बीजापुर

कुपोषण को हराने सुपोषण अभियान बना वरदान
09-Sep-2021 8:27 PM
कुपोषण को हराने सुपोषण अभियान बना वरदान

अक्टूबर 2019 से जून 2021 तक 37.20 फीसदी बच्चे हुए सुपोषित

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 9 सितंबर।
ढाई लाख से अधिक जनसंख्या वाला बीजापुर जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है। यह जिला प्रारंभ से ही धूर नक्सली प्रभावी होने अतिवादी शक्तियों के प्रभाव एवं सांस्कृतिक एवं धार्मिक कारणों से विकास की मुख्य धारा से कई गांव अलग रहे है, ऐसे में इन गांवों में पोषण शिक्षा एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं एवं कुपोषण मुख्य समस्या बना है। इसे देखते हुए, 2 अक्टुबर 2019 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान पूरे प्रदेश में शुरू की गई। इस अभियान से जिले मे लगातार कुपोषण एवं एनीमिया को दूर करने के लिए प्रयास किये जाते रहे है। 

फरवरी  2019 में किये गए वजन के अनुसार बीजापुर में 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों में 38.5 प्रतिशत बच्चें कुपोषित पाये गये थे। इसके अनुसार कुल 27876 बच्चों में से 10732 बच्चों के कुपोषित होने की बात सामने आई । जिसे देखते हुए  कलेक्टर रितेश अग्रवाल ने बच्चों को सुपोषित करने के लिए सुपोषण अभियान के अंतर्गत अतिरिक्त पौस्टिक आहार फोरटी फाईड मुंगफल्ली चिक्की, बिस्कीट, अण्डा एवं गरम भोजन आंगनबाडी केन्द्रों में प्रदाय करना प्रारंभ कराया। जिसके परिणाम स्वरूप अक्टुबर 2019 में जहां 10732 बच्चें कुपोषित थे। जून 2021 तक 6739 कुपोषत बचें।इस प्रकार कुपोषित बच्चों की संख्या में 37.20 प्रतिशत की कमी देखी गई। 

जिले में कुपोषण, मातृमृत्यु दर, शिशुमृत्यु दर, एनीमिया को कम करने हेतु मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान अंतर्गत अतिरिक्त पौष्टिक आहार के रूप में सभी 1 से 6 वर्ष तक के लगभग 27883 बच्चे, 3435 गर्भवती माताओं, 3494 शिशुवती माताओं, 2751 शाला त्यागी, किशोरी बालिकाओं तथा 15 से 49 वर्ष से आयु वर्ग की 9113 एनीमिक महिलाओं को गर्म भोजन एवं पौष्टिक अतिरिक्त आहार अण्डा, चिक्की, बिस्किट से लाभांवित किया जा रहा हैं।

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के सफलतापूर्ण क्रियान्वयन हेतु जिले के समस्त ऑगनबाड़ी केन्द्रों में पोषण वाटिका का लक्ष्य रखा गया है। प्रारंभिक चरण में मनरेगा से अभिसरण कर जिले के 276 ऑगनबाड़ी केन्द्रों में पक्के पोषण वाटिका पूर्ण कर लिया गया है, एवं 6342 हितग्राहियों में पोषण बाडी का निर्माण किया गया है। जिससे निरंतर उत्पादित हरे साग सब्जी का उपयोग घरों एवं केन्द्रों में आहार में उपयोग किया जा रहा है। जिले में कुल 15 स्व सहायता समूहों के द्वारा अण्डा उत्पादन का कार्य किया जा रहा है। उनके द्वारा उत्पादित अण्डों को लगभग 170 ऑगनबाड़ी केन्द्रों में क्रय किया जा रहा है। अभियान अंतर्गत नियमित गंभीर कुपोषित बच्चों को चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराया जा रहा हैं इसके अंतर्गत 2700 बच्चों का स्वास्थ्य लाभ दिलाया गया है। इन सबका सकरात्मक परिणाम दिखाई दे रहा है कि जिले के 65 ऑगनबाड़ी केन्द्र वर्तमान में कुपोषण मुक्त हो गये है। जिले के ऐसे 26 केन्द्र जो वर्षों से संचालित नहीं थे उन्हे पुन: संचालित किया गया है। जिले के 220 ऑगनबाड़ी केन्द्रों को मॉडल ऑगनबाड़ी केन्द्र के रूप में उन्नयन किया जा रहा हैं जिसमें स्वच्छ पानी, पोषण वाटिका बच्चों के लिए कीटस एलिमेंट्री एवं ऑगनबाडी भवनों को आर्कषक बनाया जा रहा है।
 

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