कोण्डागांव

दो बच्चों में लड़ाई, पत्थर से सिर में गंभीर चोट
22-Oct-2021 10:34 PM
दो बच्चों में लड़ाई, पत्थर से सिर में गंभीर चोट

शिक्षकों ने नहीं दी जानकारी, पालकों में नाराजगी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

केशकाल, 22 अक्टूबर। केशकाल नगर के सुरडोंगर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में संस्था की बड़ी लापरवाही सामने आई है। बताया जा रहा है कि विद्यालय परिसर में दो बच्चों की आपस में लड़ाई हो गयी, जिसमें एक बच्चे ने दूसरे बच्चे के सर में पत्थर से मार दिया है जिसके कारण उसके सर में गंभीर चोटें आई थीं। आरोप है कि स्कूल में मौजूद प्रभारी प्राचार्य एवं अन्य शिक्षकों को जब इस बात की सूचना मिली तो उन्होंने घायल बच्चे के परिजनों को घटना की सूचना तक नहीं दी। उन्होंने बच्चे को अस्पताल ले जाकर उसका उपचार करवाया और बच्चे को वापस ले जाकर उसके घर के सामने छोड़ दिया।

इस संबंध में केशकाल थाना प्रभारी भीमसेन यादव ने कहा कि प्रार्थी की रिपोर्ट के आधार पर नाबालिग बच्चे के खिलाफ मामला पंजीबद्ध कर लिया गया है। इस मामले में अब उचित वैधानिक कार्यवाही की जाएगी। साथ ही शिक्षकों द्वारा की गई लापरवाही के लिए विभागीय कार्रवाई हेतु पत्राचार कर कार्यवाही की मांग की गई है।

इस संबंध में नगर पंचायत केशकाल के पार्षद नवदीप सोनी ने बताया कि उक्त घायल बच्चा मेरा भतीजा है, जिसका नाम सूर्यांश सोनी है। प्रतिदिन की तरह आज भी सुबह वह स्कूल गया था, जहां दोपहर के वक्त उसकी एक अन्य बच्चे  के साथ किसी कारणवश मारपीट हो गयी थी। नवदीप सोनी ने कहा कि जिस प्रकार से स्कूल के प्रभारी प्राचार्य ईश्वर सिंह पटेल एवं वहां मौजूद शिक्षकगण द्वारा घोर लापरवाही बरतते हुए घायल बच्चे के परिजनों को सूचना न देते हुए मनमानीपूर्वक उसे अस्पताल ले जाकर उसका हल्का फुल्का उपचार करवाया और हमारे घर के सामने लाकर छोड़ दिया। हमने थाना प्रभारी केशकाल से मामले की शिकायत की तो उन्होंने बच्चे को मुलायजा हेतु पुन: केशकाल अस्पताल भेजा। जहां डॉक्टरों द्वारा बताया गया है कि बच्चे के सिर में तीन टांके लगे हैं, साथ ही एक्स-रे की समझाइश दी गयी है। इस विषय पर प्रभारी प्राचार्य से संपर्क करना चाहे लेकिन फोन से संपर्क नहीं हो पाया ।

 नवदीप सोनी ने स्कूल प्रशासन पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि यदि स्कूल जैसे सुरक्षित स्थान पर बच्चों के साथ इस प्रकार का व्यवहार किया जाएगा और स्कूल प्रशासन मूकदर्शक बन कर देखती रहेगी तो फिर बच्चों के लिए स्कूल को भी सुरक्षित स्थान नहीं माना जा सकता है। हम शासन-प्रशासन से मांग करते हैं कि संस्था के संबंधित शिक्षकों एवं आरोपी बालक पर वैधानिक कार्रवाई करें, ताकि भविष्य में अन्य किसी स्कूल में इस प्रकार का कृत्य दोहराया न जा सके।

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