अंतरराष्ट्रीय
लॉस एंजेलिस, 16 दिसंबर | हॉलीवुड स्टार टॉम क्रूज द्वारा अपनी आने वाली फिल्म के क्रू टीम के सदस्यों को अपशब्द कहे जाने का मामला सामने आया है। अभिनेता ने 'मिशन इंपॉसिबल 7' के सेट पर कोविड-19 सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने के लिए क्रू टीम के सदस्यों को भला-बुरा कहा और उन्हें काम से निकालने की धमकी दी। क्रू टीम पर अभिनेता के चिल्लाने के दौरान एक ऑडियो रिकॉर्ड कर लिया गया, जो अब ऑनलाइन लीक हो गया है।
वेरायटी डॉट कॉम से ऑडियो की पुष्टि प्रोडक्शन के करीबी दो सूत्रों ने की। उन्होंने बताया कि क्रूज दिशानिर्देशों का उल्लंघन देख क्रू के सदस्यों पर भड़क गए।
क्रूज ने देखा कि दो क्रू सदस्य कंप्यूटर स्क्रीन के सामने एक-दूसरे के बहुत करीब खड़े थे, जिस पर क्रूज ने कहा, "अगर मैं तुम्हें फिर से ऐसा करते देखा, तो तुम्हें यहां से दफा कर दूंगा।"
द सन द्वारा प्राप्त एक ऑडियो में क्रूज को यह कहते हुए सुना जा सकता है, "हम गोल्ड स्टैंडर्ड हैं। वे अभी हमारी वजह से हॉलीवुड में फिल्में बना रहे हैं, क्योंकि वे हम पर विश्वास करते हैं और हम क्या कर रहे हैं। मैं रातभर हर स्टूडियो के साथ फोन पर बीमा कंपनियों, प्रोडक्शन से लगा रहा और उन्हें हमसे उम्मीद है और वे हमारे साथ अपनी फिल्में बना रहे हैं। हम हजारों नौकरियां पैदा कर रहे हैं बेवकूफों। मैं इसे दोबारा नहीं देखना चाहता।"
--आईएएनएस
वेनचांग, 16 दिसंबर | चीन नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार, चीन के लांग मार्च -8 वाई1 रॉकेट को बुधवार को दक्षिण चीन के हैनान प्रांत में वेनचांग स्पेसक्राफ्ट लॉन्च साइट के लॉन्चिंग क्षेत्र में ले जाया गया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद रॉकेट को प्रोपेलेंट से भर दिया जाएगा और दिसंबर के अंत में लॉन्च किया जाएगा।
--आईएएनएस
रियाद, 16 दिसंबर | सऊदी अरब में स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को देश में सभी नागरिकों और प्रवासियों के लिए कोरोनावायरस वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू करने की घोषणा कर दी है। लोग मंत्रालय के मोबाइल एप्लिकेशन सेहती (माय हेल्थ) के जरिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। सऊदी गैजेट के मुताबिक, मंत्रालय ने कहा है कि किंगडम के बुद्धिमान नेतृत्व के निर्देश में सभी नागरिकों और प्रवासियों के लिए वैक्सीन नि: शुल्क है। मंत्रालय ने वैक्सीन ट्रायल के चरणों के बाद इसके प्रभावी और सुरक्षित होने की पुष्टि भी की है।
मंत्रालय ने बताया कि टीकाकरण को तीन चरणों में आयोजित किया जाएगा और हर चरण के लिए अलग-अलग टारगेट ग्रुप होंगे। पहले चरण में 65 वर्ष से अधिक आयु के नागरिक और प्रवासी, स्वास्थ्य और अन्य पेशेवर जो महामारी से लड़ाई में संक्रमण को लेकर सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं और जो लोग मोटे हैं, यानी जिनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 40 से अधिक है।
इसमें उन लोगों को भी शामिल किया जाएगा, जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है, यानी या तो उनका कोई अंग प्रत्यारोपण हुआ है, या जो इम्यून बेहतर करने के लिए दवाएं ले रहे हैं। अस्थमा, मधुमेह, क्रॉनिक किडनी रोग, कोरोनरी धमनी की बीमारी समेत कोई पुराने हृदय रोग, पल्मोनरी डिसीज वाले रोगी या जिन्हें स्ट्रोक आ चुका है, उन लोगों को भी इस चरण में वैक्सीन दिया जाएगा।
दूसरे चरण में उन नागरिक और प्रवासियों को शामिल किया जाएगा जो 50 वर्ष से अधिक आयु के हैं। इसके अलावा डॉक्टरों को इसमें शामिल किया जाएगा, साथ ही 30 से अधिक बीएमआई और अन्य बीमारियों वाले लोगों को वैक्सीन दिया जाएगा।
तीसरे चरण में उन सभी नागरिक और प्रवासियों को टीका दिया जाएगा जो टीका लगवाना चाहते हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि यह कदम उन निरंतर और महान प्रयासों के बाद आया जो महामारी के प्रकोप के बाद से देश ने बीमारी को फैलने से रोकने के लिए उठाए हैं।
इसके साथ ही मंत्रालय ने पिछली घोषणा की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है कि वह वैक्सीन प्राप्त करने वाले पहले देशों में से एक होगा जो सीधे वैक्सीन इंडस्ट्री की प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों से संपर्क करके अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
--आईएएनएस
इस्लामाबाद, 16 दिसंबर | तालिबान के कतर स्थित राजनीतिक कार्यालय का एक प्रतिनिधिमंडल चल रहे अफगान शांति प्रक्रिया पर विचार-विमर्श करने के लिए बुधवार को तीन दिवसीय यात्रा पर इस्लामाबाद पहुंच रहा है। राजनैतिक मामलों के लिए तालिबान के उप प्रमुख मुल्ला अब्दुल गनी बारदार के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल इस्लामाबाद प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री इमरान खान और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से मुलाकात करेगा।
तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि यह यात्रा पाकिस्तान सरकार के निमंत्रण पर हो रही है।
इससे पहले अफगान सुलह के लिए अमेरिका के विशेष दूत जाल्मे खलीलजाद सोमवार को इस्लामाबाद पहुंचे थे।
इस्लामाबाद पहुंचने के बाद उन्होंने ट्वीट किया था, "दुख की बात है कि युद्ध जारी है। राजनीतिक समझौते, हिंसा में कमी और संघर्ष विराम की तत्काल आवश्यकता है।"
--आईएएनएस
जर्मनी में कोरोना वायरस की चपेट में आ कर एक दिन में मरने वालों की संख्या बुधवार को रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई. बुधवार से ही देश भर में सख्त तालाबंदी शुरू की गई है.
कोरोना वायरस के संक्रमण की निगरानी और उसके प्रसार को रोकने के लिए नीतियां बनाने वाले रॉबर्ट कॉख इंस्टीट्यूट ऑफ डिजीज कंट्रोल सेंटर के मुताबिक बुधवार से पहले के 24 घंटे में कुल 952 लोगों की मौत हुई है. इसके साथ ही अब तक कोरोना वायरस से मरने वालों की कुल संख्या 27,728 हो गई है. बीते कुछ हफ्तों से जर्मनी में वायरस का प्रसार बहुत तेजी से हुआ है. इसे रोकने के लिए नवंबर के महीने में लगाई गई आंशिक तालाबंदी लगभग नाकाम साबित हुई. बीते शुक्रवार 29000 से ज्यादा लोग संक्रमित हुए और उसके बाद से ही देश में तालाबंदी को सख्त बनाने का फैसला लिया गया जो बुधवार से लागू हो गया.
बीमारी के नियंत्रण से बाहर होने की आशंकाएं मजबूत होते देख गैरजरूरी दुकानों को बंद करने का फैसला किया गया है जबकि स्कूली बच्चों की पढ़ाई भी अब ऑनलाइन होगी. ऐन क्रिसमस के मौके पर शुरू हुई तालाबंदी से कारोबारियों में काफी निराशा है लेकिन सरकार के पास फिलहाल और कोई तरीका भी नहीं है. तालाबंदी के पहले दिन बुधवार को सड़कों पर मोटरगाड़ियों की संख्या में कोई खास कमी नहीं देखी गई. इससे पहले मई में जब लॉकडाउन हुआ था तब सड़कें पूरी तरह सूनी हो गई थीं. बार, रेस्तरां, स्वीमिंग पूल, जिम और क्लब पहले से ही बंद हैं. क्रिसमस की खरीदारी पर इस तालाबंदी का सबसे ज्यादा असर पड़ने की बात कही जा रही है.
कोरोना से लड़ने में बाकी यूरोपीय देशों की तुलना में जर्मनी को ज्यादा सफल कहा जा रहा था. यहां संक्रमित लोगों में मौत की दर भी दूसरे देशों से काफी कम रही. हालांकि नवंबर और दिसंबर में हालात तेजी से बिगड़े हैं. चांसलर मैर्केल ने बुधवार को कहा कि वो कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर चिंता में हैं. उन्होंने अगले साल के जनवरी और फरवरी महीने के कठिन समय होने के चेतावनी दी है. एक तरफ मरीजों की संख्या बढ़ रही है तो दूसरी तरफ अस्पतालों के आईसीयू में खाली जगह कम होती जा रही है.
वैक्सीन का क्या हुआ
इस बीच यूरोप में वैक्सीन लगाना शुरू करने की कोशिशें भी अपने अंजाम पर पहुंचती दिख रही हैं. यूरोपीय आयोग के उपाध्यक्ष मार्गारितिस चिनास का कहना है कि कोविड-19 को रोकने के लिए वैक्सीन इस साल क्रिसमस का तोहफा होगा. इससे एक दिन पहले यूरोपीयन मेडिकल एजेंसी ने कहा था कि वह फाइजर बायोन्टेक वैक्सीन के लिए 21 दिसंबर को मंजूरी के लिए प्रस्ताव लाएगी. ईएमए से मंजूरी मिलने के बाद यूरोपीय आयोग अगले कुछ दिनों में इसे व्यापक स्तर पर लोगों तक पहुंचाने के लिए "सुपरसॉनिक स्पीड" पर काम करेगा. लोगों को यह बात हैरान कर रही है कि जर्मन कंपनी के वैक्सीन बनाने के बावजूद जर्मनी में ही अब तक इसे शुरू नहीं किया गया. दरअसल सभी यूरोपीय देशों को एक साथ और एक ही वैक्सीन मिले इसके लिए यह व्यवस्था बनाई गई है. जर्मन स्वास्थय मंत्री का कहना है कि मंजूरी मिलने के 24 से 72 घंटे के बीच देश में वैक्सीन लगाने की शुरूआत हो जाएगी. इस बात के पूरे आसार हैं कि 26 दिसंबर से यूरोपीय संघ के सभी देशों में वैक्सीन लगाने का काम शुरू हो जाएगा. ब्रिटेन और अमेरिका इसे पहले ही शुरू कर चुके हैं.
एनआर/ओएसजे(एफपी, रॉयटर्स, एपी)
कोरोना वायरस महामारी से आर्थिक गिरावट आई है और दशकों से भुखमरी के खिलाफ हुई प्रगति को जोर का झटका लगा है. एक नए अनुमान के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी से भुखमरी के कारण 1,68,000 बच्चों की मौत हो सकती है.
30 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के एक नए अध्ययन के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुईं हैं जिससे भुखमरी बढ़ी है. अध्ययन में कहा गया है कि भुखमरी के खिलाफ दशकों से हुई प्रगति कोरोना महामारी की वजह से प्रभावित हुई है. अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि इस कारण 1,68,000 बच्चों की मौत हो सकती है. भुखमरी पर स्टैंडिंग टुगेदर फॉर न्यूट्रीशन कंसोर्टियम ने इस साल का आर्थिक और पोषण डाटा इकट्ठा किया और इसके अलावा फोन पर सर्वे भी किया. शोध का नेतृत्व करने वाले सासकिया ओसनदार्प अनुमान लगाते हैं कि अतिरिक्त 11.90 करोड़ बच्चे कुपोषण के सबसे गंभीर रूप से पीड़ित होंगे, सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे दक्षिण एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में हो सकते हैं. माइक्रोन्यूट्रिएंट फोरम के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर ओसनदार्प के मुताबिक जो महिलाएं अभी गर्भवती हैं वो ऐसे बच्चों को जन्म देंगी जो जन्म के पहले से ही कुपोषित हैं और ये बच्चे शुरू से ही कुपोषण के शिकार रहेंगे.'' वे कहते हैं, ''एक पूरी पीढ़ी दांव पर है.'' कोरोना वायरस के आने के पहले तक कुपोषण के खिलाफ लड़ाई एक अघोषित सफलता थी लेकिन महामारी से यह लड़ाई और लंबी हो गई है.
दस साल की प्रगति को नुकसान
ग्लोबल एलायंस फॉर इम्प्रूव्ड न्यूट्रिशन के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर लॉरेंस हड्डाड के मुताबिक, ''ऐसा लगता है कि यह एक ऐसी समस्या है जो हमेशा से हमारे साथ है लेकिन कोविड-19 से पहले यह कम हो रही थी.'' अध्ययन के मुताबिक ''दस साल की प्रगति 9 से 10 महीनों में समाप्त हो गई.'' अध्ययन के मुताबिक महामारी के पहले अविकसित बच्चों की संख्या में वैश्विक स्तर पर हर साल गिरावट आई. साल 2000 में जहां 20 करोड़ बच्चे अविकसित थे तो वहीं उनकी संख्या 2019 में घटकर 14.40 करोड़ हो गई.
शोध को ऐसे समय में जारी किया गया जिसका लक्ष्य अगले एक साल तक करीब 3 अरब डॉलर कुपोषण के खिलाफ धन इकट्ठा करना है. हालांकि इसमें से कुछ में पूर्व प्रतिबद्धताएं शामिल हैं. पाकिस्तान जो कि दुनिया के सबसे व्यापक कुपोषण का शिकार देशों में से एक है, उसने 2025 तक 2.2 अरब डॉलर कुपोषण के खिलाफ अभियानों पर खर्च करने का वचन दिया है.
एए/सीके (एपी)
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन होंगे भारत के अगले गणतंत्र दिवस समारोह पर मुख्य अतिथि. क्या इस यात्रा से महामारी की वजह से भारी आर्थिक नुकसान झेल रहे दोनों देशों के रिश्तों में एक नई ऊर्जा आएगी?
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने 26 जनवरी 2021 को होने वाले भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि बनने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है. जॉनसन भारत की स्वतंत्रता के बाद उसके गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनने वाले सिर्फ दूसरे ब्रिटिश नेता बनेंगे. 1993 में जॉन मेजर मुख्य अतिथि बने थे.
ये जॉनसन की बतौर प्रधानमंत्री पहली विदेश यात्रा होगी. यह यात्रा ब्रेक्सिट के कुछ ही हफ्तों बाद होगी और यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के बाद नई संधियां तलाशते ब्रिटेन के लिए भी अहम होगी. जॉनसन के कार्यालय ने मंगलवार 15 दिसंबर को कहा कि यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री भारत को अगले जी7 शिखर सम्मलेन में भाग लेने का न्योता भी देंगे, जिसकी मेजबानी ब्रिटेन करेगा. दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया के अलावा सम्मलेन में शामिल होने वाला भारत तीसरा अतिथि देश होगा.
जॉनसन की भारत यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते मजबूत करना, निवेश बढ़ाना और रक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है. जॉनसन ने एक बयान में कहा, "इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत का महत्वपूर्ण स्थान है और वह यूके के लिए एक अत्यावश्यक सहयोगी बनता जा रहा है. दोनों देश रोजगार और विकास को बढ़ाने, सुरक्षा के प्रति साझा खतरों का सामना करने और हमारे घर की रक्षा करने के लिए मिल कर काम कर रहे हैं."
भारत का दवा उद्योग दुनिया की आधी से ज्यादा वैक्सीन सप्लाई कर रहा है. ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड/ऐस्ट्राजेनेका वैक्सीन की कम से कम एक अरब खुराकें पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट में बन रही हैं. यूके को भारत से एक करोड़ से भी ज्यादा फेस मास्क और पेरासिटामोल के 30 लाख पैकेट मिले हैं.
जॉनसन को यात्रा पर आने का निमंत्रण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया था. यात्रा की घोषणा भी ऐसे समय में हुई है जब ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब भारत में हैं. मंगलवार को राब ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ एक प्रेस वार्ता में कहा, "दोनों देशों के बीच और गहरे व्यापारिक रिश्तों की संभावना है और मुझे लगता है कि हमारी अर्थव्यवस्था इसकी अनुमति देती है. हम अपने व्यापार मंत्रियों को यह करने के लिए कहना चाहेंगे और फिर देखना चाहेंगे कि क्या हासिल किया जा सकता है."
राब ने यह भी कहा कि ब्रिटेन ने अभी तक "सिर्फ यूरोप पर अपना ध्यान केंद्रित रखने में बहुत अदूरदर्शिता दिखाई थी" लेकिन अब वह और दूर भी देख सकता है. इस संदर्भ में उन्होंने यह भी कहा, "निश्चय ही अगर आप भारत और इंडो-पैसिफिक इलाके को देखें और एक लंबी अवधि के बारे में सोचें तो आप महसूस करेंगे कि यह पर विकास के अवसर होंगे."
जयशंकर ने भी कहा कि दोनों देशों का अपने व्यापारिक रिश्तों को आगे बढ़ाने के प्रति "बहुत गंभीर इरादा है." जॉनसन के कार्यालय ने बताया कि दोनों देशों के व्यापार और निवेश-संबंधी रिश्ते बढ़ रहे हैं और इस समय इनका मूल्य 32 अरब डॉलर है. इससे पांच लाख लोगों को रोजगार भी मिलता है. उनके कार्यालय ने करना वायरस महामारी के दौरान दोनों देशों के बीच हुए सहयोग पर भी ध्यान दिलाया.
भारत का दवा उद्योग दुनिया की आधी से ज्यादा वैक्सीन सप्लाई कर रहा है. ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड/ऐस्ट्राजेनेका वैक्सीन की कम से कम एक अरब खुराकें पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट में बन रही हैं. जॉनसन के कार्यालय ने यह भी बताया कि इस बीच यूके को भारत से एक करोड़ से भी ज्यादा फेस मास्क और पेरासिटामोल के 30 लाख पैकेट मिले हैं.
सीके/एए (एएफपी)
सिंगापुर के रेस्तरां में इस हफ्ते पहली बार लैब में बने मांस के डिश को परोसा जाएगा. लैब में तैयार चिकन को बेचने की सरकार ने इजाजत दी है. सिंगापुर ऐसा करने वाला पहला देश बन गया है.
आम तौर पर मांस पाने के लिए मुर्गी को मारा जाता है लेकिन अब मांस के लिए मुर्गी को मारने की जरूरत नहीं पड़ेगी. सिंगापुर में इसी हफ्ते से लैब में तैयार मीट को रेस्तरां में परोसा जाएगा. लैब में मीट बनाने वाली अमेरिकी कंपनी ईट जस्ट ने बुधवार को मांस की बिक्री की शुरूआत कर दी. सिंगापुर लैब में बने मीट को मंजूरी देने वाला पहला देश बन गया है. अमेरिकी स्टार्ट अप ईट जस्ट को शहर में लैब में बने मांस को बेचने की इजाजत मिल गई है. कंपनी चिकन बेचने के लिए किसी जानवर को नहीं काटेगी बल्कि उसे लैब में तैयार करेगी.
पशुओं के मांस का उपभोग एक पर्यावरणीय खतरा है क्योंकि मवेशी शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस मीथेन का उत्पादन करते हैं. कंपनी ने बुधवार को कहा कि उसने उत्पाद की पहली व्यावसायिक बिक्री '1880' को की है. '1880' एक रेस्तरां है जो रॉबर्टसन क्वे में स्थित है, रेस्तरां एक पॉश इलाके में स्थित है. ईट जस्ट के मुख्य कार्यकारी जोश टेट्रिक के मुताबिक, "हम एक ऐसी दुनिया के करीब जा रहे हैं, जहां हमे जंगल को काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जानवर के घरों को बर्बाद नहीं करना पड़ेगा या फिर एंटीबायोटिक दवा की एक भी बूंद का उपयोग नहीं करना पड़ेगा." कंपनी के मुताबिक रेस्तरां शनिवार से मांस परोसना शुरू कर देगा.
लैब का मांस खाना पसंद करेंगे लोग?
रेस्तरां में तीन चिकन डिश परोसे जाएंगे. रेस्तरां के मुख्य शेफ कोलिन बुचन कहते हैं, "यह मेरे लिए एक बहुत ही रोमांचक पार्टनरशिप है. मुझे लगता है कि लोग इसको पसंद करेंगे." बुचन कभी फुटबॉलर डेविड बेकहम के लिए भी रसोइये का काम कर चुके हैं. पर्यावरण और पशु कल्याण के बारे में उपभोक्ताओं के बढ़ते दबाव के कारण स्थायी मांस विकल्प की मांग बढ़ रही है, लेकिन बाजार में अन्य उत्पाद प्लांट आधारित हैं.
कंपनी का कहना है कि साल 2050 तक मांस की खपत में 70 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि का अनुमान है और लैब में विकसित विकल्पों की भूमिका खाद्य आपूर्ति में अहम होने वाली है.
इस बात की चिंता जताई जा रही थी कि लैब में तैयार मांस बहुत महंगा होगा लेकिन ईट जस्ट के एक प्रवक्ता ने कहा है कि कंपनी ने लागत कम करने में काफी प्रगति की है.
एए/सीके (एएफपी)
कोरोना महामारी की वजह से दुनिया भर में आवाजाही रोक दी गई. इसका बोझ दुनिया भर के प्रेमियों को भी झेलना पड़ा. खासकर द्विराष्ट्रीय परिवारों और उनके रिश्तेदारों को. परिवारों के लिए मुश्किलें बनी हुई हैं.
डायचेवेले पर मिरयम गेर्के की रिपोर्ट
केवल तीन महीने तो हैं, इस विचार ने फेलिक्स उरबासिक और उनकी मित्र को उम्मीद दी थी जब उन्होंने फरवरी में डुसेलडोर्फ हवाई अड्डे के प्रस्थान हॉल में एक दूसरे को विदा कहा था. उरबासिक कहते हैं, "उस समय हम चीन में चल रहे खतरनाक वायरस के बारे में मजाक करते थे." सिडनी से उनकी 25 वर्षीया दोस्त अप्रैल वापस ऑस्ट्रेलिया जा रही थी. तीन महीने बाद गर्मियों के शुरू में वह फिर से जर्मनी आना चाहती थी.
दोनों दो साल से एक साथ हैं, पार्टनर हैं. 27 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर उरबासिक कहते हैं, "हम वास्तव में साथ रहना चाहते थे और एक साथ जिंदगी शुरू करने वाले थे." लेकिन फिर कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैल गया. पहले कुछ महीनों में ये जोड़ा बंद सीमाओं और प्रवेश प्रतिबंधों की जरूरत को समझ रहा था. उरबासिक कहते हैं, "यह हमारे लिए साफ था कि हम कुछ समय तक एक-दूसरे को नहीं देख नहीं पाएंगे. हम इस वायरस को और नहीं फैलाना चाहते थे."
प्रेम पर्यटन नहीं है
गर्मियों में संक्रमण की स्थिति कई यूरोपीय देशों में थोड़ी नरम हुई. यही वह क्षण था जब फेलिक्स उरबासिक और उसकी प्रेमिका के मन में सवाल उठे. "हमने सोचा, यह कैसे हो सकता है कि अन्य लोग गर्मी की छुट्टी पर जाएं और हम एक दूसरे को फिर से देख भी न सकें?" उनके जैसे हजारों अन्य अविवाहित जोड़े भी यही सवाल कर रहे हैं. इनमें से एक गैर-यूरोपीय संघ के देश में रहता है और दूसरा यूरोपीय संघ के भीतर. हैशटैग #LoveIsNotTourism की मदद से प्रेमी युगल इंटरनेट पर अविवाहित जोड़ों के लिए दुनिया भर में प्रवेश प्रतिबंधों में ढील की मांग करते हैं.
फेलिक्स उरबासिक भी सक्रिय हैं. जून में वे एक वेबसाइट बनाते है जहां अलग अलग देशों में बंटे प्रेमी जोड़े कई देशों में प्रवेश आवश्यकताओं के बारे में जानकारी का आदान-प्रदान कर सकते हैं और याचिकाओं पर हस्ताक्षर कर सकते हैं. 27 वर्षीय उरबासिक बताते हैं, "मैं शुक्रवार को बैठ गया, पूरे सप्ताहांत में काम किया और रविवार शाम को साइट ऑनलाइन थी. शुरुआत में एक दिन में पेज पर 4,000 से 5,000 हिट आ रहे थे. ये तेजी से दुनिया भर में फैल गया."
पहली सफलताएं कुछ समय बाद दिखने लगी. जर्मनी सहित कई यूरोपीय संघ के देशों में अविवाहित जोड़ों के लिए वीजा पाने की शर्तों को कम किया जाने लगा. "जाहिर है, मुझे बहुत खुशी हुई," उरबासिक कहते हैं. "दुर्भाग्य से, हमारे व्यक्तिगत मामले में, इससे हमें कोई मदद नहीं मिली." उनकी प्रेमिका अप्रैल को जर्मनी में प्रवेश करने की अनुमति तो मिल गई, लेकिन वह अपने देश से बाहर नहीं निकल सकती थी. ऑस्ट्रेलिया की सरकार देश को अलग थलग रखने की रणनीति अपना रही थी. देश में आने और बाहर निकलने के लिए विशेष परमिट की आवश्यकता थी.
महीनों की योजना और अधिकारियों के अनगिनत दौरे के बाद, फेलिक्स उरबासिक और उनकी दोस्त ने आखिरकार एक साथ रहने का रास्ता खोज लिया. अगर सब कुछ सही रहा तो अप्रैल जनवरी में जर्मनी के लिए उड़ान भरेगी. और फेलिक्स कुरबासिक ने आश्वासन दिया है, "जैसे ही हमें मौका मिलेगा, हम तुरंत रजिस्ट्री कार्यालय में जाएंगे और शादी कर लेंगे,"
द्विराष्ट्रीय परिवारों की मुश्किलें
अविवाहित जोड़ों के लिए अब एक-दूसरे से मिलना, एक दूसरे को देख पाना बहुत आसान हो गया है. लेकिन उन परिवारों के लिए अभी भी मुश्किलें है जो दो देशों से रहते हैं और राष्ट्रीय सीमाओं के पार रहते हैं. फ्रांसिस फ्रांका तिबो कहती हैं, "मुझे ये उचित नहीं लगता. पार्टनर्स जो केवल छह महीने के लिए साथ हैं उन्हें प्रवेश करने की अनुमति है, लेकिन मेरी मां को अपनी बेटी और पोते से मिलने के लिए यात्रा करने की अनुमति नहीं है."
फ्रांसिस फ्रांका तिबो का जन्म ब्राजील में हुआ था और वे ग्यारह साल से अपने पति और बच्चे के साथ जर्मनी में रहती हैं. उनकी मां ब्राजील के फ्लोरियनोपोलिस शहर में रहती है, जो साओ पाउलो से लगभग 700 किलोमीटर दक्षिण में है. फ्रांका की मां को वास्तव में अपने एक वर्षीय पोते की देखभाल के लिए मई में जर्मनी आना था. हवाई जहाज का टिकट भी बुक था. लेकिन फिर कोरोना महामारी ने तिबो परिवार की योजनाओं को विफल कर दिया.
कोरोना से राहत नहीं
कोरोनोवायरस के खिलाफ उठाए जा रहे कदमों का फ्रांसिस फ्रांका तिबो समर्थन करती हैं. फिर भी, वह समझ नहीं पा रही है कि गर्मियों में पूरे पर्यटक समूहों को मयोर्का और क्रोएशिया जाने की अनुमति क्यों दी गई, जबकि उसकी मां को जर्मनी में प्रवेश से वंचित रखा गया था. "मेरी मां को अपने जीवन में कभी निमोनिया हुआ है, इसलिए वह बहुत सावधान है और घर पर रहती हैं," फ्रांसिस कहती हैं. "मैं इस बात की गारंटी देने के लिए तैयार थी कि वह हमारे साथ भी अलग-थलग रहेगी. कोई कारण नहीं है कि प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाए. मेरी मां अधिकांश यूरोपीय लोगों की तुलना में संक्रमण की श्रृंखला के लिए बहुत कम खतरनाक होती."
गर्मियों के बाद से, जर्मनी सहित कई यूरोपीय संघ के देशों में संक्रमण की स्थिति फिर से खराब हो गई है. फ्रांसिस माता-पिता और ससुराल वालों के साथ इस बार क्रिसमस पार्टी नहीं मनाएगी. वह कहती हैं, "जोखिम बहुत अधिक है, लोग कोरोना से थक सकते हैं, लेकिन कोरोना थक नहीं रहा है." वह अपनी मां के साथ इंटरनेट के माध्यम से संपर्क बनाए रखने की कोशिश करती है. "हम हर दिन व्हाट्सएप पर बात करते हैं और हर हफ्ते वीडियो कॉल करते हैं इसलिए वह अकेला महसूस नहीं करती." यह समय बहुत कठिन तो है ही.
सुमी खान
ढाका, 16 दिसंबर | बांग्लादेश बुधवार को 50वां विजय दिवस मना रहा है। 1971 में इसी दिन 16 दिसंबर को पूर्वी पाकिस्तान के चीफ मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेटर लेफ्टिनेंट जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी और पूर्वी पाकिस्तान में स्थित पाकिस्तानी सेना बलों के कमांडर ने बांग्लादेश के गठन के लिए इंन्स्ट्रूमेंट ऑफ सरेंडर पर हस्ताक्षर किए थे।
नियाजी ने ढाका में भारतीय और बांग्लादेश बलों का प्रतिनिधित्व कर रहे जगजीत सिंह अरोरा की उपस्थिति में ये हस्ताक्षर किए थे।
1971 में नौ महीने तक चले खूनी युद्ध के बाद देश को पाकिस्तानी कब्जे से आजाद कराया गया था। आत्मसमर्पण के समय केवल कुछ ही देशों ने इस नए राष्ट्र को राजनयिक मान्यता दी थी। भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध के बाद 93 हजार से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना और बांग्लादेश मुक्ति सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहला मौका था जब इतनी बड़ी तादाद में सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था।
30 लाख लोगों के सर्वोच्च बलिदान और लगभग 5 लाख महिलाओं के सम्मान की कीमत पर राष्ट्र पिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व में बांग्लादेश का जन्म हुआ।
जबकि कोविड महामारी ने पूरी दुनिया को पंगु बना दिया है और लोगों को किसी भी सार्वजनिक सभा में शामिल होने से रोक दिया है, फिर भी बांग्लादेश में विजय दिवस के उत्सव को एक अलग स्तर पर मनाया जा रहा है।
राष्ट्रपति एम. अब्दुल हामिद और प्रधानमंत्री शेख हसीना की ओर से उनके प्रतिनिधियों ने सुबह 6.30 बजे के आसपास ढाका के बाहरी इलाके सावर में बने राष्ट्रीय स्मारक पर लिबरेशन वॉर के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद शहीदों की याद में कुछ मिनटों का मौन रखा गया।
बांग्लादेश सरकार ने महामारी के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए, राष्ट्रीय स्तर पर इस दिन के आयोजनों के लिए अनुमति दी है। इन कार्यक्रमों में 31 तोपों की सलामी, शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए स्मारकों पर माल्यार्पण करना, सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी और निजी कार्यालयों के साथ-साथ देश भर में स्वायत्त निकायों के कार्यालयों को सजाना, शहर की सड़कों को सजाना और राष्ट्रीय ध्वज को फहराना शामिल है।
इस मौके पर देश भर के जेलों में कैदियों, अस्पतालों, अनाथालयों आदि में रहने वाले लोगों को बेहतर भोजन परोसा जाएगा। (आईएएनएस)
-रजनीश कुमार
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अगले महीने भारत आ रहे हैं. ब्रिटिश पीएम का यह दौरा जी7 समूह को विस्तार देने के तौर पर देखा जा रहा है.
जी7 शीर्ष के सात औद्योगिक देशों का समूह है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भारत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया को अगले बसंत में ब्रिटेन में आयोजित होने वाले जी-7 के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए बुलाया है.
जॉनसन अगले महीने गणतंत्र दिवस के मौक़े पर मुख्य अतिथि होंगे. गणतंत्र दिवस के मौक़े पर भारत हर साल किसी राष्ट्र प्रमुख को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाता है. बोरिस जॉनसन के इस दौरे को भारत-ब्रिटेन में गहरे होते संबंध के तौर पर भी देखा जा रहा है.
पिछले महीने के आख़िर में कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफ़न हार्पर की अध्यक्षता वाले एक थिंक टैंक ने ब्रिटेन से कहा था कि उसे हिंद-प्रशांत इलाक़े में चीन से मुक़ाबला करने के लिए भारत का सहयोग करना चाहिए. इसने अपनी रिपोर्ट में कहा था, ''ब्रेग्ज़िट के बाद ब्रिटेन को हिंद-प्रशांत इलाक़े में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए ताकि इस इलाक़े में स्थिरता और संतुलन बना रहे.''
भारत-ब्रिटेन एक दूसरे के लिए अहम
ब्रिटिश प्रधानमंत्री के दफ़्तर से बोरिस जॉनसन के भारत दौरे को लेकर विस्तृत बयान जारी किया गया है. इस बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री बनने और ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से निकलने के बाद बोरिस जॉनसन का यह पहला भारत दौरा है. ब्रिटेन ने कहा है कि प्रधानमंत्री का यह भारत दौरा इंडो-पैसिफिक इलाक़े में उसकी दिलचस्पी को भी दर्शाता है.
प्रधानमंत्री ऑफिस ने कहा है, ''2021 में ब्रिटेन जी-7 और COP26 समिट की मेज़बानी करने जा रहा है. बोरिस जॉनसन ने प्रधानमंत्री मोदी को जी-7 समिट में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है. भारत के अलावा अतिथि देश के तौर पर दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया को भी बुलाया गया है. पीएम जॉनसन का लक्ष्य वैसे देशों से सहयोग बढ़ाना है जो लोकतांत्रिक हैं और उनके हित आपस में जुड़े हुए हैं. साथ ही उनकी चुनौतियां भी एक जैसी हैं.''
ब्रिटेन और भारत के आर्थिक रिश्ते भी काफ़ी अहम हैं. दोनों का एक दूसरे के बाज़ार में निवेश है. हर साल दोनों देशों के बीच 24 अरब पाउंड का व्यापार और निवेश है. ब्रिटेन में कुल 842 भारतीय कंपनियाँ हैं और इन सबका टर्नओवर 41.2 अरब पाउंड है. ब्रिटेन में भारतीय निवेश और कारोबार से लाखों लोगों को रोज़गार मिला हुआ है.
इस दौरे को लेकर ब्रिटिश पीएम ने कहा है, ''मैं अगले साल भारत जाने को लेकर बहुत ख़ुश हूं. ब्रिटेन नए साल की वैश्विक शुरुआत भारत से करने जा रहा है. इस दौरे से दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्ते और मज़बूत होंगे. इंडो-पैसिफिक इलाक़े में भारत अहम किरदार है. ब्रिटेन के लिए भारत नौकरी, ग्रोथ, सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के मामलें में बहुत अहम है.''
प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी किए गए बयान में कहा गया है, ''दुनिया की कोविड वैक्सीन की 50 फ़ीसदी से ज़्यादा आपूर्ति भारत करेगा और ऑक्सफर्ड/एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन पुणे के सीरम इंस्टिट्यूट में बन रही है. ब्रिटेन को महामारी के दौरान भारत से 1.1 करोड़ मास्क और 30 लाख पैरासीटामोल भेजे गए. भारत में 400 से ज़्यादा ब्रिटिश कंपनियाँ काम कर रही हैं.''
आज़ादी के बाद भारत के गणतंत्र दिवस पर बोरिस जॉनसन मुख्य अतिथि बनने वाले दूसरे ब्रिटिश प्रधानमंत्री होंगे. इससे पहले 1993 में जॉन मेजर को अतिथि बनाया गया था.
डी-10 की योजना
कहा जा रहा है कि जी-7 के बाद डी-10 बनने जा रहा है. यहाँ डी से मतलब डेमोक्रेसी-10 से है. मतलब दुनिया के 10 बड़े लोकतांत्रिक देशों का एक समूह. डी-10 दुनिया भर के निरंकुश शासन वाले देशों से मुक़ाबला करेगा. इसे अमेरिका में जो बाइडन के आने की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है. जो बाइडन ने लोकतांत्रिक देशों की कॉन्फ़्रेंस बुलाने की बात कही थी.
अभी जी-7 में ब्रिटेन, फ़्रांस, जापान, जर्मनी, इटली और कनाडा हैं. इसमें भारत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया को जोड़ने की योजना है. इस समूह का हिस्सा रूस भी था जिसे 2014 में क्रिमिया को अपने में मिलाने पर बाहर कर दिया गया था. लेकिन इस साल ट्रंप पुतिन को बुलाने की तैयारी कर रहे थे जबकि यूरोप के देश इसका विरोध कर रहे थे.
चीन के लिए यह परेशान करने वाला हो सकता है कि इंडो-पैसिफिक में जर्मनी और फ़्रांस समेत यूरोप की दिलचस्पी बढ़ रही है. इसके साथ ही दुनिया के लोकतांत्रिक देश अमेरिका के नेतृत्व में गोलबंद होंगे तो यह भी चीन को चिंतित करने वाला होगा. यह पहली बार होगा कि लोकतंत्र को लेकर कॉन्फ्रेंस होगी और उसमें भारत समेत कई बड़े लोकतांत्रिक देश शामिल होंगे. ज़ाहिर है कि चीन में लोकतंत्र नहीं है और इस तरह की कॉन्फ़्रेंस उसे असहज करने वाली होगी.
भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल का मानना है कि ब्रिटेन और भारत दोनों एक दूसरे की ज़रूरत हैं. वो कहते हैं, ''जी-7 में भारत को बुलाया जाना कोई नई बात नहीं है. पहले भी बुलाया गया है. सबसे अहम यह है कि चीन की विस्तारवादी नीति के ख़िलाफ़ ब्रिटेन की भी इंडो-पैसिफिक में दिलचस्पी बढ़ रही है. ब्रिटेन में भी चीन विरोधी भावना उफान पर है. चीन ने हॉन्ग कॉन्ग में जिस तरह से निरंकुश शासन व्यवस्था स्थापित की उसे लेकर ब्रिटेन और चीन के संबंध पटरी पर नहीं हैं.''
चीन विरोधी खेमा?
सिब्बल कहते हैं, ''चीन पहले 5जी में उसकी कंपनी ख़्वावे का कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर चुका है. दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और भारत को बुलाना इसलिए अहम है कि चीन की जो हरकतें हैं उसको ठीक से समझा जाए. ब्रिटेन ने इंडो-पैसिफिक में अपना पोत भेजने के लिए कहा है. फ़्रांस और जर्मनी के बाद ब्रिटेन ने यह क़दम उठाया है. दूसरी तरफ़ भारत भी चीन से जूझ रहा है. एलएसी पर अब भी हालात सामान्य नहीं हैं. ऐसे में जी-7 गोलबंद होता है तो यह काफ़ी अहम है. बाइडन के आने के बाद डी10 बनाने की भी योजना है. इसमें भारत समेत दुनिया के 10 अहम लोकतांत्रिक देश होंगे. यह ग्रुप भी चीन के लिए दबाव का ही काम करेगा.''
विदेशी मामलों के जानकार हर्ष पंत कहते हैं कि ब्रिटेन अपनी विदेश नीति को फिर से तैयार कर रहा है. वो कहते हैं, ''ईयू से अलग होने के बाद इंडो-पैसिफिक में ब्रिटेन दिलचस्पी दिखा रहा है. भारत ने भी मौक़ा देखकर गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित कर लिया. बोरिस जॉनसन भी मानते हैं कि 5जी तकनीक के लिए दुनिया के लोकतांत्रिक देशों को मिलकर काम करना चाहिए. ब्रिटेन की दिलचस्पी इंडो पैसिफिक में बढ़ रही है और ये चीन को देखते हुए ही है.''
हर्ष पंत भी मानते हैं कि बाइडन के आने के बाद डी-10 बनता है तो यह लोकतांत्रिक देशों का समूह निरंकुश शासकों पर सवाल खड़ा करेगा और इन सवालों के घेरे में चीन भी आ सकता है.
बाइडन के सत्ता संभालन के बाद वैश्विक व्यवस्था एक बार फिर से करवट लेगी. ट्रंप के शासन में कई चीज़ें उलट-पुलट गई थीं. कहा जा रहा है कि बाइडन लोकतांत्रिक देशों के गठजोड़ बनाकर रणनीतिक निवेश और तकनीक को बढ़ावा देंगे. बाइडन ने ये भी कहा है कि रूस ने मुक्त विश्व व्यवस्था में फ़र्ज़ी सूचना, दूसरे देशों के चुनावों में दख़ल और भ्रष्ट पैसे के ज़रिए अव्यवस्था फैलाई है.
हालांकि कई आलोचकों का यह भी कहना है कि डी-10 में भारत के होने की आलोचना हो सकती है क्योंकि यहां के लोकतंत्र को लेकर हाल के दिनों में कई गंभीर सवाल उठे हैं. ब्रिटेन के पूर्व राजनयिक रॉरी स्टीवार्ट ने पिछले हफ़्ते सेंटर फोर यूरोपियन रीफॉर्म इवेंट में कहा था कि लोकतांत्रिक देशों का क्लब अगर चीन विरोधी के तौर पर देखा जाएगा तो इससे समाधान नहीं समस्या ही बढ़ेगी.
भारत के लिए एक मुश्किल रूस भी है. रूस के विदेश मंत्री ने पिछले ही हफ़्ते कहा था कि पश्चिम के देश भारत को चीन विरोधी खेमे में शामिल करना चाहते हैं. अगर भारत किसी चीन विरोधी खेमे में शामिल होता है तो रूस को यह ठीक नहीं लगेगा. रूस नहीं चाहता है कि दुनिया अमेरिका के नेतृत्व में आगे बढ़े और इसके लिए उसे चीन का साथ ज़रूरी है. (bbc.com)
कोविड-19 संक्रमण के तेज़ी से बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने की कोशिश में जर्मनी ने कड़ा लॉकडाउन लागू कर दिया है. जिसके तहत स्कूल और ग़ैर-ज़रूरी कारोबार बंद कर दिए गए हैं.
नए प्रतिबंध 10 जनवरी तक जारी रहेंगे. क्रिसमस के मौक़े पर इनमें कुछ ढील मिलेगी और एक घर, चार क़रीबी पारिवारिक सदस्यों के साथ त्योहार मना सकेगा.
जर्मनी में मंगलवार को 14,432 मामले और 500 मौतें दर्ज की गई थीं.
क्रिसमस को देखते हुए ही अन्य यूरोपीय देशों ने भी प्रतिबंध सख़्त कर दिए हैं. फ्रांस ने रात में कर्फ्यू लगा दिया है.
जर्मनी के लॉकडाउन में सिर्फ ज़रूरी कारोबारों जैसे सुपरमार्केट और बैंकों को खुलने की अनुमति होगी. रेस्तरां, बार नवंबर से ही बंद हैं. देश के कुछ क्षेत्रों ने अपने ख़ुद के लॉकडाउन लगा दिए थे.
हेयर सैलून बंद रखने होंगे. वहीं कपनियों को अपने कर्मचारियों को घर से ही काम करवाने के लिए कहा गया है.
जर्मनी के रॉबर्ट कोच इंस्टीट्यूट के प्रमुख लोथर विलेर कहते हैं कि महामारी अब तक के अपने सबसे गंभीर दौर में है.
वो कहते हैं, "मामले अब तक की सबसे तेज़ गति से बढ़ रहे हैं. डर है कि स्थिति ऐसे ही ख़राब होती रहेगी और महमारी और उसके परिणामों से निपटना और मुश्किल होता जाएगा."
ये ख़बर ऐसे वक़्त में आई है जब जर्मन सरकार ने कहा है कि वो यूरोपियन मेडिसीन एजेंसी (ईएमए) पर जर्मनी में ही विकसित फाइज़र-बायोएनटेक को मंज़ूरी देने की प्रक्रिया तेज़ करने का दबाव बना रही है. इस वैक्सीन को ब्रिटेन और अमेरिका में मंज़ूरी दी जा चुकी है.
स्वास्थ्य मंत्री जेन्स स्पैन ने कहा कि वो चाहते हैं कि वैक्सीन को क्रिसमस से पहले मंज़ूरी मिल जाए.
यूरोप में अन्य जगह क्या स्थिति है?
फ्रांस ने अपने दूसरे राष्ट्रीय लॉकडाउन की जगह रात आठ बजे से सुबह छह बजे तक का कर्फ्यू लागू कर दिया है. लोगों को एक सरकारी फॉर्म भरे बगैर घर से बाहर जाने की अनुमति नहीं होगी.
क्रिसमस की शाम के लिए छूट दी गई है, लेकिन नए साल की शाम के लिए नियम बरक़रार रहेगा. बार और रेस्तरां कम से कम 20 जनवरी तक बंद रहेंगे.
फ्रांस में मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण से 790 लोगों की मौत हो गई और मरने वालों का कुल आंकड़ा 59,072 जा पहुंचा.
फ्रांस के लोगों को दिन में घर से बाहर जाने का स्पष्टिकरण देने के लिए अब आधिकारिक फॉर्म डाउनलोड या प्रिंट करने की ज़रूरत नहीं है.
नीदरलैंड्स में फिलहाल पांच हफ़्ते का लॉकडाउन लगा हुआ है, वहां अब जो प्रतिबंध लगाए गए हैं वो महामारी शुरू होने के बाद से सबसे कड़े हैं. ग़ैर-ज़रूरी कारोबार, सिनेमा, हेयरड्रेसर और जिम सब बंद हैं. लोगों से मार्च के मध्य तक ग़ैर-ज़रूरी यात्रा करने से बचने के लिए कहा गया है.
लेकिन क्रिसमस के मौक़े पर तीन दिन के लिए प्रतिबंधों में कुछ छूट दी जाएगी. डच के लोगों को अपने घर में दो महमानों की जगह तीन महमानों को बुलाने की इजाज़त होगी.
ब्रिटेन के लंदन में बुधवार से इंग्लैंड के सबसे सख़्त लॉकडाउन के नियम लागू होने जा रहे हैं. पब और रेस्तरां बंद रहेंगे. सिर्फ खाना पैक करवाकर ले जाने और डिलिवरी की इजाज़त होगी. साथ ही थिएटर, सिनेमा जैसे इनडोर मनोरंजन के स्थल बंद रहेंगे.
इटली में रोज़ाना होने वाली मौतों की संख्या 500 के क़रीब बनी हुई है और सरकार क्रिसमस को देखते हुए नियमों को और कड़ा करने पर विचार कर रही है.
कहा जा रहा है कि नया लॉकडाउन क्रिसमस की रात और न्यू ईयर के बीच लगाया जा सकता है.
उधर ब्रिटेन के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस का एक नया वेरिएंट (प्रकार) पाया गया है जो तेज़ी से फैल रहा है.
देश के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैंकॉक ने कहा कि कम से कम 60 अलग-अलग स्थानीय प्रशासनों को इस नए प्रकार से कोविड संक्रमण के मामले मिले हैं.
उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे अधिसूचित कर लिया है और ब्रिटेन के वैज्ञानिक इस पर विस्तृत अध्ययन कर रहे हैं.
मंत्री ने बताया कि ये बीमारी और बिगड़ सकती है और हो सकता है कि वैक्सीन इस पर काम ना करे.
उन्होंने सदन में बताया कि पिछले हफ़्ते लंदन, केंट, एसेक्स और हर्टफोर्डशायर के हिस्सों में कोरोन वायरस से संक्रमण के मामलों में बहुत तेज़ी आई है.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ''फिलहाल हमें वायरस के इस प्रकार के 1,000 से ज़्यादा मामले मिले हैं जो खासतौर पर इंग्लैंड के दक्षिणी हिस्से में सामने आए हैं. ये मामले 60 अलग-अलग इलाक़ों में पाए गए हैं. (bbc.com)
सुमी खान
ढाका, 16 दिसंबर| एंटी-लिबरेशन और कट्टरपंथी ताकतों पर हमला करते हुए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि देश को मुसलमानों, हिंदुओं, बौद्धों और ईसाइयों के खून के बदले में स्वतंत्रता मिली है और वह धर्म के नाम पर विभाजन और अराजकता कभी होने नहीं देंगी।
उन्होंने मंगलवार की शाम को कहा, "देश के लोग सांप्रदायिक सद्भाव के आधार पर धार्मिक मनोबल को ऊंचा रखते हुए समृद्धि, प्रगति और विकास की ओर बढ़ेंगे। बांग्लादेश का 50वां विजय दिवस बुधवार को मनाया जा रहा है।"
उन्होंने आगे कहा, "मैं इस देश में कभी भी धर्म के नाम पर विभाजन या अराजकता नहीं फैलने दूंगी। इस देश के लोग धार्मिक मूल्यों को ऊंचा रखते हुए समृद्धि, विकास और प्रगति की दिशा में आगे बढ़ेंगे।"
हसीना ने उल्लेख किया, "बांग्लादेश के लोग धार्मिक हैं, कट्टरपंथी नहीं हैं। हमें एंटी-लिबरेशन, कट्टरपंथी ताकतों को धर्म को राजनीति का हथियार बनाने की इजाजत नहीं देनी चाहिए। सभी को अपना धार्मिक अनुष्ठान करने का अधिकार है।"
उन्होंने कहा, "फकीर लालन शाह, रबींद्रनाथ टैगोर, काजी नजरूल, कवि जिबनानंद दास और सूफियों शाह परन, शाह मखदूम के देश में हर किसी को यहां अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है। बंगबंधु के बांग्लादेश में कट्टरपंथ या कट्टरवाद की अनुमति नहीं है .. 16.5 करोड़ बंगाली सांप्रदायिक सद्भाव के साथ शांति से रहना पसंद करते हैं।"
देश के युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "एक प्रतिज्ञा लें कि आप देश को सांप्रदायिक सौहार्द की लिबरेशन वॉर की भावना के साथ स्वर्णिम बंगाल में परिवर्तित करेंगे।"
हसीना ने अपने 18 मिनट के भाषण में सभी से विजय दिवस की पूर्व संध्या पर लाखों शहीदों के रक्त के कर्ज को कभी न भूलने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, "हमें लिबरेशन वॉर के सांप्रदायिक सद्भावना को धूमिल नहीं होने देना चाहिए। युवाओं और नई पीढ़ी से मेरा अनुरोध है कि आप अपने पूर्वजों के सर्वोच्च बलिदानों को कभी न भूलें, आपको लाल और हरे रंग के झंडे का अपमान नहीं होने देना चाहिए, जिसे उन्होंने हमें उपहार में दिया है।"
स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती की पूर्व संध्या पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपिता 'बंगबंधु' शेख मुजीबुर्रहमान, चार राष्ट्रीय नेताओं और शहीदों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया।
हसीना ने कहा, "साल 1971 में बांग्लादेश से हारने वाले कुछ लोग अशांति पैदा करने की कोशिश में इतिहास और धर्म के झूठ और विकृतियों को बताकर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं।" (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 16 दिसंबर| अमेरिकी शहर सैन फ्रांसिस्को के मेयर लंदन ब्रीड ने बताया है कि शहर में सबसे पहले कोविड-19 वैक्सीन हेल्थ केयर वर्कर्स को दिए गए। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को जारी हुए बयान में कहा गया कि जुकरबर्ग सैन फ्रांसिस्को जनरल अस्पताल में लग रहे वैक्सीन सैन फ्रांसिस्को को राज्य और संघीय सरकारों से मिले प्रारंभिक 12,675 डोज का हिस्सा हैं। शहर में पहला वैक्सीन एंटोनियो गोमेज को दिया गया। वह जुकरबर्ग सैन फ्रांसिस्को जनरल अस्पताल में क्रिटिकल केयर सर्विसेज के चिकित्सा निदेशक हैं। यहां उन्होंने गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 रोगियों का इलाज किया है। गोमेज 2002 से अस्पताल में हैं।
पहले 12,675 वैक्सीन डोज उन मेडिकल फैसिलिटीज को आवंटित किए गए हैं, जहां कोविड-19 के बेहद गंभीर रोगियों का इलाज होता है। ऐसे अस्पतालों को उनके हेल्थ केयर वर्कर्स के प्रतिशत के अनुपात में डोज आवंटित किए गए हैं।
सैन फ्रांसिस्को का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा लोगों का जल्दी और सुरक्षित तरीके से टीकाकरण सुनिश्चित करना है। कैलिफोर्निया राज्य में वैक्सीन प्राथमिकता के आधार पर वितरित की जा रही हैं। इसके तहत पहले चरण में हेल्थ केयर वर्कर्स और दीर्घकालिक देखभाल सुविधाओं और नसिर्ंग होम में रह रहे लोगों को वैक्सीन दी जाएगी। घोषणा में कहा गया है कि सामान्य आबादी को 2021 में वैक्सीन मिल पाएगी।
इस मौके पर ब्रीड ने कहा, "यह हमारे शहर के लिए एक ऐतिहासिक दिन है और हमें उम्मीद है कि कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई में यह एक अहम पड़ाव है।" (आईएएनएस)
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर के ज़रिए संपर्क करने के बाद 9 लोगों की हत्या करने वाले एक शख़्स को जापान में फांसी की सज़ा दी गई है. इस हाई-प्रोफ़ाइल मामले ने पूरे जापान को हिलाकर रख दिया था.
'ट्विटर किलर' के नाम से मशहूर टाकाहिरो शिराइशी को 2017 में तब गिरफ़्तार किया गया था जब उनके फ़्लैट से मानव शरीर के अंग बरामद हुए थे.
पूछताछ में 30 साल के टाकाहिरो ने स्वीकार किया कि उन्होंने हत्याएं की थी और पीड़ितों के अंग क्षत-विक्षत किए थे. इनमें से अधिकतर महिलाएं थीं जिनसे वो सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर मिले थे.
सीरियल किलिंग के इस मामले के सामने आने के बाद यह बहस तेज़ हो गई थी कि ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर 'आत्महत्या' पर कैसे बात की जाए.
स्थानीय मीडिया के अनुसार, मंगलवार को 400 से अधिक लोगों ने इस फ़ैसले को सुना जबकि कोर्ट में सिर्फ़ 16 लोगों के बैठने की जगह मौजूद थी.
जापान में सज़ा-ए-मौत को लेकर लोगों का भारी समर्थन है और जापान ऐसे कुछ ही विकसित देशों में शामिल है जहां पर सज़ा-ए-मौत बरक़रार रखी गई है.
कैसे करते थे पीड़ितों की तलाश?
टाकाहिरो ट्विटर के ज़रिए ऐसी महिलाओं को अपने घर बुलाते थे जो अपनी ज़िंदगी ख़त्म करना चाहती थीं. वो महिलाओं को कहते थे कि वो मरने में उनकी मदद करेंगे और कई मामलों में उन्होंने कहा था कि वो उनके साथ ख़ुद का जीवन भी समाप्त कर लेंगे.
जापान की समाचार एजेंसी क्योडो ने इस मामले के हवाले से कहा कि उन्होंने अगस्त 2017 से अक्तूबर 2017 के बीच 15 से 26 वर्ष के बीच की आठ महिलाओं और 1 पुरुष की गला घोंटकर हत्या की और उनके अंग क्षत-विक्षत किए.
सीरियल किलिंग का ये मामला पहली दफ़ा उसी साल हैलोवीन पर सामने आया था जब टोक्यो के नज़दीक ज़ामा में टाकाहिरो के फ़्लैट से शरीर के अंग बरामद हुए थे.
जांचकर्ताओं को उनके फ़्लैट से कई हाथों और पैरों की हड्डियों के साथ-साथ 9 सिर मिले थे जिसके बाद जापानी मीडिया ने उनके घर को 'हाउस ऑफ़ हॉरर' कहा था.
सुनवाई के दौरान क्या हुआ?
अभियोजन पक्ष ने टाकाहिरो के लिए मौत की सज़ा मांगी थी और उन्होंने भी हत्या करने और अंगों को क्षत-विक्षत करने की बात स्वीकार की थी.
टाकाहिरो के वकील का कहना था कि वो मामूली धाराओं के तहत दोषी हैं क्योंकि यह 'सहमति से हत्या' का मामला था क्योंकि पीड़ितों ने हत्या की अनुमति दी थी.
बाद में टाकाहिरो के अपने वकीलों के तर्कों से मतभेद हो गए और उन्होंने कहा था कि उन्होंने बिना सहमति के हत्या की थी.
मंगलवार को जिस जज ने फ़ैसला सुनाया उनका कहना था कि "कोई भी पीड़ित हत्या को लेकर सहमत नहीं था."
इस केस का क्या असर हुआ?
जापानी मीडिया एनएचके के अनुसार, पिछले महीने 25 वर्षीय की एक पीड़िता के पिता ने कोर्ट से कहा था कि "टाकाहिरो अगर मर भी जाता है तो वो उसको माफ़ नहीं करेंगे."
उन्होंने कहा था, "अभी भी मैं अगर किसी अपनी बेटी की उम्र की किसी महिला को देखता हूं तो उसे अपनी बेटी समझ बैठता हूं. मेरा यह दर्द कभी नहीं जाएगा. मुझे मेरी बेटी लौटा दो."
इन हत्याओं ने जापान को हिलाकर रख दिया था. इसके बाद वेबसाइट पर 'सोशल मीडिया परआत्महत्या की चर्चा' करने को लेकर बहस तेज़ हो गई थी. उस समय सरकार ने संकेत दिए थे कि वो नए क़ानून लेकर आएगी.
इन हत्याओं ने ट्विटर पर भी बदलाव के संकेत दिए थे. उसने अपने नियमों में तब्दीली करते हुए यूज़र्स से कहा था कि 'आत्महत्या या ख़ुद को नुक़सान पहुंचाने को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए.' (bbc)
जापान के वैज्ञानिकों का कहना है कि एस्टेरॉयड रयूगू से मिले नमूने उम्मीद से कहीं ज्यादा बेहतर हैं. अंतरिक्ष यान हायाबूसा-2 छह साल पहले लॉन्च हुआ था और इसने पृथ्वी की तरफ एक कैप्सूल से नवंबर 2020 नमूने गिराए थे.
जापान, 15 दिसंबर | हायाबूसा-2 ने पृथ्वी से करीब 30 करोड़ किलोमीटर दूर यात्रा करने के बाद रयूगू क्षुद्रग्रह से धूल के नमूने और प्राचीन सामग्री जमा की. इसके बाद यान छह साल के मिशन को पूरा करने के बाद धरती की तरफ लौटा. हायाबूसा-2 ने इसी महीने एक कैप्सूल को धरती पर गिराया जो नमूने से भरा हुआ था. धरती के वायुमंडल में दाखिल होने के बाद यह एक आग के गोले की तरह बन गया और ऑस्ट्रेलिया के रेगिस्तान में गिरा.
जापान स्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएएक्सए) के वैज्ञानिकों ने मंगलवार को कैप्सूल के भीतर वाले कंटेनर से पेंच हटाया तो वे हैरान रह गए. कंटेनर के बाहरी हिस्से में भी क्षुद्रग्रह की धूल थी. जेएएक्सए के वैज्ञानिक हीरोताका सवादा के मुताबिक, "जब हमने वास्तव में इसे खोला था, तो मैं अवाक था. यह हमारी अपेक्षा से अधिक था और इतना कुछ था कि मैं वास्तव में प्रभावित हो गया." सवादा कहते हैं, "यह पाउडर जैसे महीन कण नहीं थे लेकिन बहुत सारे नमूने थे जो कई मिलीमीटर में मापे गए."
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह नमूने ब्रह्मांड के निर्माण पर प्रकाश डालेंगे और शायद पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई इसके बारे में भी सुराग दे सकेंगे. वैज्ञानिकों ने अब तक यह नहीं बताया है कि कैप्सूल के अंदर सामग्री कितने ग्राम या मिलीग्राम है. हायाबूसा-2 प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक और नागोया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर सिइचिरो वतनबे कहते हैं, "बहुत सारे नमूने हैं और ऐसा लगता है कि उनमें बहुत सारे ऑर्गेनिक पदार्थ हैं" वे कहते हैं, "तो मुझे उम्मीद है कि हम रयूगू के मूल सतह पर ऑर्गेनिक पदार्थ कैसे विकसित हुए हैं, इसके बारे में कई बातें पता कर सकते हैं."
हायाबूसा-2 के आधे सैंपल जेएएक्सए और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसी के बीच साझा किए जाएंगे. बाकी सैंपल को भविष्य के अध्ययन के लिए रख लिए जाएंगे. हायाबूसा-2 का काम अभी खत्म नहीं हुआ है और अब यह दो नए क्षुद्रग्रहों तक पहुंचने की यात्रा पर रवाना होगा.
काबुल, 15 दिसंबर | अफगान शांति वार्ता के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जल्माय खलीलजाद ने कहा है कि यह जरूरी है कि काबुल सरकार और तालिबान के बीच शांति वार्ता 5 जनवरी को फिर से शुरू होनी चाहिए। टोलो न्यूज ने जानकारी दी कि खलीलजाद की टिप्पणी सोमवार रात को आई जब दोनों पक्षों ने शांति वार्ता के एजेंडे के बारे में अपनी-अपनी सूची का आदान-प्रदान किया। ये शांति प्रक्रिया 12 सितंबर को कतर की राजधानी में औपचारिक रूप से लॉन्च की गई थी और बातचीत का अगला दौर 5 जनवरी से शुरू होगा।
इससे पहले सोमवार को, दोनों टीमों ने बातचीत पर आपसी सहमति से तीन हफ्ते का ब्रेक लिया।
ट्विटर पर विशेष दूत ने कहा, दुर्भाग्य से युद्ध जारी है। एक राजनीतिक समझ, हिंसा में कमी और संघर्ष विराम की सख्त जरूरत बनी हुई है।
उन्होंने कहा, जो कुछ भी दांव पर लगा है, उसको लेकर ये जरूरी है कि सहमति के अनुसार वार्ता फिर से 5 जनवरी से शुरू करने में देरी न हो।
उन्होंने यह भी पुष्टि की कि दोनों पक्षों ने बातचीत के एजेंडे पर सलाह मशविरा के लिए ब्रेक लिया है।
टोलो न्यूज के अनुसार, अपनी मांगों के मसौदे में, अफगान सरकार ने युद्ध विराम, मीडिया स्वतंत्रता और बाहरी लड़ाकूओं पर निषेध को एजेंडे में जोड़ा है।
इस बीच, तालिबान की मांगों में एक इस्लामी सरकार की संरचना, एक इस्लामी परिषद की स्थापना और महिलाओं के अधिकारों और इस्लामी सिद्धांतों पर आधारित सभी नागरिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करना शामिल है।
--आईएएनएस
मॉस्को, 15 दिसंबर | रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 3 नवंबर को हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति चुने गए, जो बाइडेन को बधाई देने के लिए टेलीग्राम के जरिये संदेश भेजा है। टास न्यूज एजेंसी ने क्रेमलिन के बयान के हवाले से कहा, "रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए जो बाइडेन को एक बधाई टेलीग्राम भेजा है।"
इसमें आगे कहा गया कि पुतिन ने बाइडेन के सफल कार्यकाल की कामना भी की और कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से "सहयोग और संपर्को के लिए तैयार हैं"। अपने मैसेज में पुतिन ने आगे कहा कि मतभेदों के बावजूद अमेरिका और रूस कई विश्व समस्याओं को हल करने में मदद कर सकते हैं।
बाइडेन के अमेरिकी इलेक्टोरल कॉलेज वोट जीतने के कुछ ही देर बाद पुतिन का यह बधाई संदेश आया है। सोमवार को इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों ने बाइडेन और कमला हैरिस को अधिकारिक तौर पर चुन लिया है। इसमें बाइडेन को 306 और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 232 वोट मिले।
3 नवंबर के चुनाव के बाद बाइडेन के लिए यह रूस का पहला बधाई संदेश है। इससे पहले रूस ने कहा था कि वह बधाई देने के लिए आधिकारिक परिणामों की प्रतीक्षा करना उचित समझता है।(आईएएनएस)
ब्रिटेन में कोरोना वायरस की नई किस्म सामने आई है. इंग्लैंड के कई हिस्सों में वायरस की यह नई किस्म बड़ी तेजी से फैल रही है. क्यों बदल जाते हैं वायरस?
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ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक के मुताबिक कम से कम 60 स्थानीय प्रशासनों ने कोरोना वायरस के नए रूप से फैले संक्रमण की बात मानी है. फिलहाल इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि वायरस का नया रूप पहले से ज्यादा घातक है. हैनकॉक के मुताबिक इस बात की कोई संभावना नहीं है कि वायरस के नए वर्जन पर वैक्सीन काम नहीं करेगी. दक्षिणी इंग्लैंड में इसके संक्रमण के 1000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं.
फिलहाल कोरोना वायरस के लिए होने वाले टेस्ट में वायरस की नई किस्म पकड़ में आ रही है. ब्रिटिश वैज्ञानिकों और वायरस विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना वायरस का नया रूप ज्यादा घातक और संक्रामक नहीं है. हालांकि इस पर लगातार नजर रखने की जरूरत है. वायरस के नए रूप के सामने आने के बाद लंदन में 16 दिसंबर से कड़े लॉकडाउन का ऐलान कर दिया गया है.
क्यों बदलता है वायरस का रूप
प्रकृति में मौजूद हर जीवित चीज की तरह वायरस भी लगातार प्रजनन और क्रमिक विकास करते रहे हैं. वायरस एक शरीर को संक्रमित करने के बाद आगे दूसरे शरीर तक पहुंचना चाहते हैं, ताकि वे फैलें और अपनी प्रजाति को जिंदा रख सकें. इस संक्रमण के लिए जीन में जिस तरह के बदलावों की जरूरत पड़ती है, वायरस वे बदलाव करने लगते हैं. विज्ञान की भाषा में इस प्रक्रिया को जेनेटिक म्यूटेशन कहा जाता है.
लगातार म्यूटेशन के बाद खुद को तेजी से फैला सकने वाले नए किस्म तैयार होते हैं. यह एक प्रजाति के लिए मामूली तो दूसरी प्रजातियों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं. कोरोना वायरस (सार्स-कोव-2) भी इसका सबूत है. तमाम वन्य जीवों के लिए यह जानलेवा नहीं है, लेकिन इंसान के शरीर में दाखिल होते ही इस वायरस ने महामारी की शक्ल ले ली.
ओएसजे/एनआर (एपी, रॉयटर्स)
ब्रिटेन के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस का एक नया वेरिएंट (प्रकार) पाया गया है जो तेज़ी से फैल रहा है.
देश के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैंकॉक ने कहा कि कम से कम 60 अलग-अलग स्थानीय प्रशासनों को इस नए प्रकार से कोविड संक्रमण के मामले मिले हैं.
उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे अधिसूचित कर लिया है और ब्रिटेन के वैज्ञानिक इस पर विस्तृत अध्ययन कर रहे हैं.
मंत्री ने बताया कि ये बीमारी और बिगड़ सकती है और हो सकता है कि वैक्सीन इस पर काम ना करे.
उन्होंने सदन में बताया कि पिछले हफ़्ते लंदन, केंट, एसेक्स और हर्टफोर्डशायर के हिस्सों में कोरोन वायरस से संक्रमण के मामलों में बहुत तेज़ी आई है.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ''फिलहाल हमें वायरस के इस प्रकार के 1,000 से ज़्यादा मामले मिले हैं जो खासतौर पर इंग्लैंड के दक्षिणी हिस्से में सामने आए हैं. ये मामले 60 अलग-अलग इलाक़ों में पाए गए हैं.
''इसके कारण हमें तेज़ और निर्णायक कार्रवाई करनी होगी जो इस घातक बीमारी को नियंत्रित करने के लिए ज़रूरी है, भले ही इसके लिए वैक्सीन दी जा रही है.''
इंग्लैंड के चीफ़ मेडिकल ऑफ़िसर प्रोफेसर विटी ने कहा कि वर्तमान में किए गए कोरोना वायरस के स्वैब टेस्ट में इस नए प्रकार का पता चला है जो पिछले कुछ हफ़्तों में विशेषतौर पर केंट और उसके आसपास के इलाक़ों में पाया गया है.
सबसे सख़्त लॉकडाउन
इस संभावित ख़तरे को देखते हुए इंग्लैंड में अब तक का सबसे सख़्त लॉकडाउन लगाने की घोषणा की गई है. लंदन में और खासतौर पर एसेक्स और हर्टफोर्डशायर के कुछ हिस्सों में बुधवार से नए नियम लागू किए जाएंगे.
टीयर तीन में बड़े स्तर पर हाई अलर्ट होगा. इसमें पब और रेस्टोरेंट्र बंद रहेंगे, सिर्फ़ टेकअवे और डिलीवरी चलती रहेगी. इसके अलावा थियेटर, सिनेमा हॉल आदि बंद रहेंगे.
हालांकि, कड़े लॉकडाउन को लेकर कुछ तबकों ने नाराज़गी भी ज़ाहिर की है. हॉस्पिटेलिटी क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि इससे हज़ारों नौकरियां ख़तरे में पड़ सकती हैं.
वायरस को समझने की कोशिश
वायरस में आए बदलाव उसमें मौजूद स्पाइक प्रोटीन से जुड़े होते हैं. ये वायरस का वो हिस्सा हैं जो कोशिकाओं को संक्रमित करने में मदद करता है और कोरोना वायरस की वैक्सीन इसी को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई हैं.
अभी ये पता चलना मुश्किल है कि ये वायरस के बदलाव को कैसे प्रभावित करेगा.
बर्मिंघम यूनिवर्सिटी में विशेषज्ञ प्रोफेसर एलन मैकनली ने बीबीसी को बताया, ''हमें बहुत ज़्यादा परेशान होने की ज़रूरत नहीं है. इसका मतलब यह नहीं है कि ये ज़्यादा संक्रामक या खतरनाक है. बस हमें उस पर नज़र रखनी है.
''वायरस के इस प्रकार को समझने के लिए बड़े स्तर पर कोशिश की जा रही है. तनाव की स्थिति में शांति बनाए रखना महत्वपूर्ण होता है.''
वेलकम के निदेशक डॉक्टर जेरेमी फरार कहते हैं कि ये गंभीर हो सकता है. इसकी निगरानी और इस पर शोध जारी रहने चाहिए और हमें ज़रूरी कदम उठाने चाहिए ताकि हम वायरस से आगे रह सकें.
नॉटिंघम यूनिवर्सिटी में मॉलिक्यूलर वायरोलॉजी के प्रोफेसर जॉनाथन बॉल कहते हैं, ''कई वायरस की जेनेटिक जानकारी बहुत जल्दी बदल सकती है और कई बार ये बदलाव वायरस को फायदा पहुंचाते हैं, जैसे कि वो तेज़ी से फैल सकता है या वैक्सीन के असर से बच सकता है. लेकिन, कई बार वायरस में हुए बदलावों का कोई प्रभाव नहीं होता.
''भले ही ब्रिटेन में वायरस का नया प्रकार सामने आया है लेकिन ये एक इत्तेफाक हो सकता है. इसलिए, जब तक कि हम वायरस में आए बदलाव और उसके प्रभाव का अध्ययन नहीं कर लेते तब तक कोई भी दावा करना जल्दबाजी होगी.''
जर्मनी और अमेरिका का हाल
कई देशों में कोरोना वायरस के मामले कम हो रहे हैं लेकिन कई जगहों पर इसका ख़तरा बढ़ ही रहा है.
जर्मनी में कोरोना वायरस के संक्रमण और उसकी वजह से होने वाली मौत के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए क्रिसमस के दौरान सख़्त लॉकडाउन किया जाएगा.
पूरे जर्मनी में बुधवार से ही ग़ैर-ज़रूरी दुकानों को बंद कर दिया जाएगा. साथ ही स्कूलों को भी बंद किया जा रहा है.
चांसलर एंगेला मर्केल ने क्रिसमस से पहले ख़रीदारी के लिए उमड़े लोगों को मौजूदा हालात के लिए ज़िम्मेदार बताया है.
जर्मनी में अब 16 दिसंबर से 10 जनवरी तक लॉकडाउन होगा.
जर्मनी में रविवार को कोरोना संक्रमण के 20,200 नए मामले सामने आए और 321 लोगों की मौत हुई.
इसी तरह कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित देशों की सूची में अमेरिका पहले स्थान पर है.
अमेरिका में नवंबर से कोरोना वायरस से मौत के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं.
अमेरिका में अब तक कोरोना वायरस के एक करोड़ 69 लाख से ज़्यादा मामले आ चुके हैं और करीब तीन लाख लोगों की मौत हो चुकी है. अमेरिका में कोरोना की वैक्सीन लगनी शुरू हो गई है. (bbc.com)
चेन्नई, 15 दिसंबर| एमडीएमके महासचिव वाइको ने श्रीलंकाई नौसेना द्वारा 20 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार करने की मंगलावर को निंदा की। वाइको ने यहां जारी एक बयान में कहा कि रविवार को श्रीलंकाई नौसेना द्वारा 20 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया गया और उनकी नौकाओं को जब्त कर लिया गया।
उन्होंने कहा कि रामेश्वरम के मछुआरे पांच नावों में मछली पकड़ने गए थे।
वाइको ने कहा, "श्रीलंकाई सरकार की कार्रवाई निंदनीय है और भारत और तमिलनाडु सरकारों को मछुआरों और उनकी नावों को छुड़ाने के लिए कदम उठाना चाहिए।" (आईएएनएस)
अमेरिकी सरकार ने पूर्व एफबीआई एजेंट बॉब लेविंसन के अपहरण में शामिल दो ईरानी खुफिया अधिकारियों को नामित किया है. लेविंसन 13 साल पहले लापता हो गए थे और माना जाता है कि उनकी मृत्यु हो गई थी.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के प्रशासन ने औपचारिक रूप से सोमवार 14 दिसंबर को पूर्व एफबीआई एजेंट बॉब लेविंसन की मौत के लिए ईरान को दोषी ठहराया है. बॉब लेविंसन 13 साल पहले अचानक लापता हो गए थे, तब से उनके बारे में कोई सूचना नहीं मिली और माना जाता है कि वे जीवित नहीं हैं.
अमेरिकी प्रशासन के मुताबिक लेविंसन का कथित रूप से दो ईरानी खुफिया अधिकारियों ने अपहरण कर लिया था. अमेरिकी प्रशासन ने दोनों अधिकारियों के नामों की सार्वजनिक रूप से घोषणा की है और उन पर प्रतिबंध लगाए हैं. ट्रेजरी सचिव स्टीवन म्यूचिन ने एक बयान में कहा, "ईरान में बॉब लेविंसन का अपहरण ईरानी शासन की अन्यायपूर्ण कृत्यों के समर्थन का एक अपमानजनक उदाहरण है." उन्होंने कहा, "अमेरिका हमेशा अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और लेविंसन के अपहरण और संभावित मौत में भूमिका निभाने वालों का आक्रामक रूप से पीछा करना जारी रखेगा."
जिन दो ईरानी अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंधों की घोषणा की गई है, वे हैं मोहम्मद बसिरी और अहमद खजई. प्रतिबंध के मुताबिक अमेरिका में उनकी सभी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी. यह प्रतिबंध ईरान के बाहर इन दोनों अधिकारियों के वित्तीय लेनदेन और शारीरिक गतिविधि को भी सीमित करेगा.
क्या हुआ लेविंसन को?
बॉब लेविंसन 9 मार्च 2007 को लापता हो गए थे. अपने लापता होने से कुछ समय पहले वे ईरानी द्वीप किश पर एक स्रोत से मिलने वाले थे. इस साल की शुरुआत में अमेरिकी अधिकारियों ने खुलासा किया कि उन्होंने निष्कर्ष निकाला था कि बॉब लेविंसन की कुछ समय पहले मृत्यु हो सकती है. लेकिन उस समय कोई विवरण जारी नहीं किया गया था.
अब जब अमेरिकी सरकार ने ईरान को उनके अपहरण और संभावित मौत के लिए दोषी ठहराया है, तो लेविंसन के परिवार ने सरकार को धन्यवाद देते हुए एक बयान जारी किया है. परिवार ने कहा कि यह "उनके लिए न्याय की दिशा में एक पहला कदम है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण कदम है."
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का प्रशासन ईरान के साथ परमाणु समझौते से हटने के बाद से ईरान के खिलाफ कई प्रतिबंध लगा चुका है और यह कदम उस श्रृंखला का ही हिस्सा है. पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पांच अन्य विश्व शक्तियों के साथ, ईरान के साथ शांति और बेहतर संबंध बनाने के लिए एक परमाणु समझौता किया था लेकिन ट्रंप ने उस समझौते को तोड़ दिया था.
एए/ओएसजे (एएफपी, एपी)
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के आधिकारिक विजेता का ऐलान हो गया है. जो बाइडेन को इलेक्टोरल कॉलेज की वोटिंग में 306 वोट मिले. वहीं ट्रंप को 232 वोट मिले हैं. अब आधिकारिक तौर पर बाइडेन ही अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होंगे.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के विजेता का आधिकारिक ऐलान हो गया है. जो बाइडेन ने बहुमत के लिए जरूरी 270 का आंकड़ा पार कर लिया है. बहुमत हासिल करने के लिए 270 इलेक्टर्स के समर्थन की जरूरत होती है. बाइडेन को 306 इलेक्टोरल कॉलेज के वोट मिले और इस तरह से अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में बाइडन की जीत और निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हार की अब पुष्टि हो गई है.
बाइडेन को कैलिफोर्निया से सबसे ज्यादा इलेक्टोरल कॉलेज के वोट मिले, इसके बाद हवाई के वोट मिले, वहीं निवर्तमान राष्ट्रपति ट्रंप को 232 वोट मिले. इलेक्टोरल कॉलेज द्वारा बाइडेन की जीत की पुष्टि के बाद उन्होंने अपने भाषण में कहा अमेरिका की आत्मा की लड़ाई में लोकतंत्र की जीत हुई है. उन्होंने कहा, "देश के सत्ता के सिद्धातों को दबाने, कुचलने और परखने की कोशिश की गई लेकिन ये अमेरिका के लोकतांत्रिक सिद्धांत झुके नहीं." आगे उन्होंने कहा, "हम लोगों ने मतदान किया. हमारे संस्थानों में विश्वास किया और चुनावों की अखंडता को बरकरार रखा."
अड़े हुए हैं ट्रंप
ट्रंप लंबे समय से चुनाव नतीजों को खारिज करते आए हैं, सोमवार को भी रिपब्लिकन उम्मीदवार ने चुनाव में धांधली के आरोपों को दोहराया. सोमवार को उन्होंने एक ट्वीट किया कि मिशिगन काउंटी की अघोषित चुनाव रिपोर्ट "चुनाव नतीजों को बदलने वाली" हो सकती है. इस दावे को ट्विटर ने विवादित करार दिया. बाइडेन ने कई राज्यों में ट्रंप के आरोपों और मुकदमों का सामना किया, जिसने चुनाव परिणामों को अस्वीकार करने का प्रयास किया था.
बाइडेन ने कहा, "यह एक ऐसी स्थिति है जिसे हमने पहले कभी नहीं देखी. ऐसी स्थिति जिसने लोगों की इच्छा का सम्मान करने से इनकार कर दिया, कानून के शासन का सम्मान करने से इनकार कर दिया और हमारे संविधान का सम्मान करने से इनकार कर दिया." बाइडेन ने चुनाव अधिकारियों के खिलाफ हिंसा की आशंकाओं की भी निंदा की है. उन्होंने कहा, "मुझे पूरी उम्मीद है कि जिस तरह की धमकी और दुर्व्यवहार के मामले इस चुनाव में देखे गए वे आगे हम फिर किसी चुनाव में नहीं देखेंगे."
इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों के मतों पर इस साल हमेशा से ज्यादा ध्यान रहा, क्योंकि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अभी तक चुनावों में अपनी हार नहीं मानी है और वो अभी भी धोखाधड़ी के आधारहीन आरोप लगा रहे हैं. इस मतदान के नतीजे वॉशिंगटन भेजे जाएंगे और वहां छह जनवरी को संसद के संयुक्त सत्र में इनकी गिनती की जाएगी. बाइडेन और कमला हैरिस 20 जनवरी 2021 को अपने-अपने पद की शपथ लेंगे.
एए/ओएसजे (एपी, एएफपी)
अरुल लुईस
न्यूयॉर्क, 15 दिसंबर| अमेरिका के अटॉर्नी जनरल विलियम बर्र (देश के शीर्ष कानून प्रवर्तन अधिकारी) ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के औपचारिक रूप से जो बाइडेन से चुनाव हारने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
ट्रंप और न्याय विभाग की आलोचना का सामना करने वाले बर्र ने सोमवार को सौर्हापूर्ण संबंध के बीच अपना इस्तीफा दिया।
बर्र ने कैबिनेट पोस्ट से अपने पद से इस्तीफे के लिए नौ दिनों का नोटिस दिया जिसमें वे शक्तियां शामिल हैं जो भारत के गृह मंत्री के समकक्ष हैं।
ट्रंप ने ट्विटर पर बर्र के इस्तीफे की घोषणा की और कहा, "हमारा संबंध बहुत अच्छा रहा है, उन्होंने उत्कृष्ट काम किया है।"
बर्र ने कहा कि उन्होंने 2020 के चुनाव में वोटर धोखाधड़ी के आरोपों की न्याय विभाग की समीक्षा पर ट्रंप को अपडेट किया था।
गौरतलब है कि ट्रंप के दावे के विपरीत बर्र ने चुनाव में धोखाधड़ी की बात से असहमति जताई थी।
उनके इस्तीफे को लेकर कई दिनों से अकटलें लगाई जा रही थीं और आखिरकार इलेक्टोरल कॉलेज के औपचारिक रूप से जो बाइडेन को अगला राष्ट्रपति घोषित करने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
ट्रंप की शिकायत रही कि बर्र ने सार्वजनिक रूप से बाइडेन के बेटे हंटर के सौदे की सरकारी एजेंसियों द्वारा की गई जांच के बारे में बात नहीं की थी, जिससे चुनाव में ट्रंप की मदद हो सकती थी। (आईएएनएस)
आईआईएससी द्वारा किए शोध के अनुसार पिछले 100 वर्षों में मानसून के दौरान पड़ने वाले सूखे की करीब आधी घटनाओं के लिए उत्तरी अटलांटिक के मौसम में आई गड़बड़ी जिम्मेदार थी
-ललित मौर्य
भारत में मानसून के दौरान बारिश में आ रही कमी और सूखे के लिए उत्तरी अटलांटिक के मौसम में आई गड़बड़ी जिम्मेदार है। यह जानकारी भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) और सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक एंड ओशनिक साइंसेज (सीएओएस) द्वारा किए शोध में सामने आई है, जोकि अंतराष्ट्रीय जर्नल साइंस में प्रकाशित हुआ है। शोध के अनुसार पिछली एक सदी में मानसून में पड़ने वाली सूखे की करीब आधी घटनाओं के लिए उत्तरी अटलांटिक के मौसम में आई गड़बड़ी जिम्मेदार थी।
भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसकी एक बड़ी आबादी आज भी सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर है। यही वजह है कि भारत में फसलों के लिए मानसून बहुत मायने रखता है। भारत में जून से सितम्बर के बीच मानसून का मौसम रहता है। देश में एक अरब से भी ज्यादा लोग इस मानसूनी बारिश पर निर्भर है। ऐसे में यदि मानसून फेल होता है तो उसका न केवल कृषि बल्कि साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ता है।
यही वजह है कि पिछले कई वर्षों से वैज्ञानिक दक्षिण एशिया में मानसून का अध्ययन कर रहे हैं और यह समझने का प्रयास कर रहे है कि आखिर क्यों कभी-कभी मानसून फेल हो जाता है। पहले किए अध्ययनों के अनुसार अल नीनो के चलते मानसून के दौरान बारिश में कमी आती है, और सूखे की स्थिति बनती है, लेकिन इस नए शोध से पता चला है कि ऐसा हमेशा नहीं होता है। यही वजह है कि शोधकर्ता अल नीनो के साथ-साथ अन्य घटनाओं को भी जानने का प्रयास कर रहे हैं जो मानसून को प्रभावित कर सकती हैं। इसे समझने के लिए वैज्ञानिकों ने दक्षिण एशियाई मौसम के पिछले 100 वर्षों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है।
शोध से पता चला है कि पिछले 100 वर्षों में सूखे की लगभग आधी घटनाएं (23 में से 10) उस समय हुई थी जब अल नीनो वर्ष नहीं था। साथ ही यह भी पता चला है उन वर्षों में जब अल नीनो नहीं था तब सूखे के समय उत्तरी अटलांटिक के मौसम में गड़बड़ी पाई गई थी। वैज्ञानिकों के अनुसार उत्तरी अटलांटिक के मौसम में आई इस गड़बड़ी के चलते मध्य अक्षांशों से ‘रोसबी धाराएं’ विकसित हुई, जिन्होंने भारत में मानसून के लिए जिम्मेदार कारकों को प्रभावित किया। जिसके परिणामस्वरूप मानसून के दौरान बारिश में कमी आई और सूखे की स्थिति बनी थी।
इसके साथ ही शोधकर्ताओं को मानसूनी बारिश और सूखे के बारे में एक और खास बात पता चली है, यह घटना एक विशिष्ट पैटर्न में होती है। मानसून का मौसम जून में सामान्य से कम बारिश के रूप में शुरू होता है उसके बाद अगस्त की शुरुवात में सामान्य बारिश होती है, उसके बाद अचानक से बारिश बंद हो जाती है। शोधकर्ताओं के अनुसार अगस्त के मध्य में बारिश में आई यह गिरावट उत्तरी अटलांटिक महासागर की मौसमी गड़बड़ी से मेल खाती है। हालांकि इस गड़बड़ी की प्रकृति क्या है उसके बारे में अभी तक वैज्ञानिकों को पता नहीं चला है। लेकिन उनके अनुसार इस गड़बड़ी के चलते उत्तरी अटलांटिक के ठंडे पानी पर उठती चक्रवाती हवाएं, ऊपरी वायुमंडल में बहने वाली हवाओं से मिल गई थी। इन हवाओं ने पूरी एशिया से होते हुए भारतीय मानसून को प्रभावित किया था। (downtoearth.org.in)