महासमुन्द

जनसूचना अधिकारी ने देरी से दी सूचना दस्तावेज: 25 हजार जुर्माना
13-Oct-2021 4:35 PM
जनसूचना अधिकारी ने देरी से दी सूचना दस्तावेज: 25 हजार जुर्माना

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 13 अक्टूबर।
सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत दस्तावेज शुल्क राशि प्राप्त करके भी आवेदक को समयसीमा में सूचना दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराना  जिले के एक और अधिकारी को महंगा पड़ गया। छग राज्य सूचना आयोग ने महेश ओगरे सचिव दुरूगपाली पर 25000 रुपए का जुर्माना लगाया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार दास ने जनसूचना अधिकारी ग्राम पंचायत दुरूगपाली जपं बसना से 26 सितम्बर 2019 को सूचना आवेदन लगाकर चौदहवें वित्त आयोग योजना संबंधी सूचना दस्तावेज की मांग की। सचिव ने 23 अक्टूबर 2019 को मांगपत्र जारी कर राशि जमा करने का सूचना पत्र भेजा।

आवेदक का दस्तावेज शुल्क राशि 7 नवम्बर 2019 को जमा हो गया, लेकिन सचिव ने आवेदक को सूचना दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया। आवेदक ने दस्तावेज देने संबंधी जनसूचना अधिकारी को पुन: स्मरण पत्र भेजा। सचिव का ग्राम पंचायत कायार्लय में अनुपस्थिति के कारण डाक पत्र वापस आ गया। इस तरह इस बार भी जनसूचना अधिकारी ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का पालन नहीं किया। लिहाजा छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में प्रार्थी द्वारा 23 दिसम्बर 2019 को शिकायत दायर की गई।

मुख्य सूचना आयुक्त एम के राउत ने इस प्रकरण में 27 सितम्बर 2021 को अंतिम सुनवाई में पाया कि अपीलार्थी से दस्तावेज शुल्क लेकर भी समयसीमा में सूचना उपलब्ध नहीं कराया गया, जो सूचना के अधिकार अधिनियम के विपरीत है। इसलिए इस प्रकरण में पच्चीस हजार रुपए का जुर्माना करने का आदेश पारित किया। सीईओ जनपद पंचायत बसना को 25 हजार जुर्माना राशि जनसूचना अधिकारी महेश ओगरे के वेतन से कटौती करवाकर शासकीय कोष में जमा करके उसकी पावती सूचना आयोग में भेजने का निर्देशित किया गया है।

छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में सचिव महेश ओगरे ने सफाई दी है कि वतर्मान सरपंच तौसिफ  प्रधान ने ग्राम पंचायत दुरूगपाली के समस्त कायार्लयीन दस्तावेज और अभिलेखों को जबरन अपने पास रख लिया था। जिसकी सूचना सीईओ जनपद पंचायत बसना को दिया गया है। इसलिए आरटीआई कार्यकर्ता विनोद दास को सूचना दस्तावेज उपलब्ध कराने में देरी हुआ है। समस्त दस्तावेजों का निरीक्षण परीक्षण करने और शिकायतकर्ता का तर्क सुनने के बाद जनसूचना अधिकारी के इस तर्क को मुख्य सूचना आयुक्त ने विलंब का उचित पर्याप्त कारण मानने से इंकार कर दिया।
 

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