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रांची, 17 अप्रैल । झारखंड में इस बार लोकसभा का चुनाव पिछले चुनावों से कई मायनों में अलग है। यह पहली बार है, जब राज्य की 14 लोकसभा सीटों पर 20 निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की किस्मत दांव पर लगी है। इनमें नौ लोकसभा सांसद, एक राज्यसभा सांसद और 10 विधायक शामिल हैं।
मौजूदा लोकसभा सांसदों में निशिकांत दुबे गोड्डा सीट से लगातार चौथी बार संसद पहुंचने की लड़ाई लड़ रहे हैं, जबकि पलामू से बीडी राम, जमशेदपुर से विद्युत वरण महतो और राजमहल से विजय हांसदा के सामने हैट्रिक लगाने का मौका है। कोडरमा से अन्नपूर्णा देवी, खूंटी से अर्जुन मुंडा, गिरिडीह से चंद्रप्रकाश चौधरी और सिंहभूम से गीता कोड़ा लगातार दूसरी बार संसद पहुंचने के लिए मैदान में हैं।
राज्यसभा के सांसद समीर उरांव इस बार लोहरदगा से लोकसभा पहुंचने की दावेदारी कर रहे हैं। राज्य के नौ विधायकों को बड़ी पार्टियों ने इस बार लोकसभा की जंग में उतारा है। इनमें हजारीबाग सीट पर भाजपा के मनीष जायसवाल और कांग्रेस के जयप्रकाश भाई पटेल, गोड्डा सीट पर कांग्रेस की दीपिका पांडेय सिंह, धनबाद में भाजपा के ढुल्लू महतो, सिंहभूम में झामुमो की जोबा मांझी, गिरिडीह में झामुमो के मथुरा महतो, कोडरमा में सीपीआई एमएल के विनोद सिंह, दुमका में भाजपा की सीता सोरेन और झामुमो के नलिन सोरेन शामिल हैं।
इनके अलावा झामुमो के एक विधायक लोबिन हेंब्रम राजमहल सीट से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर चुके हैं। 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने वाले पांच 'योद्धाओं' को इस बार चुनावी पिच पर बैटिंग का मौका नहीं मिल पाया है। इनमें पिछले चुनाव में राज्य में सबसे ज्यादा मतों से जीत दर्ज करने वाले धनबाद के सांसद पीएन सिंह भी शामिल हैं। इनके अलावा जिन सांसदों को इस बार चुनाव मैदान से बाहर होना पड़ा है, उनमें हजारीबाग से जयंत सिन्हा, चतरा से सुनील सिंह, दुमका से सुनील सोरेन और लोहरदगा से सुदर्शन भगत शामिल हैं।
राज्य में बड़ी पार्टियों ने इस बार सबसे ज्यादा संख्या में महिला उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा ने सिंहभूम से गीता कोड़ा, कोडरमा से अन्नपूर्णा देवी और दुमका से सीता सोरेन को उतारा है तो दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन ने गोड्डा से दीपिका पांडेय सिंह, पलामू से ममता भुइयां, धनबाद से अनुपमा सिंह और सिंहभूम से जोबा मांझी को टिकट दिया है। इस तरह 14 लोकसभा सीटों पर बड़ी पार्टियों ने कुल सात महिला प्रत्याशी उतारे हैं।
यह बात भी तय मानी जा रही है कि राज्य की पांच सीटों से इस बार संसद में 'फर्स्ट टाइमर' चेहरा पहुंचेगा। धनबाद में भाजपा के ढुल्लू महतो और कांग्रेस की अनुपमा सिंह के बीच मुकाबला माना जा रहा है। दोनों में से किसी की जीत हो, संसद के लिए 'फर्स्ट टाइमर' होंगे। चतरा में भाजपा के कालीचरण सिंह और कांग्रेस के केएन त्रिपाठी के बीच मुख्य संघर्ष माना जा रहा है। दोनों में से किसी ने पहले संसद की दहलीज पर बतौर सांसद कदम नहीं रखा है।
इसी तरह हजारीबाग में भाजपा के मनीष जायसवाल और कांग्रेस के जेपी पटेल, लोहरदगा में भाजपा के समीर उरांव और कांग्रेस के सुखदेव भगत, दुमका में भाजपा की सीता सोरेन और झामुमो के नलिन सोरेन में चाहे जिसकी भी जीत हो, वे पहली बार लोकसभा पहुंचेंगे। इस बार बड़ी पार्टियों ने चार पूर्व विधायकों पर भी दांव लगाया है। इनमें राजमहल सीट पर भाजपा की ओर से ताला मरांडी, लोहरदगा में कांग्रेस की ओर से सुखदेव भगत, चतरा में कांग्रेस के केएन त्रिपाठी और खूंटी में इसी पार्टी के कालीचरण मुंडा शामिल हैं।
(आईएएनएस)
कोलकाता, 17 अप्रैल । कूच बिहार से भाजपा के मौजूदा सांसद निसिथ प्रमाणिक ने बुधवार को चुनाव आयोग (ईसी) से शुक्रवार को मतदान के दिन पश्चिम बंगाल के मंत्री उदयन गुहा की आवाजाही पर रोक लगाने की मांग की।
राज्य मंत्री होने के अलावा, गुहा कूच बिहार लोकसभा के अंतर्गत आने वाले सात में से एक दिनहाटा विधानसभा क्षेत्र से पार्टी के विधायक भी हैं।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के सूत्रों ने कहा, "आयोग को दिए अपने आवेदन में निसिथ प्रमाणिक ने दावा किया है कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद भी गुहा ने उन पर दो बार हमला कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।"
प्रमाणिक ने यह भी दावा किया कि 2021 विधानसभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में हिंसा पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की रिपोर्ट में गुहा का नाम शामिल था।
प्रमाणिक दावा कि गुहा नफरत भरे संदेश फैलाने के लिए बदनाम हैं। उन्होंने आयोग से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि गुहा मतदान के दिन अपने इलाके से बाहर न निकल सकें।
(आईएएनएस)
गोरखपुर, 17 अप्रैल । यूपी के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने वासंतिक नवरात्र की नवमी तिथि पर गोरक्षपीठ की परंपरा के अनुसार कन्या पूजन किया।
मुख्यमंत्री योगी ने परंपरा का निर्वहन करते हुए बटुक पूजन भी किया। सीएम योगी ने सबसे पहले कुंवारी कन्याओं के पांव धोये।
गोरखनाथ मंदिर के नव भोजनालय में आयोजित कन्या पूजन कार्यक्रम में योगी ने नौ दुर्गा स्वरूपा कुंवारी कन्याओं का विधि-विधान से पूजन किया।
उनके माथे पर रोली, चंदन, अक्षत का तिलक लगाया। उनके पांव पखारे, चुनरी ओढ़ाई और आरती उतारते हुए भोजन कराया। उसके बाद दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लिया।
पूजन के बाद इन कन्याओं को मंदिर की रसोई में पकाया गया ताजा भोजन प्रसाद सीएम योगी ने अपने हाथों से परोसा। कन्याओं के अतिरिक्त बड़ी संख्या में पहुंचे बटुकों को भी श्रद्धापूर्वक भोजन कराकर उपहार और दक्षिणा दिया गया।
(आईएएनएस)
भोपाल, 17 अप्रैल । कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और मध्य प्रदेश की भिंड लोकसभा सीट के पूर्व प्रत्याशी देवाशीष जरारिया ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस में नेताओं ने मेरी राजनीतिक हत्या की जिम्मेदारी ले रखी है। देवाशीष जरारिया ने साल 2019 में बतौर कांग्रेस उम्मीदवार भिंड संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था। इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया और उनके स्थान पर फूल सिंह बरैया को उम्मीदवार बनाया है, जिससे वे नाराज बताए जा रहे हैं।
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे पत्र में देवाशीष जरारिया ने कहा है कि पिछला चुनाव भिंड संसदीय क्षेत्र से पार्टी ने लड़ाया था और चुनाव नतीजे आने के बाद नेताओं ने अगले चुनाव की तैयारी में जुटे रहने का निर्देश दिया था। जिसके बाद वे अपने अभियान में जुटे रहे और जब टिकट की बारी आई तो उनका टिकट काट दिया गया। इसके बाद न तो किसी बड़े नेता ने उनसे बात की, न ही प्रत्याशी ने उनसे संपर्क करना उचित समझा। इसके साथ ही क्षेत्र के कार्यक्रम में भी उन्हें नहीं बुलाया जा रहा है।
देवाशीष जरारिया ने आगे लिखा कि ऐसा लगता है कि कांग्रेस में नेताओं ने मेरी राजनीतिक हत्या की जिम्मेदारी ले रखी है और दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंक दिया है। मेरा कसूर क्या है? पार्टी के लिए दिन-रात मेहनत किया। ग्रुप बाजी करके कांग्रेस में ही कांग्रेस को नहीं निपटाया। कांग्रेस में जो भीतरघात करता है, उसी को सबसे ज्यादा पूछा जाता है। जो मेरे चरित्र में नहीं है। पार्टी दलित, आदिवासियों, महिलाओं, पिछड़ों के सम्मान और हक की बात करती है, लेकिन मेरे हक पर ही डाका डाल दिया।
देवाशीष ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस की कथनी और करनी में कोई समानता नहीं है। पार्टी के भीतर दलित, आदिवासियों, महिलाओं, ओबीसी वर्ग को जिम्मेदारी नहीं मिल रही है। पार्टी के लिए काम करते हुए मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि पार्टी की कोई नीति-रीति नहीं है, न ही इच्छाशक्ति। एक माह तक मैंने इंतजार किया, मगर जहां कोई मान सम्मान नहीं है, उस जगह को छोड़ देना ही उचित है, इसलिए मैं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं।
(आईएएनएस)
सहारनपुर, 17 अप्रैल । कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा बुधवार को प्रथम चरण के चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सहारनपुर पहुंची। यहां प्रियंका गांधी ने कांग्रेस प्रत्याशी इमरान मसूद के पक्ष में रोड शो किया। इस दौरान प्रियंका गांधी ने जनता को संबोधित करते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा।
प्रियंका गांधी ने जैन बाग़ स्थित जैन मंदिर में भगवान महावीर के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। इसके बाद दोपहर 12 बजे उन्होंने अपना रोड शो शुरू किया। इस दौरान कांग्रेस और सपा नेताओं में उत्साह देखने को मिला।
प्रियंका गांधी का रोड शो रायवाला, जेबीएस इंटर कॉलेज, कम्बोह का पुल, रांघडो का पुल और कुतबशेर होते हुए गुरुद्वारा रोड पर खत्म हुआ। यह क्षेत्र मुस्लिम आबादी वाला है।
बता दें कि इंडिया गठबंधन की ओर से अभी तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कोई फायर ब्रांड नेता जनसभा करने नहीं पहुंचा था। पहले चरण के चुनाव प्रचार के अंतिम दिन बुधवार को प्रियंका गांधी गठबंधन प्रत्याशी इमरान मसूद के पक्ष में प्रचार करने सहारनपुर पहुंचीं।
प्रियंका गांधी ने सहारनपुर महानगर में रोड किया। रोड शो से पहले प्रियंका गांधी को सिद्धपीठ शाकम्भरी देवी के दर्शन करने जाना था, लेकिन रामनवमी के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ में सुरक्षा की दृष्टि से जिला प्रशासन ने अनुमति नहीं दी।
रोड शो वाले मार्ग को कार्यकर्ताओं ने झंडों और गुब्बारों से सजाया। प्रियंका गांधी के साथ मुख्य रथ पर कांग्रेस प्रत्याशी इमरान मसूद, जिला अध्यक्ष संदीप राणा समेत कई बड़े नेता मौजूद रहे।
प्रियंका गांधी ने गोल कोठी से लेकर थाना कुतुबशेर तक रोड शो किया। एक घंटा से ज्यादा चले इस रोड शो में प्रियंका गांधी ने करीब 12 मिनट तक जनता को संबोधित किया। अपने संबोधन में प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी पर तंज कसे।
प्रियंका ने कहा कि इस देश ने सत्ता को नहीं सत्य को पूजा है, जबकि पीएम मोदी केवल सत्ता को पूजते हैं, सत्य को नहीं।
रामनवमी के पर्व को याद करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान राम ने भी सत्य की लड़ाई लड़ी थी। जब उनके सामने रावण युद्ध करने के लिए आया तो सारी शक्ति रावण के पास थी। लेकिन भगवान राम ने नौ व्रत रखकर सारी शक्ति अपने पास ले ली। इसके बाद रावण से युद्ध किया और सत्य की जीत हुई।
प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने छोटे व्यापारी, गरीब, मजदूर के लिए कुछ नहीं किया। बड़े उद्योगपतियों का 16 लाख करोड़ का कर्ज माफ कर दिया। भाजपा सरकार ने हमेशा अमीरों की जेब भरी है। गरीब को कुछ नहीं मिला। इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम भी भाजपा लेकर आई थी और वह इसे गोपनीय रखना चाहती थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने नाम उजागर करने के आदेश देकर भाजपा की पोल खोल दी।
उन्होंने कहा, "जो कंपनी 180 करोड़ रुपये का मुनाफा कमा रही है, वह कंपनी 1,100 करोड रुपये का चंदा भाजपा को दे रही है। आखिर यह पैसा कहां से आ रहा है? पीएम मोदी ने काला धन लाने के लिए कहा था। क्या आया? जीएसटी आई, जिसने व्यापारियों की कमर तोड़ दी।"
उन्होंने कहा कि सहारनपुर के लोगों का लकड़ी का कारोबार ठप हो गया। एक समय था जब यहां से बड़ी संख्या में लकड़ी के बने उत्पाद एक्सपोर्ट हुआ करते थे। मोदी सरकार में वह भी बंद हो गए। मेरी जनता से अपील है कि वह सपा-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी भाई इमरान को भारी मतों से जिताएं। आने वाले 19 अप्रैल को ज्यादा से ज्यादा मतदान करें।
(आईएएनएस)
ठाणे, 17 अप्रैल । लोकतंत्र के महापर्व के आगाज होने में अब कुछ घंटे शेष रह गए हैं। चुनाव से संबंधित सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। महाराष्ट्र के ठाणे में इस बार महिला और पुरुष के अलावा ट्रांसजेंडर भी बड़ी संख्या में मतदान करने जा रहे हैं।
पहले ट्रांसजेंडर्स को मतदान करने की इजाजत नहीं थी, लेकिन साल 2019 के चुनाव में इस परिपाटी में बड़ा परिवर्तन करते हुए ट्रांसजेंडर्स के लिए भी मतदान की राह प्रशस्त की गई। इसके बाद देखा गया कि बड़ी संख्या में 2019 के आम चुनाव में ट्रांसजेंडर्स ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
सामने आए आंकड़ों के मुताबिक, शुरू में 918 मतदाता पंजीकृत थे। पांच साल बाद 2019 में यह संख्या दोगुनी होकर 2,086 हो गई। 4 अप्रैल 2023 तक राज्य के कुल मतदाताओं में 5 हजार 617 थर्ड जेंडर वोटर हैं। इस बार ट्रांसजेंडर मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा ठाणे जिले में दर्ज की गई है। ठाणे जिले में 1 हजार 288 थर्ड जेंडर मतदाता पंजीकृत किए गए हैं। मुंबई उपनगर में 812 और पुणे में 726 मतदाताओं का पंजीकरण हो चुका है। इस साल 2024 में अलग अलग जिले में 45 से अधिक थर्ड जेंडर मतदाता पंजीकृत किए गए हैं।
2014 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ट्रांसजेंडर्स को लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेने का मौका मिला था, जिसके बाद मतदान को लेकर उनमें काफी जोश दिखाई दे रहा है। ठाणे में 20 मई को मतदान होंगे, जिसे आमतौर पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गढ़ बताया जाता है। ऐसे में यहां ट्रांसजेंडर की भूमिका अहम हो जाती है।
--(आईएएनएस)
मुंबई, 17 अप्रैल । महाराष्ट्र के जलगांव में एक केमिकल फैक्ट्री में धमाका हुआ है, जिसमें कई मजदूर घायल हो गए। कुछ लोग अभी भी फंसे हुए हैं।
केमिकल फैक्ट्री में पहले धमाका हुआ, इसके बाद पूरी फैक्ट्री में आग लग गई।
जानकारी के मुताबिक, 15 लोग बुरी तरह से घायल हो गए हैं।
आग बुझाने के लिए दमकल की कई गाड़ियां मौके पर भेजी गई हैं।
अधिकारियों ने बताया कि फैक्ट्री में सिलेंडर की वजह से ब्लास्ट हुआ जिसके बाद आग लग गई।
इस बारे में और जानकारी की प्रतीक्षा है।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 अप्रैल । पूर्वी दिल्ली के शकरपुर इलाके में बुधवार सुबह 30 साल की एक स्कूल टीचर और उसके 17 वर्षीय भाई की कथित तौर पर हत्या कर दी गई। पुलिस ने यह जानकारी दी।
मृतकों की पहचान शकरपुर निवासी कमलेश होलकर (30) और उनके छोटे भाई उत्तर प्रदेश के मथुरा निवासी राम प्रताप सिंह के रूप में हुई है।
पुलिस को सुबह 10:11 बजे कॉल मिली कि शकरपुर की गली नंबर तीन में कुछ झगड़ा हुआ है। एक टीम को मौके पर भेजा गया।
मौके पर पहुंचने पर पुलिस को पता चला कि ये डबल मर्डर का मामला है। कमलेश और उसका भाई मृत पाए गए।
पुलिस डिप्टी कमिश्नर अपूर्वा गुप्ता ने कहा, "कमलेश यूपी के साहिबाबाद में एक स्कूल शिक्षक के रूप में काम करती थी और उसका भाई राम प्रताप सिंह 12वीं कक्षा में पढ़ता था। राम प्रताप 14 अप्रैल को अपने भतीजे का जन्मदिन मनाने के लिए अपनी बहन के घर आया था। मृतकों के परिवार को सूचित कर दिया गया है।"
प्रारंभिक पूछताछ में पता चला कि कमलेश और उसके पति श्रीयांश कुमार (33) के बीच झगड़ा हुआ था, जिसके बाद वह घर से गायब पाया गया।
डीसीपी ने कहा, "बाद में श्रीयांश कुमार जांच में शामिल हुए। इस्तेमाल किया गया हथियार पेचकस अपराध स्थल के पास पाया गया। आगे की जांच चल रही है।
(आईएएनएस)
चेन्नई, 17 अप्रैल । तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (टीएएसएमएसी) की दुकानें बुधवार से 19 अप्रैल तक बंद रहेंगी।
भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने तमिलनाडु में सभी शराब की दुकानों को तीन दिनों के लिए बंद करने का आदेश दिया है। राज्य में 19 अप्रैल को मतदान है।
तमिलनाडु में आज से शुक्रवार तक बार और अन्य स्पिरिट आउटलेट भी बंद रहेंगे।
ईसीआई के निर्देश के अनुसार, टीएएसएमएसी शराब की दुकानें, बार और अन्य शराब की दुकानें चुनाव परिणाम की तारीख 4 जून को भी बंद रहेंगी।
तमिलनाडु में लोकसभा के लिए एक ही चरण में मतदान हो रहा है और चुनाव प्रचार और अन्य सार्वजनिक गतिविधियां आज शाम 6 बजे समाप्त हो जाएंगी।
(आईएएनएस)
औरंगाबाद, 17 अप्रैल । बिहार के चार लोकसभा क्षेत्रों में पहले चरण में होने वाले चुनाव को लेकर प्रचार का बुधवार को अंतिम दिन है। इसी बीच औरंगाबाद के राजद कार्यालय में चुनाव आयोग के निर्देश पर छापेमारी की गई। कार्यालय से 50 हजार रुपए और प्रचार सामग्री बरामद की गई है।
दरअसल, औरंगाबाद में भी पहले चरण के तहत 19 अप्रैल को मतदान है। पुलिस के मुताबिक, नगर थाना क्षेत्र के फार्म के समीप एक होटल में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के कार्यालय पर गुप्त सूचना के आधार पर फ्लाइंग सर्विलांस की टीम ने छापेमारी की। इस दौरान टीम ने कार्यालय से 50 हजार रुपए और काफी मात्रा में प्रचार सामग्री जब्त किया।
छापेमारी के दौरान नगर थाना प्रभारी उपेंद्र कुमार सिंह, एसडीपीओ संजय पांडेय सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
इस दौरान राजद कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया और इसे एक साजिश करार दिया। कार्यकर्ताओं ने कहा कि छापेमारी किसी के इशारे पर की जा रही है। सरकार उनकी है। छापेमारी तीन से चार घंटे चली। यहां गरीबों को दबाया जा रहा है।
बता दें कि औरंगाबाद सीट के लिए बुधवार को प्रचार का आखिरी दिन है। यहां मुख्य मुकाबला भाजपा के सुशील सिंह और राजद के अभय कुशवाहा के बीच माना जा रहा है।
--(आईएएनएस)
ग्रेटर नोएडा, 17 अप्रैल । ग्रेटर नोएडा की दादरी पुलिस ने 25 हजार रुपए के इनामी आरोपी को अवैध शस्त्र की फैक्ट्री में हथियारों के साथ गिरफ्तार किया। उस पर 25 मामले दर्ज हैं।
पुलिस के मुताबिक थाना गैंगस्टर एक्ट के तहत अभियुक्त जावेद उर्फ जाबर को दतावली गांव से करीब 800 मीटर पहले एक बिल्डिंग से गिरफ्तार किया गया। उसके कब्जे से 7 तमंचे 315 बोर, 1 तमंचा 12 बोर, 1 पौनी 12 बोर, 1 अद्दा 12 बोर, आधा बना तमंचा 315 बोर, लोहा गर्म करने की भट्टी और बाइक बरामद की गई।
पुलिस पूछताछ में पता चला है कि अभियुक्त अपने साथी जावेद के साथ मिलकर अवैध तमंचे बनाता है। तमंचे बनाकर बाइक के जरिए उनकी डिलीवरी करता है।
इस आरोपी की तलाश पुलिस काफी दिनों से कर रही थी। एक जनवरी को दादरी पुलिस ने लूट और धोखाधड़ी के आरोप में उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था। अभियुक्त जावेद उर्फ जाबर लंबे समय से फरार चल रहा था। जाबर पर 25,000 का इनाम घोषित किया गया था। आरोपी पर 25 मुकदमे अलग-अलग थाने में दर्ज हैं।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 अप्रैल । सितंबर 2022 में अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के अध्यक्ष के रूप में चुने जाने के बाद, पूर्व भारतीय गोलकीपर कल्याण चौबे के कार्यकाल में महासंघ को सफलता की कहानियों और पतन के मिश्रण से गुजरते देखा गया है।
चाहे वह 2023 में लगातार तीन ट्रॉफियां जीतने वाली पुरुष टीम हो, 2018 के बाद पहली बार फीफा रैंकिंग में शीर्ष 100 में संक्षिप्त वापसी, या देश में महिला फुटबॉल को बढ़ावा देना - चौबे के नेतृत्व में नई कमेटी के कार्यभार संभालने के बाद से बहुत कुछ हुआ है।
चौबे के कार्यकाल में एशियाई खेलों और एएफसी एशियाकप में भी खराब प्रदर्शन देखने को मिला, इसके बाद हाल ही में विश्व कप क्वालीफायर के राउंड 2 में 158वीं रैंकिंग वाली अफगानिस्तान से हार हुई, जिसके कारण एआईएफएफ तकनीकी समिति ने मुख्य कोच इगोर स्टिमैक के मार्गदर्शन में टीम की प्रगति पर असंतोष व्यक्त किया।
आईएएनएस के साथ एक विशेष साक्षात्कार में, एआईएफएफ अध्यक्ष ने देश में खेल और इसके शासी निकाय से संबंधित कई मुद्दों पर बात की।
हालांकि उन्होंने हाल के दिनों में सुर्खियां बने एआईएफएफ से जुड़े कुछ विवादों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, उन्होंने कहा कि मामले अभी भी अदालत में विचाराधीन हैं, लेकिन चौबे ने भारतीय फुटबॉल की बेहतरी के लिए फेडरेशन की कोशिशों पर भरोसा जताया।
बातचीत के मुख्य अंश:
आईएएनएस: ब्लू टाइगर्स सफल 2023 के बाद लंबे समय से खराब दौर से गुजर रहे हैं। एआईएफएफ अध्यक्ष के रूप में, आपको क्या लगता है कि फॉर्म में अचानक गिरावट का कारण क्या हो सकता है?
कल्याण चौबे: राष्ट्रीय टीम का प्रदर्शन उस दिशा में नहीं जा रहा है जैसा हम सब देखना चाहते हैं, कुछ बातें हैं जिनका आपको ध्यान रखना चाहिए।
भारतीय फुटबॉल में निश्चित तौर पर स्ट्राइकरों की कमी है, यदि आप आईएसएल (इंडियन सुपर लीग) और आई-लीग को देखें, तो बहुत अधिक भारतीय स्ट्राइकर उपलब्ध नहीं हैं और यह हमारी राष्ट्रीय टीम के प्रदर्शन में परिलक्षित हो रहा है।
पिछले कुछ महीनों में भारत ने केवल एक ही गोल किया है और वह भी पेनल्टी से आया है. यहां तक कि पिछली सैफ चैंपियनशिप में भी, जो हमने बेंगलुरु में जीती थी, सेमीफाइनल और फाइनल दोनों में हमारी जीत टाई-ब्रेकर के माध्यम से आई थी।
हमें आईएसएल और आई-लीग में अधिक प्रभावी स्ट्राइकर कैसे तैयार करें, इस पर एक नीति पर गौर करने की जरूरत है। केवल सुनील छेत्री, लल्लियानज़ुआला चांगटे, या मनवीर सिंह के होने से उद्देश्य पूरी तरह से पूरा नहीं होगा।
आईएएनएस: आप अपने अब तक के 18 महीने के कार्यकाल के दौरान टीम की यात्रा का आकलन कैसे करते हैं?
कल्याण चौबे: जब भी हम देश में खेल की प्रगति के बारे में बात करते हैं, तो हमेशा इसे राष्ट्रीय टीम के प्रदर्शन से आंकने की प्रवृत्ति होती है। यह स्वाभाविक भी है क्योंकि सीनियर पुरुष टीम को न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में किसी देश की फुटबॉल का चेहरा माना जाता है।
टीम पिछले डेढ़ साल से काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही थी; उन्होंने घरेलू मैदान पर लगातार तीन टूर्नामेंट जीते और यहां तक कि विश्व कप क्वालीफायर में एक मैच जीतने तक का सफर भी तय किया। हालाँकि, अफगानिस्तान के खिलाफ हार, वह भी घरेलू मैदान पर, राउंड 3 में जगह बनाने की हमारी आकांक्षाओं के लिए एक झटका है।
मेरा मानना है कि फिलहाल यह कहने के बजाय कि हम क्या करने जा रहे हैं, हमें पहले यह देखना चाहिए कि हम पिछले 18 महीनों में क्या करने में कामयाब रहे हैं।
आईएएनएस: घरेलू फुटबॉल बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए फेडरेशन की क्या योजनाएं हैं?
कल्याण चौबे: नई समिति के कार्यभार संभालने से पहले, आई-लीग दो स्तरीय प्रतियोगिता थी और दूसरा स्तर एक-स्थान वाला टूर्नामेंट था। इस वर्ष, आई-लीग 2 एक अधिक व्यापक प्रतियोगिता थी, जिसमें आई-लीग 3 को पहली बार पेश किया गया था।
जब हमने कार्यभार संभाला तो आई-लीग में टीमों की संख्या सीमित थी। अब तीनों स्तरों पर विभिन्न क्लबों की भागीदारी काफी बढ़ गई है। हमेशा 20-25 क्लब होते हैं, जो शो में शामिल होने के लिए उत्सुक रहते हैं।
इस समिति के कार्यभार संभालने के बाद, देश भर में जमीनी स्तर पर खेल को बेहतर बनाने और राज्य संघों को अधिक सक्रिय बनाने पर बड़ा जोर दिया गया। परिणामस्वरूप, अब बड़ी संख्या में राज्यों ने अपनी-अपनी राज्य लीग आयोजित करना शुरू कर दिया है।
देशभर में टीमों की संख्या काफी बढ़ गई है और इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली लीगों में खेलने की होड़ मची है। इस सीज़न में आई-लीग 3 में 25 टीमें खेलीं, यह एक तरह का रिकॉर्ड है।
इसके अलावा, पिछले साल अक्टूबर में, आर्सेन वेंगर की टीम द्वारा स्काउटिंग पर दो कार्यशालाएँ आयोजित की गईं, जिसमें दो बैचों में 30 पूर्व कोच और 30 पूर्व खिलाड़ियों ने भाग लिया। कार्यशालाओं के बाद, उन्होंने छह 'सुपर स्काउट्स' की पहचान की, जो देश भर में यात्रा करेंगे और अधिक स्काउट्स का पता लगाएंगे। विचार यह सुनिश्चित करना है कि नई प्रतिभाओं की पहचान करने के लिए टियर-2 शहरों में प्रत्येक टूर्नामेंट में एक स्काउट मौजूद रहे।
आईएएनएस: देश में महिला फुटबॉल को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। आप क्या कहते हैं...
कल्याण चौबे : महिला फुटबॉल को बढ़ावा देना नयी कमेटी की प्राथमिकता सूची में है. जबकि महिला फुटबॉल में भारी मात्रा में पैसा लगाया गया है, भारतीय महिला लीग के घरेलू और बाहरी प्रारूप ने खेल के मानकों में एक बड़ा बदलाव लाया है।
अब सभी खेलों को एआईएफएफ के आधिकारिक मंच पर लाइव स्ट्रीम किया जाता है, जिसके बड़ी संख्या में अनुयायी हैं।
इसके अलावा, भारतीय महिला लीग 2 को पहली बार पेश किया गया है जो एक साहसिक कदम है, क्योंकि महिला फुटबॉल का प्रसार करना कभी आसान नहीं रहा है। पहले ही वर्ष में, कई बाधाओं के बावजूद 15 टीमें आईडब्लूएल 2 में भाग लेने के लिए सहमत हो गईं।
(आईएएनएस)
गोरखपुर, 17 अप्रैल । यूपी के मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने बुधवार दोपहर श्रीरामनवमी के महापर्व पर विधि-विधान से भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया। इस अवसर पर मंदिर परिसर प्रभु श्रीराम के भजनों से गुंजायमान रहा।
वासंतिक नवरात्र की नवमी तिथि पर गोरखनाथ मंदिर में कन्या पूजन का अनुष्ठान पूर्ण करने के बाद मुख्यमंत्री योगी मंदिर परिसर स्थित राम दरबार पहुंचे। दोपहर के 12 बजते ही उन्होंने पालने में विराजमान प्रभु श्रीराम के बाल स्वरूप के विग्रह की वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा-अर्चना की।
प्रभु विग्रह को तिलक लगाने और माल्यार्पण करने के बाद आरती उतारी। पूजन का अनुष्ठान पूर्ण करने के साथ सीएम योगी ने बाल स्वरूप भगवान को पालने में झुलाया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी ने भगवान श्रीराम से लोकमंगल की प्रार्थना की।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 अप्रैल । विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) प्रमुख मुकेश सहनी लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए बिहार की राजधानी पटना रवाना होने से पहले मीडिया से रूबरू हुए।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव द्वारा अपनी बेटी के चुनाव प्रचार करने पर वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी ने कहा कि यह बहुत अच्छी बात है कि लालू यादव चुनाव प्रचार के लिए निकले हैं। इसे इंडिया गठबंधन और हम लोगों के लिए और राह आसान हो जाएगा। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा।
मुकेश सहनी ने कहा कि देश का गरीब परेशान है और आप हर जिले में आलीशान होटल जैसे दफ्तर बना रहे हैं। पीएम मोदी के बयान, संविधान के निर्माण के समय 80 से 90 प्रतिशत सनातन के लोग थे, पर मुकेश सहनी ने कहा कि हम लोग इस पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं, किसने बनाया इस पर बात करने की जरूरत नहीं है। बात इसपर होनी चाहिए कि 2014 में जब नरेंद्र मोदी सत्ता में आए तो आप क्या वादा करके आए। हर साल 2 करोड़ युवाओं से रोजगार का वादा किया था, क्या आप वो पूरा कर रहे हैं, आपने कहा था कि विदेश से काला धन लाएंगे। किसान की आय दोगुनी करने की बात कही थी, आपने कहा था कि 2022 तक पूरे देश में जितने गरीब हैं, उन्हें घर बनाकर देंगे। क्या आपने बनाकर दिया?
मुकेश सहनी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में 16,000 करोड़ रुपए इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा ले लिया। आपने ईडी और सीबीआई का धौंस दिखाकर कैसे चंदा ले लिया। आपने कैसे बड़े-बड़े टेंडर देकर उसके बदले में उनसे चंदा लिया। देश का विकास नहीं हो रहा है। गरीब परेशान है और आप हर जिला में आलीशान होटल जैसा कार्यालय बना रहे हैं। आखिर इतना पैसा कहां से ला रहे हैं, केंद्र में 400 करोड़ रुपए खर्च कर बड़े-बड़े कार्यालय बना रहे हैं। इससे पहले जरूर देश के युवाओं को नौकरी देना। इस पर कोई डिबेट नहीं कर रहा है कि सनातन क्या है, संविधान किसने बनाया, हम संविधान के साथ खड़े हैं। संविधान को बदलने की बात करेंगे, हम उससे पहले उस व्यक्ति को बदल देंगे।
(आईएएनएस)
कासरगोड (केरल), 17 अप्रैल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने बुधवार को दावा किया कि भारत में जिसने भी भगवान राम का विरोध किया है उसका पतन हुआ है और यही देश में कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के साथ हुआ।
सिंह ने आरोप लगाया कि दोनों दल भगवान राम या रामनवमी के महत्व को नहीं समझते।
कांग्रेस और माकपा विपक्षी गुट ‘इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) का हिस्सा हैं।
भाजपा नेता ने एक चुनावी बैठक में कहा,‘‘ उन्होंने राम नवमी का पर्व मनाने में बाधा डाली। हम सबको मालूम है कि भारत में जिसने भी भगवान राम का विरोध किया है उसका पतन हुआ है और यही देश में कांग्रेस और माकपा के साथ हुआ है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि भाजपा की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है और वह देश की सबसे विश्वसनीय राजनीतिक पार्टी है। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर कांग्रेस और कम्युनिस्ट दलों की कथनी और करनी में अंतर है।
सिंह ने कहा कि आत्मविश्वास से परिपूर्ण भाजपा को इस लोकसभा चुनाव में केरल में दोहरे अंक में सीट मिलेंगी।
केरल में 26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव होंगे और मतगणना चार जून को होगी। (भाषा)
नलबाड़ी (असम), 17 अप्रैल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि वह 2014 में लोगों के बीच आशा, 2019 में विश्वास और 2024 में गारंटी लेकर आए।
यहां बोरकुडा मैदान में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर में सूर्य तिलक समारोह के साथ 500 वर्ष बाद उनका जन्मोत्सव मनाया जा रहा है।
इससे पहले मोदी ने बुधवार को राम नवमी के अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दीं और कहा, “यह पहली रामनवमी है, जब अयोध्या में भव्य और दिव्य राम मंदिर में हमारे राम लला विराजमान हो चुके हैं। राम नवमी के इस उत्सव में आज अयोध्या अप्रतिम आनंद में है।”
उन्होंने कहा, “हम अयोध्या में उत्सव में शामिल नहीं हो सकते, लेकिन हमें अपने मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाकर और भगवान राम की पूजा करके इस कार्यक्रम में हिस्सा लेना चाहिए।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले पांच साल तक बिना किसी भेदभाव के सभी को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया जाएगा।
उन्होंने कहा कि 70 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों का 'आयुष्मान भारत' योजना के तहत पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज किया जाएगा।
मोदी यहां तीन निर्वाचन क्षेत्रों के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने आए थे, जिनमें बारपेटा से असम गण परिषद के प्रत्याशी फणी भूषण चौधरी, कोकराझार से यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी, लिबरल के उम्मीदवार जयंत बसुमतारी और गुवाहाटी से भाजपा की प्रत्याशी बिजुली कलिता मेधी शामिल हैं। तीनों उम्मीदवार रैली में मौजूद थे। (भाषा)
गाजियाबाद, 17 अप्रैल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को आरोप लगाया कि चुनावी बॉण्ड योजना दुनिया की सबसे बड़ी वसूली योजना है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 'भ्रष्टाचार के चैंपियन' हैं।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने यह दावा भी किया कि इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को ज्यादा से ज्यादा 150 सीट मिल रही हैं।
राहुल गांधी ने कहा, "यह विचारधारा का चुनाव है। एक तरफ आरएसएस-भाजपा संविधान और लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी तरफ, विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ ('इंडिया') उसको बचाने में लगा है। "
उन्होंने दावा किया कि इस चुनाव में बेरोजगारी, महंगाई, भागीदारी जैसे कुछ प्रमुख मुद्दे हैं, लेकिन भाजपा 24 घंटे लोगों को गुमराह करने में लगी रहती है।
राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा के लोग मुद्दों के बारे में बात नहीं करते हैं।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हालिया साक्षात्कार का हवाला देते हुए कहा, "प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनावी बॉण्ड योजना राजनीति को साफ करने के लिए लायी गई थी। अगर ऐसा है तो उच्चतम न्यायालय ने इसे रद्द क्यों किया?"
उन्होंने आरोप लगाया, "चुनावी बॉण्ड योजना दुनिया की सबसे बड़ी वसूली योजना है। प्रधानमंत्री चाहे भी कितनी भी सफाई दे दें, पूरा देश जानता है कि प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार के चैंपियन हैं।"
यह पूछे जाने पर कि उन्हें कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन को कितनी सीटें मिलने की उम्मीद है, राहुल गांधी ने कहा कि वह सीट को लेकर अनुमान नहीं लगाते, लेकिन इतना जरूर कह सकते हैं कि उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के गठबंधन का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहेगा।
उन्होंने कहा, "15- 20 दिन पहले लग रहा था कि भाजपा को 180 सीटें मिलेंगी, लेकिन अब लग रहा है कि वह 150 सीट तक ही जाएगी। हर राज्य से हमें रिपोर्ट मिल रही है कि हमारी स्थिति मजबूत हो रही है और भाजपा के खिलाफ लहर है।"
उन्होंने कहा, "जहां तक उत्तर प्रदेश में गठबंधन की बात है तो हमारा गठबंधन बहुत शक्तिशाली है। हमारा प्रदर्शन बहुत अच्छा होगा। "
राहुल गांधी ने दावा किया, "गरीबी को एक झटके में नहीं मिटाया जा सकता, लेकिन उसे गहरी चोट पहुंचाई जा सकती है। देश में गरीबी का एक बड़ा कारण यह है कि नरेन्द्र मोदी जी ने देश का पूरा धन कुछ चुनिंदा लोगों को दे दिया है।"
उन्होंने कहा, "इसलिए हम जातिगत जनगणना कराएंगे, गरीब महिलाओं को सालाना एक लाख रुपये देंगे, युवाओं को 'अप्रेंटिसशिप' (प्रशिक्षुता) का अधिकार भी हम देने जा रहे हैं। किसान सही एमएसपी, कर्ज माफी की मांग कर रहा है। हम एमएसपी की कानूनी गारंटी देंगे और किसानों का कर्ज भी माफ करेंगे।"
अखिलेश यादव ने कहा कि बदलाव की हवा चल रही है और उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद से गाजीपुर तक भाजपा का सफाया होने जा रहा है।
राहुल गांधी के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने यह भी कहा कि 'एनडीए' (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) को 'पीडीए' (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) हराएगा।
उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि मतों का विभाजन न होने दें और अपने बूथ की चौकीदारी करें ताकि भाजपा का सफाया सुनिश्चित हो सके।
यादव ने कहा, "उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद से लेकर गाजीपुर तक भाजपा का सफाया होने जा रहा है... बदलाव की हवा चल रही है। भाजपा की हर बात झूठी निकली। न किसान की आय दोगुनी हुई, न युवाओं को रोजगार मिला। विकास के वादे भी अधूरे हैं। "
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "चुनावी बॉण्ड ने इनकी पोल खोल दी है। भाजपा भ्रष्टाचारियों का गोदाम बन गई है।"
उन्होंने कहा, "गठबंधन एक नई उम्मीद है। जिस दिन देश का किसान खुश हो जाएगा, उन्हें सही एमएसपी मिलेगी और उनकी आय बढ़ेगी, उस दिन से गरीबी खत्म होने लगेगी। "
यादव ने कहा कि जातिगत जनगणना भी एक जरूरी कदम है, क्योंकि इससे सामाजिक न्याय होगा और लोगों को मान-सम्मान मिलेगा। (भाषा)
रांची, 17 अप्रैल प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और अन्य के खिलाफ कथित अवैध जमीन हड़पने से जुड़े धनशोधन मामले में चार और लोगों को गिरफ्तार किया है। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिए गए लोगों की पहचान अंतु तिर्की, प्रिय रंजन सहाय, बिपिन सिंह और इरशाद के रूप में हुई है।
ईडी ने मंगलवार को यहां तिर्की और कुछ अन्य लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की थी और उनसे पूछताछ करने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया।
तिर्की कथित तौर पर सोरेन से जुड़ा हुआ है जबकि सिंह एक रियल एस्टेट व्यवसायी है। ईडी द्वारा इस मामले में दायर किये गये आरोपपत्र के अनुसार सहाय ने अन्य के साथ मिलकर इस जमीन से संबंधित दस्तावेजों में भी फर्जीवाड़ा किया है।
ईडी द्वारा चार और लोगों को गिरफ्तार किये जाने के बाद इस मामले में अब तक कुल आठ लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
ईडी ने जनवरी में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के कुछ ही देर बाद सोरेन (48) को गिरफ्तार कर लिया था।
वह फिलहाल रांची के होटवार में स्थित बिरसा मुंडा जेल में न्यायिक हिरासत में हैं। इस मामले में मुख्य आरोपी व राजस्व विभाग के पूर्व उप-निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद, मोहम्मद सद्दाम हुसैन और अफसर अली को भी गिरफ्तार किया गया है।
रांची में 8.86 एकड़ जमीन से संबंधित मामले में सोरेन के खिलाफ जांच की जा रही है। ईडी ने आरोप लगाया है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने अवैध रूप से यह जमीन हासिल की थी।
सोरेन ने मंगलवार को रांची की एक विशेष अदालत के समक्ष जमानत याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने यह आरोप लगाया कि उनकी गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित और उन्हें भाजपा में शामिल होने के लिए मजबूर करने की एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी।
एजेंसी ने 30 मार्च को यहां एक विशेष पीएमएलए अदालत के समक्ष प्रसाद, हेमंत सोरेन, उनके सहयोगियों राज कुमार पाहन और हिलरिया कछप तथा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बिनोद सिंह के कथित सहयोगी के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
ईडी ने रांची में स्थित जमीन भी कुर्क कर ली है और अदालत से भूखंड को जब्त करने का अनुरोध किया है।
झारखंड पुलिस द्वारा राज्य सरकार के अधिकारियों समेत कई लोगों के खिलाफ जमीन घोटाले में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद इस मामले में धनशोधन की जांच शुरू की गई थी।
ईडी ने एक बयान जारी कर बताया कि इस मामले में मुख्य आरोपी भानु प्रताप प्रसाद है। उन पर आरोप है कि उन्होंने सोरेन सहित कई लोगों को गैर कानूनी गतिविधियों में मदद कर अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया है।
उन्होंने यह भी दावा किया, ''झारखंड में भू-माफियाओं का एक गिरोह सक्रिय है जो रांची में भूमि रिकॉर्ड में फर्जीवाड़ा करता था।'' (भाषा)
नयी दिल्ली, 17 अप्रैल भारत के दो प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस ने जहां दो दशक पहले अपने-अपने घोषणापत्र में पर्यावरण के बारे में महज कुछ पंक्तियों को शामिल किया था वहीं इस बार इनके घोषणापत्रों में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय ह्रास को लेकर बढ़ती चिंताओं का व्यापक उल्लेख है।
जानकारों ने इन मुद्दों पर जोर दिए जाने का स्वागत किया, हालांकि उन्होंने कहा कि वन और वन्यजीव संरक्षण समेत कुछ मामलों में सरकारों के "विरोधाभासी" दृष्टिकोण को देखते हुए कई वादे "प्रतीकात्मक" साबित हुए हैं।
चुनाव घोषणापत्र पार्टियों के राजनीतिक रुख को दर्शाते हैं और चुनावों के दौरान अक्सर उन पर चर्चा, बहस व तुलना की जाती है। घोषणापत्रों में अंतरराष्ट्रीय नीति से लेकर नौकरियों, स्वास्थ्य और शिक्षा तक कई मुद्दों का जिक्र किया जाता है और इनसे मतदाताओं को प्रभावी निर्णय लेने में मदद मिलती है।
पिछले शनिवार को अपना 69 पृष्ठ का चुनाव घोषणापत्र जारी करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने "सतत भारत के लिए मोदी की गारंटी" खंड के तहत पर्यावरण व जलवायु मुद्दों का तीन पृष्ठ पर जिक्र किया है, जबकि 1999 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में उसने महज एक पैराग्राफ में “पर्यावरण” का जिक्र किया था।
फिलहाल दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कही जाने वाली भाजपा के 1999 और 2004 के घोषणापत्रों में "जलवायु परिवर्तन" शब्द का जिक्र तक नहीं था।
कांग्रेस ने अपने 2024 के चुनाव घोषणापत्र में दो पृष्ठ पर पर्यावरण, जलवायु, आपदा प्रबंधन, जल और स्वच्छता से संबंधित मुद्दों का जिक्र किया है।
कांग्रेस के पिछले लोकसभा चुनाव घोषणापत्रों की समीक्षा से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय स्थिरता के मुद्दों पर जोर दिया गया है।
‘सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च’ के 2022 के एक अध्ययन में कहा गया है कि कांग्रेस ने पिछले तीन चुनावों में लगातार जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय स्थिरता पर जोर दिया है और पर्यावरण संरक्षण के लिए विशिष्ट कदमों का जिक्र किया है जैसे कि ग्रीन बजटिंग और इस पर काम करने के लिए एक स्वतंत्र प्राधिकरण का गठन।
भाजपा के 2024 के घोषणापत्र में प्रमुख प्रतिबद्धताओं में 2070 तक उत्सर्जन नेट जीरो करना, गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल, नदियों की स्थिति में सुधार, 60 शहरों में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को प्राप्त करना, वृक्ष क्षेत्र का विस्तार करना और आपदा सहनशीलता को बढ़ावा देना शामिल है।
कांग्रेस ने हरित परिवर्तन और नेट जीरो लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एक कोष स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है।
हालांकि, विशेषज्ञों ने पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए अपने घोषणापत्र में विशिष्ट कदमों की कमी के बारे में चिंता व्यक्त की है।
‘विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी’ के वरिष्ठ रेजिडेंट फेलो देबादित्यो सिन्हा ने कहा, "(भाजपा का) घोषणापत्र उन मुद्दों को प्रतिबिंबित नहीं करता जो पारिस्थितिकी विज्ञानी पर्यावरण नीतियों के संबंध में उठा रहे हैं, जहां बड़े सुधारों की आवश्यकता है।"
वहीं, पर्यावरण कार्यकर्ता और जल नीति विशेषज्ञ हिमांशु ठक्कर ने कहा कि जब ऐसे मामलों में पारदर्शिता की बात आती है तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की तुलना में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने बेहतर प्रदर्शन किया है।
उन्होंने दावा किया, "उदाहरण के लिए संप्रग ने हमारी बात सुनी और केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना पर आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया, जो पन्ना बाघ अभयारण्य व जंगलों के बड़े हिस्से को पूरी तरह से नष्ट कर देगी। भाजपा सरकार असहमति की आवाज को दबा रही है।" (भाषा)
छिंदवाड़ा, 17 अप्रैल । मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के प्रवास पर पहुंचे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रामनवमी के मौके पर बुधवार को यहां के ऐतिहासिक राम मंदिर में दर्शन किए। इस प्रवास के दौरान जहां उनका रोड शो हुआ, वहीं उन्होंने पार्टी के नेताओं को जीत का मंत्र भी दिया।
केंद्रीय मंत्री अमित शाह बुधवार को रामनवमी के अवसर पर छिंदवाड़ा में ऊंट खाना स्थित राम मंदिर पहुंचे और दर्शन किए। यह ऐतिहासिक और लगभग 400 साल पुराना मंदिर है और इसका शंकराचार्य से करीबी नाता रहा है।
केंद्रीय गृहमंत्री मंगलवार की शाम छिंदवाड़ा पहुंचे थे। उनका यहां ऐतिहासिक रोड शो हुआ।
इस रोड शो को लेकर शाह भी संतुष्ट नजर आए और उन्होंने अपने एक्स पर भी लिखा, "छिंदवाड़ा रोड शो का जोश और उत्साह भाजपा की प्रचंड जीत का संदेश दे रहा है। इस अपार स्नेह और समर्थन के लिए छिंदवाड़ा की जनता का हृदय से आभार।"
भाजपा सूत्रों का कहना है कि रोड शो के बाद अमित शाह ने भाजपा के प्रमुख नेता मुख्यमंत्री मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, प्रदेश के चुनाव प्रभारी महेंद्र सिंह, क्लस्टर प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय के साथ बंद कमरे में काफी देर चर्चा की। चर्चा में उन्होंने छिंदवाड़ा की वर्तमान स्थिति की समीक्षा करने के साथ कुछ हिदायत दी और नई रणनीति पर काम करने की भी बात कही।
(आईएएनएस)
कोलकाता, 17 अप्रैल । रामनवमी के अवसर पर कोलकाता में निकाले जाने वाले जुलूसों को लेकर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कुल 2,500 पुलिसकर्मी, जिनमें सशस्त्र पुलिस बल के जवान भी शामिल हैं, दिन भर कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए सड़कों पर तैनात किए गए हैं।
वहीं, प्रत्येक पुलिस स्टेशन के सामने हेवी रेडियो फ्लाइंग स्क्वाड (एचआरएफएस) की एक यूनिट तैनात की गई है, जो अपने स्थान के आसपास किसी भी परेशानी या तनाव वाले स्थान पर तुरंत पहुंचेगी और स्थिति को नियंत्रित करेगी।
सूत्रों ने कहा कि इसी तरह की सावधानी कोलकाता से सटे तीन पुलिस कमिश्नरी -- विधाननगर, हावड़ा और बैरकपुर के तहत आने वाले इलाकों में अपनाई जा रही है।
लोकसभा चुनाव को देखते हुए चुनाव आयोग के निर्देशानुसार पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) का कार्यालय भी नजर रखे हुए है।
पश्चिम बंगाल के सीईओ आरिज आफताब ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि इस साल विशेष सुरक्षा इंतजाम होंगे। राज्य में संवेदनशील इलाकों की पहचान कर ली गई है और वहां विशेष सुरक्षा व्यवस्था तैनात की गई है।
याद दिला दें कि पिछले साल हावड़ा और हुगली जिलों में रामनवमी जुलूस पर हिंसा की दो अलग-अलग घटनाएं हुई थीं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) भी उन मामलों की जांच कर रही है।
इस बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सुबह एक बयान जारी कर राज्य के लोगों से रामनवमी के मौके पर सावधानी बरतने की अपील की।
(आईएएनएस)
देहरादून, 17 अप्रैल । उत्तराखंड में मंगलवार को संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सर्विसेज परीक्षा के अंतिम नतीजे घोषित हुए, जिसमें उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी अशोक कुमार की बेटी कुहू गर्ग ने लोक सेवा आयोग ने सिविल सर्विसेज में 178वीं रैंक के साथ आईपीएस में उनका चयन हुआ है।
कुहू गर्ग ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई देहरादून स्थित सेंट थॉमस कॉलेज से की थी। इसके बाद उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली के एसआरसीसी कॉलेज से पूरी की। कुहू गर्ग बैडमिंटन की इंटरनेशनल खिलाड़ी भी हैं। कुहू ने एशियाई चैंपियनशिप के साथ ही ओपन कैटेगरी के कई मेडल अपने नाम किए हैं। उन्होंने बैडमिंटन खिलाड़ी चिराग सेन के साथ मिलकर ओपन कैटेगरी के कई मेडल अपने नाम किए हैं। इंटरनेशनल खिलाड़ी कुहू गर्ग के कोच डॉ. डी.के. सेन रहे हैं।
(आईएएनएस)
47 साल की सियासत के बाद लालू प्रसाद बिहार की राजनीति में आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं. राज्य की सभी पार्टियां एक तरफ और लालू अकेले दूसरी तरफ हैं.
डॉयचे वैले पर मनीष कुमार की रिपोर्ट-
2024 के लोकसभा चुनाव में भी एनडीए लालू के भ्रष्टाचार, परिवारवाद या फिर "जंगलराज" की चर्चा करके ही अपने पक्ष में वोट मांग रहा. बिहार की जनसभाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपनी सरकार द्वारा किए गए कार्यों की चर्चा के साथ-साथ इस किंगमेकर पर सीधा प्रहार करने से नहीं चूक रहे.
महागठबंधन में कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी भी लालू के सामने नतमस्तक ही है, वहीं वामदल भी उनके रहमोकरम पर ही नजर आते हैं. उनके समर्थकों का मानना है कि वे ही एकमात्र ऐसे राजनेता हैं जो बीजेपी से मुकाबला कर सकते हैं. शायद इसलिए तमाम तरह के आरोपों के बावजूद उनके कोर वोटर आज भी उनके साथ बने हुए हैं.
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के आलोचक कहते हैं कि लालू भले ही सबों की सुन लें, किंतु करते अपनी ही हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए महागठबंधन में तमाम उछल-कूद के बावजूद उन्होंने टिकटों का बंटवारा अपने आकलन के अनुसार ही किया. कूद-फांद करने वालों की तो दूर, मान-मनौव्वल तो उन्होंने नीतीश कुमार की भी नहीं की. इसलिए उन पर महागठबंधन की राह में रोड़े बिछाने का भी आरोप लगता रहा है.
पत्रकार शिवानी सिंह कहती हैं, "कन्हैया कुमार और पप्पू यादव के मामले पर गौर करें तो साफ है कि लालू ऐसी किसी शख्सियत को उभरने नहीं देना चाहते जो आगे चलकर तेजस्वी के सामने बड़ी लकीर खींच दे. लाख चाहने के बावजूद बेगूसराय और पूर्णिया में कांग्रेस के हाथ कुछ नहीं लगा. पप्पू यादव ने तो अपनी जन अधिकार पार्टी (जाप) का कांग्रेस में विलय तक कर दिया. सभी जानते हैं, नीतीश को आखिर इंडिया गठबंधन से क्यों बाहर आना पड़ गया." हालांकि, इस बार लालू ने प्रत्याशियों के चयन में एक हद तक बीजेपी की रणनीति पर ही काम किया. अब तक आरजेडी के घोषित 22 उम्मीदवारों में 11 चेहरे ऐसे हैं, जो पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. इस सियासी दांव का फायदा उन्हें कितना मिलेगा, यह तो चार जून को ही पता चल सकेगा.
लालू का "जंगलराज" अब गुजरे जमाने की बात
पत्रकार अमित पांडेय कहते हैं, "अब केवल लालू के जंगलराज की बात बताकर वोट मांगना बेमानी है. जिस पीढ़ी ने उसे झेला है, वे तो इसे समझ सकते हैं. किंतु तीन दशक बीत जाने के बाद आज का युवा रोजी-रोजगार, पढ़ाई और विकास की बात करता है. उसे बीते दिनों से कुछ नहीं लेना. एनडीए को यह बात समझनी होगी कि राह इतनी आसान नहीं रह गई है."
इसमें कोई दो राय नहीं कि तेजस्वी ने रोजगार को तो मुद्दा बना ही दिया और नीतीश के साथ सरकार में रहने के दौरान नौकरियां भी बांटी. इसका श्रेय लेने की राजनेताओं के बीच भले ही होड़ मची हो, लेकिन 30-34 आयु वर्ग के युवा इसका श्रेय तो तेजस्वी को ही दे रहे. निश्चित तौर पर युवाओं में तेजस्वी का क्रेज बढ़ा है. लालू के परिवारवाद, "जंगलराज" और भ्रष्टाचार से इस वर्ग को कुछ लेना-देना नहीं है. ऐसा लगता है कि चुनाव में इसका फायदा महागठबंधन को मिलेगा.
परिवारवाद और भ्रष्टाचार का मुद्दा
इस बार के आम चुनाव में एनडीए परिवारवाद और भ्रष्टाचार पर लगातार प्रहार कर रहा. लालू तो इससे प्रभावित हो रहे थे. उनके परिवार के पांच सदस्य राजनीति में हैं. अब तो उनकी बेटी रोहिणी आचार्य भी राजनीति में आ गईं. नीतीश कुमार भी खुद को भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर का असली उत्तराधिकारी बताते हैं, वे कहते रहे हैं कि कर्पूरी ठाकुर की तरह उन्होंने भी परिवार के किसी सदस्य को राजनीति में आगे नहीं बढ़ाया. हवा का रुख मोड़ देने के माहिर लालू ने तेजस्वी से एनडीए में वंशवादी राजनीति करने वालों की सूची जारी करवा दी.
अपने एक्स हैंडल पर तेजस्वी ने बिहार में प्रथम चरण की चार लोकसभा सीट समेत राज्य की ऐसी 14 सीट की सूची जारी कर दी, जहां परिवारवादी उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस परिवारवाद के बारे में भी जिक्र करने का आग्रह भी कर दिया. तेजस्वी को लालू को यह सीख एनडीए पर एक हद तक तो भारी पड़ ही गई. जमुई की सभा में वंशवादी राजनीति पर न तो पीएम मोदी ने कुछ कहा और न ही भाजपा के अन्य नेताओं ने. हालांकि, लालू तो पहले से ही कहते रहे हैं कि "उनका बेटा राजनीति में नहीं जाएगा तो क्या भैंस चराएगा."
राजनीति में एक और बेटी
लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी डॉ. मीसा भारती पहले से ही राजनीति में हैं. वर्तमान में वह राज्यसभा की सदस्य हैं. 2014 और 2019 में मीसा लोकसभा का चुनाव कभी लालू के काफी करीबी रहे रामकृपाल यादव से हार चुकी हैं. तीसरी बार फिर उनके खिलाफ ही चुनाव मैदान में उतरी हैं. इस बार उनकी दूसरी बेटी डॉ. रोहिणी आचार्य भी सारण लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं. अब तक उनका परिचय यही है कि वे लालू प्रसाद की बेटी हैं और उन्होंने जरूरत पड़ने पर पिता को अपनी किडनी दी. इसके अलावा वे सोशल मीडिया पर अपने परिवार के पक्ष में तीखे तेवर से विरोधियों को घेरने के लिए भी जानी जाती हैं. जवाब देने में वे भाषाई मर्यादा के पार जाने से भी नहीं चूकतीं.
राजनीतिक समीक्षक अरुण कुमार चौधरी कहते हैं, "मीसा के समक्ष 2009 में पाटलिपुत्र में पिता लालू प्रसाद की पराजय का बदला लेने की चुनौती है. उस समय लालू अपने मित्र और जेडीयू के उम्मीदवार रंजन प्रसाद यादव के हाथों 25 हजार से अधिक मतों से हार गए थे. मीसा भी दो बार चुनाव हार चुकी हैं. उन्हें भी रामकृपाल यादव से अपनी हार का बदला लेना है. वहीं, रोहिणी के समक्ष सारण में मां राबड़ी देवी की 2014 की पराजय का बदला लेने की चुनौती है. हो सकता है, लालू सारण का अपना पुराना गढ़ फिर से हासिल करना चाह रहे हों."
रोहिणी ने उन्हें अपनी किडनी दी है और इसको लेकर लोगों में "पापा की प्यारी" बिटिया के प्रति सहानुभूति तो हो ही सकती है. शायद यही वजह है कि राजीव प्रताप रूडी भी रोहिणी के लिए सधे शब्दों में कहते हैं कि "हर पिता को ऐसी बेटी मिलनी चाहिए. मेरी लड़ाई तो लालू प्रसाद से है."
तेजस्वी के लिए खतरा तो नहीं!
रोहिणी भले ही कह रही हों कि वे उस समय ही राजनीति में आने वाली थी, जब बिहार में मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में महापाप हुआ था. लेकिन, पारिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से नहीं आ सकीं. पार्टी में उनका हाल बड़ी बहन मीसा जैसा होगा या उनका कद बढ़ेगा, यह तो आम चुनाव के परिणाम पर निर्भर करेगा. लेकिन उनकी एंट्री यह तो संकेत दे ही रही कि तेजस्वी के लिए घर के बाहर और अंदर परेशानियां बढ़ेंगी.
जानकार बताते हैं कि तेज प्रताप यादव की पत्नी ऐश्वर्या को लेकर विवाद सतह पर है ही और हो सकता है पत्नी राजश्री को लेकर भी कहीं तेजस्वी पसोपेश में न पड़ गए हों. शायद इसलिए पत्रकार शिवानी सिंह कहती हैं, "देखिए रोहिणी की एंट्री का लालू परिवार और आरजेडी पर असर पड़ना तो लाजिमी है. बहुत कुछ दोनों बहनों की जीत पर निर्भर करेगा. बड़ी बेटी होने के कारण मीसा भारती पहले से ही पार्टी की पहली कतार के नेताओं के संपर्क में हैं और अगर रोहिणी जीत कर आती है तो इतना तो तय है कि परिवार में विरासत की जंग भविष्य में तेज होगी, जिसका असर अंतत: तेजस्वी पर ही पड़ेगा." (dw.com)
भारत में अंग्रेजों के जमाने में तितलियों के नाम भी अंग्रेजी में ही रखे गए थे. लेकिन अब 'राष्ट्रीय तितली नामकरण सभा' ने तितलियों के नाम हिन्दी में रखने की पहल की है.
डॉयचे वैले पर रामांशी मिश्रा की रिपोर्ट-
विश्व भर में तितलियों की 15 हजार से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं. वहीं, भारत में 1,400 से अधिक तितलियों की प्रजातियां हैं. इन तितलियों में एक नाखून से भी छोटे आकार की ‘रत्नमाला' (ग्रास ज्वेल) और 150 मीटर से अधिक पंख फैलाने वाली ‘रंगोली जटायु' (गोल्डन बर्डविंग) तक शामिल हैं.
भारत में तितलियों की खोज अंग्रेजों के जमाने में शुरू हुई थी. तब उनके नाम भी अंग्रेजी में रखे गए थे. लेकिन अब हिन्दी में तितलियों के नाम रखने को लेकर जुलाई 2023 में ‘राष्ट्रीय तितली नामकरण सभा' का गठन किया गया है. इस सभा में वैज्ञानिक, पर्यावरणविद, प्रकृति प्रेमी, भाषा विशेषज्ञ, वनाधिकारी समेत कई अन्य सदस्य शामिल हैं.
सभा में शामिल सदस्य देश के अलग अलग हिस्सों से जुड़े हुए हैं. प्रोफेसर कृष्णमेघ कुंटे, धारा ठक्कर और रूपक डे के साथ इसमें नेशनल बटरफ्लाई क्लब मुंबई के सचिव दिवाकर थोंब्रे, स्प्राउट्स संस्था मुंबई के सीईओ आनंद पेंढारकर, हिन्दी भाषा विशेषज्ञ और झारखंड तितली समूह के संस्थापक मनीष कुमार, उत्तर प्रदेश पर्यटन विकास निगम के मैनेजर रतींद्र पांडे और देहरादून स्थित दून नेचर वॉक के विशेषज्ञ राहुल काला शामिल हैं.
पारिस्थितिकी तंत्र का अहम हिस्सा हैं तितलियां
बहुत ही छोटे जीवनकाल वाली तितलियां पारिस्थितिकी तंत्र और खाद्य चक्र में एक विशेष भूमिका निभाती है. झारखंड में नेचुरल ज्वैल्स संस्था की संस्थापक और पर्यावरणविद धारा ठक्कर ने डीडब्ल्यू को बताया, "जैव विविधता में तितलियां बड़ी भूमिका निभाती है. सामान्य तौर पर जिस जगह पर तितलियां नहीं होती वहां का पर्यावरण अच्छा नहीं माना जाता. कंक्रीट के जंगलों के बीच भी यदि एक हरा भरा वातावरण है तो वहां तितलियां अपने आप ही आने लगती हैं. साथ ही तितलियां हवा, पानी और मिट्टी तीनों को शुद्ध करती हैं."
वह आगे बताती हैं, "आम जनमानस के बीच तितलियों को लेकर जागरूकता की कमी है. ऐसे में आसान भाषा में तितलियों के हिन्दी नाम रखे गए हैं ताकि लोग भी इनके संरक्षण में कुछ योगदान दे सकें.”
केवल उत्तर प्रदेश में ही तितलियों की 200 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं. उत्तर प्रदेश के पूर्व वनाधिकारी रूपक डे ने डीडब्ल्यू को बताया, "पिछले छह महीनों में सभा के सदस्यों ने मिलकर हिन्दी में भारतीय तितलियों के नाम रखने के लिए उनके वैज्ञानिक और अंग्रेजी नाम, उनकी विशेषताएं, व्यवहार और अन्य पहलुओं पर विमर्श किया ताकि उनके आसान नाम रखे जा सकें.”
तितलियों के नाम ऐसे रखे गए हैं जिन्हें याद करना आसान हो, जो अंग्रेजी नाम का सिर्फ अनुवाद न हो बल्कि स्थानीय संस्कृति के अनुरूप हो. इसके लिए प्रजातियों की रुपात्मक विशेषताओं के साथ उनकी उड़ान, व्यवहार, मेजबान पौधों और प्रजातियों के कैटरपिलर आदि पर आधारित नाम भी रखे गए हैं.
रामायण के किरदारों की भूमिका
बेंगलुरू स्थित नैशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज में एसोसिएट प्रोफेसर कृष्णमेघ कुंटे ने डीडब्ल्यू को बताया, "तितलियों के नाम रखने में रामायण के विभिन्न किरदारों की भी भूमिका रही है. रावण के दरबार में अंगद के पैर को कोई नहीं हिला पाया था. उसी के आधार पर गोल्डन एंगल प्रजाति की तितली का नाम अंगद रखा गया है क्योंकि यह अपने मूल स्थान से जल्दी विस्थापित नहीं होती. उनकी प्रजातियों में स्पॉटेड एंगल का नाम ‘चित्तीदार अंगद', एलिदा एंगल का नाम ‘अलिदा अंगद', ब्लैक एंगल का नाम ‘कृष्णा प्रतल' और गोल्डन एंगल का नाम ‘सुनहरा अंगद' रखा गया है.”
इसी तरह बड़े पंखों वाली बर्डविंग तितली का नाम जटायु के नाम पर रखा गया है. कॉमन वर्डविंग का नाम ‘बिंदी जटायु', गोल्डन बर्डविंग का नाम ‘रंगोली जटायु' और सह्याद्री बर्डविंग का नाम ‘सह्याद्री जटायु' रखा गया है.
क्षेत्रीय भाषाओं को नहीं मिली सफलता
रूपक डे ने बताया, "1902 में डी-रे फिलिप ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तितलियों की 92 प्रजातियों की खोज की थी. अंग्रेजों ने जब तितलियों की खोज की थी तो उन्हें कमांडर, जोकर, कैस्टर, सेलर जैसे नाम दिए थे." हालांकि, आजादी के बाद तितलियों पर काम हुआ. हाल के 20 वर्षों में पर्यावरणविदों और प्रकृति प्रेमियों ने तितलियों के संरक्षण पर काम शुरू किया.
प्रोफेसर कृष्णमेघ ने डीडब्ल्यू को बताया, "इससे पहले एक छोटे मराठी संगठन ने 1980 के दशक में तितलियों के नामकरण किए थे, लेकिन उसे अधिक सफलता नहीं मिली. यही हाल कन्नड़ और मलयालम भाषा के साथ हुआ. क्षेत्रीय भाषाओं में नामकरण के प्रारूप को लेकर कोई दिशा-निर्देश तय न होने से उन्हें सफलता नहीं मिल सकी. मराठी में दोबारा हुए नामकरण को पहचान मिली. हिन्दी भाषा में भी नामकरण से पहले इसे लेकर सभा ने कुछ दिशा निर्देश तय किए. उस आधार पर तितलियों के नाम रखे गए."
प्यार भरे नाम भी किए गए शामिल
तितलियों के कई ऐसे भी नाम रखे गए हैं जो हिन्दी भाषी क्षेत्रों में बच्चों को प्यार से पुकारे जाते हैं. जैसे डार्लेट प्रजाति की तितली का नाम ‘लाडली' रखा गया है, स्मॉलर डोरलेट तितली का नाम ‘छुटकी लाडली', स्मॉल क्यूपिड का नाम ‘छोटा मदन', कार्नेलियन का नाम ‘लालन', ग्रास ब्लूज का नाम ‘नीलू' रखा गया है. ग्रास डार्ट्स नामक तितली का नाम ‘घसियारा' रखा गया है.
कुछ तितलियों का नाम उनके मेजबान पौधों के आधार पर रखा गया है. जैसे, चंपा के पौधे पर सबसे अधिक बसने वाली तितली ग्रास डेमोन का नाम ‘डोलन चंपा' रखा गया है. इसके अलावा नींबू के पौधे पर लार्वा रखने वाली लाइम ब्लू तितली का नाम ‘निंबुड़ा' रखा गया है.
बड़े आकार की तितली ब्लू मॉर्मोन या ग्रेट मॉर्मोन का नाम ‘बहुरूपिया' रखा गया है. इस प्रजाति में पंखों पर मोर के पंखों जैसी धारियां होती हैं. ऐसे में कुछ अन्य तितलियों के नाम ‘मालाबारी मयूरी', ‘दख्खन मयूरी', ‘मखमली मयूरी' और ‘कृष्णा मयूरी' रखे गए हैं.
संरक्षण पर काम जरूरी
तितलियों के संरक्षण को लेकर कई देशों में काम हो रहा है. सिंगापुर के चांगी एयरपोर्ट पर ही बटरफ्लाई गार्डेन बनाया गया है. वहां तितलियों की 40 से अधिक प्रजातियां देखने को मिल सकती हैं. वहीं, दुबई में जलवायु अनुकूल न होने के बावजूद तितलियों के संरक्षण पर लगातार काम किया जा रहा है. धारा के अनुसार, "तितलियां कई हजार किलोमीटर तक प्रवास कर सकती हैं. इनका जीवन चक्र थोड़े समय का होता है. ऐसे में प्रवास के दौरान ही उनकी पीढ़ियां भी जन्म ले लेती हैं.”
रूपक डे ने बताया, "प्राथमिक तौर पर अभी हमने 231 तितलियों के हिन्दी नाम की पहली किस्त जारी की है जिन्हें हम ‘शहरी हरियाली की तितलियां' मानते हैं. दूसरे चरण में हिन्दी भाषी क्षेत्र में पाई जाने वाली बाकी प्रजातियों का नामकरण किया जा रहा है और तीसरे चरण में अन्य सभी तितलियों के नाम शामिल होंगे." (dw.com)
इंफाल, 17 अप्रैल । कुकी-जोमी आदिवासी समुदाय की शीर्ष संस्था कुकी इनपी सदर हिल्स (केआईएसएच) ने मंगलवार को अपने सदस्यों को आगामी लोकसभा चुनाव में भाग लेने से दूर रहने का निर्देश दिया।
केआईएसएच की प्रचार शाखा ने एक बयान में यह स्पष्ट कर दिया कि लोकसभा चुनावों के लिए उनका दृष्टिकोण "बहिष्कार" करना नहीं है, बल्कि "मतदान से दूर रहने" का विकल्प चुनना है।
बयान में कहा गया है कि 18वीं लोकसभा चुनाव में कुकी-ज़ोमी समुदाय से कोई उम्मीदवार नहीं है। आदिवासियों के लिए आरक्षित बाहरी मणिपुर संसदीय क्षेत्र में चार उम्मीदवारों के बीच एक सर्वसम्मति वाले उम्मीदवार का चयन करने का प्रयास किया गया था। हालांकि, सर्वसम्मति नहीं बन सकी। इसलिए, कुकी इंपी मणिपुर द्वारा स्वीकार किए गए सभी हितधारकों के साथ तालमेल कर आगामी चुनाव में मतदान से दूर रहने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया।"
बाहरी मणिपुर लोकसभा सीट के लिए चार उम्मीदवार हैं, जिनमें भाजपा समर्थित नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के उम्मीदवार कचुई टिमोथी जिमिक भी शामिल हैं। विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन ने इस सीट पर अल्फ्रेड कन्नगम एस. आर्थर को मैदान में उतारा है। जिमिक और आर्थर दोनों नागा समुदाय से हैं।
इस सीट के लिए दो स्वतंत्र उम्मीदवार एस खो जॉन और एलिसन अबोनमई भी मैदान में हैं।
मणिपुर में दो चरणों में 19 अप्रैल और 26 अप्रैल को मतदान होगा।
(आईएएनएस)