शुरुआत में इन केंद्रों में चीन और चीनी भाषी देशों के लोग भर्ती किए जाते थे, लेकिन अब ठगे गए या फंसे मजदूर 56 देशों से आते हैं. इनमें इंडोनेशिया से लेकर लाइबेरिया तक जैसे देश शामिल हैं.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार का लिखा-
शुरुआत अक्सर किसी अनजान नंबर से एक साधारण से संदेश से शुरू होता हैः "क्या आप वीकेंड पर खाली हैं?" या "पार्ट-टाइम नौकरी चाहिए?" या कभी सिर्फ एक "हैलो".
दुनिया के किसी कोने में बैठा एक ‘मजदूर‘ दिन के 12 से 16 घंटे तक लगातार ऐसे ही संदेश भेजता है, इस उम्मीद में कि कोई जवाब देगा. और फिर शुरू होता है ठगी का सिलसिला. भारत में जानेमाने उद्योगपति और ओसवाल ग्रुप के प्रमुख से सात करोड़ रुपये की ठगी हो चुकी है.
दुनियाभर में लोगों से ऐसे ऑनलाइन घोटालों के जरिए दसियों अरब डॉलर की ठगी की जा चुकी है. इन योजनाओं को चलाने के लिए लाखों लोगों को जबरन मज़दूरी में झोंका गया है. दक्षिण-पूर्व एशिया में फैले विशाल परिसरों में यह उद्योग फल-फूल रहा है, जहां इन्हें चलाने वाले गिरोह इन मजदूरों को अमानवीय परिस्थितियों में रखते हैं.
म्यांमार में कार्रवाई और केके पार्क की कहानी
पिछले महीने म्यांमार की सेना ने देश-थाईलैंड सीमा पर स्थित सबसे प्रसिद्ध ठगी केंद्र ‘केके पार्क' पर छापा मारा और उसके बंद होने की घोषणा की. हालांकि नागरिक संगठनों का कहना है कि उस परिसर के कुछ हिस्से अब भी सक्रिय हैं.
इस छापे के बाद लगभग 1,500 मजदूर थाईलैंड की सीमा पार कर वहां पहुंचे. इनमें सैकड़ों भारतीयों के अलावा चीनी, फिलीपीनो, वियतनामी, इथियोपियाई और केन्याई नागरिक शामिल थे. थाई सेना ने बाद में परिसर के कई ढांचों को ध्वस्त कर दिया.
थाईलैंड अब भारत और अन्य देशों के साथ मिलकर अपने नागरिकों को वापस भेजने का प्रयास कर रहा है. गुरुवार को भारतीय वायुसेना के विमानों से सबसे बड़ा समूह स्वदेश लौटा, जबकि और लोगों की वापसी अगले हफ्ते तय है. हालांकि केके पार्क ऐसा केवल एक केंद्र था. ऐसे सैकड़ों स्कैम सेंटर थाई-म्यांमार सीमा और पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया में फैली हुई हैं.
जुए के अड्डों से निकला ठगी का नेटवर्क
ये स्कैम सेंटर आमतौर पर ग्रामीण इलाकों में बनाए जाते हैं. विशाल परिसरों में कर्मचारियों के रहने, खरीदारी और मनोरंजन की सुविधाएं होती हैं. डेवलपर एक बड़ी इमारत बनाते हैं और फिर उसे विभिन्न "कंपनियों" को किराए पर दे देते हैं.
अक्सर इन्हें स्थानीय प्रभावशाली लोगों का संरक्षण प्राप्त होता है. कई बार छोटे पैमाने पर ठगी गिरोह किसी वैध ऑफिस बिल्डिंग की एक मंजिल या किसी किराए के घर से ही काम करते हैं.
इन ठगी केंद्रों की जड़ें ऑनलाइन और वास्तविक कैसिनो से जुड़ी हैं. संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय के अनुसार, वर्ष 2021 तक दक्षिण-पूर्व एशिया में 340 से अधिक लाइसेंस प्राप्त और अवैध कैसिनो सक्रिय थे.
जब कोविड-19 महामारी के दौरान यात्रा प्रतिबंधों के कारण जुआ कारोबार ठप हो गया, तो कई ऑनलाइन कैसिनो ने अपना मॉडल बदल लिया. उन्होंने दुनियाभर में लोगों को निशाना बनाते हुए डिजिटल ठगी शुरू कर दी.