ताजा खबर
हसदेव बचाओ आंदोलन को समर्थन देने पहुंची सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 28 जून। नर्मदा बचाओ आंदोलन की संयोजक और प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा है कि विकास के नाम पर विनाश, विस्थापन और विषमता को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। हमारी लड़ाई कारपोरेट के खिलाफ वैसी ही है जैसी लड़ाई अंग्रेजी शासन में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लड़ी गई थी।
बिलासपुर के कोन्हेर गार्डन में चल रहे अनिश्चितकालीन हसदेव बचाओ आंदोलन को समर्थन देने के लिए पहुंची मेधा पाटकर ने कहा कि हम आंदोलनजीवी हैं, यह हमारे जीवन का हिस्सा है। हम जनशक्ति के जरिये सत्याग्रह कर लोकतांत्रिक तरीके से मानवीय जीवन पर असर डालने वाले मुद्दों को उठाते हैं। हम मानव अधिकारों का दफन, दमन सहन नहीं कर सकते।
पाटकर ने कहा कि जब प्रधानमंत्री म्यूनिख, पेरिस और ग्लास्को जाते हैं तो वहां कहकर आते हैं कि ताप विद्युत परियोजनाओं से सन् 2070 तक कार्बन उत्सर्जन पूरी तरह खत्म कर देंगे और यहां आते ही कार्पोरेट को एक साथ 40 खदान बख्शीश में दे देते हैं। तमिलनाडु जैसे राज्य में 52त्न ऊर्जा उत्पादन रिन्यूएबल तरीके से हो रहा है, वह ऐसी क्षमता 80त्न तक विकसित भी कर चुका है। ऐसा दूसरे प्रदेशों में आगे क्यों नहीं बढ़ा जा सकता है। जब कार्बन उत्सर्जन घटाना है तो नई खदानों को मंजूरी क्यों?
पाटकर ने कहा कि हम कार्पोरेट का विरोध इसलिए करते हैं क्योंकि यह कंपनियां प्रॉफिट, प्रॉफिट और सिर्फ प्रॉफिट देखती हैं। ना इन्हें लोगों के जीवन से या आजीविका से मतलब है और न ही आदिवासी, दलित व किसानों मजदूरों और महिलाओं के हक से। यहां तक कि वे मानव जाति को जिंदा रखने के प्रति संवेदना भी नहीं दिखाते हैं।
पाटकर ने कहा कि ये कार्पोरेट करोड़ों रुपयों का मुनाफा कमा रहे हैं। अंबानी-अडानी की रोज की कमाई 1000 करोड़ रुपए से अधिक है और हमें सरकार यह बताती है कि तिजोरी भरने के लिए हमें शराब का व्यापार करना जरूरी है। विकास के बारे में सरकारों की जो मूर्खता है, वही मानव जाति को खत्म कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से यह साफ हो चुका है कि सभी खनिज संपदा सार्वजनिक होती हैं, किसी व्यक्ति की नहीं। हमें इन (नेताओं) की कुर्सी नीलाम हो जाना मंजूर है, लेकिन आदिवासी और जंगल नहीं। इनके पास विकास की अवधारणा ही नहीं है। जब हम पर्यावरण संरक्षण की बात करते हैं, तो इनकी समझ में कुछ नहीं आता। यह तो सबको पता है कि एक बड़ी राजनैतिक पार्टी के पास इलेक्टोरल बॉन्ड से 4000 करोड़ रुपए आए हैं और दूसरे के पास सात सौ करोड़। लेकिन ये रुपये आए कैसे, इसके लिए उन्होंने कार्पोरेट से क्या-क्या समझौते किए, यह हमको मालूम नहीं हो पाता है।
उन्होंने कहा कि हसदेव अरण्य 1 लाख 70000 हेक्टेयर जमीन, जंगल और पानी कार्पोरेट के हाथों में दे दिए जाने से बर्बाद हो जाएगा। फिर आज जो हम बिलासपुर में बैठे हुए भारी उमस महसूस कर रहे हैं, वह आने वाले दिनों में और गंभीर स्थिति पैदा करेंगी। दुनिया में वैज्ञानिकों का यहां तक कहना है कि पर्यावरण का इसी तरह विनाश होता रहा तो सन 2050 तक मानव जाति के अस्तित्व पर ही संकट खड़ा हो जाएगा।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का उल्लेख करते हुए पाटकर ने याद दिलाया कि राहुल गांधी ने ही हसदेव के लोगों को आश्वस्त किया था कि यहां का जंगल बचा रहेगा। उन्होंने कहा कि आपने गोबर खरीदी योजना शुरू की, ग्रामीण विकास के अनेक कार्यक्रम शुरू किए हैं। सबसे अधिक दाम पर किसानों से धान खरीदी कर रहे हैं। ये सब अच्छे काम हैं। वैसा ही एक अच्छा काम और करके हसदेव को बचा लीजिए। आपके मंत्री सिंहदेव, स्पीकर डॉ. महंत और सांसद ज्योत्सना जी भी तो इस आदिवासियों के साथ खड़े हैं। पाटकर ने कहा कि कांग्रेस ने ही वन अधिकार कानून 2006 बनाया था। ग्राम सभा को विधानसभा और लोकसभा से भी ज्यादा अधिकार संपन्न बनाया। फिर आज वह इस बात को कैसे भूल रही है। अफसोस की बात है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सब जानते हुए भी ग्राम सभा की मंशा के खिलाफ हसदेव को कार्पोरेट के हवाले करने का समर्थन कर रही हैं।
विभिन्न जन आंदोलनों में सक्रिय मध्य प्रदेश के पूर्व विधायक डॉ सुनीलम् ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमने सुना है कि हसदेव में कोयला उत्खनन के आगे की कार्रवाई को रोकने के कारण ही प्रवर्तन निदेशालय कांग्रेस नेता राहुल गांधी को परेशान कर रहा है। यह मेरे जैसे व्यक्ति के लिए सोचना बड़ा आश्चर्यजनक है कि जो अडानी कभी 5 लाख रुपये का आदमी नहीं था, आज 5 लाख करोड़ रुपये का कैसे हो गया? यह पैसा कहां से आया? कौन सी सरकार की पॉलिसी ऐसी है जिसमें इतने पैसे कमाए जा सकते हैं? इस पर खुलकर बात होनी चाहिए। हम देश भर में भूमि अधिकार आंदोलन चला रहे हैं और मोदी सरकार को चुनौती देते हैं। यहां भी 15 राज्यों के लोग अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए आज मौजूद हैं। रायपुर में हमने कल जो सम्मेलन किया, उसमें उम्मीद से बहुत अधिक लोग आए। इसका संदेश छत्तीसगढ़ सरकार को समझना चाहिए और निचले स्तर पर कितना असंतोष है यह देखना चाहिए। केंद्र में बैठी सरकार के पास एक के बाद एक एपिसोड रहते हैं जो हमें आपस में बांट कर रखने का काम करते हैं, पर हमें मूल मुद्दे को ही ध्यान में रखना चाहिए। हमें कार्पोरेट लूट के खिलाफ आंदोलन कर जल-जंगल और जमीन को बचाना है।
विधायक धर्मजीत सिंह ठाकुर ने सभा में कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधीर और मुख्यमंत्री ने मदनपुर पहुंचकर वहां के लोगों को आश्वस्त किया था कि जंगल को सुरक्षित रखा जाएगा, लोगों का विश्वास टूटना नहीं चाहिए।
इसके पूर्व छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने हसदेव बचाओ आंदोलन के बारे में अब तक की गतिविधि और प्रगति के बारे में जानकारी दी।
सभा में प्रथमेश मिश्रा, सुदीप श्रीवास्तव, डॉ रश्मि बुधिया सहित प्रदेश तथा अन्य राज्यों से आए अनेक एक्टिविस्ट उपस्थित थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 29 जून। आज तडक़े सुपेला चौक स्थित बबीना बार संचालक स्व. श्यामा यादव परिवार के दो लोगों की सरगुजा जिले में कार और ट्रक के बीच जबरदस्त भिड़ंत में मौत हो गई है। तीन लोगों को गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया है, घायलों की हालत चिंताजनक बताई जा रही है।
यादव परिवार गोरखपुर गए हुए थे। वे कार से वापसी कर रहे थे, तभी ये घटना घटित हुई। कार में पांच लोग सवार थे। तारा बेरियर से 200 मीटर आगे बिलासपुर रोड में क्विड कार और ट्रक में जबरदस्त भिड़ंत हो गई। टक्कर से कार के परखच्चे उड़ गए।
इस भीषण हादसे में सभापति यादव (56) तथा हरेन्द्र यादव (57) की मौके पर ही मौत हो गई, वहीं तीन घायल राजेन्द्र प्रसाद यादव (70), राकेश यादव (45) व विरेन्द्र यादव (65) को सीएचसी उदयपुर भेजा गया जिसे अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के लिए भेज दिया गया।
बताया जाता है कि घायलों में राजेन्द्र प्रसाद यादव की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। सूचना मिलते ही भिलाई से परिवार के दूसरे सदस्य अम्बिकापुर के लिए रवाना हो गए हैं। गंभीर अवस्था में घायल राजेन्द्र प्रसाद यादव के पुत्र अजय यादव जो गुजरात में रहते हैं, उन्हें भी सूचना दे दी गई है। घटना के बाद यादव परिवार में मातम छाया हुआ है। जानकारी के अनुसार पीएम के बाद शवों को रात तक भिलाई लाया जाएगा।
मुंबई, 29 जून शिवसेना नेता संजय राउत ने महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा उद्धव ठाकरे नीत सरकार को शक्ति परीक्षण का आदेश दिए जाने को बुधवार को ‘‘गैरकानूनी’’ बताते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 16 बागी विधायकों को अयोग्य करार देने पर अभी फैसला नहीं दिया है।
उन्होंने कहा कि शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस का सत्तारूढ़ गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) उच्चतम न्यायालय का रुख कर इस मुद्दे पर न्याय मांगेगा।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मंगलवार देर रात महाराष्ट्र के विधानसभा सचिव को पत्र लिखकर उन्हें 30 जून को सुबह 11 बजे शिवसेना नीत सरकार का शक्ति परीक्षण कराने का निर्देश दिया।
राज्यपाल पर निशाना साधते हुए राउत ने कहा कि राज भवन ने भाजपा नेताओं से मुलाकात करने के बाद ‘‘राफेल से भी तेज गति से’’ कार्रवाई की है। भाजपा नेताओं ने राज्यपाल से विश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराने का अनुरोध किया था।
राउत ने राज्यपाल को याद दिलाया कि उनके कोटे से राज्य विधायिका के ऊपरी सदन में 12 पार्षदों के नामांकन से जुड़ी फाइल लंबे समय से अटकी हुई है।
राउत ने पत्रकारों से कहा, ‘‘यह (शक्ति परीक्षण का आदेश) गैरकानूनी गतिविधि है क्योंकि 16 विधायकों को अयोग्य करार देने की याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में लंबित है। अगर ऐसी गैरकानूनी गतिविधियां होती है और अगर राज्यपाल तथा भाजपा संविधान को कुचलते हैं तो उच्चतम न्यायालय को हस्तक्षेप करना होगा।’’ (भाषा)
मुंबई, 29 जून महाराष्ट्र से शिवसेना के बागी विधायकों ने असम में बाढ़ राहत कार्य के लिए 51 लाख रुपये दान दिए हैं। विधायकों के प्रवक्ता ने बुधवार को यह जानकारी दी। गत एक सप्ताह से शिवसेना के बागी विधायक गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं। वरिष्ठ मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में इन विधायकों ने बगावत का झंडा उठाया है।
असम के ज्यादातर इलाकों में बाढ़ की विभीषिका के बीच गुवाहाटी के लग्जरी होटल में ठहरने को लेकर जारी आलोचनाओं के बीच, बागी विधायकों के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने पीटीआई-भाषा से कहा, “बाढ़ राहत कार्य में हमारे योगदान के तौर पर, शिंदे ने असम मुख्यमंत्री राहत कोष में 51 लाख रुपये दान दिए हैं। हम यहां लोगों की समस्याओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते।”
केसरकर ने कहा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल बी. एस. कोश्यारी ने बृहस्पतिवार को विधानसभा में उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाड़ी को विश्वास मत का सामना करने को कहा है इसलिए बागी विधायकों ने गुवाहाटी से निकलकर मुंबई के पास किसी स्थान पर जाने का निर्णय लिया है।
शिंदे के एक करीबी सहयोगी ने बताया कि विधायकों का समूह गोवा स्थित एक होटल में रुकेगा और बृहस्पतिवार को सुबह साढ़े नौ बजे मुंबई पहुंचेगा। केसरकर ने कहा, “हम एक स्थान पर रुकेंगे जो मुंबई से हवाई मार्ग से एक घंटे की दूरी पर है ताकि हम सदन में विश्वास मत के लिए सुविधाजनक तरीके से पहुंच सकें। हम इसकी (विश्वास मत) मांग लंबे समय से कर रहे थे।”
शिवसेना अध्यक्ष और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के प्रति निराशा जताते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी के विधायक उनसे राकांपा और कांग्रेस का साथ छोड़ने को कह रहे थे लेकिन उन्होंने कभी उनकी बात नहीं सुनी। केसरकर ने कहा, “शिवसेना के ज्यादातर विधायकों ने इन दोनों पार्टियों से दूरी बनाने का निर्णय लिया है इसलिए शिवसेना के जो बाकी विधायक उनके (ठाकरे) साथ हैं, उन्हें विश्वास मत के दौरान हमारे सचेतक की बात माननी होगी।”
उन्होंने कहा कि ठाकरे कुछ निर्देश अवश्य दे सकते हैं लेकिन जब वे (बागी विधायक) सदन में होंगे तो देश के संविधान के अनुसार चलेंगे। (भाषा)
नयी दिल्ली, 29 जून दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर लाइबेरिया की एक महिला को गिरफ्तार कर उसके पास से 13.26 करोड़ रुपये की कोकीन बरामद की गयी है। सीमा शुल्क विभाग ने बुधवार को एक बयान जारी कर यह जानकारी दी।
लाइबेरिया की इस महिला पर भारत में मादक पदार्थों की तस्करी करने में शामिल होने का आरोप है।
सीमा शुल्क विभाग के मुताबिक लाइबेरिया की इस महिला को रविवार को इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा से आने के बाद दिल्ली हवाई अड्डे पर रोका गया।
वक्तव्य के मुताबिक महिला की तलाशी के दौरान सीमा शुल्क विभाग के अधिकारियों ने एक बैग देखा जिसमें 11 कुर्ते थे, जिन पर बड़े-बड़े बटन लगे हुए थे।
कुर्तों में कुल 272 बटन लगे हुए थे। सभी बटनों को कुर्तों से अलग कर काटा गया और उनमें से कुल 947 ग्राम कोकीन बरामद की गयी।
आरोपी महिला के पास लाइबेरिया का पासपोर्ट था। उसके पास से कोकीन जब्त कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया। (भाषा)
परिजनों के समझाने पर भी नहीं माने थे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 29 जून। आज सुबह भिलाई नगर पुलिस ने सेक्टर 09 अस्पताल आईसीयू के पूर्व प्रभारी वर्तमान में शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक पी.के.रथ को मेडिकल छात्रा के साथ छेडख़ानी व मानसिक रूप से प्रताडि़त करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस के अनुसार मेडिकल की छात्रा की शिकायत पर भिलाई नगर पुलिस ने विगत दिनों धारा 354 ,509 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया था। बताया जाता है कि छात्रा के परिजनों ने इस मामले में डॉ. पी के रथ को समझाने का काफी प्रयास किया था, किन्तु डॉ. रथ अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे थे।
लखीमपुर खीरी (उप्र), 29 जून जिले के लखीमपुर कोतवाली पुलिस थाना अंतर्गत एक गांव में संदिग्ध परिस्थितियों में एक नाबालिग लड़की मृत पाई गई है। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि 13 वर्षीय लड़की का शव मंगलवार को गन्ने के खेत से बरामद किया गया और उसके गले पर चोट के निशान थे। लड़की के माता-पिता ने दुष्कर्म के बाद हत्या का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई है।
हालांकि पुलिस महानिरीक्षक लक्ष्मी सिंह और खीरी के पुलिस अधीक्षक संजीव सुमन ने कहा कि शव का पोस्टमार्टम होने के बाद ही चीजें स्पष्ट होंगी।
एसपी सुमन ने बताया कि लड़की मंगलवार की सुबह शौच के लिए गई थी और दिन में बकरी चरा रहे कुछ लोगों ने लड़की को मृत अवस्था में देखा।
पुलिस महानिरीक्षक लक्ष्मी सिंह ने कहा कि लड़की के माता पिता की शिकायत पर कुछ संदिग्ध लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। उन्होंने बताया कि साक्ष्य एकत्र करने के लिए फारेंसिक टीम को लगाया गया है।
उन्होंने कहा कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। आईजी ने कहा कि मृत्यु का सही कारण जानने के लिए कैमरे की निगरानी में पोस्टमार्टम कराया जाएगा और पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। (भाषा)
कोलकाता, 29 जून पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राजस्थान के उदयपुर में एक दर्ज़ी की हत्या की बुधवार को निंदा करते हुए कहा कि हिंसा और चरमपंथ अस्वीकार्य है।
बनर्जी ने ट्वीट किया, “ हिंसा और चरमपंथ अस्वीकार्य है, चाहे कुछ भी हो। उदयपुर में जो हुआ उसकी मैं निंदा करती हूं। कानून अपना काम करेंगे। मैं लोगों से शांति बनाए रखने का आग्रह करती हूं।”
गौरतलब है कि उदयपुर में मंगलवार को दो लोगों ने कथित तौर पर धारदार हथियार से एक दर्जी की हत्या कर दी थी और उसका वीडियो सार्वजनिक करते हुए कहा कि वे ‘‘इस्लाम के अपमान’’ का बदला ले रहे हैं।
इसके बाद उदयपुर में हिंसा के छुटपुट मामले हुए हैं। जिले के सात थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। राज्यभर में 24 घंटे के लिये मोबाइल इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया गया है और आगामी एक माह के लिये प्रदेश में निषेधाज्ञा लगा दी गई है।
आरोपियों ने ऑनलाइन पोस्ट किए गए वीडियो में जुर्म कबूल किया है और पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। (भाषा)
चंडीगढ़, 29 जून जीएसटी परिषद की चंडीगढ़ में मंगलवार को शुरू हुई बैठक के दूसरे दिन राज्यों के लिए जीएसटी क्षतिपूर्ति व्यवस्था को जारी रखने और ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो तथा घुड़दौड़ पर सर्वाधिक 28 फीसदी की दर से कर लगाने जैसे मुद्दों पर बात हो सकती है।
बैठक के पहले दिन, मंगलवार को जीएसटी परिषद ने कुछ वस्तुओं एवं सेवाओं पर कर की दरों में बदलाव को मंजूरी दी थी।
दूसरे दिन, राज्यों के लिए जीएसटी क्षतिपूर्ति को जून 2022 के बाद विस्तार देना और ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो तथा घुड़दौड़ पर 28 फीसदी कर लगाने की एक मंत्रिसमूह (जीओएम) की रिपोर्ट पर बात होगी।
मंत्रिसमूहों ने इन गतिविधियों के लिए एक समान कर दर और मूल्यांकन प्रक्रिया का सुझाव दिया है। उनका कहना है कि जीएसटी लगाने के उद्देश्य से, इन गतिविधियों में केवल इस आधार पर कोई भेद नहीं किया जाना चाहिए कि कोई गतिविधि कौशल या संयोग या दोनों का खेल है। जीओएम का कहना है कि प्रतियोगिता प्रवेश शुल्क समेत ऑनलाइन गेमिंग के पूरे मूल्य पर कर लगाया जाना चाहिए।
रेसकोर्स के मामले में भी मंत्रिसमूह ने दांव के पूरे मूल्य पर जीएसटी लगाने की सिफारिश की है। मंत्रिसमूह ने कहा है कि कसीनो में भी खिलाड़ी द्वारा खरीदे गए कुल सिक्कों के पूरे अंकित मूल्य पर कर लगाया जाना चाहिए। (भाषा)
इस्लामाबाद, 29 जून | पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने तोशाखाना की तोहफे में दी गई तीन घड़ियां एक स्थानीय घड़ी डीलर को 15.4 करोड़ रुपये से अधिक में बेचीं। मीडिया की रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है। द न्यूज के मुताबिक, एक आधिकारिक जांच के विवरण से पता चलता है कि इमरान खान ने विदेशी गणमान्य व्यक्तियों द्वारा उन्हें उपहार में दी गई इन ज्वेल-क्लास की घड़ियों से लाखों रुपये कमाए। ये घड़ियां मीडिया में पहले बताई गई घड़ियों के अतिरिक्त हैं।
सबसे महंगी घड़ी (10.1 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य) तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा अपने मूल्य के 20 प्रतिशत पर रखी गई थी, जब उनकी सरकार ने तोशाखाना नियमों में संशोधन किया और उपहार प्रतिधारण मूल्य को उसके मूल मूल्य के 50 प्रतिशत पर तय किया।
द न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, तोशाखाना से उन उपहार में दी गई घड़ियों को अपनी जेब से खरीदने के बजाय, पूर्व प्रधानमंत्री ने पहले घड़ियां बेचीं और फिर प्रत्येक का 20 प्रतिशत सरकारी खजाने में जमा किया, दस्तावेजों और बिक्री रसीदों का खुलासा किया।
जाहिर है, इन उपहारों को तोशाखाना में कभी जमा नहीं किया गया था। किसी भी सरकारी अधिकारी को मिले उपहार की तुरंत सूचना देनी होती है, इसलिए उसके मूल्य का आकलन किया जाता है और उसके बाद प्राप्तकर्ता विशिष्ट राशि जमा करता है यदि वह इसे रखना चाहता है।
तोशाखाना के दस्तावेजों से पता चलता है कि पूर्व प्रधानमंत्री ने मित्र खाड़ी देशों के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा उपहार में दी गई इन तीन महंगी घड़ियों की बिक्री से 3.6 करोड़ रुपये कमाए।
मध्य पूर्व के एक उच्च-स्तरीय गणमान्य व्यक्ति द्वारा उन्हें उपहार में दी गई घड़ी की बिक्री के माध्यम से एक वास्तविक अप्रत्याशित लाभ अर्जित किया गया था। आधिकारिक तौर पर इस घड़ी का मूल्यांकन 10.1 करोड़ रुपये किया गया था।
पूर्व प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि उन्होंने इसे 5.1 करोड़ रुपये में बेचा और सरकारी खजाने में 2 करोड़ रुपये जमा किए, इस प्रकार 3.1 करोड़ रुपये की कमाई हुई। यह दर्शाता है कि घड़ी को उसकी वास्तविक कीमत से आधी कीमत पर बेचा गया था।
यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि यह घड़ी 22 जनवरी, 2019 को बेची गई थी, जब तत्कालीन पीटीआई सरकार ने तोशाखाना नियमों में संशोधन किया था और किसी भी उपहार की कीमत को उसके निर्धारित मूल्य के 20 प्रतिशत से 50 प्रतिशत पर बनाए रखा था।
एक खाड़ी द्वीप के एक शाही परिवार के एक सदस्य द्वारा उपहार में दी गई एक रोलेक्स प्लेटिनम घड़ी इमरान खान ने 52 लाख रुपये में बेची थी। तोशाखाना नियमों के अनुसार, इस महंगे उपहार का मूल्यांकन आधिकारिक मूल्यांकनकर्ताओं ने 38 लाख रुपये में किया था।
उन्होंने इस घड़ी को बेचकर लगभग 45 लाख रुपये का लाभ अर्जित करते हुए 0.75 लाख रुपये की राशि का 20 प्रतिशत सरकारी खजाने में जमा किया। यह घड़ी उन्हें उपहार में दिए जाने के दो महीने बाद नवंबर 2018 में बेची गई थी। (आईएएनएस)
यह बात सोच कर ही हैरत होती है कि जहां धरती के नीचे सोने का अकूत भंडार है उस केजीएफ कस्बे में रहने वाले लोग बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट-
चिराग तले अंधेरा होने की कहावत तो सबने सुनी ही होगी. कर्नाटक के कोलार गोल्ड फील्ड्स यानी केजीएफ पर यह कहावत पूरी तरह चरितार्थ होती है. किसी दौर में यहां से निकलने वाले सोने के कारण ही देश को सोने की चिड़िया और इस जगह को मिनी इंग्लैंड कहा जाता था. लेकिन वह सब पांच दशक पुरानी बात है. अब यहां रहने वाले लोगों की आंखों में पलने वाले सपनों का रंग बिखर गया है और वे दो जून की रोटी जुटाने के लिए जूझ रहे हैं. दक्षिण की सुपरहिट फिल्म केजीएफ चैप्टर 2 की भारी कामयाबी ने एक बार को इस उनींदे-से कस्बे को सुर्खियों में ला दिया है और इसके जख्म हरे हो गए हैं.
कोलार का इतिहास
कोलार गोल्ड फील्ड्स की खदानें दक्षिण कोलार जिले के मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर रोबर्ट्सनपेट तहसील के पास है. यह कस्बा बेंगलुरु-चेन्नई एक्सप्रेस वे पर राजधानी बेंगलुरु से लगभग सौ किलोमीटर दूरी पर है. वर्ष 1799 की श्रीरंगपट्टनम की लड़ाई में तत्कालीन अंग्रेजों ने शासक टीपू सुल्तान को मार कर कोलार की खदानों पर कब्जा कर लिया था. न्यूजीलैंड से भारत आए ब्रिटिश सैनिक माइकल फिट्जगेराल्ड लेवेली ने 1871 में कोलार के लिए बैलगाड़ी से 60 मील की यात्रा की थी.
अपने शोध के दौरान उन्होंने खनन के लिए कई संभावित स्थानों की पहचान की और सोने के भंडार के निशान खोजने में भी सफल रहें. दो साल से अधिक के शोध के बाद 1873 में लेवेली ने मैसूर के महाराज की सरकार को पत्र लिखकर कोलार में खुदाई का लाइसेंस मांगा. 2 फरवरी 1875 को कोलार में 20 सालों तक खुदाई करने के लिए लेवेली को लाइसेंस मिला और इसी के साथ भारत में आधुनिक खनन के युग की शुरुआत हुई.
लेवेली ने जब कोलार में काम शुरू किया तो महसूस किया कि वहां बिजली की बहुत जरूरत है. कोलार गोल्ड फील्ड की जरूरत पूरा करने के लिए वहां से 130 किलोमीटर दूर कावेरी बिजली केंद्र बनाया गया. इसके बाद केजीएफ बिजली पाने वाला भारत का पहला शहर बन गया. बिजली के बाद वहां काम दोगुना होने लगा. नतीजन वर्ष 1902 में केजीएफ से भारत का 95 फीसदी सोना निकलता था. वर्ष 1905 तक भारत सोने की खुदाई में विश्व में छठे स्थान पर पहुंच गया.
अंग्रेजों की पसंद
केजीएफ में सोना मिलने के बाद यह इलाका अंग्रेजों को काफी पसंद आ गया था. अंग्रेजों की बढ़ती आबादी के कारण केजीएफ को 'मिनी इंग्लैंड' भी कहा जाता था. अब बी वहां ब्रिटिश दौर के कई बंगले और पुरानी इमारतें नजर आती हैं. केजीएफ में पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए अंग्रेजों ने एक तालाब भी बनवाया था. वर्ष 1930 में केजीएफ में 30 हजार मजदूर काम करते थे.
भारत के आजाद होने के बाद सरकार ने इसे अपने अधिकार में ले लिया और वर्ष 1956 में इसका राष्ट्रीयकरण किया गया. वर्ष 1970 में भारत सरकार की भारत गोल्ड माइंस लिमिटेड (बीजीएमएल) कंपनी ने वहां अपना काम शुरू किया था. लेकिन 1979 के बाद उसे घाटा होने लगा था. स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि वह अपने मजदूरों को वेतन भी नहीं दे पा रही थी. उसके बाद वर्ष 2001 में कंपनी ने वहां सोने की खुदाई बंद कर दी. उसके बाद वह जगह ऐसे ही पड़ी है.
केजीएफ में 121 वर्षों से भी अधिक समय तक खुदाई हुई है. मोटे अनुमान के मुताबिक इस दौरान वहां से नौ सौ टन से भी ज्यादा सोना निकाला गया था. लेकिन इन खदानों के बंद होने के बाद ही इलाके के दुर्दिन शुरू हो गए. फिलहाल रोजाना यहां के करीब 25 हजार लोग नौकरी या रोजी-रोटी कमाने के लिए बेंगलुरु जाते हैं.
वादों का क्या हुआ
वर्ष 2001 में बंद होने के बाद 15 वर्ष तक केजीएफ में सब कुछ ठप पड़ा रहा. वर्ष 2016 में नरेंद्र मोदी सरकार ने यहां फिर से काम शुरू करने का संकेत दिया. उसी वर्ष केजीएफ के लिए नीलामी प्रक्रिया शुरू करने के लिए टेंडर निकालने का एलान किया गया था. लेकिन इस मामले में अब तक कोई प्रगति नहीं हो सकी है.
विनसेंट के दादा और पिता इन खदानों में काम करते थे. वह बताते हैं, "वह दौर बेहद अच्छा था. तब दूर-दूर से लोग यहां आकर बसते थे. लेकिन अब उल्टा हो रहा है. कई लोग इलाका छोड़ कर दूसरी जगह बस गए हैं. यहां रोजगार का कोई वैकल्पिक साधन नहीं है. अब सरकार ने दोबारा इन खदानों को खोलने का भरोसा दिया है. लेकिन अब नेताओं के वादों से भरोसा उठ गया है.”
बीते करीब दो दशकों से चुनाव के समय तमाम राजनीतिक दल इन खदानों को दोबारा खोलने का वादा करते रहे हैं. लेकिन चुनाव बीतते ही फिर सब कुछ जस का तस हो जाता है. भारत गोल्ड माइंस लिमिटेड (बीजीएमएल) इम्प्लाइज, सुपरवाइजर्स एंड ऑफिसर्स यूनाइटेड फोरम के संयोजक जी जयकुमार कहते हैं, "अब लोगों को इन खदानों के दोबारा शुरू होने का भरोसा नहीं है.” केजीएफ सिटीजंस फोरम के संयोजक दास चिन्ना सावरी कहते हैं, "खदानों के बंद होने से बेरोजगार कर्मचारियों का लगभग 52 करोड़ रुपया अब भी बकाया है.”
फिलहाल यह कस्बा और यहां के लोग अपने सुनहरे अतीत और अनिश्चित भविष्य के बीच दिन काटने पर मजबूर हैं. (dw.com)
प्रधानमंत्री मोदी पहले ब्रिक्स और फिर जी-7 व्यस्त रहे. एक तरफ रूस भारत को पश्चिमी देशों के खिलाफ अपना मजबूत साझीदार बनाना चाहता है, तो दूसरी ओर पश्चिमी देश रूस के खिलाफ भारत का साथ चाहते हैं. लेकिन भारत क्या चाहता है?
डॉयचे वैले पर ईशा भाटिया सानन की रिपोर्ट-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी जादू की झप्पी के लिए जाना जाता है. कई बार ये झप्पी उन्हें थोड़ी अटपटी स्थिति में भी पहुंचा चुकी है. जैसे पिछले साल जलवायु सम्मेलन के दौरान जब मोदी संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेश के नजदीक गए तो गुटेरेश ने कुछ ऐसा चेहरा बनाया जैसे मोदी गले लग नहीं रहे, गले पड़ रहे हैं.
लेकिन जर्मनी के श्लॉस एलमाउ में नजारा कुछ अलग ही था. इस बार फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों झप्पी से इतने खुश दिखे कि वह लगातार मोदी को पकड़ कर ही खड़े रहे. पहले एक हाथ पकड़ा, फिर दूसरा, फिर कंधा. ऐसा लग रहा था जैसे माक्रों मोदी को छोड़ना ही नहीं चाहते. देखा जाए तो माक्रों मोदी के साथ वही कर रहे थे जो जी-7 देश भारत के साथ कर रहे हैं. वे सुनिश्चित करना चाहते हैं कि भारत उनके साथ ही खड़ा रहे, कहीं और ना जाए.
गुटनिरपेक्षता पर बरकरार
इस साल के जी-7 शिखर सम्मेलन के पांच अहम मुद्दे थे: जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिरता, टिकाऊ निवेश और युद्ध का समाधान. इसमें शक नहीं है कि तीन दिन चले इस सम्मेलन के केंद्र में आखिरी मुद्दा यानी युद्ध का समाधान ही छाया रहा. भारत समेत चार अन्य देशों: इंडोनेशिया, सेनेगल, अर्जेंटीना और दक्षिण अफ्रीका को बतौर अतिथि आमंत्रित किया गया था. इन सभी देशों के साथ मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन, लैंगिक समानता और स्वास्थ्य के इर्दगिर्द बातचीत हुई. लेकिन आधिकारिक बैठकों के इतर रूस का मुद्दा ही हावी रहा.
पश्चिमी देशों की हर मुमकिन कोशिश के बावजूद रूस और यूक्रेन युद्ध पर भारत का रुख पिछले चार महीनों से बिलकुल नहीं बदला है. भारत किसी का पक्ष लिए बिना इस रुख पर कायम है कि युद्ध का समाधान केवल कूटनीति और संवाद से ही निकाला जा सकता है. भारत ने अब तक ना ही रूस की आलोचना की है और ना ही उसका पक्ष लिया है. संयुक्त राष्ट्र में भी भारत रूस के खिलाफ प्रस्तावों पर मतदान से गैरहाजिर रहा और गुटनिरपेक्षता की अपनी नीति पर बना रहा.
सबसे पहले अपना हित
प्रधानमंत्री मोदी का दुनिया को संदेश साफ है - भारत के लिए उसका अपना हित सबसे ज्यादा मायने रखता है, किसी भी वैश्विक संकट से ज्यादा. मोदी की जर्मनी यात्रा से ठीक पहले विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "इस बारे में कोई दुविधा, शंका, संकोच नहीं होना चाहिए कि पक्ष केवल भारत का होगा, सिद्धांत हमारे होंगे, हित अपने होंगे लेकिन समाधान ऐसा हो जिसकी वैश्विक परिपेक्ष्य में स्पष्ट अहमियत और उपयोगिता हो."
नई विश्व व्यवस्था में भारत का बढ़ता महत्व इस बात से भी जाहिर है कि वह हर तरह के समूहों का हिस्सा है, फिर चाहे ब्रिक्स हो या क्वॉड, जी-4 हो या जी-20, एससीओ हो या सार्क - भारत हर जगह संतुलन बना कर चल रहा है. और हालांकि भारत जी-7 का हिस्सा नहीं है लेकिन पिछले चार साल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार वहां आमंत्रित किया जा रहा है.
जी-7 के एक सत्र में मोदी ने गरीब देशों के लिए ऊर्जा की अहमियत पर जोर देते हुए कहा, "आप सभी इस बात से सहमत होंगे कि ऊर्जा की उपलब्धता केवल अमीरों का विशेषाधिकार नहीं होना चाहिए. एक गरीब परिवार का भी ऊर्जा पर बराबर अधिकार है. और आज जब भू-राजनीतिक तनाव के चलते ऊर्जा के दाम आसमान छू रहे हैं, इस बात को याद रखना और भी अहम हो गया है."
साथ चाहिए लेकिन अपनी शर्तों पर
भारत की इस बात पर आलोचना की जा रही है कि उसने रूस से तेल के आयत को पहले के मुकाबले बढ़ा लिया है. रूस सस्ते दाम पर भारत को तेल बेच रहा है और यह बात पश्चिमी देशों को खूब खटक रही है, क्योंकि इससे रूस पर लगाए गए पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का असर कम हो रहा है. लेकिन अब जब जी-7 देशों ने रूस से सोने की खरीद पर भी प्रतिबंध लगा दिए हैं, तो बहुत मुमकिन है कि तेल की तरह रूस भारत को सोना भी कम दाम में बेचने लगे. वैसे भी, चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने का खरीदार है. अकेले 2021 में ही भारत ने 55 अरब डॉलर का सोना खरीदा है.
भारत पूरब और पश्चिम दोनों के साथ अपने व्यापार संबंध मजबूत करना चाहता है. कोविड काल के बाद भारत ग्रीन एनर्जी, सस्टेनेबिलिटी और भविष्य की तकनीक का केंद्र बनना चाहता है. भारत का यह भी दावा है कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उत्पन्न हुए संकट का समाधान तलाशने में दुनिया का साथ देना चाहता है. इसमें खाद्य संकट, ऊर्जा संकट, मुद्रास्फीति और सप्लाई-चेन से जुड़ी चुनौतियां शामिल हैं. लेकिन भारत यह सब अपनी शर्तों पर कर रहा है. भारत अपने विकल्प खुद तय करना चाहता है. भारत अपने फैसले खुद लेना चाहता है. भारत यह बिल्कुल नहीं चाहता कि कोई और उसे बताए कि उसे कब, किसके साथ और कितना व्यापार करना है.
मौजूदा परिस्थति में पश्चिमी देशों के लिए भारत पहले से कहीं अधिक अहम बन चुका है और ऐसे में वे भारत से अपने तार काटने का जोखिम नहीं उठा सकते. खास तौर से अमेरिका और चीन के बीच चल रहे तनाव से भविष्य में पश्चिम की भारत पर निर्भरता बढ़ेगी. भारत यह बात अच्छी तरह समझता है. इसीलिए बिना किसी दबाव में आए अपने रुख पर बना हुआ है. इस साल नवंबर में ब्रिक्स और जी-7 के देश इंडोनेशिया के बाली में जी-20 सम्मलेन के लिए मिलेंगे. तब तक पश्चिमी देशों को भारत को मनाने का कोई और तरीका सोचना होगा क्योंकि फिलहाल तो मोदी उनके हाथ आते नहीं दिख रहे.
(एलमाउ, जर्मनी)
तीन दिनों तक जर्मनी के श्लॉस एलमाउ में जुटे विश्व के सात सबसे अमीर औद्योगिक देशों के नेताओं ने रूस-यूक्रेन युद्ध और उसके कारण पैदा हुई नई चुनौतियों पर चर्चा की. इसका समापन जलवायु संरक्षण को लेकर साझा वादे के साथ हुआ.
डॉयचे वैले पर ऋतिका पाण्डेय की रिपोर्ट-
जर्मनी में तीन दिन तक चले सम्मेलन के दौरान जी7 देशों के नेताओं ने यूक्रेन की मदद और रूस को रोकने पर लंबी चर्चाएं कीं. साथ ही, सम्मेलन के आखिरी दिन वैश्विक स्तर पर पैदा हो रहे खाद्य संकट का मुकाबला करने के लिए खाद्य सुरक्षा के मद में 4.5 अरब डॉलर (4.2 अरब यूरो) जुटाने का प्रण भी लिया. हालांकि कुछ अंतरराष्ट्रीय एनजीओ ने इसे नाकाफी बताते हुए खाद्य सुरक्षा को लेकर जी7 के रवैये पर असंतोष जताया है.
सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तेज उपाय करने वाले एक क्लाइमेट क्लब के गठन का भी समर्थन किया गया. आशा है कि इसी साल के अंत तक क्लब अस्तित्व में आ जाएगा. एक बयान जारी कर इन देशों ने कहा कि क्लब उन सभी देशों के लिए खुला होगा, जो पेरिस सहयोग समझौते में तय हुए लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्ध हैं. यानि वे सब देश, जो वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री से ऊपर ना बढ़ने देने और 2050 तक कार्बन न्यूट्रल बनना चाहते हैं.
क्लब कल्चर कैसा हो
बवेरियाई आल्प्स पहाड़ियों के इस आयोजन स्थल पर जुटे नेताओं की मेजबानी की, जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने. क्लाइमेट क्लब के प्रस्ताव की अगुवाई करते हुए शॉल्त्स ने कहा कि इससे बिना आपसी प्रतिस्पर्धा के सभी देशों को जलवायु लक्ष्यों को जल्द से जल्द हासिल करने का मौका मिलेगा.
सम्मेलन के आखिरी दिन मीडिया से बातचीत में शॉल्त्स ने कहा कि जब देश अपनी अर्थव्यवस्था को कार्बनमुक्त करने की रणनीतियां बनाते हैं तो "हम यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि हम एक-दूसरे के खिलाफ काम नहीं करें और खुद को दूसरों से अलग-थलग ना करें.”
मिसाल के तौर पर, क्लब मेंबर कार्बन की कीमत मिलकर तय कर सकेंगे, ग्रीन हाइड्रोजन के लिए साझा समानक तय कर सकेंगे. जी7 देशों की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में यह भी कहा गया कि क्लब का "इंडस्ट्री सेक्टर पर विशेष फोकस होगा और अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन कराने पर भी."
शॉल्त्स का प्रिय प्रोजेक्ट
वहीं, कई पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने ऐसे क्लब को बेकार बताते हुए कहा है कि जलवायु के मुद्दों पर सहयोग के लिए पहले से ही पर्याप्त अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म मौजूद हैं. ग्रीनपीस जर्मनी के कार्यकारी अध्यक्ष मार्टिन काइजर ने कहा, "कार्बन का न्यूनतम मूल्य तय करने और इन्हें ना मानने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाए जाने की साफ प्रतिबद्धिता के बिना शॉल्त्स का प्रिय प्रोजेक्ट केवल "एक और क्लब" बन कर रह सकता है.
अभी यह हाल है कि खुद जी7 में शामिल अमेरिका और जापान जैसे अमीर और विकसित देश कार्बन की कीमत तय करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की कोई योजना नहीं बना रहे हैं.
रूस को सबक और यूक्रेन का साथ
रूस पर दवाब बनाने के मुद्दे पर भी जी7 सम्मेलन में एकजुटता दिखी. देशों ने यूक्रेन का साथ देने के अलावा इस पर भी सहमति बनाई कि यह युद्ध रूस को महंगा पड़ना चाहिए और उसे "जीतना नहीं चाहिए."
शॉल्त्स ने बताया कि यूरोपीय परिषद के साथ मिलकर जर्मनी एक कॉन्फ्रेंस आयोजित करने जा रहा है, जिसका मकसद युद्ध के बाद यूक्रेन के पुनर्निमाण की योजना बनाना होगा.
यूक्रेन में जारी रूसी युद्ध का मुद्दा आने वाली नाटो सम्मेलन में भी छाया रहेगा. यह सम्मेलन स्पेन के मैड्रिड में होना है. जर्मनी से जी7 के ज्यादातर नेता वहीं का रुख करेंगे.
भूख के खिलाफ जंग
रूस- यूक्रेन युद्ध के कारण विश्व भर में अनाजों के निर्यात पर असर पड़ने से भूख का संकट पैदा हो सकता है. इससे निपटने के लिए जी7 नेताओं ने 4.2 अरब यूरो की राशि जुटाने का फैसला किया है.
यूक्रेन के बंदरगाह ब्लॉक होने के कारण गेहूं, सूरजमुखी का तेल, मक्का और ऐसी कई खाद्य सामग्रियां वैश्विक बाजारों तक नहीं पहुंच पा रही हैं. इसके कारण खाने की कीमत महंगी होती जा रही है. विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि अफ्रीका के कुछ देश खाने की कमी से जल्द ही भूखमरी की कगार पर जा सकते हैं. जर्मनी समेत अमेरिका और फ्रांस ने जल्द-से-जल्द ऐसे कई प्रभावित देशों को खाद्य मदद मुहैया कराने का वादा किया है. (dw.com)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर/ कोरिया, 29 जून। विश्राम गृह कोरिया में सीएम बघेल ने अधिकारियों की समीक्षा बैठक ली। इसमें सीएम ने कहा कि राशन कार्ड में परिवार के सभी सदस्यों के नाम होना सुनिश्चित करें। कोई भी सदस्य छूटे नहीं, बैरासी में महिला ने नाम दर्ज न होने शिकायत की थी।
अधिकारी विभागीय दौरों के दौरान आम जनता से संवाद बना के रखें। राशन कार्ड के प्रकार और पात्रता बताने अवेरनेस कंपेन चलाएं। विद्युत कनेक्शन जहां सम्भव हो वहां पहुंचाएं। क्रेडा के अधिकारी सोलर लाइट के कार्य का प्रचार प्रसार करें। हाफ बिजली बिल योजना का क्रियान्वयन सौ प्रतिशत सुनिश्चित करें। पात्र व्यक्ति के अस्थायी जाति प्रमाण पत्र को समय सीमा में स्थायी जाति प्रमाण पत्र जारी करें, वैध उत्तराधिकारी को प्रमाण पत्र उपलब्ध कराएं, स्कूल में अभियान चला कर आठवीं के ऊपर के विद्यार्थियों को उपलब्ध कराना सौ प्रतिशत सुनिश्चित करें?
सीएम ने अफसरों से कहा कि ग्राम सभा को अविवादित नामांतरण बटवारे के अधिकार पहले से हैं, इस विषय मे कोई कन्फ्यूजन नहीं होना चाहिए।वनोपज का बोनस और पारिश्रमिक वितरण त्वरित सुनिश्चित करें, जंगली जानवर हमले में क्षति को मुआवजा के केसेस लंबित न रहें। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करें।
सिंगल बेंच का आदेश बरकरार, याचिकाकर्ताओं को कोई राहत नहीं
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 29 जून। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बस्तर रेल विकास प्राधिकरण के पक्ष में बड़ा फैसला देते हुए भू अर्जन में घोटाला करके हड़पी गई रकम 100 करोड़ रुपये वापस करने का आदेश दिया था। चीफ जस्टिस की डबल बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश को बरकरार रखा है।
ज्ञात हो कि मीडिया के जरिये यह बात सबसे पहले सामने आई थी रावघाट रेल परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण के दौरान अधिकारियों की मिलीभगत से अपात्रों को फर्जी मुआवजा बांटा गया है। यह फर्जीवाड़ा करीब 100 करोड़ रुपये का है। कलेक्टर अय्याज तंबोली ने मामले की जांच कराई थी जिसके बाद तत्कालीन अपर कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार सहित 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया था। साथ ही फर्जी तरीके से मुआवजा हासिल करने वालों को रकम वापस जमा करने के लिये कहा गया था। सिंगल बेंच में इस आदेश के विरुद्ध अपील की गई। जहां से एफआईआर रद्द करने और मुआवजा वापस नहीं लौटाने की दोनों मांग निरस्त करते हुए जिला प्रशासन के आदेश को सही ठहराया गया था।
100 करोड़ रुपये का मुआवजा केवल दो लोगों बली नागवंशी और नीलिमा टीवी रवि को बांट दिया गया था। दोनों ने सिंगल बेंच में याचिका खारिज होने के बाद डबल बेंच में अपील की। चीफ जस्टिस अरुप कुमार गोस्वामी और जस्टिस आरसीएस सामंत की बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश को बरकरार रखते हुए कलेक्टर को निर्देशित किया है कि मुआवजा की गणना कर 6 माह के भीतर राशि वापस ली जाए।
उन्नाव (यूपी), 29 जून | उत्तर प्रदेश में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर बुधवार को एक प्राइवेट बस डिवाइडर से टकराकर पलट गई। इस हादसे में कम से कम 26 यात्री घायल हो गए, जिनमें से तीन की हालत गंभीर है। घायलों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है और तीन यात्रियों को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया है।
खबरों के मुताबिक, बस बिहार के छपरा से आ रही थी और दिल्ली की ओर जा रही थी।
हादसे के वक्त ज्यादातर यात्री सो रहे थे। माना जा रहा है कि ड्राइवर को नींद आ गई थी, जिसके चलते वह वाहन से नियंत्रण खो बैठा था और बड़ा हादसा हो गया।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 29 जून | बाइजूस के स्वामित्व वाली ऑनलाइन कोडिंग प्रदाता व्हाइटहैट जूनियर ने अपने 300 कर्मचारियों की छंटनी की है। इस बार, निकाले गए अधिकांश कर्मचारी मंच पर कोड-शिक्षण और सेल्स टीमों के थे और उनमें से कुछ ब्राजील में काम करते थे।
एक बयान में, कंपनी ने कहा कि "हमारी व्यावसायिक प्राथमिकताओं के साथ तालमेल बिठाने के लिए, हम अपनी टीम को परिणामों में तेजी लाने और दीर्घकालिक विकास के लिए व्यवसाय को सर्वोत्तम स्थिति में लाने के लिए अनुकूलित कर रहे हैं।"
एडटेक क्षेत्र को वैश्विक व्यापक आर्थिक स्थितियों और स्कूलों, कॉलेजों और भौतिक शिक्षण केंद्रों को फिर से खोलने से प्रभावित किया गया है।
बाइजूस ने जुलाई 2020 में लगभग 300 मिलियन डॉलर में व्हाइटहैट जूनियर का अधिग्रहण किया था।
इसने वित्तीय वर्ष 2021 में बड़े पैमाने पर 1,690 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया, जबकि वित्तवर्ष 2015 में इसका खर्च 2,175 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि वित्तवर्ष 20 में यह 69.7 करोड़ रुपये था।
अप्रैल-मई की अवधि में, इसके 5,000 कर्मचारियों में से 1,000 से अधिक कर्मचारियों ने इस्तीफा दे दिया, जिसमें शिक्षक शामिल हैं जो कॉन्ट्रेक्ट के आधार पर थे।
व्हाइटहैट जूनियर ने अपने स्कूल डिवीजन को भी बंद कर दिया, जिसने पिछले साल अपने प्रमुख कोडिंग पाठ्यक्रम को अगले शैक्षणिक वर्ष तक 10 लाख स्कूली छात्रों तक ले जाने का लक्ष्य रखा था।
व्हाईटहैट जूनियर ने ऑनलाइन संगीत सिखाने, गिटार और पियानो बजाने की पेशकश का भी आज तक कोई सार्थक परिणाम नहीं दिया।
कंपनी ने कहा है कि नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों को उनके विच्छेद के हिस्से के रूप में एक महीने के वेतन की पेशकश की गई थी।
बाइजूस ने मंगलवार को कृष्णा वेदाती को ग्लोबल ग्रोथ एंड स्ट्रैटेजिक इनिशिएटिव्स के अध्यक्ष के रूप में नामित किया, साथ ही के-12 क्रिएटिव कोडिंग प्लेटफॉर्म टाइनकर (जिसे इसने 200 मिलियन डॉलर में हासिल किया) में शीर्ष नेतृत्व को अपने अमेरिकी विस्तार के हिस्से के रूप में फिर से शामिल किया।
टाइनकर के सह-संस्थापक और सीईओ वेदाती, बायजू के सह-संस्थापक और सीईओ बायजू रवींद्रन को रिपोर्ट करेंगे।
(आईएएनएस)
कोलकाता, 29 जून | पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में झालदा नगर पालिका के वार्ड नंबर दो पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने बुधवार को जीत हासिल की। 13 मार्च को कांग्रेस पार्षद तपन कंडू की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या के पीछे तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का हाथ बताया गया था।
दावा किया गया कि झालदा में कांग्रेस की मजबूत पकड़ को कमजोर करने के लिए तपन कंडू की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) फिलहाल तपन कंडू की हत्या की जांच कर रही है।
तपन कूंड की हत्या के बाद खाली हुई इस सीट पर मतदान कराया गया। इस चुनाव में उनके भतीजे मिथुन कंडू को उम्मीदवार बनाया गया।
उपचुनाव 26 जून को हुआ था।
मिथुन कांडू ने तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार जगन्नाथ रजक को 778 मतों के अंतर से हराया, जो उनके दिवंगत चाचा को मिले 124 मतों से बहुत अधिक था।
राजनीतिक जानकारों ने कांग्रेस उम्मीदवार की जीत के पीछे सहानुभूति लहर का हवाला दिया। (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 29 जून | फेसबुक और इंस्टाग्राम ने उन पोस्ट को तुरंत हटाना शुरू कर दिया है जो महिलाओं को गर्भपात की गोलियों की पेशकश करते हैं। साथ ही इन यूजर्स पर अस्थायी रूप से बैन भी लगा दिया है। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने रो बनाम वेड मामले में गर्भपात को कानूनी तौर पर मान्यता देने वाले 50 साल पुराने फैसले को पलट दिया था। कोर्ट ने कहा था कि संविधान गर्भपात का अधिकार नहीं देता है।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद फेसबुक और इंस्टाग्राम ने उन सोशल मीडिया पोस्ट को हटाना शुरू कर दिया है, जो महिलाओं को गर्भपात की गोलियों की पेशकश करते हैं।
मदरबोर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के पोस्ट फार्मास्यूटिकल्स के आसपास की नीति का उल्लंघन करते हैं।
एक फेसबुक यूजर ने अपने पोस्ट में लिखा था, "मैं आप में से किसी एक को गर्भपात की गोलियां मेल कर दूंगा। बस मुझे मैसेज करें।"
फेसबुक और इंस्टाग्राम ऐसे कई पोस्ट को हटा रहा है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 29 जून | लखनऊ में संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआईएमएस) में प्लास्टिक सर्जनों की एक टीम ने लोप कान के पुनर्निर्माण में एक उच्च अंत मैट्रिक्स रिब इम्प्लांट का सफलतापूर्वक उपयोग किया है, जो एक सामान्य जन्मजात समस्या है। 700-1,000 व्यक्तियों में से एक को प्रभावित करना, समस्या के उपचार को जटिल माना जाता था, क्योंकि कान के पुनर्निर्माण में कान को फिर से बनाने के लिए पसली के एक हिस्से को निकालना शामिल होता है।
टीम का नेतृत्व करने वाले प्रोफेसर राजीव अग्रवाल ने कहा, "पसलियां शरीर में उपास्थि का एकमात्र स्रोत हैं। हालांकि अलगाव में देखे जाने पर कान का पुनर्निर्माण एक जोखिम भरा प्रक्रिया नहीं है, लेकिन उपास्थि के लिए पसली का निष्कर्षण मुश्किल हो जाता है। इसलिए, मामले को सरल बनाने का प्रयास, हमने वास्तविक पसली के बजाय प्रत्यारोपण का उपयोग करने के बारे में सोचा।"
उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक एक 12 वर्षीय लड़की पर किया गया था, जो एक लोप ईयर के साथ पैदा हुई थी, जिसमें फ्लैप अंदर की ओर लुढ़का हुआ था।
मैट्रिक्स रिब फिक्सेशन सिस्टम लगभग एक दशक से उपयोग में आने वाला एक जर्मन उत्पाद है। इम्प्लांट टाइटेनियम स्क्रू और प्लेट्स के साथ आते हैं, जिन्हें मरीज की अनूठी जरूरतों के अनुसार आसानी से ढाला जा सकता है।
उनका कहना था कि, "हमारे मामले में, उपकरण मरीजों को पसली के निष्कर्षण के लिए स्केलपेल से गुजरने से बचाएगा, जिसमें इसके अनूठे जोखिम हैं, क्योंकि पसली को बाहर निकालने की प्रक्रिया नाजुक और चुनौतीपूर्ण है। इस पद्धति को जल्द ही पत्रिकाओं में प्रलेखित किया जाएगा और अब यह संस्थान में मरीजों के लिए आसानी से उपलब्ध होगी।"
साइड इफेक्ट्स के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा, "पारंपरिक पद्धति में मूल नुकसान यह था कि रिब से सेक्शन लेने के बाद, रिब केज में एक अवशिष्ट गैप पीछे रह जाता है। यह एक व्यक्ति को सामान्य से अधिक कमजोर बना देता है, बाहरी चोट पर गहरा प्रभाव। ऐसे मामलों में जहां एक बड़ा टुकड़ा या कई खंड लिए जाते हैं, एक मरीज की सांस लेने से समझौता हो सकता है।" (आईएएनएस)
चेन्नई, 29 जून | सिंगापुर के तीन उपग्रहों को ले जाने वाले भारतीय रॉकेट पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) के गुरुवार शाम के प्रक्षेपण के लिए 25 घंटे की उलटी गिनती बुधवार को शाम 5 बजे शुरू होगी। मिशन का कोड नाम पीएसएलवी-सी 53/डीएस-ईओ।
भारतीय रॉकेट तीन उपग्रहों को ले जाएगा, 365 किलोग्राम डीएस-ईओ और 155 किलोग्राम न्यूसार, सिंगापुर से संबंधित उपग्रह और दक्षिण कोरिया के स्टारेक इनिशिएटिव द्वारा निर्मित। तीसरा उपग्रह नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (एनटीयू), सिंगापुर का 2.8 किलोग्राम का स्कूब-1 है।
यदि प्रक्षेपण सफल होता है, तो पीएसएलवी रॉकेट ने 1999 से 36 देशों के 345 विदेशी उपग्रहों को लॉन्च किया होगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईएसआरओ) के अनुसार, पीएसएलवी-सी53 रॉकेट के श्रीहरिकोटा रॉकेट पोर्ट के दूसरे लॉन्च पैड से शाम 6 बजे, 30 जून को लॉन्च होने की उम्मीद है।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी, इसरो रॉकेट के चौथे और अंतिम चरण का उपयोग छह पेलोड के लिए कक्षीय मंच के रूप में करेगी, जिसमें दो भारतीय अंतरिक्ष स्टार्ट-अप, दिगंतारा और ध्रुव एयरोस्पेस शामिल हैं।
मिशन उपग्रहों के अलग होने के बाद, वैज्ञानिक पेलोड के लिए एक स्थिर मंच के रूप में लॉन्च वाहन के खर्च किए गए ऊपरी चरण के उपयोग को प्रदर्शित करने का प्रस्ताव करता है।
चार चरणों में खर्च करने योग्य, 44.4 मीटर लंबा पीएसएलवी-सी53 का उत्थापन द्रव्यमान लगभग 228 टन है और तीन उपग्रहों का कुल वजन 522.8 किलोग्राम है।
रॉकेट के चार चरण बारी-बारी से ठोस और तरल ईंधन से संचालित होंगे।
गुरुवार की उड़ान पीएसएलवी का 55वां मिशन और पीएसएलवी-कोर अलोन वैरिएंट का इस्तेमाल करने वाला 15वां मिशन होगा।
अपने सामान्य विन्यास में रॉकेट के पहले चरण में छह स्ट्रैप-ऑन मोटर्स होंगे। पीएसएलवी के कोर अलोन वैरिएंट में छह स्ट्रैप-ऑन मोटर्स नहीं होंगे, क्योंकि पेलोड का वजन कम है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 29 जून | जी-7 के नेताओं ने पेरिस जलवायु समझौते के प्रति प्रतिबद्धता के साथ बवेरियन आल्प्स के एक स्पा रिसॉर्ट में अपनी तीन दिवसीय बैठक पूरी कर ली है। बैठक में कहा गया कि नई पहलों के माध्यम से लचीलापन लाया जाएगा, जिसमें भारत के साथ जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन पार्टनरशिप के लिए अपनी प्रतिबद्धता शामिल है।
उन्होंने 2035 तक पूरी तरह या मुख्य रूप से कार्बन रहित बिजली क्षेत्र को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध किया है, यह मानते हुए कि कोयला बिजली उत्पादन से उत्सर्जन ग्लोबल वार्मिग का एकमात्र सबसे बड़ा कारण है।
जी7 देश, जो सालाना एक अरब टन थर्मल कोयले की खपत करते हैं, ने विशेष रूप से 2030 कोयला चरण समाप्ति की तारीख का उल्लेख नहीं किया है, 2035 तक मुख्य रूप से या पूरी तरह से डीकाबोर्नाइज्ड बिजली क्षेत्र में 2030 तक कोयला चरण समाप्त हो जाता है।
सालाना एक अरब टन कोयले की खपत वैश्विक थर्मल कोयले की खपत का लगभग 16 प्रतिशत है और भारत, इंडोनेशिया और दक्षिण अफ्रीका द्वारा संयुक्त रूप से खपत किए गए कुल थर्मल कोयले के बराबर है।
2035 बिजली क्षेत्र के डीकाबोर्नाइजेशन के निहितार्थ का मतलब है कि जी7 और यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में कोयले की शक्ति को समाप्त करना सालाना 1.9 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन से बच जाएगा, जो कि सभी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से संयुक्त कुल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन से अधिक है।
जी7 - दुनिया की सात उन्नत अर्थव्यवस्थाओं का एक अनौपचारिक समूह : कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके, अमेरिका और यूरोपीय संघ ने रूसी ऊर्जा पर निर्भरता कम करने में मदद करने के लिए गैस निवेश शुरू करने का आह्वान किया।
जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने 2022 के शिखर सम्मेलन में अर्जेटीना, इंडोनेशिया, सेनेगल और दक्षिण अफ्रीका के साथ भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को भागीदार देशों के रूप में आमंत्रित किया था। (आईएएनएस)
पत्रकार मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर पूछे गए एक सवाल पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने कहा कि पत्रकारों को उनके लिखने, ट्वीट करने और कहने के लिए जेल नहीं होनी चाहिए.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
पत्रकार और ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने कहा, "दुनिया भर में किसी भी स्थान पर यह बहुत महत्वपूर्ण है कि लोगों को खुद को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने की इजाजत दी जाए, पत्रकारों को स्वतंत्र रूप से और बिना किसी उत्पीड़न की धमकी के खुद को व्यक्त करने की इजाजत दी जाए."
पत्रकार वार्ता के दौरान डुजारिक से जुबैर की गिरफ्तारी को लेकर प्रतिक्रिया पूछी गई थी. पत्रकार वार्ता में डुजारिक से एक पाकिस्तानी पत्रकार ने एक और सवाल किया कि क्या वे जुबैर की रिहाई की मांग कर रहे हैं. इस पर डुजारिक ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "पत्रकार जो लिखते हैं, जो ट्वीट करते हैं और जो कहते हैं उसके लिए उन्हें जेल नहीं होनी चाहिए."
चार दिन की पुलिस हिरासत में जुबैर
दूसरी ओर मोहम्मद जुबैर को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को चार दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया. जुबैर पर आरोप है कि उन्होंने साल 2018 में एक ट्वीट में कथित तौर पर एक समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है.
दिल्ली पुलिस ने सोमवार की शाम को जुबैर को गिरफ्तार किया था. जुबैर के साथी प्रतीक सिन्हा ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने जुबैर को बिना नोटिस दिए गिरफ्तार किया है. सोमवार की शाम को जुबैर को पुलिस ने साल 2020 के एक मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन उनकी गिरफ्तारी नए मामले में हुई थी. एक दिन की हिरासत में पूछताछ की अवधि समाप्त होने के बाद उन्हें पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया. पुलिस हिरासत देते हुए कोर्ट ने कहा कि आरोपी को बेंगलुरु ले जाकर उस डिवाइस को बरामद करना है, जिससे साल 2018 में विवादित पोस्ट किया गया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बचाव पक्ष हर दलील को ठुकरा दिया.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही गिरफ्तारी की निंदा
पत्रकारों के लिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने भी गिरफ्तारी की निंदा की है. सीपीजे के दक्षिण एशिया प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर स्टीवन बटलर ने कहा, "पत्रकार मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी भारत में प्रेस की स्वतंत्रता के पतन को दर्शाता है. जहां सरकार ने सांप्रदायिक मुद्दों पर प्रेस रिपोर्टिंग के सदस्यों के लिए शत्रुतापूर्ण और असुरक्षित वातावरण बनाया है."
मंगलवार को मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने भी जुबैर की गिरफ्तारी पर एक बयान जारी किया था. संगठन ने जुबैर की तत्काल और बिना शर्ता रिहाई की मांग की थी. संगठन ने अपने बयान में कहा, "सत्य और न्याय की पैरोकारी कर रहे मानवाधिकार रक्षकों का उत्पीड़न और मनमाने तरीके से गिरफ्तारी भारत में चिंताजनक रूप से आम बात हो गयी है."
एमनेस्टी इंडिया के अध्यक्ष आकार पटेल ने बयान में कहा कि भारतीय अधिकारी जुबैर पर इसलिए निशाना साध रहे हैं क्योंकि वह फर्जी खबरों और भ्रामक सूचनाओं के खिलाफ काम कर रहे हैं.
पुलिस ने एक ट्विटर हैंडल से शिकायत मिलने के बाद जुबैर के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जहां यह आरोप लगाया गया था कि उन्होंने जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से विवादित ट्वीट किया था.
मंगलवार को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, मुंबई प्रेस क्लब समेत कुछ पत्रकार संगठनों ने जुबैर की गिरफ्तारी की निंदा की और उनकी तुरंत रिहाई की मांग की थी. (dw.com)
मुंबई, 29 जून | महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राजनीतिक गेंद को घुमाते हुए शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-कांग्रेस की सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी सरकार को 30 जून (गुरुवार) को बहुमत साबित करने का निर्देश दिया है। मंगलवार देर रात राजभवन द्वारा महाराष्ट्र विधानमंडल सचिव को एक पत्र जारी किया गया था। इसके तुरंत बाद विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात की और उनसे बहुमत साबित करने के लिए एमवीए को तत्काल निर्देश देने का आग्रह किया।
राज्यपाल ने गुरुवार को महाराष्ट्र विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है।
राज्यपाल ने कहा, "मैंने सीएम को एक पत्र जारी कर 30.06.2022 को सदन में बहुमत साबित करने का आह्वान किया है। कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू होगी और शाम 5 बजे समाप्त होगी। गुरुवार को कार्यवाही की वीडियोग्राफी की जाएगी और इसका सीधा प्रसारण किया जाएगा।"
इस बीच, ऐसे संकेत हैं कि शिवसेना इस मामले में तत्काल सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है, क्योंकि अटकलों के बीच ठाकरे दिन में होने वाली कैबिनेट बैठक में कुछ कठोर कदम उठा सकते हैं।
मंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि वे गुरुवार को मुंबई लौटेंगे और विश्वास मत और अन्य सभी कार्यवाही में भाग लेंगे।
शिंदे ने बहुमत पर भरोसा जताया और कहा कि वे शक्ति परीक्षण के बाद अपनी आगे की रणनीति तय करेंगे।
जानकारी के मुताबिक, पार्टी के सभी बागी नेता 9 दिनों तक राज्य से बाहर रहने के बाद बुधवार दोपहर गुवाहाटी एयरपोर्ट के लिए रवाना होंगे, हालांकि उनके गंतव्य और शहर पहुंचने के समय की पुष्टि नहीं हुई है। (आईएएनएस)
पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर इस्लामी देशों द्वारा नाराजगी व्यक्त करने के हफ्तों बाद प्रधानमंत्री मोदी यूएई पहुंचे और वहां के राष्ट्रपति से मुलाकात की. यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
जर्मनी में जी-7 देशों की बैठक में अतिथि के रूप में हिस्सा लेने के बाद मोदी भारत लौटने से पहले यूएई पहुंचे. उनकी यात्रा को हाल ही में पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर हुए विवाद के परिदृश्य में महत्वपूर्ण माना जा रहा है. कुछ ही हफ्तों पहले बीजेपी की तत्कालीन प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अभद्र टिप्पणी के विरोध में यूएई समेत कई इस्लामी देशों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की थी.
सात जून को यूएई के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में "पैगंबर के अपमान की निंदा" की थी और "धार्मिक प्रतीकों का आदर करने, उनका निरादर ना करने और नफरती भाषण और हिंसा का मुकाबला करने की जरूरत को रेखांकित किया था." भारत में उस विवाद का असर अभी तक जारी है.
मोदी के यूएई पहुंचने पर यूएई के राष्ट्रपति और अबू धाबी के राजा शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाह्यान शाही परिवार के कुछ और सदस्यों के साथ उन्हें लेने हवाई अड्डे पर पहुंचे. इसे एक विशेष भाव बताते हुए, मोदी ने इस बारे में ट्वीट भी किया. दोनों नेता इससे पहले अगस्त 2019 में मिले थे जब मोदी अबू धाबी गए थे.
मोहम्मद बिन जायेद पिछले महीने ही उनके सहोदर भाई शेख खलीफा की मौत के बाद यूएई के राष्ट्रपति बने थे. मोदी ने मोहम्मद बिन जायेद से मिल कर शेख खलीफा की मौत पर अपनी संवेदना भी व्यक्त की.
दोनों की मुलाकात के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दोनों ने "भारत-यूएई व्यापक सामरिक साझेदारी के विभिन्न आयामों की समीक्षा की."
दोनों नेताओं ने 18 फरवरी को एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन में व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जो एक मई से लागू हो चुका है. उम्मीद की जा रही है कि इस समझौते से दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को और बढ़ावा मिलेगा.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और भारतीय निर्यात का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है. वित्त वर्ष 2021-22 में दोनों देशों के बीच करीब 72 अरब डॉलर मूल्य का व्यापार हुआ. (dw.com)