जान्जगीर-चाम्पा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सक्ती, 8 अगस्त। विकासखंड सक्ती अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत बासीन खैरा में स्थित प्रसिद्ध तुर्री धाम जहां बारहो माह भगवान शिव के लिंग पर प्राकृतिक रूप से जलाभिषेक निरंतर होते रहता है एवं इसकी महिमा सुनकर छत्तीसगढ़ सहित अन्य प्रदेशों से श्रद्धालु श्रावण मास एवं महाशिवरात्रि पर्व पर बड़ी संख्या में दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं कहने को तो यह कहा जाता है कि तुर्री धाम को पर्यटन स्थल के रूप में चिन्हित किया जा चुका है लेकिन इसे किस तरह से सजाया और संवारा जाए, इसे लेकर जनप्रतिनिधियों ने कभी ध्यान नहीं दिया।
ज्ञात हो कि वर्तमान समय में प्रसिद्ध तुर्री धाम के चारों ओर कई एकड़ जमीन खाली पड़े हैं इन खाली पड़ी जमीनों पर वृहद रूप से सौन्दर्यीकरण कर एक व्यवस्थित धार्मिक एवं पर्यटन स्थल का रूप दिया जा सकता है ज्ञात हो कि जिस तरह से चंद्रपुर के मां चंद्रहासिनी मंदिर के आसपास सौन्दर्यीकरण किया गया है एवं प्रदेश के विभिन्न धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों पर जिस तरह से सौन्दर्यीकरण को लेकर रूपरेखा तैयार की गई है उसी तर्ज पर यहां भी सौन्दर्यीकरण का कार्य कराया जाना चाहिए
धार्मिक एवं पर्यटन क्षेत्र बनाने डॉ महंत से जगी उम्मीद
सक्ती विकासखंड अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत बासीन स्थित तुर्री धाम को प्रसिद्ध धार्मिक एवं पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए अब सबकी निगाहें क्षेत्रीय विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत पर टिकी हुई है सभी यह चाहते हैं कि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर डॉक्टर महंत पूरी तरह सहयोग करेंगे ज्ञात हो कि तुर्री धाम को धार्मिक एवं पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिए यहां विशाल सामुदायिक भवन, हॉस्पिटल, व्यवस्थित गार्डन, वाटर पार्क, स्टेडियम, नाला में पिचिंग कार्य, पार्किंग व्यवस्था, आवास एवं कांप्लेक्स निर्माण के अलावा विभिन्न सौंदर्यीकरण की आवश्यकता होगी। तुर्री धाम की प्रसिद्धि को देखते हुए यहां शासन प्रशासन को बड़े स्तर पर निर्माण कार्य के लिए राशि स्वीकृत करने यहां के पंचायत प्रतिनिधि एवं ग्रामीण भी लगातार मांग कर रहे हैं।
सावन व महाशिवरात्रि पर उमड़ती है आस्था की भीड़
सक्ती अनुविभाग मुख्यालय से मात्र 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तुर्री धाम में प्रतिवर्ष सावन के महीने में प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव के भक्त छत्तीसगढ़ सहित अन्य प्रदेशों से बड़ी संख्या में यहां जल अर्पण करने के लिए आते हैं जहां ऐसे श्रद्धालुओं को भोजन एवं विश्राम के लिए समाजसेवी ओं के द्वारा विशेष व्यवस्था की जाती है वहीं शासन-प्रशासन स्तर पर भी सभी तरह के इंतजाम किए जाते हैं दूसरी ओर महाशिवरात्रि पर्व पर तुर्री धाम में मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें भारी भीड़ उमड़ती है।