राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 24 अक्टूबर। स्टॉफ नर्सों ने प्रदर्शक के पद पर पदोन्नति को नियम विरुद्ध बताते इसका कड़ा विरोध किया है। शनिवार को एक प्रेसवार्ता में प्रभावित नर्सेस ने पूरे मामले की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के विभिन्न शाासकीय नर्सिंग कॉलेजों में कार्यरत संविदाकर्मी महिला जो अपना तथा अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं। कॉलेज में अपना कार्य निष्ठा से संपादित कर रही हंै, लेकिन इतने वर्षों तक संविदा शिक्षकों से कार्य लेने के बाद उनके हितों और मांगों को लेकर शासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। ऐसे में स्टॉफ नर्सेस की प्रदर्शक पद में पदोन्नति से स्टॉफ प्रदर्शकों का भविष्य खतरे में है।
प्रेसवार्ता में रीना ठाकुर, रोली टोप्पो, स्मृति, प्रीति चंद्राकर, गीता चैनम्मा भास्कर, रामनी जेमा, श्रद्धा, राखी सिंह सहित अन्य लोग शामिल थे।
कोर्ट की शरण में जाएंगी नर्सेस
उन्होंने कहा कि प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों में सेवा देने वाली 87 में से 22 प्रदर्शकों को बाहर किया जा रहा है। इस संबंध में उन्होंने मंत्री एवं स्वास्थ्य सचिव को अपनी समस्या बताई, लेकिन आश्वासन ही मिला है। अब वह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपनी समस्याा बताकर समाधान की मांग करने की मांग की जाएगी। वहां भी समाधान नहीं होने पर धरना आंदोलन किया जाएगा और न्यायालय की शरण लेंगे।
किया जा रहा बाहर
उन्होंने कहा कि स्टॉफ नर्सों की पदोन्नति क्लीनिकल विभाग में न होकर शिक्षण में की जा रही है, वहीं प्रदर्शकों को बाहर किया जा रहा है। स्टॉफ नर्स की पदोन्नति क्लीनिकल में ही होना चाहिए। जैसे एक नर्सिंग शिक्षक की पदोन्नति शिक्षण संस्थानों में ही होती है। स्टॉफ नर्स जो ग्रेड-3 में आते हैं तो उनकी पदोन्नति भी ग्रेड-3 में होना चाहिए। स्टॉफ नर्सेस की पदोन्नति श्रृंखला के आधार पर तथाा ग्रेड-2 में होना नियम के विरुद्ध तथा बेबुनियाद है।
पदोन्नति नियम विरुद्ध
उन्होंने कहा कि स्टॉफ नर्स की पोस्टिंग हॉस्पिटल में होती है तथा उनका हॉस्पिटल में काम करने का ज्यादा अनुभव होता है। यदि वह हास्पिटल में शिक्षण संस्थानों में जाती है तो बच्चों का भविष्य अंधकार में जा सकता है, क्योंकि उनको किसी भी प्रकार का शिक्षण अनुभव नहीं होता है, बिना शिक्षण अनुभव स्टॉफ नर्सों को शिक्षण संस्थानों में पदोन्नति करना अन्याय होगा।
स्टॉफ नर्सों के आने से जो पहले से कॉलेज में कार्यरत नर्सिंग शिक्षक हैं, वह बेरोजगार हो जाएंगे। स्टॉफ नर्सों की पदोन्नति उनके ही विभाग क्लीनिकल में हो तो कॉलेज में कार्यरत नर्सिंग शिक्षक बेरोजगार नहीं होंगे और स्टॉफ नर्सों की पदान्नति भी नहीं रूकेगी।