रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 सितंबर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भाजपा और डॉ. रमन सिंह की फितरत लाशों पर राजनीति करना है, इसीलिए शायद इन्होंने अनर्गल आरोप लगाना बंद नहीं किया है। डा. रमन सिंह ये बताना चाहेंगे कि उनके शासनकाल में पंडो जनजाति के लिए क्या किया कि 15 वर्षों में भी पंडो लोगों की स्थिति में रत्ती भर भी सुधार नहीं हुआ? क्या कारण था कि सूरजपुर के पंडोनगर के लोगों को विधानसभा चुनाव 2018 का बहिष्कार करने की घोषणा करनी पड़ी थी?
मरकाम ने कहा कि भाजपा ने सन 2017 में तब जांच टीम क्यों नहीं भेजी जब सूरजपुर जिले के चांदनी बिहारपुर क्षेत्र में थोड़े से अंतराल में ही पंडो समाज के करीब 30 लोगों की मृत्यु हो गई थी जिस पर केंद्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की टीम को जांच करने के लिये आना पड़ा था? उस समय डॉ. रमन सिंह के मुंह पर ताला क्यों पड़ गया था? 2016 में वाड्रफनगर के बसंतपुर में रामकरण पंडो की मृत्यु को लेकर क्यों पूरे पंडो समाज को उग्र आंदोलन करने पर विवश होना पड़ा था, क्या डा. रमन सिंह इस पर प्रकाश डालना नहीं चाहेंगे?
उन्होंने कहा कि क्या कारण है कि पंडो समाज में भाजपा अपने शासन के 15 वर्षों में अंधविश्वास और अशिक्षा को दूर नहीं कर पायी, क्या कारण है कि पंडो समाज की मातायें बहनें वर्षों से कुपोषण का शिकार रहीं जिसके कारण एक बड़ी आबादी हिमोग्लोबिन की कमी से जूझती रही? इन प्रश्नों में से किसी का भी उत्तर डा. रमन सिंह के पास नहीं होगा लेकिन एक बात वे बखूबी करना जानते हैं, और वो है एक ऐसे संवेदनशील विषय पर कुत्सित राजनीति करना।
मरकाम ने कहा कि बलरामपुर में पंडो समाज के लोगों की मृत्यु की घटना की जांच के निर्देश स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव को दिए जा चुके हैं जिन्हें तीन दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। पंडो जनजाति में हीमोग्लोबिन की कमी के मद्देनजर सभी आवश्यक दवायें सप्लाई करने के निर्देश दिये जा चुके हैं। भाजपा शौक से अपनी जांच समिति गठित करके भेज सकती है, वैसे भाजपा को ये जांच समिति अपनी सरकार के समय गठित करनी थी और उनकी सुध लेनी चाहिये थी। अब वहा जाकर घडिय़ाली आंसू बहाना सिर्फ और सिर्फ भाजपा की डर्टी पालिटिक्स है और कुछ नहीं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार न सिर्फ पंडो बल्कि सभी जनजातीय समाजों के लिये पूरी गंभीरता से काम कर रही है। पंडो विकास अभिकरण के लिये बजट की कोई कमी नहीं रखी गई है। सरकार ने मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के तहत कुपोषण के विरूद्ध एक निर्णायक जंग छेड़ी हुई है जिससे सभी लाभान्वित हो रहे हैं। मितानिनों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाओं और दाई दीदी क्लीनिकों के माध्यम से माताओं और बहनों को निरंतर स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध करवाई जा रही हैं। जो भी स्थानीय बाधायें रहीं या कमियां छूट गईं वे जांच में सामने आने पर उन पर सरकार कार्यवाही सुनिश्चित करेगी।
मरकाम ने कहा कि भाजपा किसानों से, किसानों की प्रतिनिधि सरकार से कितना नफरत करती है ये उनके शासन के 15 साल में स्पष्ट हो ही गया था, बस्तर में अपने चिंतन शिविर में किसानों की सरकार को थूक कर बहा देने के बयान से भाजपा ने अपनी खीझ को और प्रकट कर दिया क्योंकि किसान भाईयों ने आपकी धोखेबाज सरकार और धोखेबाज पार्टी को सत्ता से उतार फेंका था। तब से आप किसानों को भ्रमित करने के लिये दोहरी राजनीति खेल रहे हैं, एक तरफ किसान हितैषी योजनाओं का लाभ उठाते हुए लाखो रूपये कमा रहे हैं, दूसरी तरफ प्रदेश के किसानों में सरकार के प्रति असंतोष भरने का षडय़ंत्र कर रहे हैं।