अंतरराष्ट्रीय
सैन फ्रांसिस्को, 28 जनवरी | शनिवार को ट्विटर के बॉस एलन मस्क ने अपनी दिनचर्या के बारे में बताते हुए कहा कि वह पूरे दिन काम करते हैं, फिर घर जाकर वर्क सिम्युलेटर खेलते हैं। उन्होंने ट्वीट किया, "मैं पूरे दिन काम करता हूं, फिर घर जाता हूं और वर्क सिम्युलेटर खेलता हूं।"
मस्क अपनी पांच कंपनियों- टेस्ला, स्पेसएक्स, ट्विटर, न्यूरालिंक और बोरिंग कंपनी को चलाने के लिए लंबे समय तक काम करने के लिए जाने जाते हैं।
उनके ट्वीट को अब तक 8.8 मिलियन से अधिक बार देखा जा चुका है, 127.8 हजार लाइक और 7,803 रीट्वीट किए जा चुके हैं।
हालांकि, उनके ट्वीट पर सैकड़ों कमेंट्स की बाढ़ आ गई, कुछ ने उन्हें काम से छुट्टी लेने की सलाह दी और कुछ ने उन पर निशाना साधा।
एक यूजर ने कमेंट किया, "मैं पूरे दिन ट्वीट करता हूं, फिर घर पर रहता हूं और ट्वीट सिम्युलेटर खेलता हूं।"
एक अन्य यूजर ने लिखा- "मैं पूरे दिन काम करता हूं और फिर दिन भर के काम से आराम करने के लिए अलग-अलग काम करता हूं।"
इस हफ्ते की शुरुआत में मस्क ने माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर अपना नाम बदलकर 'मिस्टर ट्वीट' कर लिया था और अब वह इसे वापस नहीं ले सकते।
मस्क ने खुलासा किया कि वह अपने नए नाम के साथ फंस गए, क्योंकि ट्विटर उन्हें इसे वापस बदलने नहीं दे रहा है।
उन्होंने हंसते हुए इमोजी के साथ ट्वीट किया, "मेरा नाम बदलकर मिस्टर ट्वीट कर दिया, अब ट्विटर मुझे इसे वापस बदलने नहीं देगा।" (आईएएनएस)
जर्मन संसद ने नाजी नरसंहार स्मृति दिवस के मौके पर पहली बार यौन प्राथमिकता और लैंगिक पहचान के आधार पर सताए गए लोगों को याद किया. 27 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय होलोकास्ट दिवस मनाया जाता है.
जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेसटाग में वार्षिक स्मृति समारोह इस साल यौन रुझान जाहिर करने के लिए मारे गए लोगों की याद को समर्पित था. इस मौके पर युद्ध के बाद भी सालों तक जारी रहे दमन को याद किया गया. बुंडेसटाग की अध्यक्ष बेरबेल बास ने कहा कि उन सभी शिकारों को याद करने का कभी अंत नहीं होना चाहिए जिन्हें नाजियों द्वारा प्रताड़ित किया गया, धमकाया गया, नागरिकता छीन ली गई और जान से मार डाला गया. उन्होंने कहा, "होलोकास्ट के शिकारों को कभी नहीं भूलाया जाएगा."
संसद अध्यक्ष ने कहा, "आज हम उन लोगों को याद कर रहे हैं जिन्हें उनके यौन विचारों और लैंगिक पहचान के कारण प्रताड़ित किया गया." उन्होंने ये भी कहा कि नाजी काल का अंत इन लोगों की राजकीय प्रताड़ना का अंत नहीं था. पुरुषों के बीच यौन संबंध साम्यवादी पूर्वी जर्मनी में 1968 तक और पश्चिमी जर्मनी में 1969 तक अपराध था.
इस मौके पर होलोकास्ट में जीवित बच गई रोजेटे कात्स ने भी भाषण दिया जिनके माता-पिता को नीदरलैंड से आउशवित्स बिर्केनाउ नाजी यातना शिविर में भेज दिया गया था. उन्होंने समारोह में उपस्थित लोगों से अपने पालक परिवार के साथ बिताए गए बचपन के दिन साझा किए, जब वह यातना शिविर में भेजे जाने के डर से अपनी ओर ध्यान आकर्षित करने से बचती थीं.
जर्मनी में दशकों प्रतिबंधित रहे समलैंगिक संबंध
समारोह को क्लाउस शिर्डेवान ने भी संबोधित किया जिन्हें 1964 में नाजी काल के दौरान बनाए गए कानून के तहत एक पुरुष के साथ यौन संबंध बनाने के अपराध में सजा दी गई थी. 75 वर्षीय शिर्डेवान ने कहा, "मैं सब कुछ कर रहा हूं ताकि हमारे अतीत को भुलाया न जाए, खासकर ऐसे समय में जब क्वीयर समुदाय जर्मनी सहित सारी दुनिया में विद्वेष का सामना कर रहा है." 1871 में बने एक कानून के तहत पुरुषों के बीच यौन संबंध प्रतिबंधित थे. सालों तक इस कानून पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती थी और खासकर वाइमर रिपब्लिक के दौरान तो राजधानी बर्लिन में एक अत्यंत सक्रिय एलजीबीटीक्यू समुदाय था.
फिर नाजी शासन में आए. उन्होंने 1935 में समलैंगिक कानून को सख्त बना दिया और समलैंगिक सेक्स के लिए 10 साल की सश्रम कैद की सजा तय की. इस कानून के तहत 57,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया जबकि करीब 10,000 लोगों को यातना शिविर में भेज दिया गया, जहां ड्रेस पर गुलाबी रंग का तिकोना लगाना होता था जो उनकी सेक्शुएलिटी का प्रतीक होता था.
बैरबेल बास ने कहा कि क्वीयर सर्वाइवरों को अपनी पीड़ा की मान्यता के लिए सालों तक संघर्ष करना पड़ा है. नाजी काल में समलैंगिक लोगों का बंध्याकरण किया जाता था, उन पर दर्दनाक मेडिकल प्रयोग किए जाते थे और मार डाला जाता था. जेल की व्यवस्था में उनकी जगह सबसे नीचे थी. हजारों लेस्बियनों, ट्रांसजेंडरों और सेक्स कर्मियों को 'डिजेनेरेट्स' कहा जाता था और क्रूर परिस्थितियों में कैद रखा जाता था. चांसलर ओलाफ शॉलत्स, उनकी सरकार के मंत्रियों और सांसदों ने भी समारोह में हिस्सा लिया.
यातना शिविर आउशवित्स की आजादी का दिन
1945 में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति से कुछ महीने पहले सोवियत सैनिकों ने आउशवित्स यातना शिविर को आजाद कराया था. जर्मनी 1996 से इस दिन को होलोकास्ट मेमोरियल दिवस के रूप में मनाता है. इस मौके पर संसद में प्रमुख समारोह होता है जबकि सारे देश में छोटे छोटे समारोहों में नाजी प्रताड़ना के शिकारों को याद किया जाता है.
मुख्य रूप से होलोकास्ट मेमोरियल नाजी द्वारा किए गए नरसंहार के 60 लाख यहूदियों की याद में मनाया जाता है, लेकिन 1996 में पहले समारोह में तत्कालीन राष्ट्रपति रोमान हैर्त्सोग ने अडोल्फ हिटलर के शासन काल में मारे गए गे और लेस्बियन लोगों को भी श्रद्धांजलि दी थी. संसद अध्यक्ष ने बास ने कहा कि हर पीढ़ी की जिम्मेदारी है कि वह अतीत के अपराधों का नए सिरे से सामना करे और सभी पीड़ित लोगों की कहानी सुनाए. बास ने लोगों से अपील की कि वे क्वीयर लोगों के खिलाफ भेदभाव पर ध्यान दें. उनके खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं.
इतिहासकारों का कहना है कि यातना शिविरों में 300 से लेकर 10,000 समलैंगिक लोग और अज्ञात संख्या में लेस्बियन और ट्रांसजेंडर मारे गए या दुर्व्यवहार के कारण उनकी मौत हो गई. पूर्वी जर्मनी में समलैंगिक कानून को 1968 में खत्म कर दिया गया जबकि पश्चिमी जर्मनी में पहले नाजी काल के कानून को बदलकर फिर से पुराना कानून वापस लाया गया और आखिरकार 1994 में भेदभावपू्र्ण समलैंगिक कानून को खत्म किया गया. 2017 में संसद ने समलैंगिक कानून के तहत सजायाफ्ता 50,000 लोगों की सजा वापस ले ली और उन्हें हर्जाना देने की पेशकश की.
एमजे/एके (डीपीए, एएफपी)
पाकिस्तानी रुपए का मूल्य गिर कर एक डॉलर के मुकाबले 260 पर आ गया है. लेकिन आखिर कैसे आई पाकिस्तानी रुपए में इतनी गिरावट और इसका क्या परिणाम होगा?
बीते दो दिनों से डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए का मूल्य गिर रहा है. शुक्रवार 27 जनवरी तक यह गिर कर 265 तक पहुंच गया था. गिरावट की दर धीरे धीरे कम हो रही है लेकिन आने वाले दिनों में इसके कई परिणाम सामने आ सकते हैं.
क्यों गिरा रुपया
गुरुवार को रुपए का मूल्य 9.6 प्रतिशत गिर गया था. यह पाकिस्तानी रुपए के इतिहास में एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट थी. ऐसा तब हुआ जब विदेशी मुद्रा कंपनियों ने विनिमय दर पर से सीमा हटा दी.
ऐसा करने का उद्देश्य था रुपए के मूल्य को बाजार द्वारा निर्धारित मूल्य के पास ले जाना. पाकिस्तान इस समय एक गहरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है. संकट से उबरने के लिए उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मदद चाहिए और कोष मुद्रा के मूल्य पर से कृत्रिम सीमाओं को हटाने का समर्थन करता है.
सीमा के हटाए जाने से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार मिलती जुलती स्थिति में आ गए हैं. विनिमय कंपनियों को उम्मीद है कि इससे डॉलर का काला बाजार धीरे धीरे बंद हो जाएगा.लेकिन इससे आम लोगों की समस्याएं और बढ़ सकती हैं. लोग पहले से आयातित ईंधन और खाने पीने की चीजों के बढ़े हुए दामों के बोझ से परेशान हैं.
क्यों चाहिए आईएमएफ से मदद
पाकिस्तान के पास सिर्फ 3.68 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा बची है जिससे मुश्किल से तीन और हफ्तों तक आयात का भुगतान करना संभव हो पाएगा. इस समय पाकिस्तान को आईएमएफ की सख्त जरूरत है.
इस्लामाबाद चाहता है कि कोष देश को दिवालिया होने से बचा ले और अपने बचाव कार्यक्रम की एक अरब डॉलर की अगली किस्त जल्दी जारी करे. 2019 में कोष की तरफ से छह अरब डॉलर के राहत पैकेज पर सहमति हुई थी.
पिछले साल की विनाशकारी बाढ़ के बाद इस पैकेज को बढ़ा कर सात अरब डॉलर का कर दिया गया था, लेकिन नवम्बर में सरकार के राजकोषीय घाटे को कम करने की असफलता की वजह से इस मदद की किस्तों को जारी करना रोक दिया था.
कोष चाहता है कि सरकार और भी मजबूत राजस्व संबंधी कदम उठाए. एक बार आईएमएफ पैकेज की किस्तें जारी करना फिर से शुरू कर देगा तो उम्मीद है कि दूसरी संस्थाएं भी पाकिस्तान को मदद देना शुरू कर देंगी.
कोष ने घोषणा की है कि उसका प्रतिनिधि मंडल पैकेज पर चर्चा करने के लिए 31 जनवरी से नौ फरवरी तक पाकिस्तान की यात्रा करेगा. इस घोषण से सरकार में मदद राशि के मिलने की उम्मीद जग गई है
प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम में कहा, "इंशाअल्लाह आईएमएफ के साथ एक संधि हो जाएगी...हम जल्द ही मुश्किल हालात से निकल जाएंगे."
सीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)
रूस, 28 जनवरी । रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अफ्रीकी देशों की अपनी यात्रा के दौरान शुक्रवार को कहा कि पश्चिमी देश, उभरती हुई एक बहुध्रुवीय दुनिया की प्रक्रिया को पलटने की कोशिश कर रहे हैं.
इस दौरान उन्होंने कहा है कि बहुध्रुवीय इतिहास की घड़ी सही दिशा में घूम रही है.
रूस की समाचार एजेंसी तास ने लावरोव के हवाले से कहा है कि बहुध्रुवीय दुनिया का उदय 'एक उद्देश्यपूर्ण और अजेय प्रक्रिया' है, जो होकर रहेगा.
रूसी विदेश मंत्री ने चीन और भारत के तीव्र विकास के साथ तुर्की, मिस्र, ब्राजील और लातिन अमेरिकी और फ़ारस की खाड़ी के पास स्थित देशों के उभार का ज़िक्र किया है.
उन्होंने वैश्विक बहुध्रुवीय दुनिया को आकार देने में पांच देशों के संगठन 'ब्रिक्स' की भूमिका को अहम क़रार दिया है.
सर्गेई लावरोव ने कहा, "ऐसे में अमेरिका, नेटो और अमेरिका द्वारा पूर्णत: नियंत्रित यूरोपीय संघ की इसे पलटने के सामूहिक प्रयासों के बावजूद बहुध्रुवीय इतिहास की घड़ी सही दिशा में चल रही है."
उन्होंने पश्चिम के इन तथाकथित प्रयासों को बेकार बताते हुए कहा कि वे केवल इस प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं.
सर्गेई लावरोव ने इसी हफ़्ते भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की तारीफ़ करते हुए कहा था कि उसकी विदेश नीति को विदेशों से नियंत्रित नहीं किया जा सकता. (bbc.com/hindi)
(ललित के झा)
वाशिंगटन, 28 जनवरी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आम बजट 2023-24 पेश किए जाने से पहले अमेरिकी फार्मा उद्योग ने कहा है कि भारत को अपने दवा क्षेत्र के लिए एक अनुसंधान एवं विकास नीति लानी चाहिए।
सीतारमण एक फरवरी को संसद में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए आम बजट पेश करने वाली हैं।
अमेरिका-इंडिया चैंबर ऑफ कॉमर्स (यूएसएआईसी) के अध्यक्ष करुण ऋषि ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “समय आ गया है कि भारत सरकार दवा क्षेत्र के लिए शोध एवं विकास नीति लेकर आए।”
बोस्टन स्थित यूएसएआईसी पिछले 16 वर्षों से भारत-अमेरिका स्वास्थ्य देखभाल शिखर सम्मेलन का आयोजन कर रहा है, जिसमें भारत और अमेरिका के फार्मा क्षेत्र के दिग्गज हिस्सा लेते हैं।
ऋषि ने एक सवाल के जवाब में कहा, “बायोफार्मा क्षेत्र में बजट का उद्देश्य अनुसंधान एवं विकास पर आधारित मूल्य श्रृंखला को आगे बढ़ाना होना चाहिए। सही नीति भारत को दुनिया का अनुसंधान एवं विकास केंद्र बनने के लिए ईंधन प्रदान कर सकती है।”
उन्होंने जोर दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर करने के लिए बजट में अनुसंधान एवं विकास और विनिर्माण को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
ऋषि ने कहा कि बजट में भारत में एपीआई (दवा के औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार तत्व) के विनिर्माण को विशेष रूप से बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
भारत पर वैश्विक मंदी का ज्यादा असर न होने का दावा करते हुए ऋषि ने कहा कि सीतारमण और उनकी टीम को विकास रणनीतियों, स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय बढ़ाने, क्षमता निर्माण, कौशल विकास और रोजगार सृजन पर ध्यान देना चाहिए। (भाषा)
न्यूज़ीलैंड के सबसे बड़े शहर ऑकलैंड में हुई मूसलाधार बारिश के बाद आई बाढ़ के बाद वहां आपाताकाल की घोषणा कर दी गई है.
इससे पहले शुक्रवार को ऑकलैंड में भारी बारिश हुई, जिससे लोगों को विस्थापित होने को मजबूर होना पड़ा. भारी बारिश के कारण आई बाढ़ से यातायात और बिजली की आपूर्ति ठप हो गई.
बताया गया है कि गर्मी के मौसम में ऑकलैंड में होने वाली बारिश की 75 फ़ीसदी मात्रा केवल 15 घंटों में बरस गई, जिससे शहर को बाढ़ का सामना करना पड़ा.
मौसम की भविष्यवाणी करने वाली संस्था ने कहा, "ऑकलैंड में पिछले 24 घंटों में हुई बारिश के असर लोगों द्वारा लंबे समय तक महसूस किए जाएंगे."
वहीं ऑकलैंड के मेयर वेन ब्राउन ने उन ख़बरों की पुष्टि की है कि शहर के उत्तरी तट पर वराओ घाटी में एक व्यक्ति की लाश मिली. उन्होंने बताया कि वे इस ख़बर से 'दुखी' हैं.
मेयर ने यह भी कहा है कि इस तूफान से शहर का बुनियादी ढांचा और आपातकालीन सेवाएं पूरी तरह ध्वस्त हो गई है.
इस बीच मेयर ने आपातकाल का एलान करने में देर करने के लिए हो रही आलोचना का जवाब और ख़ुद का बचाव करते हुए कहा है कि वे विशेषज्ञों की सलाह का पालन कर रहे थे.
उधर न्यूज़ीलैंड की फायर एंड इमरजेंसी सर्विस ने बताया है कि उसके पास मदद के लिए लगभग 1,500 कॉल आए.
न्यूज़ीलैंड की सेना लोगों को निकालने में मदद दे रही है और शहर में लोगों के रहने के आपातकालीन ठिकाने बनाए गए हैं.
वहीं ऑकलैंड निवासी और ग्रीन पार्टी के सांसद रिकार्डो मेनेंडेज़ मार्च ने बीबीसी को बताया है कि वे जिस इलाक़े में रहते थे, वहां बाढ़ आ गई है जिसके कारण उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा.
उन्होंने बताया कि उन्हें पास में रह रहे एक दोस्त ने शरण दी है. उनके अनुसार, "दुर्भाग्य से ग़रीब, विकलांग और प्रवासी लोग उतने भाग्यशाली नहीं रहे."
बाढ़ से शहर की प्रमुख सड़कों पर यातायात ठप पड़ गया है, राजमार्गों पर लंबा जाम लग गया है. कई जगहों पर एक्सीडेंट की ख़बरें भी मिली हैं.
इस बाढ़ के कारण ऑकलैंड के हवाई अड्डे से विमानों की आवाजाही प्रभावित हुई है. घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें कम से कम शनिवार दोपहर तक के लिए रोक दी गई हैं.
वहीं मशहूर सिंगर एल्टन जॉन के एक कॉन्सर्ट को रद्द कर दिया गया है. (bbc.com/hindi)
पूर्वी यरुशलम में एक सिनेगॉग (यहूदियों के पूजा स्थल) में सात लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. पिछले कई सालों में यह इस तरह की सबसे बड़ी घटना है.
मरने वालों के अलावा कम से कम तीन अन्य लोग घायल हुए हैं.
यह घटना शहर के नेवे याकोव इलाक़े में स्थानीय समय के अनुसार रात क़रीब 8:15 बजे हुई. पुलिस ने हमलावर को 'आतंकवादी' क़रार देते हुए बताया है कि उसे मार दिया गया है.
स्थानीय मीडिया ने हमलावर की पहचान पूर्वी यरुशलम के एक फ़लीस्तीनी शख़्स के रूप में की है.
इसराइल के पुलिस आयुक्त कोबी शबताई ने घटनास्थल पर इस हमले के बारे में बात की. उन्होंने इसे 'हाल के सालों में हुए सबसे बुरे हमलों में से एक' क़रार दिया है.
बताया गया है कि इसराइल के यहूदी लोग पूर्वी यरुशलम की एक यहूदी बस्ती के एक सिनेगॉग में यहूदी शब्बत के मौक़े पर प्रार्थना करने के लिए जमा हुए थे.
जर्मनी में नाज़ी शासन के दौरान होलोकॉस्ट में मारे गए क़रीब 60 लाख यहूदियों और अन्य पीड़ितों को याद में यहूदी लोग 'होलोकॉस्ट मेमोरियल डे' मनाते हैं. लोग सिनेगॉग में मारे गए लोगों को याद करने पहुंचे थे. वहां इकट्ठा हुए लोग जब निकल रहे थे, तभी हमलावर ने लोगों पर गोलियां चला दी.
पुलिस ने बताया है कि हमले के बाद अधिकारियों ने हमलावर को गोली मार दी. वहीं फोरेंसिक टीम सफ़ेद रंग की उस कार की जांच कर रही है, जिसे बंदूकधारी चला रहा था.
फ़लिस्तीनी चरमपंथी समूहों ने हमले की तारीफ़ की है. वेस्ट बैंक और गज़ा पट्टी में फ़लीस्तीनियों ने जुलूस निकालकर और मिठाइयां बांटकर इस हमले का जश्न मनाया है. हालांकि अब तक किसी समूह ने इस हमले की ज़िम्मेदारी नहीं ली है.
इस घटना के तुरंत बाद इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने घटनास्थल का दौरा किया है. ब्रिटेन और अमेरिका ने इस हमले की निंदा की है.
ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली ने ट्विटर पर इस हमले की निंदा करते हुए लिखा, "होलोकॉस्ट मेमोरियल डे और शब्बत के दौरान एक सिनेगॉग में लोगों पर हमला करना डराने वाला है. हम अपने इसराइल दोस्तों के साथ खड़े हैं."
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा, "हम इसराइल के लोगों के साथ एकजुटता से खड़े हैं."
बीबीसी के मध्य पूर्व संवाददाता टॉम बेटमैन ने बताया है कि इसराइल की पुलिस ने घटनास्थल और आसपास के इलाक़े को बंद कर दिया है. घटनास्थल के आसपास हर जगह सुरक्षा बल तैनात हैं और एंबुलेंस भी आ जा रहे हैं. वहां एक हेलीकॉप्टर भी आसमान में चक्कर लगा रहा है.
सड़क के बीचोंबीच एक क्षतिग्रस्त कार दिख रही है, जिसकी ड्राइवर की तरफ़ की खिड़की में गोली के कारण छेद हो गया है. कार के पिछले हिस्से को पुलिस के एक फोरेंसिक अधिकारी टॉर्च की रोशनी में खंगाल रहे हैं. वे बीबीसी संवाददाता को वापस जाने के लिए कहते हैं.
बीबीसी को एक चश्मदीद ने बताया कि उन्होंने शूटर को सड़क पर देखा, तब तक शायद उसे पुलिस की गोली लग चुकी थी. हवा में फायरिंग करते हुए सुरक्षाबल उसके पीछे भाग रहे थे.
टॉम बेटमैन को घटनास्थल के पास स्थित एक फ़लीस्तीनी बस्ती से कई ज़ोरदार धमाकों की आवाज़ सुनाई दी. अनुमान लगाया है कि इसराइली सेना और वहां रह रहे लोगों के बीच संघर्ष हो रहा है. (bbc.com/hindi)
इसराइल ने शुक्रवार को ग़ज़ा पट्टी पर हवाई हमले किए. इससे एक दिन पहले ही इसराइली सुरक्षाबलों ने वेस्ट बैंक के जेनिन शरणार्थी शिविर में चलाए अभियान में नौ फ़लस्तीनियों को मार दिया था. ये हाल के सालों में वेस्ट बैंक में इसराइली सुरक्षाबलों का सबसे बड़ा अभियान था.
साल 2023 में अब तक इसराइली सुरक्षाबलों के अभियानों में कम से कम 30 फ़लस्तीनियों की मौत हुई है जिनमें विद्रोही लड़ाके और आम नागरिक शामिल हैं.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़ साल 2022 में इसराइल के सुरक्षाबलों की कार्रवाई में कम से कम 150 फ़लस्तीनी मारे गए थे. वहीं वेस्ट बेंक में बसे इसराइली लोगों के हमलों में चार फ़लस्तीनी मारे गए थे.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़ इन कार्रवाइयों और हमलों में मारे गए अधिकतर लोग 25 साल से कम उम्र के थे.
ताज़ा हिंसा के बाद फ़लस्तीनी इलाक़ों में प्रशासन चलाने वाली फ़लस्तीनी अथॉरिटी (पीए) ने कहा है कि वह इसराइल के साथ अपना सुरक्षा सहयोग ख़त्म कर रही है.
इसराइल ने शुक्रवार को ग़ज़ा पट्टी पर हवाई हमले किए. रिपोर्टों के मुताबिक़ इसराइली विमानों ने अल-मग़ाज़ी शरणार्थी कैंप पर कम से कम तेरह हवाई हमले किए. इसके अलावा ग़ज़ा शहर के अल-ज़ैतून इलाक़े पर भी हमले हुए.
पहले इसराइली ड्रोन से मिसाइलें दाग़ीं गईं, इसके बाद लड़ाकू विमानों ने हमले किए.
शुक्रवार को हुए हवाई हमलों में हताहतों के बारे में ये रिपोर्ट लिखे जाने तक कोई जानकारी नहीं मिली है. ग़ज़ा दुनिया का सर्वाधिक घनी आबादी वाला इलाक़ा है जहां क़रीब 21 लाख लोग रहते हैं.
इसराइल का कहना है कि उसने रॉकेट हमलों के बाद जवाबी कार्रवाई करते हुए हमास की एक भूमिगत रॉकेट फ़ैक्ट्री को इस हमले में नष्ट कर दिया है. (bbc.com/hindi)
बीबीसी अरबी रेडियो सेवा का 85 साल से जारी प्रसारण का सिलसिला आज थमने जा रहा है.
बीबीसी वर्ल्ड न्यूज़ की अरबी सेवा अब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फ़ोकस करेगी.
बीबीसी अरबी रेडियो मध्य पूर्व और दुनिया के दूसरे हिस्से में रहने वाले अरबी भाषी लोगों की कई पीढ़ियों के लिए सूचना का अहम स्रोत रहा.
बीबीसी अरबी रेडियो सेवा का पहला प्रसारण तीन जनवरी 1938 को हुआ था.
मध्य पूर्व के कई लोगों इसे सूचना का सबसे विश्वसनीय स्रोत मानते रहे.
बीबीसी अरबी सेवा ने बीते दशकों के दौरान युद्ध और मध्य पूर्व के संकट समेत कई अहम घटनाओं का प्रसारण किया.
बीबीसी अरबी सेवा के चुनिंदा कार्यक्रम अब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रसारित किए जाएंगे.
जेसिंडा आर्डर्न के शिक्षा मंत्री रहे क्रिस हिपकिन्स ने न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले ली है. नौ महीनों में चुनाव होने हैं और 44 वर्षीय हिपकिन्स के सामने पार्टी की गिरती लोकप्रियता को बढ़ाने की चुनौती है.
हिपकिन्स आर्डर्न सरकार में शिक्षा और पुलिस मंत्री ही नहीं थे बल्कि कोविड महामारी के दौरान उन्होंने एक तरह के संकट प्रबंधक की भूमिका अपना ली थी. उस भूमिका में उन्हें काफी शोहरत हासिल हुई, लेकिन वो और दूसरे लिबरल नेता लंबे समय से आर्डर्न की छाया में रहे हैं.
आर्डर्न अपने में वामपंथ की एक वैश्विक आइकॉन जैसी बन गई थीं और उन्होंने नेतृत्व के एक नए अंदाज का उदाहरण पेश किया था. मंगलवार 24 जनवरी को वो आखिरी बार बतौर प्रधानमंत्री आधिकारिक भूमिका में नजर आईं. उन्होंने कहा कि वो सबसे ज्यादा देश के लोगों को मिस करेंगी क्योंकि लोग ही "उनकी नौकरी की असली खुशी" थे.
संसद में रहेंगी आर्डर्न
बुधवार सुबह संसद परिसर से निकलते समय दर्जनों पूर्व कर्मचारियों और उनके प्रशंसकों ने उन्हें गले लगा कर विदाई दी. उनकी योजना अप्रैल तक संसद में एक कम सक्रिय सदस्य के रूप में रहने की है. इसके पीछे उनका उद्देश्य अक्टूबर में होने वाले आम चुनावों से पहले किसी विशेष चुनाव होने की संभावना को पैदा होने से बचाना भी
हिपकिन्स ने अपने कार्यकाल के लिए फिर से मूल तत्वों की तरफ लौटने के रास्ते पर चलने का वादा किया है. उनका ध्यान अर्थव्यवस्था और महंगाई पर केंद्रित रहेगा. उन्होंने महंगाई को एक "महामारी" बताया है.
आम चुनावों की तैयारी करने के लिए उनके पास नौ महीनों से भी कम का समय है. ओपिनियन पोल दिखा रहे हैं कि उनकी लेबर पार्टी विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी से पीछे है. हिपकिन्स के साथ साथ कार्मेल सेपुलोनी को उप प्रधानमंत्री की शपथ दिलाई गई. वो इस पद पर पहुंचने वाली पैसिफिक आइलैंड मूल की पहली व्यक्ति हैं.
महंगाई है चुनौती
आर्डर्न पहले 2017 में और 2020 में दोबारा प्रधानमंत्री बनी थीं. वो खुद काफी लोकप्रिय रहीं लेकिन उनकी सरकार को पिछले कुछ महीनों से काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था. इनमें बढ़ती महंगाई, सस्ते आवास का संकट और करीब आती आर्थिक मंदी शामिल हैं.
हिपकिन्स ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करने के बाद कहा कि कॉस्ट ऑफ लिविंग उनकी सबसे जरूरी प्राथमिकताओं में से है. उन्होंने दूसरी नीतिगत चुनौतियों की कम बात की.
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार में वो अपने ही रिश्ते बनाएंगे, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि आर्डर्न उनके लिए सिफारिश जरूर करेंगी. निजी स्तर पर हिपकिन्स दो बच्चों के पिता हैं और खुद को एक "आम कीवी" बताते हैं, वो वेतनभोगी वर्ग पृष्ठभूमि से है और जिसे सॉसेज खाना और साइकिल चला कर काम पर जाना पसंद है.
सीके/एए (एपी, एएफपी)
रूस, 27 जनवरी । रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बीते गुरुवार मौजूदा वैश्विक हालातों में 'सुरक्षा और स्थिरता' का माहौल सुनिश्चित करने के लिए भारत की कोशिशों की सराहना की.
अंग्रेजी अख़बार द हिंदू में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़, पुतिन ने भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम नरेंद्र मोदी को भारतीय गणतंत्र दिवस के मौके पर भेजे बधाई संदेश में ये बात कही है.
उन्होंने कहा, "आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीक समेत अन्य क्षेत्रों में भारत ने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, उनके बारे में सब जानते हैं. आपका देश अंतरराष्ट्रीय जगत में स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखने के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक एजेंडे से जुड़े मुद्दों पर भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है."
उन्होंने ये भी कहा कि वह इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि दोनों देश अलग-अलग क्षेत्रों में जारी द्विपक्षीय सहयोगों को बढ़ाना जारी रख सकते हैं. (bbc.com/hindi)
इस्राएली सेना में ऑटिज्म वाले सैनिकों को शामिल करने के लिए 2021 में एक नई योजना शुरू की गई थी. उसके तहत अब तक सेना में करीब 200 ऐसे लोग शामिल हो चुके हैं जिन्हें ऑटिज्म है.
नेथन सादा तेल अवीव के एक सैन्य अड्डे में अपने कंप्यूटर पर व्यस्त हैं. वो यहां आटिज्म से प्रभावित सैन्य कर्मियों के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए एक कार्यक्रम का हिस्सा हैं. 'तितकदमु' (आगे बढ़ो) नाम की इस योजना को जुलाई 2021 में शुरू किया गया था.
इसका उद्देश्य ऑटिज्म से प्रभावित सैनिकों को सेना में शामिल करना था. इसके तहत अभी तक करीब 200 ऐसे सैनिक सेना से जुड़ चुके हैं जिन्हें हाई-फंक्शनिंग आटिज्म है, यानी जो अपने सभी काम बिना किसी तकलीफ के कर सकते हैं. उन पर सिर्फ विशेष परिस्थितियों में ही आटिज्म के लक्षण सामने आते हैं.
अपनी खाकी वर्दी पर गर्व से 'तितकदमु' का बैज लगाए सादा कहते हैं, "मैं सेना में शामिल होना चाहता था क्योंकि इस्राएल में सैन्य सेवा महत्वपूर्ण है. यह एक ऐसी चीज है जिसे हर युवा को करना चाहिए और मैं भी इस तजुर्बे को महसूस करना चाहता था.
2008 से बुला रही है सेना
20 साल के सादा एक प्रशासनिक भूमिका में हैं और अपनी कुर्सी पर बैठे एक चार्ट बनाने का काम पूरा कर रहे हैं. उत्तरी शहर हाइफा के रहने वाले सादा कहते हैं, "मेरे पास जिम्मेदारियां हैं; वो मुझ पर भरोसा करते हैं."
इस्राएल में 18 साल की उम्र के बाद अधिकांश लोगों के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य है. पुरुष 32 महीनों के लिए सेना को अपनी सेवाएं देते हैं और महिलाएं दो सालों के लिए. करीब एक-तिहाई नागरिकों को इससे छूट है. इनमें करीब 13 प्रतिशत आबादी वाले अति-ऑर्थोडॉक्स यहूदी और करीब 20 प्रतिशत आबादी वाले अरब-इस्राएली शामिल हैं.
जो सेना में भर्ती होते हैं, उनके लिए सैन्य सेवा एक उनके जीवन का एक यादगार हिस्सा बन जाती है. 1948 में इस्राएल के बनने के बाद अपने सभी पड़ोसी देशों से युद्ध लड़ चुके इस देश में सेना का केंद्रीय स्थान है.
ऑटिज्म से प्रभावित लोगों को सैन्य सेवा से छूट है, लेकिन 2008 से छोटे कोर्सों में उनका स्वागत किया जा रहा है. सेना के मानव संसाधन विभाजन के ब्रिगेडियर-जनरल आमिर वदमानी बताते हैं कि कई सालों तक बहुत कम लोग भर्ती होने आते थे.
लेकिन तितकदमु को लाने के बाद यह स्थिति बदल गई. इस योजना को लाने का आईडिया आटिज्म से प्रभावित एक अफसर का था. वदमानी ने बताया कि लड़ाकू भूमिका को छोड़ कर "आप उन्हें हर विभाग में पाएंगे. वायु सेना में, नौसेना में, थल सेना में, खुफिया इकाई में, हर जगह."
उन्होंने यह भी कहा, "ऑटिज्मवाले सैनिकों में बहुत बड़ी क्षमता है और वो सेना के लिए एक असली एसेट हैं. वो ये साबित करना चाहते हैं कि वो भी बाकी सबकी तरह सफल हो सकते हैं."
जिंदगी के लिए तैयारी
वदमानी ने यह भी बताया कि आटिज्म से प्रभावित लोगों को सेना में समाहित करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उनकी संख्या बढ़ती जा रही है. इस्राएली सोसाइटी फॉर चिल्ड्रन एंड एडल्ट्स विद आटिज्म (एएलयूटी) के मुताबिक इस बीमारी से प्रभावित लोगों की संख्या सालाना 13 प्रतिशत के औसत से बढ़ती जा रही है.
एएलयूटी की प्रवक्ता लितल पोरात ने बताया कि इसका एक कारण यह भी है कि मानदंडों को और विस्तृत कर दिया गया है. समूह का कहना है कि देश में हर 78वां बच्चा आटिज्म से प्रभावित पाया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक वैश्विक औसत हर 100वे बच्चे का है.
पोरात कहती हैं कि आटिज्म वाले लोगों को सेना में शामिल होने से फायदा हो सकता है क्योंकि सेना "एक संरचना प्रदान करती है जो उन्हें जितना संभव हो सके उतना आत्मनिर्भर बनने के लिए तैयार करती है."
तितकदमु कार्यक्रम के लिए सेना ने अपने प्रशिक्षण के तरीकों को कार्यक्रम के अनुकूल बनाया है और एक सपोर्ट नेटवर्क भी तैयार किया है. हफ्ते में एक बार सादा के साथी लिरि शहर उनके सैन्य अड्डे पर उनसे मिलने आते हैं. शहर को उनसे संपर्क में रहनी की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
19 साल के शहर सादा और उनके कमांडर के बीच प्रतिनिधि का काम करते हैं. वो कहते हैं, "हम एक दूसरे को बताते हैं कि हमारा बीता हफ्ता कैसा रहा और कहीं कुछ विशेष हुआ हो तो वो भी बताते हैं."
जन्म ले रही आकांक्षा
सादा को चार साल की उम्र में आटिज्म से प्रभावित पाया गया था. उन्होंने बताया कि उन्हें कभी कभी लोगों से मिलने जुलने और बातचीत करने में संघर्ष करना पड़ता है. वो कहते हैं, "मेरे पास एक ऐसा व्यक्ति होने से मुझे काफी मदद मिलती है जिससे में बात कर सकूं, जो मुझे सलाह दे सके और मेरी मदद कर सके."
यह कार्यक्रम अभी अपने शुरूआती दौर में ही है, लेकिन वदमानी कहते हैं इसमें शामिल होने वालों के लिए लंबी अवधि के लक्ष्य हैं. उन्होंने बताया, "उद्देश्य यह है कि उन्हें लेबर मार्किट मैं समाहित होने में मदद की जाए ताकि वो सैन्य सेवा में हासिल किए गए कौशल का आगे चल कर फायदा उठा सकें."
सादा अगले साल अपने सैन्य अड्डे से छोड़ दिए जाएंगे और उनके पास उसके बाद अड्डे से बाहर अपनी जिंदगी के लिए अभी से स्पष्ट आकांक्षाएं हैं. वो मुस्कुराते हुए कहते हैं, "मुझे एक फिल्मकार बन कर बहुत अच्छा लगेगा. मैंने तो अभी से कई पटकथाएं लिख ली हैं."
सीके/एए (एएफपी)
जर्मनी में एक लोकल ट्रेन में छुरेबाजी में दो लोगों की मौत के बाद लोग सकते में हैं. पब्लिक ट्रांसपोर्ट से सफर करने वाले पूछ रहे हैं कि क्या वे सुरक्षित हैं? पुलिस के पास इस बात का जवाब नहीं कि हमले का कारण क्या था.
डॉयचे वैले पर महेश झा की रिपोर्ट-
जर्मनी के उत्तरी प्रदेश श्लेसविष-होलश्टाइन में ब्रेमेन से हैम्बर्ग जा रही एक लोकल ट्रेन में हमलावर ने बिना किसी उकसावे के अचानक छुरेबाजी शुरू कर दी थी. हमले में 17 और 19 साल के दो युवा मारे गए. आम लोग तो सदमे में हैं ही यहां तक कि अधिकारी भी सकते में हैं. श्लेसविष-होलश्टाइन की गृह मंत्री सबीने ज्युटरलिन वाक ने कहा, "मैं अत्यंत दुखी हूं." घटना के करीब एक दिन बाद हमले के बारे में बहुत कुछ जानकारी मिल गई है लेकिन अभी भी हमलावर के इरादों के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
मारे गए दोनों किशोर नॉयम्युंस्टर के एक स्कूल में पढ़ते थे. वहां के छात्र और शिक्षक भी सदमे में हैं. उन्हें सांत्वना और सुरक्षा का भरोसा दिलाने के लिए शिक्षा मंत्री कारीन प्रीन उस स्कूल का दौरा कर रही हैं और वहां शिक्षकों और छात्रों के साथ बात करेंगी. जर्मनी के गांव और शहर एक दूसरे के बहुत करीब करीब बसे हैं और बहुत से छात्र पास पड़ोस के शहरों में पढ़ने के लिए जाते हैं.
हमले का आरोपी शातिर अपराधी
जांच अधिकारियों के अनुसार हमले के लिए जिम्मेदार संदिग्ध शातिर अपराधी है और पहले भी कई अपराधों में शामिल रहा है. इत्सेहो शहर के वरिष्ट जांच अधिकारी कार्स्टेन ओलरोग्गे का कहना है कि 33 वर्षीय हमलावर पहले भी तीन मामलों में सजा काट चुका है. लेकिन वह मुख्य रूप से पड़ोस के राज्यों नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया और हैम्बर्ग में सक्रिय रहा है, श्लेसविष-होलश्टाइन में उसके खिलाफ अब तक कोई मामला दर्ज नहीं था.
अधिकारियों के अनुसार संदिग्ध हमलावर हैम्बर्ग में छुरेबाजी के एक अन्य मामले में एक साल चली जांच के दौरान न्यायिक हिरासत में रहा है. उस मामले में उसे घातक हमले और चोरी के आरोपों में 1 साल एक हफ्ते की सजा मिली है. इस सजा के खिलाफ उसने अपील कर रखी है.
इरादों का अभी पता नहीं
हमले में पांच लोग घायल हुए थे, जिनमें दो को इलाज के बाद छोड़ दिया गया है, जबकि तीन का अभी भी अस्पताल में इलाज चल रहा है. हमले के दौरान हुई भगदड़ में हमलावर भी घायल हो गया था. उसे गुरुवार को अदालत में पेश किया गया. प्रदेश की गृह मंत्री ने कहा है कि बहुत तेज घटनाक्रम के कारण घटना के बारे में अभी तक सारी जानकारी नहीं मिली है. आरोपी से पूछताछ के नतीजे अभी तक तैयार नहीं हैं, इसलिए न तो घटना की पृष्ठभूमि स्पष्ट है न ही हमलावर के इरादे का पता है. ओलरोग्गे के अनुसार आतंकवादीकार्रवाई के संकेत नहीं हैं.
अधिकारियों के अनुसार हमलावर एक नागरिकता विहीन फलस्तीनी है. गृह मंत्री के अनुसार वह पहली बार 2014 में जर्मनी आया. उसे 2017 में सबसिडियरी सुरक्षा दी गई. यह उस व्यक्ति को दी जाती है जिसे न तो शरणार्थी सुरक्षा मिलती है और जो न ही शरण पाने का हकदार होता है, लेकिन जिसे अपने देश में गंभीर खतरा होता है. 2021 में उसकी यह सुरक्षा वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हुई थी, लेकिन उस मामले में अधिकारियों ने क्या फैसला लिया इसका पता नहीं है.
अधिकारियों में सहयोग की कमी
घटनाक्रम की गुत्थी सुलझाने में लगे अधिकारियों का कहना है कि आरोपी घटना से कुछ पहले स्टे परमिट लेने कील शहर में विदेशी मामलों के दफ्तर गया था, लेकिन उसे निवासियों के रजिस्ट्रेशन दफ्तर में जाने को कहा गया. स्थानीय पार्षद के अनुसार वह वहां नहीं पहुंचा. कील में अधिकारियों को आरोपी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.
2014 में जर्मनी आने के बाद उसने नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया प्रांत में 2015 में शरण का आवेदन दिया था लेकिन उसकी अर्जी 2016 में ठुकरा दी गई थी. लेकिन उसे वापस भेजने के बदले सबसिडियरी सुरक्षा के तहत जर्मनी में ही रहने का अधिकार दिया गया था. 2021 में वह श्लेसविष-होलश्टाइन की राजधानी कील चला गया और वहां उसे रिफ्यूजियों के होम में ठहराया गया. कुछ समय बाद उस होम में उसके आने पर रोक लगा दी गई और उसे लापता दिखाया गया.
इस बीच में वह हैम्बर्ग में छुरेबाजी के मामले में जेल में रहा. पिछले हफ्ते गुरुवार को उसे जेल से रिहा किया गया था लेकिन जेल से रिहाई के बारे में कील के अधिकारियों को कोई सूचना नहीं थी. चूकि छुरेबाजी का मुकदमा हैम्बर्ग में था, श्लेसविष-होलश्टाइन में आरोपी का कोई पुलिस रिकॉर्ड नहीं था. (dw.com)
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का कहना है कि ट्रक जितना बड़ा एक क्षुद्रग्रह धरती के बेहद पास से बिना कोई नुकसान किए गुजर गया. फिल्मों की तरह परमाणु अस्त्रों से इस क्षुद्रग्रह को धरती से दूर करने की जरूरत नहीं पड़ी.
2023 बीयू नाम के इस क्षुद्रग्रह को पहली बार क्राइमिया में शौकिया अंतरिक्ष को देखने वाले गेन्नडी बोरिसोव ने शनिवार 21 जनवरी को देखा था. उसके बाद उन्होंने अपने जैसे दूसरे अंतरिक्ष प्रेमियों को इसके बारे में बताया.
इस क्षुद्रग्रह के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं थी. एक तरह से यह अचानक अंतरिक्ष के अंधकार में से निकल कर आया. चूंकि यह सीधा धरती की तरफ बढ़ रहा था और काफी करीब आने की आशंका भी थी, जानकारों इसे लेकर चिंतित थे.
धरती के बेहद करीब
दुनिया भर के वैज्ञानिक तुरंत इस बात का पता लगाने में जुट गए कि यह क्षुद्रग्रह आखिर किस तरफ बढ़ रहा है और क्या धरती पर हमें तुरंत कोई निकासी योजना बनाने की जरूरत तो नहीं है. लेकिन नासा की इम्पैक्ट मूल्यांकन प्रणाली स्काउट का इस्तेमाल करके विशेषज्ञों ने जल्द ही पता लगा लिया कि यह धरती से टकराएगा नहीं.
अंत में हुआ वही. 2023 बीयू दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी छोर के काफी करीब से निकल गया. जब वह धरती के सबसे करीब था तब उसके और धरती के बीच सिर्फ 3,600 किलोमीटर की दूरी थी.
यह उस दूरी के सिर्फ एक चौथाई के बराबर है जितनी दूरी पर हमारे टेलीफोन और गाड़ियों के नैविगेशन प्रणालियों को चलाने वाले जियोस्टेशनरी सैटलाइट रहते हैं.
पास आने का असर
स्काउट को बनाने में मदद करने वाले नासा के डेविड फार्नोकिया ने बताया, "स्काउट ने जल्द ही यह बता दिया था कि 2023 बीयू की धरती से टक्करनहीं होगी लेकिन यह भी कहा था कि वह असाधारण रूप से धरती के काफी करीब से गुजरेगा."
उन्होंने यह भी कहा, "बल्कि यह धरती के सबसे करीब से गुजरने वाली खगोलीय वस्तुओं में से रहा." वैज्ञानिकों का कहना है कि यह अनुमान अगर थोड़े गलत भी साबित होते तो भी धरती को कोई नुकसान होने की संभावना बहुत कम थी.
आकार में सिर्फ 11 से 28 फुट चौड़ा यह क्षुद्रग्रह कोई भी नुकसान पहुंचाने के लिए बहुत छोटा है और धरती के वायुमंडल से गुजरते हुए यह लगभग पूरी तरह जल कर खत्म ही हो जाता. अगर कुछ उल्कापिंड धरती तक पहुंच भी जाते तो वो काफी छोटे होते, ना की शहरों को बर्बाद कर देने वाले और सुनामी लाने वाले होते जैसा कुछ फिल्मों में दिखाया गया है.
नासा के विशेषज्ञों का कहना था कि धरती के इतनी करीब आने का उस क्षुद्रग्रह पर ज्यादा असर होगा. धरती का गुरुत्वाकर्षण उस क्षुद्रग्रह की कक्षा को प्रभावित करेगा और सूर्या का चक्कर लगाने की उसकी अवधि को 359 दिनों से बढ़ा कर 425 दिन कर देगा.
सीके/एए (एएफपी)
यरुशलम, 27 जनवरी। गाजा के चरमपंथियों ने इजराइल पर रॉकेट दागे जिसके जवाब में इजराइल ने भी कब्जे वाले वेस्ट बैंक पर हवाई हमले किए जिससे इलाके में तनाव बढ़ गया है। इन हमलों में 61 वर्षीय महिला और सात चरमपंथियों समेत नौ फलस्तीनी नागरिक मारे गए।
बीते दो दशक में कब्जे वाले वेस्ट बैंक में यह सबसे भीषण हमला है। फलस्तीन के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
शुक्रवार सुबह गाजा से दो रॉकेट दागे गए थे और इजराइल ने इसके जवाब में हवाई हमले किए जिससे दोनों पक्षों के बीच तनाव और बढ़ गया।
इजराइली सेना ने कहा कि गाजा की ओर से दागे गए दोनों रॉकेट को उसकी आयरन डोम मिसाइल रक्षा प्रणाली ने रोक दिय।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की अगले सप्ताह क्षेत्र की संभावित यात्रा की पृष्ठभूमि में और इजराइल में धुर दक्षिणपंथी शासन के प्रमुख के तौर पर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सत्ता में वापसी के बाद चरमपंथी हमास के नेतृत्व वाले क्षेत्र से इस तरह का यह पहला हमला है। नेतन्याहू के नेतृत्व वाली सरकार ने फलस्तीनी आतंकवादियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने का संकल्प लिया है। (एपी)
इजराइल की सेना ने कहा कि पांच रॉकेट दागे गए थे जिनमें से दो को रोक दिया गया और एक रॉकेट खुले मैदान में गिरा तथा अन्य गाजा तक ही सीमित रहा। उन्होंने कहा कि उसके हवाई हमलों में हमास के एक भूमिगत रॉकेट निर्माण इकाई और चरमपंथियों के प्रशिक्षण क्षेत्र को निशाना बनाया गया था।
वाशिंगटन, 27 जनवरी। अमेरिकी विशेष अभियान के बलों ने उत्तरी सोमालिया में इस्लामिक स्टेट संगठन के एक कुख्यात सदस्य और 10 अन्य आतंकवादियों को मार गिराया। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने यह घोषणा की है।
अमेरिका के विदेश मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने एक बयान में बताया कि पहाड़ी इलाके में बुधवार को चलाए गए अभियान में बिलाल अल-सुदानी को निशाना बनाया गया, जो वैश्विक आतंकवादी संगठन को वित्तीय मदद मुहैया कराता था।
बयान के अनुसार, ‘‘यह कार्रवाई अमेरिका और उसके भागीदारों को अधिक सुरक्षित बनाती है और यह अमेरिकियों को देश तथा विदेश में आतंकवाद के खतरे से बचाने के लिए हमारी दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाती है। ’’
राष्ट्रपति बाइडन को पिछले सप्ताह प्रस्तावित अभियान के बारे में जानकारी दी गई थी, जिसकी तैयारी कई महीनों से की जा रही थी।
बाइडन प्रशासन के दो अधिकारियों ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि उन्होंने (बाइडन ने) ऑस्टिन और ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिले की सिफारिश के बाद इस सप्ताह अभियान को अंजाम देने की अंतिम मंजूरी दी।
ऑस्टिन ने बताया कि अल-सुदानी कई वर्षों से अमेरिकी खुफिया अधिकारियों के रडार पर था। अफ्रीका में आईएस के संचालन के साथ-साथ अफगानिस्तान में उसकी आतंकवादी शाखा आईएसआईएस-के को वित्तीय मदद मुहैया कराने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।
अमेरिकी वित्तीय मंत्रालय ने पिछले साल आरोप लगाया था कि अल-सुदानी ने एक अन्य आईएस सदस्य अब्देला हुसैन अबादिग्गा के साथ भी काम किया। अब्देला हुसैन अबादिग्गा ने दक्षिण अफ्रीका में युवकों को संगठन से जोड़ने और उन्हें हथियार प्रशिक्षण शिविर में भेजा था।
पेंटागन के अधिकारियों ने बताया कि अभियान में कोई भी नागरिक हताहत नहीं हुआ।
प्रशासन के एक अधिकारी के अनुसार, अभियान में शामिल एक अमेरिकी को सेना के एक श्वान ने काट लिया था लेकिन डरने की कोई बात नहीं है।
एपी निहारिका प्रशांत प्रशांत 2701 1047 वाशिंगटन (एपी)
(गुरदीप सिंह)
सिंगापुर, 27 जनवरी। सिंगापुर का परिवहन मंत्रालय नेपाल के जांच अधिकारियों के अनुरोध पर ‘यति एयरलाइंस’ के दुर्घटनाग्रस्त विमान-691 के ब्लैक बॉक्स की जांच करेगा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
‘यति एयरलाइंस’ का विमान 15 जनवरी को पोखरा हवाई अड्डे पर उतरते वक्त दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसे में विमान में सवार 72 लोगों की मौत हो गई थी।
परिवहन मंत्रालय (एमओटी) के प्रवक्ता ने कहा कि एमओटी का परिवहन सुरक्षा जांच ब्यूरो (टीएसआईबी) विमान के फ्लाइट रिकॉर्डर से डेटा को पुनः प्राप्त करने और उसका विश्लेषण करने में मदद करेगा।
प्रवक्ता ने बृहस्पतिवार को बताया कि विश्लेषण टीएसआईबी के ‘फ्लाइट रिकॉर्डर रीडआउट’ केंद्र में किया जाएगा, जिसे 2007 में स्थापित किया गया था।
‘स्ट्रेट्स टाइम्स’ ने प्रवक्ता के हवाले से कहा, ‘‘जांच की प्रगति और निष्कर्षों सहित सभी जानकारी नेपाली जांच प्राधिकरण द्वारा नियंत्रित की जाएगी।’’
फ्लाइट रिकॉर्डर या ब्लैक बॉक्स, एक उड़ान से जुड़ी जानकारी जैसे कि उपकरण संबंधी चेतावनी व ऑडियो रिकॉर्डिंग रिकॉर्ड करते हैं। इससे किसी घटना के कारणों का पता लगाने में मदद मिलती है।
‘वाशिंगटन पोस्ट’ की खबर के अनुसार, नेपाल का जांच दल शुक्रवार को फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर लेकर सिंगापुर रवाना होगा।
‘काठमांडू पोस्ट’ ने बुधवार को अपनी एक खबर में बताया था कि ब्लैक बॉक्स की जांच में एक सप्ताह लग सकता है और इसके लिए कोई भुगतान नहीं किया जाएगा।
एमओटी और नेपाल के संस्कृति, पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने विमान दुर्घटना की जांच में सहयोग के लिए फरवरी 2020 में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत सिंगापुर इन ब्लैक बॉकस की जांच कर रहा है।
एमओटी के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘एमओयू के दायरे में जांच सुविधाएं और उपकरणों का उपयोग आता है, जिसमें फ्लाइट रिकॉर्डर रीडआउट सुविधा और प्रशिक्षण आदि शामिल हैं।’’ (भाषा)
अमेरिकी एविएशन सेक्टर की संवेदनशील जानकारियां चुराने के मामले में एक चीनी इंजीनियर को अमेरिका में आठ साल की सज़ा सुनाई गई है.
अमेरिकी न्याय विभाग ने कहा है कि 31 वर्षीय जी चाओचिन ने गोपनीय जानकारियां हासिल करने के लिए वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की पहचान भी कर ली थी.
इसके साथ ही उन्होंने खुद को अमेरिकी सेना के रिज़र्व ग्रुप में शामिल करा लिया और अपने अपने बारे में ग़लत जानकारियां उपलब्ध कराईं.
अमेरिकी प्रशासन ने कहा है कि जी चाओचिन चीन की एक मुख्य स्टेट इंटेलिजेंस यूनिट के लिए काम कर रहे थे.
पिछले साल सितंबर में उन्हें अमेरिकी अटॉर्नी जनरल को सूचित किए बिना विदेशी सरकार के एजेंट के रूप में काम करने के मामले में दोषी ठहराया गया था.
अमेरिकी न्याय विभाग के मुताबिक़, जी चाओचिन लगभग एक दशक पहले स्टूडेंट वीज़ा पर अमेरिका आए थे.
उन पर जियान्गसू प्रांत के प्रांतीय सुरक्षा मंत्रालय को आठ ऐसे लोगों की जानकारियां लीक करने का आरोप है, जिनकी भर्ती होनी थी.
ये सभी लोग पिछले कुछ सालों में चीनी और ताइवानी नागरिकता छोड़कर अमेरिकी नागरिक बन गए और इनमें से कुछ लोग अमेरिकी सुरक्षा कॉन्ट्रैक्टर के रूप में काम कर रहे हैं.
अमेरिकी सेना में हुए शामिल
अमेरिकी अधिकारियों ने बताया है कि जी चाओचिन साल 2016 में अमेरिकी सैन्य रिज़र्व ग्रुप में शामिल हुए थे.
अमेरिकी सेना के इस कार्यक्रम में वे विदेशी नागरिक शामिल हो सकते हैं जिनके पास अमेरिकी हितों के लिहाज़ से ख़ास योग्यता हो.
उन्होंने अपने आवेदन और इंटरव्यू में ग़लत जानकारी दी थी कि वे पिछले सात सालों में किसी विदेशी सरकार के संपर्क में नहीं रहे हैं.
साल 2018 के सितंबर महीने में उनकी मुलाक़ात चीन की मिनिस्ट्री ऑफ़ स्टेट सिक्यूरिटी के एक प्रतिनिधि से हुई जो कि असल में अमेरिकी सरकार के अंडरकवर एजेंट थे.
इन बैठकों में जी चाओचिन ने बताया था कि वह अपनी सैन्य पहचान के साथ एयरक्राफ़्ट कैरियर आदि की तस्वीरें ले सकते हैं.
ट्रेड सीक्रेट चुराने की कोशिश
उन्होंने कहा था कि वह अमेरिकी नागरिकता और सिक्यूरिटी क्लियरेंस हासिल करके सीआईए, एफ़बीआई और नासा में नौकरी हासिल करने की कोशिश करेंगे.
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक़, जी चाओचिन इनमें से किसी एजेंसी में सायबर सिक्यूरिटी विशेषज्ञ के रूप में काम करना चाहते थे ताकि उनकी इन एजेंसियों के डेटाबेस तक पहुंच हो.
इनमें वे डेटाबेस भी शामिल हैं जिनमें वैज्ञानिक शोध आदि से जुड़ी जानकारियां हों.
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें मिनिस्ट्री स्टेट स्क्युरिटी के एक शीर्ष अधिकारी शू यानजुन से आदेश मिले थे.
यानजुन चीन के ऐसे पहले ख़ुफ़िया अधिकारी हैं जिन्हें कानूनी मुकदमे के लिए अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया है.
पिछले साल शू को संघीय कारावास में बीस साल की सज़ा सुनाई गई थी. उन पर अमेरिकी एविएशन और एयरोस्पेस कंपनियों जिनमें जनरल इलेक्ट्रिक के ट्रेड सीक्रेट चुराने की साजिश रचने का आरोप था.
इस महीने की शुरुआत में जनरल इलेक्ट्रिक के एक पूर्व कर्मचारी झेंग शियोकिंग को अपनी कंपनी से जुड़ी गुप्त जानकारियों को चीन सरकार को सौंपने के मामले में अमेरिका में दो साल की सज़ा सुनाई गयी है.
इसके साथ ही पिछले साल जुलाई में अमेरिका की संघीय जांच एजेंसी क्रिस्टोफ़र रे ने कहा था कि चीन ने पश्चिमी कंपनियों की बौद्धिक संपदा को चुराने का प्रयास किया था ताकि वह अपने औद्योगिक विकास को तेज करके मुख्य क्षेत्रों में प्रभुत्व हासिल कर सके.
चीन ने इसके बाद जुलाई में ही कहा था कि रे चीन की छवि ख़राब कर रहे थे और शीत युद्ध की मानसिकता रखते हैं. (bbc.com/hindi)
इसराइल के क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक में इसराइली सेना की छापेमारी में नौ फ़लस्तीनियों की मौत हुई है. बीते 20 साल में वेस्ट बैंक के जनीन कैंप पर इसराइल की ये सबसे भयंकर रेड है.
61 साल की एक महिला भी मारे गए लोगों में शामिल है.
इसराइली सेना का कहना है कि उसके सैनिक एक “इस्लामिक जिहादी” को गिरफ़्तार करने गए थे जो “एक बड़े आतंकवादी हमले की तैयारी” कर रहा था.
वहीं फ़लस्तीनी क्षेत्र ने इसे ‘नरसंहार’ बताया है और कहा है कि इस घटना ने सुरक्षा के मुद्दे को लेकर इसराइल के साथ जो भी थोड़ी-बहुत समन्वय की गुंजाइश थी, उसे भी ख़त्म कर दिया है.
इन नौ के अलावा दसवां फ़लस्तीनी यरुशलम के पास पास अल-राम शहर में इसराइली सैनिकों के साथ हुए टकराव में मारा गया. यहां जनीन रेड में मारे गए नौ लोगों की मौत के विरोध में प्रदर्शन किए जा रहे थे.
हाल में वेस्ट बैंक में तनाव बढ़ा है क्योंकि इसराइली सेना का कहना है कि वह इस इलाके में ‘आतंकवाद -विरोधी’ हमले कर रही है.
गुरुवार की सुबह शहरी जनीन रिफ़्यूजी कैंप में ज़बरदस्त गोलीबारी और धमाके की आवाज़ें गूंज रही थीं. फ़लस्तीनी क्षेत्र और इसराइल की सेना के बीच तीन घंटे तक ये मुकाबला चलता रहा.
फ़लस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने मारे गए लोगों में से तीन की पहचान 61 साल की मगदा ओबैद, 24 साल के साएब इज़रेकी, और 26 साल के इज़ीदीन सलाहत के रूप में की है. इस छापेमारी में बीस लोग घायल भी हो गए, जिनमें से चार की हालत गंभीर है.
इसराइल डिफ़ेंस फ़ोर्स का कहना है कि उसके सैनिक एक इस्लामिक जिहादी ‘आतंकवादी दस्ते’ को पकड़ने गए थे जो ‘इसराइल में हुए कई आतंकवादी हमले’ में शामिल रहा है.
उन्होंने कहा कि सुरक्षाबलों ने एक इमारत को घेर लिया और तीन सशस्त्र संदिग्धों को मार गिराया गया, जबकि चौथे संदिग्ध ने आत्मसमर्पण कर दिया.
इसराइली सेना का कहना है कि जो संदिग्ध मारे गए हैं वो फ़लस्तीनी गोलियों से ही मरे हैं, जब वे लोग गोलियां चला रहे थे उसी दौरान ग़लत निशाना लगने के कारण फ़लस्तीनी लोग मारे गए. (bbc.com/hindi)
भारत में शंघाई समूह सहयोग संगठन की बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी को निमंत्रित किए जाने पर पाकिस्तान ने कहा है कि वो इस पर विचार कर रहा है.
ग़ौरतलब है कि भारत इस बार इस बैठक का आयोजन कर रहा है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रेस ब्रीफ़िंग में कहा गया है कि सदस्य देशों को निमंत्रण देने की एक स्टैंडर्ड प्रक्रिया है जिसके तहत भारत ने न्योता भेजा है.
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस निमंत्रण पर मानक प्रक्रिया के तहत विचार किया जा रहा है और इस पर उचित निर्णय लिया जाएगा.
दोनों देशों के बीच रिश्ते बीते काफ़ी समय से तल्ख़ रहे हैं और हाल ही में अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने दावा किया था कि दोनों देशों के बीच एक समय परमाणु युद्ध छिड़ने की नौबत आ गई थी.
पॉम्पियो ने अपनी किताब में दावा किया है कि साल 2019 के फरवरी महीने में भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध छिड़ने की नौबत आ गयी थी.
पॉम्पियो के मसले पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ये उनका निजी संस्मरण है. लेकिन सारी दुनिया जानती है कि फ़रवरी 2019 में किसने आक्रमण किया था और किसने संयम का परियच दिया.
भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में साल 2019 में भारतीय सैनिकों के काफ़िले पर हमला किया गया था जिसमें चालीस सैनिकों की मौत हुई थी.
भारत ने इसके बाद पाकिस्तान पर हवाई हमले किए थे जिसमें भारत ने कई चरमपंथियों को मारने का दावा किया गया था. (bbc.com/hindi)
जेनिन शरणार्थी शिविर (वेस्ट बैंक), 26 जनवरी। इजराइली सेना द्वारा बृहस्पतिवार को कब्जे वाले वेस्ट बैंक के टकराव वाले क्षेत्र में छापेमारी के दौरान की गई गोलीबारी में 60 वर्ष की एक महिला सहित कम से कम नौ फलस्तीनी मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। यह जानकारी फलस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों ने दी।
यह संघर्ष उस समय हुआ जब इजराइली सेना ने जेनिन शरणार्थी शिविर में दिन के समय एक अभियान चलाया। इजराइली सेना ने कहा कि उक्त अभियान इजराइलियों के खिलाफ एक आसन्न हमले को रोकने के लिए था।
यह शरणार्थी शिविर वेस्ट बैंक में चरमपंथियों का एक गढ़ है और यह लगभग एक साल से इजराइल की कार्रवाई का केंद्र बना हुआ है।
मृतकों में से कम से कम एक की पहचान फलस्तीनियों ने एक चरमपंथी के रूप में की, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि कितने अन्य सशस्त्र समूहों से जुड़े थे।
इजराइल के रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने एक सुरक्षा ब्रीफिंग के बाद कब्जे वाले वेस्ट बैंक में और गाजा पट्टी के साथ इजराइल की सीमा पर हाई अलर्ट का निर्देश दिया।
इजराइलियों और फलस्तीनियों के बीच तनाव बढ़ गया है क्योंकि फलस्तीनी हमलों के बाद इजराइल ने वेस्ट बैंक में रात के छापे शुरू किए थे। इस महीने संघर्ष तेज हुआ है, क्योंकि इजराइल की धुर-दक्षिणपंथी सरकार सत्ता में आयी और उसने फलस्तीनियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का संकल्प लिया।
हिंसा में वृद्धि के बीच, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में आने वाले हैं। उम्मीद है कि वह ऐसे कदमों पर जोर देंगे जिनसे फ़लस्तीनियों का जीवन सुगम होगा।
फलस्तीनी मीडिया द्वारा प्रकाशित तस्वीरों में एक दो मंजिला इमारत की जली हुई बाहरी दीवारें और एक सड़क पर बिखरा हुआ अन्य मलबा दिख रहा है। सेना ने कहा कि वह उन विस्फोटकों को निष्क्रिय करने के लिए इमारत में दाखिल हुई, जिसके बारे में कहा गया कि इसका इस्तेमाल संदिग्धों द्वारा किया जा रहा था।
तीन घंटे के अभियान के बाद सैनिकों के क्षेत्र से हटने के बाद, कई कारें पलटी हुई थीं, उनके शीशे और खिड़कियां टूटी हुईं थीं।
फ़लस्तीनी स्वास्थ्य मंत्री मे अल-कैला ने कहा कि पैरामेडिकल कर्मी संघर्ष के बीच घायलों तक पहुंचने के लिए संघर्षरत थे। वहीं जेनिन के गवर्नर अकरम राजौब ने कहा कि सेना ने आपातकालीन सेना के कर्मियों को घायलों को वहां से निकालने से रोका।
दोनों अधिकारियों ने सेना पर एक अस्पताल के बाल चिकित्सा वार्ड में आंसू गैस के गोले दागने का आरोप लगाया, जिससे बच्चों का दम घुटने लगा। अस्पताल के वीडियो में महिलाओं को बच्चों को अस्पताल के कमरों से बाहर और गलियारे में ले जाते हुए दिखाया गया है।
सेना ने कहा कि बलों ने अपने अभियान को सुविधाजनक बनाने के लिए सड़कों को बंद कर दिया और हो सकता है कि उससे बचाव दल को घायलों तक पहुंचने के प्रयासों में कठिनाई हुई हो। सेना ने कहा कि लगता है कि आंसू गैस आसपास की झड़प वाली जगह से अस्पताल में आ गई होगी।
जेनिन अस्पताल ने मारी गई महिला की पहचान माग्दा ओबैद के रूप में की है और इजराइली सेना ने कहा कि वह उसकी मौत की खबरों की पड़ताल कर रही है।
फलस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले मृतकों में से एक की पहचान 24 वर्षीय साएब अज़रीकी के रूप में की थी, जिसे गोली लगने के बाद गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था और उसकी इलाज के दौरान मृत्यु हो गई।
फ़तह से संबद्ध एक सशस्त्र मिलिशिया समूह अल-अक्सा मार्टर्स ब्रिगेड ने मृतकों में से एक की पहचान इज़्ज़ अल-दीन सलाहात के तौर पर की जो लड़ाका था। मंत्रालय ने कहा कि कम से कम 20 लोग घायल हुए हैं।
फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने तीन दिनों के शोक की घोषणा की और झंडे को आधा झुकाने का आदेश दिया। फ़लस्तीनी अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आवाज़ उठाने का आह्वान किया। (एपी)
ब्रितानी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि रूसी और ईरानी हैकर्स ब्रितानी राजनेताओं और पत्रकारों को निशाना बना रहे हैं.
ब्रिटेन के नेशनल साइबर सिक्योरिटी सेन्टर (एनसीएससी) ने ताज़ा अलर्ट जारी किया है जिसमें उसने कुछ ख़ास समूहों और लोगों पर साइबर हमला कर जानकारी चुराने की कोशिशों के बारे में चेतावनी दी है.
एनसीएससी ने कहा है कि हैकर्स उन लोगों को निशाना बना रहे हैं जो ईरान और रूस से जुड़ी रीसर्च का काम कर रहे हैं.
एनसीएससी ब्रिटेन के साइबर और ख़ुफ़िया एजेंसी जीसीएचक्यू का हिस्सा है और राजनेताओं, अधिकारियों, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं समेत आम लोगों के साथ साइबर सुरक्षा से जुड़ी जानकारी साझा करती है.
एजेंसी का कहना है कि ये हैकर्स अक्सर लोगों का भरोसा जीतने के लिए उनके परिचितों की तरह बात करते हैं, उन्हें ज़ूम बैठक का फर्जी न्योता भेजते हैं जिसमें उनके कंप्यूटर सिस्टम को हैक करने के लिए कोड होता है. इस लिंक पर क्लिक करने से व्यक्ति का अकाउंट हैक हो जाता है और कंप्यूटर में रखी संवेदनशील जानकारी हैकर के हाथ लग जाती है.
एजेंसी निदेशक पॉल सिचेस्टर ने कहा है, "संगठन और लोग इस तरह के ख़तरों से सावधान रहें और खुद की सुरक्षा करें."
अधिकारियों ने सीधे तौर पर न तो रूस पर और न ही ईरान पर साइबर हमला कर जानकारी चुराने का आरोप लगाया है. हालांकि उन्होंने दो हैकिंग ग्रुप्स को लेकर चेतावनी दी है और कहा है कि माना जाता है कि ये ग्रुप इन दोनों देशों से जुड़े हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार SEABORGIUM यानी ठंडी नदी नाम से जाने जाने वाले एक हैकर ग्रुप ने एमआई6 के प्रमुख सर रिचर्ड डियरलव और अमेरिकी परमाणु प्रयोगशालाओं को निशाना बनाया था.
वहीं स्वतंत्र साइबर सुरक्षा जानकारों के अनुसार ईरानी हैकर समूह TA453 या चार्मिंग किट्टन नाम के एक ग्रुप जिसका नाता ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड से है, उस पर अमेरिकी राजनेताओं को निशाना बनाने का आरोप है.
एनसीएससी का कहना है कि ये दोनों ग्रुप अलग-अलग हमले कर रहे हैं और दोनों के बीच किसी तरह का सहयोग नहीं देखा गया है, लेकिन इनके बारे में साझा चेतावनी इसलिए जारी की गई है क्योंकि दोनों एक तरह की तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं और दोनों एक ही तरह के लोगों और समूहों को अपना निशाना बना रहे हैं. (bbc.com/hindi)
(आंद्रेस रोदेन-पॉल के एडिशनल रिपोर्टिंग के साथ)
जापान के समुद्र में एक मालवाहक जहाज़ के डूबने से आठ लोगों की मौत हो गई है. मृतकों में कई चीनी नागरिक शामिल हैं. चीनी आधिकारियों ने इसकी जानकारी दी है.
जिन तिआन नाम का जहाज़ मंगलवार को डूबा और शाम से ही राहत-बचाव का कार्य चल रहा है. दक्षिण कोरिया के कोस्ट गार्ड और प्राइवेट जहाज़ इस काम में जुटे हैं.
जिन पांच लोगों को बचाया गया है, उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है.
इस जहाज़ पर 22 लोग सवार थे और जापान के डान्गो द्वीप से क़रीब एक किलोमीटर दूर से स्ट्रेस सिग्नल भेजना शुरू किया था.
चीनी अधिकारियों के मुताबिक मृतकों में छह चीनी नागरिक शामिल हैं. जापान की ओर से अभी मरने वालों की संख्या की पुष्टि नहीं की गई है. (bbc.com/hindi)
-बारबरा प्लेट अशर
अमेरिकी सरकार ने बीते बुधवार M1 अबराम्स टैंकों को यूक्रेन को देने का फ़ैसला किया है. लेकिन बाइडन प्रशासन का ये फ़ैसला रूस और यूक्रेन के बीच पिछले कई महीनों से जारी युद्ध के अगले चरण पर कोई असर नहीं डालेगा.
बाइडन प्रशासन की ओर से इन टैंकों को यूक्रेन भेजने का फ़ैसला एक यू-टर्न जैसा है. क्योंकि अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पिछले काफ़ी समय से कहता आ रहा है कि ये टैंक यूक्रेनी युद्ध क्षेत्र के लिहाज़ से उचित नहीं हैं.
लेकिन अमेरिका की ओर से इस फ़ैसले ने एक बदलाव ज़रूर किया है. और ये बदलाव जर्मनी की ओर से किए गए फ़ैसले में दिखता है.
जर्मनी के टैंक और अमेरिका की चिंता
यूक्रेन के लिए अमेरिका के पूर्व विशेष प्रतिनिधि रहे कर्ट वॉकर ने बीबीसी को बताया है कि बाइडन प्रशासन के इस 'कदम ने जर्मनी को लेपर्ड 2 टैंक भेजने का फ़ैसला लेने में मदद की है.'
यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगी चाहते हैं कि आगामी छह से आठ हफ़्तों में यूक्रेन के पास मौजूद बख़्तरबंद वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी हो ताकि वह रूसी हमलों का सामना कर सके.
हालांकि, अबराम्स के युद्ध क्षेत्र तक पहुंचने और यूक्रेनी सैनिकों को इसे चलाने में प्रशिक्षित होने में इससे कहीं ज़्यादा समय लगेगा.
अमेरिका यूक्रेन को 31 M1 अब्राम्स टैंक देगा. राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसे 'दुनिया का सबसे सक्षम टैंक' बताया है.
इसमें चार लोगों का चालकदल होता है जो कि यूक्रेन के मुख्य युद्ध टैंकों से एक अधिक है.
इसमें चोबाम सुरक्षा है जो सीधे हमलों से टैंक की रक्षा करती है.
67 टन वज़न का ये टैंक रूसी टैंकों से मुक़ाबले अधिक भारी है. इसमें ग़ैर-नेटो गोला बारूद इस्तेमाल होता है.
बीबीसी हिंदी
M1 अबराम्स टैंकों के मुक़ाबले जर्मनी के लेपर्ड 2 टैंक अपेक्षाकृत रूप से ज़्यादा जल्दी और आसानी से युद्ध क्षेत्र में इस्तेमाल किए जा सकते हैं.
अमेरिकी और जर्मन अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से इन दोनों मुद्दों को नहीं जोड़ा है.
लेकिन दोनों देशों ने एक ही दिन अपने-अपने टैंकों को यूक्रेन भेजने का एलान करके इस मुद्दे पर पश्चिमी देशों के बीच बढ़ते विवाद का पटाक्षेप करने की कोशिश की है क्योंकि इस विवाद ने अमेरिका को चिंता में डाला हुआ था.
इस युद्ध की शुरुआत से ही बाइडन प्रशासन और उसके सहयोगियों ने यूक्रेन को हथियार देने में बेहद सावधानी का परिचय दिया है ताकि रूसी आक्रामकता से बचा जा सके.
लेकिन यूक्रेन को मिली कुछ सैन्य सफ़लताओं के बाद पश्चिमी देशों ने अपने संकोच और सावधानियों से किनारा करना शुरू कर दिया है.
यूक्रेन पर बढ़ते रूसी हमले की आशंकाओं ने इस युद्ध का फोकस एक फिर टैंकों पर ला दिया है जो यूक्रेनी सेना के लिए पूर्वी यूक्रेन के खुले मैदानों में लड़ने के लिए बेहद ज़रूरी हैं.
जर्मनी के लगभग दो हज़ार 'लेपर्ड 2' टैंक यूरोप के अलग-अलग कोनों में तैनात हैं. और उसके सहयोगी पिछले कुछ महीनों से उस पर इन टैंकों को यूक्रेन भेजने या उन्हें इन टैंकों को निर्यात करने का अधिकार देने के लिए दबाव बना रहे थे.
ये टैंक जर्मनी में बने हैं और इनका एक्सपोर्ट लाइसेंस भी उसके ही पास है. इसका मतलब ये है कि जर्मनी के ये सहयोगी देश उसकी मर्जी के बिना ये टैंक यूक्रेन को नहीं दे सकते.
लेकिन जर्मनी ये नहीं चाहता था कि वह रूस के ख़िलाफ़ टैंक उतारने वाली अकेली पश्चिमी ताक़त के रूप में देखा जाए. और ब्रिटेन की ओर से आधे दर्जन से ज़्यादा चैलेन्जर 2 टैंक भेजने का फ़ैसला उसके लिए काफ़ी नहीं था.
कुछ दिन पहले तक अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के अधिकारी M1 अबराम्स टैंकों को विकल्प के रूप में नहीं देख रहे थे.
अमेरिका में बने M1 अबराम्स टैंक दुनिया के बेहतरीन टैंकों में शामिल हैं, लेकिन इन्हें चलाना बेहद जटिल और महंगा है.
इसके साथ ही इनका रखरखाव करना मुश्किल है और इस्तेमाल करने के लिए काफ़ी ट्रेनिंग की ज़रूरत पड़ती है. इसमें से कोई भी चीज़ बदली नहीं है.
ब्रिटेन यूक्रेन को 14 चैलेन्जर 2 टैंक देगा. ये ब्रेटिन का मुख्य युद्धक टैंक है जो सबसे पहले 1990 में बनाया गया था.
इसमें चार लोगों के चालकदल की ज़रूरत होती है और ये चोबाम या डोर्चेस्टर सुरक्षा से लैस है जो सीधे हमलों से टैंक की रक्षा करती है.
75 टन वज़न का ये टैंक रूसी टैंकों से मुक़ाबले अधिक भारी है.
इसमें गैस टरबाइन इंजन होता है और ईंधन की अधिक खपत होती है.
लेपर्ड-2 टैंक विश्वस्तरीय टैंक है. एक दर्जन से ज़्यादा देश इसका इस्तेमाल करते हैं.
यूक्रेन मानता है कि रूस के ख़िलाफ़ लड़ाई में टैंकों की अहम भूमिका है. लेपर्ड टैंक अफ़ग़ानिस्तान और सीरिया की लड़ाई में अपना कमाल दिखा चुके हैं.
यूक्रेन लेपर्ड टैंक लेने कि इसलिए भी बेताब है क्योंकि दो तिहाई टैंकों का निर्माण यूरोप में ही हुआ है. इसलिए लेपर्ड टैंकों की डिलीवरी उसके लिए काफ़ी आसान होगी और वो इससे रूस से आमने-सामने की लड़ाई और कारगर ढंग से लड़ सकेगा.
यूरोप - अमेरिकी गठबंधन में दरार
लेकिन बाइडन प्रशासन में पिछले कुछ समय से इस मुद्दे पर विचार-विमर्श जारी था कि यूरोपीय देशों के बीच पड़ती दरार का क्या हल निकाला जाए.
इसी बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और जर्मन चांसलर ओलाफ़ स्कॉल्ज़ के बीच फ़ोन पर कई बार बातचीत हुई.
अमेरिकी सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया है कि बाइडन अमेरिकी और यूरोपीय देशों के गठबंधन की एकता बनाए रखना चाहते हैं.
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने बताया है कि 'ये फ़ैसला दिखाता है कि हम अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ कितने एकजुट हैं और यह सब समन्वित तरीके से कर रहे हैं.'
उन्होंने ये भी कहा है कि जर्मन टैंकों के साथ अबराम्स एक दीर्घकालिक प्रतिबद्धता दर्शाता है. हालांकि, यूक्रेन में अमेरिकी राजदूत रहे जॉन हर्बस्ट का इस दीर्घकालिक प्रतिबद्धता पर नज़रिया अपेक्षाकृत रूप से ज़्यादा व्यवहारिक है.
वह कहते हैं कि बाइडन "सरकार टैंक देने को लेकर ज़्यादा इच्छुक नहीं थी. लेकिन उन्होंने देखा कि ये डिबेट कहां जा रहा है. उन्होंने लोगों के नज़रिए को भी देखा और जर्मनी को मनाने में ईमानदारी कोशिश की. लेकिन इस कोशिश में उन्हें अबराम्स देने के लिए तैयार होना पड़ा. लेकिन वे इसके लिए तैयार नहीं थे. इसी वजह से अबराम्स टैंक बहुत देर से यूक्रेन पहुंचेंगे."
फरवरी 2022 के बाद से पोलैंड यूक्रेन को 200 से अधिक T-72M1 टैंक दे चुका है.
सोवियत दौर का ये टैंक यूक्रेन की सेना में आम तौर में देखा जा सकता है. चेक गणराज्य और कुछ और देशों की सेना में भी ये टैंक शामिल है.
46 टन वज़न का ये टैंक नेटो मुल्कों के दूसरे टैंकों के मुक़ाबले हलका है. लेकिन इसकी स्पीड 60 किलोमीटर प्रतिघंटा है जो आधुनिक टैंकों के मुक़ाबले कम है.
इसमें ग़ैर-नेटो गोला बारूद का इस्तेमाल होता है.
अमेरिकी टैंक कब पहुंचेंगे यूक्रेन
अमेरिकी प्रशासन ने अपने M1 अबराम्स टैंकों को यूक्रेन भेजने का एलान भले ही कर दिया हो लेकिन इन टैंकों के यूक्रेन पहुंचने में अभी लंबा समय लगेगा.
इसके लिए इन्हें मंगाने की विशेष प्रक्रिया ज़िम्मेदार है. इन टैंकों को पहले निजी कॉन्ट्रेक्टरों से ख़रीदा जाएगा. क्योंकि अमेरिकी सेना अपने एम 1 अबराम्स टैंकों को यूक्रेन नहीं भेजेगी.
ऐसे में इन टैंकों के यूक्रेन पहुंचने में कई महीने या साल भर का समय लग सकता है.
सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि जर्मनी के लेपर्ड टैंकों के यूक्रेन पहुंचने से उसकी मारक क्षमता में काफ़ी बढ़ोतरी होगी. लेकिन ये किसी सिल्वर बुलेट जैसा नहीं होगा. सरल शब्दों में कहें तो ये उसकी सभी समस्याओं को तुरंत ख़त्म नहीं करेगा.
क्योंकि इन टैंकों को यूक्रेनी सेना की पैदल सेना दस्ते और तोपखाने के साथ जोड़ना होगा. यह देखना भी अहम होगा कि क्या ये इस संघर्ष को बदलने वाला पल होगा.
ये भी देखा जाएगा कि क्या हथियारों को लेकर मांग एक बार फिर टैंक से हटकर लंबी दूरी वाली मिसाइलों और लड़ाकू विमानों तक पहुंचेगी.
क्या बोले ज़ेलेंस्की?
अमेरिका और यूरोपीय देशों के सैन्य संगठन नेटो के प्रमुख जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने कहा है, "इस कदम से यूक्रेन को रूसी आक्रामकता का सामना करने में मदद मिलेगी. हम जानते हैं कि रूस कुछ नए हमलों की योजना बना रहा है. ये (टैंक) उन्हें खोई हुई ज़मीन वापस हासिल करके इस युद्ध को जीतकर एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में उभरने में मदद करेगी.'
इस बीच यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा है कि अब आगे ये मायने रखता है कि उन्हें किस तेज़ी से और कितनी संख्या में ये नए टैंक मिलेंगे.
उन्होंने कहा, "अब ज़रूरी है कि हमें कितने और कितनी जल्दी टैंक मिलेंगे. हमारी सेना की ट्रेनिंग, टैंकों के लिए ज़रूरी मदद कैसे और कितनी जल्दी मिलती है. हमें इन टैकों के साथ अपनी ताकत को बढ़ाना है, अपना मुक़ाबले को बढ़ाना है ताकि कोई निरंकुश शासन सिर न उठा सके." (bbc.com/hindi)
भारत सरकार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ को आगामी जून में होने जा रही एससीओ समिट में हिस्सा लेने के लिए भारत आने का न्योता भेजने जा रही है.
अंग्रेजी अख़बार द हिंदू में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़, भारत सरकार ने इससे पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी को भारत आने का न्योता भेजा है.
इन दोनों बैठकों की तारीख़ों और स्थानों पर बीती 17 जनवरी को वाराणसी और उससे पहले दिल्ली में हुईं एससीओ समन्वयकों की बैठकों में चर्चा हुई थी.
पाकिस्तान के शंघाई सहयोग संगठन के समन्वयक ने वाराणसी वाली बैठक में वर्चुअल लिंक के माध्यम से हिस्सा लिया.
हालांकि, संघाई सहयोग संगठन को लेकर होने वाले शिखर सम्मेलन के लिए भेजे जाने वाले निमंत्रण काफ़ी आम माने जाते हैं क्योंकि इस साल भारत इस सम्मेलन को आयोजित कर रहा है.
लेकिन पाकिस्तानी नेताओं को निमंत्रण दिया जाना ख़ास माना जा रहा है क्योंकि पाकिस्तानी नेतृत्व लगभग एक दशक बाद भारत पहुंचने जा रहा है.
इसी साल चीनी और रूसी नेता भी भारत आएंगे क्योंकि उन्हें जी-20 देशों की इवेंट्स में हिस्सा लेना है. (bbc.com/hindi)