बीजापुर
युवती दुर्ग के संदीपनी अकादमी के चक्कर लगाने को मजबूर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 16 अक्टूबर। वर्ष 2017 में हुए जीएनएम कोर्स के चार साल बीत जाने के बाद भी आदिवासी युवती को मार्कशीट के लिए अब तक दुर्ग के संदीपनी अकादमी के चक्कर लगाने को मजबूर होना पड़ रहा हैं।
गंगालूर निवासी असुंता एक्का ने 2013 में अछोटी दुर्ग स्थित संदीपनी अकादमी से जनरल नर्सिंग और मिडवाइफ का कोर्स कंप्लीट किया, पर आज तक उसे ओरिजनल मार्कशीट नहीं मिल पाई है। जिसके कारण उसके दस्तावेजों का सत्यापन नहीं हो रहा है।
असुंता एक्का ने बताया कि नवम्बर 2013 में उसने इस अकादमी में एडमिशन लिया था और 2017 में इंटर्नशिप समाप्त हुई, जिसके बाद उसे अकादमी द्वारा फोटोकॉपी वाली मार्कशीट दे दी गई और कहा कि रजिस्ट्रार के पास कलर प्रिंटर खराब होने के कारण अभी ओरिजनल मार्कशीट नहीं दी जा सकती है। जिसके बाद से लगातार संपर्क करने बाद भी कल परसों करते चार साल बिता दिए।
असुंता एक्का गोंगला में मितानिन का कार्य कर रही थीं, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा मितानिनों को स्वास्थ्य कर्मियों की ट्रेनिंग देने के दौरान असुंता का चयन हुआ था। जिसका पूरा शुल्क सरकारी खर्चे से हुआ था। जीएनएम की पढ़ाई होने के बाद नर्सिंग काउंसिल में रजिस्ट्रेशन भी हो गई, पर अकादमी ने आज तक उसे फाइनल ईयर की मार्कशीट नहीं दी।
आगे कहा कि अभी स्टॉफ नर्स के लिए आवेदन किया है, जिसका 18 अक्टूबर को दस्तावेजों का सत्यापन होना है। जिसके लिए उसने फिर से एक बार संदीपनी अकादमी के प्राचार्य आकांक्षा बोटले से सम्पर्क किया तो उन्हें मार्कशीट गुम होने की शिकायत थाने में करने व एफिडेविट व दो अखबारों में ईश्तहार देने की बात कही।
संदीपनी अकादमी की प्रिंसिपल आकांक्षा बोटले ने कहा कि प्रिंटर खराब होने के कारण मार्कशीट प्रिंट नहीं हो पाया है। इस विषय पर रजिस्ट्रार से मेरी चर्चा हो रही है। जल्द ही ठीक करा लिया जाएगा।