सरगुजा

नशा पीडि़त लोगों के लिए बरदान है नशा मुक्ति केंद्र-सुरेन्द्र
22-Oct-2021 10:09 PM
 नशा पीडि़त लोगों के लिए बरदान है नशा मुक्ति केंद्र-सुरेन्द्र

लखनपुर, 22 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ शबरी सेवा संस्थान लखनपुर जिला सरगुजा के प्रदेश सचिव सुरेन्द्र साहू लगातार 27 वर्षों से अविभाजित सरगुजा जिला में नशामुक्ति जागरूकता अभियान का कार्य कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ शबरी सेवा संस्थान के प्रदेश सचिव सुरेन्द्र साहू ने बताया कि आज कि युवा पीढ़ी नशीली पदार्थों के दुर्गुणों को जानते हुए भी क्षणिक मजा और आनन्द लेने के लिए नशे के आगोश में डुबकी लगा रहे हैं, जिससे उनका पैसा और शरीर दोनों ही समाप्त हो रहा है। नशे की गिरफ्त में होने से जहां उनका जीवन खराब हो रहा है, वहीं भारत का भी भविष्य अंधकारमय हो रहा है।

आज लगभग सभी गांवों में विभिन्न प्रकार के नशा सभी वर्गों के लोगों को आसानी से उपलब्ध हो जा रही है। कोई भी कहीं भी रोकने टोकने वाला नहीं है। किसी भी गांव में आसानी से आज सभी लोगों को बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, गुटखा, शराब, आयोडेक्स, सुलेशन, गांजा भांग पान-मसाला, सुलेशन मिल जा रहा है।

उन्होंने ने बताया कि अधिकांश लोग अपने अपने माता-पिता, परिवार और अपने आस पास के लोगों को ही देखकर नशा की सुरूवात करते हैं फिर धीरे धीरे इसकी आदत हो जाती है। नशा पान करने के लिए व्यक्ति कुछ भी नहीं सोचता है और वह नशा प्राप्त करने के लिए कुछ भी कर सकता है।

सरगुजा संभाग में नशे कि विभीषिका को देखते हुए छत्तीसगढ़ शबरी सेवा संस्थान लखनपुर जिला सरगुजा द्वारा जिला प्रशासन सरगुजा व उपसंचालक समाज कल्याण विभाग सरगुजा के सहयोग से जुलाई 2021 से सरगुजा संभाग मुख्यालय में 15 विस्तर का नशामुक्ति केन्द्र केदारपुर अंम्बिकापुर में संचालित किया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ शबरी सेवा संस्थान लखनपुर जिला सरगुजा के प्रदेश सचिव सुरेन्द्र साहू ने बताया है कि कोई भी व्यक्ति जब लगातार10-15, दिन शराब या किसी भी प्रकार का नशा पान करना सुरू करता है तो वह नशे का आदी हो जाता है। लगातार नशा पान करने पर उसे एडिक्ट कहा जाने लगता है। जब वह नशे का आदि हो जाता है, और उसे नशा नहीं मिल पाता है, जिसके वजह से उसे घबराहट, बेचैनी, हड़बड़ाहट , लडखडाहट आने लगता है, उसे बोलने में भी बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिससे उसकी समस्थ इंन्द्रिया अस्त-व्यस्त हो जाती है और उस व्यक्ति का उसका मानसिक संतुलन और स्वास्थ्य समाप्त होने लगता है। ऐसे में वह व्यक्ति द्वारा कभी भी आत्महत्या भी कर लिया जाता है, नशा नहीं मिलने की स्थिति में वह व्यक्ति पुन: नशा कि ओर बढ़ जाता है और वह  क्षणिक आनंद और शरीर में फुर्ती और सुख प्राप्त कर लेता है। जिससे उस व्यक्ति को कुछ मानसिक तनाव भी कम होने लगता है। परन्तु कुछ घंटे बाद ही उसकी हालत जश की तश हो जाती है और वह पुन: फिर से नशा के दलदल में पहुंच जाता है।

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