अंतरराष्ट्रीय
-रजनीश कुमार
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अगले महीने भारत आ रहे हैं. ब्रिटिश पीएम का यह दौरा जी7 समूह को विस्तार देने के तौर पर देखा जा रहा है.
जी7 शीर्ष के सात औद्योगिक देशों का समूह है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भारत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया को अगले बसंत में ब्रिटेन में आयोजित होने वाले जी-7 के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए बुलाया है.
जॉनसन अगले महीने गणतंत्र दिवस के मौक़े पर मुख्य अतिथि होंगे. गणतंत्र दिवस के मौक़े पर भारत हर साल किसी राष्ट्र प्रमुख को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाता है. बोरिस जॉनसन के इस दौरे को भारत-ब्रिटेन में गहरे होते संबंध के तौर पर भी देखा जा रहा है.
पिछले महीने के आख़िर में कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफ़न हार्पर की अध्यक्षता वाले एक थिंक टैंक ने ब्रिटेन से कहा था कि उसे हिंद-प्रशांत इलाक़े में चीन से मुक़ाबला करने के लिए भारत का सहयोग करना चाहिए. इसने अपनी रिपोर्ट में कहा था, ''ब्रेग्ज़िट के बाद ब्रिटेन को हिंद-प्रशांत इलाक़े में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए ताकि इस इलाक़े में स्थिरता और संतुलन बना रहे.''
भारत-ब्रिटेन एक दूसरे के लिए अहम
ब्रिटिश प्रधानमंत्री के दफ़्तर से बोरिस जॉनसन के भारत दौरे को लेकर विस्तृत बयान जारी किया गया है. इस बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री बनने और ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से निकलने के बाद बोरिस जॉनसन का यह पहला भारत दौरा है. ब्रिटेन ने कहा है कि प्रधानमंत्री का यह भारत दौरा इंडो-पैसिफिक इलाक़े में उसकी दिलचस्पी को भी दर्शाता है.
प्रधानमंत्री ऑफिस ने कहा है, ''2021 में ब्रिटेन जी-7 और COP26 समिट की मेज़बानी करने जा रहा है. बोरिस जॉनसन ने प्रधानमंत्री मोदी को जी-7 समिट में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है. भारत के अलावा अतिथि देश के तौर पर दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया को भी बुलाया गया है. पीएम जॉनसन का लक्ष्य वैसे देशों से सहयोग बढ़ाना है जो लोकतांत्रिक हैं और उनके हित आपस में जुड़े हुए हैं. साथ ही उनकी चुनौतियां भी एक जैसी हैं.''
ब्रिटेन और भारत के आर्थिक रिश्ते भी काफ़ी अहम हैं. दोनों का एक दूसरे के बाज़ार में निवेश है. हर साल दोनों देशों के बीच 24 अरब पाउंड का व्यापार और निवेश है. ब्रिटेन में कुल 842 भारतीय कंपनियाँ हैं और इन सबका टर्नओवर 41.2 अरब पाउंड है. ब्रिटेन में भारतीय निवेश और कारोबार से लाखों लोगों को रोज़गार मिला हुआ है.
इस दौरे को लेकर ब्रिटिश पीएम ने कहा है, ''मैं अगले साल भारत जाने को लेकर बहुत ख़ुश हूं. ब्रिटेन नए साल की वैश्विक शुरुआत भारत से करने जा रहा है. इस दौरे से दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्ते और मज़बूत होंगे. इंडो-पैसिफिक इलाक़े में भारत अहम किरदार है. ब्रिटेन के लिए भारत नौकरी, ग्रोथ, सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के मामलें में बहुत अहम है.''
प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी किए गए बयान में कहा गया है, ''दुनिया की कोविड वैक्सीन की 50 फ़ीसदी से ज़्यादा आपूर्ति भारत करेगा और ऑक्सफर्ड/एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन पुणे के सीरम इंस्टिट्यूट में बन रही है. ब्रिटेन को महामारी के दौरान भारत से 1.1 करोड़ मास्क और 30 लाख पैरासीटामोल भेजे गए. भारत में 400 से ज़्यादा ब्रिटिश कंपनियाँ काम कर रही हैं.''
आज़ादी के बाद भारत के गणतंत्र दिवस पर बोरिस जॉनसन मुख्य अतिथि बनने वाले दूसरे ब्रिटिश प्रधानमंत्री होंगे. इससे पहले 1993 में जॉन मेजर को अतिथि बनाया गया था.
डी-10 की योजना
कहा जा रहा है कि जी-7 के बाद डी-10 बनने जा रहा है. यहाँ डी से मतलब डेमोक्रेसी-10 से है. मतलब दुनिया के 10 बड़े लोकतांत्रिक देशों का एक समूह. डी-10 दुनिया भर के निरंकुश शासन वाले देशों से मुक़ाबला करेगा. इसे अमेरिका में जो बाइडन के आने की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है. जो बाइडन ने लोकतांत्रिक देशों की कॉन्फ़्रेंस बुलाने की बात कही थी.
अभी जी-7 में ब्रिटेन, फ़्रांस, जापान, जर्मनी, इटली और कनाडा हैं. इसमें भारत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया को जोड़ने की योजना है. इस समूह का हिस्सा रूस भी था जिसे 2014 में क्रिमिया को अपने में मिलाने पर बाहर कर दिया गया था. लेकिन इस साल ट्रंप पुतिन को बुलाने की तैयारी कर रहे थे जबकि यूरोप के देश इसका विरोध कर रहे थे.
चीन के लिए यह परेशान करने वाला हो सकता है कि इंडो-पैसिफिक में जर्मनी और फ़्रांस समेत यूरोप की दिलचस्पी बढ़ रही है. इसके साथ ही दुनिया के लोकतांत्रिक देश अमेरिका के नेतृत्व में गोलबंद होंगे तो यह भी चीन को चिंतित करने वाला होगा. यह पहली बार होगा कि लोकतंत्र को लेकर कॉन्फ्रेंस होगी और उसमें भारत समेत कई बड़े लोकतांत्रिक देश शामिल होंगे. ज़ाहिर है कि चीन में लोकतंत्र नहीं है और इस तरह की कॉन्फ़्रेंस उसे असहज करने वाली होगी.
भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल का मानना है कि ब्रिटेन और भारत दोनों एक दूसरे की ज़रूरत हैं. वो कहते हैं, ''जी-7 में भारत को बुलाया जाना कोई नई बात नहीं है. पहले भी बुलाया गया है. सबसे अहम यह है कि चीन की विस्तारवादी नीति के ख़िलाफ़ ब्रिटेन की भी इंडो-पैसिफिक में दिलचस्पी बढ़ रही है. ब्रिटेन में भी चीन विरोधी भावना उफान पर है. चीन ने हॉन्ग कॉन्ग में जिस तरह से निरंकुश शासन व्यवस्था स्थापित की उसे लेकर ब्रिटेन और चीन के संबंध पटरी पर नहीं हैं.''
चीन विरोधी खेमा?
सिब्बल कहते हैं, ''चीन पहले 5जी में उसकी कंपनी ख़्वावे का कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर चुका है. दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और भारत को बुलाना इसलिए अहम है कि चीन की जो हरकतें हैं उसको ठीक से समझा जाए. ब्रिटेन ने इंडो-पैसिफिक में अपना पोत भेजने के लिए कहा है. फ़्रांस और जर्मनी के बाद ब्रिटेन ने यह क़दम उठाया है. दूसरी तरफ़ भारत भी चीन से जूझ रहा है. एलएसी पर अब भी हालात सामान्य नहीं हैं. ऐसे में जी-7 गोलबंद होता है तो यह काफ़ी अहम है. बाइडन के आने के बाद डी10 बनाने की भी योजना है. इसमें भारत समेत दुनिया के 10 अहम लोकतांत्रिक देश होंगे. यह ग्रुप भी चीन के लिए दबाव का ही काम करेगा.''
विदेशी मामलों के जानकार हर्ष पंत कहते हैं कि ब्रिटेन अपनी विदेश नीति को फिर से तैयार कर रहा है. वो कहते हैं, ''ईयू से अलग होने के बाद इंडो-पैसिफिक में ब्रिटेन दिलचस्पी दिखा रहा है. भारत ने भी मौक़ा देखकर गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित कर लिया. बोरिस जॉनसन भी मानते हैं कि 5जी तकनीक के लिए दुनिया के लोकतांत्रिक देशों को मिलकर काम करना चाहिए. ब्रिटेन की दिलचस्पी इंडो पैसिफिक में बढ़ रही है और ये चीन को देखते हुए ही है.''
हर्ष पंत भी मानते हैं कि बाइडन के आने के बाद डी-10 बनता है तो यह लोकतांत्रिक देशों का समूह निरंकुश शासकों पर सवाल खड़ा करेगा और इन सवालों के घेरे में चीन भी आ सकता है.
बाइडन के सत्ता संभालन के बाद वैश्विक व्यवस्था एक बार फिर से करवट लेगी. ट्रंप के शासन में कई चीज़ें उलट-पुलट गई थीं. कहा जा रहा है कि बाइडन लोकतांत्रिक देशों के गठजोड़ बनाकर रणनीतिक निवेश और तकनीक को बढ़ावा देंगे. बाइडन ने ये भी कहा है कि रूस ने मुक्त विश्व व्यवस्था में फ़र्ज़ी सूचना, दूसरे देशों के चुनावों में दख़ल और भ्रष्ट पैसे के ज़रिए अव्यवस्था फैलाई है.
हालांकि कई आलोचकों का यह भी कहना है कि डी-10 में भारत के होने की आलोचना हो सकती है क्योंकि यहां के लोकतंत्र को लेकर हाल के दिनों में कई गंभीर सवाल उठे हैं. ब्रिटेन के पूर्व राजनयिक रॉरी स्टीवार्ट ने पिछले हफ़्ते सेंटर फोर यूरोपियन रीफॉर्म इवेंट में कहा था कि लोकतांत्रिक देशों का क्लब अगर चीन विरोधी के तौर पर देखा जाएगा तो इससे समाधान नहीं समस्या ही बढ़ेगी.
भारत के लिए एक मुश्किल रूस भी है. रूस के विदेश मंत्री ने पिछले ही हफ़्ते कहा था कि पश्चिम के देश भारत को चीन विरोधी खेमे में शामिल करना चाहते हैं. अगर भारत किसी चीन विरोधी खेमे में शामिल होता है तो रूस को यह ठीक नहीं लगेगा. रूस नहीं चाहता है कि दुनिया अमेरिका के नेतृत्व में आगे बढ़े और इसके लिए उसे चीन का साथ ज़रूरी है. (bbc.com)
कोविड-19 संक्रमण के तेज़ी से बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने की कोशिश में जर्मनी ने कड़ा लॉकडाउन लागू कर दिया है. जिसके तहत स्कूल और ग़ैर-ज़रूरी कारोबार बंद कर दिए गए हैं.
नए प्रतिबंध 10 जनवरी तक जारी रहेंगे. क्रिसमस के मौक़े पर इनमें कुछ ढील मिलेगी और एक घर, चार क़रीबी पारिवारिक सदस्यों के साथ त्योहार मना सकेगा.
जर्मनी में मंगलवार को 14,432 मामले और 500 मौतें दर्ज की गई थीं.
क्रिसमस को देखते हुए ही अन्य यूरोपीय देशों ने भी प्रतिबंध सख़्त कर दिए हैं. फ्रांस ने रात में कर्फ्यू लगा दिया है.
जर्मनी के लॉकडाउन में सिर्फ ज़रूरी कारोबारों जैसे सुपरमार्केट और बैंकों को खुलने की अनुमति होगी. रेस्तरां, बार नवंबर से ही बंद हैं. देश के कुछ क्षेत्रों ने अपने ख़ुद के लॉकडाउन लगा दिए थे.
हेयर सैलून बंद रखने होंगे. वहीं कपनियों को अपने कर्मचारियों को घर से ही काम करवाने के लिए कहा गया है.
जर्मनी के रॉबर्ट कोच इंस्टीट्यूट के प्रमुख लोथर विलेर कहते हैं कि महामारी अब तक के अपने सबसे गंभीर दौर में है.
वो कहते हैं, "मामले अब तक की सबसे तेज़ गति से बढ़ रहे हैं. डर है कि स्थिति ऐसे ही ख़राब होती रहेगी और महमारी और उसके परिणामों से निपटना और मुश्किल होता जाएगा."
ये ख़बर ऐसे वक़्त में आई है जब जर्मन सरकार ने कहा है कि वो यूरोपियन मेडिसीन एजेंसी (ईएमए) पर जर्मनी में ही विकसित फाइज़र-बायोएनटेक को मंज़ूरी देने की प्रक्रिया तेज़ करने का दबाव बना रही है. इस वैक्सीन को ब्रिटेन और अमेरिका में मंज़ूरी दी जा चुकी है.
स्वास्थ्य मंत्री जेन्स स्पैन ने कहा कि वो चाहते हैं कि वैक्सीन को क्रिसमस से पहले मंज़ूरी मिल जाए.
यूरोप में अन्य जगह क्या स्थिति है?
फ्रांस ने अपने दूसरे राष्ट्रीय लॉकडाउन की जगह रात आठ बजे से सुबह छह बजे तक का कर्फ्यू लागू कर दिया है. लोगों को एक सरकारी फॉर्म भरे बगैर घर से बाहर जाने की अनुमति नहीं होगी.
क्रिसमस की शाम के लिए छूट दी गई है, लेकिन नए साल की शाम के लिए नियम बरक़रार रहेगा. बार और रेस्तरां कम से कम 20 जनवरी तक बंद रहेंगे.
फ्रांस में मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण से 790 लोगों की मौत हो गई और मरने वालों का कुल आंकड़ा 59,072 जा पहुंचा.
फ्रांस के लोगों को दिन में घर से बाहर जाने का स्पष्टिकरण देने के लिए अब आधिकारिक फॉर्म डाउनलोड या प्रिंट करने की ज़रूरत नहीं है.
नीदरलैंड्स में फिलहाल पांच हफ़्ते का लॉकडाउन लगा हुआ है, वहां अब जो प्रतिबंध लगाए गए हैं वो महामारी शुरू होने के बाद से सबसे कड़े हैं. ग़ैर-ज़रूरी कारोबार, सिनेमा, हेयरड्रेसर और जिम सब बंद हैं. लोगों से मार्च के मध्य तक ग़ैर-ज़रूरी यात्रा करने से बचने के लिए कहा गया है.
लेकिन क्रिसमस के मौक़े पर तीन दिन के लिए प्रतिबंधों में कुछ छूट दी जाएगी. डच के लोगों को अपने घर में दो महमानों की जगह तीन महमानों को बुलाने की इजाज़त होगी.
ब्रिटेन के लंदन में बुधवार से इंग्लैंड के सबसे सख़्त लॉकडाउन के नियम लागू होने जा रहे हैं. पब और रेस्तरां बंद रहेंगे. सिर्फ खाना पैक करवाकर ले जाने और डिलिवरी की इजाज़त होगी. साथ ही थिएटर, सिनेमा जैसे इनडोर मनोरंजन के स्थल बंद रहेंगे.
इटली में रोज़ाना होने वाली मौतों की संख्या 500 के क़रीब बनी हुई है और सरकार क्रिसमस को देखते हुए नियमों को और कड़ा करने पर विचार कर रही है.
कहा जा रहा है कि नया लॉकडाउन क्रिसमस की रात और न्यू ईयर के बीच लगाया जा सकता है.
उधर ब्रिटेन के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस का एक नया वेरिएंट (प्रकार) पाया गया है जो तेज़ी से फैल रहा है.
देश के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैंकॉक ने कहा कि कम से कम 60 अलग-अलग स्थानीय प्रशासनों को इस नए प्रकार से कोविड संक्रमण के मामले मिले हैं.
उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे अधिसूचित कर लिया है और ब्रिटेन के वैज्ञानिक इस पर विस्तृत अध्ययन कर रहे हैं.
मंत्री ने बताया कि ये बीमारी और बिगड़ सकती है और हो सकता है कि वैक्सीन इस पर काम ना करे.
उन्होंने सदन में बताया कि पिछले हफ़्ते लंदन, केंट, एसेक्स और हर्टफोर्डशायर के हिस्सों में कोरोन वायरस से संक्रमण के मामलों में बहुत तेज़ी आई है.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ''फिलहाल हमें वायरस के इस प्रकार के 1,000 से ज़्यादा मामले मिले हैं जो खासतौर पर इंग्लैंड के दक्षिणी हिस्से में सामने आए हैं. ये मामले 60 अलग-अलग इलाक़ों में पाए गए हैं. (bbc.com)
सुमी खान
ढाका, 16 दिसंबर| एंटी-लिबरेशन और कट्टरपंथी ताकतों पर हमला करते हुए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि देश को मुसलमानों, हिंदुओं, बौद्धों और ईसाइयों के खून के बदले में स्वतंत्रता मिली है और वह धर्म के नाम पर विभाजन और अराजकता कभी होने नहीं देंगी।
उन्होंने मंगलवार की शाम को कहा, "देश के लोग सांप्रदायिक सद्भाव के आधार पर धार्मिक मनोबल को ऊंचा रखते हुए समृद्धि, प्रगति और विकास की ओर बढ़ेंगे। बांग्लादेश का 50वां विजय दिवस बुधवार को मनाया जा रहा है।"
उन्होंने आगे कहा, "मैं इस देश में कभी भी धर्म के नाम पर विभाजन या अराजकता नहीं फैलने दूंगी। इस देश के लोग धार्मिक मूल्यों को ऊंचा रखते हुए समृद्धि, विकास और प्रगति की दिशा में आगे बढ़ेंगे।"
हसीना ने उल्लेख किया, "बांग्लादेश के लोग धार्मिक हैं, कट्टरपंथी नहीं हैं। हमें एंटी-लिबरेशन, कट्टरपंथी ताकतों को धर्म को राजनीति का हथियार बनाने की इजाजत नहीं देनी चाहिए। सभी को अपना धार्मिक अनुष्ठान करने का अधिकार है।"
उन्होंने कहा, "फकीर लालन शाह, रबींद्रनाथ टैगोर, काजी नजरूल, कवि जिबनानंद दास और सूफियों शाह परन, शाह मखदूम के देश में हर किसी को यहां अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है। बंगबंधु के बांग्लादेश में कट्टरपंथ या कट्टरवाद की अनुमति नहीं है .. 16.5 करोड़ बंगाली सांप्रदायिक सद्भाव के साथ शांति से रहना पसंद करते हैं।"
देश के युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "एक प्रतिज्ञा लें कि आप देश को सांप्रदायिक सौहार्द की लिबरेशन वॉर की भावना के साथ स्वर्णिम बंगाल में परिवर्तित करेंगे।"
हसीना ने अपने 18 मिनट के भाषण में सभी से विजय दिवस की पूर्व संध्या पर लाखों शहीदों के रक्त के कर्ज को कभी न भूलने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, "हमें लिबरेशन वॉर के सांप्रदायिक सद्भावना को धूमिल नहीं होने देना चाहिए। युवाओं और नई पीढ़ी से मेरा अनुरोध है कि आप अपने पूर्वजों के सर्वोच्च बलिदानों को कभी न भूलें, आपको लाल और हरे रंग के झंडे का अपमान नहीं होने देना चाहिए, जिसे उन्होंने हमें उपहार में दिया है।"
स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती की पूर्व संध्या पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपिता 'बंगबंधु' शेख मुजीबुर्रहमान, चार राष्ट्रीय नेताओं और शहीदों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया।
हसीना ने कहा, "साल 1971 में बांग्लादेश से हारने वाले कुछ लोग अशांति पैदा करने की कोशिश में इतिहास और धर्म के झूठ और विकृतियों को बताकर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं।" (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 16 दिसंबर| अमेरिकी शहर सैन फ्रांसिस्को के मेयर लंदन ब्रीड ने बताया है कि शहर में सबसे पहले कोविड-19 वैक्सीन हेल्थ केयर वर्कर्स को दिए गए। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को जारी हुए बयान में कहा गया कि जुकरबर्ग सैन फ्रांसिस्को जनरल अस्पताल में लग रहे वैक्सीन सैन फ्रांसिस्को को राज्य और संघीय सरकारों से मिले प्रारंभिक 12,675 डोज का हिस्सा हैं। शहर में पहला वैक्सीन एंटोनियो गोमेज को दिया गया। वह जुकरबर्ग सैन फ्रांसिस्को जनरल अस्पताल में क्रिटिकल केयर सर्विसेज के चिकित्सा निदेशक हैं। यहां उन्होंने गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 रोगियों का इलाज किया है। गोमेज 2002 से अस्पताल में हैं।
पहले 12,675 वैक्सीन डोज उन मेडिकल फैसिलिटीज को आवंटित किए गए हैं, जहां कोविड-19 के बेहद गंभीर रोगियों का इलाज होता है। ऐसे अस्पतालों को उनके हेल्थ केयर वर्कर्स के प्रतिशत के अनुपात में डोज आवंटित किए गए हैं।
सैन फ्रांसिस्को का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा लोगों का जल्दी और सुरक्षित तरीके से टीकाकरण सुनिश्चित करना है। कैलिफोर्निया राज्य में वैक्सीन प्राथमिकता के आधार पर वितरित की जा रही हैं। इसके तहत पहले चरण में हेल्थ केयर वर्कर्स और दीर्घकालिक देखभाल सुविधाओं और नसिर्ंग होम में रह रहे लोगों को वैक्सीन दी जाएगी। घोषणा में कहा गया है कि सामान्य आबादी को 2021 में वैक्सीन मिल पाएगी।
इस मौके पर ब्रीड ने कहा, "यह हमारे शहर के लिए एक ऐतिहासिक दिन है और हमें उम्मीद है कि कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई में यह एक अहम पड़ाव है।" (आईएएनएस)
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर के ज़रिए संपर्क करने के बाद 9 लोगों की हत्या करने वाले एक शख़्स को जापान में फांसी की सज़ा दी गई है. इस हाई-प्रोफ़ाइल मामले ने पूरे जापान को हिलाकर रख दिया था.
'ट्विटर किलर' के नाम से मशहूर टाकाहिरो शिराइशी को 2017 में तब गिरफ़्तार किया गया था जब उनके फ़्लैट से मानव शरीर के अंग बरामद हुए थे.
पूछताछ में 30 साल के टाकाहिरो ने स्वीकार किया कि उन्होंने हत्याएं की थी और पीड़ितों के अंग क्षत-विक्षत किए थे. इनमें से अधिकतर महिलाएं थीं जिनसे वो सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर मिले थे.
सीरियल किलिंग के इस मामले के सामने आने के बाद यह बहस तेज़ हो गई थी कि ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर 'आत्महत्या' पर कैसे बात की जाए.
स्थानीय मीडिया के अनुसार, मंगलवार को 400 से अधिक लोगों ने इस फ़ैसले को सुना जबकि कोर्ट में सिर्फ़ 16 लोगों के बैठने की जगह मौजूद थी.
जापान में सज़ा-ए-मौत को लेकर लोगों का भारी समर्थन है और जापान ऐसे कुछ ही विकसित देशों में शामिल है जहां पर सज़ा-ए-मौत बरक़रार रखी गई है.
कैसे करते थे पीड़ितों की तलाश?
टाकाहिरो ट्विटर के ज़रिए ऐसी महिलाओं को अपने घर बुलाते थे जो अपनी ज़िंदगी ख़त्म करना चाहती थीं. वो महिलाओं को कहते थे कि वो मरने में उनकी मदद करेंगे और कई मामलों में उन्होंने कहा था कि वो उनके साथ ख़ुद का जीवन भी समाप्त कर लेंगे.
जापान की समाचार एजेंसी क्योडो ने इस मामले के हवाले से कहा कि उन्होंने अगस्त 2017 से अक्तूबर 2017 के बीच 15 से 26 वर्ष के बीच की आठ महिलाओं और 1 पुरुष की गला घोंटकर हत्या की और उनके अंग क्षत-विक्षत किए.
सीरियल किलिंग का ये मामला पहली दफ़ा उसी साल हैलोवीन पर सामने आया था जब टोक्यो के नज़दीक ज़ामा में टाकाहिरो के फ़्लैट से शरीर के अंग बरामद हुए थे.
जांचकर्ताओं को उनके फ़्लैट से कई हाथों और पैरों की हड्डियों के साथ-साथ 9 सिर मिले थे जिसके बाद जापानी मीडिया ने उनके घर को 'हाउस ऑफ़ हॉरर' कहा था.
सुनवाई के दौरान क्या हुआ?
अभियोजन पक्ष ने टाकाहिरो के लिए मौत की सज़ा मांगी थी और उन्होंने भी हत्या करने और अंगों को क्षत-विक्षत करने की बात स्वीकार की थी.
टाकाहिरो के वकील का कहना था कि वो मामूली धाराओं के तहत दोषी हैं क्योंकि यह 'सहमति से हत्या' का मामला था क्योंकि पीड़ितों ने हत्या की अनुमति दी थी.
बाद में टाकाहिरो के अपने वकीलों के तर्कों से मतभेद हो गए और उन्होंने कहा था कि उन्होंने बिना सहमति के हत्या की थी.
मंगलवार को जिस जज ने फ़ैसला सुनाया उनका कहना था कि "कोई भी पीड़ित हत्या को लेकर सहमत नहीं था."
इस केस का क्या असर हुआ?
जापानी मीडिया एनएचके के अनुसार, पिछले महीने 25 वर्षीय की एक पीड़िता के पिता ने कोर्ट से कहा था कि "टाकाहिरो अगर मर भी जाता है तो वो उसको माफ़ नहीं करेंगे."
उन्होंने कहा था, "अभी भी मैं अगर किसी अपनी बेटी की उम्र की किसी महिला को देखता हूं तो उसे अपनी बेटी समझ बैठता हूं. मेरा यह दर्द कभी नहीं जाएगा. मुझे मेरी बेटी लौटा दो."
इन हत्याओं ने जापान को हिलाकर रख दिया था. इसके बाद वेबसाइट पर 'सोशल मीडिया परआत्महत्या की चर्चा' करने को लेकर बहस तेज़ हो गई थी. उस समय सरकार ने संकेत दिए थे कि वो नए क़ानून लेकर आएगी.
इन हत्याओं ने ट्विटर पर भी बदलाव के संकेत दिए थे. उसने अपने नियमों में तब्दीली करते हुए यूज़र्स से कहा था कि 'आत्महत्या या ख़ुद को नुक़सान पहुंचाने को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए.' (bbc)
जापान के वैज्ञानिकों का कहना है कि एस्टेरॉयड रयूगू से मिले नमूने उम्मीद से कहीं ज्यादा बेहतर हैं. अंतरिक्ष यान हायाबूसा-2 छह साल पहले लॉन्च हुआ था और इसने पृथ्वी की तरफ एक कैप्सूल से नवंबर 2020 नमूने गिराए थे.
जापान, 15 दिसंबर | हायाबूसा-2 ने पृथ्वी से करीब 30 करोड़ किलोमीटर दूर यात्रा करने के बाद रयूगू क्षुद्रग्रह से धूल के नमूने और प्राचीन सामग्री जमा की. इसके बाद यान छह साल के मिशन को पूरा करने के बाद धरती की तरफ लौटा. हायाबूसा-2 ने इसी महीने एक कैप्सूल को धरती पर गिराया जो नमूने से भरा हुआ था. धरती के वायुमंडल में दाखिल होने के बाद यह एक आग के गोले की तरह बन गया और ऑस्ट्रेलिया के रेगिस्तान में गिरा.
जापान स्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएएक्सए) के वैज्ञानिकों ने मंगलवार को कैप्सूल के भीतर वाले कंटेनर से पेंच हटाया तो वे हैरान रह गए. कंटेनर के बाहरी हिस्से में भी क्षुद्रग्रह की धूल थी. जेएएक्सए के वैज्ञानिक हीरोताका सवादा के मुताबिक, "जब हमने वास्तव में इसे खोला था, तो मैं अवाक था. यह हमारी अपेक्षा से अधिक था और इतना कुछ था कि मैं वास्तव में प्रभावित हो गया." सवादा कहते हैं, "यह पाउडर जैसे महीन कण नहीं थे लेकिन बहुत सारे नमूने थे जो कई मिलीमीटर में मापे गए."
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह नमूने ब्रह्मांड के निर्माण पर प्रकाश डालेंगे और शायद पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई इसके बारे में भी सुराग दे सकेंगे. वैज्ञानिकों ने अब तक यह नहीं बताया है कि कैप्सूल के अंदर सामग्री कितने ग्राम या मिलीग्राम है. हायाबूसा-2 प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक और नागोया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर सिइचिरो वतनबे कहते हैं, "बहुत सारे नमूने हैं और ऐसा लगता है कि उनमें बहुत सारे ऑर्गेनिक पदार्थ हैं" वे कहते हैं, "तो मुझे उम्मीद है कि हम रयूगू के मूल सतह पर ऑर्गेनिक पदार्थ कैसे विकसित हुए हैं, इसके बारे में कई बातें पता कर सकते हैं."
हायाबूसा-2 के आधे सैंपल जेएएक्सए और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसी के बीच साझा किए जाएंगे. बाकी सैंपल को भविष्य के अध्ययन के लिए रख लिए जाएंगे. हायाबूसा-2 का काम अभी खत्म नहीं हुआ है और अब यह दो नए क्षुद्रग्रहों तक पहुंचने की यात्रा पर रवाना होगा.
काबुल, 15 दिसंबर | अफगान शांति वार्ता के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जल्माय खलीलजाद ने कहा है कि यह जरूरी है कि काबुल सरकार और तालिबान के बीच शांति वार्ता 5 जनवरी को फिर से शुरू होनी चाहिए। टोलो न्यूज ने जानकारी दी कि खलीलजाद की टिप्पणी सोमवार रात को आई जब दोनों पक्षों ने शांति वार्ता के एजेंडे के बारे में अपनी-अपनी सूची का आदान-प्रदान किया। ये शांति प्रक्रिया 12 सितंबर को कतर की राजधानी में औपचारिक रूप से लॉन्च की गई थी और बातचीत का अगला दौर 5 जनवरी से शुरू होगा।
इससे पहले सोमवार को, दोनों टीमों ने बातचीत पर आपसी सहमति से तीन हफ्ते का ब्रेक लिया।
ट्विटर पर विशेष दूत ने कहा, दुर्भाग्य से युद्ध जारी है। एक राजनीतिक समझ, हिंसा में कमी और संघर्ष विराम की सख्त जरूरत बनी हुई है।
उन्होंने कहा, जो कुछ भी दांव पर लगा है, उसको लेकर ये जरूरी है कि सहमति के अनुसार वार्ता फिर से 5 जनवरी से शुरू करने में देरी न हो।
उन्होंने यह भी पुष्टि की कि दोनों पक्षों ने बातचीत के एजेंडे पर सलाह मशविरा के लिए ब्रेक लिया है।
टोलो न्यूज के अनुसार, अपनी मांगों के मसौदे में, अफगान सरकार ने युद्ध विराम, मीडिया स्वतंत्रता और बाहरी लड़ाकूओं पर निषेध को एजेंडे में जोड़ा है।
इस बीच, तालिबान की मांगों में एक इस्लामी सरकार की संरचना, एक इस्लामी परिषद की स्थापना और महिलाओं के अधिकारों और इस्लामी सिद्धांतों पर आधारित सभी नागरिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करना शामिल है।
--आईएएनएस
मॉस्को, 15 दिसंबर | रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 3 नवंबर को हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति चुने गए, जो बाइडेन को बधाई देने के लिए टेलीग्राम के जरिये संदेश भेजा है। टास न्यूज एजेंसी ने क्रेमलिन के बयान के हवाले से कहा, "रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए जो बाइडेन को एक बधाई टेलीग्राम भेजा है।"
इसमें आगे कहा गया कि पुतिन ने बाइडेन के सफल कार्यकाल की कामना भी की और कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से "सहयोग और संपर्को के लिए तैयार हैं"। अपने मैसेज में पुतिन ने आगे कहा कि मतभेदों के बावजूद अमेरिका और रूस कई विश्व समस्याओं को हल करने में मदद कर सकते हैं।
बाइडेन के अमेरिकी इलेक्टोरल कॉलेज वोट जीतने के कुछ ही देर बाद पुतिन का यह बधाई संदेश आया है। सोमवार को इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों ने बाइडेन और कमला हैरिस को अधिकारिक तौर पर चुन लिया है। इसमें बाइडेन को 306 और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 232 वोट मिले।
3 नवंबर के चुनाव के बाद बाइडेन के लिए यह रूस का पहला बधाई संदेश है। इससे पहले रूस ने कहा था कि वह बधाई देने के लिए आधिकारिक परिणामों की प्रतीक्षा करना उचित समझता है।(आईएएनएस)
ब्रिटेन में कोरोना वायरस की नई किस्म सामने आई है. इंग्लैंड के कई हिस्सों में वायरस की यह नई किस्म बड़ी तेजी से फैल रही है. क्यों बदल जाते हैं वायरस?
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ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक के मुताबिक कम से कम 60 स्थानीय प्रशासनों ने कोरोना वायरस के नए रूप से फैले संक्रमण की बात मानी है. फिलहाल इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि वायरस का नया रूप पहले से ज्यादा घातक है. हैनकॉक के मुताबिक इस बात की कोई संभावना नहीं है कि वायरस के नए वर्जन पर वैक्सीन काम नहीं करेगी. दक्षिणी इंग्लैंड में इसके संक्रमण के 1000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं.
फिलहाल कोरोना वायरस के लिए होने वाले टेस्ट में वायरस की नई किस्म पकड़ में आ रही है. ब्रिटिश वैज्ञानिकों और वायरस विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना वायरस का नया रूप ज्यादा घातक और संक्रामक नहीं है. हालांकि इस पर लगातार नजर रखने की जरूरत है. वायरस के नए रूप के सामने आने के बाद लंदन में 16 दिसंबर से कड़े लॉकडाउन का ऐलान कर दिया गया है.
क्यों बदलता है वायरस का रूप
प्रकृति में मौजूद हर जीवित चीज की तरह वायरस भी लगातार प्रजनन और क्रमिक विकास करते रहे हैं. वायरस एक शरीर को संक्रमित करने के बाद आगे दूसरे शरीर तक पहुंचना चाहते हैं, ताकि वे फैलें और अपनी प्रजाति को जिंदा रख सकें. इस संक्रमण के लिए जीन में जिस तरह के बदलावों की जरूरत पड़ती है, वायरस वे बदलाव करने लगते हैं. विज्ञान की भाषा में इस प्रक्रिया को जेनेटिक म्यूटेशन कहा जाता है.
लगातार म्यूटेशन के बाद खुद को तेजी से फैला सकने वाले नए किस्म तैयार होते हैं. यह एक प्रजाति के लिए मामूली तो दूसरी प्रजातियों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं. कोरोना वायरस (सार्स-कोव-2) भी इसका सबूत है. तमाम वन्य जीवों के लिए यह जानलेवा नहीं है, लेकिन इंसान के शरीर में दाखिल होते ही इस वायरस ने महामारी की शक्ल ले ली.
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ब्रिटेन के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस का एक नया वेरिएंट (प्रकार) पाया गया है जो तेज़ी से फैल रहा है.
देश के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैंकॉक ने कहा कि कम से कम 60 अलग-अलग स्थानीय प्रशासनों को इस नए प्रकार से कोविड संक्रमण के मामले मिले हैं.
उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे अधिसूचित कर लिया है और ब्रिटेन के वैज्ञानिक इस पर विस्तृत अध्ययन कर रहे हैं.
मंत्री ने बताया कि ये बीमारी और बिगड़ सकती है और हो सकता है कि वैक्सीन इस पर काम ना करे.
उन्होंने सदन में बताया कि पिछले हफ़्ते लंदन, केंट, एसेक्स और हर्टफोर्डशायर के हिस्सों में कोरोन वायरस से संक्रमण के मामलों में बहुत तेज़ी आई है.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ''फिलहाल हमें वायरस के इस प्रकार के 1,000 से ज़्यादा मामले मिले हैं जो खासतौर पर इंग्लैंड के दक्षिणी हिस्से में सामने आए हैं. ये मामले 60 अलग-अलग इलाक़ों में पाए गए हैं.
''इसके कारण हमें तेज़ और निर्णायक कार्रवाई करनी होगी जो इस घातक बीमारी को नियंत्रित करने के लिए ज़रूरी है, भले ही इसके लिए वैक्सीन दी जा रही है.''
इंग्लैंड के चीफ़ मेडिकल ऑफ़िसर प्रोफेसर विटी ने कहा कि वर्तमान में किए गए कोरोना वायरस के स्वैब टेस्ट में इस नए प्रकार का पता चला है जो पिछले कुछ हफ़्तों में विशेषतौर पर केंट और उसके आसपास के इलाक़ों में पाया गया है.
सबसे सख़्त लॉकडाउन
इस संभावित ख़तरे को देखते हुए इंग्लैंड में अब तक का सबसे सख़्त लॉकडाउन लगाने की घोषणा की गई है. लंदन में और खासतौर पर एसेक्स और हर्टफोर्डशायर के कुछ हिस्सों में बुधवार से नए नियम लागू किए जाएंगे.
टीयर तीन में बड़े स्तर पर हाई अलर्ट होगा. इसमें पब और रेस्टोरेंट्र बंद रहेंगे, सिर्फ़ टेकअवे और डिलीवरी चलती रहेगी. इसके अलावा थियेटर, सिनेमा हॉल आदि बंद रहेंगे.
हालांकि, कड़े लॉकडाउन को लेकर कुछ तबकों ने नाराज़गी भी ज़ाहिर की है. हॉस्पिटेलिटी क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि इससे हज़ारों नौकरियां ख़तरे में पड़ सकती हैं.
वायरस को समझने की कोशिश
वायरस में आए बदलाव उसमें मौजूद स्पाइक प्रोटीन से जुड़े होते हैं. ये वायरस का वो हिस्सा हैं जो कोशिकाओं को संक्रमित करने में मदद करता है और कोरोना वायरस की वैक्सीन इसी को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई हैं.
अभी ये पता चलना मुश्किल है कि ये वायरस के बदलाव को कैसे प्रभावित करेगा.
बर्मिंघम यूनिवर्सिटी में विशेषज्ञ प्रोफेसर एलन मैकनली ने बीबीसी को बताया, ''हमें बहुत ज़्यादा परेशान होने की ज़रूरत नहीं है. इसका मतलब यह नहीं है कि ये ज़्यादा संक्रामक या खतरनाक है. बस हमें उस पर नज़र रखनी है.
''वायरस के इस प्रकार को समझने के लिए बड़े स्तर पर कोशिश की जा रही है. तनाव की स्थिति में शांति बनाए रखना महत्वपूर्ण होता है.''
वेलकम के निदेशक डॉक्टर जेरेमी फरार कहते हैं कि ये गंभीर हो सकता है. इसकी निगरानी और इस पर शोध जारी रहने चाहिए और हमें ज़रूरी कदम उठाने चाहिए ताकि हम वायरस से आगे रह सकें.
नॉटिंघम यूनिवर्सिटी में मॉलिक्यूलर वायरोलॉजी के प्रोफेसर जॉनाथन बॉल कहते हैं, ''कई वायरस की जेनेटिक जानकारी बहुत जल्दी बदल सकती है और कई बार ये बदलाव वायरस को फायदा पहुंचाते हैं, जैसे कि वो तेज़ी से फैल सकता है या वैक्सीन के असर से बच सकता है. लेकिन, कई बार वायरस में हुए बदलावों का कोई प्रभाव नहीं होता.
''भले ही ब्रिटेन में वायरस का नया प्रकार सामने आया है लेकिन ये एक इत्तेफाक हो सकता है. इसलिए, जब तक कि हम वायरस में आए बदलाव और उसके प्रभाव का अध्ययन नहीं कर लेते तब तक कोई भी दावा करना जल्दबाजी होगी.''
जर्मनी और अमेरिका का हाल
कई देशों में कोरोना वायरस के मामले कम हो रहे हैं लेकिन कई जगहों पर इसका ख़तरा बढ़ ही रहा है.
जर्मनी में कोरोना वायरस के संक्रमण और उसकी वजह से होने वाली मौत के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए क्रिसमस के दौरान सख़्त लॉकडाउन किया जाएगा.
पूरे जर्मनी में बुधवार से ही ग़ैर-ज़रूरी दुकानों को बंद कर दिया जाएगा. साथ ही स्कूलों को भी बंद किया जा रहा है.
चांसलर एंगेला मर्केल ने क्रिसमस से पहले ख़रीदारी के लिए उमड़े लोगों को मौजूदा हालात के लिए ज़िम्मेदार बताया है.
जर्मनी में अब 16 दिसंबर से 10 जनवरी तक लॉकडाउन होगा.
जर्मनी में रविवार को कोरोना संक्रमण के 20,200 नए मामले सामने आए और 321 लोगों की मौत हुई.
इसी तरह कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित देशों की सूची में अमेरिका पहले स्थान पर है.
अमेरिका में नवंबर से कोरोना वायरस से मौत के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं.
अमेरिका में अब तक कोरोना वायरस के एक करोड़ 69 लाख से ज़्यादा मामले आ चुके हैं और करीब तीन लाख लोगों की मौत हो चुकी है. अमेरिका में कोरोना की वैक्सीन लगनी शुरू हो गई है. (bbc.com)
चेन्नई, 15 दिसंबर| एमडीएमके महासचिव वाइको ने श्रीलंकाई नौसेना द्वारा 20 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार करने की मंगलावर को निंदा की। वाइको ने यहां जारी एक बयान में कहा कि रविवार को श्रीलंकाई नौसेना द्वारा 20 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया गया और उनकी नौकाओं को जब्त कर लिया गया।
उन्होंने कहा कि रामेश्वरम के मछुआरे पांच नावों में मछली पकड़ने गए थे।
वाइको ने कहा, "श्रीलंकाई सरकार की कार्रवाई निंदनीय है और भारत और तमिलनाडु सरकारों को मछुआरों और उनकी नावों को छुड़ाने के लिए कदम उठाना चाहिए।" (आईएएनएस)
अमेरिकी सरकार ने पूर्व एफबीआई एजेंट बॉब लेविंसन के अपहरण में शामिल दो ईरानी खुफिया अधिकारियों को नामित किया है. लेविंसन 13 साल पहले लापता हो गए थे और माना जाता है कि उनकी मृत्यु हो गई थी.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के प्रशासन ने औपचारिक रूप से सोमवार 14 दिसंबर को पूर्व एफबीआई एजेंट बॉब लेविंसन की मौत के लिए ईरान को दोषी ठहराया है. बॉब लेविंसन 13 साल पहले अचानक लापता हो गए थे, तब से उनके बारे में कोई सूचना नहीं मिली और माना जाता है कि वे जीवित नहीं हैं.
अमेरिकी प्रशासन के मुताबिक लेविंसन का कथित रूप से दो ईरानी खुफिया अधिकारियों ने अपहरण कर लिया था. अमेरिकी प्रशासन ने दोनों अधिकारियों के नामों की सार्वजनिक रूप से घोषणा की है और उन पर प्रतिबंध लगाए हैं. ट्रेजरी सचिव स्टीवन म्यूचिन ने एक बयान में कहा, "ईरान में बॉब लेविंसन का अपहरण ईरानी शासन की अन्यायपूर्ण कृत्यों के समर्थन का एक अपमानजनक उदाहरण है." उन्होंने कहा, "अमेरिका हमेशा अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और लेविंसन के अपहरण और संभावित मौत में भूमिका निभाने वालों का आक्रामक रूप से पीछा करना जारी रखेगा."
जिन दो ईरानी अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंधों की घोषणा की गई है, वे हैं मोहम्मद बसिरी और अहमद खजई. प्रतिबंध के मुताबिक अमेरिका में उनकी सभी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी. यह प्रतिबंध ईरान के बाहर इन दोनों अधिकारियों के वित्तीय लेनदेन और शारीरिक गतिविधि को भी सीमित करेगा.
क्या हुआ लेविंसन को?
बॉब लेविंसन 9 मार्च 2007 को लापता हो गए थे. अपने लापता होने से कुछ समय पहले वे ईरानी द्वीप किश पर एक स्रोत से मिलने वाले थे. इस साल की शुरुआत में अमेरिकी अधिकारियों ने खुलासा किया कि उन्होंने निष्कर्ष निकाला था कि बॉब लेविंसन की कुछ समय पहले मृत्यु हो सकती है. लेकिन उस समय कोई विवरण जारी नहीं किया गया था.
अब जब अमेरिकी सरकार ने ईरान को उनके अपहरण और संभावित मौत के लिए दोषी ठहराया है, तो लेविंसन के परिवार ने सरकार को धन्यवाद देते हुए एक बयान जारी किया है. परिवार ने कहा कि यह "उनके लिए न्याय की दिशा में एक पहला कदम है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण कदम है."
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का प्रशासन ईरान के साथ परमाणु समझौते से हटने के बाद से ईरान के खिलाफ कई प्रतिबंध लगा चुका है और यह कदम उस श्रृंखला का ही हिस्सा है. पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पांच अन्य विश्व शक्तियों के साथ, ईरान के साथ शांति और बेहतर संबंध बनाने के लिए एक परमाणु समझौता किया था लेकिन ट्रंप ने उस समझौते को तोड़ दिया था.
एए/ओएसजे (एएफपी, एपी)
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के आधिकारिक विजेता का ऐलान हो गया है. जो बाइडेन को इलेक्टोरल कॉलेज की वोटिंग में 306 वोट मिले. वहीं ट्रंप को 232 वोट मिले हैं. अब आधिकारिक तौर पर बाइडेन ही अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होंगे.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के विजेता का आधिकारिक ऐलान हो गया है. जो बाइडेन ने बहुमत के लिए जरूरी 270 का आंकड़ा पार कर लिया है. बहुमत हासिल करने के लिए 270 इलेक्टर्स के समर्थन की जरूरत होती है. बाइडेन को 306 इलेक्टोरल कॉलेज के वोट मिले और इस तरह से अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में बाइडन की जीत और निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हार की अब पुष्टि हो गई है.
बाइडेन को कैलिफोर्निया से सबसे ज्यादा इलेक्टोरल कॉलेज के वोट मिले, इसके बाद हवाई के वोट मिले, वहीं निवर्तमान राष्ट्रपति ट्रंप को 232 वोट मिले. इलेक्टोरल कॉलेज द्वारा बाइडेन की जीत की पुष्टि के बाद उन्होंने अपने भाषण में कहा अमेरिका की आत्मा की लड़ाई में लोकतंत्र की जीत हुई है. उन्होंने कहा, "देश के सत्ता के सिद्धातों को दबाने, कुचलने और परखने की कोशिश की गई लेकिन ये अमेरिका के लोकतांत्रिक सिद्धांत झुके नहीं." आगे उन्होंने कहा, "हम लोगों ने मतदान किया. हमारे संस्थानों में विश्वास किया और चुनावों की अखंडता को बरकरार रखा."
अड़े हुए हैं ट्रंप
ट्रंप लंबे समय से चुनाव नतीजों को खारिज करते आए हैं, सोमवार को भी रिपब्लिकन उम्मीदवार ने चुनाव में धांधली के आरोपों को दोहराया. सोमवार को उन्होंने एक ट्वीट किया कि मिशिगन काउंटी की अघोषित चुनाव रिपोर्ट "चुनाव नतीजों को बदलने वाली" हो सकती है. इस दावे को ट्विटर ने विवादित करार दिया. बाइडेन ने कई राज्यों में ट्रंप के आरोपों और मुकदमों का सामना किया, जिसने चुनाव परिणामों को अस्वीकार करने का प्रयास किया था.
बाइडेन ने कहा, "यह एक ऐसी स्थिति है जिसे हमने पहले कभी नहीं देखी. ऐसी स्थिति जिसने लोगों की इच्छा का सम्मान करने से इनकार कर दिया, कानून के शासन का सम्मान करने से इनकार कर दिया और हमारे संविधान का सम्मान करने से इनकार कर दिया." बाइडेन ने चुनाव अधिकारियों के खिलाफ हिंसा की आशंकाओं की भी निंदा की है. उन्होंने कहा, "मुझे पूरी उम्मीद है कि जिस तरह की धमकी और दुर्व्यवहार के मामले इस चुनाव में देखे गए वे आगे हम फिर किसी चुनाव में नहीं देखेंगे."
इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों के मतों पर इस साल हमेशा से ज्यादा ध्यान रहा, क्योंकि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अभी तक चुनावों में अपनी हार नहीं मानी है और वो अभी भी धोखाधड़ी के आधारहीन आरोप लगा रहे हैं. इस मतदान के नतीजे वॉशिंगटन भेजे जाएंगे और वहां छह जनवरी को संसद के संयुक्त सत्र में इनकी गिनती की जाएगी. बाइडेन और कमला हैरिस 20 जनवरी 2021 को अपने-अपने पद की शपथ लेंगे.
एए/ओएसजे (एपी, एएफपी)
अरुल लुईस
न्यूयॉर्क, 15 दिसंबर| अमेरिका के अटॉर्नी जनरल विलियम बर्र (देश के शीर्ष कानून प्रवर्तन अधिकारी) ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के औपचारिक रूप से जो बाइडेन से चुनाव हारने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
ट्रंप और न्याय विभाग की आलोचना का सामना करने वाले बर्र ने सोमवार को सौर्हापूर्ण संबंध के बीच अपना इस्तीफा दिया।
बर्र ने कैबिनेट पोस्ट से अपने पद से इस्तीफे के लिए नौ दिनों का नोटिस दिया जिसमें वे शक्तियां शामिल हैं जो भारत के गृह मंत्री के समकक्ष हैं।
ट्रंप ने ट्विटर पर बर्र के इस्तीफे की घोषणा की और कहा, "हमारा संबंध बहुत अच्छा रहा है, उन्होंने उत्कृष्ट काम किया है।"
बर्र ने कहा कि उन्होंने 2020 के चुनाव में वोटर धोखाधड़ी के आरोपों की न्याय विभाग की समीक्षा पर ट्रंप को अपडेट किया था।
गौरतलब है कि ट्रंप के दावे के विपरीत बर्र ने चुनाव में धोखाधड़ी की बात से असहमति जताई थी।
उनके इस्तीफे को लेकर कई दिनों से अकटलें लगाई जा रही थीं और आखिरकार इलेक्टोरल कॉलेज के औपचारिक रूप से जो बाइडेन को अगला राष्ट्रपति घोषित करने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
ट्रंप की शिकायत रही कि बर्र ने सार्वजनिक रूप से बाइडेन के बेटे हंटर के सौदे की सरकारी एजेंसियों द्वारा की गई जांच के बारे में बात नहीं की थी, जिससे चुनाव में ट्रंप की मदद हो सकती थी। (आईएएनएस)
आईआईएससी द्वारा किए शोध के अनुसार पिछले 100 वर्षों में मानसून के दौरान पड़ने वाले सूखे की करीब आधी घटनाओं के लिए उत्तरी अटलांटिक के मौसम में आई गड़बड़ी जिम्मेदार थी
-ललित मौर्य
भारत में मानसून के दौरान बारिश में आ रही कमी और सूखे के लिए उत्तरी अटलांटिक के मौसम में आई गड़बड़ी जिम्मेदार है। यह जानकारी भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) और सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक एंड ओशनिक साइंसेज (सीएओएस) द्वारा किए शोध में सामने आई है, जोकि अंतराष्ट्रीय जर्नल साइंस में प्रकाशित हुआ है। शोध के अनुसार पिछली एक सदी में मानसून में पड़ने वाली सूखे की करीब आधी घटनाओं के लिए उत्तरी अटलांटिक के मौसम में आई गड़बड़ी जिम्मेदार थी।
भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसकी एक बड़ी आबादी आज भी सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर है। यही वजह है कि भारत में फसलों के लिए मानसून बहुत मायने रखता है। भारत में जून से सितम्बर के बीच मानसून का मौसम रहता है। देश में एक अरब से भी ज्यादा लोग इस मानसूनी बारिश पर निर्भर है। ऐसे में यदि मानसून फेल होता है तो उसका न केवल कृषि बल्कि साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ता है।
यही वजह है कि पिछले कई वर्षों से वैज्ञानिक दक्षिण एशिया में मानसून का अध्ययन कर रहे हैं और यह समझने का प्रयास कर रहे है कि आखिर क्यों कभी-कभी मानसून फेल हो जाता है। पहले किए अध्ययनों के अनुसार अल नीनो के चलते मानसून के दौरान बारिश में कमी आती है, और सूखे की स्थिति बनती है, लेकिन इस नए शोध से पता चला है कि ऐसा हमेशा नहीं होता है। यही वजह है कि शोधकर्ता अल नीनो के साथ-साथ अन्य घटनाओं को भी जानने का प्रयास कर रहे हैं जो मानसून को प्रभावित कर सकती हैं। इसे समझने के लिए वैज्ञानिकों ने दक्षिण एशियाई मौसम के पिछले 100 वर्षों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है।
शोध से पता चला है कि पिछले 100 वर्षों में सूखे की लगभग आधी घटनाएं (23 में से 10) उस समय हुई थी जब अल नीनो वर्ष नहीं था। साथ ही यह भी पता चला है उन वर्षों में जब अल नीनो नहीं था तब सूखे के समय उत्तरी अटलांटिक के मौसम में गड़बड़ी पाई गई थी। वैज्ञानिकों के अनुसार उत्तरी अटलांटिक के मौसम में आई इस गड़बड़ी के चलते मध्य अक्षांशों से ‘रोसबी धाराएं’ विकसित हुई, जिन्होंने भारत में मानसून के लिए जिम्मेदार कारकों को प्रभावित किया। जिसके परिणामस्वरूप मानसून के दौरान बारिश में कमी आई और सूखे की स्थिति बनी थी।
इसके साथ ही शोधकर्ताओं को मानसूनी बारिश और सूखे के बारे में एक और खास बात पता चली है, यह घटना एक विशिष्ट पैटर्न में होती है। मानसून का मौसम जून में सामान्य से कम बारिश के रूप में शुरू होता है उसके बाद अगस्त की शुरुवात में सामान्य बारिश होती है, उसके बाद अचानक से बारिश बंद हो जाती है। शोधकर्ताओं के अनुसार अगस्त के मध्य में बारिश में आई यह गिरावट उत्तरी अटलांटिक महासागर की मौसमी गड़बड़ी से मेल खाती है। हालांकि इस गड़बड़ी की प्रकृति क्या है उसके बारे में अभी तक वैज्ञानिकों को पता नहीं चला है। लेकिन उनके अनुसार इस गड़बड़ी के चलते उत्तरी अटलांटिक के ठंडे पानी पर उठती चक्रवाती हवाएं, ऊपरी वायुमंडल में बहने वाली हवाओं से मिल गई थी। इन हवाओं ने पूरी एशिया से होते हुए भारतीय मानसून को प्रभावित किया था। (downtoearth.org.in)
चीन ने कहा है कि न्यूज़ एजेंसी ब्लूमबर्ग के पत्रकार की गिरफ़्तारी उसका 'आंतरिक मामला' है.
इसके साथ ही चीन ने उसके मामले में दखलंदाज़ी करने को लेकर दूसरों को चेतावनी भी दी है.
चीनी नागरिक और पत्रकार हेज़ फान को पिछले हफ़्ते हिरासत में लिया गया था.
उन पर अधिकारियों ने राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरे में डालने का आरोप लगाया है.
चीन में हाल के दिनों में पत्रकारों की गिरफ़्तारी या फिर उनके निष्कासन की घटनाएं बढ़ी हैं.
हेज़ फान की गिरफ़्तारी को इसी कड़ी की ताज़ा घटना के तौर पर देखा जा रहा है.
यूरोपीय संघ की अपील
यूरोपीय संघ ने चीन से अपील की है कि रिपोर्टिंग के सिलसिले में जिन पत्रकारों को गिरफ़्तार किया गया है, वो उन सभी को रिहा करे.
शनिवार को यूरोपीय संघ ने इस सिलसिले में एक बयान भी जारी किया.
बयान में कहा गया है कि चीन से ये उम्मीद की जाती है कि वो हेज़ फान को ज़रूरत पड़ने पर मेडिकल मदद और उनकी पसंद का वकील मुहैया कराए.
साथ ही यूरोपीय संघ के बयान में चीन से ये अपील भी की गई है कि हेज़ फान को उनके परिवारवालों से मिलने दिया जाए.
चीन में विदेशी पत्रकारों के संगठन 'फ़ॉरेन कॉरेंसपोंडेंट्स क्लब इन चाइना' (एफ़सीसीसी) ने भी हेज़ फान का समर्थन किया है.
एफ़सीसीसी ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया चीन में अपने स्थानीय स्टाफ़ पर निर्भर करता है.
मालदीव और चीन क़र्ज़ भुगतान को लेकर आपस में भिड़े
कोरोना वैक्सीन: चीन की कोरोनावैक कितनी सस्ती, कितनी कारगर
चीन का जवाब
हालांकि यूरोपीय संघ में चीन के राजदूत ने रविवार को कहा कि हेज़ फान पर ऐसी आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने का संदेह है जिनसे चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरा पहुंचता है और बीजिंग के स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो ने उन्हें क़ानून के तहत ही हाल में हिरासत में लिया है.
यूरोपीय संघ में चीन के राजदूत ने अपने आधिकारिक वीचैट एकाउंट पर कहा, "इस मामले की जांच क़ानून के दायरे में की जा रही है और हेज़ फान के अधिकारों का पूरा ख़्याल रखा गया है. ये पूरी तरह से चीन का आंतरिक मामला है और किसी भी अन्य देश या संगठन को इसमें दखल देने का कोई हक़ नहीं है."
कौन हैं हेज़ फान
हेज़ फान साल 2017 से न्यूज़ एजेंसी ब्लूमबर्ग में काम कर रही हैं. इससे पहले वे समाचार एजेंसी रॉयटर्स, सीएनबीसी, अल जज़ीरा और सीबीएस न्यूज़ में काम कर चुकी हैं.
सात दिसंबर के दिन हेज़ फान को सादी वर्दी पहने सुरक्षा अधिकारियों के साथ उनके अपार्टमेंट से जाते हुए देखा गया था.
हिरासत में लिए जाने से कुछ समय पहले उन्होंने अपने एक संपादक से संपर्क किया था.
समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग की प्रवक्ता हेज़ फान को हिरासत में लिए जाने पर कहा, "हम उन्हें लेकर चिंतित हैं. हालात को बेहतर तरीके से समझने के लिए हम चीनी अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं. हमें और जानकारी का इंतज़ार है और हम उनकी मदद के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं, हम वो तमाम कोशिशें जारी रखे हुए हैं."
'फ़ॉरेन कॉरेंसपोंडेंट्स क्लब इन चाइना' ने एक ट्वीट में कहा है कि एफ़सीसीसी उन प्रतिभाशाली चीनी नागरिकों के साथ है जो चीन में काम कर रहे विदेशी मीडिया आउटलेट्स को अपनी बहुमूल्य सेवाएं दे रहे हैं.
इस बयान में कहा गया है, "चीनी नागरिक अपने महत्वपूर्ण रिसर्च और भाषाई मदद से चीन में विदेशी मीडिया को मदद करते हैं. उनकी मदद के बिना चीन में अंतरराष्ट्रीय मीडिया प्रतिष्ठानों का काम करना बहुत मुश्किल हो जाएगा."
एफ़सीसीसी ने ये भी कहा है कि वे लोग हेज़ फान को हिरासत में लिए जाने की घटना पर स्पष्ट जानकारी के लिए अधिकारियों के साथ संपर्क कर रहे हैं.
पहला मामला नहीं है...
हेज़ फान कोई पहली पत्रकार नहीं हैं जो इस साल चीन के सरकारी अधिकारियों के निशाने पर आई हैं.
साल 2020 की शुरुआत में चीन ने तीन प्रमुख अमेरिकी अख़बारों 'द न्यूयॉर्क टाइम्स', 'द वाशिंगटन पोस्ट' और 'द वॉल स्ट्रीट जर्नल' के पत्रकारों को कुछ दिनों के अंदर देश छोड़कर चले जाने के लिए कहा था.
उस समय अमेरिका और चीन के रिश्ते नाजुक दौर से गुजर रहे थे.
अगस्त में चीन ने चीनी मूल के ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार चेंग ली को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर बीजिंग में हिरासत में ले लिया था.
वे चीन के सरकारी टेलीविज़न चैनल सीजीटीएन से जुड़े हुए थे.
इसके बाद सितंबर में दो ऑस्ट्रेलियाई पत्रकारों को चीन के सुरक्षा मंत्रालय की पूछताछ के बाद देश छोड़ने के लिए कहा गया.
हॉन्ग कॉन्ग में लोकतंत्र समर्थक मीडिया कारोबारी जिम्मी लाई पर इस महीने की शुरुआत में नए विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत केस दर्ज किया गया. (bbc)
अमेरिका में सबसे पहला टीका सांद्रा लिंडसी को लगाया गया जो न्यूयॉर्क के एक अस्पताल में नर्स हैं
अमेरिका में कोरोना वैक्सीन लगनी शुरू हो गई है. अमेरिका में सोमवार को कोविड-19 का पहला टीका लगाया गया. इस पहले टीके के साथ ही देश अपने सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के लिए तैयार है.
पहला टीका न्यूयॉर्क के लॉन्ग आईलैंड के एक अस्पताल की नर्स सांद्रा लिंडसी को लगाया गया.
लाखों की संख्या में फ़ाइज़र/बायोएनटेक वैक्सीन बांटी जाएगी.
सोमवार को क़रीब 150 अस्पतालों को यह वैक्सीन दी जाएगी. अमेरिकी टीकाकरण अभियान के तहत अगले साल अप्रैल महीने तक क़रीब 10 करोड़ लोगों तक वैक्सीन पहुँचाने का लक्ष्य है.
अमेरिका में कोविड-19 संक्रमण के कारण अब तक क़रीब तीन लाख लोगों की मौत हो चुकी है. दुनिया में संक्रमण के सबसे अधिक मामले भी अमेरिका में ही हैं.
फ़ाइज़र/बायोएनटेक वैक्सीन को बीते शुक्रवार को यूएस फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ़ से आपातकालीन स्थिति में टीका लगाने की मंज़ूरी मिली थी.
कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित देशों की सूची में अमेरिका पहले स्थान पर है. कोरोना ने देश को बुरी तरह से प्रभावित किया है और इसी कारण इतने बड़े स्तर पर टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जाना है. कोविड ट्रैकिंग प्रोजेक्ट के अनुसार, नवंबर से मरने वालों की संख्या में तेज़ी देखी गई है और बीमारी के कारण अस्पताल में भी लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. मौजूदा समय में भी 109,000 लोग भर्ती हैं.
पोर्टलैंड में 12अस्पतालों के एक नेटवर्क मेनहेल्थ के डॉ. डोरा मिल्स के मुताबिक़, "मुझे लगता है कि अगर रिकॉर्ड देखा जाए तो यह शायद अब तक का सबसे बुरा दिसंबर माह होगा. पिछले सप्ताह के आंकड़ों को देखें तो कैंसर और हृदय रोग से मरने वालों की संख्या अब भी कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों से कम है. अब भी अमेरिका में सबसे अधिक मौतें कोविड 19 से ही हो रही हैं."
"यह हमारे लिए एक बहुत काला मौसम रहा लेकिन यह अपने आप में अतुलनीय भी है क्योंकि हमारे पास महामारी शुरू होने के एक साल से कम समय में भी वैक्सीन उपलब्ध है. यदि प्रभाव और सुरक्षा के आंकड़ों को देखें तो यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बहुत बड़ी उपबल्धि है."
फ़ाइज़र/बायोएनटेक वैक्सीन एक बड़ी अमेरिकी फ़ार्मा कंपनी और जर्मन बायोटेक्नोलॉजी कंपनी के बीच आपसी साझेदारी से तैयार की गई है. यह वैक्सीन 95 फ़ीसद तक सुरक्षा प्रदान करती है. अमेरिकी नियामकों के तहत पास होने वाली यह पहली कोविड-19 वैक्सीन है.
ब्रिटेन में इस वैक्सीन को पहले ही मंज़ूरी दे दी गई थी. (bbc)
अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडन की जीत की औपचारिक पुष्टि कर दी गई है. देश के सभी 50 राज्यों के इलेक्टोरल कॉलेज ने उन्हें 306 मत मिलने की पुष्टि की है. चुनाव में जीत के लिए इलेक्टोरल कॉलेज के 270 मतों की ज़रूरत होती है.
जो बाइडन की जीत पहले ही साफ हो चुकी थी लेकिन राष्ट्रपति का पदभार संभालने के लिए ये सबसे अंतिम कदम था जो अब पूरा हो गया है.
इसके बाद अब बाइडन को 20 जनवरी को शपथ दिलवाई जानी है.
हालाँकि, इस बात की संभावना अब भी कम है कि डोनाल्ड ट्रंप अपनी हार स्वीकार करेंगे.
नवंबर में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन को 306 और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को 232 इलेक्टोरल कॉलेज वोट मिले थे.
इलक्टोरल कॉलेज के नतीजे आने के बाद जो बाइडन ने ट्रंप के बिना किसी प्रमाण के चुनावी नतीजे पर सवाल उठाने की ओर इशारा करते हुए कहा कि देश के साधारण लोगों ने दादागिरी के सामने झुकने से इनकार कर दिया.
बाइडन ने कहा,"इस देश में लोकतंत्र की लौ काफ़ी पहले ही जल चुकी थी, और हमें पता है कि ना कोई महामारी, ना ही किसी की शक्ति का दुरुपयोग इस लपट को कभी भी बुझा सकती है."
इलेक्टोरल कॉलेज
अमेरिकी चुनावों में मतदाता अपने वोट 'इलेक्टर्स' को देते हैं और चुने गए इलेक्टर्स कुछ हफ्तों बाद राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए मतदान करते हैं.
हालांकि, जो बाइडन को इलेक्टोरल कॉलेज में जीत मिलने के बाद भी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नतीजों को स्वीकार नहीं किया था. उन्होंने पोस्टल बैलेट में गड़बड़ी होने का आरोप लगाया था.
सामान्य तौर पर इलेक्टोरल कॉलेज में जीतने के बाद इलेक्टर्स के मतदान को ज़्यादा महत्व नहीं दिया जाता क्योंकि नतीजा पहले ही साफ होता है.
लेकिन, इस बार डोनाल्ड ट्रंप की आपत्तियों और इस चुनाव के नतीजों को कोर्ट में चुनौती देने के कारण इलेक्टर्स के मतदान पर भी सभी की नज़र थी.
डेमोक्रेट पार्टी का समर्थक माना जाना वाला कैलिफ़ोर्निया उन आखिरी राज्यों में से था जिन्हें मतदान करना था.
कैलिफ़ोर्निया के 55 इलेक्टर्स ने सोमवार को मतदान करने के बाद जो बाइडन को बहुमत के लिए ज़रूरी 270 वोटों से आगे पहुंचा दिया.
इलेक्टोरल कॉलेज के मतदान को देखते हुए मिशिगन और जॉर्जिया सहित कई राज्यों में सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. ये मतदान राज्यों की राजधानी और वॉशिंगटन में हुए थे.
कांटे की टक्कर वाले मिशिगन में जो बाइडन ने जीत हासिल की थी. यहां हिंसा की आशंका को देखते हुए कड़े सुरक्षा इंतज़ाम किए गए थे.
फिर भी रिपब्लिकंस के एक समूह ने मतदान के दौरान अपना वोट देने के लिए ज़बरदस्ती इमारत में घुसने की कोशिश की लेकिन उन्हें वापस भेज दिया गया.
गवर्नर ग्रेचन विटमर ने कहा, ''लोगों ने कहा है कि ये एक सुरक्षित और निष्पक्ष चुनाव थे. अब नतीजों की पुष्टि हो चुकी है.''
कौन होते हैं इलेक्टर्स
हर राजनीतिक पार्टी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के अलावा चुनाव के दिन से महीनों पहले अपने इलेक्टर्स चुनती है या नामांकित करती है.
जो पार्टी राज्य के पॉपूलर वोट जीतती है वो ही उस राज्य के लिए इलेक्टर्स की नियुक्ति करती है.
इस बार के सबसे लोकप्रिय इलेक्टर्स में पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन शामिल थे. उन्हें न्यूयॉर्क से चुना गया था.
इलेक्टोरल वोटों की संख्या राज्य की आबादी के आकार के हिसाब से तय होती है.
अमूमन इलेक्टर्स अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार को वोट देते हैं लेकिन 2016 में ऐसा नहीं हुआ था और इसे रोकने के लिए राज्यों को बाद में कुछ नियमों में बदलाव किए.
विशेषज्ञों का कहना है कि अब जो बाइडन की जीत तय हो चुकी है उसे बदला नहीं जा सकता.
अब आगे क्या
मतदान के नतीजे वॉशिंगटन भेजे जाएंगे और 6 जनवरी को कांग्रेस के संयुक्त सत्र में आधिकारिक तौर पर उनकी गिनती होगी.
इसकी अध्यक्षता उपराष्ट्रपति माइक पेंस करेंगे.
इसके बाद 20 जनवरी को जो बाइडन के राष्ट्रपति की शपथ लेने का रास्ता खुल जाएगा.
पिछले महीने राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि अगर इलेक्टोरल कॉलेज में जो बाइडन अपनी जीत की पुष्टि कर देते हैं तो वो ऑफिस से हट जाएंगे.
डोनाल्ड ट्रंप क्या करेंगे
विश्लेषणएंथनी जर्चर उत्तरी अमेरिकी रिपोर्टर
इलेक्टोरल कॉलेज की बैठक में राष्ट्रपति का चुनाव एक ऐसी प्रक्रिया है जो अपनी ताकत और प्रासंगिकता पहले ही खो चुकी है.
लेकिन, डोनाल्ड ट्रंप के आरोपों ने इस प्रक्रिया को भी महत्वपूर्ण बना दिया.
डोनाल्ड ट्रंप की क़ानून विशेषज्ञों की टीम को राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को चुनौती देने में बहुत कम सफलता मिली थी. लेकिन, अब जो बाइडन की जीत की आधिकारिक पुष्टि ने सबकुछ साफ कर दिया है.
हालांकि, इसका ये मतलब नहीं है कि डोनाल्ड ट्रंप की टीम हार मान लेगी. वो वोटों के एक वैक्लपिक सेट के साथ एक वैकल्पिक इलेक्टोरल कॉलेज की कार्यावाही कर रही है जो राष्ट्रपति को असली विजेता घोषित करेगा. वो निरर्थक क़ानूनी कार्रवाइयां जारी रखेंगे और कांग्रेस से चुनावी नतीजों को पलटने की मांग करेंगे.
डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों को जो बाइडन की जीत की सच्चाई से ज़्यादा ये वैकल्पिक सच्चाई पसंद आएगी जिसमें वो जो बाइडन को विजेता ना मानकर उन्हें चुनौती दे रहे हैं.
हालांकि, हाउस ऑफ रिप्रेज़ेंटेटिव्स में डेमोक्रेट्स का बहुमत होने, जो बाइडन की जीत की आधिकारिक पुष्टि होने और उनके क़ानूनी तौर पर सही होने से असली दुनिया में डोनाल्ड ट्रंप की सफलता की संभावना शून्य है. (bbc)
सऊदी अरब के ऑयल इंफ्रास्ट्रक्चर पर एक महीने के भीतर चौथा हमला हुआ है. ताजा हमले में राजधानी जेद्दाह के पोर्ट पर ईंधन से भरे ऑयल टैंकर को निशाना बनाया गया.
सऊदी अरब की राजधानी जेद्दाह के बंदरगाह पर सोमवार सुबह एक ऑयल टैंकर पर हमला हुआ. सिंगापुर की कंपनी के टैंकर बीडब्ल्यू राइन में धमाका हुआ. शिपिंग कंपनी का कहना है कि हमला "बाहरी स्रोत" से हुआ. इस हमले के बाद लाल सागर में जहाजों की सुरक्षित आवाजाही को लेकर आशंकाएं बढ़ गई हैं. सऊदी अरब बीते कई साल से यमन के संघर्ष में उलझा हुआ है.
बीडब्ल्यू राइन पर 60,000 मीट्रिक टन गैसोलीन लोड है. यह सऊदी अरब की सबसे बड़ी रिफाइनरी अरामको से लाया गया था. हमले के बाद टैंकर में आग लग गई. टैंकर के चालक दल के 22 सदस्यों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. कुछ घंटों की मशक्कत के बाद दमकलकर्मियों ने आग पर काबू पा लिया. कुछ तेल लीक होकर पानी में बह गया.
ब्रिटेन की नौसेना रॉयल नेवी ने लाल सागर के इलाके में आवाजाही कर रहे जहाजों से सावधानी बरतने की अपील की है. बीते एक महीने में यह चौथा मामला है जब सऊदी अरब के तेल प्रतिष्ठानों से जुड़ी चीजों को निशाना बनाया गया है. नवंबर में सऊदी अरब के निशतुन पोर्ट पर एक मालवाहक जहाज को समुद्री बारूदी सुरंग से निशाना बनाया गया. यमन में ईरान के समर्थन से लड़ रहे हूथी विद्रोही पहले भी समुद्री बारूदी सुरंगों का इस्तेमाल करते रहे हैं.
लाल सागर की अहमियत
लाल सागर दुनिया की ऊर्जा सप्लाई के लिए बेहद अहम है. लाल सागर में दाखिल होने का समुद्री मार्ग यमन की खाड़ी में सबसे संकरा है. स्वेज नहर में दाखिल होने का रास्ता इसी संकरी खाड़ी से गुजरता है. इस खाड़ी को पार करने के बाद ही जहाज सऊदी अरब, जॉर्डन, जॉर्डन, मिस्र, इस्राएल, इरीट्रिया और सूडान जा सकते हैं. लाल सागर एशिया को यूरोप से जोड़ता है.
दुनिया में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक सऊदी अरब अपने निर्यात के लिए करीब करीब पूरी तरह लाल सागर पर निर्भर है. ऐसे में लाल सागर में समुद्री सुरंगों का इस्तेमाल पूरी दुनिया की ऊर्जा सप्लाई पर असर डाल सकता है. अंतरराष्ट्रीय पेट्रोलियम बाजार में सऊदी अरब की हिस्सेदारी 12 फीसदी है.
संकट भड़कने का खतरा
मैरीटाइम इंटेलिजेंस फर्म द्रयाल ग्लोबल के मुताबिक अगर ताजा हमला हूथी विद्रोहियों ने किया है तो ये बड़े संकट की शुरुआत होगी, "ये इस बात का संकेत होगा कि हूथी विद्रोहियों की हमला करने की क्षमता और मंशा में बड़ा बदलाव आ रहा है." सऊदी अरब का आरोप है कि उसके तेल प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के लिए बम से लैस ड्रोनों और रॉकेटों का भी सहारा लिया जा रहा है.
यमन में सऊदी अरब के समर्थन वाली यमनी सेना और हूथी विद्रोही 2014 से ही एक दूसरे से लड़ रहे हैं. सऊदी अरब और यमन जमीनी सीमा से एक दूसरे से जुड़े हैं. दोनों देशों के बीच 1,307 किलोमीटर लंबी सीमा है. यमन के संघर्ष में अब तक 2,30,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और तीन करोड़ से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं.
ओएसजे/एमजे (एएफपी, एपी)
खारतूम, 14 दिसंबर | अमेरिका ने सोमवार को आधिकारिक रूप से सूडान को आतंकवाद के प्रायोजक देशों की सूची से हटाने की घोषणा कर दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, 45 दिनों की अधिसूचना अवधि समाप्त हो गई है और अमेरिकी विदेश मंत्री ने सूडान को आतंकवादी प्रायोजक लिस्ट से हटाने की अधिसूचना पर हस्ताक्षर कर दिए हैं जो आज (14 दिसंबर) प्रभावी हो जाएगा।
23 अक्टूबर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि 1998 में अफ्रीकी देश तंजानिया और केन्या में अमेरिकी दूतावासों पर हुए बम विस्फोटों के पीड़ितों के लिए 335 मिलियन डॉलर की समझौता राशि जमा करने के बाद सूडान को आतंकवादी देशों की सूची से हटा लिया जाएगा।
सूडान 1993 से आतंकवाद को बढ़ावा देने के देश के रूप में सूचीबद्ध था। सूची में अन्य तीन राष्ट्र ईरान, उत्तर कोरिया और सीरिया हैं।
इसके चलते सूडान को कई तरह के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा जिसमें रक्षा निर्यात और बिक्री पर प्रतिबंध और अमेरिकी विदेशी सहायता पर प्रतिबंध शामिल है
7 अगस्त 1998 को तंजानिया के डार एस सलाम और केन्या के नैरोबी, में अमेरिकी दूतावासों पर एक साथ हुए बम विस्फोटों में कम से कम 224 लोग मारे गए थे।
इस हमले ने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान अल कायदा की ओर खींचा था और एफबीआई को ओसामा बिन लादेन को 10 अति-वांछित भगोड़े की सूची में नामित किया था। (आईएएनएस)
लंदन, 14 दिसंबर | लंदन के मेयर सादिक खान ने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की सरकार से अपील की है कि वह क्रिसमस की छुट्टियों से पहले यहां के सभी सेकेंडरी स्कूलों और कॉलेजों को बंद करने का आदेश दें। मीडिया को यह जानकारी सोमवार को मिली। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, एक बयान में खान ने कहा है कि लंदन में कोरोनावायरस के मामलों में वापस से वृद्धि देखने को मिल रही है, मामले की गंभीरता को देखते हुए वह चाहते हैं कि सभी शिक्षण संस्थान अगले महीने के अंत तक खोले जाए।
उन्होंने आगे कहा कि विद्यार्थियों में तत्काल प्रभाव से कोविड-19 की जांच का प्रसार किया जाना चाहिए और साथ में उन्होंने यह भी कहा कि वह चाहते हैं कि लक्षणरहित उन सभी लोगों की भी जांच हो, जो घर से काम नहीं कर पा रहे हैं।
अपने बयान में उन्होंने घर से निकलने पर लोगों से मास्क पहनने का भी आग्रह किया, क्योंकि क्रिसमस के मौके पर सड़कों पर भीड़ रहने की संभावना है।
--आईएएनएस
काबुल, 14 दिसंबर | अफगान सरकार की वार्ताकार टीम तालिबान के साथ तीन महीने की शांति वार्ता में 23 दिन के ब्रेक के आह्वान के बाद सोमवार को दोहा से काबुल लौट आएगी। इसका अर्थ वर्तमान दौर के वार्ता का अंत समझा जा सकता है। टोलो न्यूज ने रविवार को अफगान वार्ता टीम के सदस्य हबीबा साराबी के हवाले से कहा, "प्रतिनिधिमंडल आराम के लिए नहीं, बल्कि परामर्श, वार्ता में सभी पक्षों के लिए सामान्य आधार की तलाश करने के लिए काबुल लौटेगा।"
इस महीने की शुरुआत में दोनों पक्ष वार्ता के लिए प्रक्रियात्मक नियमों पर सहमत हुए थे, जिसके बाद यह ब्रेक लिया गया। यह वार्ता औपचारिक रूप से 12 सितंबर को कतरी राजधानी में लॉन्च हुई थी।
उनके समझौते के बाद उन्होंने वार्ता के एजेंडे पर तीन बैठकें कीं।
दोनों बातचीत करने वाली टीमों ने शनिवार को पुष्टि की कि दोनों पक्षों ने शांति वार्ता के एजेंडे के बारे में अपनी सूची का आदान-प्रदान किया है और चर्चाओं का अगला चरण 5 जनवरी 2021 से शुरू होगा।
हालांकि टीमों ने इस बात का उल्लेख नहीं किया कि वार्ता दोहा में होगी या कहीं और।
टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, अगले दौर की वार्ता के लिए स्थान के बारे में अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहिब ने शनिवार को कहा कि वार्ता अफगानिस्तान में आयोजित की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार आतंकवादी समूह की पसंद के अनुसार देश के किसी भी हिस्से में तालिबान के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है।
--आईएएनएस
अमेरिका के अगले राष्ट्रपति को चुनने के लिए इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य सभी राज्यों में अपना मत डालेंगे. नतीजे वॉशिंगटन भेजे जाएंगे और छह जनवरी को अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र में उनकी गिनती होगी.
अमेरिका, 14 दिसंबर | सोमवार 14 दिसंबर का दिन कानूनी रूप से मुकर्रर की गई वो तारीख है जिस दिन इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य मिलेंगे. सदस्य सभी पचासों राज्यों और कोलंबिया डिस्ट्रिक्ट में मिलेंगे और अपना अपना मत डालेंगे. इस मतदान के नतीजे वॉशिंगटन भेजे जाएंगे और वहां छह जनवरी को संसद के संयुक्त सत्र में इनकी गिनती की जाएगी.
इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों के मतों पर इस साल हमेशा से ज्यादा ध्यान है, क्योंकि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अभी तक चुनावों में अपनी हार नहीं मानी है और वो अभी भी धोखाधड़ी के आधारहीन आरोप लगा रहे हैं. मतदान हो जाने के बाद बाइडेन सोमवार रात को राष्ट्र को संबोधित करेंगे.
इस बीच ट्रंप चुनाव जीतने के अपने झूठे दावे पर अड़े हुए हैं और बाइडेन के कार्यकाल की शुरुआत से पहले ही उन्हें नीचा दिखा रहे हैं. शनिवार को उन्होंने फॉक्स न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में कहा, "मुझे चिंता इस बात की है देश को एक अवैध राष्ट्रपति नहीं मिलना चाहिए. एक ऐसा राष्ट्रपति जो चुनावों में सिर्फ हारा नहीं है, बल्कि बहुत बुरी तरह से हार चुका है."
कई सप्ताहों तक ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी ने बाइडेन की जीत को कानूनी चुनौतियां दीं जिन्हें जजों ने बड़ी आसानी से खारिज कर दिया. पिछले सप्ताह ट्रंप और उनके रिपब्लिकन सहयोगियों ने सुप्रीम कोर्ट को विश्वास दिलाने की कोशिश कि वो चार राज्यों में बाइडेन को मिले इलेक्टोरल कॉलेज के 62 मतों को निरस्त कर दे.
अगर ऐसा हो जाता तो चुनाव के नतीजों पर शंका के बादल मंडराने लगते, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जजों ने शुक्रवार 11 दिसंबर को इस कोशिश को खारिज कर दिया. ट्रंप के 232 मतों के मुकाबले बाइडन ने इलेक्टोरल कॉलेज के 306 मत जीते. जीतने के लिए 270 मत चाहिए होते हैं.
32 राज्यों और कोलंबिया जिले में सदस्य उसी के पक्ष में मत डालने के लिए कानूनी रूप से बाध्य हैं जो आम मतदान में जीता हो. जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने भी सर्व-सम्मति से इस पर अपनी मुहर लगा दी थी. वैसे भी कॉलेज के सदस्य लगभग हमेशा ही राज्य में जीते हुए प्रत्याशी को ही चुनते हैं क्योंकि अमूमन वो अपनी पार्टी के प्रति समर्पित होते हैं.
इस साल इससे कुछ अलग होगा यह मानने की कोई वजह नहीं है. जाने माने सदस्यों में जॉर्जिया की डेमोक्रेट स्टेसी अब्राम्स और दक्षिण डकोटा की रिपब्लिकन राज्यपाल क्रिस्टी नोएम शामिल हैं. मतदान पेपर बैलट से होता है और हर सदस्य राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के लिए एक-एक मत डालता है.
इलेक्टोरल कॉलेज का गठन संविधान को तैयार किए जाने के समय एक समझौते का नतीजा था, क्योंकि एक तरफ वो लोग थे जिनका मानना था कि राष्ट्रपति को आम मतदान से चुना जाना चाहिए और दूसरी तरफ वो जो लोगों को अपना नेता चुनने का अधिकार सीधा दिए जाने के खिलाफ थे.
हर राज्य को संसद में उसकी सीटों के बराबर इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य दिए जाते हैं. वाशिंगटन डीसी के पास तीन मत होते हैं. माइन और नेब्रास्का के अलावा हर राज्य इलेक्टोरल कॉलेज के अपने मत उसी प्रत्याशी को दे देता है जो आम मतदान में चुना गया हो.
देश के संस्थापकों द्वारी बनाई गई इस व्यवस्था की वजह से पांच ऐसे चुनाव हुए हैं जिनमें राष्ट्रपति वो नहीं बना जो आम मतदान में जीता हो. इसका सबसे हालिया उदाहरण खुद ट्रंप थे, 2016 में. इस साल बाइडेन ने ट्रंप को 70 लाख मतों से भी ज्यादा से हरा दिया. इलेक्टोरल कॉलेज के इस पड़ाव के बाद बाइडेन के कार्यकाल के शुरू होने में बस एक चरण और बाकी रहेगा, और वो है उनके प्रशासन का उदघाटन.
नाइजीरियाई अधिकारियों ने बंदूकधारियों द्वारा अपहरण किए गए छात्रों को छुड़ाने के प्रयास तेज कर दिए, जिन्होंने उनके छात्रावासों पर छापा मारा था. यूनिसेफ ने कटसीना में हुए इस हमले की निंदा की है.
नाइजीरिया, 14 दिसंबर | बंदूकधारियों ने राष्ट्रपति मुहम्मद बुहारी के गृह राज्य कटसीना में छात्रों के हॉस्टल पर हमला किया और उसके बाद वहां से 400 छात्रों को अगवा कर लिया. संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूनिसेफ ने इस हमले की निंदा की है. कांकरा में शुक्रवार 11 दिसंबर की रात सरकारी साइंस माध्यमिक स्कूल पर हथियारबंद हमलावरों ने हमला किया और उनकी भिड़ंत सुरक्षाकर्मियों से हुई. संघर्ष के दौरान सैकड़ों बच्चे जान बचाने के लिए पास के जंगलों में भाग गए.
राज्य के गवर्नर अमीनो बेलो मसारी ने शनिवार को स्कूल का दौरा किया और कहा कि सुरक्षाबल अगवा हुए छात्रों को छुड़ाने की कोशिश में जुटे हुए हैं. उन्होंने कहा, "इस वक्त सैनिक डाकुओं से लड़ रहे हैं. हम सभी अगवा किए गए बच्चों को सुरक्षित वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे."
अब भी छात्रों का पता नहीं
राष्ट्रीय पुलिस प्रवक्ता फ्रैंक म्बास के मुताबिक, "कंकारा में चल रहे ऑपरेशन और जांच अभियान के लिए अतिरिक्त बल लगाए गए हैं." मसारी का कहना है कि यह स्पष्ट नहीं है कि कितने छात्र बंदूकधारियों के कब्जे में हैं और कितने भागने में सफल हुए. मसारी के मुताबिक, "स्कूल में रहने वालों की आबादी 839 है और अब तक 333 छात्रों का पता नहीं चल पाया है."
छात्र ओसामा अमीनो माले अगवाकर्ताओं से भागकर अपने अभिभावकों के पास लौटने में कामयाब रहे. 18 साल के इस छात्र ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "कुल 520 लोगों को बंदूकधारियों ने अगवा कर लिया था." माले ने बताया कि अगवाकर्ताओं ने बड़े छात्रों को बस के भीतर छात्रों की गिनती कराई और गिनती में कुल 520 छात्र थे. नाइजीरिया के राष्ट्रपति ने जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की है.
जिहादी संगठन बोको हराम के लड़ाकों ने 14 अप्रैल 2014 को पूर्वोत्तर नाइजीरिया के एक स्कूल से 276 लड़कियों का अपहरण कर लिया था. ये इस कट्टरपंथी संगठन की सबसे बड़ी कार्रवाई थी और उसके बाद दुनिया भर में लड़कियों की वापसी के लिए अभियान चलाया गया. अब भी 100 के करीब लड़कियां का पता नहीं चल पाया है.
हमारी लापरवाही कई लोगों की जिंदगी खत्म कर सकती है, चांसलर अंगेला मैर्केल के ऐसे संदेश के साथ जर्मनी में 10 जनवरी तक सख्त लॉकडाउन शुरू हो रहा है. 16 दिसंबर से लागू होने वाली पाबंदियां पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा सख्त हैं.
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जर्मनी, 14 दिसंबर | के सभी 16 राज्यों ने जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के सख्त लॉकडाउन के प्रस्ताव को मान लिया है. प्रांतों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत के बाद रविवार को चांसलर मैर्केल ने एलान किया कि बुधवार से ज्यादातर दुकानें, स्कूल, डे केयर सेंटर बंद कर दिए जाएंगे. नई पाबंदियां 10 जनवरी तक लागू रहेंगी. इसका सीधा सा मतलब है कि क्रिसमस का त्योहार और न्यू ईयर जैसा बड़ा इवेंट इस बार पाबंदियों में गुजरेगा.
जर्मनी कोरोना वायरस की दूसरी लहर से गुजर रहा है. इस बार मार्च-अप्रैल के मुकाबले स्थिति कहीं ज्यादा गंभीर है. बीते शुक्रवार को जर्मनी रिकॉर्ड 29,875 मामले सामने आए. यह जर्मनी के लिए 24 घंटे में संक्रमित होने वाले लोगं की सबसे बड़ी संख्या है. जर्मनी के कई शहरों में अस्पतालों की आईसीयू क्षमता 90 से 95 फीसदी भर चुकी है.
नए लॉकडाउन के गंभीर आर्थिक परिणाम होंगे. क्रिसमस और न्यू ईयर का वक्त आम तौर पर खरीदारी का समय माना जाता है. क्रिसमस और न्यू ईयर की छुट्टियों में लोग बड़ी संख्या में छुट्टी पर होते हैं और यह समय परिवार और दोस्तों के साथ गुजारते हैं. पाबंदियों के चलते ज्यादा से ज्यादा दो परिवारों के पांच लोग ही क्रिसमस साथ मना सकेंगे.
मार्च-अप्रैल में लगाई गई पाबंदियों के दौरान जर्मनी में रात का कर्फ्यू नहीं लगाया गया था. लेकिन इस बार रात में कर्फ्यू लगाने की चर्चा भी हो रही है.
मैर्केल ने अपील किया है कि जो लोग अपने परिवार के साथ क्रिसमस मनाना चाहते हैं, उन्हें एक हफ्ते पहले से खुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए.
नए नियमों से क्या हासिल करने की कोशिश है?
रविवार को जर्मन चांसलर ने कहा, "जो नए कदम हमने दो नवंबर से लागू किए थे, वे काफी नहीं हैं."
उन्होंने आगे कहा, "स्वास्थ्य सेवाएं बहुत भारी दबाव में हैं और हमेशा हमारा लक्ष्य रहा है कि हेल्थ केयर सिस्टम को ओवरलोडिंग से बचाया जाए.
नई पाबंदियों के जरिए सबसे पहले संक्रमण की रफ्तार को धीमा किया जाएगा. ऐसा करने पर ही कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग मुमकिन हो सकेगी. सरकारें चाहती हैं कि प्रति एक लाख लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले 50 से ज्यादा ना हों. इस बात से इनकार नहीं किया जा रहा है कि अगर कोरोना काबू में नहीं आया तो नई पाबंदियां 10 जनवरी के बाद भी जारी रह सकती हैं.
आर्थिक मोर्चे पर बड़ी चुनौती
दुकानें, व्यापारिक प्रतिष्ठान और कई सेवाएं बंद रहने से होने वाले वित्तीय नुकसान की भरपाई कैसे होगी. यह एक बड़ा सवाल है. ऐसे लाखों लोग हैं जो, रेस्तरां, फूड डिलीवरी, हेयर ड्रेसिंग सैलून, कैफे और पब्स में घंटों की सैलरी के हिसाब से काम करते हैं. फ्रीलांसर के तौर पर काम करने वाले लोग भी बड़ी संख्या में हैं. इन लोगों को भी घर का किराया, महीने के जरूरी बिल, बीमा, और गुजर बसर करने के लिए पैसा चाहिए. कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह रकम 10 से 12 अरब यूरो के बीच है.
जर्मनी और यूरोप के कई देशों के लिए क्रिसमस साल में खरीदारी का सबसे बड़ा मौसम होता है. बहुत से दुकानदार और सामान बनाने वाली कंपनियां इसी मौसम में अपने पूरे साल के लिए व्यापार कर लेती हैं. जाहिर है कि क्रिसमस के मौके पर व्यापार बंद रहने से इन पर बुरा असर होगा. इनमें से कुछ को ऑनलाइन कारोबार से थोड़ी राहत मिल सकती है.
जर्मनी के वित्त मंत्रालय के मुताबिक 16 दिसंबर के लॉकडाउन से प्रभावित होने वाले सेल्फ एंप्लॉएड लोगों, फ्रीलांसरों और कंपनियों को वित्तीय मदद दी जाएगी. ऐसी वित्तीय मदद अधिकतम पांच लाख यूरो होगी.