विधानसभा
विधानसभा में संशोधन विधेयक पारित
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 मार्च। छत्तीसगढ़ के रहवासियों के लिए उनके आवास, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, प्रभावशील भू-उपयोग आदि निर्माण कार्यों का नियमितिकरण कराना अब और अधिक आसान हो जाएगा। छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज छत्तीसगढ़ अनाधिकृत विकास नियमितिकरण (संशोधन) विधेयक पारित किया गया। संशोधन विधेयक के अनुसार राज्य के निवेश क्षेत्र के अंतर्गत जहां भी अनियमित विकास हुए हैं उन्हें नियमित कराया जा सकेगा। विधेयक में नियमितिकरण के प्रावधानों को पहले से अधिक शिथिल कर दिया गया है।
छत्तीसगढ़ अनाधिकृत विकास नियमितिकरण (संशोधन) विधेयक से प्रदेश की जनता को उनके आवास, व्यावसायिक प्रतिष्ठान को नियमित कराने का अवसर मिलेगा। ऐसे लोग जो परिस्थितिवश अनुज्ञा प्राप्त करने से वंचित रह गये थे, उन्हें भी इस अधिनियम के लागू होने पर शासन द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुरूप अपने अनियमित विकास एवं निर्माण को नियमित कराने का मौका मिलेगा। इससे राज्य सरकार के राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी। इसका उपयोग विकास योजनाओं में किया जा सकेगा।
छत्तीसगढ़ अनाधिकृत विकास नियमितिकरण (संशोधन) विधेयक में भूमि उपयोग में परिवर्तन करने पर कलेक्टर गाईडलाईन का 5 प्रतिशत अतिरिक्त शमन शुल्क अधिरोपित की जावेगी। साथ ही अनाधिकृत विकास की प्रकरण में यदि नियमानुसार पार्किग की व्यवस्था उपलब्ध नहीं है, तो पार्किग हेतु अतिरिक्त शास्ति राशि जमा किया जा कर नियमितिकरण कराया जा सकेगा। इसके अलावा गैर लाभ अर्जित करने वाली संस्थाओं को शास्ति में 50 प्रतिशत तक छूट होगी। इसके साथ ही अनाधिकृत विकास के प्रकरणों में यदि स्थल पर नियमानुसार मार्ग की चौड़ाई उपलब्ध नहीं है तथा स्थल पर विद्यमान गतिविधियों से किसी प्रकार का लोकहित प्रभावित नहीं होने पर नियमितिकरण किया जा सकेगा।
विधायक शैलेश पांडे के सवाल पर मंत्री रविंद्र चौबे ने दिया जवाब
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 22 मार्च। मंगलवार को विधानसभा में विधायक शैलेश पांडेय ने अहिरन खारंग लिंक परियोजना और छपरा टोला परियोजना का मुद्दा उठाया। मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि अहिरन खारंग लिंक परियोजना अहिरन से गाजरा नाला जल संवर्धन योजना प्रस्तावित है। परियोजना वित्तीय वर्ष 2021-22 नवीन मद में शामिल है। छपरा टोला परियोजना बिलासपुर के खोंगसरा के समीप प्रस्तावित है, यह भी वित्तीय वर्ष 2021-22 के नवीन मद में शामिल है।
इसके अलावा विधायक पांडेय ने विधानसभा में कहा कि बिलासपुर में अमृत मिशन योजना को पिछली सरकार ने आधा अधूरा प्रारंभ किया था। बड़ी-बड़ी घोषणाएं की थी और लोगों को सपना दिखाया था, लेकिन उन्होंने कोई काम नहीं किया। हमारी सरकार ने बिलासपुर की जनता से जो वादा किया है। इसके लिए अहिरन खारंग लिंक परियोजना और छपराटोला की अद्यतन स्थिति की जानकारी दी जाए।
जवाब में मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि दोनों परियोजनाओं को हमने बजट में प्रावधानवित किया है। एफआईसी की मीटिंग में दोनों परियोजनाओं की स्वीकृति दे दी गई है। प्रशासकीय स्वीकृति के लिए दोनों परियोजनाएं लंबित हैं। खारंग अहिरन परियोजना की अनुमानित लागत 720 करोड़ रुपये है। इसमें जल भराव क्षमता 46 मिलियन घन मीटर है। इसमें से बिलासपुर के लिए 31 मिलियन घन मीटर रखा गया है।
छपरा टोला परियोजना बहुत महत्वपूर्ण योजना है। पर्यावरणीय जलभराव हेतु अरपा के लिए इसमें तीन प्रकार के काम होंगे, जिसके लिए पानी मिलेगा। निस्तार और पेयजल के लिए भी जल उपलब्ध होगा। नदी में हमेशा पानी भरा रहेगा। इसके लिए भी एफआईसी से स्वीकृति मिल चुकी है। प्रशासकीय स्वीकृति के लिए लंबित है। इसकी लागत 968 करोड रुपए है। अरपा नदी में जो बांध बनेगा उसमें 30 मिलियन घन मीटर एवं मट्टी नाला में 37 मिलियन घन मीटर जल उपलब्ध रहेगा। कुल 67.77 मिलियन घन मीटर की छमता है। इससे अरपा नदी में 12 महीना पानी भरा रहेगा और अरपा नदी को पुनर्जीवित करेगा। योजना हमारी प्राथमिकता में है, जल्द ही प्रारंभ होगी।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 मार्च। कांग्रेस के आशीष छाबड़ा रामकुमार यादव ने अपने-अपने प्रश्नों के जरिए समाज कल्याण विभाग में दिव्यांगों को उपकरण, और पेंशन प्रकरणों में गड़बड़ी के मामलों में मंत्री अनिला भेडिय़ा को घेरा। मंत्री को आखिर घोषणा करनी पड़ी कि लंबित पेंशन की स्वीकृति दी जाएगी, और उपकरण खरीदी की जांच भी होगी।
प्रश्नकाल में आशीष छाबड़ा ने बेमेतरा जिले में वर्ष 2019-20, 2020-21 में दिव्यांगों के लिए उपकरण खरीदी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा दो साल हो गए। बेमेतरा में दिव्यांगों को कोई सामग्री का वितरण नहीं हुआ है। इस पर मंत्री अनिला भेडिय़ा ने कहा कलेक्टर की समिति खरीदी कर वितरित करती है। इसके लिए डीएमएफ से 25 लाख रूपए निराश्रित निधि से खर्च किए जाते हैं। जिले में हुई खरीदी की जानकारी राज्य स्तर पर नहीं आती। इस पर छाबड़ा ने कहा कि जो सामग्री दिव्यांगों को दी गई है। वह गुणवत्ताहीन है। इसकी जांच कराई जाए। स्पीकर महंत ने कहा सभी मामलों की लिखित शिकायत करें मंत्री जांच करा लेगी।
एक अन्य प्रश्न में रामकुमार यादव ने वर्ष-2019 से 22 तक जिले में समाज कल्याण विभाग की लंबित पेंशन योजनाओं का मामला उठाया। उन्होंने कहा उनके विस क्षेत्र में 2002, और 2011 की निराश्रित सूची में नाम न होने के कारण विधवा, निराश्रित, और विकलांग पेंशन के दर्जनों मामले लंबित हैं। यादव ने मांग कि ग्राम पंचायत में प्रकरण मंजूर कर दिए हैं। उसी अनुरूप विभाग स्वीकृति दे। मंत्री भेडिय़ा ने कहा ग्राम सभी के प्रस्ताव पर ही स्वीकृति दी जाती है। लंबित प्रकरणों के हितग्राही यदि पात्रता में आते हैं, तो पेंशन अवश्य देंगे। उन्होंने कहा कोई प्रकरण विशेष है तो विधायक बताएं स्वीकृत कर देंगे। इस पर स्पीकर महंत ने मंत्री को सुझाव दिया कि सीएम और कैबिनेट में चर्चा कर 2002 और 2011 की सूची की समस्या दूर की जानी चाहिए।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 मार्च। पूरक पोषण आहार वितरण के लिए महिला समूहों से अनुबंध के एवज में राशि वसूलने के मामले में भाजपा विधायक रंजना साहू, और महिला बाल विकास मंत्री अनिला भेडिया के बीच तीखी तकरार हुई। रंजना ने कहा अनुबंध के लिए महिला बाल विकास अधिकारियों ने धमतरी जिले में पैसा वसूला है। इस पर मंत्री अनिला ने कहा कि कुछ भी न बोलें, किसने कौन सा पैसा लिया है लिखित शिकायत करें। जांच करेंगे, कार्रवाई करेंगे। प्रश्नकाल में रंजना साहू ने अपने मूल प्रश्न को विभाग द्वारा संशोधित करने का आरोप लगाया।
उन्होंने पूछा पूरक पोषाहार के कितने सैंपल बीते तीन साल में लिए गए। और इनमें कितने अमानक पाए गए। इस पर मंत्री भेडिय़ा ने बताया कि 2019-20 में 126, 20-21 में 156, और 21-22 में 40 अमानक पाए गए हैं। और 3857 मानक पाए गए। इस पर रंजना साहू ने यह जानना चाहा कि ऐसे क्या कारण है कि पोषाहार वितरण का काम महिला स्वसहायता समूह के बजाए बीज निगम से कराया जा रहा है। स्पीकर महंत ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि बार-बार इसी तरह का प्रश्न पूछा जा रहा है यह गलत है। तब रंजना ने कहा कि दुर्ग में बीज निगम के द्वारा वितरित चिक्की, और टिक्की खाने से 50 बच्चे बीमार हुए हैं। ऐसे में फिर से बीज निगम को काम देना उचित नहीं। इस पर मंत्री भेडिय़ा बोली कि महिला समूहों को तीन साल तक पोषाहार वितरण के लिए अनुबंधित किया गया है। रंजना साहू ने कहा कि इस अनुबंध के बदले अफसर महिला समूहों से राशि ले रहे हैं। क्या इसे वापस कराएंगे। मंत्री भेडिय़ा ने इसका तीखा जवाब दिया। कौन सा पैसा, किसने लिया उल्टे-सीधे आरोप न लगाएं। शिकायत है तो लिखित में करिए जांच कराएंगे। रंजना ने कहा उन्होंने इसकी शिकायत कलेक्टर स की थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
सिंचाई मंत्री रविन्द्र चौबे की घोषणा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 मार्च। जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने पामगढ़ में बन रहे एनीकट की गुणवत्ता की जांच विधायक के समक्ष चीफ इंजीनियर से कराने की घोषणा की। विधायक इंदू बंजारे ने पामगढ़ क्षेत्र में जमूनिया, और बिलारी एनीकट निर्माण में स्तरहीन काम होने का मामला उठाया था। उन्होंने मंत्री से यह भी कहा कि मेरे समक्ष ही जांच की घोषणा करें। इस पर मंत्री चौबे ने जवाब दिया। सदन में यह तीसरी बार मामला उठा है। विधायक, और ग्रामीणों की शिकायत पर इसकी जांच कराई जा चुकी है। ऐसा कोई मामला नहीं है। इस पर इंदू बंजारे ने कहा पूरा निर्माण निर्धारित मानकों के विपरित, और स्तरहीन हुआ है। इसके चलते दोनों काम अभी तक अपूर्ण हैं। चौबे ने कहा कि पहले एसई से जांच कराई गई थी, अब विधायक चाहती हैं, तो चीफ इंजीनियर को भेजकर उनके ही सामने जांच करा लेंगे।
एक अन्य मामले में अनिता योगेन्द्र शर्मा ने भी भाटापारा शाखा नहर योजना में नहर नाली निर्माण में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा गांव वालों की शिकायत पर मैंने स्वयं अफसरों से बात कर समझाइश दी थी कि काम गुणवत्तापूर्वक हो, लेकिन किसी ने सूना नहीं। पूरा काम घटिया किया गया है। हाथ से रगड़ते ही सीमेंट निकल जाता है। स्पीकर महंत ने व्यवस्था दी कि मंत्रीजी को लिखित शिकायत करें जांच करा लेंगे। मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि 5 शिकायतें आई थी। जांच कराया था। विधायक फिर चाहती हैं, तो जांच करा लें। अनिता शर्मा ने बताया कि खपरी-केसला माइनर, भेजरीडीह, नहर नाली में गुणवत्ताहीन काम हुआ है। यह काम संबंधित ईई के द्वारा कराया गया है। इन पर कार्रवाई होनी चाहिए। मंत्री चौबे ने कहा चीफ इंजीनियर से जांच कराई जाएगी। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
नेता प्रतिपक्ष कौशिक की मांग पर कृषि मंत्री चौबे ने दी जांच की सहमति
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 मार्च। वर्ष-2019 से 22 तक हुई अमानक, बीज खाद, कीटनाशकों की खरीदी, और आपूर्तिकर्ता फर्म को भुगतान के मामले की विधानसभा समिति जांच करेगी। मंगलवार को सत्र के अंतिम दिन यह मामला जमकर उठा, और कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे की सहमति से स्पीकर चरणदास महंत ने यह जांच की घोषणा की।
प्रश्नकाल में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने यह मामला उठाया। उन्होंने इस बात पर आपत्ति की कि इन अमानक सामग्री की आपूर्ति करने वाले त्रिमूर्ति साइंस प्लांट फर्म को ब्लैक लिस्ट करने के बाद भी फिर से सप्लाई का काम दिया गया, और भुगतान भी कर दिया गया। यह कैसे हुआ बताया जाए। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने बताया कि इस मामले की हर सत्र में चर्चा होती रही है। हमने कार्रवाई भी की। फर्म की सुरक्षा निधि राजसात की, भुगतान भी रोका, और फर्म को डिबार करने की घोषणा इसी सदन में की। फिर भी 2.61 करोड़ रूपए का भुगतान कर दिया गया जो उचित नहीं था। इस पर कौशिक ने कहा कि जिन्होंने फर्म को बहाल किया उन अफसर के खिलाफ क्या कार्रवाई करेंगे। हमारी तो मांग है कि सदन कमेटी से जांच कराई जाए। मंत्री चौबे ने कहा कि मामला इतना गंभीर भी नहीं कि सदन समिति से जांच हो, लेकिन सदन में चर्चा के बाद भुगतान किया गया, जो नहीं होना था यह गंभीर है। हम उच्चस्तरीय जांच करा लेंगे। भाजपा के शिवरतन शर्मा ने पूछा कि इस उच्चस्तरीय जांच से पहले क्या पेमेंट करने वाले अफसर को निलंबित करेंगे। मंत्री चौबे ने कहा निलंबन जैसी स्थिति नहीं है। अफसर के रहते जांच में दिक्कत नहीं होगी। क्योंकि फर्म का पेमेंट अभी बकाया है। सौरभ सिंह ने कहा सदन में मंत्री की घोषणा के बाद भी पेमेंट किया गया। अफसर पर किसका संरक्षण है, यह गंभीर मामला है निलंबन की घोषणा करें। नेता प्रतिपक्ष ने कहा यह किसानों की योजना में भारी अनियमितता का मामला है। ऐसे अफसर को बचाना संरक्षण देने से अनियमितताएं और बढ़ेंगी। तो अजय चंद्राकर ने कहा कि अनियमितता साबित हो गई है, और मंत्रीजी ने स्वीकार भी किया है। तो सदन समिति से जांच कराने में क्या दिक्कत है। कृषि मंत्री चौबे ने कहा कि किसानों के हित के मामले में किसी को बख्शा नहीं जाएगा। सरकार की यही प्राथमिकता है। चौबे ने स्पीकर महंत से प्रश्न संदर्भ समिति या सदन समिति बनाने का आग्रह करते हुए जांच की घोषणा की। यह भी कहा कि इस जांच के बाद अफसर पर कार्रवाई की जाएगी।
बोले- स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत हुईं हैं प्रदेश में सिलसिला जारी रहेगा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 21 मार्च। छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज पंचायत एवं ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा मंत्री टी.एस. सिंहदेव के विभागों के लिए कुल 11 हजार 196 करोड़ 82 लाख 98 हजार रूपए की अनुदान मांगे ध्वनिमत से पारित की गईं।
इनमें पंचायत तथा ग्रामीण विकास से संबंधित व्यय के लिए 3494 करोड़ 83 लाख 43 हजार रुपए, पंचायती राज संस्थाओं को वित्तीय सहायता के लिए 3472 करोड 98 लाख 91 हजार रुपए, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के लिए 2823 करोड़ 18 लाख 85 हजार रुपए, चिकित्सा शिक्षा विभाग से संबंधित व्यय के लिए 1108 करोड़ 93 लाख 51 हजार रुपए, वाणिज्यिक कर विभाग से संबंधित व्यय के लिए 293 करोड़ रुपए की अनुदान मांगें शामिल हैं।
स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने कटौती प्रस्तावों पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि घोषणा पत्र की कई बातों को पिछले तीन वर्षों में लागू किया गया है। जो रह गया है उन्हें आने वाले समय में लागू करेंगे। इन्हें पूरा करना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के अंतर्गत बीपीएल राशन कॉर्डधारी परिवारों को सालाना पांच लाख रूपए तक के निःशुल्क इलाज की पात्रता प्रदान कर इसके दायरे में आने वाले परिवारों की संख्या बढ़ाई गई है। सिंहदेव ने सदन में बताया कि मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत 14 चिन्हांकित बीमारियों के उपचार के लिए 20 लाख रूपए तक की आर्थिक सहायता दी जा रही है। इसमें कुछ और बीमारियों को भी शामिल किया जा रहा है।
सिंहदेव ने कहा कि अस्पतालों में मानव संसाधन को मजबूत करने 541 चिकित्सा अधिकारियों और 273 विशेषज्ञ चिकित्सों की भर्ती की गई है। इसके साथ ही एमबीबीएस डिग्रीधारी 1070 और पोस्ट ग्रेजुएट डिग्रीधारी 247 अनुबंधित डॉक्टर भी सरकारी अस्पतालों में पदस्थ किए गए हैं।
श्री सिंहदेव ने कहा कि लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने जरूरत के मुताबिक मनरेगा कार्य शुरू करने के निर्देश सभी जिलों को दिए गए हैं। सामग्री मद में भुगतान के लिए 290 करोड़ और प्रशासनिक व्यय के लिए 114 करोड़ रूपए की राशि आज ही भारत सरकार से प्राप्त हुई है। इससे इन मदों में लंबित राशि का भुगतान शीघ्र कर लिया जाएगा। प्रदेश में अनेक जरूरतमंद श्रमिकों को 100 दिनों से अधिक का रोजगार उपलब्ध कराया गया है। इस अतिरिक्त रोजगार के भुगतान के लिए राज्य शासन द्वारा 87 करोड़ रूपए की व्यवस्था की जाएगी।
प्रदेश में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए 42 हजार 992 विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत चार हजार से अधिक गांवों में सामुदायिक शौचालयों का निर्माण तथा लिक्विड वेस्ट प्रबंधन कार्य के लिए 2677 गांवों को कार्ययोजना में शामिल किया गया है। चर्चा में विधायक डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी, शैलेष पाण्डेय, अजय चन्द्राकर, संतराम नेताम, धर्मजीत सिंह, प्रकाश शक्राजीत नायक, नारायण चंदेल, प्रमोद शर्मा, शिवरतन शर्मा, रजनीश कुमार सिंह, केशव चंद्रा, पुन्नुलाल मोहिले, ममता चंद्राकर और रंजना साहू ने भाग लिया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 21 मार्च।छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र कल खत्म हो सकता है। सरकार से मिले संकेतों के बाद विधानसभा ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि विपक्ष दल एक दिन और यानी 23 मार्च को समापन करने सहमत बताया जा रहा है। ऐसा सदन में बृजमोहन अग्रवाल के बयान से भी संकेत मिल रहे हैं। अग्रवाल ने कहा कि अभी सिंहदेव जी के विभागों की चर्चा पूरी नहीं हुई है ऐसे में सीएम के विभागों की चर्चा कल और विनियोग विधेयक पर परसों चर्चा करा ली जाए। लेकिन सरकार कल सत्रावसान की तैयारी में है। कल विनियोग के बाद दो संशोधन विधेयक पारण के बाद सत्रावसान होने की पूरी संभावना है।
महंत ने कहा-आपकी इच्छानुसार जवाब नहीं हो सकता
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 21 मार्च। राजधानी रायपुर में अधूरे पड़े एक्सप्रेस-वे के निर्माण में देरी का मामला सोमवार को विधानसभा में गुंजा। इस मामले में कांग्रेस सरकार द्वारा पहले निलंबन, और फिर बहाली को लेकर भाजपा के शिवरतन शर्मा ने मंत्री ताम्रध्वज साहू को घेरा।
विधायक शर्मा ने कहा कि एक्सप्रेस-वे निर्माण के लिए अलग-अलग विभागों से प्रतिनियुक्ति पर अफसर लिए गए थे। नई सरकार ने इनमें से 6 अफसरों को सस्पेंड किया, लेकिन उनमें से दो अफसरों को मूल विभाग ने बहाल कर दिया। जब जांच चल रही हो तो बहाली का अधिकार विभाग को है। मंत्री साहू ने कहा कि प्रतिनियुक्ति पर दिए गए अफसरों के खिलाफ एक्सप्रेस के निर्माण में शिकायतों को लेकर कार्रवाई की गई। इनमें से दो अफसर के खिलाफ जांच पूरी होने के बाद बहाल किया गया। शेष के खिलाफ जांच प्रक्रियाधीन है। शर्मा ने कहा कि डीई एक वर्ष में पूरी होनी थी नहीं हुई। क्यों इन दो अफसरों के खिलाफ अलग से जांच हुई। जबकि बहाली के लिए पीडब्ल्यूडी के क्लीयरेंस की जरूरत होती है। तीन साल में न सडक़ चालू हो पाई, न ठेकेदार पर कार्रवाई की गई। इसके उलट अफसर बहाल किए जा रहे हैं। जनता के सामने सच आना चाहिए। मंत्री साहू ने कहा कि छह अफसरों में से सतीश जाधव के खिलाफ जांच पूरी हो गई है। उन्हें आंशिक दोषी माना गया था, अब वे रिटायर हो गए हैं। पांच में से दो जतिन्द्र सिंह, विवेक सिन्हा को उनके विभागों ने बहाल किया है। तीन के खिलाफ जांच चल रही है। साहू ने कहा कि जनता के सामने सच आ गया है। पिछले चुनाव के समय जल्दबाजी में सैकड़ों करोड़ खर्च कर इसे बनाया गया, जो गुणवत्ता विहीन था। इसमें दुर्घटना हुई। एक की मौत भी हुई। इसके बाद हमने जांच कराई, और कार्रवाई की। ठेकेदार से उसी के खर्च पर 300-400 करोड़ के खर्च से फिर से निर्माण करवा रहे है। काम लगभग समाप्ति की ओर है। दोषी अफसरों पर कार्रवाई विधि अनुसार चल रही है। शिवरतन ने कहा कि बहाल करना था तो सभी 6 लोगों को करते, दो पर किसकी कृपा रही, लक्ष्मीजी या किसी नेताजी की। स्पीकर महंत ने कहा कि आपकी इच्छानुसार जवाब नहीं हो सकता। तो मंत्री शिव डहरिया ने आपत्ति की कि इतने अच्छे मंत्री हैं कुछ भी प्रश्न किया जा रहा है।
रायपुर, 21 मार्च। विस अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू से कहा कि अफसरों पर चाबुक चलाइए, और रायपुर को जबलपुर से जोडऩे वाले नेशनल हाईवे को जल्द बनवाइए। यह मामला प्रश्नकाल में कांग्रेस के आशीष छाबड़ा ने उठाया था। छाबड़ा ने रायपुर, सिमगा, कवर्धा सडक़ निर्माण 4-5 साल भी अधूरा होने का कारण जानना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह नेशनल हाईवे है। इसे जल्द बनना चाहिए था। मंत्री साहू ने एनएचएआई से मिले पत्र के हवाले से कहा कि योजना चार साल पिछड़ गई है। जल्द निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। इस पर जोगी कांग्रेस के धर्मजीत ने अपनी बात रखी। छाबड़ा और साहू के बीच प्रश्नउत्तरी के सिलसिले पर भाजपा के शिवरतन शर्मा ने कहा कि आज शिष्य गुरू से प्रश्न पूछ रहा है क्या बात है। मंत्री साहू ने कहा अच्छी बात है। शिष्य गुरू से पूछ रहा है। मतलब शिष्य ट्रेंड हो गया है।
इंटरकॉम का किराया 20 लाख, भुगतान बाकी, मंत्री ने दिए जांच के आदेश
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 21 मार्च। बलवीर जुनेजा इंडोर स्टेडियम को रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा अस्थाई कोविड केयर सेंटर बनाया गया था। इस दौरान छह महीने में ढाई करोड़ से अधिक खर्च किए गए हैं। यह जानकारी नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी। सदन में इस पर आज हुई चर्चा के बाद मंत्री ने जांच के आदेश दिए।
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के सवाल के लिखित जवाब में नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. डहरिया ने बताया कि बलवीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम को नगर निगम द्वारा नहीं अपितु रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा 25 जुलाई 2020 से 29 अक्टूबर 2020, और 12 अप्रैल 2021 से 31 मई 2021 तक की समयावधि में अस्थाई कोविड केयर सेेंटर बनाया गया था। उन्होंने बताया कि स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा 2 करोड़ 36 लाख 64 हजार, और नगर निगम रायपुर द्वारा 18 लाख 81 हजार 179 रूपए खर्च किया गया। नगरीय प्रशासन मंत्री ने एक पूरक सवाल के जवाब में बताया कि अस्थाई कोविड सेंटर महामारी के आपातकालीन स्थिति, और लॉकडाउन की अवधि में सीसीटीवी कैमरा, साउंड सिस्टम, इंटरकॉम, और विद्युत व्यवस्था के लिए केबल, आंतरिक और बाह्य व्यवस्था के लिए न्यूनतम दर किराए पर लिया गया था। इनमें से इंटरकॉम किराए की राशि 20 लाख 10 हजार 6 सौ रूपए से अधिक का भुगतान बाकी है। उन्होंने यह भी बताया कि एक दर्जन सीसीटीवी कैमरे के लिए 10 लाख 18 हजार किराया भुगतान किया गया। सीसीटीवी कवरेज के साथ कंट्रोल रूम में एक सेटअप के लिए 1 लाख 99 हजार 656 रूपए किराया दिया गया। चर्चा के दौरान कौशिक ने पूरी प्रक्रिया में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, और कहा कि विभाग में आपदा में अवसर ढूंढने का काम किया है। उन्होंने बताया कि एक एसी के किराए के एवज में 2 लाख 44 हजार 80 रूपए का भुगतान किया गया। उनके जोर देने पर मंत्री डहरिया ने जांच कराने की घोषणा की।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 21 मार्च। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा ने प्लेसमेंट एजेंसियों के द्वारा नियुक्त सफाई कर्मियों की मौत पर मुआवजा, और परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति देने का मामला उठाया। प्रश्नकाल में शर्मा ने पूछा कि इन प्लेसमेंट सफाई कर्मियों की मौत पर मुआवजा कितनों को दिया गया। श्रम मंत्री शिवडहरिया ने कहा कि ऐसा प्रावधान नहीं है, लेकिन राजस्व विभाग द्वारा कोरोना से मृतकों को 50 हजार रूपए मुआवजा दिया जाता है। इसके चलते 4 सफाई कर्मियों की मृत्यु पर परिजनों को मुआवजा दिया गया है। कोई छूट गया हो, तो जानकारी दे दें उन्हें भी दे दिया जाएगा। विधायक शर्मा ने इन सफाई कर्मियों की जगह परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति देने का मुद्दा उठाया। तो मंत्री ने ऐसी व्यवस्था न होने की बात कहीं। क्योंकि सफाई कर्मियों का पद डाइंग कैडर घोषित कर दिया है। शर्मा ने कहा रायपुर में 50 सफाई कर्मियों की मौत हुई, लेकिन मुआवजा नहीं दिया गया। मंत्री डहरिया ने कहा कि राजस्व के प्रावधान के अनुसार दे दिया जाएगा।
रायपुर, 21 मार्च। सोमवार को विधानसभा में शून्य काल के दौरान विपक्ष ने दो प्रमुख मुद्दों पर सरकार को घेरा। इनमें राज्यसभा सांसद राम विचार नेताम के घर हुई चोरी के मुद्दे पर कानून व्यवस्था पर भाजपा के विधायकों ने प्रश्नचिन्ह लगाया। वहीं शनिवार को छेड़ीखेड़ी से आये पीडि़तों के साथ बीजेपी नेताओ पर कार्यवाही का भी मुद्दा भी उठा। इसी तरह से महासमुंद में नारकोटिक्स विभाग के पुलिसकर्मी की संदिग्ध मौत की जांच की मांग की गई।
रायपुर, 21 मार्च। विधायक दल के फैसले के बाद भाजपा के विधायकों ने सोमवार को खाद्य मंत्री अमरजीत भगत से कोई प्रश्न नहीं किया। प्रश्नकाल में स्पीकर चरणदास महंत ने पहले रजिनेश सिंह, और फिर नारायण चंदेल का नाम पुकारा। इस पर रजिनेश सिंह ने कहा पार्टी के निर्णय अनुसार प्रश्न नहीं करूंगा। नारायण चंदेल ने कहा हमने मंत्रीजी की पौनी पसारी बंद कर दिया है। इसलिए प्रश्न नहीं पूछेंगे। इससे पहले सदन के बाहर वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर ने स्पष्ट कहा कि बहिष्कार जारी रहेगा। बता दें कि बुधवार को मंत्री भगत ने भाजपा के विधायकों के विरोध को मछली बाजार कहा था। इसके बाद बहिष्कार का निर्णय लिया गया था।
कांग्रेस के धनेन्द्र साहू ने ही मंत्री को घेरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 21 मार्च। विधानसभा स्पीकर चरणदास महंत ने प्रदेश से मजदूरों के पलायन पर चिंता जताते हुए श्रम मंत्री शिव डहरिया को निर्देशित किया कि छत्तीसगढ़ के माथे से पलायन का कलंक मिटाने कार्ययोजना बनाए। इससे पहले कांग्रेस के धनेन्द्र साहू ने महासमुंद जिले से हो रहे पलायन को लेकर सरकार को घेरा। प्रश्नकाल में साहू ने कहा कि मेरे प्रश्न के उत्तर में जानकारी दी गई है वह आधी अधूरी है। सच्चाई यह है कि तीन से चार गुना अधिक पलायन हुआ है। इसी तरह से कोरोना काल में 61 हजार मजदूरों की वापसी बताई गई है। वह भी तथ्यात्मक नहीं है। साहू ने कहा कि लाखों की संख्या में पलायन करते हैं, लेकिन यहां संख्या 20 हजार बताई गई है। इसकी जांच कराएंगे। इस पर मंत्री डहरिया ने परीक्षण कराने का आश्वासन दिया। विधायक साहू ने आरोप लगाया कि पलायन के लिए माफिया सक्रिय है। राजस्व विभाग के प्रश्रय होता है। इसकी रोकथाम जरूरी है। इसके क्या उपाय किए गए हैं। साहू ने कहा कि 5.50 लाख श्रमिकों के लौटने की जानकारी दी गई है। इन्हें कोरोना काल में कौन से काम दिए हैं। सरकार ने बताया कि मनरेगा में 108 करोड़ रूपए की मजदूरी दी गई है। ये मजदूरी है या सामाग्री खरीदी की भी राशि है। मंत्री डहरिया ने कहा कि यह मजदूरी की राशि है। साहू का कहना था कि कोरोनाकाल में ढाई लाख मजदूरों को 193 रूपए की दर से मजदूरी दी गई। इसका हिसाब 108 करोड़ होता है। जो 22 दिनों के काम के बदले खर्च की गई। 22 दिन काम देकर पलायन कैसे रोका जा सकता है। मंत्री ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि पलायन रूके, लेकिन बेहतर मजदूरी के लिए लोग बाहर चले जाते हैं। इनके पंजीयन के बाद ही जाने की अनुमति दी जाती है। श्रम विभाग, और पुलिस पलायन कराने वाले ठेकेदारों, और फर्मों पर कार्रवाई करते हैं। क्षेत्र विशेष की जानकारी हो, तो दे दें कार्रवाई की जाएगी। मंत्री ने कहा कि श्रम विभाग और कलेक्टरों को मजदूरों के स्किल मैपिंग के निर्देश दिए गए हैं। इन्हें उनकी योग्यता अनुसार स्थानीय उद्योगों में काम दिया जाता है। इस पर स्पीकर महंत ने कहा कि मंत्रीजी पलायन छत्तीसगढ़ के माथे पर कलंक है। महासमुंद, जांजगीर, मुंगेली, बिलासपुर से मजदूरों का पलायन ज्यादा होता है। ऐसी कार्ययोजना बनाए की यह कलंक मिटे।
पंचायत मंत्री की सदन में घोषणा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 21 मार्च। सदन में मरवाही वन मंडल में पुलिया और स्टॉपडेम निर्माण में अनियमितता का मामला गूंजा। सत्तापक्ष के विधायक गुलाब कमरो ने ध्यानाकर्षण के जरिए मामला उठाया था। इस पर पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने गड़बड़ी मानते हुए सदन में वन विभाग के 15 अधिकारी-कर्मचारियों के के साथ जिला पंचायत सीईओ गजेंद्र ठाकुर के निलंबन की भी घोषणा की। दोषियों के विरुद्ध एफआईआर भी किया जाएगा. वहीं गड़बड़ी करने वाले एक तत्कालीन डीएफओ के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा समन्वय में भेजी जाएगी।
मंत्री सिंहदेव ने कहा कि बिना काम किए राशि का आहरण कर लिया गया। इस मामले की शिकायत जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मनोज गुप्ता ने की थी। इस शिकायत की प्रारंभिक जांच में गड़बड़ी उजागर होने के बाद चार सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई। इसने 33 कार्यों की जांच की। जांच के बाद तथ्य सामने आए हैं, इसमें गंभीर अनियमितता सामने आई है। मरवाही वन मंडल के तत्कालीन डीएफओ राकेश मिश्रा समेत 15 अधिकारी-कर्मचारी दोषी पाए गए हैं। प्राक्कलन रिपोर्ट के पहले ही जिला पंचायत सीईओ ने राशि आहरण की स्वीकृति दे दी।
सिंहदेव ने बताया कि मनरेगा योजना के अंतर्गत वन मंडल मरवाही द्वारा चुकतीपानी, ठाड़पथरा, पकरिया, केंवची, पड़वनिया और तराईगांव में पुलिया और चेक डेम निर्माण के लिए कुल 33 कार्यों का बिना कार्य किए ही सामग्री की राशि आहरित करते हुए वित्तीय अनियमिता को लेकर गौरेला-पेंड्रा-मरवाही कलेक्टर को जाँच के निर्देश दिए गए थे।
तत्कालीन डीएफओ से वन रक्षक तक मिले दोषी
इनमें मरवाही वन मंडल के तत्कालीन प्रभारी वनमंडलाधिकारी राकेश कुमार मिश्रा (सेवानिवृत्त) के अलावा तत्कालीन उप उपवनमण्डलाधिकारी गौरेला केपी डिंडोरे, तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी गौरेला गोपाल प्रसाद जांगड़े, तत्कालीन परिक्षेत्र सहायक गौरेला (वनपाल) अंबरीश दुबे, तत्कालीन परिक्षेत्र सहायक केंवची (वनपाल) अश्वनी कुमार दुबे, तत्कालीन परिक्षेत्र सहायक पिपरखुंटी (वनपाल) उदय तिवारी, सहायक तत्कालीन परिक्षेत्र सहायक पकरिया (वनपाल) अनूप कुमार मिश्रा, तत्कालीन प्रभारी परिक्षेत्र अधिकारी गौरेला राजकुमार शर्मा (सेवानिवृत्त उप वनक्षेत्रपाल मरवाही) शामिल हैं।
इनके अलावा तत्कालीन परिसर रक्षक चुकतीपानी (वन रक्षक) वीरेन्द्र साहू, तत्कालीन परिसर रक्षक ठाड़पथरा (वन रक्षक) दीपक कोसले, तत्कालीन परिसर रक्षक पड़वनिया (वन रक्षक) देवेन्द्र कश्यप, तत्कालीन परिसर रक्षक आमानाला (वन रक्षक) पन्नालाल जांगड़े, तत्कालीन परिसर रक्षक पकरिया (वन परिसर रक्षक) नवीन बंजारे, तत्कालीन परिसर रक्षक केंवची (वन रक्षक) लाल बहादुर कौशिक और तत्कालीन परिसर रक्षक ठेंगाडांड़ (वन रक्षक) नीतू धु्रव शामिल हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 21 मार्च। विधानसभा में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर विपक्षी भाजपा सदस्यों ने प्रश्नकाल के बाद मामला उठाया। विपक्षी सदस्यों ने इस विषय पर स्थगन प्रस्ताव देकर तुरंत चर्चा की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने विपक्ष के प्रस्ताव को अग्राह्य कर दिया। इसके बाद सदस्यों ने वॉकआउट कर दिया।
प्रश्नकाल के बाद भाजपा सदस्य शिवरतन शर्मा ने मामला उठाया। उन्होंने महासमुंद में एएसआई की हत्या, और होली के दौरान अलग-अलग घटनाओं का जिक्र करते हुए तुरंत चर्चा कराने की मांग की। राज्यसभा सदस्य राम विचार नेताम के निवास में चोरी का भी मुद्दा उठा। साथ ही जिला अध्यक्ष बॉबी कश्यप को गिरफ्तार किए जाने का भी जिक्र किया।
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि कानून व्यवस्था की स्थिति बदहाल है। प्रदेश में नशे का कारोबार चल रहा है। उन्होंने कहा कि होली के दौरान एएसआई की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। ऐसे में आम आदमी की क्या स्थिति होगी। इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने तुरंत चर्चा कराने की मंाग की। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. महंत ने प्रस्ताव अग्राह्य कर दिया। इसके बाद विपक्षी सदस्य सदन से वॉकआउट कर गए।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 मार्च। भिलाई में हाउसिंग बोर्ड की 15 करोड़ की जमीन कांग्रेस के पदाधिकारी को मात्र ढाई करोड़ में देने का मामला विधानसभा में उठा। भाजपा सदस्यों ने इस पर तुरंत चर्चा की मांग की।
भाजपा सदस्यों ने कहा कि भिलाई में हाउसिंग बोर्ड जमीन बिना कोई आपसेट प्राईस तय किए नियम विरूद्ध एक नेता को आबंटित कर दिया गया है। एक परिवार को अनुग्रहित किया गया है। 15 करोड़ की जमीन 2 करोड़ में दे दी गई है। इस पूरे मामले में चर्चा की मांग की।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 मार्च। गोलबाजार के व्यापारियों से विकास शुल्क की वसूली को लेकर बुधवार को विधानसभा में जमकर बहस हुई। विपक्षी भाजपा सदस्यों ने आरोप लगाया कि ऐतिहासिक गोलबाजार के छोटे दूकानदारों से विकास शुल्क के नाम पर लाखों का नोटिस दिया जा रहा है। इस पर नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव डहरिया ने कहा कि राशि का कोई निर्धारण नहीं हुआ है। इस पूरे मामले में मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्षी सदस्यों ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
भाजपा सदस्य बृजमोहन अग्रवाल, शिवरतन शर्मा, और अजय चंद्राकर ने ध्यानाकर्षण सूचना के जरिए मामला उठाया। उन्होंने कहा कि डेढ़ सौ साल से काबिज दूकानदारों से विकास शुल्क के नाम पर लाखों रुपये का नोटिस दिया जा रहा है। भाजपा सदस्य बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि डेढ़ सौ वर्गफीट के दूकान के लिए 26 लाख रुपये दाम तय किए हैं।
उन्होंने कहा कि डेढ़ सौ साल पुराना बाजार है, और इसका ऐतिहासिक महत्व है। स्वतंत्रता सेनानी अंग्रेजों से बचने के लिए यहां आया करते थे। भूल-भूलैय्या है, और यहां जन्म से लेकर मृत्यु तक सारे सामान उपलब्ध होते हैं। उन्होंने परेशानियों का जिक्र किया।
नगरीय प्रशासन मंत्री ने कहा कि पिछली सरकार के समय निगम ने 2012 में विकास के लिए प्रस्ताव भेजा था। उन्होंने कहा कि 1920 में दूकान आबंटित किए गए थे। 30 साल के लिए रिनिवल नहीं हुआ। नगरीय प्रशासन मंत्री ने कहा कि यह जमीन निगम की है। उन्होंने कहा कि फ्री होल्ड कर दूकानदारों को दिया जाएगा। इसके लिए राशि तय नहीं हुई है। इस पूरे मामले में मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्षी सदस्यों ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
मदनवाड़ा न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में निष्कर्ष
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 मार्च। तेरह साल पहले राजनांदगांव जिले के मदनवाड़ा में पुलिस पर नक्सल हमले के प्रकरण की न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट बुधवार को विधानसभा में पेश की गई। जांच प्रतिवेदन में तत्कालीन आईजी मुकेश गुप्ता पर कड़ी टिप्पणी की गई है, और यहां तक कहा गया कि घटना के दौरान आईजी बुलेट प्रूफ कार में बैठे रहे, और उनकी मौजूदगी में नक्सली शहादत पाए एसपी विनोद कुमार चौबे, और अन्य मृत पुलिस कर्मियों के बुलेट प्रूफ जैकेट, शस्त्र और जूते निकालकर ले गए। यदि आईजी ने बुद्धिमत्तापूर्ण कदम उठाया होता तो नतीजा बिल्कुल अलग आता। प्रतिवेदन में पुलिस कर्मियों को आउटऑफ टर्न प्रमोशन देने पर भी सवाल खड़े किए।
जस्टिस एसएन श्रीवास्तव की एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट सीएम भूपेश बघेल ने प्रश्नकाल के बाद विधानसभा के पटल पर रखी। मदनवाड़ा नक्सल हमले में तत्कालीन एसपी विनोद कुमार चौबे समेत 29 पुलिस कर्मी शहीद हुए थे। आयोग की 109 पेज की रिपोर्ट में घटना को लेकर पुलिस कर्मियों को वीरता पदक देने पर भी सवाल खड़े किए हैं।
प्रतिवेदन में यह कहा गया कि मदनवाड़ा मामले में कोई भी पुलिस अधिकारी ने ऐसा कोई कार्य किया जिससे वे वीरता पुरस्कार के लायक हैं। पूरे ऑपरेशन के दरमियान जो पुलिस कर्मी जो नक्सलियों की फायरिंग का जवाब दिए वे हमेशा गोली झेलने वाले थे या वे प्राप्तकर्ता के कार्नर में खड़े थे। कोई भी अग्रिम हमला नहीं किया गया। जो पुलिस फायरिंग की गई वह मात्र छिटपुट थी। यदि कोई वीरता पुरस्कार दिया जाना था या पुरस्कृत करना था वह शहादत पाए हुए एसपी को दिया जाना चाहिए था। और पुलिसकर्मियों को मरणोपरांत दिया जाना चाहिए था। क्योंकि उन पर दोनों ओर से फायरिंग हो रही थी। उन्होंने नक्सलियों से पूरी ताकत से लड़ा, और अपने जीवन की आहूति दी।
तत्कालीन एसपी विनोद कुमार चौबे यह जानते हुए भी कि नक्सलियों की संख्या बहुत ज्यादा है, परन्तु उन्होंने नक्सलियों पर अग्रिम हमला किया, और अपना जीवन अपना कर्तव्य निर्वहन करते हुए समर्पित कर दिया। कोई भी आउटऑफ टर्न प्रमोशन नहीं दिया जाना चाहिए था। क्योंकि नक्सलियों का कोई नुकसान नहीं हुआ। एक ही जगह पर दो नक्सल एम्बुश थे। परन्तु किसी भी पुलिस बल ने नक्सल पर अग्रिम आक्रमण नहीं किया सिवाय शहादत पाए हुए एसपी, अदम्य साहस का परिचय नक्सलियों से लड़ते हुए दिया।
जांच आयोग का यह भी निष्कर्ष है कि रिकॉर्ड पर जो दस्तावेज उपलब्ध है, जो भी पुलिस बल वहां था वह पूरे समय सिर्फ एक मूक दर्शक की तरह देखते रहे। तथा उन्होंने नक्सलियों को यह कहने की अनुमति दी कि जो वे चाहते हैं वे करें। तथा यह लगता है कि वे सिर्फ झेलने वाले सिरे पर खड़े थे। यह बहुत दुखद स्थिति है कि आईजी जोन की मौजूदगी में नक्सलियों ने बीपी जैकेट, तथा शस्त्र, और जूते एक शहादत पाए एसपी चौबे के निकाल लिए। उन्होंने मृत सभी पुलिस कर्मियों के बीपी जैकेट शस्त्र, और अन्य चीजे निकाल लिए।
प्रतिवेदन में आगे यह भी कहा गया है कि यदि पुलिस में नक्सलियों के ऊपर कोई गोली चलाई होती, तो नक्सलियों के हिस्से कुछ मृत्यु भी होती। यह स्वीकृत तथ्य है कि कोई भी नक्सल मृत्यु का वरण किया, और न ही उनके शरीर पर कोई भी खरोच आई। यदि आईजी जोन में बुद्धिमतापूर्ण कृत्य किया होता, या साहस दिखाया होता, तो नतीजा बिल्कुल अलग होता। उसने जो भी किया वह कुछ नहीं था बल्कि एक तरह से उसकी तरफ से कार्यरतापूर्ण था। क्योंकि उसके पास पर्याप्त समय था कि वह सीआरपीएफ या सीएएफ को बूलाकर उनका उपयोग कर सकता था। ऐसा प्रतीत होता है कि वह भी अपने जीवन के लिए डर रहा था, तथा ठीक उसी समय उसने एसपी चौबे को नक्सलियों से मुकाबला करने के लिए अग्रिम हमले में ढकेल दिया। यह स्पष्ट रूप से साक्ष्य में आया है कि आईजी जोन अपने अपने बूलेट प्रूफ कार में बैठा रहा तथा उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया जैसा कि पुरूस्कार देने के उदाहरण में दिखाई दिया।
प्रतिवेदन में यह भी कहा गया कि मुकेश गुप्ता ने बहादुरी दिखाई होती तो नक्सल बीपी जैकेट, जूते, आम्र्स तथा असला सहादत पाए हुए पुलिस कर्मियों से निकालकर नहीं ले जाते। नक्सलियों द्वारा जो सीडी बनाई गई वह पुलिस को भेजी गई, उसमें यह स्पष्ट है कि 29 पुलिस कर्मियों को मारने के बाद तथा जवानों को मारने के बाद नक्सली पूरी तरह उत्सव मना रहे थे।
प्रतिवेदन में सरकार ने जांच आयोग के सुझाव पर खुफिया तंत्र को मजबूत करने की दिशा में निर्देश जारी किए हैं, साथ ही अन्य सुझावों पर वित्त और गृह विभाग को कार्रवाई के लिए पत्र जारी किया गया है।
ताड़मेटला जांच आयोग का निष्कर्ष
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 मार्च। ग्यारह साल पहले सुकमा के ताड़मेटला में आगजनी, और नक्सल मुठभेड़ के मामले की न्यायिक जांच आयोग का प्रतिवेदन बुधवार को विधानसभा में पेश किया गया। प्रतिवेदन में यह भी कहा कि स्वामी अग्निवेश पर हमला किसी के द्वारा प्रायोजित नहीं था। इस पूरे मामले में एक तरह से बस्तर के तत्कालीन आईजी एसआरपी कल्लूरी को एक तरह से क्लीनचिट दे दी है।
जस्टिस टीपी शर्मा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय गठित आयोग ने ताड़मेटला, मोरपल्ली, तिम्मापुरम् मुठभेड़ व अग्निकांड के अलावा दोरनापाल स्वामी अग्निवेश पर हमले की जांच की। आयोग की 511 पेज की रिपोर्ट में यह कहा गया कि ग्राम तिम्मापुरम में पुलिस बल, और नक्सलियों के बीच कई चरण में मुठभेड़ हुआ, जिसकी तीव्रता अधिक थी। मुठभेड़ में दोनों पक्ष से गोलियां और गोले चले। मुठभेड़ में नक्सली पुलिस बल पर भारी पड़ रहे थे। गोलाबारूद भी खत्म हो गया था। तब कोरबा बटालियन और सीआरपीएफ बल सहायता के लिए आगे आए।
प्रतिवेदन में कहा गया कि पुलिस नक्सल मुठभेड़ में पुलिस बल के तीन सदस्य और नक्सलियों के एक सदस्य की मृत्यु हुई। पुलिस बल के 8 सदस्य आहत हुए। घटना के समय तिम्मापुरम के 59 मकान जले थे, जिसमें ग्राम तिम्मापुरम के एक किनारे के मकान पुलिस द्वारा यूजीवीएल से ग्रेनेड दागने से जले थे। शेष मकान किनके द्वारा जलाया गया इस संबंध में कोई साक्ष्य नहीं है।
इसी तरह 16 मार्च 2011 को ताड़मेटला में पुलिस-नक्सल मुठभेड़ हुई, जिसमें दोनों तरफ से गोलियां चली। घटना के दिन ताड़मेटला की 160 मकान जले। जिसमें ग्रामीणों की संपत्ति भी क्षतिग्रस्त हुई। पर मकान किनके द्वारा जलाए गए इस संबंध में स्वीकार करने योग्य कोई साक्ष्य नहीं है। इसी तरह मोरपल्ली घटना में भी 31 मकानों को आग लगी। यह किनके द्वारा जलाया गया इस संबंध में भी कोई साक्ष्य नहीं है।
आयोग ने स्वामी अग्निवेश पर हमले की घटना में तत्कालीन आईजी एसआरपी कल्लूरी को क्लीनचिट देते हुए कहा कि 26 मार्च 2011 को स्वामी अग्निवेश सुबह और दोपहर बाद दो बार ताड़मेटला जाने के लिए दोरनापाल तक गए, जहां उनका भीड़ द्वारा विरोध किया। भीड़ उग्र हो गई थी। इस संबंध में अपराधी प्रकरण पंजीबद्ध किया गया। जिसकी अग्रिम विवेचना सीबीआई द्वारा की जा रही है, पर उनका विरोध किसी के द्वारा पूर्व प्रायोजित नहीं था।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 मार्च। स्पीकर चरणदास महंत ने उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल से कोरोनाकाल के दौरान महाविद्यालयीन परीक्षाओं के नतीजों को लेकर विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने कहा है। यह मामला भाजपा के अजय चंद्राकर ने प्रश्नकाल में उठाया था। चंद्राकर ने यह जानना चाहा कि बीते तीन साल में ऑनलाइन परीक्षा के रिजल्ट कैसे रहे और परीक्षा किस तरह से ली गई बताया जाए। मंत्री पटेल ने कहा कि वर्ष 2020-21 में ऑनलाइन परीक्षा ली गई थी। प्रश्न ई-मेल पर बच्चों को भेजे थे, और उत्तर पुस्तिकाएं केन्द्र में जमा कराई गई। जिनका मुल्यांकन कर नतीजे जारी किए गए। 2021-22 के लिए हमने 13 जनवरी को ऑनलाइन परीक्षा के निर्देश दिए थे, लेकिन कोरोना संक्रमण में आई कमी को देखते हुए फरवरी-2022 में आदेश जारी कर ऑफलाइन लेने का फैसला किया। चंद्राकर ने कहा कि प्रदेश के राजकीय विश्वविद्यालय इन निर्देशों का पालन नहीं कर रहे। ऑनलाइन में पास करने का आधार क्या है। इस पर स्पीकर डॉ. महंत ने कहा कि इसका मतलब जितने लोगों ने ऑनलाइन परीक्षा दी है सब पास हो गए। चंद्राकर ने फिर पूछा इस साल अब तक परीक्षा पद्धति को लेकर निर्णय नहीं लिया गया है। स्पीकर महंत ने मंत्री पटेल से कहा कि ऑनलाइन-ऑफलाइन परीक्षाओं को लेकर विस्तृत जानकारी दें। मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि राज्य ने एआईसीटी, और यूजीसी के निर्धारित मापदंडों के अनुसार परीक्षाएं ली है। उनके एक भी आदेश का डायवर्जन नहीं किया है। इसी के मुताबिक ऑफलाइन परीक्षा लेने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 मार्च। सदन में आबकारी मंत्री कवासी लखमा के मौजूद रहने के बावजूद विधि मंत्री मोहम्मद अकबर द्वारा उत्तर दिए जाने को लेकर भाजपा विधायकों ने आपत्ति जताई। उन्होंने स्पीकर चरणदास महंत से स्थाई व्यवस्था देने का आग्रह किया। यह मामला कांग्रेस विधायक छन्नी साहू के तारांकित प्रश्न की चर्चा के दौरान उठा। छन्नी ने पूछा-राजनांदगांव जिले में 2020-21 की तुलना में 2021-22 में शराब की खपत बहुत कम बताई गई है। राजस्व में आई कमी का क्या कारण है बताएं। क्या दुकानें बंद की गई। मंत्री अकबर ने कहा कि शराब के दुष्प्रभाव को लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। उसका परिणाम है। इससे असंतुष्ट छन्नी साहू ने कहा पूरे जिले में अवैध शराब की बिक्री हो रही है। दुकानों में कम बिक रही है। यह सबकुछ जिला आबकारी अधिकारी के संरक्षण में हो रहा है। उस पर अंकुश लगाने की जरूरत है। तभी भाजपा के शिवरतन शर्मा, और अजय चंद्राकर ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया। उन्होंने कहा सदन में इस समय आबकारी मंत्री कवासी लखमा मौजूद हैं। इससे पहले भी उनकी सदन में मौजूदगी के बावजूद दुसरे मंत्री जवाब देते हैं। इसे लेकर आसंदी से व्यवस्था भी आ चुकी है। तब कवासी लखमा ने उठकर जवाब दिया कि नांदगांव में लगातार अवैध बिक्री रोकने प्रकरण बनाए जा रहे हैं। हमारी कोशिश है कि अवैध बिक्री बंद हो। छन्नी साहू ने कहा कि क्षेत्र के लोग महिला विधायकों से अधिक उम्मीद करते हैं कि शराब बंदी हो। अवैध बिक्री पर अंकुश भी लगाएं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 मार्च। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में पदों की रिक्तता, और स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर भारसाधक मंत्री मोहम्मद अकबर के जवाब से असहमत भाजपा के विधायकों ने सदन से वॉकऑउट कर दिया। प्रश्नकाल में भाजपा के डमरूधर पुजारी ने स्वास्थ्य कर्मियों, और मितानिनों के लिए जनघोषणा पत्र में किए गए वादे पूरा न करने का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा ये झूठे वादे कब तक पूरा करेंगे। पुजारी ने कहा कि कांग्रेस ने 5 हजार मितानिनों की भर्ती, और वेतन कमीशन देने का वादा किया था। मंत्री अकबर ने कहा कि सदस्य द्वारा चाही गई सारी जानकारी लिखित में दे दी गई है।
भाजपा के अजय चंद्राकर ने कहा कि मूल उत्तर और परिशिष्ट में अलग-अलग जानकारी दी है। घोषणाएं कब पूरा करेंगे। मंत्री ने कहा कि पार्टी ने घोषणा पत्र को आत्मसात किया है। इसका मतलब घोषणाएं पूरी करना है। समय बताना या अभी घोषणा करना संभव नहीं है। भाजपा की ही रंजना साहू ने मितानिनों और आशा दीदियों को कोरोनाकाल में घोषणा के बावजूद प्रोत्साहन राशि न देने का मामला उठाया। मंत्री ने कहा प्रोत्साहन राशि दे दी है। अब तक तीन माह तक राशि दी गई है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सिम्स बिलासपुर में स्टॉफ नर्स के पद रिक्त होने, और उनकी पूर्ति की समय-सीमा जनना चाहा। इस पर मंत्री ने जल्द से जल्द भर्ती का आश्वासन दिया, तो अजय चंद्राकर ने कहा तीन साल निकल गया है, जल्द से जल्द क्या होता है। स्पीकर चरणदास महंत ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि ये भारसाधक मंत्री हैं असली मंत्री आएंगे तो यह प्रश्न उठाईएगा। इस पर अजय ने फिर कहा सरकार की सामूहिक जिम्मेदारी है, मोहम्मद अकबर आदर्श मंत्री हैं कब तक भर्ती करेंगे इसकी घोषणा कर देनी चाहिए। डेट बताइये। वहीं शिवरतन शर्मा ने पूरक प्रश्न में पूछा क्या सरकार ने यूनिवर्सल हेल्थ केयर की घोषणा पूरी कर दी है। मंत्री अकबर ने कहा कुछ पूरी हो गई है कुछ प्रक्रिया में है। इस पर नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने यह कहते हुए कि किसी भी प्रश्न का जवाब नहीं आ रहा है... इन उत्तरों से हम संतुष्ट कैसे हों? सदन से बर्हिगमन करने की घोषणा कर दी।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 मार्च। छत्तीसगढ़ दवा निगम में प्रतिनियुक्ति पर अफसरों की पोस्टिंग, और उनके द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस के विधायक संतराम नेताम ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाया। इस पर मंत्री मोहम्मद अकबर ने गड़बडिय़ों का परीक्षण कराने की घोषणा की।
प्रश्नकाल में नेताम ने यह मामला उठाते हुए कहा कि दवा निगम में आकाश साहू जो सब इंजीनियर है। उसे प्रतिनियुक्ति पर लिया गया, और एसडीओ का भी प्रभार दिया गया। अभी वह किस पद पर है बताया जाए। मंत्री अकबर ने बताया कि संविदा वेतन पर तीन वर्ष के लिए सब इंजीनियर के पद पर नियुक्त किया गया था। नेताम ने कहा कि गलत उत्तर आ रहा है। आकाश को एसई पदस्थ कर एसडीओ, और सीई का प्रभार दिया गया, जो उचित नहीं। इनके द्वारा बीजापुर, और पखांजूर अस्पताल के लिए बिना टेंडर के 30 लाख के जनरेटर खरीदे गए। मंत्री अकबर ने कहा कि आकाश साहू को कोई प्रभार नहीं दिया गया। इस खरीदी की जांच की गई। इस खरीदी की जांच में अनियमितता की पुष्टि होने पर उसे बर्खाश्त कर दिया। नेताम ने कहा कि अभी देवराज गुप्ता एसई को भी एसडीओ का प्रभार दिया गया है। निगम के लिए अलग से भर्ती की जाए प्रतिनियुक्तियां क्यों? जोगी कांग्रेस के धर्मजीत ने कहा पूरे प्रदेश में सब इंजीनियर सीई बने हुए हैं, रेंजर डीएफओ बने हुए हैं। इस पर नेताम ने कहा प्रभार के चलते भी विभागों में भ्रष्टाचार हो रहा है। उन्होंने पूछा पखांजूर में साढ़े 6 करोड़ का 50 बिस्तरों का अस्पताल बनाया गया था। जो पूरी तरह घटिया निर्माण साबित हो चुका है। इसकी अमानक रिपोर्ट भी रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के विशेषज्ञों ने दे दी है। कार्रवाई करेंगे। मंत्री अकबर बोले-जांच हो गई है एफआईआर करवाया गया है, और क्या कार्रवाई होगी। इस पर नेताम ने कड़ी आपत्ति की, और कहा कि सही उत्तर नहीं आएगा, तो हम प्रश्न क्यों करे? मंत्री फिर बोले अमानक रिपोर्ट नहीं आई है। आप बोल रहे हैं, तो परीक्षण करा लिया जाएगा।