बस्तर
जगदलपुर, 18 सितंबर। ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व के अंतर्गत रविवार को सुबह 11 बजे डेरी गड़ाई रस्म को पूरा किया जाएगा। शुभ कार्य के प्रारंभ में किये जाने वाले मण्डपच्छादन रस्म की तरह ही डेरी गड़ाई रस्म भी सम्पन्न किया जाएगा।
साल प्रजाति की दो शाखायुक्त डेरी, एक स्तम्भनुमा लकड़ी जो लगभग 10 फीट ऊंची होती है। इस लकड़ी को परंपरा स्थानीय सिरहसार भवन में स्थापित किया गया जाएगा। डेरी लाने का कार्य बिरिंगपाल के ग्रामीण के जिम्मे होता है।
15 से 20 की दूरी पर दो गड्ढे किये गए, इन गड्ढों में जनप्रतिनिधियों और दशहरा समिति के सदस्यों की उपस्थिति में पुजारी द्वारा डेरी में हल्दी, कुमकुम, चंदन का लेप लगाकर दो सफ़ेद कपड़े बाँधा जाएगा।
इन सारी रस्मों के बाद पूजा सम्पन्न होती है एक कामना के साथ कि बस्तर दशहरा पर्व निर्विघ्न सम्पन्न हो।
डेरी गड़ाई के बाद रथ निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ की जाती है, आज की पूजा के साथ ही जंगल से लकड़ी और निर्धारित गाँवों से कारीगरों का आना शुरू हो जाता है।
बस्तर दशहरा हेतु रथ निर्माण के लिए केवल साल और तिनसा प्रजाति की लकडिय़ों का उपयोग किया जाता है। तिनसा प्रजाति की लकडिय़ों से पहिए का एक्सल बनाया जाता है और रथ निर्माण के बाकी सारे कार्य साल की लकडिय़ों से पूरा किया जाता है। हरेली अमावस्या यानी पाट जात्रा के दिन पहली लकड़ी लाई जाती है और उसके बाद बस्तर दशहरा की दूसरी रस्म डेरी गड़ाई पूजा विधान के बाद अन्य लकडिय़ों को लाया जाता है।