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नयी दिल्ली, 24 अप्रैल। दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने एमसीडी महापौर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति की फाइल सीधे उपराज्यपाल कार्यालय भेजे जाने के बाद बुधवार को मुख्य सचिव से पूछा है कि उन्होंने किस कानूनी प्रावधान के तहत इस मामले में निर्वाचित सरकार की अनदेखी की। अधिकारियों यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि शहरी विकास मंत्री भारद्वाज ने बुधवार शाम छह बजे तक मुख्य सचिव से स्पष्टीकरण देने को कहा।
मंगलवार को ‘आप’ नेता ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि मुख्य सचिव ने उनकी अनदेखी करते हुए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) महापौर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति से संबंधित फाइल सीधे उपराज्यपाल कार्यालय भेज दी।
पत्र में भारद्वाज ने सक्सेना से अनुरोध किया कि वह फाइल लौटाते हुए निर्देश दें कि यह शहरी विकास मंत्री के पास से होते हुए दोबारा भेजी जाए।
एमसीडी मेयर का चुनाव शुक्रवार को होना है, हालांकि पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के लिए अब तक सक्सेना के कार्यालय से मंजूरी नहीं मिली है।
‘आप’ सरकार, पीठासीन अधिकारी के नाम वाली फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय के माध्यम से मंजूरी के लिए उपराज्यपाल के पास भेजती है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सात मई तक न्यायिक हिरासत में होने के कारण मामला लंबित था।
250 सदस्यीय एमसीडी पर 137 पार्षदों के साथ आप का शासन है जबकि भाजपा के 105 पार्षद हैं। (भाषा)
पुणे, 24 अप्रैल। महाराष्ट्र के पुणे जिले में बुधवार को बिजली बिल के विवाद में 33 वर्षीय व्यक्ति ने एमएसईडीसीएल की एक महिला तकनीशियन की कथित तौर पर हत्या कर दी। पुलिस ने बुधवार को इसकी जानकारी दी।
सुपा पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि अभिजीत पोटे नामक व्यक्ति ने आज सुबह बारामती तहसील के मोरगांव में महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के कार्यालय के अंदर रिंकू थिटे (26) पर कथित तौर पर हमला किया।
पोटे ने पहले शिकायत की थी कि उन्हें 570 रुपये का बढ़ा हुआ बिल मिला, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
पोटे सुबह एमएसईडीसीएल कार्यालय गया और दस दिन की छुट्टी के बाद लौटीं रिंकू पर धारदार हथियार से हमला कर दिया।
अधिकारी ने कहा कि पोटे को गिरफ्तार कर लिया गया है और आगे की जांच जारी है। (भाषा)
‘छत्तीसगढ़’ संवादाता
बिलासपुर, 25 अप्रैल। तोरवा क्षेत्र में दो साल पहले हुए 13 साल की बच्ची को अगवा कर उसके साथ गैंगरेप करने के मामले में दोषी चार आरोपियों की अपील हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। ट्रायल कोर्ट ने इन्हें 20-20 साल कैद की सजा सुनाई है।
अभियोजन के मुताबिक घटना जनवरी 2022 की है। लालखदान क्षेत्र में एक मंदिर से निकल रही 13 साल की पीड़िता को आरोपियों ने जबरदस्ती रोका और उन्हें सूनसान जगह पर ले गए। आरोपियों ने उनके साथ मारपीट भी की। दो युवकों ने बच्ची के साथ रेप किया जबकि बाकी दो उनकी रखवाली कर रहे थे। वे बच्ची को उसी हालत में छोड़कर वहां से भाग गए। बच्ची को मंदिर की ओर खोजने के लिए परिजन पहुंचे तो उन्हें रास्ते में जख्मी हालत में बैठे पाया। पीड़ित बच्ची उन चारों को पहचान रही थी। उनके खिलाफ तोरवा थाने में एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी की गई। जुलाई 2023 में फास्ट्र ट्रैक कोर्ट ने आरोपी सूरज यादव, महेश पासी, सूरज सूर्यवंशी और दीपक निषाद को पॉक्सो एक्ट 5 जी (6) के तहत 20-20 साल की सजा सुनाई। आईपीसी की धारा 366 ए/ 34 में 10 साल तथा 363/34 में सात-सात साल की सजा सुनाई गई। अपनी सजा के खिलाफ दोषियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिसे चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने खारिज कर दी है।
एक म्यूज़िकल थिएटर प्रोग्राम के लिए हिलेरी क्लिंटन के साथ साझेदारी पर घिरीं नोबेल विजेता मलाला यूसुफ़ज़ई ने इसराइल की निंदा करते हुए ग़ज़ा के प्रति अपने समर्थन को दोहराया है.
दरअसल, अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के साथ एक इवेंट में हिस्सा लेने के लिए मलाला यूसुफ़ज़ई की उनके देश पाकिस्तान में ख़ूब आलोचना हो रही थी. हिलेरी क्लिंटन हमास के ख़िलाफ़ इसराइल की जंग की खुली समर्थक रही हैं.
इस म्यूज़िकल कार्यक्रम का शीर्षक 'सफ़्स' था, जिसमें अमेरिकी महिलाओं द्वारा 20वीं सदी में मताधिकार के लिए चलाए गए उनके आंदोलन को दिखाया गया है. बीते सप्ताह से ये अमेरिका के न्यूयॉर्क में दिखाया जा रहा है.
आलोचना के बाद मलाला यूसुफ़ज़ई ने एक्स पर एक बयान जारी किया.
उन्होंने कहा, "मैं चाहती हूं कि ग़ज़ा के लोगों के प्रति मेरे समर्थन के बारे में कोई भ्रम न रहे. हमें ये समझने के लिए कि संघर्षविराम तत्काल ज़रूरी है, और शव, बमबारी की ज़द में आए स्कूल और भूख से तड़पते बच्चों को नहीं देखना."
उन्होंने कहा, "मैं अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन करने और युद्ध अपराधों के लिए इसराइली सरकार की निंदा करती हूं और करती रहूंगी."
पाकिस्तान की जानी-मानी पत्रकार मेहर तरार ने एक्स पर लिखा, "हिलेरी क्लिंटन- जो फ़लस्तीनियों के नरसंहार को समर्थन देती रही हैं- के साथ मिलकर यूसुफ़ज़ई का थिएटर करना, एक मानवाधिकार कार्यकर्ता के तौर पर उनकी विश्वसनीयता के लिए बड़ा धक्का है. मैं इसे बेहद दुःखद मानती हूं."
वहीं पाकिस्तानी लेखक निदा किरमानी ने कहा कि क्लिंटन के साथ साझेदारी करने का यूसुफ़ज़ई का फ़ैसला न सिर्फ़ दिमाग खराब करने वाला है बल्कि इससे दिल भी टूटा है. उन्होंने इसे बेहद निराशाजनक बताया. (bbc.com/hindi)
हाथरस (उप्र), 24 अप्रैल। हाथरस से मौजूदा भाजपा सांसद राजवीर दिलेर का दिल का दौरा पड़ने के बाद बुधवार शाम को एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 66 वर्ष के थे। पार्टी पदाधिकारियों ने यह जानकारी दी।
पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक, दिलेर की मृत्यु की वजह हृदयाघात बताई गई है। शाम को सुरक्षा विहार स्थित आवास पर तबीयत बिगड़ने के बाद परिजन आनन-फानन उन्हें ट्रॉमा सेंटर लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिलेर के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
आदित्यनाथ ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘हाथरस लोकसभा क्षेत्र से सांसद राजवीर सिंह दिलेर जी का असामयिक निधन अत्यंत दुःखद एवं भाजपा परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिजनों के साथ हैं।’’
उन्होंने कहा कि प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान तथा शोकाकुल परिजनों और उनके समर्थकों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
दिलेर 2019 में भाजपा के टिकट पर हाथरस सीट से चुने गए थे। 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया और इस सीट से अनूप वाल्मीकि को अपना उम्मीदवार बनाया है।
राजवीर के पिता किशनलाल दिलेर हाथरस सीट से चार बार भाजपा सांसद रहे हैं। 2019 में पिता की विरासत वाली सीट से पार्टी ने राजवीर दिलेर को मैदान में उतारा था और वह हाथरस से सांसद का चुनाव रिकार्ड मतों से जीते थे। (भाषा)
औसग्राम/गलसी (पश्चिम बंगाल), 24 अप्रैल। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उस टिप्पणी को लेकर उनकी आलोचना की जिसमें उन्होंने कहा था कि दुनिया में कोई भी संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) के कार्यान्वयन को नहीं रोक सकता है।
उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि सिंह अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कृपा पर निर्भर नजर आ रहे हैं।
उन्होंने कहा, “आप मोदी की दया पर टिके हुए हैं। आप अपनी कुर्सी बचाने के लिए रोज मोदी को सलाम कर रहे हैं। आप या नितिन गडकरी आज प्रधानमंत्री हो सकते थे। कोई समस्या नहीं होती...कम से कम कुर्सी पर एक सज्जन व्यक्ति तो होता जो न्यूनतम शिष्टाचार जानता हो।”
सिंह ने रविवार को मुर्शिदाबाद में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि दुनिया की कोई भी ताकत संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) के कार्यान्वयन को नहीं रोक पाएगी।
सिंह ने कहा था, “हमने बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों में अपने धर्म के कारण प्रताड़ित लोगों को नागरिकता देने के लिए कानून बनाया है। लेकिन ममता बनर्जी इसे लागू नहीं होने दे रही हैं। हम नागरिकता कानून लाएंगे। दुनिया की कोई भी ताकत इसके क्रियान्वयन को नहीं रोक सकती।”
बनर्जी ने सीएए, राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का विरोध करने का संकल्प जताया है। उन्होंने कहा, “आपके प्रति पूरा सम्मान रखते हुए, मैं आपको बता रही हूं कि हम (तृणमूल) सीएए, एनआरसी और यूसीसी के कार्यान्वयन का विरोध करेंगे। हम देखेंगे कि आप कितने शक्तिशाली हैं।”
बनर्जी दुर्गापुर-बर्धमान लोकसभा क्षेत्र से पार्टी के उम्मीदवार कीर्ति आजाद के लिए एक चुनावी रैली में बोल रही थीं।
मुख्यमंत्री ने आगामी चुनावों में भाजपा को हराने की जरूरत पर जोर दिया और राज्य के कुछ इलाकों में संकट के बीच लोगों से जल संरक्षण करने का आग्रह किया।
बोलपुर सीट से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार असित मल के लिए एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने सवाल किया कि देश भर में भीषण गर्मी के बीच लोकसभा चुनाव सात चरणों में क्यों कराए जा रहे हैं। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि आम चुनाव का कार्यक्रम “भाजपा को संतुष्ट करने” के लिए बनाया गया है।
तृणमूल प्रमुख ने दावा किया, “पहले, चुनाव प्रक्रिया 2 या 3 मई तक समाप्त हो जाती थी, लेकिन इस साल गंभीर मौसमी स्थितियों के बीच उन्होंने इसे तीन महीने तक खींच दिया है।”
बनर्जी ने कहा, “निर्वाचन आयोग ने भाजपा को संतुष्ट करने के लिए तीन महीने के लिए चुनाव की योजना बनाई है।”
उन्होंने यह भी कहा कि उनका मकसद लोकसभा चुनाव में “भाजपा को हराना” है। (भाषा)
मुर्शिदाबाद (प.बंगाल), 24 अप्रैल। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी ने बुधवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दस शीर्ष नेता उनकी पार्टी में शामिल होने के इच्छुक हैं। भाजपा ने हालांकि इस दावे को निराधार बताया है।
मुर्शिदाबाद लोकसभा क्षेत्र में एक रोड शो करते हुए बनर्जी ने कहा कि पार्टी सही समय पर अपने दरवाजे खोलेगी और ‘‘भाजपा का राज्य से सफाया हो जायेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा पार्टियों को तोड़ने के खेल में शामिल होने की कोशिश कर रही है, लेकिन वह इसमें जीत नहीं पा रही है। उन्होंने हमारे दो सांसदों को अपने पाले में कर लिया और हमने उनके दो सांसदों, अर्जुन सिंह और बाबुल सुप्रियो को अपनी तरफ करके इसका जवाब दिया। हाल में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी के जरिए उन्होंने तापस रॉय को शामिल किया है। भाजपा के कम से कम 10 शीर्ष नेता तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने की कतार में हैं।’’
बनर्जी के दावे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, भाजपा के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा कि चुनाव खत्म होने के बाद, ‘‘तृणमूल कांग्रेस ताश के पत्तों की तरह ढह जायेगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ये कुछ और नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल में हार की हताशा में राजनीतिक बयानबाजी है। एक बार लोकसभा चुनाव खत्म हो जाएं तो तृणमूल कांग्रेस ताश के पत्तों की तरह ढह जाएगी।’’ (भाषा)
लखनऊ, 24 अप्रैल। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने घर खरीदारों को धोखा देने और कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़ी धनशोधन जांच के तहत बुधवार को उत्तर प्रदेश की एक रियल इस्टेट कंपनी के खिलाफ छापेमारी की। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
ईडी के अधिकारियों ने तुलसियानी समूह के लखनऊ, मेरठ, नोएडा और प्रयागराज स्थित परिसरों के साथ ही हरियाणा के गुरुग्राम स्थित ठिकानों पर यह कार्रवाई की।
एजेंसी ने तुलसियानी समूह के खिलाफ जांच के तहत हरैया (बस्ती) से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक अजय सिंह के एक रिश्तेदार के लखनऊ में गोमती नगर स्थित एक कार्यालय परिसर पर भी छापा मारा।
सूत्रों ने कहा कि तुलसियानी समूह के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अनिल तुलसियानी और उनकी पत्नी पहले प्रयागराज की इस कंपनी के निदेशक थे और अब इस कंपनी में नए निदेशक जुड़ गए हैं, जो भाजपा विधायक से कथित रूप से जुड़े हैं।
सूत्रों ने कहा कि ईडी कंपनी और इसके कर्ताधर्ताओं द्वारा घर खरीदारों से धोखाधड़ी और बैंक ऋण धांधली के आरोपों पर सबूत जुटाने के लिए सभी परिसरों में तलाशी ले रही है।
सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें अपने लखनऊ स्थित दफ्तर में ईडी के छापों की जानकारी सुबह मिली थी।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं किसी भी जांच के लिए तैयार हूं। आयकर विभाग ने करीब तीन साल पहले भी छापे मारे थे। मैं भाजपा का समर्पित सिपाही हूं।’’
सिंह ने कहा, ‘‘लोग कहते हैं कि भाजपा केवल विपक्षी दलों को निशाना बनाती है, लेकिन मेरे खिलाफ इस कार्रवाई से यह दावा गलत साबित हो गया है।’’
‘पीटीआई’ ने इस बाबत प्रतिक्रिया के लिए कंपनी को एक ईमेल भेजा, लेकिन अभी कोई जवाब नहीं मिला है।
अधिकारियों ने कहा कि तुलसियानी समूह और उसके प्रवर्तकों के खिलाफ धनशोधन का मामला उत्तर प्रदेश पुलिस की एक प्राथमिकी पर आधारित है, जो पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) की शिकायत पर दर्ज की गई थी।
सूत्रों के अनुसार, पीएनबी ने कंपनी द्वारा 4.63 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी किए जाने का आरोप लगाया है। तुलसियानी के खिलाफ घर खरीदारों को कथित रूप से ठगने के मामले में भी जांच चल रही है। उन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया था और इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ईडी को मामले की जांच करने का निर्देश दिया था। (भाषा)
नयी दिल्ली, 24 अप्रैल। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए प्रचार अभियान बुधवार शाम को थम गया। इस चरण में 26 अप्रैल को 13 राज्यों की 89 सीट पर मतदान होगा।
सात चरण में हो रहे चुनाव के पहले चरण में पिछले शुक्रवार को 21 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीट पर लगभग 65.5 प्रतिशत मतदान हुआ था।
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में केरल की सभी 20, कर्नाटक की 28 में से 14, राजस्थान की 13, महाराष्ट्र व उत्तर प्रदेश की 8-8, मध्य प्रदेश की 7, असम और बिहार की 5-5, छत्तीसगढ़ व पश्चिम बंगाल में 3-3, मणिपुर, त्रिपुरा और जम्मू-कश्मीर में 1-1 सीट पर मतदान होगा।
इस चरण के प्रमुख उम्मीदवारों में केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर (तिरुवनंतपुरम), भाजपा के तेजस्वी सूर्या (बेंगलुरु दक्षिण), हेमा मालिनी (मथुरा), अरुण गोविल (मेरठ), कांग्रेस नेता राहुल गांधी (वायनाड), शशि थरूर (तिरुवनंतपुरम), कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता डी.के. शिवकुमार के भाई डी.के. सुरेश (बेंगलुरु ग्रामीण) कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी (मांड्या) शामिल हैं।
केरल में चुनाव प्रचार के अंतिम दिन विभिन्न राष्ट्रीय नेताओं ने प्रचार किया, जिनमें गृह मंत्री अमित शाह, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी शामिल थीं। इन नेताओं ने विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में जनसभाओं को संबोधित किया।
केरल में अपनी पैठ बनाने के लिए सभी प्रयास कर रही भाजपा ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), 'लव जिहाद', 'द केरल स्टोरी' फिल्म से जुड़े विवाद, वायनाड में राहुल गांधी की उम्मीदवारी और सुल्तान बथेरी का नाम बदलकर गणपति वट्टोम करने के अपने वादे के इर्द-गिर्द चुनाव प्रचार किया।
चुनाव प्रचार के दौरान, सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ) के विधायक पी.वी. अनवर ने राहुल गांधी को “चौथी श्रेणी का नागरिक” कहकर विवाद खड़ा कर दिया। अनवर ने कहा कि वह गांधी नाम का उपयोग करने के योग्य नहीं है और उन्हें “डीएनए परीक्षण कराना चाहिए।”
उन्होंने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के खिलाफ गांधी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कही और पूछा कि नेहरू परिवार से आने वाला कोई व्यक्ति इस तरह के बयान कैसे दे सकता है।
गांधी ने राज्य में अपने चुनाव अभियान के दौरान पूछा था कि विजयन को केंद्रीय एजेंसियों द्वारा पूछताछ और गिरफ्तारी से छूट क्यों दी गई, जबकि उनके खिलाफ कई आरोप सामने आ चुके हैं।
इसके जवाब में विजयन ने पूर्व मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन के एक दशक पुराने अभियान का हवाला देते हुए गांधी को "अमूल बेबी" कहा।
कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा-जनता दल (सेक्युलर) गठबंधन के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा है। कांग्रेस ने जहां इस चरण की सभी 14 सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं वहीं, भाजपा ने 11 जबकि जद(एस) ने तीन सीट पर उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं।
पिछले कुछ दिन में हुए धुआंधार प्रचार अभियान के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भाजपा के लिए रैलियां और रोड शो किए। भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, कुछ केंद्रीय मंत्री और गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने भी राज्य में प्रचार किया।
खरगे, वरिष्ठ नेताओं राहुल गांधी व प्रियंका गांधी, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार और तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने कांग्रेस के लिए प्रचार किया।
जद (एस) के लिए पार्टी के संरक्षक व पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा (90) और पूर्व मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने मोर्चा संभाला।
महाराष्ट्र में आठ लोकसभा सीट के लिए 204 उम्मीदवार मैदान में हैं। पश्चिमी विदर्भ में बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल-वाशिम, मराठवाड़ा में हिंगोली, नांदेड़ और परभणी लोकसभा सीट पर मतदान होगा। इन सीट कुल 1,49,25,912 मतदाता मतदान के पात्र हैं।
पश्चिम बंगाल की तीन लोकसभा सीट दार्जिलिंग, रायगंज और बालुरघाट के लिए भी प्रचार अभियान थम गया।
इन सीट पर कुल 51,17,955 मतदाता मतदान के पात्र हैं और चुनाव लड़ रहे 47 उम्मीदवारों में से तीन महिलाएं हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और उनके भतीजे व पार्टी सांसद अभिषेक बनर्जी जैसे दिग्गजों नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया।
इस बीच, चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र ने रविवार को राजस्थान के बांसवाड़ा में एक रैली को संबोधित करते हुए विवाद खड़ा कर दिया।
कांग्रेस के घोषणापत्र की आलोचना करते हुए, उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी दल लोगों की मेहनत की कमाई और कीमती सामान "घुसपैठियों" और "अधिक बच्चे वालों" को देने की योजना बना रही है।
उन्होंने 2006 में पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के भाषण का हवाला देते हुए यह आरोप लगाया, जिन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर अल्पसंख्यकों का "पहला दावा" होना चाहिए।
कांग्रेस ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के पहले चरण में "निराशा" का सामना करने के बाद, प्रधानमंत्री लोगों का ध्यान वास्तविक मुद्दों से भटकाने के लिए "झूठ" और "घृणास्पद बयानबाजी" का सहारा ले रहे हैं।
पार्टी ने निर्वाचन आयोग से मोदी की टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई करने का भी आग्रह किया। पार्टी ने आरोप लगाया कि उनकी टिप्पणियां 'विभाजनकारी', 'दुर्भावनापूर्ण' हैं और उन्होंने एक विशेष धार्मिक समुदाय को निशाना बनाकर ये दावे किए।
अगले दिन, मोदी ने फिर से कांग्रेस पर सत्ता में आने पर लोगों की संपत्ति बांटने की योजना बनाने का आरोप लगाया, लेकिन इस बार मुसलमानों का जिक्र नहीं किया।
बड़ी मुस्लिम आबादी वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के निर्वाचन क्षेत्र अलीगढ़ में रैली को संबोधित करते हुए, मोदी ने कहा कि वह लोगों को कांग्रेस और विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के "इरादों" के बारे में "सतर्क" करना चाहते थे।
इस बीच ‘विरासत कर’ को लेकर कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा की टिप्पणियों से विवाद खड़ा हो गया। इसे आधार बनाकर मोदी और भाजपा के अन्य नेताओं ने "संपत्ति बांटने" के आरोपों को लेकर कांग्रेस पर चौतरफा हमला शुरू कर दिया।
बुधवार को अपनी चुनावी रैलियों में, मोदी ने पित्रोदा की टिप्पणियों का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर हमला बोला। मोदी ने जोर देते हुए कहा कि उन्होंने (कांग्रेस) अपने छिपे हुए एजेंडे को उजागर कर दिया है।
मोदी ने कहा कि कांग्रेस देश के सामाजिक व पारिवारिक मूल्यों से इतनी दूर हो गई है कि वह लोगों की वह संपत्ति तथा जीवन भर की बचत कानूनी रूप से लूटना चाहती है, जिसे लोग अपने बच्चों को देना चाहते हैं।
कांग्रेस ने पित्रोदा की टिप्पणियों से किनारा कर लिया।
शुक्रवार के चरण के बाद केरल, राजस्थान और त्रिपुरा में मतदान खत्म हो जाएगा। 19 अप्रैल को पहले चरण में तमिलनाडु (39), उत्तराखंड (5), अरुणाचल प्रदेश (2), मेघालय (2), अंडमान-निकोबार द्वीप समूह (1), मिजोरम (1), नागालैंड (1), पुडुचेरी (1), सिक्किम (1) और लक्षद्वीप (1) में मतदान के साथ लोकसभा चुनाव संपन्न हो गया था।
साल 2019 में, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठंबधन (राजग) ने इन 89 में से 56 जबकि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) ने 24 सीट जीती थीं, इनमें से छह सीट पर परिसीमन हुआ है।
इन निर्वाचन क्षेत्रों के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि मतदान से 48 घंटे पहले कोई भी बाहरी व्यक्ति इन क्षेत्रों में न रहे। इसके अलावा किसी भी प्रकार के चुनाव प्रचार, जनसभाएं, राजनीतिक दलों द्वारा संवाददाता सम्मेलन आयोजित करने, इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंट मीडिया में साक्षात्कार और पैनल परिचर्चा पर भी सख्त पाबंदी लगा दी गई हैं।
सात मई को लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 94 सीट पर मतदान होगा। (भाषा)
नयी दिल्ली, 24 अप्रैल। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पीड़ित महिला के साथ समझौते के बाद एक व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामला रद्द कर दिया है और उसे 30 दिन तक सिग्नल पर यातायात पुलिस की मदद करने को कहा है।
अदालत ने आरोपी की उस याचिका को मंजूर कर लिया, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धाराओं 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला करना), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (शब्द, इशारा या कृत्य के द्वारा किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना) के तहत उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया गया था। याचिका में कहा गया था कि पीड़िता अब अपनी शिकायत को आगे बढ़ाना नहीं चाहती हैं और मामले को आगे जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है।
न्यायमूर्ति नवीन चावला ने आदेश दिया, ‘‘पूर्वी दिल्ली के प्रीत विहार पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 354/506/509 के तहत दर्ज की गई प्राथमिकी और इसके परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता के खिलाफ होने वाली कार्यवाही को इस शर्त के अधीन रद्द किया जाता है कि याचिकाकर्ता यातायात सिग्नल पर यातायात पुलिस की सहायता करेंगे। वह यातायात सिग्नल पर सहायता प्रदान करने के लिए डीसीपी यातायात को रिपोर्ट करेंगे।’’
अदालत ने 16 अप्रैल को पारित अपने आदेश में कहा कि कार्यवाही जारी रखने से पक्षकारों के बीच और कड़वाहट पैदा होगी और राज्य के खजाने पर अनावश्यक बोझ पड़ेगा।
अदालत ने कहा कि 30 दिन के बाद डीसीपी (यातायात) याचिकाकर्ता को एक प्रमाण पत्र जारी करेंगे, जिसे उन्हें दो महीने के भीतर अदालत में दाखिल करना होगा।
याचिकाकर्ता ने इस आधार पर प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया कि पक्षकारों ने सौहार्दपूर्ण ढंग से अपने आपसी विवादों को सुलझा लिया है और समझौता कर लिया है।
पीड़िता ने अदालत को यह भी बताया कि उन्होंने याचिकाकर्ता के साथ सभी विवादों को अपनी मर्जी से और बिना किसी दबाव के सुलझा लिया है और यदि वर्तमान प्राथमिकी रद्द कर दी जाती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। (भाषा)
हरदा (मप्र), 24 अप्रैल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को दावा किया कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ अपने नेतृत्व के मुद्दे को सुलझाने के लिए ‘एक साल, एक प्रधानमंत्री’’ के फॉर्मूले पर विचार कर रहा है।
उन्होंने कहा कि दुनिया सबसे बड़े लोकतंत्र में ऐसी व्यवस्था का उपहास करेगी।
मोदी ने मध्य प्रदेश की बैतूल लोकसभा सीट के अंतर्गत हरदा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए लोगों से सवाल किया कि क्या मतदाता ‘‘पांच साल में पांच प्रधानमंत्री’’ फॉर्मूले के लिए तैयार हैं।
उन्होंने इसे विपक्षी गठबंधन के सबसे बड़े घटक दल कांग्रेस का ‘‘खतरनाक खेल’’ करार दिया।
भाजपा के स्टार प्रचारक ने धन के पुनर्वितरण की कांग्रेस की कथित योजना को ‘‘लोगों की संपत्ति छीनना’’ बताया और कहा कि पार्टी के ‘शहजादे’ (वायनाड सांसद राहुल गांधी के संदर्भ में) के एक सलाहकार ने अब विरासत कर लगाने का सुझाव दिया है।
प्रधानमंत्री इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा की टिप्पणी का जिक्र कर रहे थे, जिन्होंने धन के पुनर्वितरण के मुद्दे पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए अमेरिका में विरासत कर कानून के बारे में बात की है।
मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से इस हद तक नफरत करती है कि वह अपने ‘‘सबसे पसंदीदा समुदाय’’ को नौकरियों और शिक्षा में उन्हें मिलने वाला आरक्षण देना चाहती है।
उन्होंने कहा कि जहां भाजपा में नेतृत्व के मुद्दे पर स्पष्टता है, वहीं ‘इंडिया’ गठबंधन में इसका अभाव है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘लोगों को पता होना चाहिए कि ‘इंडिया’ गठबंधन के नेता देश की बागडोर किसे सौंपना चाहते हैं।’’
उन्होंने विपक्षी गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘मीडिया में ऐसी खबरें आई हैं कि ‘इंडिया’ गठबंधन के लोगों के बीच ‘एक साल, एक प्रधानमंत्री’ फॉर्मूले पर चर्चा चल रही है। इसका मतलब है कि एक साल में एक प्रधानमंत्री, दूसरे साल में दूसरा प्रधानमंत्री, तीसरे साल में तीसरा प्रधानमंत्री, चौथे साल में चौथा प्रधानमंत्री, पांचवें साल में पांचवां प्रधानमंत्री... वे प्रधानमंत्री की कुर्सी नीलाम करने में व्यस्त हैं।’’
मोदी ने लोगों को इन नेताओं से सतर्क रहने की सलाह दी और कहा कि ये नेता ‘‘मुंगेरीलाल के सपने’’ जैसे दिवास्वप्न देख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपने वोट-बैंक को खुश करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।
मोदी ने कहा, ‘‘अगर किसी के पास एक से अधिक कार, मोटरसाइकिल या घर है, तो कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार आने पर इसे जब्त कर लिया जाएगा।’’
लोगों से भाजपा के लिए वोट करने की अपील करते हुए मोदी ने कहा कि उनके एक वोट ने यह सुनिश्चित किया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था दस साल में 11वें स्थान से 5वें स्थान पर पहुंच गई और 500 साल के इंतजार के बाद अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ।
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के घोषणापत्र में नौकरियों और शिक्षा में धर्म आधारित आरक्षण की बात होने का दावा किया।
उन्होंने कहा, ‘‘तेलंगाना के कांग्रेसी मुख्यमंत्री ने अभी कहा है कि वह मुसलमानों के लिए आरक्षण सुनिश्चित करेंगे।’’
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि जब केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार बनी तो उन्होंने सबसे पहले आंध्र प्रदेश में धर्म आधारित कोटा लागू किया।
उन्होंने कहा, ‘‘तब कांग्रेस अपनी योजना में पूरी तरह सफल नहीं हुई थी। लेकिन कांग्रेस अभी भी वह खेल खेलना चाहती है।’’
मोदी ने दावा किया कि कर्नाटक में ओबीसी के लिए आरक्षण को कमजोर करने के लिए दक्षिणी राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने मुसलमानों को उस श्रेणी में शामिल किया है।
उन्होंने चेताया, ‘‘कांग्रेस की यह कार्रवाई पूरे देश के ओबीसी समुदाय के लिए खतरे की घंटी है।’’
मोदी ने बताया कि संविधान निर्माताओं ने स्पष्ट रूप से तय किया था कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता।
उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे संविधान की मूल भावना थी, लेकिन कांग्रेस की हरकतें संविधान की मूल भावना के खिलाफ हैं।’’
उन्होंने कांग्रेस पर बी.आर. आंबेडकर के बनाए संविधान को मिटाने और एससी,एसटी,ओबीसी से आरक्षण छीनने की लगातार कोशिश करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस एससी,एसटी,ओबीसी से आरक्षण छीनकर अपने विशेष वोट बैंक को देना चाहती है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद कांग्रेस का सबसे बड़ा विरोध संविधान निर्माता आंबेडकर की ओर से हुआ, जो दूरदर्शी थे।
उन्होंने कहा, ‘‘बाबा साहेब ने उस समय पाया था कि कांग्रेस किस तरह देश को पतन के रास्ते पर ले जा रही थी।’’
भाजपा के दिग्गज नेता ने कांग्रेस पर धर्मनिरपेक्षता के नाम पर वोट बैंक की राजनीति करने और सामाजिक न्याय के विचार की ‘‘हत्या’’ करने का आरोप लगाया।
इस अवसर पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और विदिशा से भाजपा उम्मीदवार शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद थे।
भाजपा ने बैतूल से दुर्गादास उइके को मैदान में उतारा है, जहां विदिशा और सात अन्य लोकसभा सीटों के साथ सात मई को तीसरे चरण में मतदान होगा। (भाषा)
मुंबई , 24 अप्रैल। अभिनेता अमिताभ बच्चन को बुधवार को लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
पांच मंगेशकर भाई-बहनों में सबसे बड़ी लता की 2022 में मृत्यु हो जाने के बाद परिवार और ट्रस्ट ने सुर सम्राज्ञी की याद में पुरस्कार की स्थापना की थी।
बच्चन (81) को यह सम्मान 24 अप्रैल को रंगमंच-संगीत के दिग्गज और मंगेशकर भाई-बहनों के पिता दीनानाथ मंगेशकर के स्मृति दिवस पर मिला।
मंगेशकर भाई-बहनों में तीसरे नंबर की गायिका उषा मंगेशकर ने बच्चन को पुरस्कार प्रदान किया। पहले, मंगेशकर की दूसरी बहन और प्रसिद्ध गायिका आशा भोसले को पुरस्कार प्रदान करना था लेकिन वह अस्वस्थ होने के कारण कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकीं।
लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार के नाम से जाना जाने वाला यह पुरस्कार हर साल उस व्यक्ति को दिया जाता है जिसने राष्ट्र, उसके लोगों और समाज के प्रति अग्रणी योगदान दिया हो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसके पहले प्राप्तकर्ता थे, उसके बाद 2023 में आशा भोंसले को यह पुरस्कार दिया गया था।(भाषा)
बिलासा एयरपोर्ट में सेवाओं के विस्तार को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई
बिलासपुर, 25 अप्रैल। बिलासा एयरपोर्ट में उड़ान सेवाओं के विस्तार को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य शासन को निर्देश दिया है कि वह नाइट लैंडिंग के लिए डीजीसीए को जल्द आवेदन दे। डीजीसीए से भी इस पर जल्द निर्णय लेने के लिए कहा है। कई उड़ानों को बंद करने के संबंध में एलायंस एयर को आंकड़ों के साथ जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की बेंच में इस पर सुनवाई हुई। कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि एयरपोर्ट में नाइट लैंडिंग से संबंधित सभी सिविल वर्क पूरे कराये जा चुके हैं, अब यह एयरपोर्ट रात्रि में विमान उतारने व उड़ान भरने के लिए पूरी तरह तैयार है। सुनवाई के दौरान एलायंस एयर ने कहा कि प्रयागराज, जबलपुर होते हुए दिल्ली की उड़ाने तथा कोलकाता की फ्लाइट यात्रियों की संख्या कम होने के कारण बंद की गई है। इस पर याचिकाकर्ता हाईकोर्ट प्रैक्टिसिंग बार एसोसिएशन के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव की ओर से बताया गया कि जबलपुर से आने-जाने वाले फ्लाइट में यात्रियों की औसत संख्या 38 तथा 56 है। वहीं प्रयागराज से आने-जाने वाले यात्रियों की संख्या 50 और 58 है। ऐसे में यह कहना सही नहीं है कि यात्रियों की कम संख्या के कारण उड़ानों को रद्द करना पड़ा। हाईकोर्ट ने एलायंस एयर को इस पर आंकड़ों के साथ जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
पूर्व की सुनवाई में बिलासपुर दिल्ली फ्लाइट बंद होने और हैदराबाद की फ्लाइट शुरू नहीं करने के लिए भी एलांयस एयर से जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया था। इस पर उसकी ओर से कोई जवाब नहीं आया। हाईकोर्ट ने इसका भी जवाब दाखिल करने कहा है। याचिका की अगली सुनवाई 8 मई को रखी गई है।
अवैध उत्खनन रोकने के लिए प्रमुख सचिव से मांगा शपथ-पत्र
बिलासपुर, 25 अप्रैल। अरपा नदी के संरक्षण और संवर्धन को लेकर दायर जनहित याचिका पर पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कार्ययोजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था, लेकिन वह पेश नहीं की गई। सरकार ने इसके लिए समय मांगा, जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने 9 मई को अगली सुनवाई तय की है।
ज्ञात हो कि पेंड्रा निवासी रामनिवास तिवारी और अधिवक्ता अरविंद कुमार शुक्ला ने अलग-अलग याचिकाएं दायर कर अरपा नदी के उद्गम से लेकर संगम तक संरक्षण और संवर्धन के लिए शासन को निर्देश देने की मांग की गई है। हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने बिलासपुर और जीपीएम जिले के कलेक्टरों की एक संयुक्त विशेषज्ञ समिति सन् 2020 में बनाई थी, जिसे नदी के पुनर्जीवन के लिए कार्ययोजना प्रस्तुत करनी थी। समिति ने कई बैठकों के बावजूद इसे अब तक तैयार नहीं किया है। शासन की ओर से कोर्ट से समय मांगा गया। इसकी डीपीआर नगर निगम की ओर से तैयार की गई है, इसे भी अगली सुनवाई में प्रस्तुत किया जाएगा। अगली सुनवाई 9 मई को होगी।
हाईकोर्ट ने अरपा नदी में अवैध उत्खनन के चलते 17 जुलाई 2023 को तीन बच्चियों की मौत हो जाने के मामले की भी सुनवाई की। कोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका दर्ज की है। याचिका में कहा गया है कि खनन में भारी मशीनों से काम लिया जा रहा है जो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों का उललंघन है। अवैध उत्खनन से अरपा नदी को क्षति पहुंच रही है और दुर्घटनाएं हो रही है।
कोर्ट ने राज्य सरकार से पिछली सुनवाई में जानकारी मांगी थी अवैध खनन रोकने के लिए उसने क्या कदम उठाए हैं। इस पर शासन की ओर से बताया गया कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी। शासन की ओर से ठेकेदार व परिवहनकर्ताओं के वाहनों की जब्ती व उन पर लगाए गए जुर्माने का विवरण प्रस्तुत किया गया। कोर्ट ने कहा कि जुर्माना व जब्ती की कार्रवाई पर्याप्त नहीं है, एफआईआर भी दर्ज की जानी चाहिए। कोर्ट ने खनिज विभाग के प्रमुख सचिव को शपथ-पत्र के साथ जवाब दाखिल करने कहा है, जिसमें बताया जाना है कि नदी में अवैध खनन रोकने के लिए क्या कार्ययोजना बनाई गई है। प्रकरण की अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी।
-सलमान रावी
छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित इलाक़े कांकेर में 26 अप्रैल को मतदान होना है.
पड़ोस के ज़िले बस्तर में बीते 19 अप्रैल को मतदान हो चुका है. इस मतदान से पहले 16 अप्रैल को कांकेर ज़िला मुख्यालय से क़रीब 160 किलोमीटर दूर आपाटोला-कलपर जंगल के क्षेत्र में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में 29 माओवादी मारे गए थे.
पुलिस प्रशासन इस मुठभेड़ को एक बड़ी कामयाबी के तौर पर पेश कर रहा है.
इस घटना के 48 घंटों के अंदर माओवादियों ने प्रेस रिलीज़ जारी करके कहा कि "हमारे साथियों ने जंगल क्षेत्र में पनाह ली थी और उनको घेर कर मारा गया है."
कांकेर के पुलिस अधीक्षक कल्याण एलेसेला ने बीबीसी हिंदी को बताया, "19 अप्रैल को बस्तर लोकसभा सीट पर मतदान होना था. उससे ठीक पहले 15 अप्रैल को हमें बड़े नक्सली दस्ते के जमा होने की पुख्ता जानकारी मिली. यह इलाक़ा बस्तर और कांकेर, दोनों से नज़दीक है. वहां पर बहुत बड़े कैडर और कमांडर थे, 60 से 70 की संख्या में माओवादी थे. हमने इलाके को घेरा और मुठभेड़ हुई."
माओवादियों ने जो बयान जारी किया है, उसमें सुरक्षाबलों पर संगीन आरोप लगाते हुए कहा है, "पुलिस के हमले में 12 साथियों की गोली लगने से मौत हुई थी. बाक़ी 17 साथियों को पुलिस ने घायल अवस्था में या ज़िंदा पकड़कर निर्मम हत्या की है."
हालांकि बस्तर संभाग के आईजी पुलिस सुंदरराज पी ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा, "सहानुभूति हासिल करने के लिए माओवादी इस तरह की दावे करते रहे हैं. ये उनके प्रोपेगैंडा का तरीक़ा है."
इस कथित मुठभेड़ में मारे जाने वालों में शंकर राव और उनकी पत्नी रीता डिविजनल कमेटी रैंक के माओवादी थे.
शंकर पर 25 लाख रुपये का इनाम घोषित था, जबकि रीता पर दस लाख रुपये का इनाम था.
कांकेर में 26 अप्रैल को मतदान होना है. माओवादियों ने पहले से चुनाव बहिष्कार करने की अपील की हुई है. लेकिन अब चुनाव से ठीक एक दिन पहले बंद का ऐलान किया गया है. भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने इसे 'क़त्ल कांड' बताते हुए 25 अप्रैल को नारायणपुर, कांकेर, मोहला-मानपुर बंद को सफल बनाने की अपील की है.
इमेज कैप्शन,इस कथित मुठभेड़ में मारे जाने वालों में शंकर राव पर 25 लाख रुपये का इनाम घोषित था
ऐेसे माहौल में सुरक्षा बल के जवानों की मुस्तैद नज़रें और सड़कों पर पसरा सन्नाटा, कई मायनों में डराने वाला लगता है.
माओवादियों के जिस तरह के बड़े लीडर इस घटना में मारे गए हैं, उसे देखते हुए पुलिस प्रशासन को आशंका है कि इसका बदला लेने के लिए माओवादी हमला कर सकते हैं.
नक्सल शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के छोटे से गाँव नक्सलबाड़ी से हुई है जहाँ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता चारू मजूमदार और कानू सान्याल ने 1967 मे सत्ता और सरकार के विरुद्ध एक सशस्त्र आन्दोलन शुरू किया था.
साल 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने माओवादी हिंसा को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया था, इसके बाद ऑपरेशन ग्रीन हंट की शुरुआत हुई.
साल 2009 में गृह मंत्री पी. चिदबंरम ने संसद में बताया था कि देश में माओवाद प्रभावित ज़िलों की संख्या 223 थी. हालांकि मुख्य रूप से इनका असर देश के दस राज्यों के करीब 75 ज़िलों में माना गया है.
यूपीए सरकार के दौर में माओवादियों के ख़िलाफ़ सशस्त्र अभियान शुरू हुआ, वह बीते दस सालों से एनडीए सरकार के दौरान भी जारी रहा है.
बस्तर संभाग के आईजी पी सुंदरराज कहते हैं, "बस्तर संभाग में बीते तीन साढे तीन महीने में पुलिस के साथ मुठभेड़ में 79 माओवादी मारे गए हैं. काफ़ी हथियार भी बरामद हुए हैं. माओवादी अरेस्ट भी हो रहे हैं. उनके इकोसिस्टम पर असर पड़ा है."
माओवादी हमले के पूर्ववर्ती मामलों को देखते हुए ये आशंका भी जताई जा रही है कि माओवादी अपनी ताक़त का प्रदर्शन करने के लिए भी कोई हमला कर सकते हैं.
हालांकि दूसरी ओर इस बात की आशंका भी है कि सुरक्षा बल के जवान माओवादियों के किसी दूसरे समूह को अपना निशाना बना लें.
यही वजह कि सड़कों पर फैले सन्नाटे में भी खौफ़ पसरा हुआ है. 16 अप्रैल को हुए मुठभेड़ की जगह से सबसे नज़दीक गांव है छोटे बेठिया. उस गांव का कोई व्यक्ति किसी अनहोनी की आशंका में कैमरे पर कुछ नहीं बोलना चाहता.
एक तो दिन भर की हाड़तोड़ मेहनत करके अपना और अपने परिवार का पेट पालने की चिंता और ऊपर से दशकों से माओवादियों और सुरक्षाबल के बीच पिस रहे इन लोगों की ज़िंदगी में तकलीफ़ और अनिष्ट की आशंका ही स्थायी साथी बन गए हैं.
छोटे बेठिया गांव के लोगों में इस बात की राहत तो है कि इस मुठभेड़ में कोई गांव वाला नहीं मरा है, लेकिन यह राहत कब तक रहेगी, इसका कोई भरोसा उन्हें नहीं है. ना तो केंद्रीय सुरक्षा बल और ना ही राज्य सरकार, उन्हें अमन और चैन का भरोसा दिला पाई हैं.
इस इलाक़े में आम आदिवासियों की ज़िंदगी में कोई भी दिन ऐसा हो सकता है, जहां से परिवार तबाह हो सकते हैं. ये तबाही किन रूपों में आ सकती है- आप घर से बाहर निकले और क्रॉस फ़ायरिंग की चपेट में आ जाएं, सुरक्षा बल या माओवादी, किसी की भी गोली लग सकती है या फिर मुखबरी करने के आरोप में माओवादी आपको निशाना बना लें. या फिर माओवादी होने के शक़ में पुलिस मार दे.
यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में मानवाधिकार कार्यकर्ता आरोप लगाते हैं कि माओवाद पर अंकुश लगाने की इस लड़ाई में आम आदिवासियों की ज़िंदगी दांव पर लगी हुई है.
जब दांव पर ज़िंदगी लगी हो तो लोकतंत्र के महापर्व को लेकर भी बहुत उत्साह नहीं दिखता. लेकिन अच्छी बात यह है कि आम आदिवासी मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करना जान चुके हैं.
19 अप्रैल को बस्तर में क़रीब 68 प्रतिशत लोगों ने मतदान में हिस्सा लिया था. उम्मीद की जा रही है कि कांकेर में भी अच्छा मतदान होगा.
लेकिन इस लड़ाई का असर आम आदिवासियों पर कितना पड़ रहा है?
छत्तीसगढ़ के सबसे माओवाद प्रभावित इलाक़े अबूझमाड़ के इलाके की सरहद से लगा हुआ है पेवारी गाँव. कांकेर ज़िला मुख्यालय से लगभग सौ किलोमीटर दूर सुदूर जंगल के बीच बसे इस गाँव में सूरजवती हिडको का भी घर है.
बीबीसी हिंदी की टीम जब इस घर तक पहुंची तो ख़ामोशी और उदास चेहरे ही दिखे. सूरजवती अनिल हिडको की वयोवृद्ध माँ है.
आँगन के एक कोने में बैठी हुई सूरजवती हिडको अपने आंसू पोछ रही हैं. दो महीने पहले परिवार में कमाने वाला बेटा था, बहू थी और पोता और पोती. लेकिन 24 फरवरी, 2024 को इन सबकी दुनिया उजड़ गई.
मां बताती हैं कि 28 साल का बेटा अनिल हमेशा की तरह 15 किलोमीटर दूर जंगल में तेंदू पट्टों को बाँधने के लिए रस्सी का इंतज़ाम करने गया हुआ था.
सूरजवती कहती हैं, "इसके अगले दिन यानी 25 फरवरी को शाम के समय उनके गाँव के लोगों ने ख़बर दी कि उनके बेटे की पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई है. ये मुठभेड़ मरदा गाँव के पास की पहाड़ी पर हुई थी. कोई नहीं बता रहा है कि क्या हुआ, मेरे बेटे को रात 11 बजे दफ़नाया गया. लाश देर से मिली हमें और बदबू की वजह से हम उसको घर में रख नहीं पाए साहब, परिवार वाले भी उसका चेहरा नहीं देख पाए."
वहीं पास ही में गोद में बच्चे को लिए अनिल की पत्नी सूरजा हिडको का भी रो-रो कर बुरा हाल था. काफ़ी देर के बाद उन्होंने बात करनी शुरू की. उनकी चिंता थी कि वयोवृद्ध सास और ससुर के साथ साथ दो छोटे बच्चों को लेकर वो बाक़ी की ज़िन्दगी कैसे गुजारेंगी.
वो कहती हैं, "मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं. उनका पालन पोषण करने वाला कोई नहीं है. सास-ससुर के काम करने की उम्र नहीं है. घर में केवल मेरा पति कमाने वाला था. अब बताइए क्या करूं मैं. वो जंगल से रस्सी का सामान लाने गए थे. उनको मार दिया."
25 फ़रवरी को हुई जिस मुठभेड़ में अनिल के मारे जाने की बात कही जा रही है उसके बारे में सुरक्षा बलों का दावा है कि पेवारी गाँव से 25 किलोमीटर दूर मरदा गाँव के पास के पहाड़ में मुठभेड़ हुई थी जिस दौरान तीन माओवादी छापामारों को सुरक्षा बलों ने मारा था.
मगर पेवारी गाँव के मुखिया मंगलू राम का दावा है कि अनिल उनके यहां ट्रैक्टर चलाने की नौकरी करते थे.
घटना के बाद गाँव के सभी लोगों ने कांकेर ज़िले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन भी सौंपा है कि अनिल न तो माओवादी थे, ना ही उनका संगठन से किसी भी प्रकार का कोई संपर्क रहा है.
मंगलू राम का कहना था, "वो हमारे घर का आदमी था. गाँव का लड़का है जो मेहनत मजदूरी करने वाला था. रोज़गार गारंटी के तहत भी मजदूरी करता था. उसका कार्ड भी है. उसके अलावा उसका आधार कार्ड और पैन के साथ-साथ आयुष्मान कार्ड भी है. राशन लेने भी वो ही जाता था."
"हर महीने राशन लेने के बाद उसी के हस्ताक्षर हैं रजिस्टर पर और राशन कार्ड पर. वो तो जंगल गया था तेंदू पट्टे के लिए रस्सी बनाने का सामान इकठ्ठा करने. हमेशा जंगल जाता था. मुठभेड़ हुई बताया गया, गोली मार दी उसको. वो जंगल वाला आदमी (माओवादी) नहीं था. आम आदमी था. मेरा ट्रैक्टर भी चलाता था अनिल."
बस्तर संभाग के पुलिस महानिरीक्षक पी सुंदरराज स्वीकार करते हैं कि छापामार युद्ध में इस बात की बहुत संभावना रहती है कि संघर्ष के दौरान आम आदमी भी पिस जाए.
वो ये भी दावा करते हैं कि ऐसी स्थिति में स्वतंत्र जांच करवाई जाती है और पीड़ितों के परिवारों को 'मुआवजा भी दिया' जाता है.
25 फरवरी को इन दोनों मौतों के बारे में उन्होंने कहा, "इन परिवारों की तरफ़ से शिकायतें मिली हैं, इसकी जांच कराई जा रही है."
पी. सुंदरराज ने ऐसे मामलो के सामने आने पर कहा, "अगर माओवादियों और सुरक्षा बल के बीच मुठभेड़ होती है और अगर उसमे कोई निर्दोष ग्रामीण को नुकसान होता है तो हम उस हक़ीक़त को स्वीकार करते हैं. उसका जो मुआवजा बनता है वो उसके आश्रितों को देते हैं."
निर्दोष ग्रामीण की मौत पर आश्रित परिवार को पांच लाख रुपये और घायल होने की सूरत में एक लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है.
लेकिन अहम सवाल यही है कि क्या कोई मुआवज़ा सूरजवती या फिर सूरज की उजड़ी दुनिया में रौनक वापस ला सकता है. या फिर मरदा गाँव के ख़ासपाड़ा में सोमारी बाई नेगी के परिवार की खुशियां वापस लौटा सकता है.
यह पूरा परिवार शोक में डूबा है, उनके पुत्र रामेश्वर नेगी भी 25 फरवरी को हुई मुठभेड़ में मारे गए. उनके परिवार ने भी सरकार को आवेदन देकर आरोप लगाया है कि ये फ़र्ज़ी मुठभेड़ थी.
गाँव वाले कहते हैं कि पुलिस दावा कर रही है कि एक देसी बंदूक़ भी बरामद की है मगर पूरे गाँव में किसी के पास कोई हथियार नहीं है.
कैलाश फ़रवरी महीने में हुई मुठभेड़ के बारे में कहते हैं, "अगर दोनों तरफ़ से फायरिंग हुई होती तो जिन्हें पुलिस नक्सली कह रही है वो भी पुलिस पर हमला करते. ऐसा तो कुछ हुआ ही नहीं था. तो हमारे आदमी को नक्सली कहकर मार दिए हैं."
दंतेवाड़ा में रहने वाली मानवाधिकार कार्यकर्ता और पेशे से वकील बेला भाटिया ने बीबीसी हिंदी को बताया, "कई ऐसे मामले आए हैं जहां मुठभेड़ हुई और कई लोग मारे गए. कुछ मामलों में दो या तीन माओवादियों की शिनाख़्त हुई और कई ऐसे भी रहे हैं जिनका माओवाद से कुछ लेना देना नहीं था. बेगुनाह लोग जो क्रॉस फायरिंग में मारे जाते हैं उनके लिए आवाज़ उठाने वाला कोई नहीं है. न माओवादी न कोई और संस्था, इसलिए डर का माहौल है."
25 फरवरी को हुई मुठभेड़ को लेकर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी सवाल उठाए थे.
इस महीने की बड़ी घटना के बाद फिर सवाल उठने लगे हैं कि अगर माओवादी कमज़ोर पड़ गए हैं और पीछे हट गए हैं तो फिर इतनी बड़ी तादाद में वो किस तरह हमला करने वाले थे.
इस घटना के बाद पुलिस प्रशासन ने मीडिया को जो जानकारी दी, उसके मुताबिक घटना स्थल से 'एलएमजी, एनसास, कार्बाइन और एके-47' जैसे हथियार भी बरामद किए गए थे.
सवाल ये भी उठ रहे हैं कि मारे गए माओवादियों के पास से इतने अत्याधुनिक हथियार कैसे बरामद हुए हैं?
इन सवालों पर पी सुंदरराज दावा करते हैं, "माओवादियों ने सुरक्षा बलों के ऊपर भी हमले किए हैं और पिछले सालों में शस्त्रागार भी लूटे हैं. इनमे से बहुत सारे हथियार वैसे भी हैं. इसके अलावा वो देसी तरीक़े से भी हथियार बनाते हैं. वे विस्फ़ोटक भी बनाते हैं. इन विस्फोटकों से सुरक्षा बलों को बहुत ज़्यादा नुकसान झेलना पड़ा है."
सुरक्षा बलों और माओवादियों के इस संघर्ष के बीच पिसने वाले स्थानीय ग्रामीण आदिवासियों को अपने भविष्य को लेकर किसी भी तरह की कोई उम्मीद नहीं दिखती.
छत्तीसगढ़ में बीजेपी के सरकार में आने के बाद माओवादियों के ख़िलाफ़ अभियान में तेजी दिखी है लेकिन 16 अप्रैल की मुठभेड़ के बाद राज्य सरकार ने अब माओवादियों के साथ बातचीत की पेशकश भी की है.
राज्य के उप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “किसी भी समस्या का समाधान हिंसा से नहीं हो सकता इसलिए सरकार माओवादियों से बातचीत के लिए तैयार है.”
विजय शर्मा कहते हैं, “विकास भी बंदूक़ की नोक पर नहीं हो सकता इसलिए बातचीत का रास्ता अपनाना ही बेहतर होगा.”
लेकिन बीते तीन दशकों से बस्तर के इलाक़े में माओवादी और पुलिस प्रशासन के बीच टकराव ही हुआ है, कोई बातचीत नहीं हुई है. (bbc.com/hindi)
गुजरात की सूरत लोकसभा सीट से बीजेपी के मुकेश दलाल चुनाव होने से पहले ही जीत गए हैं.
उनके ख़िलाफ़ कांग्रेस उम्मीदवार का पर्चा रद्द हो चुका था और बाकी निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस ले लिए थे. इसलिए उन्हें निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया.
मुकेश दलाल का इस तरह से निर्विरोध निर्वाचित होने का मामला पूरे देश के मीडिया में छाया हुआ है.
सूरत लोकसभा सीट के सात दशक के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है.
इस प्रकरण में बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.
कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी ने लोकतंत्र की हत्या की है. जबकि बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस उम्मीदवार के समर्थकों ने हलफनामा देकर कहा है कि पर्चे में उनके उम्मीदवार का नाम गलत है. ऐसे में उनका पर्चा रद्द हो गया. इसमें बीजेपी की क्या गलती है.
इस पूरे मामले में अब बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े का मानना है कि उनकी पार्टी ने निर्दलीय उम्मीदवारों से अपने पर्चे वापस लेने का अनुरोध किया था.
सूरत शहर के बीजेपी अध्यक्ष निरंजन ज़ांज़मेरा ने बीबीसी गुजराती को बताया है कि जब पता चला कि कांग्रेस उम्मीदवार के फॉर्म में गड़बड़ी है तो उनकी पार्टी के नेता सक्रिय हो गए.
सूरत में कुल 15 नामांकन पत्र भरे गए. इनमें कांग्रेस के नीलेश कुंभानी समेत 6 फॉर्म रद्द हो गए.
इस तरह बीजेपी उम्मीदवार मुकेश दलाल को छोड़कर आठ उम्मीदवारों के फॉर्म बचे थे. लेकिन इन आठ उम्मीदवारों ने भी अपने फॉर्म वापस ले लिए. लिहाज़ा मुकेश दलाल को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया.
कांग्रेस का आरोप है कि पूरी घटना बीजेपी के इशारे पर हुई है, जबकि बीजेपी ने इससे इनकार किया है.
कांग्रेस नेता और नवसारी सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नैशाद देसाई ने बीबीसी गुजराती से बातचीत में कहा, ''बीजेपी सूरत के मेरिडियन होटल में फॉर्म लेकर गई और सभी सातों निर्दलीय उम्मीदवारों से इन्हें वापस लेने के लिए कहा. बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार प्यारेलाल भारती उनके संपर्क से बाहर थे."
"इसलिए भाजपा ने सत्ता का दुरुपयोग किया और क्राइम ब्रांच पुलिस को उनके पीछे लगा दिया. पुलिस ने उन्हें मध्य प्रदेश से बाहर कर दिया और फिर उनका फॉर्म भी वापस ले लिया गया.''
हालांकि बीजेपी ने सभी आरोपों से इनकार किया है. बीजेपी का कहना है कि मुकेश दलाल की जीत नियमों के मुताबिक हुई है और पार्टी पर जिस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं उनमें कोई सच्चाई नहीं है.
कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी, जिनका फॉर्म रद्द कर दिया गया था, गायब बताए जा रहे हैं. सूरत के सूत्रों का कहना है कि उनका कोई पता नहीं चल रहा है. उनके घर में ताला लगा हुआ है.
कांग्रेस नेताओं को भी नहीं पता कुंभानी कहां हैं? उधर, कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कुंभानी के घर के बाहर प्रदर्शन किया और उनके घर के बाहर गद्दार का पोस्टर लगा दिया. पुलिस ने इन कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया.
आख़िरकार 21 तारीख की सुबह नीलेश कुंभानी सुनवाई के लिए कलेक्टर कार्यालय आए जहां उनके साथ कुछ कांग्रेस नेता भी पहुंचे.
कुंभानी कुछ देर बाद ही वहां से चले गए जिसके बाद उनका कोई पता नहीं चल पाया है. कांग्रेस नेता भी कह रहे हैं कि उनसे संपर्क नहीं हो सका.
बीबीसी गुजराती से बातचीत में कांग्रेस नेता असलम सैकलवाला ने कहा, ''21 तारीख को दोपहर 12:30 बजे नीलेश कुंभानी से मेरी फोन पर बातचीत हुई. कुंभानी ने मुझसे कहा कि मुझ पर बहुत दबाव है और मैं इसमें शामिल नहीं हूं. कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हूं. इसके बाद से उनसे मेरी बात नहीं हुई.''
असलम सैकलवाला ने कहा, "पार्टी को कुंभानी के तीन समर्थकों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. उनके पर्चे का समर्थन करने वाले कौन होंगे इसका फैसला कुंभानी ने खुद किया था. हालांकि पार्टी को उनके नाम पता चल गए."
उन्होंने कुंभानी पर आरोप लगाते हुए कहा, "ऐसा लगता है कि सब कुछ पहले से तय था. ये एक साज़िश थी. कुंभानी जनता को अब अपना चेहरा नहीं दिखा पाएंगे."
कांग्रेस का आरोप है कि पूरी घटना बीजेपी के इशारे पर हुई है, जबकि बीजेपी ने इससे इनकार किया है.
21 अप्रैल को कांग्रेस उम्मीदवार का पर्चा रद्द होने के बाद 22 अप्रैल को मुकेश दलाल को विजेता घोषित कर दिया गया. ये सब पूरे 24 घंटों के अंदर हो गया.
नीलेश कुंभानी सूरत के सरथाना इलाके में स्वास्तिक टॉवर में रहते हैं. जब बीबीसी गुजराती टीम कुंभानी के घर पहुंची तो वहां ताला लगा हुआ था और पुलिस मौजूद थी. पुलिस ने बताया कि उनके घर पर कोई मौजूद नहीं है.
असलम सैकलवाला ने उनके ठिकाने के बारे में अनुमान लगाते हुए बीबीसी को बताया, "हमें जानकारी मिली है कि कुंभानी इस समय अपने परिवार के साथ गोवा में हैं. हम लगातार उनसे संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन नहीं कर पा रहे हैं."
कांग्रेस नेता नैशाद देसाई ने बीबीसी गुजराती से कहा, ''कुंभानी का पर्चा रद्द करने को लेकर हम गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर करने जा रहे हैं लेकिन वे संपर्क में नहीं हैं. उन्होंने अभी तक हमें हलफनामे की कॉपी नहीं दी है. जिसके कारण हम ऐसा कर सकें.''
"कुंभानी ने जिस तरह से हलफनामा दायर किया है, उसकी कोई प्रति नहीं दी गई है, इसे देखते हुए उनकी भूमिका भी संदिग्ध लगती है.''
अटकलें लगाई जा रही हैं कि कुंभानी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं, लेकिन जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो बीजेपी ने इन अटकलों पर चुप रहना ही मुनासिब समझा.
सूरत शहर बीजेपी के अध्यक्ष निरंजन ज़ांज़मेरा ने बीबीसी गुजराती को बताया, "जब बीजेपी को पता चला कि नीलेश कुंभानी के फॉर्म में गड़बड़ी है तो पार्टी नेता सक्रिय हो गए. हमने कलेक्टर को एक हलफनामा दिया कि कुंभानी के फॉर्म में समर्थकों के हस्ताक्षर फर्जी हैं. इसलिए उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी गई.''
हालांकि, कुंभानी के वकील ज़मीर शेख ने कहा, "19 तारीख को, जब फॉर्म का सत्यापन किया जा रहा था तो भाजपा चुनाव एजेंट ने आपत्ति जताई. इससे पहले अगर समर्थकों ने कलेक्टर को एक शपथ पत्र दिया था कि उनके हस्ताक्षर फर्जी थे तो भाजपा को इसके बारे में कैसे पता चला?"
कांग्रेस नेता की उम्मीदवारी रद्द होने के बाद बीजेपी उम्मीदवार मुकेश दलाल के खिलाफ निर्दलीय और बसपा उम्मीदवार मैदान में थे. हालांकि आखिरी दिन इन सभी ने भी पर्चा वापस ले लिया.
इस संबंध में 23 अप्रैल को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने स्वीकार किया कि कांग्रेस उम्मीदवार का फॉर्म रद्द होने के बाद बीजेपी ने निर्दलीय और अन्य उम्मीदवारों से संपर्क किया था और उन्हें फॉर्म वापस लेने के लिए कहा था.
जब उनसे सूरत में कांग्रेस उम्मीदवार का पर्चा रद्द होने को लेकर सवाल पूछा गया कि क्या बीजेपी 'निम्न स्तर' की राजनीति कर रही है? इस पर विनोद तावड़े ने कहा, "अगर कोई विपक्षी उम्मीदवार गलत तरीके से फॉर्म भरता है तो उस पर आपत्ति जताना निम्न स्तर की राजनीति नहीं है. अगर हम स्वतंत्र उम्मीदवारों से अनुरोध करते हैं और वे फॉर्म वापस ले लेते हैं तो यह निम्न स्तर की राजनीति नहीं है."
जब रिपोर्टर ने उनसे पूछा कि क्या सभी प्रतिद्वंदी उम्मीदवारों से फॉर्म वापस करने के लिए संपर्क किया गया था? विनोद तावड़े ने कहा, 'हां, हमने फॉर्म वापस करने के लिए सभी उम्मीदवारों से संपर्क किया और फॉर्म भरने से पहले ही उन्हें समझाने की कोशिश की थी. '
उन्होंने यह भी कहा, 'भाजपा चुनाव जीतने के लिए लड़ती है और वह भी चुनाव आयोग के नियमों के तहत.
नीलेश कुंभानी का पर्चा रद्द होने के बाद अन्य प्रत्याशियों की भूमिका अहम हो गयी. आठ में से सात उम्मीदवारों ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली. लेकिन बसपा प्रत्याशी प्यारेलाल भारती की उम्मीदवारी वापस नहीं ली गई.
इस बारे में नवसारी सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नैशाद देसाई ने कहा, ''हमने बीएसपी के अश्विन बारोट, सुरेश सोनावने से फोन पर बातचीत की. कांग्रेस प्यारेलाल को समर्थन देने के लिए राज़ी हो गई. हमने उनसे उम्मीदवार को गुजरात से बाहर ले जाने के लिए कहा. लेकिन अचानक दोपहर 2 बजे सोमवार को नामांकन पत्र वापस ले लिया गया. सूरत में चुनाव होने की उम्मीद टूट गई.”
वहीं, बसपा के सूरत ज़िला अध्यक्ष सतीश सोनवणे ने कहा, ''पिछले दो दिनों से हमने सूरत में जिस तरह की घटनाएं देखी हैं, उससे हमें अंदाज़ा हो गया है. हमें पता था कि हमारे उम्मीदवार पर दबाव होगा. हमने प्यारेलाल को भूमिगत कर दिया.''
उन्होंने कहा, "वो हमारे संपर्क में थे. लेकिन सोमवार को उनसे संपर्क नहीं हो सका. हमने उनकी तलाश शुरू की लेकिन मीडिया के माध्यम से पता चला कि प्यारेलाल कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे और अपना नामांकन पत्र वापस ले लिया था. हम वहां गए लेकिन वह वहां से जा चुके थे और अब वापस आ गए हैं." उसके बाद से संपर्क नहीं किया गया.''
बीबीसी गुजराती ने प्यारेलाल से बात करने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं हो सका.
हमने एक और निर्दलीय उम्मीदवार रमेश बरैया से संपर्क किया. रमेश बरैया ने कहा, "मैंने कांग्रेस नेता से बात की और उनसे मेरा समर्थन करने को कहा. लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया."
"मैंने बीजेपी के खिलाफ नहीं लड़ने का फैसला किया. इसमें खर्चे भी हैं. मैंने कांग्रेस को इन खर्चों के बारे में बताया लेकिन उन्होंने मुझे कोई जवाब नहीं दिया. इसलिए मैंने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली."
हालाँकि, जब हमने रमेश बरैया से पूछा कि क्या उन्होंने किसी लालच या दबाव के कारण अपनी उम्मीदवारी वापस ली है? अपने जवाब में उन्होंने कहा, "नहीं, मुझे कोई पैसे की पेशकश नहीं की गई और न ही मुझ पर कोई दबाव था. मैंने स्वेच्छा से अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली."
समर्थकों की भूमिका पर भी संदेह?
रमेशभाई बलवंतभाई पोलारा, जगदीश नागजीभाई सावलिया और ध्रुविन धीरूभाई धमेलिया ने नीलेश कुंभानी के समर्थक के रूप में हस्ताक्षर किए थे. जगदीश सावलिया नीलेश कुम्भानी के जीजा हैं, वहीं ध्रुविन धमेलिया उनके भतीजे हैं और रमेश पोलारा उनके बिज़नेस पार्टनर रहे हैं.
चूंकि ये तीन लोग नीलेश कुंभानी के सबसे निजी व्यक्तियों में से हैं, इसलिए सवाल उठाए जा रहे हैं कि उन्होंने कलेक्टर कार्यालय में जाकर एक हलफनामा क्यों दायर किया कि कुंभानी के नामांकन पत्र में उनके हस्ताक्षर झूठे थे. इस घटना के बाद ये समर्थक भी संपर्क से बाहर हो गए हैं.
ज़मीर शेख का आरोप है, "समर्थकों की भूमिका के साथ कुंभानी की भूमिका भी संदिग्ध है. ऐसा लगता है कि सब कुछ हेरफेर किया गया है."
कुंभानी ने पहले उमरा पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत लिखाई कि उनके समर्थकों का अपहरण कर लिया गया है लेकिन फिर वे गायब हो गए.
समर्थकों के अपहरण के आरोप पर सूरत के पूर्व मेयर जगदीश पटेल ने कहा, "चाहे चुनाव हो या न हो, कांग्रेस नेताओं का काम बीजेपी पर आरोप लगाना है. सभी की मौजूदगी में फॉर्म भरे गए हैं." (bbc.com/hindi)
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी सैम पित्रोदा के बयान के बाद पूरी तरह एक्सपोज़ (उजागर) हो गई है.
सैम पित्रोदा ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में अमेरिका में लगने वाले इनहेरिटेंस टैक्स की बात की थी, जिसके तहत किसी शख्स की अरबों की संपत्ति उसके मरने के बाद सीधे बच्चों को नहीं मिलती बल्कि इसका एक बड़ा हिस्सा सरकार को चला जाता है.
इस पर अमित शाह ने कहा, "सबसे पहले घोषणापत्र (कांग्रेस के) में सर्वे, मनमोहन सिंह का पुराना बयान जो कांग्रेस की लीगेसी है कि 'हम देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का मानते हैं', और अब इनके घोषणापत्र बनाने में जिनकी अहम भूमिका है उनका (सैम पित्रोदा) बयान कि संपत्ति के बंटवारे पर विचार होना चाहिए."
अमित शाह ने कहा, "अमेरिका का हवाला देते हुए इन्होंने कहा कि 55 प्रतिशत संपत्ति सरकारी खजाने में जाती है. अब जब प्रधानमंत्री जी ने ये मुद्दा उठाया तो राहुल गांधी, सोनिया गांधी और पूरी कांग्रेस बैकफुट पर आई है कि हमारा मकसद ये नहीं है."
"लेकिन आज सैम पित्रोदा के बयान ने पूरे देश के सामने कांग्रेस का मकसद स्पष्ट कर दिया है कि निजी संपत्ति का सर्वे कर के, निजी संपत्ति को सरकारी खजाने में डालकर, जो उन्होंने यूपीए सरकार में तय किया था कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यक और उसमें भी सबसे अधिक मुस्लिमों का है, उस प्रकार से इसका (संपत्ति) बंटवारा करना चाहती है. मैं मानता हूं कि कांग्रेस पार्टी या तो अपने घोषणापत्र से इस बात को वापस ले या फिर उन्हें स्वीकार करना चाहिए कि यही उनका मकसद है."
सैम पित्रोदा इंडियन ओवरसीज़ कांग्रेस के चेयरमैन हैं. उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, "अमेरिका में इनहेरिटेंस टैक्स की व्यवस्था है. इसका मतलब है कि अगर किसी के पास 10 करोड़ डॉलर की संपत्ति है तो उसके मरने के बाद बच्चों को केवल 45 फ़ीसदी संपत्ति ही मिलेगी और बाकी 55 फ़ीसदी सरकार ले लेगी. ये काफ़ी दिलचस्प क़ानून है. ये कहता है कि आप अपने दौर में संपत्ति जुटाओ और अब जब आप जा रहे हैं, तो आपको अपनी धन-संपत्ति जनता के लिए छोड़नी होगी, सारी नहीं लेकिन उसकी आधी, जो मेरी नज़र में अच्छा है."
उन्होंने कहा, "भारत में आप ऐसा नहीं कर सकते. अगर किसी की संपत्ति 10 अरब रुपये है और वह इस दुनिया में न रहे तो उनके बच्चे ही 10 अरब रुपये रखते हैं और जनता को कुछ नहीं मिलता... तो ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिसपर लोगों को बहस और चर्चा करनी चाहिए. मैं नहीं जानता कि इसका नतीजा क्या निकलेगा लेकिन जब हम संपत्ति के पुनर्वितरण की बात करते हैं, तो हम नई नीतियों और नए तरह के प्रोग्राम की बात करते हैं जो जनता के हित में है न कि केवल अमीर लोगों के."
कांग्रेस पार्टी ने सैम पित्रोदा के बयान को उनकी निजी राय बताया है और कहा है कि इसका पार्टी के रुख से लेना-देना नहीं है. (bbc.com/hindi)
मुख्तार अंसारी की मौत के बाद आई विसरा रिपोर्ट पर उनके भाई और समाजवादी पार्टी नेता अफ़ज़ाल अंसारी ने सवाल उठाए हैं.
अफ़ज़ाल अंसारी को समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की गाज़ीपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया है.
उनसे पूछा गया था कि विसरा रिपोर्ट में मुख्तार अंसारी के शरीर में ज़हर पाए जाने की बात नहीं है.
अफ़ज़ाल अंसारी ने इस पर कहा, "पोस्टमॉर्टम किसने किया, विसरा किसने किया? घटना की एफ़आईआर किसने लिखवाई? घटना की जाँच कौन कर रहा है? जब सरकार खुद ही इनवॉल्व है, तो सरकार की ये एजेंसियां क्या करेंगी. जब मैं मौत से दो दिन पहले गया था तो डॉक्टर डर से थर्र-थर्र कांप रहा था. वो अपना फ़ोन नंबर मुझे नहीं दे सकता था. उसने कहा कि उसे ऐसा करने से प्रतिबंधित किया गया है."
अफ़ज़ाल अंसारी ने कहा, "मेडिकल कॉलेज के प्रमुख से मैंने मिलने की कोशिश की, आधा-पौन घंटा रुका रहा, नहीं मिलने दिया गया मुझे. एम्स का डॉक्टर अगर पोस्टमॉर्टम करता तो हमको भी संतोष होता. क्या कारण है कि सरकार भाग गई? क्या कारण है कि इस मांग को अस्वीकार कर दिया गया. इसलिए कि गुनाह से पर्दा हट जाएगा."
उन्होंने कहा, "विसरा में नाख़ून की जाँच नहीं हुई है. जबकि नाख़ून और बाल की जाँच से ही ज़हर की बात साबित होती है. विसरा जाँच के लिए जहां भेजा गया वहां पदासीन अधिकारी को हटाकर दूसरे अधिकारी को बैठाया गया. अपने गुनाह पर लीपापोती करना है."
बांदा जेल में बंद बाहुबली नेता मुख़्तार अंसारी की 28 मार्च को मौत हुई थी. उनकी मौत का कारण हार्ट अटैक बताया गया लेकिन परिवार ने आरोप लगाया था कि उन्हें धीमा ज़हर दिया जा रहा था. (bbc.com/hindi)
एआईएमआईएम प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर मुसलमानों से नफ़रत का आरोप लगाया है.
बिहार के किशनगंज में चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कहा, "मोदी की एक ही गारंटी है, मुसलमानों से नफ़रत की गारंटी. वे 2002 से यही करते आ रहे हैं.
"देश में मुसलमानों की 17 करोड़ आबादी है. अल्पसंख्यकों में सबसे ज़्यादा. वो देश के 140 करोड़ लोगों के प्रधानमंत्री हैं. मुसलमानों के नहीं हैं क्या? उनको (मुसलमानों) इस तरह से रुसवा करना, इस तरह से उनसे नफ़रत करना. अगर कल देश में कोई दंगा हो जाए तो ज़िम्मेदारी नरेंद्र मोदी की होगी."
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए घोषणापत्र को ही 'मोदी की गारंटी' बताया है. (bbc.com/hindi)
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी महाराष्ट्र के पुसद में चुनावी रैली में भाषण देते हुए बेहोश हो गए.
बाद में नितिन गडकरी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए बताया है कि वो पूरी तरह स्वस्थ हैं.
नितिन गडकरी ने लिखा, "पुसद, महाराष्ट्र में रैली के दौरान गर्मी की वजह से असहज महसूस किया. लेकिन अब पूरी तरह से स्वस्थ हूँ और अगली सभा में सम्मिलित होने के लिए वरूड के लिए निकल रहा हूँ. आपके स्नेह और शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद."
मंच पर नितिन गडकरी के बेहोश होने का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है. समाचार एजेंसी पीटीआई ने भी घटना का एक वीडियो शेयर किया है.
इस वीडियो में मंच पर भाषण देते हुए अचानक बेहोश हुए नितिन गडकरी को लोग मंच पर बिठाते हुए दिख रहे हैं.
66 साल के नितिन गडकरी केंद्र सरकार में सड़क मंत्री हैं. नितिन गडकरी इस बार नागपुर से उम्मीदवार हैं जहां पहले चरण में मतदान हो चुका है.
महाराष्ट्र में दूसरे चरण में 8 सीटों पर मतदान होना है. इनमें यवतमाल-वाशिम, अमरावती, हिंगोली और नांदेड़ भी शामिल हैं.
नितिन गडकरी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना पार्टी की उम्मीदवार राजश्री पाटिल के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे.
महाराष्ट्र में बीजेपी एनसीपी के अलग हुए धड़े और शिवसेना के अलग हुए धड़े के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है. (bbc.com/hindi)
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने केरल के वायनाड में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए अपने भाई राहुल गांधी का ज़िक्र करके भावुक हो गईं.
प्रियंका ने वायनाड के लोगों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि राहुल गांधी नफ़रत की राजनीति के ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं.
प्रियंका गांधी ने कहा, "आपने मेरे भाई को जो प्यार दिया है, जो सम्मान दिया है, उसके लिए मैं आपका दिल से आभार करना चाहती हूं."
प्रियंका गांधी ने कहा, "वो पिछले दस साल से नफ़रत और ग़ुस्से की राजनीति के ख़िलाफ़ संघर्ष कर रहे हैं. इस संघर्ष में पांच सालों के दौरान, वो जिस तरह के हालात से भी गुज़रे, उन्हें संसद से बाहर निकाल दिया गया, उन्हें उनके घर से बाहर निकाल दिया गया, उन्हें कई तरह के नाम लेकर पुकारा गया और ऐसे चीज़ें करने के आरोप लगाये गए जो उन्होंने की ही नहीं. इस दौरान वो जिन हालात से भी गुज़रे, अपने दिल में वो जानते थे कि वायनाड के लोग उन्हें प्यार करते हैं. इस प्यार ने उन्हें लड़ाई जारी रखने की, जिन चीज़ों को वही मानते हैं, उनके लिए खड़ा होने की हिम्मत दी."
वहीं, महाराष्ट्र में एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने इलेक्टोरल बॉन्ड का मुद्दा उठाया.
राहुल गांधी ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट के इसे अवैध बनाने के बावजूद बीजेपी और एसबीआई ने उन लोगों के नाम नहीं बताए जिन्होंने पैसे दिए थे. बाद में जब नाम सामने आए तो पता चला कि एक दिन कंपनी पर सीबीआई की रेड होती है और उसके कुछ ही दिन कंपनी करोड़ों रुपये बीजेपी को देती है और सीबीआई की जांच ख़त्म हो जाती है."
राहुल गांधी ने कहा, "कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिया जाता है और उसके कुछ दिन बाद कंपनी बीजेपी को चंदा दे देती है. जिस तरह से सड़क पर गुंडे वसूली करते हैं, ये काम बीजेपी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शुरू कर दिया है."
राहुल गांधी ने कहा, "वो कहते हैं कि मैं राजनीति को साफ़ कर रहा हूं, अगर राजनीति को साफ़ कर रहे हैं तो जो भी, जिसे भी चंदा दे रहा है, उसकी जानकारी जनता के सामने."
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को अवैध घोषित कर दिया था जिसके बाद एसबीआई ने दानदाताओं की सूची जारी की थी.
प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक चंदे के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड की व्यवस्था का बचाव करते हुए कहा था कि इसे राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के मक़सद से लाया गया था.
राहुल गांधी बार-बार बीजेपी सरकार पर पुंजीपतियों को फ़ायदा पहुंचाने के आरोप भी लगाते रहे हैं.
महाराष्ट्र की रैली में राहुल ने कहा, "अगर नरेंद्र मोदी अमीरों को पैसा दे सकते हैं, उनका क़र्ज़ माफ़ कर सकते हैं तो कांग्रेस देश की महिलाओं को, ग़रीबों, किसानों को पैसा दे सकती है और देगी." (bbc.com/hindi)
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव गुरुवार को उत्तर प्रदेश की कन्नौज लोक सभा सीट से नामांकन दर्ज करेंगे.
ये जानकारी समाजवादी पार्टी ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी करके दी है.
इससे पहले अखिलेश यादव से इटावा में चुनाव प्रचार के दौरान जब पत्रकारों ने कन्नौज से उम्मीदवारी को लेकर सवाल किया था तब उन्होंने कहा था कि नामांकन तक इंतज़ार कीजिए, आपको पता चल जाएगा.
वहीं, समाजवादी पार्टी ने तेज प्रताप यादव को कन्नौज से उम्मीदवार के रूप में भी पेश किया था. अब पार्टी ने अपना फ़ैसला बदल लिया है और पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव स्वयं यहां से चुनाव लड़ने जा रहे हैं.
अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव साल 2019 में कन्नौज से चुनाव हार गईं थीं. (bbc.com/hindi)
-इमरान क़ुरैशी
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये कहना कि कांग्रेस दलितों-पिछड़ों का आरक्षण लेकर मुसलमानों को दे देगी, 'कोरी बक़वास' है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के सागर ज़िले में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि कांग्रेस देश में पिछड़ों की सबसे बड़ी दुश्मन है, कांग्रेस ने धर्म के आधार पर आरक्षण दिया है जबकि संविधान में इसका कोई प्रावधान नहीं है.
मोदी ने कहा है कि एक बार फिर कांग्रेस ने पिछले दरवाज़े से मुसलमानों को आरक्षण दे दिया है.
मोदी ने कहा, "सभी मुसलमान जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग में रखकर कांग्रेस ने ओबीसी के आरक्षण का बड़ा हिस्सा मुसलमानों को दे दिया है."
मोदी के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सिद्धारमैया ने कहा है, "संविधान में आरक्षण को निर्बाध रूप से बदलना संभव नहीं है. आरक्षण का संशोधन सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर ही संभव है. अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण को संशोधित करने का अधिकार भी राज्य सरकार के हाथ में नहीं है. इसके लिए संसद के दोनों सदनों की सहमति से संविधान में संशोधन करने की जरूरत है. यह इस देश की त्रासदी है कि प्रधानमंत्री के पास ऐसा ज्ञान नहीं है."
सिद्धारमैया ने कहा है कि ये सच है कि जस्टिस चिनप्पा रेड्डी आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक़, जिसे कर्नाटक सरकार ने गठित किया था, मुसलमानों को पिछड़ी जातियों की श्रेणी 2बी में रखा गया है, ऐसा पिछले तीन दशकों की सामाजिक आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर किया गया है.
जस्टिस चिनप्पा की रिपोर्ट अनुभवजन्य आंकड़ों पर आधारित थी और इस रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया था कि कर्नाटक में मुसमलानों की सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति उतनी ही पिछड़ी है जितना की अनुसूचित जातियों की.
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, "ना ही बीजेपी की सरकार जो पहले केंद्र में भी सत्ता में थी और ना ही नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार, जो दस साल से सत्ता में है, ने अब तक इस आरक्षण को कोर्ट में चुनौती दी है."
कर्नाटक में पूर्ववर्ती बसावराज बोम्मई सरकार ने चुनावों से ऐन वक़्त पहले मुसलमानों को मिलने वाले चार प्रतिशत आरक्षण को ख़ारिज कर दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी.
सिद्धारमैया ने कहा, 14 मार्च 2023 को केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री नारायण स्वामी ने खुद लोकसभा को बताया कि आरक्षण बढ़ाने का ऐसा प्रस्ताव उनकी जांच के दायरे में नहीं है.
मुख्यमंत्री ने कहा, "सरकार के इस फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान नहीं गया? यह तथ्य कि उन्होंने पिछले दस वर्षों तक शासन किया है और उनके पास अपनी उपलब्धियों के बारे में कहने के लिए कुछ नहीं है, साबित करता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक असफल प्रधानमंत्री हैं. केवल एक अनपढ़ व्यक्ति ही इस तरह के निराधार आरोप लगा सकता है." (bbc.com/hindi)
आईएमए पदाधिकारी लोकसभा के प्रमुख उम्मीदवारों को सौंप रहे ज्ञापन
‘छत्तीसगढ़’ संवादाता
बिलासपुर, 25 अप्रैल। देशभर के 543 लोकसभा क्षेत्रों में जीतने की संभावना वाले प्रत्याशियों को इंडियन मेडिकल एसोसियेशन अपनी मांगों से अवगत करा रहा है। उन्हें ज्ञापन देकर चिकित्सा क्षेत्र से संबंधित नियम कानूनों आवश्यक संशोधन की मांग की जा रही है, साथ ही चिकित्सा सेवा को और बेहतर बनाने के लिए विभिन्न सुझाव दिए जा रहे हैं।
आईएमए के प्रदेश अध्यक्ष डॉ विनोद तिवारी, जिला अध्यक्ष डॉ अखिलेश देवरस,डॉक्टर अविजीत रायजादा, डॉक्टर संदीप तिवारी, डॉक्टर नितिन जुनेजा, डॉक्टर श्रीकांत गिरी व डॉक्टर हेमंत चटर्जी ने बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि आईएमए की मांग डाक्टरों और अस्पतालों पर होने वाले हिंसा के खिलाफ एक मजबूत केंद्रीय कानून बनाने और अस्पताल एवं स्वास्थ्य की देखभाल करने वाली संस्थानों को हिंसा से सुरक्षित क्षेत्र घोषित करने की है।
डॉक्टरों ने कहा कि चिकित्सा की सभी विधाओं की अपनी स्वयं की विशेषता है। सभी चिकित्सा पद्धतियों का आपस में घालमेल करने से मरीजो के साथ खिलवाड़ होगा। इसलिए आईएमए मरीजों के इलाज में मिक्सोपैथी के खिलाफ है। आईएमए की मांग है कि 50 बिस्तर तक के छोटे और मध्यम अस्पतालों और क्लीनिकों को क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट अधिनियम से छूट दी जाए। स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य सम्बंधित सेवाओं में जीएसटी लगाया जा रहा है। बीमार पड़ने पर कर लगाना एक नाजायज प्रक्रिया है। जीवन रक्षक उपकरणों जैसे की वेंटिलेटर मोनिटर अनिथिस्या उपकरणों में जो की 12 प्रतिशत का जीएसटी है। सभी जीवन उपकरणों की बैट्री में 28 प्रतिशत लगता है । मशीन अल्ट्रासाउंड मशीन एवं शुगर स्ट्रिप जांच जैसी अति महत्वपूण चीजों पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी है। चिकित्सा उपकरणों की देखभाल रखरखाव मरम्मत दवा, आक्सीजन एवं डिस्पोजेबल्स में तथा स्वास्थ्य बीमा में भी 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है। चिकित्सकों द्वारा विभिन्न एसोसिएशन की मेम्बरशिप, निरंतर चिकित्सा शिक्षा की फीस लेने पर भी जीएसटी लगता है जो की अनुचित है। आईएमए ने स्वास्थ्य सेवाओं पर लगाए जाने वाले जीएसटी में सुधार की मांग की है।
उन्होंने कहा कि कोई भी डॉक्टर क्रिमिनल मानसिकता से चिकित्सा नहीं देता है। इसलिए मेडिकल प्रोफेशन को भारतीय न्याय संहिता में चिकित्सा सेवा प्रदाता को आपराधिक अभियोजन से बाहर रखा जाए। मरीजों को उपभोक्ता कहना और उसी के हिसाब से डॉक्टर मरीज के रिश्तों को परिभाषित निर्धारित करना डॉक्टर मरीज के रिश्ते के विश्वास को खत्म करता है, यह भारतीय मूल्यों के विपरीत है। डॉक्टरों को उपभोक्ता फोरम एक्ट से मुक्त किया जाए। गर्भ में बेटी की सुरक्षा का दायित्व सरकारों पर होना चाहिए। पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत चिकित्सकों का उत्पीड़न बंद करना चाहिए। इसके अलावा मरीजों की पहचान और गोपिनियता के लिए अलग नियम होने के बावजूद पॉक्सो अधिनियम के तहत जानकारी न देने पर डॉक्टरों को अतिरिक्त क्षति एवं अन्याय का सामना करना पड़ता है। आईएमए ने एक्ट में उचित बदलाव की मांग की है।
आईएमए ने मांग की है कि भारतीय एमबीबीएस उत्तीर्ण स्नातकों के लिए नेक्स्ट की परीक्षा लेना बंद किया जाए। स्नातक व स्नातकोत्तर छात्रों की बांड सेवा बंद की जाए। यह छात्रों और उनके परिजनों पर लाखों करोड़ों रुपये का वित्तीय भार डालता है।
आईएमए ने इन समस्याओं की ओर भी ध्यान दिलाया है- जनसंख्या के अनुपात में चिकित्सा अधिकारियों के पदों की संख्या बढ़ाई जाए, संविदा का चलन बंद कर एनएचएम व केंद्र में स्थायी नियुक्ति की जाए। थर्ड पार्टी भुगतान की व्यवस्था चिकित्सा सेवा को नौकरशाही की ओर ले जा रही है। निजी अस्पतालों को उच्च गुणवत्ता के इलाज के लिए वित्तीय स्वायत्तता मिलनी चाहिए। सरकारी अस्पतालों और निजी अस्पतालों को समान पैकेज का भुगतान किया जा रहा है यह निजी अस्पतालों की हानि पर सार्वजनिक अस्पतालों को प्रोत्साहित कर रहा है। इस तरह लगभग 40-45 प्रतिशत स्वास्थ्य योजना में किया जा रहा खर्च सरकारें शासकीय अस्पताल से अपने पास वापस खींच ले रही हैं। बजट की कमी, डिलेड पेमेंट्स, हाई रेजेक्सन, अकारण रिकवरी के कारण छोटे एवं मंझोले कद के अस्पतालों में परिचालन में समस्या आ रही है। नए अस्पतालों को सब्सिडी देना, टैक्स में छूट, अनुदान तथा दीर्घकालिक ऋण देने की मांग भी की गई है।
‘छत्तीसगढ़’ संवादाता
बिलासपुर, 25 अप्रैल। पूर्व विधायक शैलेष पांडेय ने कहा है कि राहुल गांधी को कभी शहज़ादे और कभी सोने का चम्मच लेकर पैदा होने वाले कहना देश के बलदानियों का अपमान है। बीजेपी केवल वोट के लिए जनता को गुमराह कर रही है और वास्तविक मुद्दों से भाग रही है।
पांडेय ने एक बयान जारी कर कहा कि पहले चरण के चुनाव में कम प्रतिशत मतदान होना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घटती लोकप्रियता का प्रमाण है। इस बात ने मोदी और बीजेपी की चिंता बढ़ा दी है। बीजेपी जनता से वास्तविक मुद्दे पर चर्चा न कर और अन्य मुद्दों पर भावनाओं को भड़काने का काम कर रही है। जनता बेरोजगारी, गरीबी और महंगाई से परेशान है और बीजेपी सरकार इस पर कोई बात नहीं कर रही है।
पांडेय ने कहा कि राहुल गांधी ऐसे अकेले नेता है जिन्होंने देश में लगभग चार हज़ार किलोमीटर पदयात्रा की है और जनता का सुख-दुख जाना है। बीजेपी या मोदी का उन पर इस तरह निशाना साधना बलदानियों का अपमान है। कम प्रतिशत मतदान होने से साफ है कि जनता में मोदी सरकार का कोई प्रभाव अब नहीं रह गया है। अब जनता बीजेपी के घमंड को तोड़कर रहेगी।