सरगुजा

आजादी की लड़ाई में सरगुजा अंचल के वीर सपूतों ने भी अविस्मरणीय योगदान दिया है-अजय चतुर्वेदी
24-Oct-2021 9:32 PM
 आजादी की लड़ाई में सरगुजा अंचल के वीर सपूतों ने भी अविस्मरणीय योगदान दिया है-अजय चतुर्वेदी

कहा- वीर शहीदों को ढूंढना और परिजनों को सच्चा सम्मान देना ही उद्देश्य

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अम्बिकापुर, 24 अक्टूबर। आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत पर 21 और 22 अक्टूबर को गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर के रजत जयंती सभागार में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद रा नई, दिल्ली एवं भारतीय इतिहास संकलन समिति छत्तीगढ़ प्रांत गुरू घासीदास केंद्रीय विश्व विद्यालय विलासपुर, के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के अध्यक्ष माननीय कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल और मुख्या अतिथि डॉ. बाल मुकुंद पाण्डेय संगठन सचिव, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नई दिल्ली विशिष्ट अतिथि डॉ. ओम जी उपाध्याय निर्देशक, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली, डा0 हर्षवर्धन सिंह तोमर क्षेत्रीय संगठन मंत्री, मध्य क्षेत्र अखिल भा.इ.सं.योजना, नई दिल्ली प्रो. अमित कुमार सक्सेना विभागाध्यक्ष संगणक विभाग,संजय मिश्र संगठन सह-सचिव, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नई दिल्ली और डॉ. नितेश कुमार मिश्र अध्यक्ष, भा.इ.सं. समिति छत्तीसगढ़ थे।

स्वातंत्र्य समर और छत्तीसगढ़ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में राज्यपाल पुरस्कृत व्याख्याता अजय कुमार चतुर्वेदी ने ज्ञात,अल्प तथा अज्ञात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सरगुजा अंचल के विशेष संदर्भ में शोध पत्र का वाचन कर बताया कि आजादी की लड़ाई में सरगुजा अंचल के वीर सपूतों ने भी अविस्मरणीय योगदान दिया है। सरगुजा अंचल में अनेक वीरों ने देश की खातिर कुर्बानियां दी हैं, परंतु वे आज भी गुमनाम है। सरगुजा की धरती कुछ वीर सपूतों की जन्मभूमि तो कुछ वीर सपूतों की कर्म भूमि रही है। यहां के मूल निवासी अनुसूचित जनजाति समुदाय के वीर सपूतों ने भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में आजादी की लड़ाई में आहुतियां दी हैं।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर शोध कार्य कर रहे जिला पुरातत्व संघ सूरजपुर के सदस्य अजय कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि सरगुजा अंचल से 26 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम 1989 के सरगुजा गजेटियर में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हैं। सरगुजा अंचल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के कुछ नाम प्रकाश में हैं, तो कुछ आज भी गुमनाम हैं। जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सहयोग देकर देश को आजाद कराया।

सरगुजा अंचल के सूरजपुर जिले के एक ऐसे ही गुमनाम वीर शहीद बाबू परमानंद जी हैं जिन्होंने 18 वर्ष की आयु में देश की खातिर शहीद होकर छत्तीसगढ़ की धरती को धन्य कर दिया। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में सरगुजा जिले के अम्बिकापुर से स्वर्गीय उमेद सिंह रावत, स्वर्गीय श्री भास्कर नारायण माचवे, स्वर्गीय मेवाराम कलवार,स्वर्गीय अमृत राव घाटगे, स्वर्गीय टी.वी. राव, स्वर्गीय मजही राम गोंड, स्वर्गीय आनंद प्रसाद हलदर, स्वर्गीय धुनरा साव,स्वर्गीय नैन सिंह ठाकुर, स्वर्गीय ज्ञानी दर्शन सिंह, स्वर्गीय शिवदास राम, लुंड्रा से स्वर्गीय रघुनंदन तिवारी, लखनपुर से स्वर्गीय श्री राजदेव पांडे है।कोरिया जिला के मनेन्द्रगढ़, से स्वर्गीय रमेश चंद्र दत्त, स्वर्गीय मौजी लाल जैन, स्वर्गीय गुलाब राम सोनार,स्वर्गीय धरम सिंह, हल्दीबाड़ी चिरमिरी से स्वर्गीय श्री नित्य गोपाल रे, स्वर्गीय हेमंत कुमार कार, चिरमिरी से स्वर्गीय श्री पन्नालाल जैन, स्वर्गीय अहिभूषण मुखर्जी, स्वर्गीय अनिल कुमार चटर्जी, झगराखांड़ से स्वर्गीय शंकरी प्रसाद सेन, बैकुंठपुर से स्वर्गीय जगदीश प्रसाद नामदेव हैं।

बलरामपुर जिले के कुसमी से स्वर्गीय महली भगत स्वर्गीय राजनाथ भगत हैं।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर शोध कार्य कर रहे अजय कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि सरगुजा अंचल में अनेक ऐसे गुमनाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हैं, जिन्होंने देश की खातिर अपनी कुर्बानियां दी हैं। आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत ऐसे वीर शहीदों को ढूंढना और उनके पतिजनों को सच्चा सम्मान देना इस कार्यक्रम का उद्देश्य है। मैं सरगुजा अंचल में जितने भी ज्ञात,अल्प ज्ञात तथा अज्ञात स्वतंत्रता सेनानी है उन्हें ढूंढना उनके परिवार वालों से मिलकर उनकी संपूर्ण जीवन गाथा लिखकर इतिहास के पन्नों में लाने का प्रयास कर रहा हूं। मुझे आशा है कि इस पुनीत कार्य में सभी वर्ग के लोग सहयोग करेंगे और ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जो देश की खातिर शहीद हुए उनकी जानकारी सांझां करेंगे ताकि सरगुजा अंचल का इतिहास एक स्वर्णिम इतिहास बन सके।

राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी सात अकादमिक सत्र में सत्तर शोध पत्रों का वाचन एवं विषय विशेषज्ञों द्वारा अपनी विचार साझा की गई। संगोष्ठी के संयोजक प्रो. प्रवीन कुमार मिश्र विभागाध्यक्ष, इतिहास गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, सह-संयोजक प्रो0 शौलेन्द्र कुमार मिश्रा कुल सचिव गुरु घासीदास विश्वविद्यालय और संगोष्ठी के आयोजन सचिव डॉ. घनश्याम दुबे सहा. प्राध्यापक, इतिहास विभाग, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय आयोजन सह-सचिव डा0 सीमा पाण्डेय थे।

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