राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 22 अक्टूबर। शांतिनगर करूणा बुद्ध विहार में आषाढ़ पूर्णिमा से प्रारंभ तीन माह के वर्षावास कार्यक्रम के पश्चात अश्विन पूर्णिमा पर वर्षावास समापन समारोह का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य धम्मदेशक के रूप में बौद्ध धम्मगुरू पूज्य भदंत धम्मतप ने बौद्ध उपासक-उपासिकाओं को धम्म दीक्षा दिवस व अश्विन पूर्णिमा के महत्व को समझाते दैनिक जीवन में तनावपूर्ण स्थिति व स्वयं की वजह से जाने-अंजाने में हो जाने वाले अकुशल कर्मों से मुक्त होने के लिए उपोसत का मार्ग बताया।
उन्होंने बताया कि जीवन में बदलाव लाने के लिए सभी मानव प्राणियों को उपोसत जैसी प्रक्रिया को अपनाना चाहिए। जिसमें स्वयं के माध्यम से स्वयं को व अन्य किसी भी मानव प्राणी या जीव-जन्तुओं को जाने-अंजाने में अपने शरीर, मन व वाणी से किए गए दोषकर्म से पहुंचाए गए कष्ट से मुक्त होने या अशांत मन शांत करने के लिए उपोसत अर्थात क्षमा याचना या तथागत गौतम बुद्ध द्वारा दिए गए पांच शीलों व उनके बताए मार्ग पर एक घंटे, एक दिन, एक सप्ताह या एक साल तक रोजाना या निरंतर चलते रहने का प्रयास करने से ही मानव जीवन सफल व दुरूखमुक्त हो सकता है।
कार्यक्रम का आयोजन बौद्ध सेवा समिति व रमाआई महिला मंडल करूणा बुद्ध विहार शांतिनगर के तत्वावधान में किया गया।
इसमें समिति अध्यक्ष संदीप कोल्हाटकर, अनुपमा श्रीवास, राजकुमार उके, कंचना मेश्राम, सुनिता ईलमकार, संगीता मेश्राम, पूनम कोल्हाटकर, संजय हुमने, दयानंद रामटेके, किशोर भीमटे, महेश शेण्डे, सागर हुमने, बसंत कोल्हाटकर, अनिल अंबादे, सुभाष मेश्राम, ललिता उके, अनिता रामटेके, सरोज वैदे, रोशन शेण्डे, कुंजेश श्रीवास, भाग्यश्री कोल्हाटकर, अरूणा हुमने, दुर्गा गजभिये, सीमा भीमटे, रोशनी शेण्डे, तरूणा सुखदेवे,, पुष्पलता श्यामकुंवर, आकांक्षा श्यामकुंवर सहित बड़ी संख्या में उपासक-उपासिकाएं उपस्थित थे ।