राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 27 अप्रैल । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस के सिकंदराराऊ में चुनावी जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान वो कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी पर जमकर बरसे।
सीएम योगी ने रैली में सैम पित्रोदा के विरासत कर वाले बयान को लेकर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पहले 1947 में देश का बंटवारा करवाया। आज वह आपकी संपत्ति को बांटने की साजिश कर रही है।
सीएम योगी ने कहा, "एक तरफ 'सबका साथ, सबका विकास' के नारे के साथ भाजपा और एनडीए है और दूसरी तरफ कांग्रेस-सपा का इंडी गठबंधन है। कांग्रेस ने 1947 में देश का विभाजन कराया। पहले देश को बांटा और अब कांग्रेस अपने घोषणा पत्र में कह रही है कि हम भारत के अंदर संपत्ति का सर्वे करवाएंगे। ये आपकी संपत्ति का सर्वे कराकर आपके बाप-दादा की जो कमाई है, इस कमाई को वो लोग उसमें विरासत टैक्स लगाने की बात कर रहे हैं। आप लोगों ने सैम पित्रोदा का बयान सुना होगा। आपके बाप-दादा ने 4 कमरों का घर बनाया है तो आप 2 कमरो में रहो, 2 कमरे कांग्रेस और सपा के अधिकार में चला जाएगा। मेहनत और परिश्रम करेंगे आप और डकैती डालने के लिए कांग्रेस-इंडी गठबंधन के लोग आएंगे। क्या यह छूट देंगे आप। पहले देश को बांटा, आज आपकी संपत्ति को बांटने की साजिश ये लोग कर रहे हैं।"
सीएम योगी ने कहा कि कांग्रेस को 65 वर्षों तक देश में शासन करने का अवसर प्राप्त हुआ। समाजवादी पार्टी को 4 बार और बहुजन समाज पार्टी को 3 बार प्रदेश में शासन करने का मौका मिला। लेकिन इन सबको मिलाकर जितना कार्य देश के अंदर इन लोगों ने 65-70 वर्षों में नहीं किया, जितना कार्य उत्तर प्रदेश के अंदर सपा, बसपा, कांग्रेस ने मिलकर नहीं किया, उतना पीएम मोदी के नेतृत्व में मात्र 10 साल के अंदर देश में हुआ है और सात साल में भाजपा के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के अंदर हुआ है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस, सपा, बसपा के समय में गरीब व्यक्ति भूखे मरता था। आज 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन का लाभ मिला। पहले दिल्ली से पैसा चलता था और यहां वो पैसा कांग्रेस, सपा और बसपा के दलाल हजम कर जाते थे। आज जनधन खाते खोलकर डीबीटी के माध्यम से पैसा गरीब के अकाउंट में सीधा पहुंच रहा है।
(आईएएनएस)
हैदराबाद, 27 अप्रैल । तेलंगाना में अगले महीने होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए चल रहे अभियान के बीच भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने शनिवार को अपना 23वां स्थापना दिवस मनाया। साथ ही लोगों के लिए अपनी लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया।
तेलंगाना में कांग्रेस के हाथों सत्ता गंवाने के बाद यह पार्टी का पहला स्थापना दिवस है। बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने पार्टी मुख्यालय (तेलंगाना भवन) में पार्टी का झंडा फहराकर जश्न मनाया।
केटीआर ने 'तेलंगाना थल्ली' या मदर (मां) तेलंगाना को पुष्पांजलि अर्पित की।
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का 2022 में नाम बदलकर बीआरएस कर दिया गया था। इसकी स्थापना 2001 में के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने तेलंगाना को राज्य का दर्जा दिलाने के आंदोलन को पुनर्जीवित करने के लिए की थी।
केटीआर ने याद दिलाया कि केसीआर ने कई बाधाओं के बावजूद तेलंगाना के लिए पार्टी शुरू की थी। उन्होंने दावा किया कि केसीआर के नेतृत्व में तेलंगाना आंदोलन कई राज्यों और लोकतांत्रिक आंदोलनों के लिए एक मॉडल बन गया।
उन्होंने कहा कि, तेलंगाना राज्य का लक्ष्य लोगों के सहयोग से हासिल किया गया है। पार्टी हमेशा उनकी ऋणी रहेगी। संयुक्त आंध्र बलों की 'साजिशों' के बावजूद, केसीआर ने सुनिश्चित किया कि तेलंगाना के लोगों की आवाज सभी विधायी निकायों में सुनी जाए।
उन्होंने कहा, "तेलंगाना के लोगों को लगा कि केसीआर नए राज्य का नेतृत्व करने के लिए वही सही नेता हैं। इसलिए उन्होंने 2014 में हमारी पार्टी को जनादेश दिया।"
उन्होंने दावा किया कि अपने साढ़े नौ साल के शासन के दौरान, टीआरएस ने तेलंगाना को देश में शीर्ष स्थान पर लाने के लिए सभी प्रयास किए।
केटीआर ने कहा कि तेलंगाना में हासिल की गई प्रगति को देश के अन्य हिस्सों में दोहराने के लिए, पार्टी का नाम बदलकर बीआरएस कर दिया गया, जिससे यह एक राष्ट्रीय पार्टी बन गई।
बीआरएस को महाराष्ट्र, कर्नाटक और ओडिशा जैसे राज्यों में अच्छा रिस्पांस मिला, लेकिन दुर्भाग्य से तेलंगाना विधानसभा चुनाव के नतीजे निराशाजनक रहे। लेकिन लोग पिछले ढाई दशक का इतिहास जानते हैं कि केसीआर कोई भी काम अधूरा नहीं छोड़ते हैं।
केटीआर ने कहा कि टीआरएस ने सफलता से अभिभूत होकर या हार से निराश हुए बिना अपनी यात्रा जारी रखी। हम लोगों के लिए बोलना और उनके लिए लड़ना जारी रखेंगे।
उन्होंने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से केसीआर द्वारा दिखाए गए रास्ते पर खुद को फिर से समर्पित करने का आह्वान किया।
(आईएएनएस)
रांची, 27 अप्रैल । रांची लोकसभा सीट से पांच बार सांसद रहे पूर्व भाजपा नेता रामटहल चौधरी बीते 28 मार्च को कांग्रेस में शामिल हुए थे, लेकिन वहां एक महीने भी नहीं टिक पाए। उन्होंने शनिवार को पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया।
चौधरी ने कहा कि वे कांग्रेस में झंडा ढोने नहीं आए थे। उन्हें आश्वस्त किया गया था कि रांची सीट पर पार्टी उन्हें उम्मीदवार बनाएगी। लेकिन पार्टी ने वादाखिलाफी कर उसे उम्मीदवार बना दिया, जो जमानत तक नहीं बचा सकती।
उन्होंने कहा कि मैं मान सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं कर सकता।
बता दें कि कांग्रेस ने यहां पूर्व सांसद सुबोधकांत सहाय की पुत्री यशस्विनी सहाय को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद से ही चौधरी नाराज चल रहे थे।
रामटहल चौधरी ने दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी की सदस्यता ली थी। तब कांग्रेस के मीडिया कम्युनिकेशन विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा, पार्टी के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर, प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, सीएलपी लीडर आलमगीर आलम और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय भी मौजूद थे।
उस वक्त प्रेस कांफ्रेंस में चौधरी ने कहा था कि वह कांग्रेस की विचारधारा से प्रभावित होकर पार्टी में आए हैं।
इसके पहले, रामटहल चौधरी ने वर्ष 2019 में भाजपा का टिकट न मिलने के बाद पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा था। हालांकि उन्हें इस चुनाव में मात्र 29 हजार 597 मत हासिल हुए थे और उनकी जमानत जब्त हो गई थी।
क्या आप कांग्रेस छोड़ने के बाद चुनाव लड़ेंगे, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि वह कार्यकर्ताओं से सलाह लेने के बाद ही इस बारे में कोई फैसला लेंगे।
(आईएएनएस)
नालंदा, 27 अप्रैल । बिहार में नालंदा के कतरीसराय थाना क्षेत्र के तारा बीघा गांव में शौच के बाद तालाब में हाथ मुंह धोने गए तीन लोगों की करंट लगने से मौत हो गई।
मृतकों की पहचान पंकज राम, मिथुन राम और गुलशन कुमार के रूप में हुई है।
गुलशन कुमार शौच के बाद तालाब में हाथ मुंह धोने गए थे। इसके बाद वो करंट की चपेट में आ गए।
पंकज और मिथुन को लगा कि गुलशन तालाब में डूब रहा है, जिसके बाद दोनों उसे बचाने गए, लेकिन वो भी करंट की चपेट में आ गए।
मौके पर पहुंचे लोगों ने तीनों को विम्स में उपचार के लिए भर्ती करवाया। चिकित्सकों ने तीनों को मृत घोषित कर दिया।
उधर, पुलिस ने भी मामले को संज्ञान में लेने के बाद जांच तेज कर दी है।
पुलिस ने बयान जारी कर कहा कि मामले में कोताही बरतने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
(आईएएनएस)
शिवमोग्गा, 27 अप्रैल । कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस ने मतदाताओं को लुभाने के लिए गारंटियों की घोषणा की, लेकिन उसे पूरा करने में विफल रही। जनता सिद्धारमैया सरकार की गलत नीतियों और तुष्टिकरण की राजनीति से तंग आ चुकी है।
पत्रकारों से बात करते हुए विजयेंद्र ने कहा कि कांग्रेस राज्य में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 14 लोकसभा क्षेत्रों में 10 से 12 सीटें जीतने का सपना देख रही है, लेकिन रुझानों से मिले संकेत कांग्रेस को निराश करने वाले हैं।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने दावा किया कि भाजपा-जद(एस) के उम्मीदवार सभी 14 लोकसभा सीटों पर विजयी होंगे।
उन्होंने कहा, "एमसीए छात्रा नेहा हिरेमथ की हत्या और इस पर सरकार के रवैये से लोग गुस्से में हैं।"
(आईएएनएस)
अंगुल (ओडिशा), 27 अप्रैल ओडिशा के अंगुल जिले में शनिवार सुबह एक मोटरसाइकिल के ट्रक से टकरा जाने से तीन लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि यह दुर्घटना जिले के पंचमहला इलाके में राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच)-55 पर हुई।
उसने बताया कि हादसे में दोपहिया वाहन पर सवार तीनों लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि उनकी पहचान कृपा देहुरी (48), राजेंद्र प्रधान (21) और सुब्रत प्रधान (17) के रूप में हुई।
उसने बताया कि ये तीनों लोग अपने गांव डेरजंगा से अंगुल शहर आ रहे थे।
इस दुर्घटना से नाराज स्थानीय लोगों ने मृतकों के परिवारों को मुआवजा दिए जाने की मांग करते हुए कुछ देर के लिए राजमार्ग अवरुद्ध कर दिया।
पुलिस ने कहा कि उन्होंने ट्रक को जब्त कर लिया है और दुर्घटना के सही कारण का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है। (भाषा)
इटावा (उप्र) 27 अप्रैल इटावा जिले में दो अलग घटनाओं में गेहूं की मड़ाई के दौरान ‘थ्रेसर’ मशीन में फंसकर एक महिला की मौत हो गयी, वहीं एक युवक का हाथ कट गया। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी।
बकेवर थाना के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) राकेश कुमार शर्मा ने बताया कि थाना क्षेत्र के गांव सैदपुर खुर्द में शुक्रवार को खेतों पर गेहूं की ‘थ्रेसर’ से मड़ाई करते समय शीतला देवी (65) की साड़ी का पल्लू मशीन में फंस गया जिससे वह मशीन की चपेट में आ गयी और उसकी मौत हो गयी।
दूसरी घटना जसवंत नगर थाना क्षेत्र के फुलरई गांव में शुक्रवार को हुई, जब गांव निवासी अनिल कुमार ‘थ्रेसर’ मशीन से गेहूं की मड़ाई कर रहा था, उसी समय मशीन में फंसकर उसका हाथ कट गया। (भाषा)
जयपुर, 27 अप्रैल एक नए पश्चिमी विक्षोभ के असर से बीते 24 घंटे में राज्य के कई इलाकों में आंधी और बारिश दर्ज की गई।
मौसम केंद्र जयपुर के अनुसार इस दौरान सर्वाधिक बारिश जयपुर के जयपुर के चाकसू में 21 मिलीमीटर और बीकानेर के डूंगरगढ़ में चार मिलीमीटर दर्ज की गई है।
इसके अनुसार आगामी पांच से छह दिन अधिकांश भागों में मौसम मुख्यतः शुष्क रहने की संभावना है। श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ व आसपास के क्षेत्रों में आगामी 48 घंटे के दौरान आंशिक बादल छाए रहने और बूंदाबांदी की संभावना है।
इस दौरान अधिकतम तापमान में आज की तुलना में दो से तीन डिग्री सेल्सियस गिरावट होने की संभावना है।
एक और कमजोर पश्चिमी विक्षोभ के आंशिक प्रभाव से 29-30 अप्रैल को जोधपुर, बीकानेर संभाग के कुछ भागों में 25-30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली तेज सतही हवा चलने की संभावना है। (भाषा)
प्रयागराज, 27 अप्रैल इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह को अपहरण और फिरौती के एक मामले में मिली सजा पर रोक लगाने से शनिवार को इनकार कर दिया हालांकि अदालत ने उनकी जमानत मंजूर कर ली।
जौनपुर की एमपी-एमएलए अदालत ने नमामि गंगे परियोजना के प्रबंधक अभिनव सिंघल के अपहरण एवं फिरौती मांगने के 2020 के मामले में धनंजय सिंह और उनके साथी संतोष विक्रम सिंह को छह मार्च 2024 को सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी।
पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके साथी संतोष विक्रम सिंह ने जौनपुर की अदालत के फैसले को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने 24 अप्रैल को निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
धनंजय सिंह और उनके साथी संतोष विक्रम सिंह के खिलाफ जौनपुर के लाइन बाजार पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 364 (अपहरण), 386 (फिरौती), 506 (आपराधिक धमकी) और 120बी (षड़यंत्र) में मामला दर्ज किया गया था। (भाषा)
कोझिकोड (केरल), 27 अप्रैल केरल के कोझिकोड जिले में शनिवार सुबह पर्यटकों को ले जा रही एक बस अनियंत्रित होकर पलट गई, जिससे एक व्यक्ति की मौत हो गई और 13 अन्य घायल हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि बस तिरुवनंतपुरम से पड़ोसी राज्य कर्नाटक के उडुपी जा रही थी, उसी समय यह हादसा हुआ।
पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘संभवत: चालक को नींद की झपकी आने से यह हादसा हुआ है। चालक के नियंत्रण खोने के बाद बस नीचे जा गिरी।’’
उन्होंने बताया कि बस के नीचे फंसे होने के कारण एक यात्री को समय पर नहीं निकाला जा सका। हालांकि, बाद में उसे नजदीकी अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। (भाषा)
पोरबंदर (गुजरात), 27 अप्रैल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि यदि नरेन्द्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनते हैं तो वह देश से आतंकवाद एवं नक्सलवाद को खत्म कर देंगे और भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाएंगे।
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार मनसुख मांडविया के समर्थन में गुजरात के पोरबंदर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि जब अनुच्छेद 370 हटाया गया, तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस कदम का विरोध किया था और कहा था कि इसके कारण कश्मीर में खून की नदी बहेगी।
शाह ने कहा, ‘‘पिछले पांच साल में खून की नदी बहना तो दूर, किसी ने वहां पत्थर फेंकने की भी हिम्मत नहीं की। प्रधानमंत्री मोदी ने देश से आतंकवाद और नक्सलवाद को खत्म करने का काम किया। जब मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे, तो कोई भी पाकिस्तान से देश में प्रवेश कर सकता था और बम विस्फोट कर सकता था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब पाकिस्तान ने पुलवामा और उरी में आतंकवादी हमले किए, तो वह भूल गया कि उस समय मोदी प्रधानमंत्री थे। प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान की धरती पर आतंकवादियों को खत्म करने के लिए 10 दिन में सर्जिकल और हवाई हमले किए।’’
शाह ने देश से आतंकवाद और नक्सलवाद को खत्म करने के लिए लोगों से नरेन्द्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने देश को सुरक्षित करने और इसे समृद्ध बनाने के लिए काम किया है। कांग्रेस पार्टी अपने शासन के 10 साल में देश की अर्थव्यवस्था को 11वें स्थान पर ले आई थी। प्रधानमंत्री मोदी केवल 10 वर्ष में इसे पांचवें स्थान पर ले आए। मैं आपको गारंटी देता हूं कि उन्हें तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाइए और भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।’’ (भाषा)
ठाणे, 27 अप्रैल महाराष्ट्र के ठाणे जिले की पुलिस ने भिवंडी के एक होटल में छापेमारी कर इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) पर सट्टा लगाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया और तीन लोगों को गिरफ्तार किया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
पुलिस उपायुक्त शिवराज पाटिल ने शुक्रवार शाम एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ इस अभियान को ठाणे पुलिस की अपराध शाखा के विशेष कार्य बल और उगाही-निरोधक प्रकोष्ठ के अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से 25 अप्रैल को अंजाम दिया गया।’’
उन्होंने बताया कि इस गिरोह के एक अन्य सदस्य की तलाश की जा रही है। वह छत्तीसगढ़ से गिरोह को संचालित करता था।
पुलिस उपायुक्त ने कहा, ‘‘ पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ लोग आईपीएल क्रिकेट मैच पर सट्टा लगाने के लिए लोगों को फुसला रहे हैं। सूचना के आधार पर बृहस्पतिवार शाम सात बजकर 30 मिनट से 11 बजे के बीच भिवंडी के कोनगांव गांव के एक होटल में छापे मारे।’’
तीनों आरोपियों को ‘रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु’ और ‘सनराइजर्स हैदराबाद’ के बीच जारी मैच पर सट्टा लगाते हुए पकड़ा गया। अधिकारी ने कहा कि वे मोबाइल ऐप का उपयोग कर रहे थे और उन्होंने लोगों से कुल 11,86,811 रुपये वसूल किए थे।
उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में मौजूद चौथे आरोपी ने सट्टेबाजी के जरिए लोगों से 7,03,000 रुपये वसूल किए।
पाटिल ने कहा, ‘‘ तीनों ने फर्जी दस्तावेज से सिम कार्ड हासिल किए थे। छापेमारी के दौरान पुलिस ने उनके पास से 12 मोबाइल फोन, एक टैबलेट और एक लैपटॉप जब्त किया, जिनकी कुल कीमत 1.97 लाख रुपये है।’’
सहायक पुलिस आयुक्त शेखर बागडे ने बताया कि पुलिस ने चौथे आरोपी को पकड़ने के लिए एक अभियान शुरू किया है।
उन्होंने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान शन्नू ललित बेरिवाल (31), रजत बाबुला शर्मा (30) और विजय सीताराम देवगन (40) के रूप में हुई है।
अधिकारी ने बताया कि कोनगांव पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 465, 467, 468, 471 (सभी जालसाजी से संबंधित है) और 34 (साझा इरादा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। (भाषा)
नई दिल्ली, 27 अप्रैल । उत्तर पश्चिमी दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में शुक्रवार को एक महिला की गोली मारकर हत्या कर दी गई। नाबालिग आरोपी का महिला की नाबालिग बेटी से अफेयर चल रहा था। आरोपी और महिला दोनों एक ही इलाके में रहते थे।
जानकारी के मुताबिक, आरोपी ने महिला की गोली मारकर हत्या कर दी। महिला ने आरोपी के साथ अपनी बेटी के रिश्ते का विरोध किया था। इस विरोध से गुस्साए आरोपी ने अपने दो दोस्तों के साथ पिस्तौल खरीदी और वारदात को अंजाम दिया।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी सामने आया है। जिसमें दावा किया जा रहा है कि आरोपी ने अपराध करने से एक दिन पहले अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर पिस्टल और गोलियों की फोटो लगाई थी।
पीड़िता की पहचान सरिता शर्मा के रूप में हुई है। उसे जहांगीरपुरी में उसके घर के अंदर गोली मार दी गई।
आरोपी नाबालिग की पहचान कर ली गई है और वह फरार है।
पुलिस के मुताबिक मामला दर्ज कर आरोपियों को पकड़ने के लिए टीमें गठित कर दी गई हैं।
मृतका के परिजनों ने बताया कि सरिता की बेटी को नाबालिग आरोपी परेशान करता था। महिला ने उसकी इस हरकत का विरोध किया, जिसके बाद वह गुस्से में आ गया और उसने महिला को गोली मार दी।
महिला को उसके परिवार वाले बाबू जगजीवन राम अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
(आईएएनएस)
नैनीताल, 27 अप्रैल । उत्तराखंड में नैनीताल व आसपास के जंगलों में भीषण आग लगी है। सरकार ने आग पर काबू पाने के लिए एयरफोर्स का एमआई-17 हेलीकॉप्टर लगा दिया है।
हेलीकॉप्टर ने शनिवार सुबह भीमताल झील से पानी भरा और पाइंस क्षेत्र में आग बुझाई। इससे पहले भी साल 2019 और 2021 में अनियंत्रित आग पर काबू पाने के लिए एमआई-17 हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया गया था।
नैनीताल से लगे पाइंस, भूमियाधार, ज्योलीकोट, नारायणनगर, भवाली, रामगढ़, मुक्तेश्वर आदि के जंगल इन दिनों बुरी तरह से धधक रहे हैं।
इस साल बारिश कम होने के कारण सूखे जंगल जगह-जगह जल रहे हैं। दमकल विभाग और वन विभाग आग पर काबू पाने में लगा है। आग इतनी तेज है कि दोनों विभागों के अलावा आर्मी के जवान भी आग पर काबू पाने में जुट गए हैं।
मुख्यमंत्री और प्रशासन के आला अधिकारियों के बीच गहन बातचीत के बाद फैसला लिया गया कि आग पर काबू पाने के लिए एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर की मदद ली जाए।
इस मिशन के तहत एयरफोर्स का एमआई-17 हेलीकॉप्टर नैनीताल पहुंचा। सुबह हवा और पानी की व्यवस्था देखने के बाद लगभग 7 बजे हेलीकॉप्टर ने भीमताल झील से बकेट (बाल्टी) में पानी भरा और मिशन पर निकल गया।
एसडीएम प्रमोद कुमार ने बताया कि पाइंस से लेकर लड़िया कांटा के जंगलों में आग अनियंत्रित रूप से बढ़ रही है, जिसे बुझाने के लिए हेलीकॉप्टर को भेजा गया है।
बात दें कि इससे पहले भी वर्ष 2019 और 2021 में इसी तरह अनियंत्रित आग पर काबू पाने के लिए एमआई-17 हेलीकॉप्टर बुलाया गया था।
(आईएएनएस)
जौनपुर, 27 अप्रैल । पूर्व सांसद धनंजय सिंह को शनिवार को जौनपुर जिला कारागार से बरेली जेल में शिफ्ट किया गया। पुलिस के अनुसार, शासन के आदेश पर उन्हें शिफ्ट किया गया है। धनंजय बीते छह मार्च से जौनपुर के जिला कारागार में बंद थे।
पुलिस अधीक्षक डॉ. अजय पाल शर्मा ने बताया कि शासन के आदेश पर यह कार्रवाई की गई है। एंबुलेंस से पूर्व सांसद को लेकर बरेली जेल पुलिस पहुंची, जिसका वीडियो भी सामने आया है। इसमें कुछ लोग उनसे पूछ रहे हैं कि कुछ कहना है? वह कोई जवाब नहीं देते हैं।
धनंजय सिंह को अपहरण और रंगदारी के मामले में कोर्ट ने सजा सुनाई है। वादी अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में पूर्व सांसद समेत दो के खिलाफ अपहरण और रंगदारी की एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
इस मामले में पूर्व सांसद तीन महीने जिला कारागार में बंद रहे। इसके बाद उन्हें जमानत मिल गई। मामले में पुलिस ने विवेचना कर तीन महीने के भीतर कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया।
ज्ञात हो कि धनंजय सिंह को इंजीनियर अभिनव सिंघल के अपहरण और रंगदारी मामले में जौनपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने 6 मार्च को सात साल की सजा सुनाई। तब से वह जौनपुर जेल में बंद हैं। धनंजय सिंह के समर्थकों का कहना है कि जेल शिफ्ट करने को लेकर जेल प्रशासन ने अब तक कोई जानकारी नहीं दी है।
उन्होंने बताया की सुबह 6 बजे जब जेल के गेट पर गाड़ियां लगीं, तब हमें पता चला कि धनंजय सिंह को बरेली शिफ्ट किया जा रहा है। उनको बरेली जेल भेजने की चर्चा पिछले 5 दिनों से चल रही थी। जौनपुर में चुनाव को देखते हुए उनकी जेल बदली गई है।
गौरतलब है कि धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला को बसपा ने जौनपुर से टिकट दिया है। भाजपा ने यहां से महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है। कृपाशंकर सिंह ने 2021 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे।
(आईएएनएस)
जम्मू, 27 अप्रैल । जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में जमीन धंसने से दर्जनों घर नष्ट हो गए। इसके बाद शनिवार को 350 से ज्यादा लोगों ने अपने घर छोड़ दिए।
रिपोर्टों के अनुसार, रामबन-गूल रोड पर एक गांव में 30 घर पूरी तरह से नष्ट हो गए, 20 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए और 10 अन्य में बड़ी दरारें आ गईं।
घरों के नष्ट और क्षतिग्रस्त होने के बाद ये परिवार अब खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।
अधिकारी इन 350 लोगों को तंबू, पीने के पानी की सुविधा, स्वास्थ्य देखभाल, शौचालय, बिस्तर आदि उपलब्ध करा रहे हैं।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा, "वह व्यक्तिगत रूप से स्थिति पर नजर रख रहे हैं। जमीन धंसने का कारण पता लगाया जा रहा है।"
उन्होंने प्रभावित परिवारों को पुनर्वास, राहत और मुआवजा देने का आश्वासन दिया है।
रामबन के डीसी बसीर-उल-हक चौधरी ने कहा कि बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई है। रामबन-गूल मार्ग पर वाहनों की आवाजाही रोक दी गई है।
(आईएएनएस)
ऋषिकेश, 27 अप्रैल । कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा उत्तराखंड के ऋषिकेश गंगा आरती करने पहुंचे। रॉबर्ट वाड्रा आध्यात्मिक यात्रा के अंतर्गत शुक्रवार को ऋषिकेश पहुंचे थे। गंगा आरती के अलावा वो भजन में भी शामिल हुए।
उनके साथ कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष राजपाल सिंह खरोला, एआईसीसी सदस्य जयेंद्र रमोला, कांग्रेस के जिला अध्यक्ष मोहित उनियाल, अंशुल अरोड़ा भी ऋषिकेश पहुंचे।
गंगा आरती के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “मैं 1999 से ही राजनीति में सक्रिय हूं। स्मृति ईरानी ने वहां कोई काम नहीं किया है, वहां की जनता चाहती है कि मैं चुनाव लड़ूं।”
बीते दिनों अमेठी में कांग्रेस कार्यालय पर रॉबर्ट वाड्रा के पोस्टर लगाए गए थे जिनमें उनसे यहां से चुनाव लड़ने की मांग की गई थी। ये पोस्टर किसने लगाए थे, इसकी जानकारी सामने नहीं आई थी।
इसके बाद अमेठी पहुंचीं स्मृति ईरानी ने कहा, "अगर रॉबर्ट वाड्रा अमेठी आने में सफल हुए, तो आप लोगों को अपने कागजात छुपाने होंगे, क्योंकि उनकी नजर आपके कागजों पर है।"
बीजेपी अमेठी में स्मृति ईरानी को चुनावी मैदान में उतार चुकी है, जबकि दूसरे चरण का मतदान संपन्न होने के बावजूद अभी तक कांग्रेस ने इस अहम सीट पर अपने किसी भी प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है।
बीते दिनों खबर आई थी कि कांग्रेस यहां से राहुल गांधी पर दांव आजमा सकती है।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 अप्रैल । दिल्ली के रोहिणी इलाके में शनिवार सुबह दो मंजिला एक मकान के ऊपरी हिस्से में आग लग गई। आग लगने की सूचना फायर ब्रिगेड को दी गई। मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की पांच गाड़ियों ने कड़ी मेहनत के बाद आग पर काबू पाया।
इस दौरान फायर कर्मचारी ने मकान में फंसे दो लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया।
मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के रोहिणी इलाके के सेक्टर-14 स्थित मिलनसार अपार्टमेंट में शनिवार सुबह अचानक दो मंजिला मकान के ऊपरी हिस्से में भीषण आग लग गई।
दमकल विभाग को सुबह 6 बजे आग लगने की जानकारी मिली।
सूचना के बाद मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की गाड़ी ने आग पर काबू पाना शुरू किया।
दमकल कर्मियों को पता चला कि अंदर कुछ लोग भी फंसे हुए हैं। फिर अधिकारियों ने घर की बालकनी से सीढ़ी लगाकर दो लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला।
पांच दमकल की गाड़ियों ने दो घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया।
आग लगने के कारणों का अभी पता नहीं चल सका है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
(आईएएनएस)
पटना, 27 अप्रैल । बिहार की राजनीति में अपनी खास पहचान बना चुके सम्राट चौधरी की पहचान एक आक्रामक, बेबाक नेता के रूप में है। भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद वो उप मुख्यमंत्री की कुर्सी भी संभाल रहे हैं। आईएएनएस ने उनसे खास बातचीत की। उन्होंने कहा कि अब राजनीति के तौर तरीके में काफी बदलाव आ गया है। अब रिपोर्ट कार्ड के आधार पर चुनाव जीते जाते हैं।
प्रस्तुत है बातचीत के कुछ अंश:
सम्राट चौधरी ने कहा कि पहले के चुनावों में जाति, अगड़े, पिछड़े, जातीय समीकरण की बात होती थी, लेकिन तब से गंगा में काफी पानी बह गया है। अब लोग आपके रिपोर्ट कार्ड, आपकी नीतियों और आपके द्वारा किये गये कार्यों का लेखा जोखा देखते हैं और तब वोट करते हैं।
उन्होंने कहा कि कोई भी पार्टी अब किसी जाति को वोट बैंक का दावा नहीं कर सकती। पिछले चुनाव में 39 सीटों पर एनडीए के प्रत्याशी विजयी हुए थे। यह परिणाम इसकी तस्दीक करते हैं।
उप मुख्यमंत्री ने दावा किया कि इस चुनाव में बिहार में एनडीए ने 40 की 40 सीटों पर जीतने का लक्ष्य रखा है और बिहार की जनता मोदी जी के साथ खड़ी है और हम लोगों को 40 सीट पर जीत दिलवाएगी। इसमें किसी को गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ चुनाव में उतरने में किसी प्रकार के घाटे के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह कोई नया गठबंधन नहीं है, हम लोग पहले भी सरकार चला चुके हैं और चुनाव लड़ चुके हैं। हमारा गठबंधन उनकी नीतियों और सिद्धांतों को देखकर हुआ है।
मोदी के नाम पर वोट के विषय में पूछे जाने पर चौधरी ने सधे अंदाज में कहा कि लोकसभा का चुनाव हम सभी एक गठबंधन के तहत मोदी जी के नेतृत्व में ही लड़ रहे हैं। उनके नेतृत्व को सभी ने स्वीकार किया है, तभी तो गठबंधन हुआ है। मोदी जी के नाम पर ही वोट मांगेंगे। पिछला विधानसभा चुनाव हमलोगों ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा था।
कई सीटों पर उम्मीदवारों को लेकर नाराजगी या टिकट नहीं मिलने को लेकर नाराजगी से जुड़े प्रश्न पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा का नेतृत्व जो भी फैसला लेता है, उसका हम सभी कार्यकर्ता पालन करते हैं। यह कोई परिवार की पार्टी नहीं है कि सीधे सिंगापुर से टूरिस्ट बेटी को चुनाव मैदान में उतार दिया जाए। यहां काम करने वालों को प्राथमिकता दी जाती है।
बिहार के दिग्गज नेता शकुनी चौधरी के बेटे सम्राट स्पष्ट रूप से कहते हैं कि भाजपा में किसी प्रकार के सामाजिक समीकरणों को साधने के लिए कार्य नहीं किये जाते हैं। आज आप खुद देख लीजिए जातियों के नाम पर राजनीति करने वाले, तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले राजनीति में कहां हैं?
इधर, राजद के नेता द्वारा तेजस्वी यादव द्वारा नौकरी को मुद्दा बनाने पर चौधरी ने कहा कि आप खुद सोचिए कि क्या किसी सरकार में उप मुख्यमंत्री नौकरी देते हैं। राज्य सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री होते हैं। बिहार विधानसभा चुनाव के बाद एनडीए की सरकार बनने के बाद से ही नौकरी, रोजगार को लेकर काम चल रहा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी मंच से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरी जैसे विरोधियों के आरोपों को लेकर उन्होंने कहा कि मुंगेर की सभा में भी दोनों नेता एक मंच पर थे। दरअसल विरोधियों के पास कोई मुद्दा नहीं है। ये लोगों को कभी संविधान खत्म, लोकतंत्र समाप्त, आरक्षण समाप्त करने की बात कर लोगों को बरगलाना चाहते हैं।
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि ऐसा कोई कर सकता है क्या? दरअसल, राजद, कांग्रेस को न संविधान पर विश्वास है, न लोकतंत्र पर, न कार्यकर्ताओं पर, नाही जनता पर, इनको केवल अपने परिवार पर विश्वास है।
(आईएएनएस)
सौतिक बिस्वास
दशकों से भारत एक ऐसा देश रहा है जहां लोग कमाई का एक बड़ा हिस्सा भविष्य के लिए बचाकर रख लेते हैं.
लेकिन अब इसमें बदलाव दिखाई दे रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक के हालिया आंकड़ों के मुताबिक़ भारत में शुद्ध घरेलू बचत 47 साल के निचले स्तर पर है.
किसी परिवार के कुल धन और निवेश में से उसका कर्ज और उधारी अगर घटा दी जाए तो उसे शुद्ध घरेलू बचत कहते हैं.
वित्तीय वर्ष 2023 में बचत घटकर सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का 5.3 प्रतिशत हो गई है जो साल 2022 में 7.3 प्रतिशत थी. इस गिरावट को एक अर्थशास्त्री ने बहुत चिंताजनक बताया है.
इसी अवधि में घरेलू कर्ज के मामले में तेज उछाल आया है. सालाना कर्ज, जीडीपी का 5.8 प्रतिशत हो गया है, जो 1970 के बाद दूसरा उच्चतम स्तर है.
जैसे-जैसे लोग घर चलाने के लिए कर्ज ले रहे हैं, उनकी बचत कम होती जा रही है. ज्यादा उधारी के मामलों में परिवार के सामने मुश्किल यह है कि उन्हें कमाई का एक हिस्सा उस उधारी और उसके कर्ज को चुकाने में खर्च करना पड़ रहा है. ऐसी स्थिति में परिवार के पास बचत के लिए बहुत कम पैसे बचते हैं.
क्यों बढ़ रहा है कर्ज
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के साथ काम करने वाले अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता का कहना है कि भारत के बढ़ते घरेलू कर्ज का एक बड़ा हिस्सा नॉन मॉर्गेज लोन है. इनमें से आधे से ज्यादा कर्ज कृषि और बिजनेस से जुड़े हैं.
दिलचस्प बात यह है कि 2022 में भारत नॉन मॉर्गेज लोन के मामले में ऑस्ट्रेलिया और जापान के बराबर आ गया और उसने अमेरिका और चीन सहित कई प्रमुख देशों को पीछे छोड़ दिया.
गुप्ता का कहना है कि क्रेडिट कार्ड, शादी और हेल्थ इमरजेंसी के लिए कर्ज, कुल घरेलू कर्ज का 20 प्रतिशत से कम है, लेकिन यह सबसे तेजी से बढ़ने वाला सेगमेंट था.
तो कम बचत और ज्यादा कर्ज की यह स्थिति हमें दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के बारे में क्या बताती है?
क्या बढ़ता कर्ज और खर्च भविष्य के लिए अच्छा है? या फिर यह घटती आय, महंगाई और आर्थिक तनाव जैसी चुनौतियों की चेतावनी दे रहा है?
अर्थशास्त्री गुप्ता कहते हैं, "उपभोक्ताओं को कुछ हद तक विश्वास है. ऐसे कई भारतीय हैं जिन्हें उम्मीद है कि भविष्य में वे ज्यादा पैसे कमा पाएंगे. या फिर वे भविष्य में क्या होगा इसके बारे में सोचने के बजाय वर्तमान में एक अच्छा जीवन जीना चाहते हैं."
क्या ज्यादा खर्च करने को लेकर भारतीयों की मानसिकता बदली है? गुप्ता कहते हैं, "हो सकता है लेकिन यह साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि ऐसा क्यों हो रहा है?"
मुश्किल वित्तीय स्थिति में कर्ज लेने के बारे में क्या कहा जा सकता है? लंबे समय से चली आ रही कठिन वित्तीय स्थिति व्यक्ति को लोन डिफॉल्टर बना सकती है. दूसरी तरफ अगर कर्ज देने वाला अपना काम अच्छे से कर रहे हैं तो वे वित्तीय संकट में फंसे ऐसे लोगों को कर्ज देना क्यों जारी रखेंगे, जिन्हें क्रेडिट रेटिंग भी अच्छी नहीं है?
गुप्ता के मुताबिक़, उधारकर्ताओं पर आधिकारिक डेटा में विवरण की कमी एक प्रमुख समस्या है. कर्ज लेने वाले किस तरह की नौकरियां करते हैं? कितने लोगों ने कितना लोन ले रखा है? (एक व्यक्ति कई तरह के लोन ले सकता है) व्यक्ति लोन लेने के बाद उस पैसे का क्या कर रहा है? कर्ज चुकाने को लेकर उसका रिकॉर्ड कैसा है?
भारत के लिए क्या चिंताजनक है?
कुछ बातें हमारे सामने हैं. मोतीलाल ओसवाल के गुप्ता और उनकी साथी अर्थशास्त्री तनीषा लढ़ा ने पाया कि पिछले दशक में कर्ज की उपलब्धता ने घरेलू कर्ज को बढ़ाने का काम किया है.
उनका कहना है कि पिछले दशक में कर्ज लेने वालों की संख्या बढ़ी है. किसी एक व्यक्ति का बड़ा लोन लेने की बजाय ज्यादा लोगों का कर्ज लेना बेहतर स्थिति है.
उन्होंने पाया कि भारतीय परिवारों की कर्ज सेवा अनुपात यानी डेट् सर्विस रेशियो करीब 12 प्रतिशत है, जो नॉर्डिक देशों के जैसी है. ये अनुपात चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों से ज्यादा है. इन सभी देशों में घरेलू कर्ज का स्तर ज्यादा है.
यह फर्क इसलिए है क्योंकि भारत में कर्ज की दर ज्यादा और अवधि कम है, जिसकी वजह से अपेक्षाकृत डीएसआर ज्यादा है.
सितंबर में भारत के वित्त मंत्रालय ने बचत कम होने और कर्ज बढ़ने की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा था लोग कोरोना के बाद कम ब्याज दरों को फायदा उठा रहे हैं और कार, शिक्षा और घर खरीदने के लिए लोन ले रहे हैं.
इसके अलावा मंत्रालय का कहना है कि ज्यादा लोग घर और कार जैसे चीजों को खरीदने के लिए कर्ज ले रहे हैं, जो किसी संकट का संकेत नहीं है बल्कि यह भविष्य में रोजगार और बढ़ती आय की संभावना से भरा हुआ है.
हालाँकि, अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के जिको दासगुप्ता और श्रीनिवास राघवेंद्र चिंता जताते हैं.
दोनों अर्थशास्त्री द हिंदू अखबार में लिखते हैं कि बचत में गिरावट ने कर्ज को चुकाने से जुड़ी चिंताओं को बढ़ाने का काम किया है.
इसके अलावा अर्थशास्त्री रथिन रॉय जैसे लोगों ने जी 20 देशों में सबसे कम प्रति व्यक्ति आय वाले देश में कर्ज लेने पर बढ़ती निर्भरता को लेकर चिंता जाहिर की है.
उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड में लिखा है कि सरकार बुनियादी सेवाओं और सब्सिडी के लिए उधार लेती है, जबकि परिवार सुख सुविधा से जुड़ी चीजों को खरीदने के लिए लोन ले रहे
अर्थशास्त्री गुप्ता और लढ़ा का मानना है कि एक वर्ष में उधार लेने का मौजूदा उच्च स्तर भारत की वित्तीय या व्यापक तौर पर आर्थिक स्थिरता को खतरे में नहीं डालता है लेकिन अगर ऐसा ही बना रहा तो इससे मुश्किलें पैदा हो सकती हैं.
बिजनेस कंसल्टेंट रमा बिजापुरकर ने अपनी नई किताब लिलिपुट लैंड में लिखा है कि भारत का उपभोक्ता एक ऐसे चौराहे पर खड़ा है जहां वह बेहतरीन जिंदगी जीने के सपने देख रहा है लेकिन उसके पास घटिया सार्वजनिक सुविधाएं और इंफ्रास्ट्रक्चर है और उसकी आय कम है और वो भी अस्थिर है.
दूसरे शब्दों में भारतीय उपभोक्ता इन चीजों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश में लगा हुआ है. (bbc.com)
मंडी, 27 अप्रैल । मंडी लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी कंगना रनौत ने पन्ना प्रमुख सम्मेलन में कांग्रेस सरकार से सवाल किया कि प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए केंद्र द्वारा दिए गए 1800 करोड़ रुपए कहां गए?
कंगना ने आरोप लगाया, "प्रदेश सरकार की खराब नीति की वजह से यह पैसा प्रभावित लोगों तक नहीं पहुंचा।"
हालांकि, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी नुकसान का जायजा लेने आए थे।
कंगना ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “कांग्रेस ने सत्ता का दुरुपयोग कर टू-जी, फोर-जी, चारा और ना जाने कितने घोटाले किए। कांग्रेस को प्रदेश की जनता के हितों से कोई सरोकार नहीं है, बल्कि यह पार्टी हमेशा से ही जनता के हितों पर कुठाराघात करने में माहिर है।”
अभिनेत्री ने कहा, “कांग्रेस ने सत्ता में रहते समय सीमा पर सड़क निर्माण करने से गुरेज किया, जिसका नतीजा यह हुआ कि सीमावर्ती इलाकों में विकास नहीं हो सका, मगर आज मोदी सरकार के नेतृत्व में चौतरफा विकास हो रहा है।”
कंगना ने कहा, “केंद्र की मोदी सरकार महिलाओं को लेकर हमेशा से ही संवेदनशील रही है। मोदी सरकार ने राजनीति में महिलाओं को आरक्षण दिलाने का मार्ग प्रशस्त किया, लेकिन कांग्रेस ने इसका विरोध किया, क्योंकि कांग्रेस के लोग नहीं चाहते थे कि इस देश की महिलाओं की तरक्की हो।”
बता दें, कंगना को बीजेपी ने मंडी लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने इस सीट पर विक्रमादित्य सिंह पर दांव लगाया है।
(आईएएनएस)
बेगूसराय, 27 अप्रैल । केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय संसदीय क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी गिरिराज सिंह ने शनिवार को कांग्रेस और राजद पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस मुसलमानों के लिए हिंदुओं की हकमारी कर रही है।
उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि कर्नाटक में जहां ओबीसी का अधिकार छीनकर मुसलमानों को दे दिया जा रहा है, उस पर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव चुप क्यों हैं।
पत्रकारों से चर्चा करते हुए गिरिराज सिंह ने कहा कि एक तरह से कांग्रेस मुसलमानों के लिए हिंदुओं का गला काट रही है। कांग्रेस चाहती है कि देश में गृह युद्ध हो जाए।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक में मुसलमानों को ओबीसी का दर्जा देकर कांग्रेस क्या चाहती है। कर्नाटक में जहां ओबीसी के साथ हकमारी की जा रही है, इस मुद्दे पर लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव चुप क्यों है।
सिंह ने कहा कि कांग्रेस जिस तरह की राजनीति कर रही है, वह तुष्टिकरण की पराकाष्ठा है।
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि आज मुसलमान अल्पसंख्यक नहीं बहुसंख्यक है। मुसलमानों को अब अल्पसंख्यक कहना हिंदुओं के साथ नाइंसाफी है।
(आईएएनएस)
श्रीनगर, 27 अप्रैल । उत्तर कश्मीर में कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा से हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक स्वयंभू फकीर ने 60 साल की महिला की कुल्हाड़ी मारकर हत्या कर दी। पुलिस ने शनिवार को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने बताया कि गुलाम रसूल उर्फ लस्सा बाब नाम के एक स्वयंभू फकीर ने शुक्रवार को हंदवाड़ा तहसील के चोगल गांव में अपने कमरे में 60 वर्षीय एक महिला की कुल्हाड़ी मारकर हत्या कर दी।
फकीर को गिरफ्तार कर लिया गया है। कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। डॉक्टरों ने कहा है कि तथाकथित फकीर पागल आदमी है।
इस घटना से पूरी घाटी में सदमे की लहर दौड़ गई। भरोसेमंद लोग, ज्यादातर महिलाएं, ऐसे लोगों से मदद मांगने जाते थे।
(आईएएनएस)
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के जरिए पड़े वोटों के साथ वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) की पर्चियों के 100 फीसदी मिलान की याचिका पर अपना फैसला सुना दिया है. लोकसभा चुनाव के बीच कोर्ट का फैसला आया है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम से डाले गए वोटों को वीवीपीएटी की पर्चियों से 100 फीसदी मिलान की मांग वाली याचिकाएं खारिज कर दी हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) का इस्तेमाल करके डाले गए वोटों का वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल या वीवीपीएटी के साथ पूर्ण क्रॉस-सत्यापन की मांग करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया और चुनावों के लिए बैलेट पेपर सिस्टम में वापसी की मांग वाली याचिका को भी खारिज कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने मामले में सहमति से दो फैसले सुनाए. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र का अर्थ सद्भावना बनाना है और मतदान प्रक्रिया पर आंख मूंद कर अविश्वास करना अनुचित संदेह को जन्म दे सकता है.
फैसला सुनाते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा कि अदालत ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिसमें चुनावों में बैलेट पेपरों का इस्तेमाल करने की मांग करने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के लिए दो निर्देश जारी किए. कोर्ट ने कहा कि ईवीएम में सिंबल लोड करने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) को सील करके कंटेनर में सुरक्षित किया जाना चाहिए. उम्मीदवार और उनके प्रतिनिधि मुहर पर हस्ताक्षर करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसएलयू वाले सीलबंद कंटेनरों को नतीजों की घोषणा के बाद कम से कम 45 दिनों तक ईवीएम के साथ स्टोररूम में रखा जाएगा.
अदालत ने चुनाव नतीजों के बाद दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाले उम्मीदवारों के अनुरोध पर निर्माता द्वारा ईवीएम के माइक्रोकंट्रोलर के सत्यापन की अनुमति दी है.
अदालत ने यह भी कहा कि ईवीएम के माइक्रोकंट्रोलर के सत्यापन के लिए शुल्क का भुगतान करके चुनाव नतीजे घोषित होने के सात दिनों के भीतर अनुरोध किया जा सकता है. अगर ईवीएम में छेड़छाड़ पाई जाती है तो फीस लौटाई जाएगी.
इसके साथ ही कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि क्या पर्चियों की गिनती के लिए इलेक्ट्रॉनिक मशीनें इस्तेमाल हो सकती हैं और क्या चुनाव चिन्ह के साथ-साथ प्रत्येक पार्टी के लिए एक बार कोड भी हो सकता है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और सामाजिक कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल ने कोर्ट में याचिका दायर कर ईवीएम के वोटों और वीवीपैट पर्चियों के 100 फीसदी की मिलान की मांग की थी.
क्या थी मांग
फैसले के बाद एडीआर के वकील प्रशांत भूषण ने कहा, "हम लोगों का यह कहना था, ये ईवीएम जो है इनमें एक मेमरी होती है. इसलिए इसमें छेड़छाड़ हो सकती है. और इस वजह से यह जरूरी है कि जो वीवीपैट है उसकी जांच होनी चाहिए. जो पर्ची निकलती है उन सभी पर्चियों की गिनती करनी चाहिए."
उन्होंने आगे कहा, "कोर्ट ने हमारी याचिकाओं को खारिज किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनाव आयोग ये जांच करे, सारे बैलेट पेपर पर हम बार कोड डाल दें तो उसकी मशीन के जरिए गिनती हो सकती है या नहीं."
फिलहाल वीवीपैट वेरिफिकेशन के तहत विधानसभा क्षेत्र के सिर्फ पांच मतदान केंद्रों में ईवीएम से पड़े वोटों और वीवीपैट पर्ची का मिलान किया जाता है. अप्रैल की शुरुआत में जब इस मामले की सुनवाई हो रही थी तब सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में सिर्फ पांच अनियमित रूप से चुने ईवीएम को सत्यापित करने के बजाय सभी ईवीएम वोट और वीवीपैट पर्चियों की गिनती की मांग करने वाली याचिका पर केंद्रीय चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था.
ईवीएम को लेकर भारत में सवाल उठते रहे हैं लेकिन चुनाव आयोग हर बार यह कहता आया है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए ईवीएम बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
ईवीएम पर उठते सवाल
ईवीएम को लेकर जब राजनीतिक दल सवाल उठाने लगे तो चुनाव आयोग ने वीवीपैट को चुनावों में पेश किया. दरअसल इस वीवीपैट की मदद से मतदाता यह देख पाता है कि उसका वोट सही तरीके से पड़ा है या नहीं. जब वोटर अपना वोट डाल देता है तो वीवीपैट से एक पर्ची निकलती है और वह बॉक्स में गिर जाती है. उस पर्ची पर वोटर ने जिस पार्टी को वोट दिया है उसका चुनाव चिन्ह दर्ज होता है. विवाद होने पर पर्ची को निकाला भी जाता है और उसे वेरिफाई किया जाता है.
सबसे पहले वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल 2013 में नागालैंड विधानसभा चुनाव में हुआ था. 2014 के लोकसभा चुनावों में भी कुछ सीटों पर इस मशीन का इस्तेमाल हो चुका है. 2019 के लोकसभा चुनाव में इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया था. (dw.com)
पश्चिम बंगाल के पर्वतीय क्षेत्र दार्जिलिंग में लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारण पर्यावरण पर बढ़ते खतरे को लेकर चिंताएं तो लंबे समय से जताई जा रही थी. लेकिन अब तक यह कोई चुनावी मुद्दा नहीं बन सका था.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट-
पहली बार इस बार के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल के पर्वतीय क्षेत्र दार्जिलिंग में कुछ राजनीतिक दलों ने पर्यावरण संतुलन को अपना मुद्दा बनाते हुए संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग की है. कुछ महीने पहले आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि बढ़ते प्रदूषण के कारण पर्वतीय इलाके की हवा की गुणवत्ता काफी खराब हो चुकी है. इस सीट पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान है.
लगातार बढ़ते प्रदूषण के बीच पर्यावरण का मुद्दा राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणापत्र में कभी तरजीह नहीं पा सका है. लेकिन हाल ही में लद्दाख में सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल और आंदोलन ने अब दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में भी इस मुद्दे को हवा दी है. पहाड़ियों की रानी के नाम से मशहूर इस पर्वतीय क्षेत्र में पहले पर्यावरण कभी मुद्दा नहीं रहा. लेकिन इस बार यहां भी स्थानीय दलों ने इसे मुद्दा बनाया है.
लद्दाख के आंदोलन से मिला बल
कांग्रेस के उम्मीदवार मुनीश तामंग के अलावा स्थानीय हामरो पार्टी के अध्यक्ष अजय एडवर्ड सोनम वांगचुक अजय एडवर्ड सोनम वांगचुक के अनशन की वीडियो के साथ इलाके में प्रचार करती रही है. इसें लद्दाख और दार्जिलिंग को एक श्रेणी में रखते हुए इलाके को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग उठ रही है.
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के जाने-माने पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पूर्ण राज्य और संविधान की छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर कड़ी सर्दी में करीब 21 दिनों तक अनशन किया था. उन्होंने सीमा तक मार्च की भी योजना बनाई थी. लेकिन केंद्र से टकराव टालते हुए उन्होंने उस मार्च को स्थगित कर दिया था.
बीजेपी ने साल 2019 के अपने चुनावी घोषणापत्र में और बीते वर्ष लद्दाख हिल काउंसिल चुनाव के में भी लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने का वादा किया था. वांगचुक का आरोप है कि पार्टी अब बीजेपी इन वादों से मुकर रही है.
यहां इस बात का जिक्र जरूरी है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 की छठी अनुसूची स्वायत्त प्रशासनिक प्रभागों में स्वायत्त जिला परिषदों के गठन का प्रावधान करती है. इन परिषदों के पास एक राज्य के ढांचे के भीतर ही भीतर कुछ विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक अधिकार होते हैं.
सोनम वांगचुक का कहना था कि वो लद्दाख की पहाड़ियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं. छठी अनुसूची स्थानीय संस्कृति को बचाने के लिए रक्षा कवच का काम करती है.
दार्जिलिंग में पर्यावरण प्रदूषण
हर साल लगातार बढ़ती पर्यटकों की भीड़ ने इलाके में बड़े पैमाने पर प्रदूषण को बढ़ावा दिया है. इन पर्यटकों की रिहाइश के लिए बेतरबी तरीके से होने वाले निर्माण के कारण भारी तादाद में जंगल साफ हो रहे हैं. इसका असर अब आम लोगों के जीवन पर भी नजर आने लगा है. अब कांग्रेस और हामरो पार्टी लद्दाख की तर्ज पर ही दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र को बचाने के लिए इस इलाके को भी छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रही है. वैसे तो नब्बे के दशक में गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) के तत्कालीन प्रमुख सुभाष घीसिंग भी लगातार यह मांग उठाते रहे थे. लेकिन केंद्र ने इसे कोई तवज्जो नहीं दी.
अजय एडवर्ड और मुनीश तामंग सोमन वांगचुक के अनशन के दौरान लद्दाख में उनसे मुलाकात कर आंदोलन के प्रति अपना समर्थन जताया था. वहां से लौटने के बाद दिल्ली में इन दोनों नेताओं ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था. अजय की पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है. मुनीश गोरखा परिसंघ से नाता तोड़ कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं. अजय बताते हैं, "दार्जिलिंग और लद्दाख की मांग समान है. इन दोनों इलाकों में केंद्र लगातार झूठा भरोसा देती रही है. लेकिन अब तक उसे अमली जामा नहीं नहीं पहनाया जा सका है. हमने छठी अनुसूची की मांग में लोगों से कांग्रेस का समर्थन करने की अपील की है."
कांग्रेस उम्मीदवार मुनीश तामंग सोनम के भाषण का जिक्र करते हुए कहते हैं, "बीते तीन लोकसभा चुनाव में यहां से लगातार जीतने वाली बीजेपी सिर्फ खोखले वादे करती रही है. इलाके की समस्याओं का समाधान और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को पूरा करना तो दूर की बात है. अब तक पर्वतीय इलाके में विकास का तमाम काम केंद्र की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान ही हुआ है." अपनी मांगों के समर्थन में इंडिया गठबंधन के तमाम सहयोगी दल पर्वतीय इलाकों की मांग के समर्थन में साझा रैली निकालते रहे हैं.
नागरिकों के जीवन पर कैसा असर
अब इलाके के होम स्टे मालिकों ने भी इलाके को प्रदूषण-मुक्त करने और तेजी से बढ़ते पर्यावरण असंतुलन को नियंत्रित करने की दिशा में ठोस पहल करने की मांग उठाई है. दार्जिलिंग में एक होम स्टे के मालिक अनूप मुखिया कहते हैं, "यहां आने वाले पर्यटक अब होटलों की बजाय होम स्टे में रहने को तरजीह देते हैं. इससे हजारों लोगों की रोजी-रोटी चलती है और सरकार की भी आमदनी होती है. लेकिन इलाके में पानी की बढ़ती समस्या और पर्यावरण संतुलन की ओर किसी का ध्यान नहीं है. लगातार बढ़ते प्रदूषण और दूसरी समस्याओं के कारण पर्यटक अब देश के दूसरे पर्वतीय पर्यटन केंद्रों का रुख करने लगे हैं."
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर बंगाल और सिक्किम में करीब 12 हजार होम स्टे हैं. इनमें से सबसे ज्यादा 3,338 कालिम्पोंग जिले में ही हैं. दार्जिलिंग और कालिम्पोंग में सरकारी की अनुमोदित होम स्टे की तादाद 18 सौ से कुछ ज्यादा है.
बीते साल एक रिपोर्ट में कहा गया था कि मिथक के विपरीत दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता राष्ट्रीय औसत के मुकाबले कम है. कोलकाता स्थित बोस इंस्टीट्यूट के एसोसिएट प्रोफेसर अभिजीत चटर्जी, संस्थान की एक शोधकर्ता मोनामी दत्त और आईआईटी खड़गपुर के शोधकर्ता अभिनंदन गोष ने वर्ष 2009 से 2021 यानी करीब 13 साल लंबे अध्ययन के बाद बीते साल अपनी रिपोर्ट में यह बात कही थी.
पर्यावरण कार्यकर्ताओं की पहल
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 50 से ज्यादा पर्यावरण संगठन और कार्यकर्ताओं के फोरम सबूज मंच ने 32 पेज का एक हरित घोषणा पत्र जारी करते हुए तमाम राजनीतिक दलों से पर्यावरण और बढ़ते प्रदूषण को मुद्दा बनाने की अपील की थी. गठन का कहना है कि तमाम राजनीतिक दलों के घोषमापत्रों में पर्यावरण जैसे बेहद अहम मुद्दा गायब है. संगठन के सचिव नब दत्त कहते हैं कि बीते 15 वर्षों के दौरान तस्वीर में ज्यादा बदलाव नहीं आया है. तमाम राजनीतिक दलों ने इस अहम मुद्दे को हाशिए पर धकेल दिया है.
सबूज मंच के उपाध्यत्र और सिलीगुड़ी स्थित गैर-सरकारी संगठन हिमालयन नेचर एंड एडवेंचर फाउंडेशन के प्रमुख अनिमेष बोस कहते हैं, "उत्तर बंगाल में रोजगार के दो प्रमुख क्षेत्रों चाय और पर्यटन को बचाने के लिए पर्यावरण को बचाना सबसे जरूरी है. राजनीतिक दल जितनी जल्दी इस हकीकत को स्वीकार कर लेंगे, इलाके के भविष्य के लिए उतना ही बेहतर होगा."
वह कहते हैं कि दार्जिलिंग में पहली बार कांग्रेस और हामरो पार्टी ने पर्यावरण के लिए आवाज तो उठाई है. इसका क्या और कितना असर होगा यह तो बाद में पता चलेगा. लेकिन मुख्यधारा के तमाम दलों को भी इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए.
पश्चिम बंगाल में पर्वतीय क्षेत्र दार्जिलिंग संसदीय सीट बीते तीन बार से भाजपा ही जीतती रही है. लेकिन अकेले अपने बूते नहीं बल्कि स्थानीय गोरखा पार्टियों के समर्थन से. अबकी बार भी भाजपा ने पिछले विजेता राजू विस्टा को दोबारा मैदान में उतारा है. इस सीट पर भाजपा के राजू विस्टा का मुकाबला तृणमूल कांग्रेस के गोपाल लामा से है.
दार्जिलिंग उन गिनी-चुनी सीटों में से है जहां तृणमूल कांग्रेस कभी जीत नहीं सकी है. जहां तक मुद्दों का सवाल है अलग गोरखालैंड की दशकों पुरानी मांग के अलावा इलाके में बढ़ता प्रदूषण और चाय बागान उद्योग की समस्याएं ही सबसे बड़े मुद्दे के तौर पर सामने आए हैं. इसके अलावा इलाके का विकास और पीने के पानी के संकट के साथ अंधाधुंध शहरीकरण पर अंकुश लगाने जैसे मुद्दे भी उठाए जा रहे हैं.
कहां है अलग गोरखालैंड की मांग का मुद्दा
दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में चुनाव चाहे लोकसभा का हो या फिर विधानसभा का, हर बार अलग गोरखालैंड की मांग एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनती रही है. इस बार भी अपवाद नहीं है. बीजेपी उम्मीदवार राजू विस्टा दावा करते हैं कि अगले पांच साल में इस समस्या का स्थायी राजनीतिक समाधान हो जाएगा. लेकिन वह समाधान क्या होगा, राजू इसका खुलासा नहीं करते.
गोरखा समुदाय के नेता विमल गुरुंग, जो इस चुनाव में भाजपा का समर्थन कर रहे हैं कहते हैं कि अलग राज्य के गठन के लिए बीजेपी को कुछ और समय देना जरूरी है. गुरुंग को भरोसा है कि अगले कुछ साल में भाजपा या तो अलग गोरखालैंड की स्थापना करेगी या फिर गोरखा समुदाय की 11 जनजातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दे देगी.
दार्जिलिंग की पहाड़ियों में अस्सी के दशक के उत्तरार्ध में सुभाष घीसिंग के नेतृत्व वाले गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) ने अलग गोरखालैंड की मांग में बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू किया था. उसके बाद तितरफा समझौते के तहत दार्जिलिंग गोरखा पर्वतीय परिषद और गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) जैसी कई स्वायत परिषदों का गठन तो हुआ लेकिन असली मांग कहीं पीछे रही. यह मांग इलाके के लोगों के लिए एक भावनात्मक मुद्दा बन गई है. बाद में विमल गुरुंग ने भी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के बैनर तले इस मांग में लंबे अरसे तक आंदोलन किया था. लेकिन अब तक कुछ हासिल नहीं हो सका.
दूसरी ओर, कांग्रेस उम्मीदवार मुनीश तामंग भाजपा पर इलाके के लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हैं. उनका कहना है कि हर बार गोरखालैंड के मुद्दे पर चुनाव जीतने के बाद बीजेपी चुप्पी साध लेती है. उधर, तृणमूल कांग्रेस का समर्थन करने वाले गोरखा नेता अनित थापा कहते हैं कि गोरखालैंड हर पहाड़वासी का सपना है. लेकिन अब यह महज एक चुनावी मुद्दा बन कर रह गया है. बीजेपी अलग राज्य की बजाय अब इस क्षेत्र की समस्या स्थायी राजनीतिक समाधान की बात कर रही है. (dw.com)