अंतरराष्ट्रीय
न्यू यॉर्क, 25 जून | हमारे सौर मंडल में पांच प्रमुख ग्रह-बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि, दुर्लभ ग्रहों की युति के लिए एक पंक्ति में हैं, जो नग्न आंखों को दिखाई देते हैं। एक स्पष्ट आकाश में ग्रहों को भोर से पहले चमकते देखा जा सकता है। बीबीसी ने शुक्रवार को बताया कि यह बुध को देखने का एक विशेष अवसर है, जो आमतौर पर सूर्य की तेज रोशनी से नजर नहीं आता है।
ग्रहों का संगम शुक्रवार की सुबह सबसे चमकीला था, लेकिन दुनिया के अधिकांश हिस्सों से सोमवार तक दिखाई देगा।
रिपोर्ट में कहा गया है, पिछली बार यह संयोजन 2004 में हुआ था और इसे 2040 तक फिर से नहीं देखा जाएगा।
सोसाइटी फॉर पॉपुलर एस्ट्रोनॉमी प्रो लूसी ग्रीन के अंतरिक्ष वैज्ञानिक और मुख्य स्टारगेजर बताते हैं कि ग्रह 'क्षितिज के करीब से फैले मोतियों की एक स्ट्रिंग की तरह' दिखाई देते हैं।
यह एक विशेष घटना भी है, क्योंकि ग्रह सूर्य से जिस क्रम में स्थित होते हैं, उसी क्रम में प्रकट होते हैं।
प्रो ग्रीन का कहना है कि पृथ्वी से सौर मंडल को देखने के हमारे दृष्टिकोण के कारण ग्रहों के संगम के लिए हमेशा ऐसा नहीं होता है।
शुक्रवार को एक अर्धचंद्र भी कतार में शामिल हो गया, जो शुक्र और मंगल के बीच दिखाई दे रहा है। (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 25 जून | अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने निर्धारित किया है कि उसका स्पेस लॉन्च सिस्टम (एसएलएस) मेगारॉकेट आर्टेमिस 1 उड़ान परीक्षण के लिए तैयार है। नासा ने शुक्रवार देर रात एक बयान में कहा कि एजेंसी अब एसएलएस और ओरियन को अगले सप्ताह कैनेडी में व्हीकल असेंबली बिल्डिंग (वीएबी) में लॉन्च करने के लिए रॉकेट और अंतरिक्ष यान तैयार करेगी।
आर्टेमिस 1 नासा के डीप स्पेस एक्सप्लोरेशन सिस्टम- ओरियन स्पेसक्राफ्ट, एसएलएस रॉकेट और सपोर्टिग ग्राउंड सिस्टम का पहला एकीकृत परीक्षण होगा।
तेजी से जटिल मिशनों की श्रृंखला में पहले के रूप में, आर्टेमिस 1 मंगल पर मानव मिशन की तैयारी में चंद्रमा पर लंबी अवधि की खोज का मार्ग प्रशस्त करेगा।
नासा मुख्यालय में कॉमन एक्सप्लोरेशन सिस्टम के डिप्टी एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर टॉम व्हिटमेयर ने कहा, "हमने रिहर्सल चरण पूरा कर लिया है और हमने जो कुछ भी सीखा है, वह लक्ष्य लॉन्च विंडो के दौरान उठाने की हमारी क्षमता में सुधार करने में मदद करेगा।"
उन्होंने कहा, "टीम अब अगला कदम उठाने और लॉन्च की तैयारी के लिए तैयार है।"
कैनेडी के आर्टेमिस लॉन्च डायरेक्टर चार्ली ब्लैकवेल-थॉम्पसन ने कहा, "हमारी आर्टेमिस लॉन्च टीम ने प्रणोदक लोडिंग ऑपरेशन की गतिशीलता को अनुकूलित करने के लिए तेजी से काम किया है। प्रत्येक मील का पत्थर और प्रत्येक परीक्षण के साथ, हम लॉन्च के एक कदम दूर हैं।"
आर्टेमिस 1 को पहले मई 2022 के अंत में लॉन्च किया जाना था। हालांकि, इसके वेट ड्रेस रिहर्सल में कई देरी के कारण, मेगा मून रॉकेट को और आगे बढ़ाया गया है।
नासा ने पहले संकेत दिया था कि अंतिम परीक्षण की सफलता अगस्त में इसके पहले प्रक्षेपण के लिए मंच तैयार कर सकती है।
आर्टेमिस मिशन के साथ, नासा चंद्रमा पर पहली महिला और रंग के पहले व्यक्ति को उतारेगा और मंगल पर मिशन की तैयारी में दीर्घकालिक अन्वेषण स्थापित करेगा। (आईएएनएस)
रबात, 25 जून। स्पेन में घुसने की कोशिश के दौरान देश के उत्तर अफ्रीकी एन्क्लेव मेलिला से सटी मोरक्को की सीमा पर शुक्रवार को बाड़ के पास मची भगदड़ में कम से कम 18 अफ्रीकी प्रवासियों की मौत हो गई, जबकि दर्जनों पुलिसकर्मियों समेत कई अन्य घायल हो गए। मोरक्को के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि कुल 133 प्रवासी शुक्रवार को मोरक्को के नाडोर शहर और मेलिला के बीच की सीमा को पार करने में सफल रहे। पिछले महीने स्पेन और मोरक्को के बीच राजनयिक संबंधों में सुधार के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लोगों के सीमा पार करने की घटना सामने आई है।
मेलिला में स्पेन सरकार के कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा कि लगभग 2,000 लोगों ने सीमा पार करने का प्रयास किया, लेकिन कई को स्पेनिश सिविल गार्ड पुलिस और मोरक्को के सुरक्षाबलों ने बाड़ के दोनों ओर रोक दिया।
मोरक्को के गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि लोहे की बाड़ पर चढ़ने की कोशिश के दौरान भगदड़ मच गई, जिससे पांच प्रवासियों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, जबकि लगभग 76 प्रवासी और मोरक्को के 140 सुरक्षा अधिकारी घायल हो गए।
मोरक्को की आधिकारिक समाचार एजेंसी एमएपी ने स्थानीय अधिकारियों के हवाले से बताया कि घायल प्रवासियों में से 13 की बाद में अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई, जिससे मरने वालों की संख्या बढ़कर 18 हो पर पहुंच गई। हालांकि, मोरक्को के मानवाधिकार संघ ने घटना में 27 लोगों की मौत होने का दावा किया है।
वहीं, स्पेन के अधिकारियों ने कहा कि 49 सिविल गार्ड्स को मामूली चोटें आई हैं। उन्होंने बताया कि कुछ प्रवासियों ने पत्थर फेंके, जिससे पुलिस के चार वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।
अधिकारियों के अनुसार, जो लोग सीमा पार करने में सफल रहे, वे एक स्थानीय प्रवासी केंद्र पहुंचे, जहां प्राधिकारी उनकी परिस्थितियों का मूल्यांकन करने में जुटे हैं।
गरीबी और हिंसा की वजह से अफ्रीका से पलायन करने वाले लोग कभी-कभी यूरोप में घुसने के लिए बड़े पैमाने पर उत्तरी अफ्रीकी तट, मेलिला और स्पेन के अन्य क्षेत्रों तक पहुंचने का प्रयास करते हैं।
प्रवासियों को सीमा से दूर रखने के लिए स्पेन ज्यादातर मोरक्को पर निर्भर रहा है।
स्पेन के अधिकारियों के मुताबिक, मार्च की शुरुआत में दो दिनों में 3,500 से अधिक लोगों ने मेलिला में लगे छह मीटर ऊंचे अवरोधक को पार करने की कोशिश की थी और लगभग 1,000 इसे पार करने में सफल भी रहे थे।
मार्च में स्पेन और मोरक्को के बीच संबंधों में सुधार के बाद शुक्रवार को प्रवासियों द्वारा सीमा लांघने का यह पहला प्रयास था। (एपी)
गर्भपात को महिला के हक़ बनाने की मांग करने वाले संगठन कोर्ट के इस फ़ैसले से नाराज़ हैं. उनका कहना है कि महिला के शरीर से जुड़ा फ़ैसला सरकार का नहीं हो सकता.
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फ़ैसले में गर्भपात को क़ानूनी तौर पर मंज़ूरी देने वाले पांच दशक पुराने फ़ैसले को पलट दिया है. माना जा रहा है कि इसके बाद अब महिलाओं के लिए गर्भपात का हक क़ानूनी नहीं रहेगा और इसे लेकर राज्य अपने-अपने अलग नियम बना सकते हैं.
कोर्ट ने पचास साल पुराने रो बनाम वेड मामले में आए फ़ैसले को पलट दिया है जिसके ज़रिए गर्भपात कराने को क़ानूनी करार दिया गया था और कहा गया था कि संविधान गर्भवती महिला को गर्भपात से जुड़ा फ़ैसला लेने का हक़ देता है.
अबॉर्शन के क़ानूनी हक़ के मामले में भारत क्या अमेरिका से बेहतर है
कुछ सप्ताह पहले इस मामले के फ़ैसले से जुड़ा एक दस्तावेज़ लीक हुआ था जिसके बाद ये चर्चा शुरू हो गई ती कि कोर्ट इसके हक में फ़ैसला दे सकती है.
जानकार कहते हैं कि कोर्ट का ये फ़ैसला अमेरिका में गर्भपात के हक़ को बदल देगा क्योंकि इसके बाद हर राज्य अब इसे लेकर अपने नियम बना सकेगा.
माना जा रहा है कि इसके बाद आधे से अधिक अमेरिकी राज्य गर्भपात क़ानून को लेकर नए प्रतिबंध लागू कर सकते हैं.
13 राज्य पहले ही ऐसे क़ानून पारित कर चुके हैं जो गर्भपात को ग़ैरक़ानूनी करार देते हैं, ये क़ानून सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद स्वत: लागू हो जाएंगे. उम्मीद की जा रही है कि कुछ और राज्य भी जल्द इससे जुड़े प्रतिबंध लागू कर सकते हैं.
क्या है रो हनाम वेड मामला?
- 1971 में गर्भपात कराने में नाकाम रही एक महिला की तरफ़ से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई. इसे रो बनाम वेड मामला कहा गया.
- इसमें गर्भपात की सुविधाओं तक आसान पहुंच की गुहार लगाई गई और कहा गया कि गर्भधारण और गर्भपात के मामले में फ़ैसला महिला का होना चाहिए न कि सरकार का.
- दो साल बाद 1973 में कोर्ट ने फ़ैसला दिया. गर्भपात को क़ानूनी करार दिया और कहा गया कि संविधान गर्भवती महिला को गर्भपात से जुड़ा फ़ैसला लेने का हक़ देता है.
- इसके बाद अस्पतालों के लिए महिलाओं को गर्भपात की सुविधा देना बाध्यकारी हो गया.
- फ़ैसले ने अमेरिकी महिला को गर्भधारण के पहले तीन महीनों में गर्भपात कराने का क़ानूनी हक़ दिया. हालांकि दूसरे ट्राइमेस्टर यानी चौथे से लेकर छठे महीने में गर्भपात को लेकर पाबंदियां लगाई गईं.
- लेकिन इसके बाद मामले ने तूल पकड़ा. धार्मिक समूहों के लिए ये बड़ा मुद्दा था क्योंकि उनका मानना था कि भ्रूण को जीवन का हक़ है.
- इस मुद्दे पर डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी के विचार अलग-अलग थे. 1980 तक ये मुद्दा ध्रुवीकरण का कारण बनने लगा.
- इसके बाद के दशक में कई राज्यों में गर्भपात पर पाबंदियां लगाने वाले नियम लागू किए, जबकि कईयों ने महिलाओं को ये हक़ देना जारी रखा.
- सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद जानकार मानते हैं कि देश अब साफ़ तौर पर गर्भपात की इजाज़त देने वाले और इसे बैन करने वाले राज्यों में बंटा दिखेगा.
- महिलाओें के स्वास्थ्य से जुड़ी संस्था प्लान्ड पेरेन्टहुड के एक शोध के अनुसार इसके बाद अनुमानित 3.6 करोड़ महिलाओं के लिए गर्भपात की सुविधाओं तक पहुंच बाधित हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट डॉब्स बनाम जैकसन महिला स्वास्थ्य संगठन मामले में सुनवाई कर रही थी, जिसमें 15 सप्ताह से अधिक की उम्र के भ्रूण के गर्भपात को लेकर लगाई पाबंदी को चुनौती दी गई थी.
इस मामले में कोर्ट ने 06-03 वोट से राज्य सरकार के हक़ में फ़ैसला दिया था और एक तरह से गर्भपात को लेकर महिलाओं को मिले संवैधानिक हक़ को ख़त्म कर दिया.
कोर्ट के आदेश में एक जगह पर लिखा है, "हम मानते हैं कि गर्भपात कराने का हक़ संविधान प्रदत्त नहीं है... और गर्भपात के नियमन को लेकर फ़ैसला लोगों और उनके चुने हुए प्रतिनिधियों के हाथों में होना चाहिए."
ये सुप्रीम कोर्ट के खुद के ही दिए पुराने फ़ैसले के विपरीत है और अभूतपूर्व है. माना जा रहा है कि इसके बाद अलग-अलग राज्यों के बीच राजनीतिक संघर्ष एक अलग स्तर तक पहुंच सकता है और पूरा देश इस मामले में विभाजित दिख सकता है.
पेन्सिल्वेनिया, मिशिगन और विस्कॉनसिन जैसे राज्यों में गर्भपात के मुद्दे पर लोगों की राय बेहद कम मार्जिन से बंटी हुई है, और यहां ये क़ानूनी हक होगा या नहीं ये फ़ैसला हर चुनाव के बाद बदल सकता है.
वहीं दूसरे राज्यों में इसे लेकर नए मुद्दों पर क़ानूनी जंग छिड़ सकती है जैसे गर्भपात के लिए नागरिक राज्य से बाहर जा कर सुविधाएं ले सकते हैं या नहीं, क्या गर्भपात के लिए मेल से दवा मंगाई जा सकती है.
कैलिफोर्निया, न्यू मेक्सिको और मिशिगन जैसे राज्यों के डेमोक्रेटिक गवर्नर पहले ही रो बनाम वेड मामले के पलटने की सूरत में अपने राज्य के संविधानों के भीतर गर्भपात का हक़ सुनिश्चित करने की योजना की घोषणा कर चुके हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने गुरुवार को कई राज्यों के डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरलों से मुलाक़ात की है और गर्भपात के हक के पक्ष में बात की. (bbc.com)
गायान (अफगानिस्तान), 24 जून। अफगानिस्तान पिछले हफ्ते आए भूकंप की तबाही से अभी उबरा भी नहीं था कि शुक्रवार को एक बार फिर उसी पूर्वी हिस्से में भूकंप का झटका महसूस किया गया, जिसमें कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई और 11 लोग घायल हो गए।
सरकारी समाचार एजेंसी बख्तर ने यह जानकारी दी और कहा कि यह कम तीव्रता का भूकंप था। एजेंसी ने बताया कि बुधवार तड़के इसी इलाके में 6 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें मरने वालों की संख्या बढकर करीब 1,150 हो गई है।
भूकंप का झटका भयानक गरीबी से जूझ रहे दूरदराज के एक पहाड़ी क्षेत्र में महसूस किया गया। भूकंप ऐेसे समय में आया है, जब पूरा देश आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा है। तालिबान के सत्ता में आने के बाद कई देशों ने महत्वपूर्ण वित्तपोषण और सहायता बंद कर दी। इससे स्थिति की गंभीरता बढ़ गई।
पाकिस्तान के मौसम विभाग ने शुक्रवार को 4.2 तीव्रता वाले भूकंप आने की सूचना दी, वहीं बख्तर समाचार एजेंसी ने बताया कि गायान जिले में भकंप में पांच और लोगों की मौत हो गई तथा 11 लोग घायल हो गए।
सरकारी मीडिया के अनुसार, पिछले हफ्ते आए भूकंप के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 1,150 हो गई है। ईंट और पत्थरों से बने घर भूकंप के कारण मलबे में तब्दील हो गए हैं और मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहे 3.8 करोड़ की आबादी वाले देश में लाखों बच्चों के गंभीर कुपोषण की चपेट में आने का खतरा है। बुधवार को आए छह तीव्रता वाले भूकंप ने हजारों लोगों का आसरा छीन लिया है। सरकारी मीडिया ने बताया कि पिछले दिनों आए भूकंप में करीब 3,000 मकान नष्ट हो गए या बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए।
स्थानीय ‘रेड क्रीसेंट’ और ‘वर्ल्ड फूड प्रोग्राम’ जैसे सहायता संगठन सबसे कमजोर परिवारों को भोजन और अन्य आपातकालीन जरूरतों मुहैया करा रहे हैं।
सरकारी समाचार एजेंसी बख्तर के तालिबान निदेशक अब्दुल वाहिद रायन ने शुक्रवार को कहा कि पिछली रिपोर्ट के अनुसार 1,000 लोग मारे गए थे और ताजा रिपोर्ट के अनुसार मृतकों की संख्या बढ़कर 1,150 हो गई है। उन्होंने कहा कि कम से कम 1,600 लोग घायल हुए हैं।
मानवीय कार्य के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने मरने वालों की संख्या 770 बताई है। गायान जिले में भूकंप से कम से कम 1,000 मकान क्षतिग्रस्त हो गए। खोस्त प्रांत के स्पेरा जिले में 800 मकानों को नुकसान पहुंचा है, हालांकि आधुनिक इमारतें छह तीव्रता वाले भूकंप का सामना करने में सक्षम रहीं।
जर्मनी, नॉर्वे और कई अन्य देशों ने घोषणा की कि वे भूकंप प्रभावितों के लिए सहायता भेज रहे हैं, लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वे केवल संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के माध्यम से काम करेंगे, तालिबान के साथ नहीं, जिसे अब तक किसी भी सरकार ने आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी है।
भोजन और अन्य आवश्यक सामग्री से भरे ट्रक पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान पहुंचे और मानवीय सहायता सामग्री से भरे विमान ईरान और कतर में उतरे। भारत ने कहा है कि उसकी सहायता सामग्री वहां मौजूद एक संयुक्त राष्ट्र एजेंसी और अफगान रेड क्रिसेंट सोसाइटी को सौंपी जाएगी। (एपी)
वाशिंगटन, 24 जून | रक्षा विभाग (डीओडी) ने शुक्रवार को घोषणा की है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मौजूदा रूसी आक्रमण के मद्देनजर यूक्रेन की महत्वपूर्ण हथियारों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए 450 मिलियन डॉलर तक की निकासी को अधिकृत किया है। विभाग ने एक बयान में कहा कि डीओडी शेयरों में यह 13वां प्रेसिडेंशियल ड्रॉडाउन है।
पेंटागन के कार्यवाहक प्रेस सचिव टॉड ब्रेसेले के हवाले से कहा गया, "अमेरिका ने बाइडेन प्रशासन की शुरुआत के बाद से यूक्रेन को सुरक्षा सहायता में लगभग 6.8 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है, जिसमें 24 फरवरी को रूस के अकारण आक्रमण की शुरुआत के बाद से लगभग 6.1 अरब डॉलर शामिल हैं।"
विभाग ने पुष्टि की है कि पैकेज में चार उच्च-गतिशीलता आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम, 105 मिमी गोला बारूद के 36,000 राउंड, 155 मिमी तोपखाने के लिए 18 सामरिक वाहन, 1,200 ग्रेनेड लांचर, 2,000 मशीनगन, 18 तटीय और नदी के किनारे गश्ती नौकाएं, स्पेयर पार्ट्स और अन्य उपकरण शामिल हैं।
अमेरिका ने अब बाइडेन प्रशासन की शुरुआत के बाद से यूक्रेन को सुरक्षा सहायता में लगभग 6.8 बिलियन डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है, जिसमें 24 फरवरी को रूस द्वारा युद्ध शुरू करने के बाद से लगभग 6.1 बिलियन डॉलर शामिल हैं।
डीओडी ने कहा कि अमेरिका ने 2014 से यूक्रेन को 8.7 अरब डॉलर से अधिक की सुरक्षा सहायता देने का वादा किया है। (आईएएनएस)
अरुल लुइस
न्यूयॉर्क, 23 जून | अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक आरती प्रभाकर को ऑफिस ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी पॉलिसी (ओएसटीपी) के डायरेक्टर के पद के लिए नामित किया गया है। इसकी जानकारी व्हाइट हाउस ने दी।
व्हाइट हाउस ने कहा कि उनका नामांकन बुधवार को सीनेट की मंजूरी के लिए भेजा गया है।
दरअसल, पद ग्रहण करने से पहले उन्हें सीनेट की मंजूरी की जरूरत होगी, जिसमें कुछ महीनों का वक्त लग सकता है। अगर सीनेट उन्हें मंजूरी देता है तो वह ओएसटीपी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला और अश्वेत होंगी।
व्हाइट हाउस ने एमआरएनए आधारित कोविड 19 वैक्सीन को महामारी से बहुत पहले संभव बनाने में मदद करने का श्रेय दिया।
व्हाइट हाउस ने कहा, आरती प्रभाकर ने 2012 से 2017 तक डिफेंस एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी (डीएआरपीए) के निदेशक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान रैपिड-रिस्पांस एमआरएनए वैक्सीन तैयार करने में मदद की, जो कोविड-19 के जवाब में विश्व इतिहास में सबसे तेज सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन थी।
बाइडेन ने कहा कि वह एक शानदार और सम्मानित इंजीनियर और अप्लाइड-फिजिस्ट हैं। वो हमारी संभावनाओं का विस्तार करने, हमारी सबसे मुश्किल चुनौतियों को हल करने और नामुमकिन को मुमकिन करने के लिए ओएसटीपी का नेतृत्व करेंगी।
अगर सीनेट द्वारा उन्हें मंजूरी मिल जाती है, तो वह अमेरिकी कैबिनेट में सेवा देने वाली तीसरी भारतीय-अमेरिकी होंगी।
पहली निक्की हेली थीं, जिन्हें पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2017 में कैबिनेट रैंक के साथ संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया था।
पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने प्रभाकर को 1993 में राष्ट्रीय मानक और प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईएसटी) का प्रमुख बनाया था। 34 साल की उम्र में एनआईएसटी का नेतृत्व करने वाली भी वह पहली महिला थीं।
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें डीएआरपीए का प्रमुख बनाया।
प्रभाकर ने सिलिकॉन वैली में एक कार्यकारी और एक उद्यम पूंजीपति के रूप में 15 वर्षो तक काम किया। (आईएएनएस)
ह्यूस्टन, 23 जून | टेक्सास के उवाल्डे में 24 मई को स्कूल में हुई गोलीबारी में 19 बच्चों और दो शिक्षकों की जान लेने का दावा करने वाले एक पुलिस प्रमुख को छुट्टी पर भेजा है। बीबीसी ने बताया, "बुधवार को एक बयान में स्कूल जिला अधीक्षक हैल हरेल ने कहा, उन्होंने स्कूल जिला पुलिस बल के प्रमुख प्रेडो अरेडरेडो को प्रशासनिक अवकाश पर तुरंत प्रभावी कर दिया था।"
उन्होंने कहा कि उन्होंने मूल रूप से कार्मिक निर्णय लेने से पहले जांच पूरी होने तक प्रतीक्षा करने की योजना बनाई थी।
18 वर्षीय बंदूकधारी सल्वाडोर रामोस का सामना करने में कानून प्रवर्तन में देरी के लिए स्कूल जिला पुलिस बल के प्रमुख अरेर्डोडो को दोषी ठहराया गया है।
रॉब एलीमेंट्री स्कूल में गोलीबारी के कुछ ही दिनों बाद, टेक्सास के सार्वजनिक सुरक्षा विभाग के निदेशक स्टीवन मैकक्रॉ ने दावा किया था कि स्थानीय पुलिस ने स्कूल की कक्षा को भंग करने के लिए लगभग एक घंटे तक प्रतीक्षा करके गलत निर्णय लिया, जहां रामोस ने बच्चों और शिक्षकों को गोली मारने से पहले गोली मार दी थी।
मैकक्रॉ के अनुसार, हमले के दौरान लगभग 20 अधिकारी कक्षा के बाहर खड़े थे।
मंगलवार को एक राज्य सीनेट की सुनवाई में मैकक्रॉ ने कहा कि अरेर्डोडो ने बच्चों के जीवन से पहले अधिकारियों के जीवन को रखने का फैसला किया और प्रतिक्रिया को घोर विफलता करार दिया।
2007 में वर्जीनिया टेक शूटिंग और 2012 में सैंडी हुक एलीमेंट्री स्कूल की शूटिंग और टेक्सास में सबसे घातक शूटिंग के बाद, यह अमेरिका में तीसरी सबसे घातक स्कूल में हमला किया गया था।
गन वायलेंस आर्काइव के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में वर्ष की शुरुआत से अब तक 267 सामूहिक गोलीबारी देखी गई है, जिसमें 20,000 से अधिक लोग हिंसा में मारे गए हैं। (आईएएनएस)
लंदन, 23 जून | ब्रिटेन में स्वास्थ्य अधिकारियों ने लंदन में सीवेज के नमूनों में पोलियो वायरस पाया है। यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (यूकेएचएसए) के अनुसार, लंदन बेकटन सीवेज ट्रीटमेंट वर्क्स से एकत्र किए गए सीवेज के नमूनों में पोलियोवायरस संभवत: किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा लंदन में आयात किया गया था जिसे हाल ही में वायरस के एक जीवित रूप के साथ विदेशों में टीका लगाया गया था।
वायरस का विकास जारी है और अब इसे 'वैक्सीन-ड्राइव्ड' पोलियोवायरस टाइप 2 (वीडीपीवी2) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह दुर्लभ अवसरों पर उन लोगों में गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है, जैसे कि लकवा, जिन्होंने पूरी से टीकाकरण नहीं करवाया है।
यूकेएचएसए ने कहा कि हालांकि, वायरस केवल सीवेज के नमूनों में पाया गया है और देश में पक्षाघात का कोई भी मामला सामने नहीं आया है।
इसमें कहा गया है कि यह स्थापित करने के लिए आगे की जांच चल रही है कि क्या कोई सामुदायिक प्रसारण हो रहा है।
फिर भी अधिकारियों ने कहा कि वैक्सीन-ड्राइव्ड पोलियोवायरस दुर्लभ है और समग्र रूप से जनता के लिए जोखिम बेहद कम है।
यूकेएचएसए में सलाहकार महामारी विशेषज्ञ वैनेसा सलीबा ने एक बयान में कहा, "वैक्सीन-ड्राइव्ड पोलियोवायरस में फैलने की क्षमता होती है, खासकर उन समुदायों में जहां टीके का सेवन कम होता है। दुर्लभ अवसरों पर यह उन लोगों में पक्षाघात का कारण बन सकता है, जिन्हें पूरी तरह से टीका नहीं लगाया गया है।"
उन्होंने लोगों से पोलियो के टीके के बारे में अप टू डेट रहने का भी आग्रह किया, खासकर छोटे बच्चों के माता-पिता, जो शायद टीकाकरण का अवसर चूक गए हैं।
फरवरी से मई के बीच लिए गए सीवेज के नमूनों में कई करीबी वायरस भी पाए गए।
2003 में यूके को पोलियो मुक्त घोषित किया गया था। यूके में अनुबंधित वाइल्ड पोलियो के अंतिम मामले की पुष्टि 1984 में हुई थी। (आईएएनएस)
इस्लामाबाद, 23 जून। पकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को कहा कि उन्होंने कभी अपनी पसंद का सेना प्रमुख बनाने की योजना नहीं बनाई, जैसा की उनके विरोधियों ने आरोप लगाया है।
इस्लामाबाद में एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए खान ने कहा कि उन्होंने अपनी पसंद का सेना प्रमुख नियुक्त करने का बारे में कभी नहीं सोचा था।
उन्होंने कहा, ‘‘अल्लाह मेरा गवाह है। मैंने कभी नहीं सोचा कि नवंबर में सेना प्रमुख कौन होगा। इमरान खान को अपना सेना प्रमुख नियुक्त करने की जरूरत नहीं है।’’
गौरतलब है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख का कार्यकाल नवंबर 2022 में समाप्त होना है।(भाषा)
कई विपक्षी पार्टियों की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने कहा है कि उनकी द्रौपदी मुर्मू से व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है. समाचार एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में यशवंत सिन्हा ने कहा कि वे उन्हें अच्छी तरह जानते हैं और उन्हें अपनी शुभकामनाएँ देते हैं.
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पहल पर विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनने के लिए दो बैठकें की. और आख़िरकार टीएमसी के उपाध्यक्ष यशवंत सिन्हा के नाम पर सहमति हुई.
लेकिन विपक्षी दलों की पहली पसंद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार थे, लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया. फिर गोपालकृष्ण गांधी और फारूक़ अब्दुल्लाह के नाम पर भी चर्चा हुई.
इस बारे में यशवंत सिन्हा ने कहा- जीवन में बहुत बार मेरे साथ ऐसा हुआ है कि मैं दूसरी पसंद रहा हूँ. पहली पसंद नहीं रहा हूँ. लेकिन किसी परिस्थितिवश दूसरी पसंद होते हुए भी वो पद हमीं को मिला. और उसका पूरा उपयोग किया राष्ट्रहित में. इस बार दूसरा नहीं चौथा उम्मीदवार हूँ. तो हमारी जीत की संभावना भी डबल हो जाती है.
द्रौपदी मुर्मू के बारे में यशवंत सिन्हा ने कहा कि उनकी उनसे कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं. उन्होंने कहा- उनको मैं बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ. अपनी शुभकामनाएँ देता हूँ. लेकिन ये लड़ाई है मुद्दों की. ये लड़ाई है भारत के संविधान को बचाने की.
बीजेपी की अगुआई में एनडीए ने मंगलवार शाम द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है. द्रौपदी मुर्मू ओडिशा की रहने वाली हैं और झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं.
तालिबानी अधिकारियों के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान में आए शक्तिशाली भूकंप में कम से कम 920 लोगों की मौत हो गई है और 600 से अधिक घायल हुए हैं.
सोशल मीडिया पर आ रही तस्वीरों में वहां हुए भारी भूस्खलन और तहस-नहस हुए मिट्टी के घर दिख रहे हैं. सबसे ज़्यादा नुक़सान पूर्वी प्रांत पक्तिका में हुआ है, वहां बचाव दल घायलों के इलाज के लिए कोशिश कर रहे हैं.
इस प्रांत में बड़ी संख्या में घर मलबे में तब्दील हो गए हैं. यहाँ से आ रही तस्वीरों में घायलों को स्ट्रेचर में ले जाते देखा जा सकता है. दूर-दराज़ के इलाक़ों से हेलिकॉप्टर के ज़रिए घायलों को अस्पतालों में भर्ती किया जा रहा है.
तालिबान के नेता हिब्तुल्लाह अखुंदजादा ने बताया है कि सैकड़ों घर तबाह हो गए हैं और मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है.
तालिबान के आपदा प्रबंधन के उप मंत्री शरफ़ुद्दीन मुस्लिम ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि कम-से-कम 920 लोग मारे गए हैं और 600 से अधिक घायल हुए हैं.
जानकारी के मुताबिक़, भूकंप का केंद्र दक्षिणी पूर्वी शहर ख़ोस्त से 44 किलोमीटर दूर स्थित था.
भूकंप के झटके अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और भारत तक महसूस किए गए. जानकारी के मुताबिक़, भूकंप के झटके अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल और पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद तक महसूस किए गए.
तालिबान के एक प्रवक्ता बिलाल करीमी ने ट्वीट के ज़रिए जानकारी दी है कि भूकंप में सैकड़ों लोगों की जान गई है. करीमी ने प्रभावित ज़िलों के नाम नहीं बताए. भूकंप स्थानीय समय के अनुसार, आधी रात के बाद 1.30 बजे (भारत के अनुसार रात 2.30 बजे) आया. उस समय लोग अपने घरों में सो रहे थे.
अफ़ग़ानिस्तान के पक्तिका प्रांत के अलावा भूकंप का असर ख़ोस्त, गज़नी,लोगार, काबुल, जलालाबाद और लग़मन में भी हुआ है.
तालिबानी अधिकारियों ने राहत एजेंसियों से भूकंप से प्रभावित देश के पूर्वी इलाक़ों में पहुंचने का अनुरोध किया है.
एक स्थानीय डॉक्टर ने बीबीसी को बताया है कि हताहत होने वाले ज़्यादातर लोग पक्तिका प्रांत के गयान और बरमाल ज़िलों के हैं. स्थानीय वेबसाइट इतिलाते रोज़ के अनुसार गयान ज़िले का एक पूरा गांव बर्बाद हो गया है.
दशकों से युद्ध से जूझ रहे अफ़ग़ानिस्तान ने भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए कोई ख़ास उपाय अब तक नहीं किए हैं. ऐसे में आपदाओं के आने पर देश के लिए उससे निबट पाना बहुत कठिन हो जाता है. हालांकि राहत एजेंसियों ने पिछले कुछ सालों में कई इमारतों को मज़बूत बनाया है.
अमेरिका के जियोलॉजिकल सर्वे ने कहा है कि रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 7.1 थी. भूकंप का केंद्र ख़ोस्त से 44 किलोमीटर दूर दक्षिण-पश्चिम दिशा में था.
अफ़ग़ानिस्तान के ग्रामीण इलाक़ो में अधिकतर घर मिट्टी के होते हैं जो भूकंप के झटके सह नहीं पाते हैं. इसी कारण वहां नुकसान भी अधिक होता है. (bbc.com)
लाहौर, 22 जून | पाकिस्तान के महान क्रिकेटर जहीर अब्बास की तबीयत खराब होने के बाद उन्हें लंदन के एक अस्पताल में गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती कराया गया है। क्रिकेट पाकिस्तान की एक रिपोर्ट में बुधवार को यह जानकारी दी गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि 74 वर्षीय पूर्व क्रिकेटर को गंभीर स्थिति में सेंट मैरी अस्पताल के आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया।
पूर्व टेस्ट कप्तान को दक्षिण अफ्रीका के जैक्स कैलिस और ऑस्ट्रेलिया की पूर्व महिला क्रिकेटर लिसा स्टालेकर के साथ 2020 में आईसीसी हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया था।
अब्बास यूएई से लंदन की यात्रा के बाद कोविड-19 से संक्रमित पाए गए थे। उन्हें कुछ दिन पहले किडनी में दर्द के साथ अस्पताल लाया गया था। बाद में पता चला कि पूर्व क्रिकेटर निमोनिया से भी पीड़ित थे।
अब्बास के प्रथम श्रेणी बल्लेबाजी के आंकड़े आश्चर्यजनक हैं, दिग्गज खिलाड़ी ने 459 मैचों में 34,843 रन बनाए हैं, जिसमें 108 शतक और 158 अर्धशतक शामिल हैं। सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने एक टेस्ट और तीन एकदिवसीय मैचों में आईसीसी मैच रेफरी के रूप में भी काम किया।
(आईएएनएस)
मेक्सिको सिटी, 22 जून | मेक्सिको में पिछले 9 हफ्तों में कोविड 19 के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है, लेकिन इस अवधि में कोई भी मरीज अस्पताल में भर्ती नहीं हुआ है और न ही महामारी से होने वाली मौतों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। इसकी सूचना प्रीवेंशन और हेल्थ प्रोमोशन के अंडरसेक्रेटरी ह्यूगो लोपेज गैटेल ने दी। लोपेज गैटेल ने मंगलवार को कहा कि वर्तमान में कोरोना का प्रकोप कुछ महीने पहले संक्रमण की चौथी लहर की तुलना में अधिक मध्यम गति से फैल रहा है। इसके पीछे का कारण ओमिक्रोन बीए.4 और बीए.5 वेरिएंट है।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, लोपेज गैटेल ने कहा कि कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि के दौरान अस्पताल में भर्ती होने या मौतों की संख्या में किसी भी तरह की बढ़ोतरी दर्ज नहीं की गई है।
लोपेज गैटेल ने कहा, "देश भर में प्रतिदिन औसतन पांच मौतें होती हैं, जो विशेष रूप से दूसरी लहर के दौरान देखा गया था, लेकिन उसकी तुलना में यह काफी कम है।"
सोमवार तक, मेक्सिको ने 5,877,837 कोविड-19 मामलों की पुष्टि की थी। (आईएएनएस)
लंदन, 22 जून | ब्रिटेन के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि कुछ गे और बायसेक्सुअल पुरुषों, जिनमें मंकीपॉक्स होने का खतरा अधिक है, उन्हें वैक्सीन लगाई जानी चाहिए। बीबीसी के अनुसार, यह कदम ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के प्रकोप को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। देश में अब तक इस वायरस से 793 लोग संक्रमित हो चुके हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मंकीपॉक्स को यौन संचारित संक्रमण के रूप में परिभाषित नहीं किया गया है। हालांकि, यह यौन संबंध के दौरान, बिस्तर, तौलिये और स्किन के साथ संपर्क में आने से भी फैलता है।
यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (यूकेएचएसए) ने कहा कि चेचक से बचाव के लिए बनाई गई वैक्सीन इम्वेनेक्स मंकीपॉक्स के संपर्क में आए मरीजों को वायरस से उबरने में मदद कर सकती है।
वैक्सीन इम्वेनेक्स मंकीपॉक्स के खिलाफ प्रभावी है। इसको यूके के वैक्सीन विशेषज्ञों, संयुक्त टीकाकरण और प्रतिरक्षा समिति (जेसीवीआई) द्वारा मंजूरी मिल चुकी है। (आईएएनएस)
काबुल, 22 जून | बुधवार तड़के पूर्वी अफगानिस्तान में आए भूकंप में 150 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जबकि 250 से अधिक घायल हो गए। कई सूत्रों के अनुसार इसकी जानकारी दी गई है। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, 6.1 तीव्रता के भूकंप ने अफगानिस्तान के खोस्त से 44 किमी दक्षिण-पश्चिम में झटका दिया।
स्थानीय सूत्रों ने बताया कि भूकंप से क्षेत्र में दर्जनों घर क्षतिग्रस्त हो गए और पूर्वी पक्तिका प्रांत में जमीन खिसक गई। (आईएएनएस)
काबुल, 22 जून | अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में बुधवार तड़के आए भूकंप में कम से कम 280 लोगों की मौत हो गई और 595 घायल हो गए।
राज्य द्वारा संचालित बख्तर समाचार एजेंसी ने लेटेस्ट स्थानीय स्रोतों का हवाला देते हुए बताया कि सबसे अधिक प्रभावित पूर्वी प्रांत पक्तिका प्रांत के बरमल, जि़रुक, नाका और गयान जिलों में लगभग 255 लोगों की जान चली गई।
प्रभावित इलाकों में हेलीकॉप्टर और बचाव दल पहुंच गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पड़ोसी खोस्त प्रांत में कम से कम 25 लोग मारे गए और 95 अन्य घायल हो गए।
यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, खोस्त से 44 किमी दक्षिण-पश्चिम में 6.1 तीव्रता का भूकंप आया।
स्थानीय सूत्रों ने बताया कि भूकंप से क्षेत्र में दर्जनों घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और पक्तिका में जमीन खिसक गई है।
स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि अगर केंद्र सरकार ने आपातकालीन मदद नहीं दी तो मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है।
तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार में उप प्रधानमंत्री, जो राहत और आपदा नियंत्रण प्राधिकरण के प्रमुख हैं, उन्होंने सभी संबंधित पक्षों को जल्द से जल्द प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचने और सभी उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करने का निर्देश दिया। सरकारी समाचार एजेंसी ने उनके हवाले से कहा, "प्रभावित लोगों की जान बचाएं और उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान करें।" (आईएएनएस)
काबुल, 22 जून। अफगानिस्तान के पूर्वी पक्तिका प्रांत में आए शक्तिशाली भूकंप में कम से कम 255 लोगों की जान चली गई। देश की सरकारी समाचार एजेंसी ने यह जानकारी दी।
सरकारी समाचार एजेंसी ‘बख्तर’ ने बुधवार को मृतक संख्या के संबंध में जानकारी दी और बताया कि बचाव कर्मी हेलीकॉप्टर से मौके पर पहुंच रहे हैं।
पक्तिका प्रांत में आए 6 तीव्रता के भूकंप के संबंध में अधिक जानकारी अभी नहीं मिल पाई है।
यह आपदा देश पर ऐसे समय में आई है, जब अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान के देश को अपने नियंत्रण में लेने के मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अफगानिस्तान से दूरी बना ली है। इस स्थिति के कारण 3.8 करोड़ की आबादी वाले देश में बचाव अभियान को अंजाम देना काफी जटिल होने की आशंका है।
तालिबान सरकार के उप प्रवक्ता बिलाल करीमी ने ट्वीट किया, ‘‘ पक्तिका प्रांत के चार जिलों में भीषण भूकंप में, हमारे देश के सैकड़ों लोग हताहत हुए हैं और कई मकान तबाह हो गए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हम सभी सहायता एजेंसियों से आग्रह करते हैं कि स्थिति को संभालने के लिए तुरंत अपने दल मौके पर भेजें।’’
इस बीच, पाकिस्तान मौसम विज्ञान विभाग (पीएमडी) के अनुसार पाकिस्तान के पेशावर, इस्लामाबाद, लाहौर तथा पंजाब के अन्य हिस्सों और खैबर-पख्तूनख्वा के प्रांतों में 6.1 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए।
यूरोपीय भूमध्य भूकंपीय केंद्र (ईएमएससी) के अनुसार, भूकंप के झटके अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत में महसूस किए गए। (एपी)
पेशावर, 21 जून। पाकिस्तान के आतंकवाद रोधी विभाग (सीटीडी) की खैबर पख्तूनख्वा इकाई ने चेतावनी दी है कि आतंकवादी पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की हत्या की साजिश रच रहे हैं और उन्होंने इसके लिए अफगानिस्तान में एक हत्यारे से मदद मांगी है। यह जानकारी मंगलवार को एक मीडिया रिपोर्ट में दी गयी है।
उर्दू भाषा के समाचार पत्र 'जंग' की रिपोर्ट के अनुसार, आतंकवाद रोधी विभाग ने सभी संबंधित एजेंसियों को पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान की सुरक्षा के लिए हरसंभव उपाय करने का निर्देश दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार, सीटीडी की खैबर पख्तूनख्वा इकाई द्वारा जारी चेतावनी में कहा गया है "आतंकवादी इमरान खान की हत्या करने की साजिश रच रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने अफगानिस्तान में एक हत्यारे से मदद मांगी है।’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह चेतावनी विभिन्न मंचों के साथ साझा की गई है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि सीटीडी ने 18 जून को अलर्ट जारी किया था। हालांकि, इस धमकी को गोपनीय रखने और इसे सोशल मीडिया पर लीक होने से रोकने के आदेश दिए गए थे।
पीटीआई नेताओं ने हाल ही में खान के जीवन को खतरा होने की आशंका जतायी थी और दावा किया कि उनकी हत्या के लिए एक हत्यारे को काम पर रखा गया है। शनिवार को, पीटीआई नेता फैयाज चौहान ने कहा कि "कुछ लोगों" ने एक आतंकवादी को खान की हत्या का जिम्मा सौंपा है। (भाषा)
कराची, 21 जून पाकिस्तान के सिंध प्रांत के एक ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र में गंभीर चिकित्सकीय लापरवाही का मामला सामने आया है। स्वास्थ्य केंद्र के गैर-प्रशिक्षित कर्मियों ने एक गर्भवती महिला का प्रसव कराते समय गर्भाशय में बच्चे का सिर काट दिया।
घटना के बाद 32 वर्षीय हिंदू महिला की हालत बेहद नाजुक हो गई थी। सिंध सरकार ने मामले की जांच करने और दोषियों का पता लगाने के लिए चिकित्सकीय जांच बोर्ड का गठन किया है।
जमशोरो स्थित लियाकत यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज (एलयूएमएचएस) में स्त्रीरोग विभाग के प्रमुख प्रोफेसर राहील सिकंदर ने बताया, ‘‘भील हिंदू समुदाय की महिला थारपरकर जिले के एक दूरदराज गांव की रहने वाली है। वह पहले अपने इलाके के ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र (आरएचसी) पहुंची, लेकिन वहां कोई महिला स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं थी और केंद्र के गैर-प्रशिक्षित कर्मियों ने प्रसव के दौरान उसे बहुत तकलीफ पहुंचाई।’’
सिकंदर के मुताबिक, आरएचसी के कर्मियों ने रविवार को सर्जरी की और बच्चे का सिर गर्भाश्य में ही काट दिया। इससे महिला की तबीयत काफी खराब हो गई और उसे मीठी में पास के एक अस्पताल ले जाया गया, जहां उसके उपचार की कोई व्यवस्था नहीं थी।
सिकंदर ने बताया कि इसके बाद महिला के परिजन उसे लेकर एलयूएमएचएस पहुंचे, जहां बच्चे का शेष शरीर बाहर निकाला गया। दरअसल, बच्चे का सिर अंदर फंसा था और मां का गर्भाशय क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसके चलते डॉक्टरों को महिला की जान बचाने और बच्चे का सिर निकालने के लिए उसके पेट की सर्जरी करनी पड़ी।
सिंध स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक डॉ. जुमन बहोटो ने जच्चा-बच्चा के जीवन के साथ खिलवाड़ से जुड़ी इस घटना के जांच के आदेश दिए हैं।
उन्होंने कहा, “जांच समिति इस बात का पता लगाएगी कि मामले में क्या हुआ था। वह खासतौर पर यह जानने की कोशिश करेगी कि छाचरो स्थित आरएचसी में कोई महिला स्त्री रोग विशेषज्ञ या कर्मचारी क्यों नहीं थी।”
बहोटो ने बताया कि जांच समिति उन खबरों पर भी गौर करेगी कि महिला जब स्ट्रेचर पर थी, तब उसके वीडियो बनाए गए।
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ कर्मचारियों ने स्त्री रोग वार्ड में अपने मोबाइल से महिला की तस्वीरें लीं, वीडियो बनाए और उन्हें लोगों के साथ साझा किया।’’ (भाषा)
इसराइल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट और विदेश मंत्री यायिर लैपिड देश की संसद भंग करने पर सहमत हो गए हैं.
इसके साथ ही इसराइली संसद के लिए नए चुनाव होंगे. इस बीच यायिर लैपिड प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालेंगे.
इसराइली मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इसराइल की संसद में अगले हफ़्ते इस सिलसिले में वोटिंग होगी और इसके बाद यायिर लैपिड प्रधानमंत्री पद का ओहदा संभालेंगे.
यायिर लैपिड और नफ्ताली बेनेट ने पिछले साल जून में गठबंधन बनाया था जिसके बाद बिन्यामिन नेतन्याहू की सरकार सत्ता से बेदखल हो गई थी.
इसराइल की मौजूदा गठबंधन सरकार में धुर-दक्षिणपंथी, लिबरल और मुस्लिम अरब जैसे राजनीतिक धड़े शामिल हैं. ये गठबंधन टिक पाएगा या नहीं, इसे लेकर शुरू से ही सवाल खड़े हो रहे थे. (bbc.com)
पाकिस्तान में ये एक आम घारणा है कि राजनेता, जनरल, न्यायाधीश और नौकरशाह देश के बाहर इलाज कराना ही पसंद करते हैं. इसके पीछे अक्सर ये तर्क दिया जाता है कि यह शासक और जनरल अपने कार्यकाल के दौरान देश में स्वास्थ्य देखभाल में सुधार के लिए काम करते रहे, लेकिन ऐसा करने में कामयाब नहीं हो सके.
हाल के दिनों में पाकिस्तान में टीवी चैनलों की स्क्रीन और सोशल मीडिया पर पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ की स्वदेश वापसी की खबरें गर्म हैं. ये चर्चा हो रही है कि परवेज़ मुशर्रफ़ स्वदेश लौटेंगे या नहीं... पाकिस्तानी सेना की ओर से राजनेताओं को दिए गए बयानों के बाद इस बारे में उनके परिवार का रुख़ सामने आया है.
परवेज़ मुशर्रफ़ के परिवार की ओर से ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा गया है कि परिवार को पूर्व राष्ट्रपति की दवा की लगातार आपूर्ति और उपचार की व्यवस्था के बारे में महत्वपूर्ण चिकित्सा, क़ानूनी और सुरक्षा चुनौतियों पर विचार करना होगा. (bbc.com)
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि जब उन्हें पता चला कि उनके ख़िलाफ़ साज़िश रची जा रही है, तो उन्होंने 'न्यूट्रल्स' से कहा था कि अगर इस साज़िश को कामयाब होने दिया गया, तो मुल्क की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी.
पत्रकार आफ़ताब इक़बाल के साथ बातचीत में उन्होंने अर्थव्यवस्था, संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंध और पार्टी की आंतरिक राजनीति सहित कई मुद्दों पर चर्चा की.
इमरान ख़ान ने स्पष्ट रूप से पाकिस्तानी सेना की ओर इशारा करते हुए कहा, "मैंने तटस्थ लोगों से कहा था कि हमने बड़ी मुश्किल से अर्थव्यवस्था को संभाला है."
उन्होंने कहा कि उनके शासन काल में पहले कोरोना वायरस आया, फिर बिजली की क़ीमतों में वृद्धि हुई और उसके बाद आर्थिक स्थिति कमज़ोर हुई.
इमरान ख़ान ने कहा कि उन्होंने अपने वित्त मंत्री शौकत तरीन को भी ये समझाने के लिए भेजा था कि अगर आप इस साज़िश को सफल होने देंगे तो ये सब बिखर जाएगा और फिर आप इसे संभाल नहीं पाएँगे.
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से एक दिन पहले इमरान ख़ान रूस के दौरे पर थे, जिसके लिए उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. इस यात्रा का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि रूस ऐसा क़दम उठा सकता है.
इमरान ख़ान ने कहा कि उन्होंने सोचा था कि आजकल ऐसी कोई जंग नहीं लड़ी जाएगी. इमरान ख़ान ने कहा कि हमें तेल, गैस और गेहूं ख़रीदने के लिए रूस की ज़रूरत थी, जबकि सेना को भी उनसे सामान ख़रीदना था.
एक सवाल के जवाब में इमरान ख़ान ने कहा कि अमेरिका के साथ हमेशा अच्छे संबंध होने चाहिए, लेकिन अच्छे रिश्ते और ग़ुलामी में फ़र्क होता है.
उन्होंने कहा कि अमेरिका एक विश्व शक्ति है, पाकिस्तान वहाँ सबसे ज़्यादा निर्यात करता है, पाकिस्तान के कुछ सबसे अमीर लोग अमेरिका में रहते हैं और अमेरिका हमसे ग़ुलामी चाहता है.
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि जो अमेरिका के हित के लिए खड़ा होता है, अमेरिका उसको अहमियत देता है. यही वजह है कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उन्हें सम्मानित किया था.
लेकिन इमरान खान ने कहा कि अमेरिका हमें ग़ुलाम बनाने की कोशिश कर रहा है ताकि हम रूस न जाएँ और वो हमें सहारा दे. इमरान खान ने कहा कि तीन घंटे की बैठक के बाद पुतिन ने उन्हें समझाया कि उन्होंने हमला क्यों किया. उन्होंने कहा कि अमेरिका और रूस के अपने-अपने बयानों के संदर्भ में पाकिस्तान को तटस्थ रहना चाहिए. (bbc.com)
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने कहा है कि रोहिंग्या मुसलमान उनके देश में सामाजिक समस्याएं पैदा कर रहे हैं. उन्होंने ये भी कहा कि बांग्लादेश में शरणार्थी बनकर रह रहे अधिकांश रोहिंग्या मुसलमान ड्रग और महिला तस्करी जैसे अपराधों में शामिल हैं.
म्यांमार के रखाइन प्रांत में साल 2017 में रोहिंग्या मुस्लिमों पर हुई कार्रवाई के बाद इस समुदाय के लाख़ों लोगों ने सीमा पार कर के बांग्लादेश में शरण ले ली थी.
पीएम शेख़ हसीना ने हाल ही में बांग्लादेश के लिए नियुक्त हुईं कनाडाई उच्चायुक्त लिली निकोल्स से संसद भवन कार्यालय में मुलाक़ात के दौरान ये बयान दिया.
बांग्लादेशी अख़बार द डेली स्टार के अनुसार प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने कनाडाई अधिकारी से कहा कि बांग्लादेश में रह रहे करीब 11 लाख़ रोहिंग्या मुसलमान लंबे समय के लिए समस्याएं पैदा कर रहे हैं.
रोहिंग्याओं को बताया बोझ
द डेली स्टार की ख़बर के अनुसार पीएम शेख़ हसीना ने सवालिया अंदाज़ में कहा, "बांग्लादेश कितने समय तक इतना बड़ा बोझ सह पाएगा?"
उन्होंने ये भी कहा कि बांग्लादेश सरकार ने करीब एक लाख रोहिंग्याओं को भसानचर में अस्थायी शरण दी है, जहां बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हैं.
शेख़ हसीना की इस चिंता पर कनाडाई राजदूत ने उन्हें सहयोग का आश्वासन दिया. उन्होंने ये भी कहा कि कनाडा रोहिंग्याओं के लिए चैरिटी के ज़रिए अतिरिक्त फंड का इंतज़ाम कर रहा है.
दूसरी ओर रविवार को ही हज़ारों रोहिंग्याओं ने कॉक्स बाज़ार में ही शांतिपूर्ण रैली निकालकर अपने देश म्यांमार वापस जाने की मांग की.
रोहिंग्याओं ने रखी वतन वापसी की मांग
हाथों में पोस्टर और तख्तियां लिए खड़े इन रोहिंग्या प्रदर्शनकारियों की सबसे बड़ी मांग यही थी कि उन्हें वापस अपने घर जाना है.
इन प्रदर्शनकारियों का कहना था कि दशकों से ये लोग दूसरे देश में रहने को मजबूर हैं लेकिन अब कितना और?
कॉक्स बाज़ार के एक रिफ्यूजी कैंप में रहने वाले मोहम्मद फ़ारूक ने बीबीसी से कहा, "हमारी सबसे बड़ी मांग ये है कि हम अपने देश लौट जाएं. हम म्यांमार के नागरिक के तौर पर पहचान चाहते हैं. हम वहां नागरिकों की तरह रहना चाहते हैं. लेकिन बिना सुरक्षा के हम वहां जा नहीं सकते."
उन्होंने कहा, "हम अब भी वापस जाने से डरते हैं. इसलिए हमें अपने ही देश में गुज़ारा करने के लिए सुरक्षा व्यवस्था की ज़रूरत है. संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय समुदाय और म्यांमार को ये सब सुनिश्चित करने के लिए ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए."
पुलिस के अनुसार, इस प्रदर्शन में हज़ारों रोहिंग्या शरणार्थियों ने हिस्सा लिया.
मोहम्मद फ़ारूक ने कहा, "कोई भी अब इन कैंपों में नहीं रहना चाहता. हम में से बहुत से लोग अपने देश में संपन्न परिवार से थे. मैं यूनिवर्सिटी में पढ़ता था."
कॉक्स बाज़ार के शरणार्थी कैंप में रहने वाले मोहम्मद नूर ने कहा कि इस रैली का मुख्य मकसद रोहिंग्या शरणार्थियों के मसले पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचना था.
उन्होंने कहा, "साल 2017 से अब पाँच साल बीत चुके हैं और ऐसा लगता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, संयुक्त राष्ट्र ने हमें भुला दिया है. हमें वापस देश भेजने के लिए जो वादे उन्होंने किए थे, शायद भुला दिए गए हैं."
"हमें लगता है कि अगर हम ऐसे ही रहते रहे तो दुनिया हमारे लिए कुछ भी नहीं करेगी. हमारे बच्चों के लिए यहाँ पढ़ना मुश्किल है, यहाँ आज़ाद घूमना-फिरना मुश्किल है. कब तक हम ऐसे ही जीते रहेंगे?"
मोहम्मद नूर ने कहा, "बांग्लादेश ने बहुत लंबे समय तक मानवता दिखाई लेकिन अब वो और कितनी मानवता दिखाएगा."
ये प्रदर्शन अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी दिवस से एक दिन पहले आयोजित किया गया. इससे जुड़े सवाल पर मोहम्मद नूर ने कहा, "रोहिंग्या का रिफ्यूजी डे से कोई लेना-देना नहीं. हमें शरणार्थी के तौर पर भी पहचान नहीं मिली है."
रोहिंग्याओं की मौजूदा स्थिति
ऐसी खबरें आईं कि रोहिंग्या मुसलमानों की वतन वापसी को लेकर म्यांमार और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय वार्ता हो रही है लेकिन हकीकत में ये मुद्दा लंबित है.
साल 2017 में अत्याचार झेलने की वजह से म्यांमार से बांग्लादेश भागने वाले रोहिंग्याओं का मुद्दा शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ज़ोर-शोर से उठाया लेकिन अब उनकी आवाज़ कोई नहीं सुन रहा.
अलग-अलग एजेंसियों से रोहिंग्याओं को मिलने वाली फंडिंग भी बंद हो गई है.
बांग्लादेश ही अकेला ऐसा देश है जिसने रोहिंग्याओं को शरण दी है और करीब 12 लाख रोहिंग्या अब उसके लिए बोझ बनते जा रहे हैं.
म्यांमार और बांग्लादेश के बीच रोहिंग्याओं की वतन वापसी को लेकर एक एमओयू पर भी हस्ताक्षर हुए लेकिन इसके बावजूद म्यांमार की सरकार ने इस समुदाय को सुरक्षा देने के लिए किए अपने कई वादों पर अब तक कोई एक्शन नहीं लिया है.
बल्कि इसके उलट म्यांमार में तख्तापलट के बाद सेना के शासन में रोहिंग्याओं को देश वापस लाने का मुद्दा गौण हो गया है.
सरकार के समर्थन से रैली?
ज़िला पुलिस का कहना है कि रोहिंग्याओं का विरोध प्रदर्शन अचानक आयोजित किया गया था.
लेकिन कैंप में रहने वाले एक व्यक्ति ने पहचान न बताने की शर्त पर बीबीसी से कहा कि उन्होंने ये रैली सरकार के समर्थन से आयोजित की थी.
उन्होंने बताया, "कैंप में किसी भी तरह की रैली करने पर रोक है. सरकार ने अब तक कभी भी इसकी इजाज़त नहीं दी थी लेकिन इस बार हमसे कहा गया कि हम प्रदर्शन के तौर पर नहीं बल्कि कैंपेन के तौर पर रैली करें. हम उस रैली के लिए इकट्ठा हो सकते थे. रैली के लिए हमारे बैनर और पोस्टर भी बनाए गए."
कैंप में कानून-व्यवस्था के कमांडर मोहम्मद नेमुल हक़ ने कहा, "ये कैंपेन नहीं था. ये एक रैली थी. वो अपने देश वापस लौटना चाहते हैं. अगर वो किसी मुद्दे पर प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें इसके लिए मंज़ूरी लेनी होगी."
25 अगस्त, 2019 को रोहिंग्याओं के म्यांमार से बांग्लादेश आने की दो साल पूरे होने के बाद हुए प्रदर्शन में करीब 20 हज़ार रोहिंग्या मुस्लिमों ने प्रदर्शन किया था. उसके बाद से अब तक इतने बड़े स्तर पर कोई प्रदर्शन नहीं हुआ. (bbc.com)
कोलंबो, 20 जून। श्रीलंका में अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन को लेकर राष्ट्रपति गोटबया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने यहां राष्ट्रपति सचिवालय के सभी प्रवेश द्वार को बंद कर दिया, जिसके बाद पुलिस ने सोमवार को एक बौद्ध भिक्षु, और चार महिलाओं सहित 21 लोगों को गिरफ्तार किया।
श्रीलंका में वर्तमान में लगभग 2.2 करोड़ लोगों का परिवार 70 से अधिक वर्षों में अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था अत्यधिक ईंधन की कमी, खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों और दवाओं की कमी का सामना कर रही है। गाले फेस में प्रदर्शन स्थल गोटागोगामा में प्रदर्शन सोमवार को 73वें दिन में प्रवेश कर गया।
प्रदर्शनकारियों ने रविवार रात को राष्ट्रपति सचिवालय के प्रवेश द्वार के अलावा दो प्रवेश बिंदुओं को भी बंद कर दिया था, जिसे वे नौ अप्रैल से लगातार अवरुद्ध कर रहे हैं।
पुलिस ने एक बौद्ध भिक्षु और चार महिलाओं समेत 21 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों की वित्त मंत्रालय और सरकारी खजाने तक पहुंच प्रदान करने वाले दो गेट को अवरुद्ध करने की ये नयी कार्रवाई अनावश्यक थी। पुलिस दोनों गेट को खाली कराना चाहती है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की टीम वित्त मंत्रालय का दौरा करने वाली है।
आईएमएफ की टीम श्रीलंका की आर्थिक सुधार में सहयोग करने के लिए संभावित बेलआउट कार्यक्रम पर चर्चा जारी रखने के लिए कोलंबो का दौरा कर रही है। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर गोटागोगामा पर विरोध नौ अप्रैल को शुरू हुआ था। प्रदर्शनकारी अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन के लिए सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं, जिससे वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं और देश का भंडार गिरकर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।
व्यापक जन समर्थन के साथ कोलंबो में हुआ विरोध-प्रदर्शन देश के अन्य हिस्सों में फैल गया। श्रीलंका अपने इतिहास में पहली बार कर्ज को नहीं चुका पाया क्योंकि देश 70 से अधिक वर्षों में सबसे खराब वित्तीय संकट से जूझ रहा है। श्रीलंका के विदेशी लेनदारों पर देय 50 बिलियन अमेरीकी डॉलर से अधिक के ऋणों के पुनर्गठन की मांग कर रहा है, ताकि इसे चुकाने के उद्देश्य से और अधिक प्रबंधनीय बनाया जा सके। विदेशी मुद्रा की कमी और बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण दवाओं, ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गई है।
ऊर्जा मंत्री कंचना विजेसेकारा ने शुक्रवार को कहा कि श्रीलंका कर्ज के लिए एक नए क्रेडिट लाइन को लेकर भारत से आधिकारिक पुष्टि का इंतजार कर रहा है, जिससे नकदी की कमी वाले देश को अगले चार महीनों के लिए पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति करने की अनुमति मिलेगी।
प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने मंगलवार को कहा कि भारत से नया क्रेडिट लाइन मिलने पर जुलाई से अगले चार महीनों के लिए नकदी की कमी वाले राष्ट्र की ईंधन खरीद में सहयोग मिलेगा, यहां तक कि 3,500 मीट्रिक टन की एलपीजी शिपमेंट श्रीलंका पहुंच गई। (भाषा)