उन्नत किया है।
शोध के निष्कर्षों ने क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर कई नीतिगत निर्णयों की भी जानकारी दी है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, और भारत तथा यूरोपीय संघ दोनों के बीच कृषि व्यवसाय और व्यापार में द्विपक्षीय जुड़ाव के लिए प्रमुख सिफारिशें प्रदान करना शामिल है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि उन्होंने मौजूदा माइक्रोबियल उत्पादों की प्रभावकारिता को बढ़ावा देने के लिए नवाचार विकसित किए हैं और ऑस्ट्रेलिया तथा दुनिया भर के उद्योगों के लिए मिट्टी और पौधों के माइक्रोबायोम में हेरफेर करने के लिए नए उपकरण प्रदान किए हैं।
सिंह वर्तमान में किसानों, सलाहकारों और नीति सलाहकारों को टिकाऊ कृषि और सतत विकास लक्ष्यों में प्रशिक्षित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) सहित कई सरकारी और अंतर-सरकारी निकायों के साथ काम कर रहे हैं।
इसके अलावा, वह कृषि प्रणालियों के लचीलेपन को बढ़ावा देने और विश्व स्तर पर पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ खाद्य सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र एफएओ की वैश्विक मृदा साझेदारी के साथ काम करते हैं।
ऑस्ट्रेलिया में स्थानांतरित होने से पहले स्कॉटलैंड में अपने ज्ञान को निखारने में 10 साल बिताने के बाद, सिंह जैव-अर्थव्यवस्था में उत्पादकता बढ़ाने पर यूरोपीय आयोग को भी सलाह दे रहे हैं।
वह ऑस्ट्रेलियाई विज्ञान अकादमी; ऑस्ट्रेलिया की मृदा विज्ञान सोसायटी; अमेरिका की मृदा विज्ञान सोसायटी और अमेरिकन एकेडमी ऑफ माइक्रोबायोलॉजी के फेलो हैं, और हम्बोल्ट रिसर्च पुरस्कार से सम्मानित हैं। (आईएएनएस)।
न्यूयॉर्क, 8 दिसंबर । अमेरिकी राज्य जॉर्जिया में 71 साल के एक भारतीय मोटल प्रबंधक को एक महिला की तस्करी करने के जुर्म में 57 महीने जेल की सजा सुनाई गई है।
भारतीय नागरिक और कानूनी तौर पर अमेरिका के स्थायी निवासी श्रीश तिवारी को 42,648 डॉलर का भुगतान करने का आदेश भी दिया गया है।
न्याय विभाग के नागरिक अधिकार प्रभाग के सहायक अटॉर्नी जनरल क्रिस्टन क्लार्क ने कहा, "मानव तस्करी कहीं भी हो सकती है। तस्कर कमजोरियों की पहचान करने में माहिर होते हैं। कमजोरी पहचान कर व्यक्ति को उम्मीद देते हैं और उनका फायदा उठाते हैं।"
क्लार्क ने कहा, "यह सजा और इस जघन्य श्रम तस्करी योजना से बचे लोगों के लिए सुरक्षित मुआवजा यह स्पष्ट करता है कि न्याय विभाग किसी भी व्यक्ति पर मुकदमा चलाने के लिए प्रतिबद्ध है, जो अपनी सत्ता की स्थिति का खुलेआम शोषण करता है।"
न्याय विभाग की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, श्रीश तिवारी ने 2020 में कार्टर्सविले में बजटेल मोटल का काम शुरू किया था
इसके तुरंत बाद, उसने पीड़िता को मोटल में नौकरानी के रूप में काम पर रख लिया और उसे एक कमरा दिया, जिसमें वह रह सकती थी।
तिवारी को पता था कि पीड़िता पहले ही बेघर हो चुकी है। वह नशे की लत से जूझ रही थी और अपने छोटे बच्चे की कस्टडी खो चुकी थी।
उसने पीड़िता से वादा किया कि वह उसे वेतन, एक अपार्टमेंट और एक वकील प्रदान कर उसके बच्चे की कस्टडी वापस पाने में मदद करेगा।
लेकिन अपने वादों पर अमल करने के बजाय, तिवारी ने मोटल के मेहमानों और कर्मचारियों के साथ पीड़िता की बातचीत पर नजर रखी और उसे उनसे बात करने से मना किया।
उसने पीड़िता का अपने घरवालों से बात करना बंद करवा दिया, इसके लिए उसे बरगलाया कि उसके घरवाले उसकी परवाह नहीं करते हैं और पीड़िता को कई यौन प्रस्ताव भी दिए।
दस्तावेजों में कहा गया है कि जब तिवारी को पीड़िता पर गुस्सा आया, तो उसने उसे मोटल में कमरे से निकालने की धमकी दी, यह जानते हुए कि वह बेघर हो जाएगी।
इसके अलावा, जब भी वह पीड़िता पर गुस्सा होता था, तो वह नशे के सेवन की जानकारी कानून प्रवर्तन या बाल कल्याण एजेंसियों को देने की भी धमकी देता था।
तिवारी ने एक दिन उसे रात में मोटल के कमरे से बाहर निकालकर अंदर से बंद कर लिया था और कहा कि अगर उसे रहना है तो शारीरिक संबंध बनाने होंगे, और ऐसा न करने पर उसे संपत्ति से हटाने की धमकी दी।
होमलैंड सिक्योरिटी इन्वेस्टिगेशंस (एचएसआई) अटलांटा के कार्यवाहक स्पेशल एजेंट इन चार्ज ट्रैविस पिकार्ड ने कहा, "तिवारी ने पीड़िता के बेघर होने के डर का इस्तेमाल कर उसके साथ गलत व्यवहार किया।"
पिकार्ड ने कहा कि कानून प्रवर्तन यह सुनिश्चित करने के अपने प्रयासों को जारी रखेगा कि तिवारी जैसे "अपराधियों" को उनकी हरकतों के लिए जवाबदेह ठहराया जाए।
(आईएएनएस)।
डेनमार्क की संसद ने धार्मिक ग्रंथों के साथ "अनुचित व्यवहार" करने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाते हुए संसद में विधेयक पारित किया है. इस विधेयक को आम तौर पर क़ुरान क़ानून के रूप में जाना जाता है.
बीते कुछ वक्त से डेनमार्क में कुरान की प्रतियां जलाने के मामले सामने आए और डेनमार्क को कई मुस्लिम देशों की नाराज़गी का सामना करना पड़ा था. इस तरह के वाकये को रोकने के लिए ही ये कानून लाया गया है.
संसद में इस कानून के समर्थन में 94 वोट पड़े और 77 वोट इसके खिलाफ़ पड़े.
अब अगर कोई डेनमार्क में क़ुरान जलाएगा तो उसे जुर्माना या दो साल तक की जेल की सज़ा हो सकती है.
डेनमार्क की 179 सदस्यों वाली संसद, फोलेटिंग में गुरुवार को जबरदस्त बहस हुई और कई विपक्षी सांसदों ने इस विधेयक का विरोध किया.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार डेनमार्क डेमोक्रेट्स के नेता इंगर स्टोजबर्ग ने कहा, "इतिहास इसके लिए हमारा कठोरता से मूल्यांकन करेगा. हमें ये समझना होगा कि क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हम खुद तय करेंगे, या इसे बाहर से तय किया जाएगा."
लेकिन देश की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन की दक्षिणपंथी गठबंधन सरकार ने इस दलील पर तर्क दिया कि धर्म की आलोचना करने का क़ानूनी परिणाम होगा. हालांकि कानून में इसकी बहुत कठोर सज़ा नहीं होगी.
बीते कुछ महीनों में डेनमार्क और स्वीडन में कई विरोध प्रदर्शनों में क़ुरान की प्रतियां जलायी गई थीं. जिसे लेकर मुस्लिम देशों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. (bbc.com/hindi)